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21.3.20

दिल की धड़कन असामान्य होने के कारण और उपाय //dil ki dhadkan




दिल की धड़कन बिगड़ने को अतालता भी कहते है। इसमें हृदय की धड़कन असामान्‍य हो जाती हैं। ऐसे में हार्ट बीट या तो रूक-रूक कर या बहुत तेज हो जाती है। बहुत तेज धड़कनों को टेककार्डिया और धीमी धड़कनों को ब्रैडीकार्डिया कहते हैं।

अक्‍सर कई बार हम सभी के दिल की धड़कन असमान हो जाती है, मसलन दौड़ने पर या कोई खुशी की खबर मिलने के मौके पर। दिल की असमान धड़कन बार-बार होना या ज्‍यादा होना हानिकारक भी हो सकती है। यदि आपकी दिल की धड़कन न्‍यूनतम 60 और अधिकत 85 प्रति मिनट है तो यह सामान्‍य होती है। यदि आपके दिल की धड़कन इससे कम या ज्‍यादा होती है तो चिंता की बात हो सकती है। इस लेख के जरिये हम बात करते हैं दिल की असमान धड़कन के लक्षण और कारणों के बारे में।
असामान्य धड़कन के लक्षण
यह जरूरी नहीं कि यदि किसी व्‍यक्ति में दिल की असमान धड़कन से संबंधित लक्षण पाये जाते हैं तो उसे ह्दय संबंधी बीमारी हो। ऐसा भी हो सकता है कि कुछ रोगियों में हृदय की असमान धड़कन होने का कोई भी लक्षण न मिलें और डॉक्‍टर उनकी जांच के बाद उसके दिल की असमान धड़कन होने की पुष्टि कर दें। इसके लक्षण होने पर यह भी जरूरी नहीं कि उसे गंभीर समस्‍या हो। उसी तरह कुछ रोगियों को कोई भी लक्षण नहीं होने पर उनकी समस्‍या गंभीर हो सकती है। दिल की असमान धड़कन के कुछ लक्षण निम्‍नलिखित हैं।
सांस लेने में तकलीफ होना
कई बार कुछ लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है। यदि ऐसी समस्‍या ज्‍यादा हो तो डॉक्‍टर से परामर्श लें और उचित उपचार कराना चाहिए।
चक्‍कर आना
कभी- कभी चक्‍कर आने पर नहीं बल्कि आपको या आपके मित्र को अक्‍सर चक्‍कर आने की शिकायत रहती है तो हो सकता है कि उसका रक्‍त संचार बाधित हो रहा हो। ऐसे में दिल की असमान धड़कन होने की भी आशंका होती है।
अचानक बेहोश हो जाना
अचानक किसी का बेहोश होने भी इस रोग का बड़ा लक्षण होती है। इसलिए ऐसी किसी भी स्थिति को हल्‍के में नहीं लेना चाहिए और डॉक्‍टर से परामर्श करना चाहिए।
छाती में धड़कन होना
छाती में तेज या हल्‍की धड़कन होना इस रोग का प्रमुख लक्षण है। धड़कन हल्‍की हो या तेज दोनों ही खतरनाक हो सकती हैं।
अचानक कमजोरी आना
शरीर में अचानक कमजोरी महसूस करना या कमजोरी की वजन से किसी काम में मन न लगना इसका लक्षण हो सकता है।
एकाग्रता की समस्‍या होना
जिन लोगों को दिल की असमान धड़कन की शिकायत होती है उनमें अक्‍सर एकाग्रता की कमी पायी जाती है। ऐसा व्‍यक्ति कई बार लोगों को पहचानने में कनफ्यूज भी हो जाते हैं।
व्‍यायाम करने में परेशानी
दिल की असामान्‍य धड़कन वाले रोगियों को दौड़ने, पैदल चलने या फिर कोई मेहनत का काम करने में परेशानी होती है। इन्‍हें थोड़ा सा काम करने पर बहुत ज्‍यादा थकान का अनुभव होता है। ये ज्‍यादा लंबे समय तक काम नहीं कर पाते।
छोटी-छोटी सांसे आना
इस प्रकार के रोगियों में अक्‍सर छोटी सांसे आने की शिकायत भी पाई जाती है।
दिल की असामान्‍य धड़कन दिल की कमजोरी का प्रतीक होती है। इससे रक्‍त संचार बढ़ जाता है। दिल का आकार बढ़ने पर धड़कन बिगड़ने की शिकायत आम होती है। कई बार आपने अपने अड़ौस-पड़ौस में भी किसी के दिल का आकार बढ़ने के बारे में सुना होगा। दिल की असामान्‍य धड़कन के निम्‍न लिखित कारण हैं।
एनीमिया से ग्रसित होना
मोटे व्‍यक्ति को ऐसी समस्‍या हो सकती है।
अस्‍थमा की बीमारी होना
फेफड़ों में रक्‍त के थक्‍के जमे होना
थाइराइड की समस्‍या
फेफड़ों में इनफेक्‍शन
ज्‍यादा परिश्रम करना
बुखार या डिहाइड्रेशन की समस्‍या
शरीर में खून की कमी होना
दवाईयों का साइड इफेक्‍ट होना
धूम्रपान
हाई ब्‍लड प्रेशर
डायबिटीज
तनाव
वायु प्रदूषण
घरेलू आयुर्वेदिक उपाय -

अनार के पत्तों का घोल
आनार के 50 पत्ते पीसकर एक गिलास पानी मे मिलाकर दिन मे 2 बार सुबह शाम पीने से हृदय गति सामान्य होने मे मदद मिलती है |
प्याज-
एक कच्चा प्याज नित्य खाना हृदय गति को सामान्य बनाने मे सहायक है|प्याज का रस हृदय की कई बीमारियों मे लाभप्रद माना गया है|
*पैर के अंगूठे मे काला धागा बांधने से हृदय रोगों मे आशातीत फायदा होता है|औरतों मे ज्यादा प्रभावशाली उपाय है|
सूखा धनिया-
हृदय गति सामान्य करने के लिए सूखा धनिया और मिश्री समान मात्रा मे मिलाकर चूर्ण बनालें |एक चम्मच रोज पानी के साथ लें|
अंगूर
अंगूर का नियमित सेवन करना हृदय की धड़कन को सामान्य बनाने मे सहायक उपाय है|
गाजर-
हृदय कि धड़कन बढ़ने और रक्त गाढ़ा होने मे गाजर विशेष रूप से प्रभावकारी होती है|
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    6.3.20

    एयर कंडीशनर के होते हैं शरीर पर दुष्प्रभाव












    एयर कंडीशनर गर्म तापमान से राहत देकर आपको ठंडक और सुकून का एहसास कराता है, वह भी बगैर शोर शराबे के। यही कारण है कि अब पंखे और कूलर से ज्यादा एसी का चलन तेजी से बढ़ रहा है। दफ्तर में तो पूरे आठ घंटे आप एसी में बैठते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लंबे समय तक एसी में बैठना आपके लिए बेह हानिकारक हो सकता है? अगर नहीं जानते, तो अब जरूर जान लीजिए...

    *मोटापा -

    आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन यह पूरी तरह सच है कि एसी के इस्तेमाल से आपके शरीर में मोटापा बढ़ सकता है। तापमान कम होने के कारण हमारा शरीर अधिक सक्रिय नहीं हो पाता और शरीर की ऊर्जा का सही मात्रा में उपयोग नहीं हो पाता, जिससे मोटापा बढ़ता है।

    *त्वचा की समस्याएं -

    एसी के दुष्प्रभाव आपकी त्वचा पर भी दिखाई देते हैं। यह आपकी त्वचा की प्राकृतिक नमी समाप्त कर सकता है जिससे आपकी त्वचा में रूखापन महसूस होता है।

    *रक्तसंचार -

    एसी में बैठने से शारीरिक तापमान कृत्रिम तरीके से ज्यादा कम हो जाता है जिससे कोशिकाओं में संकुचन होता है और सभी अंगों में रक्त का संचार बेहतर तरीके से नहीं हो पाता, जिससे शरीर के अंगों की.क्षमता प्रभावित होती है।

    * बुखार या थकान -

    लंबे समय तक एसी में रहने से आपको लगातार हल्का बुखार और थकान बने रहने की समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं इसका तापमान ज्यादा कम करने पर आपको सिरदर्द और चिड़चिड़ाहट महसूस हो सकती है। अगर आप एसी से निकलकर सामान्य तापमान या गर्म स्थान पर जाते हैं तो आप लंबे समय तक बुखार से पीड़ित हो सकते हैं।

    *जोड़ों में दर्द -


    लगातार एसी के कम तापमान में बैठना सिर्फ घुटनों की समस्या ही नहीं देता बल्कि आपके शरीर के सभी जोड़ों में दर्द के साथ-साथ अकड़न पैदा करता है और उनकी कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। आगे चलकर यह हड्ड‍ियों से जुड़ी बीमारियों को जन्म भी दे सकता है।

    *ब्लडप्रेशर व अस्थमा -


    अगर आपके ब्लडप्रेशर संबंधित समस्याएं हैं तो आपको एसी से परहेज करना चाहिए। यह लो ब्लडप्रेशर के लिए जिम्मेदार हो सकता है और सांस संबंधी समस्याएं भी पैदा कर सकता है। अस्थमा के मरीजों को भी एसी के संपर्क में आने से बचना चाहिए। .

    सावधानियाँ-

    *ऐसे कई ऑफिस होते हैं जहां पूरे दिन AC में बैठना मजबूरी होती है। ऐसी स्थिति में हर एक या दो घंटे में 5 से 7 मिनट के लिए ऑफिस के ही ऐसे स्थान पर जाएं जहां AC की कूलिंग नहीं हो (AC से सीधे धूप में ना जाएं)।

    *अगर संभव हो तो AC को हर एक या दो घंटे में कुछ समय के लिए बंद कर दें।
    *AC की हवा का एक्सपोजर सीधे सिर या आंखों पर न हो।
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     कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय

    किडनी स्टोन के अचूक हर्बल उपचार

    स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

    लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

    सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

    दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

    तुलसी है कई रोगों मे उपयोगी औषधि

    4.3.20

    सेमल के आयुर्वेदिक और औषधीय गुण//semal tree



     

       सेमल की रूई रेशम सी मुलायम और चमकीली होती है और गद्दों तथा तकियों में भरने के काम में आती है, क्योंकि यह काती नहीं जा सकती । । आयुर्वेद में सेमल बहुत उपकारी ओषधि मानी गई है । यह मधुर, कसैला, शीतल, हलका, स्निग्ध, पिच्छिल तथा शुक्र और कफ को बढ़ानेवाला कहा गया है । सेमल की छाल कसैली और कफनाशक; फूल शीतल, कड़वा, भारी, कसैला, वातकारक, मलरोधक, रूखा तथा कफ, पित्त और रक्तविकार को शांत करनेवाला कहा गया है । फल के गुण फूल ही के समान हैं ।

    Semal के नए पौधे की जड़ को सेमल का मूसला कहते हैं, जो बहुत पुष्टिकारक, कामोद्दीपक और नपुंसकता को दूर करनेवाला माना जाता है । Semal का गोंद मोचरस कहलाता है । यह अतिसार को दूर करनेवाला और बलकारक कहा गया है । इसके बीज स्निग्धताकारक और मदकारी होते है; और काँटों में फोड़े, फुंसी, घाव, छीप आदि दूर करने का गुण होता है ।

    सेमल का विभिन्न रोगों में उपयोग

    Semal वृक्ष के फल, फूल, पत्तियाँ और छाल आदि का विभिन्न प्रकार के रोगों का निदान करने में प्रयोग किया जाता है। जैसे-

    स्तन में शिथिलता :-

     स्तन में शिथिलता हो तो इसके काँटो पर बनने वाली गांठों को घिसकर लगायें 10-15 दिन में ही स्तन की शिथिलता ख़तम हो जायेगी 

    ढूध बढाने में सहायक :- अगर माताओं को दूध कम आता हो तो इसकी जड़ की छाल का पावडर लें .

    ताकत के लिए :- 

    अगर शरीर में कमजोरी है तो इसके डोडों का पावडर एक-एक चम्मच घी के साथ सवेरे शाम लें और साथ में दूध पीयेंखांसी में लाभदायक :- अगर खांसी हो तो सेमल की जड़ का पावडर काली मिर्च और सौंठ बराबर मात्रा में मिलाकर लें .

    आँखों के निचे काले घेरों के लिए :-

    सेमल के तने पर नुकीले कांटे होते हैं, इन काँटों को इकठ्ठा करके इन्हें कुचल कर इसका चूर्ण तैयार किया जाये और करीब आधा चम्मच चूर्ण को 5 मिलीलीटर मतलब लगभग एक चम्मच दूध में मिला लिया जाये और इस मिश्रण को आँखों के नीचे काले धब्बों वाले स्थान पर लगाये और करीब आधे घंटे तक लगा रहने दें और बाद में इसे साफ़ पानी से धो लें. सुबह और रात में इस नुस्खे को एक महीने तक लगातार दोहराएँ तो काफी लाभ मिलेगा

    प्रदर रोग – 


    सेमल के फूलों की सब्जी देशी घी में भूनकर सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ मिलता है।

    गिल्टी या ट्यूमर –

     सेमल के पत्तों को पीसकर लगाने या बाँधने से गाँठों की सूजन कम हो जाती है।

    रक्तप्रदर –

     इस वृक्ष की गोंद एक से तीन ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर में बहुत अधिक लाभ मिलता है।

    लकड़ी का उपयोग :- 

    इसकी लकड़ी पानी में खूब ठहरती है और नाव बनाने के काम में आती है

    फोड़े फुंसी होने पर :-


     चेहरे पर फोड़े फुंसी हों तो इसकी छाल या काँटों को घिसकर लगा लो

    आंव (colitis) :-


     इसके फूल के डोडों की सब्जी खाने से आंव (colitis) की बीमारी ठीक होती है

    प्रदर रोग – 


    सेमल के फलों को घी और सेंधा नमक के साथ साग के रूप में बनाकर खाने से स्त्रियों का प्रदर रोग ठीक हो जाता है।

    जख्म – 

    इस वृक्ष की छाल को पीस कर लेप करने से जख्म जल्दी भर जाता है।

    रक्तपित्त –

     सेमल के एक से दो ग्राम फूलों का चूर्ण शहद के साथ दिन में दो बार रोगी को देने से रक्तपित्त का रोग ठीक हो जाता है।

    आग से जलने पर –

     इस वृक्ष की रूई को जला कर उसकी राख को शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से आराम मिलता है।

    नपुंसकता –

     दस ग्राम सेमल के फल का चूर्ण, दस ग्राम चीनी और 100 मिलीलीटर पानी के साथ घोट कर सुबह-शाम लेने से बाजीकरण होता है और नपुंसकता भी दूर हो जाती है।

    पेचिश – 

    यदि पेचिश आदि की शिकायत हो तो सेमल के फूल का ऊपरी बक्कल रात में पानी में भिगों दें। सुबह उस पानी में मिश्री मिलाकर पीने से पेचिश का रोग दूर हो जाता है।

    *अतिसार - 

    सेमल वृक्ष के पत्तों के डंठल का ठंडा काढ़ा दिन में तीन बार 50 से 100 मिलीलीटर की मात्रा में रोगी को देने से अतिसार (दस्त) बंद हो जाते हैं।

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    सरसों का तेल और हल्दी के मिश्रण के कमाल के फायदे//Mustard Oil and Turmeric



     सरसों का  तेल और हल्दी जो हमारे घरों में बड़ी आसानी उपलब्ध हो जाती है ,इनका मिश्रण  इतना फायदेमंद होता है कि ये डॉक्टर की दवाइयां से भी ज्यादा फायदेमंद  होता है | खतरनाक से खतरनाक बिमारियों में जैसे कैंसर, हार्ट अटैक या फैलियर, कब्ज, पेट की बीमारियाँ इत्यादि. इसके ऐसे नायाब फायदे हैं किजानकार आप वास्तव में इसका प्रयोग किये बैगर नहीं रहेंगे|इस फार्मूले को बनाना बहुत आसान है| .


    सरसों के तेल और हल्दी के मिश्रण को बनाने की विधि:

    सामग्री – १ चम्मच हल्दी, २ चम्मच सरसों का तेल
    १ चम्मच हल्दी में २ चम्मच सरसों का तेल अच्छी तरह मिक्स कर लें और फिर गुनगुना होने तक गर्म करें. अब ये सेवन के लायक हो गया है इसका तुरंत सेवन करें ठंडा होने से पहले|

    सेवन विधि: 

    खाना खाने के बाद इस मिश्रण को बनाकर इसका सेवन करना चाहिए और इसके १ घंटा बाद तक पानी नहीं पीना है|
    इस मिश्रण के सेवन के फायदे: 

    कब्ज और पेट की समस्या में
    *अक्सर लोग कब्ज और गैस से परेशान रहते हैं। और हम सब जानते है की सभी बीमारियाँ पेट से ही शरू होती है. यानी अगर आपका पेट ठीक है और कब्ज आदि से दूर है तो ९० % स्वस्थ तो आप हो गए समझो. इसीलिए इसके लिए यदि आप तेल और हल्दी से बने मिश्रण का सेवन करते हो तो आपको कब्ज और पेट की कई तरह की बीमारियों से राहत मिल सकती है।

     *
    चेहरे की खूबसूरती बढाकर उसकी चमक और रौनक बढ़ाये – 

    इसके प्रयोग से स्किन इन्फेक्शन से बचा जा सकता है और शारीर में जो नुकसान दायक तत्व होता है जिनके कारण शरीर में फुंसी या दाग धब्बे होते है वो भी नहीं होंगे इसे सेवन से, और अगर फुंसी या दाग धब्बे हो गए है तो बहुत लाभ मिलेगा और आपका चहेरा खुबसूरत और प्यारा हो जायेगा जिससे उसकी चमक और रौनक बढ़ेगी|

    * कैंसर जैसे खतरनाक बिमारी का मुंह तोड़ जवाब – 

    इसके अन्दर एंटीओक्सिडेंट इतना ज्यादा पाया जाता है की ये कैंसर की रोकथाम में १००% मदद करता है. इसीलिए कैंसर जैसी खतरनाक बिमारी में भी इसका बहुत फायदा है|

     अस्थमा की बीमारी में

    *वे लोग जो अस्थमा की समस्या से ग्रसित हैं उन्हें तेल और हल्दी के मिश्रण का सेवन करना चाहिए। इससे अस्थमा की बीमारी में बहुत फायदा मिलता है।

    *हार्ट अटैक में रामबाण 

     हार्ट अटैक का मुख्य कारण होता है नसों में कोलेस्ट्रोल का बढ़ना, और हम सबको पता ही है की ये इतनी गंभीर बिमारी है जो सोचने समझने का समय भी नहीं देती और एक दम से ख़तम कर देती है जिन्दगी को. लेकिन अगर इसका नियमित रूप से सेवन किया जाए तो इसका खतरा आसानी से टाला जा सकता है.

    * बदन दर्द और सूजन से होने वाली समस्या

    यदि आप शरीर के दर्द से परेशान हैं या बदन दर्द से परेशान हैं तो हल्दी और तेल से बने मिश्रण का सेवन करें। एैसा करने से शरीर का दर्द कम होता है। इसके अलावा यह मिश्रण सूजन और दर्द को खत्म कर देता है।
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