नपुंसकता दूर करने के लिए कुछ छुहारे लें इन छुहारों की गुठली निकालकर अलग कर ले। गुठलियों के स्थान पर आक के पौधे का दूध भर कर इस पर आटा लगाकर आग पर पकने के लिए रख दें । जब आटा पक कर जल जाये तो छुहारे निकाल कर पीस ले । फिर इसकी छोटी - छोटी गोलियाँ बनाकर रात को सोते समय खाएं और ऊपर से दूध पी ले । इस उपयोग से स्तम्भन में लाभ मिलता है और गुप्तांग में कठोरता भी आएगी |
शिश्न के रोग का उपचार करने के लिए शहद और गाय के घी में आक के पौधे का दूध बराबर मात्रा में मिलाकर किसी शीशी में ४-५ घंटे तक रख दें । फिर इसकी मालिश करे किन्तु सुपारी और इंद्री की सीवन से बचा कर रखें । और ऊपर से एरंड का पत्ता और पान बांधकर कुछ देर रखे । इस प्रकार लगातार सात दिनों तक मालिश करें । फिर १५ दिन बाद, एक महीने में २ बार मालिश करे । इससे शिश्न के सारे रोगो को फायदा मिलता है |
आक के पौधे की जड़ को छाया में सुखाकर इसे पीस ले । लगभग २० ग्राम की मात्रा का चूर्ण को आधा किलो दूध में उबालकर इसकी दही जमा दें । फिर इस दही में से घी निकल ले । इस प्रकार का तैयार घी को खाने से नामर्दी की शिकायत दूर हो जाती है ।
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