13.4.23

सायटिका रोग किस औषधि से ठीक होता है?Sciatica most effective herbal medicine

 


साइटिका ( sciatica ) नाडी, जिसका उपरी सिरा लगभग 1 इंच मोटा होता है, प्रत्येक नितंब के नीचे से शुरू होकर टाँग के पिछले भाग से गुजरती हुई पाँव की एडी पेर ख़त्म होती है| इस नाडी का नाम इंग्लीश में साइटिका नर्व है| इसी नाडी में जब सूजन ओर दर्द के कारण पीड़ा होती है तो इसे वात शूल अथवा साइटिका का दर्द कहते है| इस रोग का आरंभ अचानक ओर तेज दर्द के साथ होता है| 30 से 40 साल की उम्र के लोगो में ये समस्या आम होती है |साइटिका का दर्द एक समय मे सिर्फ़ एक ही टाँग मे होता है| सर्दियों के दिनो में ये दर्द और भी बढ़ जाता है |रोगी को चलने मे कठिनाई होती है| रोगी जब सोता या बैठता है तो टाँग की पूरी नस खींच जाती है ओर बहुत तकलीफ़ होती है|

आयुर्वेद में साइटिका को गृध्रसी रोग कहा गया है। पैर में होने वाली पीड़ा के कारण व्यक्ति के चलने का तरीका गिद्ध (Vulture) के समान हो जाता है इसलिए इसे गृध्रसी कहा गया है। आयुर्वेद में इसे वात रोगों के अन्तर्गत रखा गया है। यह बढ़े हुए वातदोष एवं दूषित कफदोष के कारण होता है।अत्यधिक वातप्रकोपक आहार जैसे- बीन्स, अंकुरित अनाज, डिब्बाबंद भोजन, शुष्क एवं शीतल पदार्थ, कटु तथा कषाय रसयुक्त द्रव्यों के अधिक सेवन करने से या फिर अत्यधिक उपवास करने से, बहुत देर खड़े रहने या बैठे रहने से वातदोष की वृद्धि होती है जिस कारण गृध्रसी और अन्य तरह के वात रोग शरीर में उत्पन्न होते हैं।

जब इस नस में सूजन या दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है तो इसे सायटिका (साईटिका) या फिर वात-शूल कहते हैं।
इसकी सबसे खास बात यह है कि सायटिका का दर्द एक समय में सिर्फ एक ही पैर में होता है।
यह रोग 30 – 50 साल के उम्र वाले लोगों को होता है। जब यह रोग होता है तो व्यक्ति के पैर में तेज दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
यह दर्द अत्यंत कष्टदायक होता है जिसमें व्यक्ति उठता बैठता या फिर सोता है तो उसके पैर की नसें खिंच जाती हैं।
साइटिका में कमर से संबंधित नसों में सूजन आ जाने के कारण पूरे पैर में असहनीय दर्द होता है। यह न्यूरलजिया (तंत्रिका शूल) तंत्रिका में होने वाले दर्द का एक प्रकार है जिसमें साइटिका नर्व (गृध्रसी तंत्रिका) में कुछ कारणों से दबाव पड़ने लगता है। साइटिका में पीड़ा नितंबसंधि (Hipoint) के पीछे से प्रारम्भ होकर धीरे-धीरे बढ़ती हुई साइटिका नर्व के अंगूठे तक फैलती है। घुटने और टखने के पीछे पीड़ा अधिक रहती है और पीड़ा के साथ शून्यता भी हो सकती है। इस रोग की गम्भीर अवस्था में असहनीय पीड़ा के कारण रोगी बिस्तर पर पड़ा रहता है। रोग पुराना होने के साथ पैर में क्षीणता और सिकुड़न आ जाती है।

कारण-

ज्यादा देर तक एक ही अवस्था में बैठने या फिर खड़े रहने के कारण।
ज्यादा टाइट कपड़े पहनने के कारण।
अपनी कार्यक्षमता से अधिक परिश्रम करने के कारण।
अधिक सहवास करने के कारण।
मिर्च मसालेदार व असंतुलित भोजन का सेवन करने के कारण।
रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण।
सायटिका नस के पास दूषित द्रव इकट्ठा होने के कारण।
सायटिका नस के दब जाने के कारण।
रीढ़ की हड्डी के निचले भाग में आर्थराइटिस हो जाने के कारण।
तनाव या ओवरस्ट्रेस लेने के कारण।
हाई हील्स या असहज जूते पहनने के कारण।

साईटिका रोग का घरेलू और कुदरती पदार्थों से इलाज-


साइटिका का आयुर्वेदिक उपाय 

पहला प्रयोग : मीठी सुरंजन या सहजन 20 ग्राम + सनाय 20 ग्राम + सौंफ़ 20 ग्राम + शोधित गंधक 20 ग्राम + मेदा लकड़ी 20 ग्राम + छोटी हरड़ 20 ग्राम + सेंधा नमक 20 ग्राम इन सभी को लेकर मजबूत हाथों से घोंट लें व दिन में तीन बार तीन-तीन ग्राम गर्म जल से लीजिये।
दूसरा प्रयोग : लौहभस्म 20 ग्राम + रस सिंदूर 20 ग्राम + विषतिंदुक बटी 10 ग्राम + त्रिकटु चूर्ण 20 ग्राम इन सबको अदरक के रस के साथ घोंट कर 250 मिलीग्राम के वजन की गोलियां बना लीजिये और दो दो गोली दिन में तीन बार गर्म जल से लीजिये।
तीसरा प्रयोग : 50 पत्ते परिजात या हारसिंगार व 50 पत्ते निर्गुण्डी के पत्ते लाकर एक लीटर पानी में उबालें। जब यह पानी 750 मिली हो जाए तो इसमें एक ग्राम केसर मिलाकर उसे एक बोतल में भर लें। यह पानी सुबह शाम 3/4 कप मात्रा में दोनों टाइम पीएं। साथ ही दो-दो गोली वातविध्वंसक वटी की भी लें।
चौथा प्रयोग : साइटिका रोग में 20 ग्राम निर्गुण्डी के पत्तों को 375 मिलीलीटर पानी में मन्द आग पर पकायें तथा चौथाई पानी रह जाने पर छान लें। इस काढ़े को 2 सप्ताह तक पीने से रोगी को लाभ होता है।

इसका भी रखें ख्याल :

दर्द के समय गुनगुने पानी से नहायें ।आप सन बाथ भी ले सकते हैं, अपने आपको ठंड से बचाएं। सुबह व्यायाम करें या सैर पर जायें ।अधिक समय तक एक ही स्थिति में ना बैठें या खड़े हों। अगर आप आफिस में हैं तो बैठते समय अपने पैरों को हिलाते डुलाते रहें।

लहसुन के दूध से दूर होगा साइटिका का दर्द

लहसुन का दूध भी काफी फायदेमंद होता है। ज्यादातर लोगों को लहसुन के दूध के बारे में जानकारी नहीं होती, लेकिन हम आपको बता दें कि यह बहुत ज्यादा लाभकारी है। जानते हैं कि इसका इस्तेमाल हम किस प्रकार से कर सकते हैं। इसके लिए आपको 4 लहसुन की कलियां और 200 मि. ली. दूध चाहिए।

इस तरह से बनाएं लहसुन का दूध

लहसुन का दूध बनाने के लिए सबसे पहले दूध को गर्म कर लें। फिर उसमें तीन से चार लहसुन काे कद्दूकस कर के डालें। और फिर थोड़ी देर के लिए दूध को उबालें। लीजिए आपके लिए लहसुन का दूध तैयार है। इसके बाद दूध को अपनी सुविधानुसार गर्म या थोड़ा ठंडा करके पी लें।

पोषक तत्वों से भरपूर

ये दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
इसमें विटामिन ए, मिनरल, प्रोटीन, एंजाइम्स आदि होते हैं।
ये सभी बैक्टीरिया को अप्रभावी कर देता है। ऐसे में रोज इस दूध का सेवन करें और स्वस्थ बने रहें

दूर करता है साइटिका का दर्द

साइटिका एक ऐसा दर्द है, जिसमें कमर से लेकर पैर की नसों तक में दर्द होता है। इसे ही साइटिक नर्व कहते हैं। जब इस नर्व्स में सूजन हो जाती है तो दर्द देने लगता है जिसे साइटिका का दर्द कहते हैं। कभी-कभी तो यह दर्द इतना अधिक हो जाता है कि इससे चलने तक में समस्या होती है। ऐसी स्थिति में लहसुन का दूध रामबाण इलाज माना जाता है। लेकिन साइटिका का दर्द दूर करने के लिए आपको ये दूध रेग्युलर पीना होगा। इस दूध से साइटिक को नसों में आई सूजन कम हो जाती है जिससे आऱाम मिलता है और दर्द कम हो जाता है।*100 ग्राम नेगड़ के बीजों को कूटकर पीस लें। फिर इसके 10 भाग करके 10 पुड़ियां बना लें। इसके बाद शुद्ध घी में सूजी या आटे का हलवा बना लें और जितना हलवा खा सकते हैं उसको अलग निकाल लें। इस हलवे में एक पुड़िया नेगड़ के चूर्ण की डालकर इसे खा लें और मुंह धो लें। लेकिन रोगी व्यक्ति को पानी नहीं पीना चाहिए। इस हलवे का कम से कम 10 दिनों तक सेवन करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
*20 ग्राम आंवला, 20 ग्राम मेथी दाना, 20 ग्राम काला नमक, 10 ग्राम अजवाइन और 5 ग्राम नमक को एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच प्रतिदिन सेवन करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
*प्रतिदिन 2 लहसुन की कली तथा थोड़ी-सी अदरक खाने के साथ लेने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
*तुलसी की 5 पत्तियां प्रतिदिन सुबह के समय में खाने से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
*इस रोग से पीड़ित रोगी को उपचार कराते समय क्रोध तथा चिंता को बिल्कुल छोड़ देना चाहिए।
*रोगी को प्रतिदिन अपने पैरों पर सरसों के तेल से नीचे से ऊपर की ओर मालिश करनी चाहिए। इससे यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
*इस रोग से पीड़ित रोगी को गर्म पानी में आधे घण्टे के लिए अपने पैरों को डालकर बैठ जाना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को तुरंत आराम मिल जाता है। यह क्रिया प्रतिदिन करने से यह रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
*साईटिका रोग को ठीक करने के लिए आधी बाल्टी पानी में 40-50 नीम की पत्तियां डाल दें और पानी को उबालें। फिर उबलते हुए पानी में थोड़े से मेथी के दाने तथा काला नमक डाल दें। फिर इस पानी को छान लें। इसके बाद गर्म पानी को बाल्टी में दुबारा डाल दें और पानी को गुनगुना होने दे। जब पानी गुनगुना हो जाए तो उस पानी में अपने दोनों पैरों को डालकर बैठ जाएं तथा अपने शरीर के चारों ओर कंबल लपेट लें। रोगी व्यक्ति को कम से कम 15 मिनट के लिए इसी अवस्था में बैठना चाहिए। इसके बाद अपने पैरों को बाहर निकालकर पोंछ लें। इस प्रकार से 1 सप्ताह तक उपचार करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
*लगभग 250 ग्राम पारिजात (हारसिंगार) के पत्तों को 1 लीटर पानी में अच्छी तरह से उबाल लें और जब उबलते-उबलते पानी 700 मिलीलीटर बच जाए तब उसे छान लें। इस पानी में 1 ग्राम केसर पीसकर डाल दें और फिर इस पानी को ठंडा करके बोतल में भर दें।इस पानी को रोजाना 50-50 मिलीलीटर सुबह तथा शाम के समय पीने से यह रोग 30 दिनों में ठीक हो जाता है। अगर यह पानी खत्म हो जाए तो दुबारा बना लें।
*5 कालीमिर्चों को तवे पर सेंककर कर सुबह के समय में खाली पेट मक्खन के साथ सेवन करना चाहिए। इस प्रयोग को प्रतिदिन करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
करेला, लौकी, टिण्डे, पालक, बथुआ तथा हरी मेथी का अधिक सेवन करने से साईटिका रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
*इस रोग से पीड़ित रोगी को पपीते तथा अंगूर का अधिक सेवन करना चाहिए। इससे यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
*सूखे मेवों में किशमिश, अखरोट, अंजीर, मुनक्का का सेवन करने से भी यह रोग कुछ दिनों में ठीक हो जाता है।
*फलों का रस दिन में 3 बार तथा आंवला का रस शहद के साथ मिलाकर पीने से साईटिका रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
*इस रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को सबसे पहले एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए। इसके बाद रोगी को अपने पैरों पर मिट्टी की पट्टी का लेप करना चाहिए। इसके बाद रोगी को कटिस्नान करना चाहिए और फिर इसके बाद मेहनस्नान करना चाहिए। इसके बाद कुछ समय के लिए पैरों पर गर्म सिंकाई करनी चाहिए और गर्म पाद स्नान करना चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से साईटिका रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
*सुबह के समय में सूर्यस्नान करने तथा इसके बाद पैरों पर तेल से मालिश करने और कुछ समय के बाद रीढ़ स्नान करने तथा शरीर पर गीली चादर लपेटने से साईटिका रोग ठीक हो जाता है।
*सूर्यतप्त लाल रंग की बोतल के तेल की मालिश करने से तथा नारंगी रंग की बोतल का पानी कुछ दिनों तक पीने से साईटिका रोग ठीक हो जाता है।

कायफल साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद

कायफल एक पेड़ की छाल है, यह देखने में गहरे लाल रंग की खुरदुरी होती है। इसे लाकर कूट-पीसकर बारीक पीस लेना चाहिए। अब एक कड़ाही में 500 ग्राम सरसों का तेल लेकर गर्म करें। तेल गर्म हो जाने पर थोड़ा-थोड़ा करके 250 ग्राम कायफल का चूर्ण मिलाएं। पाँच मिनट तक पकने के बाद इस तेल को आँच से उतार कर कपड़े से छान लें। दर्द होने पर इस तेल से हल्का गर्म करके धीरे-धीरे मालिश करें। मालिश करते समय दबाव न बनाएँ और मालिश के बाद सिकाई जरूर करें।
 *मेथी के बीज साइटिका के दर्द से निजात दिलाने में मददगार होते हैं। साइटिका का दर्द होने पर सुबह एक चम्मच मेथीदाना पानी के साथ निगल लें अथवा 1 ग्राम मेथीदाना पाउडर और सोंठ पाउडर को मिलाकर गर्म पानी के साथ दिन में 2-3 बार लेने से दर्द में आराम मिलता है।
*एरंड काढ़ा खाली पेट पिएं, एरंड का तेल रात में दूध के साथ लें, एरंड के पत्तों का लेप करें।
*तुलसी के पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
*हार-सिंगार के पत्तों का काढ़ा सुबह के समय में प्रतिदिन खाली पेट पीने से साईटिका रोग ठीक हो जाता है।
सहिजन साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद
*सहिजन (मुनगा) की पत्तियाँ 100 ग्राम, अशोक की छाल 100 ग्राम और अजवायन 25 ग्राम इन सब सामग्रियों को 2 लीटर पानी में उबाले। जब यह पानी 1 लीटर बच जाए तो उसे छान कर रख लें। इस काढ़े को 50-50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम लें। इसे 3 माह तक नियमित रूप से लेने से साइटिका की समस्या दूर हो जाती है।
*सुबह तथा शाम के समय में अपने पैरों पर प्रतिदिन 2 मिनट के लिए ताली बजाने से भी यह रोग कुछ दिनों में ठीक हो जाता है।

अजवाइन साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद 

अजवायन में प्राकृतिक सूजनरोधी गुण मौजूद होते हैं। 10 ग्राम अजवायन को एक गिलास पानी में डालकर अच्छे से उबाल लें, उसके बाद इसे छानकर पानी को पियें।

हल्दी साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद 

हल्दी में एंटी-इंफ्लैमटोरी गुण पाये जाते हैं और यह साइटिका के उपचार की बेहतरीन औषधि है। सोने से पहले दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर पिएँ।

सेंधा नमक साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद

साइटिका के दर्द से निजात पाने के लिए गर्म पानी के एक बाथ टब में दो कप सेंधा नमक मिलाकर बैठ जाएं। लगभग 20 मिनट तक अपने पैर और पीठ के निचले हिस्सों को पानी में डुबा कर रखें। हफ्ते में तीन बार इस प्रक्रिया को करें।

सरसों का तेल साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद 

सरसों के तेल में 2-3 तेजपत्ते और 2-3 कली लहसुन डालकर तेल को पका लें। अब इसे गुनगुना करके कमर और पैर में हल्के हाथों से मालिश करें। इससे दर्द और सूजन दोनों में लाभ मिलता है।


कटिवस्ति के फायदे

ब्लड और नसों का सर्कुलेशन सही होगा, मांसपेशियों को आराम मिलेगा, स्टिफनेस कम होगी, दर्द कम होगा।


एरंड का प्रयोग

एरंड काढ़ा खाली पेट पिएं, एरंड का तेल रात में दूध के साथ लें, एरंड के पत्तों का लेप करें।

जरूरी हैं ये काढ़े

दशमूल का काढ़ा, महारास्नादि काढ़ा, रास्नासप्तक काढ़ा।

खाने के बाद करें प्रयोग

बालारिष्ट, दशमूलारिष्ट, अश्वगंधारिष्ट, खाने के बाद लें। साथ में अश्वगंधा का चूर्ण, सिंहनाद गुग्गुल, योगराज गुग्गुल दर्द कम करने के लिए लें।

क्या करें

गुनगुना पानी पिएं, धूप लें, वजन कम करें, घर का खाना खाएं, गाय का घी, गाय का दूध, ओलिव ऑयल, तिल का तेल, मछली का तेल, गेहूं, लाल चावल, अखरोट, मुनक्का, किशमिश, सेब, अनार, आम, और इमली का प्रयोग करें।

क्या न करें

तैलीय खाना, मसालेदार खाना, ठंडा खाना, बासी खाना, अधिक व्यायाम, ओवर ईटिंग, दिन में सोना, रात में जागना, जामुन, सुपारी, अरहर की दाल, मूंग की दाल आदि से दूर रहें। ये आसन तथा योगासन इस प्रकार हैं-
इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी को पीठ के बल सीधे लेट जाना चाहिए। फिर रोगी को अपने पैरों को बिना मोड़े ऊपर की ओर उठाना चाहिए। इस क्रिया को कम से कम 20 बार दोहराएं। इस प्रकार से प्रतिदिन कुछ दिनों तक व्यायाम करने से साईटिका रोग ठीक हो जाता है।
*रोगी व्यक्ति को अपने दोनों पैरों को मोड़कर, अपने घुटने से नाभि को दबाना चाहिए। इस क्रिया को कई बार दोहराएं। इस प्रकार से प्रतिदिन कुछ दिनों तक व्यायाम करने से साईटिका रोग में बहुत लाभ मिलता है।
  • लिपि 
    12229
  •  
  • शब्द 
    2591
  •  
  • वाक्य 
    3
  •  
  • पैराग्राफ 
    0
  •  
  • रिक्त स्थान 
    2513

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