31.7.19

दूध मे अदरक मिलाकर पीने के फायदे //milk ginger

     

                                 

दूध का स्वाद बढ़ाने और स्वास्थ्यवर्धक गुणों को बढ़ाने के लिए अदरक काफी फायदेमंद होती है। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेट्र्री, एंटी-बैक्टीरियल गुण होने के साथ-साथ अनेक मेडिकल प्रोपर्टीज पाई जाती है। इसलिए अदरक के दूध का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। सर्दी-जुकाम से बचाने के साथ अदरक का दूध, हल्दी के दूध की तरह बदन दर्द को दूर करने के लिए उपयोगी होता है। दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसमें अदरक मिलाने से इसके स्वास्थ्यवर्धक लाभ और भी बढ़ जाते हैं। आइए जानते हैं कि अदरक का दूध पीना स्वास्थ्य के लिए कैसे फायदेमंद होता है।

अदरक के फायदों के बारे में तो अधिकतर लोगों को पता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि अगर अदरक को दूध में मिलाकर पिया जाए तो इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाने के कारण चाहे सर्दी-जुकाम हो या वायरल फ्लू, मरीज को अदरक के सेवन की सलाह दी जाती है।
गर्भवती महिलाओं को भी मॉर्निंग सिकनेस से आराम दिलाने के लिए अदरक की चाय पीने की सलाह दी जाती है। दूध अपने आप में ही एक पूर्ण पौष्टिक आहार है और जब आप इसमें अदरक मिला देते हैं तो आप इन दोनों पौष्टिक चीजों के फायदे एक साथ हासिल कर लेते हैंयह बात बहुत कम लोग ही जानते हैं कि अदरक को दूध में मिलाकर पिया जाए तो इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं। अदरक में मिलनें वाले एंटी बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण शरीर के अंदर होने वाली कई तरह की बीमारियों को दूर करने की क्षमता रखते है।

गठिया के दर्द से जल्दी आराम –

बैसे तो हर कोई जानता है। कि दूध में कैल्शियम और पोटैशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जो हमारे शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करती हैं। दूध का सेवन करने हड्डियों की कमजोरी दूर होती है और यदि दूध के साथ अदरक को मिलाकर इसका सेवन रोज किया जाये, तो इनमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी के गुण हड्डियों को मजबूती देने के साथ उसकी सूजन को भी कम कर देते है। इसीलिए यह ड्रिंक गठियावाद(ऑस्टियोपोरोसिस )के मरीजों के लिए वरदान है। इसे पीने से गठिया के दर्द से जल्दी राहत मिलती है।
पाचन शक्ति मजबूत करता है –
अदरक का दूध पाचन क्रिया को मजबूत बनाने में काफी लाभकारी होता है। यह पेट दर्द से जुड़ी हर समस्या को दूर करने का सबसे अच्छा घरेलू उपचार माना गया है। नाश्ता करने के बाद आप अदरक वाले दूध का सेवन अवश्य करें।

रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है –

बदलते मौसम के साथ ही बीमारियां भी अपना रूख बदलने लगती है। जिससे इस दौरान लोग सार्दी, खांसी-जुकाम या फ्लू की चपेट में आ जाते हैं। दरअसल ऐसा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी के कारण होता है। इसलिए जिनका शरीर अत्याधिक कमजोर होता है। उन लोगों को अदरक दूध का सेवन अवश्य ही करना चाहिए। अदरक के एंटी बैक्टीरियल गुण पाये जाते है। जो शरीर में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने में अहम भूमिका निभाते है और शरीर को बाहरी संक्रामण से बचाने में मदद करते है।
गले का इंफेक्‍शन –
सर्दियों के समय में ज्यादातर लोग सर्दी-खांसी से परेशान रहते है। जिसमें अधिकतर बच्चे इसकी चपेट में आ जाते है इस समस्या को दूर करने के लिये अदरक वाले दूध काफी अच्छा उपचार माना गया है। इसका सेवन करने से ना केवल गले की खराश जल्दी दूर होती है बल्कि गले में होने वाले इंफेक्‍शन से भी राहत मिल जाती है। यदि आप गले के इंफेक्‍शन से पीड़ित हैं तो रात में सोने से पहले अदरक वाला दूध अवश्य पिए, और इसके एक घंटे बाद तक पानी न पियें। आपको जल्द ही इसका असर देखने को मिल जायेगा।

हड्डियों की मजबूती :

दूध में मौजूद कैल्शियम और पोटैशियम हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं। दूध से हड्डियों की कमजोरी दूर होती है वही अदरक में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण हड्डियों की सूजन कम होती है। इसीलिए यह ड्रिंक ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे पीने से गठिया के दर्द से जल्दी आराम मिलता है।

अदरक का दूध बनाने का तरीका :

सबसे पहले अदरक को साफ़ पानी से धोलें और छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें और फिर एक पतीले में दूध गर्म करें। जब दूध उबलने लगे तो उसमें अदरक के ये टुकड़े डालकर कुछ देर तक उबालें जिससे अदरक का सारा अर्क दूध में मिल जाए। इसके बाद दूध को छान लें और हल्का गुनगुना होने पर इसे पियें।

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संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज़ के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  त्वरित असर औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|








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पेशाब मे खून आने के कारण और उपचार //blood in urine




प्रौढ़ों में अगर पेशाब में रक्त आए, तो यह जबरदस्त पेशाब संक्रमण के लक्षण हैं या फिर यह पत्थरी भी हो सकती है। किडनी, यूरीनरी ब्लैडर या प्रोस्टेट में कैंसर या ट्यूबरक्लोसिस का ट्यूमर भी हो सकता है। ठीक होने के लिए इन बीमारियों की समय पर जांच बहुत जरूरी है। जांच में देरी हो जाए, तो यह किडनी को खराब कर सकता है या कैंसर की रसौली बढ़ सकती है।

पेशाब में खून आना पुरुषों में होने वाली आम समस्या है लेकिन इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इस समस्या को नजरअंदाज करना आपको भारी पड़ सकता है। पेशाब में खून आने को मेडिकल टर्म में हेमटुरीअ कहा जाता है। यहां हम आपको पेशाब में रक्त आने के कारणों और लक्षणों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। अगर आपको भी यह समस्या हो रही है तो फौरन डॉक्टरी सलाह लें। आमतौर पर माना जाता है कि पेशाब में खून पेशाब के रास्ते में होने वाले संक्रमण की वजह से आता है लेकिन इसकी कई वजह हो सकती हैं। जिनमें गुर्दे से लेकर मूत्राशय तक की पथरी शामिल है।
अक्सर हमारे शरीर में कोई भी समस्या होती है तो हमारे शरीर के अंग हमे उसका संकेत देने लगते हैं कि शरीर में कुछ दिक्कत आ रही है। हालांकि हम उन छोटी-छोटी बातों को नज़रअंदाज कर दिया करते हैं, जो हमें नहीं करना चाहिए। इन्हीं में से एक लक्षण है पेशाब के दौरान होने वाली दिक्‍कत। अगर आप भी लंबे समय से पेशाब के दौरान जलन या पेशाब के साथ खून आने की दिक्कत का सामना कर रहे हैं तो सावधान हो जाइए और इसे अनदेखा करने से बचिए। पेशाब में खून आने के कई कारण हो सकते हैं इसलिए लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्‍टर से परामर्श लें। पेशाब में खून आने ये कारण हो सकते हैं।
किडनी की समस्या की वजह से भी पेशाब में खून आने की समस्या होती है। दरअसल, किडनी से रक्त को छानने का काम ग्लोमेरुली करता है। यह गुर्दे के अंदर की छोटी संरचनाएं हैं। इनकी वजह से ही किडनी से रक्त छनता है। इन संरचनाओं को ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस नुकसान पहुंचाता है। इसकी वजह से हमारे गुर्दे शरीर के अपशिष्ट पदार्थ और अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर नहीं निकाल पाते हैं। इस समस्या का अगर सही वक्त पर इलाज नहीं किया गया तो किडनी फेल भी हो सकती है। इस बीमारी में सुनने और देखने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। यानी इस बीमारी से ग्रसित लोग अंधे और बहरे भी हो सकते हैं। किडनी में घाव होने के चलते ही पेशाब में खून भी आता है।
प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना
पेशाब में खून आने की वजह प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना भी है। प्रोस्टेट ग्रंथि मूत्राशय के नीचे और मलाशय के सामने होती है। यह ग्रंथि प्रजनन के लिए वीर्य का उत्पादन करती है। अगर प्रोस्टेट बढ़ जाता है तो पेशाब में तेज दर्द के साथ खून आने की समस्या हो सकती है।
यूरिन इंफेक्‍शन या यूरिनरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन (यूटी
आई)
यूरिनरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन (यूटीआई) महिलाओं में होने वाली बेहद आम समस्या होती है। मूत्र मार्ग में संक्रमण होने के कारण महिलाओं को काफी समस्या होती है और जलन के साथ-साथ कई बार पेशाब के साथ खून भी आने लगता है।
गुर्दे में पथरी या गुर्दे या पित्‍ताशय में ट्यूमर के कारण
अगर किसी इंसान को गुर्दे में पथरी की समस्या हो तो भी कई बार पेशाब में खून आ सकता है क्‍योंकि पथरी की वजह से पेशाब की प्राकृतिक प्रक्रिया में रूकावट पैदा हो जाती है। इसका उपचार हो सकता है इसलिए समय रहते डॉक्‍टर से सम्‍पर्क करें। इसके अलावा गुर्दे या पित्‍ताशय में ट्यूमर होने पर भी पेशाब में खून आने लगता है। ऐसे में डॉक्‍टरों द्वारा सर्जरी की मदद से इलाज किया जाता है।
ग्‍लोमेरूलोनेफ‍रिटिस के कारण
पेशाब या मल में खून आने का ग्‍लोमेरूलोनेफ‍रिटिस या ग्‍लोमेरूलर नेफीरिटिस सबसे आम कारण होता है। बढ़ते बच्‍चों और छोटे बच्‍चों में यह समस्‍या सबसे ज्‍यादा देखने को मिलती है। लेकिन कई बार बड़े लोग को भी इस समस्‍या का सामना करना पड़ता है।
सिस्टिक ग्रोथ
महिलाओं में सिस्‍ट का बढ़ जाना आम बात है। ये समस्या काफी पीड़ादायक होती है और इसके कारण पेशाब में खून भी आने लगता है। आमतौर पर सिस्‍ट, गुर्दे में बढ़ता है जिसके कारण पेशाब करने में दर्द औश्र जलन की समस्या होती है। एक समय के बाद खून भी आना शुरू हो जाता है।
पेशाब में अगर खून आता हो तो उसे रक्तमेह कहा जाता है। रक्तमेह के रोग में गुर्दे की गडबड़ी के कारण रक्त पूरी तरह नहीं छन पाता है। लम्बे समय से पेशाब में जलन हो रही हो या उसमें से खून आ रहा हो, तो आपको खुद पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पेशाब में खून आने पर करें ये घरेलु उपाय।
* रात को सोते समय एक गिलास पानी में मुनक्का भिगो दें। सुबह मुनक्का उसी पानी के साथ पीस लें। इसे छानकर इसमें थोड़ा भुना पिसा जीरा मिलाकर पी ले। इससे पेशाब की जलन मिट जाती है और पेशाब खुलकर आता है साथ ही खून का आना भी बंद हो जाता है।
* लगभग 12 ग्राम आंवला और 12 ग्राम हल्दी को मोटा-मोटा पीसकर रात को पानी मे डालकर भिगों दें। सुबह इस पानी को छानकर पीने से पेशाब मे खून आने का रोग दूर होता है।
* 1 ग्राम भुनी हुई फिटकरी को सुबह और शाम पानी के साथ लेने से पेशाब मे खून आना बंद हो जाता है।
* सात बूँद बड़ का दूध शक्कर के साथ देने से पेशाब तथा गुदा द्वारा होने वाले रक्तस्राव में लाभ होता है।
* अडूसी के पत्तों का 1 तोला (लगभग 12 ग्राम) रस रोज सुबह पीने से अथवा केले के फूल का 2 से 10 मि।ली। रस 10 से 50 मि।ली। दही के साथ खाने से रक्तस्राव में लाभ होता है।
* एक गिलास पानी में दो चम्मच धनिया और एक चम्मच पिसा हुआ आंवला रात को भिगो दें। सुबह उसी पानी में मसल कर छानकर पी लें। ऐसा ही पानी शाम को भी पिएँ। इस पानी को सुबह शाम पीने से पेशाब में जलन मिट जाती है साथ ही खून गिरने में भी राहत मिलती है।
* एक कटोरी गेंहू रात को एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह इसी पानी के साथ इसे बारीक पीस ले। इसमें एक चम्मच मिश्री मिलाकर पी लें। इसे एक सप्ताह तक लगातार पीने से पेशाब के साथ वीर्य जाना बंद होता है। खून आना भी बंद हो सकता है।
* 10 से 20 ग्राम लोध्रासव को बराबर मात्रा में पानी में मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद खाने से पेशाब साफ आने लगता है।
* लगभग आधे से एक ग्राम सुहागे की खील को शहद मिले पानी में घोंटकर सुबह-शाम पीने से दूषित पेशाब भी ठीक हो जाता है।

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किडनी फेल रोगी मे बढे हुए क्रिएटनिन एवं यूरिया के लेविल को नीचे लाने और गुर्दे की कार्य क्षमता बढ़ाने में हर्बल औषधि सर्वाधिक सफल होती हैं| डायलिसिस पर चल रहे रोगी को भी अत्यंत हितकारी है|रोगी के हीमोग्लोबिन मे भी वृद्धि होती है|औषधि के लिए वैध्य दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क किया जा सकता है|
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25.7.19

रूखी आँखें (ड्राय आई सिंड्रोम) के घरेलू उपचार




ऑंखे आपके प्रमुख अंगों में से एक है। यदि आपकी आंखें हवा या गर्मी के प्रति अति संवेदनशील है, और उनमें आसानी से खुजली और जलन हो जाती हैं, तो यह संभव है कि आप ऑंखों का सूखापन (Dry Eyes) से ग्रसित हो सकते है। जो बताता है कि आपको ड्राई ऑय सिंड्रोम (dry eyes syndrome) हुआ है।

ड्राई आई सिंड्रोम यानि आंखों में रूखापन होने की बीमारी एक आम स्वास्थ्य के मुद्दों में से एक है। बच्‍चे हो या बुजुर्ग कोई भी इससे वचिंत नहीं है। आजकल धूल- मिट्टी, प्रदूषण व गलत लाइफस्‍टाइल के साथ मोबाइल, कंप्यूटर और डिजिटल स्क्रीन गैजेट्स के ज्‍यादा उपयोग इसके पीछे का सबसे बड़े कारणों में शामिल है। आंखों में ड्राईनेस होने से आंखों में खुजली, जलन, आंखों से आंसू निकलना और बिना कारण के आंखों में थकान आदि आंखों के रूखेपन के मुख्‍य लक्षण हैं। ऐसे में बहुत से लोगों को टीवी देखते समय, फोन का इस्‍तेमाल करने और पढ़ने में दिक्‍कत होने लगती है।
यह सिंड्रोम तब होता है जब आंसू ग्रंथियां आंखों को चिकना या गीला करने के लिए पर्याप्त आँसू पैदा नहीं करती हैं। आंसू, आंखों के कार्निया एवं कन्जंक्टाइवा को नम और गीला रखता है, जिससे आंखें सूखती नहीं हैं। आंखों में टियर फिल्म पायी जाती है और इसके सबसे बाहरी परत को लिपिड या ऑयली परत कहते हैं। यह लिपिड या ऑयली परत आंसू के सूखने को कम करती है और आंखों को चिकनाई प्रदान करती है। लेकिन देर तक कंप्यूटर पर काम करने, मोबाइल फोन का ज्‍यादा इस्‍तेमाल और टीवी देखने के साथ लगातार एसी में रहने से आंखों की यह टियर फिल्म प्रभावित होती है, जो कि ड्राई आई सिंड्रोम का कारण बनते हैं। यदि आप आंखों में सूखेपन की समस्‍या से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आप इन आसान घरेलू उपायों से राहत पा सकते हैं।
फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन
अध्ययनों के अनुसार, यदि आपको आंखों में रूखेपन की समस्‍या है, तो आपको ओमेगा -3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए क्योंकि यह आपको आंखों की इस समरूश में राहत देने में मदद कर सकता है। इन खाद्य पदार्थों के एंटीइंफ्लामेटरी गुण आंखों की सूजन व जलन को कम करने में मदद करते हैं। ओमेगा 3 से भरपूर खाद्य पदार्थों में अखरोट, फैटी फिश, चिया सीड्स और अंडे शामिल हैं, ऐसे में आप इन खाद्य-पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।
एलोवेरा
एलोवेरा स्‍वास्‍थ्‍य के लिए कितना लाभदायक है, ये आप सभी जानते ही होंगे लेकिन क्‍या यह आपको आंखों के सूखेपन में भी राहत दिला सकती है? इसका जवाब है, हां। एलोवेरा में एल्‍कलाइन व एंटीइंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जिसकी वजह से यह आपकी ड्राई आंखों की समस्‍या को दूर कर सकता है। एलोवेरा जेल एक मॉश्‍चराइजर के रूप में भी काम करता है। इयलिए आंखों की ड्राईनेस की समस्‍या होने पर आप नेचुरल एलोवेरा जेल का इस्‍तेमाल ही करें। आप एलोवेरा की पत्‍ती से जेल निकालें और अपनी आंखों की पुतली पर उंगली की मदद से लगाएं। इसके 5-10 मिनट के बाद आप इसे साफ कर दें।
मेकअप से दूरी व गुलाब जल का उपयोग
यदि आप आंखों का मेकअप करते हैं, तो आंखों में रूखेपन के दौरान आई मेकअप से दूरी बना लें। इसके अलावा, दिन भर का काम खत्‍म करने के बाद आप अपनी आंखों को आराम देने के लिए गुलाबजल का इस्‍तेमाल करें। कंप्‍यूटर पर लगातार काम करने से आपकी आंखे थक जाती हैं, इसके लिए आप गुलाब जल में कॉटन को भिगोकर अपनी आंखों के ऊपर 15 मिनट के लिए रख लें। ऐसा करने से आपकी आखों की ड्राईनेस दूर होगी। यदि आप रोजाना कंप्यूटर पर काम करते हैं, तो आप रोजाना अपनी आंखों की थकान मिटाने के लिए गुलाबजल का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। यह आपकी आंखों की नमी को वापस पाने के लिए फायदेमंद साबित हेागा।
आंखों के ड्राप या मलहम
शुष्‍क आंखों के उपचार के लिए आज बहुत से डॉक्‍टरी तरीके और दवाएं उपलब्‍ध है जो आपको राहत दिलाने में मदद कर सकते है। डॉक्‍टर द्वारा बताए गए ऑय ड्राप आपको अस्थायी राहत दिला सकते है। ध्‍यान रखने वाली बात यह है कि कुछ आंखों के ड्राप बचाव करने वाले पदार्थ (preservatives) होते है। ये आमतौर पर शीशीयों में कई बार उपयोग करने लायक मात्रा में आते है, जो शीशी खोले जाने के बाद बैक्‍टीरिया से प्रभावित होकर आपकी आंखों को भी संक्रमित कर सकते है। यदि आप एक दिन में चार बार से ज्यादा इसका उपयोग करते हैं, तो आपको संरक्षक मुक्त ड्राप का उपयोग करना चाहिए। संरक्षक मुक्त ड्राप (Preservative-free drops) आमतौर पर एकल खुराक शीशियों में आते हैं।
मरहम ड्राप से गाढ़े होते हैं और आंखों को ढंकने और सूखेपन से लंबे समय तक बचाते हैं। हांलांकि, जब आप उनका उपयोग कर रहे हों तो महलम आपकी द्रष्टि को धुंधला कर सकते हैं। सोने के समय से पहले उनका उपयोग करना सबसे अच्‍छा होता है।
गर्म सेक
आंखों की चिकनाई और आंसू की गुणवत्‍ता में सुधार लाने के लिए आंखों को गर्म सेक देना बेहद फायदेमंद व बेहतर विकल्‍प है। इसके लिए आप गुनगुना पानी लें और फिर काटन की मदद से अपने आंखों को सेक दें। ऐसा करने से आंखों की टियर फिल्म को फायदा मिलेगा और आपकी आंखों के सूखेपन से होने वाली एलर्जी जैसी सारी समस्‍याएं दूर हो जाएंगी।
पर्याप्त पानी और चीनी से दूरी
अध्ययनों के अनुसार, यदि आप आंखों के रूखेपन की समस्‍या से परेशान हैं, तो आप उस दौरान चीनी युक्त खाद्य पदार्थों से दूरी बना लें, यही आपके लिए बेहतर होगा। इसके अलावा, आप रोजाना 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं। यहद आप ऐसा करते हैं, तो जल्‍द ही आपको इस समस्‍या से निजात मिलेगी।
अरंडी का तेल-
आपकी आंखों में जैविक अरंडी तेल (Organic castor oil) की एक या दो बूंदे डालें। शुद्ध कैस्‍टर ऑयल ना होने पर आप कास्‍ट ऑयल से बने स्‍नेहक आंखों के ड्राप का भी उपयोग कर सकते हैं। ऐसा आपको रोजाना 2-3 बार करना है।
यह क्‍यों काम करता है: शुष्‍क आंखों के लिए कास्‍टल तेल का उपयोग करना फायदेमंद है क्‍योंकि यह कास्‍ट प्‍लांट (Ricinus communis) के बीज दबाकर व्‍युत्‍पन्‍न होते हैं और इसमें ऐसिड अच्‍छी मात्रा में होते है। यह स्‍वाभाविक यप से स्‍नेहक गुण प्रदान करता है। इसमें विरोधी भड़काऊ (Anti-inflammatory) गुण भी होते है जो आंखों में सूखे जे जुड़ी जलन और खुजली को दूर करने में मदद करते है।
नारियल तेल
आपको चाहिए : कार्बनिक (organic virgin) नारियल तेल की कुछ बूंदें ।
आप अपनी आंखों में इस नारियल तेल की कुछ बूंदे डालें। और आपनी पलकों को झपका कर इस तेल को अवशोषित करने का प्रयास करें। अच्‍छे परिणाम पाने के लिए आप इसे सुबह और रात में उपयोग कर सकते है।नारियल तेल का उपयोग विभिन्‍न उद्देश्‍यों को पूरा करने के लिए किया जाता है। इसमें कैप्रिक ऐसिड और लॉरिक एसिड (capric and lauric acid) जैसे फैटी ऐसिड होते हैं, जो आपकी त्‍वचा और बालों के लिए फायदेमंद होते हैं। ये भी अत्यधिक नमी और एंटी-इन्फ्लामेट्री होते हैं, इसलिए इसका उपयोग आपकी शुष्‍क और खुजली वाली आंखों में तुरंत राहत दिलाने में मदद करते है।
ककड़ी से
आप अपनी शुष्‍क आंखों का उपचार ककड़ी से कर सकते है। इसके लिए आप ककड़ी को गोल आकार में काट लें। तुरंत आराम पाने के लिए अपनी आंखों को बंद कर उनके ऊपर ककड़ी के काटे गऐ तुकड़ों को रखें। अपनी आंखों को आराम दिलाने और उन्‍हें स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए ऐसा दिन में 2-3 बार कर सकते हैं।
खीरा (Cucumber) शुष्‍क आंखों के उपचार के सबसे अच्‍छा और आसान उपचार हैं। ककड़ी में पानी पर्याप्‍त मात्रा में होता है जो आपकी आंखों को शांत करने में मदद करता है। ककड़ी में विटामिन ए भी होता है, जो सूखी आंखों के उपचार में लाभकारी होता है।
सौंफ की चाय
एक कप पानी में एक चम्‍मच सौंफ डालकर इसे 10-15 मिनिट तक उबालें। थोड़ा ठंडा होने के बाद इस गर्म चाय में सूती कपड़े को भिगों कर अपनी आंखों में रखें। और इसे कम से कम दस मिनिट के लिए छोड़ दें। आपको ऐसा प्रतिदिन 2-3 बार करना चाहिए।
सौंफ के बीज में एंथोल (anethole), एक कार्बनिक यौगिक होता है। जो एंटी-इन्फ्लामेट्री और सुखदायक गुण प्रदान करता है। सौंफ के बीज की एंटी-इन्फ्लामेट्री गतिविधियां सूजन और चिड़चिड़ापन को कम करने में मदद कर सकती हैं, आपकी आंखों में नमी को बनाए रखने के लिए इसके गुणों का उपयोग किया जा सकता है|
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11.7.19

मछली खाने के स्वास्थ्य लाभ:benefits of eating fish




  मछली में पाये जाने वाले लो सेचुरेटेड फैट, अधिक मात्रा में प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड के कारण मछली का सेवन सेहत के लिए स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक होता है। मछली में विटामिन, मिनरल और कई प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते हैं इसलिए मछली को खाने से शरीर को सभी आवश्‍यक पोषक तत्‍व मिलते हैं। जो शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। मछली खाने से केवल कैंसर ही नहीं बल्कि कई सामान्य बीमारियां भी दूर होती हैं। डायबिटीज रोगियों के लिए मछली बहुत फायदेमंद है। अगर ऊर्जावान बनना चाहते हैं तो अपने लंच और डिनर में मछली को शामिल कीजिए।

ऐसा माना जाता है यह दुनिया का सबसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ है। मछली का सेवन करने से यह आपके वजन को नियंत्रित करने, दिल को स्‍वस्‍थ्‍य रखने, मस्तिष्‍क को स्‍वस्‍थ्‍य रखने, रक्‍तचाप और मधुमेह जैसी गंभीर समस्‍याओं को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद पोषक तत्‍व आपके देखने की क्षमता को बढ़ाते हैं और उम्र बढ़ने के दौरान आंखों की समस्‍याओं को दूर करते हैं।

मछली के पोषक तत्‍व: Health benefits of eating fish

सभी लोग जानते हैं कि मछली का नियमित रूप से सेवन करना सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि मछली के सबसे प्रमुख पोषक तत्‍वों में विटामिन डी होता है। जैसा की आप जानते हैं कि प्रकृति में विटामिन डी केवल सूर्य के प्रकाश से मिलता है। इसके अलावा बहुत ही कम ऐसे उत्‍पाद हैं जो विटामिन डी उपलब्‍ध कराते हैं। विटामिन डी के अलावा मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो आपके मस्तिष्‍क और शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। मछली में आयोडीन भी पाया जाता है जो हमारे शरीर में आयोडीन की कमी को पूरा कर सकता है। आइए जाने मछली खाने के फायदे और नुकसान के बारे में।

आपके शरीर मे ऊर्जा को बनाए रखने के लिए प्रोटीन की आवश्‍यकता होती है। चूंकि मछली में प्रोटीन सामग्री बहुत अच्‍छी मात्रा में मौजूद रहती है इसलिए इसे अच्छा विकल्‍प माना जा सकता है। पर्याप्‍त मात्रा में प्रोटीन होने के कारण मछली का सेवन करने से तत्‍काल ऊर्जा प्राप्‍त की जा सकती है। अपने पोषक तत्‍वों की उपस्थिति के कारण यह न केवल आपको तत्‍काल ऊर्जा दिला सकती है बल्कि इसमें मौजूद प्रोटीन क्षतिग्रस्‍त कोशिकाओं की मरम्‍मत करने में मदद भी करते हैं। आपके शरीर में पर्याप्‍त ऊर्जा बनाए रखने के लिए आप अपने नियमित आहार में मछली को शामिल कर सकते हैं।
अपने आहार में नियमित रूप से मछली को शामिल करने के बहुत से कारण हैं। इसका पहला कारण यह है कि यह एक उच्‍च प्रोटीन और कम वसा वाला आहार है। इसके अलावा इससे प्राप्‍त होने वाला तेल (ओमेगा-3 फैटी एसिड) या वसा अच्‍छी मात्रा में मौजूद रहती है जो हृदय संबंधि विभिन्न समस्‍याओं को दूर करने में मदद करती है। चूंकि मानव शरीर इन सभी पोषक तत्‍वों को अपने शरीर में खुद से नहीं बना सकता है। इसलिए इनकी आपूर्ति के लिए मछली का सेवन करना आवश्‍यक हो जाता है। इन पोषक तत्‍वों की मौजूदगी के कारण यह हमारी विभिन्‍न स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने के लिए आवश्‍यक हो जाता है।

कैंसर के खतरे को कम करें: Health benefits of eating fish

मछली खाने से कैंसर का खतरा कम होता है। जी हां, नॉनवेज के रूप में जो लोग मछली का ज्यादा मात्रा में सेवन करते हैं उनको सामान्य लोगों की तुलना में कैंसर होने का खतरा कम होता है। सिडनी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोधों में यह पाया है कि मछली खाने से कैंसर का खतरा कम होता है। मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जो कैंसर होने से रोकता है। टूना और सालमन मछलियों में ओमेगा-3 फैटी एसिड की ज्यादा मात्रा होती है। मछली स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, अंडाशय के कैंसर के होने की संभावना कम करता है। इसलिए सामान्य मछलियों की तुलना में इन मछलियों को अपने खान-पान में शामिल कीजिए। 

मछली खाने के लाभ त्‍वचा के लिए; Health benefits of eating fish

आपको अपनी त्‍वचा को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए कई प्रकार के पोषक तत्‍व और विटामिनों की आवश्‍यकता होती है। आप इनकी पूर्ति के लिए मछली का सेवन कर सकते हैं। दैनिक आहार में मछली का उपयोग करने पर यह ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन, विटामिन ए और बी की अच्‍छी मात्रा प्राप्‍त की जा सकती है। ये सभी पोषक तत्‍व आपकी त्‍वचा को स्‍वस्‍थ्‍य व सुंदर बनाने में मदद करते हैं। मछली का उपभोग कर आप समय से पहले आने वाले बुढ़ापे के संकेतो जैसे त्‍वचा में झुर्रियां आना, दाग बनना आदि को रोक सकते हैं। इस तरह से मछली एंटी-एजिंग गुणों के लिए जानी जाती है।

मछली खाने के फायदे अनिद्रा के लिए: Health benefits of eating fish

लगभग सभी लोग नींद की समस्‍या से जूझ रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि आज का जीवन बहुत ही व्‍यस्‍तता वाला है। इसके अलावा हमारी गलत जीवन शैली भी इसका प्रमुख कारण है। लेकिन अनिद्रा का उपचार किया जा सकता है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि विटामिन डी की कमी के कारण भी नींद की कमी हो सकती है। यदि आप मछली को अपने नियमित आहार में शामिल करते हैं तो इससे आपको विटामिन डी के साथ ही प्रोटीन, मैंग्नीशियम, मैंगनीज आदि जैसे पोषक तत्‍व प्राप्‍त हो सकते हैं जो आपकी अच्‍छी नींद को उत्‍तेजित करने में मदद करते हैं। जिन लोगों में नींद की कमी होती है वे अक्‍सर तनाव या अवसाद से ग्रस्‍त होते हैं। इसलिए अपने तनाव को कम करने के लिए आप मछली का सेवन कर सकते हैं। यह अच्‍छी नींद लाकर आपके तनाव को कम कर सकती है।

मछली के गुण आंखों के स्वास्थ्य के लिए

मैकुलर अपघटन नामक एक बीमारी द्रष्टि विकार और अंधापन का एक प्रमुख कारण है। यह एक ऐसी स्थिति है जो उम्र बढ़ने के साथ ही लगभग सभी लोगों को प्रभावित करती है। लेकिन कुछ अध्‍ययनों से पता चलता है कि मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मौजूदगी इस समस्‍या से निजात दिला सकती है। जानकारों का मानना है कि नियमित रूप से मछली का सेवन करने पर यह मैकुलर अपघटन की संभावना को 42 प्रतिशत तक कम कर सकता है। यदि आप बढ़ती उम्र के कारण होने वाली द्रष्टि हानि से बचना चाहते हैं तो मछली को साप्‍ताहिक आ‍हार में शामिल कर सकते हैं।

मछली करे खून की कमी को दूर: Health benefits of eating fish

शरीर में खून की कमी का प्रमुख कारण आयरन की कमी माना जाता है। लाल रक्‍त कोशिकाओं के उत्‍पादन में आयरन का विशेष योगदान होता है। मछली ऐसा खाद्य पदार्थ है जो आयरन की अच्‍छी मात्रा रखता है। इसके अलावा मछली में बहुत से पोषक तत्‍व और विटामिन होते हैं। यदि आपको आयरन की कमी है तो इस कमी को दूर करने के लिए आप मछली का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप ट्यूना और सालमन मछली का चुनाव कर सकते है। इनका उपभोग करने से आपका रक्‍तपरिसंचरण सुचारू रूप से चलता रहता है। इसके साथ ही यह थकान और एनीमिया से जुड़े खतरों को कम करने में मदद करता है।

रक्तचाप कम करें: Health benefits of eating fish

अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो मछली खाना आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है, क्योंकि मछली और मछली का तेल दोनों ही ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार ओमेगा-3 फैटी एसिड से युक्त मछली के नियमित सेवन से उच्च रक्तचाप पीड़ित व्यक्ति के रक्तदाब में उल्लेखनीय कमी आती है। 


कार्डियोवैस्‍कुलर स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित समस्‍याओं को दूर करने के लिए मछली का उपभोग फायदेमंद होता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड अच्‍छी मात्रा में होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड का नियंत्रित मात्रा में सेवन करने से यह स्‍ट्रोक और दिल के दौरा जैसे खतरों से बचाता है। एक अध्‍ययन से पता चलता है कि अपने आहार में मछली को शामिल करके शरीर में मौजूद खराब कोलेस्‍ट्रोल के स्‍तर को कम किया जा सकता है। शरीर में मौजूद खराब कोलेस्‍ट्रोल हृदय स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड रक्‍त के थक्‍का बनने से रोकने और रक्‍तवाहिकाओं को लचीला बनाए रखने में सहायक होता है। इस तरह से यह आपके शरीर में उचित रक्‍त प्रवाह को बनाए रखने और दिल को स्‍वस्‍थ्‍य बनाने में अपना अहम योगदान देता है। इसलिए कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य के लिए मछली का नियमित सेवन किया जा सकता है।

मोटापा कम करने में मददगार

मछली खाने से शरीर के अंदर मौजूद अतिरिक्त फैट समाप्‍त होता है, जिससे मोटापा कम होता है। मोटे लोगों को अपने वजन को कम करने के लिए लंच और डिनर में मछली और मछली का तेल प्रयोग करना चाहिए।

मछली खाने के फायदे बालों के लिए

यदि आप बालों के झड़ने से परेशान हैं तो सबसे पहले इनके झड़ने का कारण ढूंढने का प्रयास करें। प्रोटीन और विटामिनों की कमी के कारण आपके सिर से बाल झड़ सकते हैं। इस समस्‍या से बचने के लिए आप मछली से प्राप्‍त ओमेगा-3 फैटी एसिड का उपभोग कर सकते हैं। यह आपके बालों को झड़ने से रोकने में मदद करता है। इसके अलावा मछली का सेवन करने से आपको बहुत से विटामिन और प्रोटीन की अच्छी मात्रा प्राप्‍त हो सकती है। मछली को प्रोटीन का पावरहाउस भी माना जाता है। नियमित रूप से मछली का सेवन करने पर यह बालों के विकास और नए बालों को उगने में मदद कर सकता है। आप अपने बालों की अच्छी देखरेख और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए मछली का उपभोग कर सकते हैं।

मछली खाने के फायदे पुरुषों के लिए

अध्‍ययनों से यह पता चलता है कि मछली और अन्‍य स्‍वस्‍थ खाद्य पदार्थ जैसे कि फलियां और पूरे अनाज पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्‍या बढ़ाने में मदद करते हैं। कुछ लोगों में अध्‍ययन किया गया जिससे पता चला कि नियमित रूप से 3 माह तक मछली का सेवन करने पर पुरुषों में 11 प्रतिश‍त तक शुक्राणुओं की संख्‍या में वृद्धि हुई। जो लोग शुक्राणुओं की कमी से जूझ रहे है वे अपने दैनिक आहार में मछली को शामिल कर सकते हैं।

मछली खाने का फायदा मधुमेह के लिए

उन लोगों के मछली का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है जो मधुमेह प्रकार 1 से ग्रसित हैं। कई अध्‍ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन करने से बच्‍चों में मधुमेह के खतरे को कम किया जा सकता है इसके साथ ही यह वयस्‍कों में ऑटोम्‍यून्‍यून मधुमेह को भी नियंत्रित कर सकता है। यह मछली में मौजूद फैटी एसिड और विटामिन डी की उपस्थिति के कारण होता है। कुछ जानकारों का मानना यह भी है कि नियमित रूप से मछली का सेवन करने पर यह रूमेटोइड गठिया का इलाज भी किया जा सकता है

मछली का सेवन बनाता है मांसपेशियों को मजबूत

पोषण विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित रूप में मछली का सेवन किया जाना चाहिए। क्‍योंकि इसमें मौजूद पोषक तत्‍व संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। मछली में पोटेशियम की अच्‍छी मात्रा होने के कारण साल्‍मन मछली और ट्यूना फिश खाने की सलाह दी जाती है। पोटेशियम की पर्याप्‍त मात्रा आपकी मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करती है। आप अपनी मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए राजमा जैसे अन्‍य पौष्टिक खाद्य पदार्थों के साथ मैकेरल या साल्‍मन मछली का सेवन कर सकते हैं।

मछली का फायदा अस्‍थमा के लिए

श्वसन तंत्र से संबंधित बीमारी अस्‍थमा जो बच्‍चों के लिए घातक हो सकती है। यह बीमारी वायुमार्ग मे सूजन के कारण होती है। पिछले कुछ समय से इस बीमारी का प्रतिशत बहुत अधिक बढ़ा है। लेकिन कुछ अध्‍ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से मछली का सेवन करने पर बच्‍चों के अस्‍थमा में 24 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। लेकिन यह भी स्‍पष्‍ट किया जाता है कि वयस्‍कों के लिए इसके प्रभावों पर अभी भी शोध की आवश्‍यकता है। लेकिन आप अपने बच्‍चों में होने वाली अस्‍थमा की रोक-थाम के लिए मछली का उपयोग कर सकते हैं।

वृद्ध अवस्‍था में अक्‍सर मस्तिष्‍क की कार्य क्षमता कमजोर हो जाती है। इसे आयु से संबंधित संज्ञानात्‍मक गिरावट कहा जाता है जो अल्‍जाइमर रोग से संबंधित है। लेकिन अध्‍ययनों से पता चलता है कि जो लोग नियमित रूप से मछली का सेवन करते हैं उनमें संज्ञानात्‍मक गिरावट की दर धीमी होती है। मस्तिष्‍क स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भूरे रंग के खाद्य पदार्थ बहुत अच्‍छे होते हैं। अध्‍ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से सप्‍ताह में 1 बार मछली का सेवन करने से मस्तिष्‍क के स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा मिलता है।

मछली खाने के फायदे तनाव को दूर करे

अवसाद एक गंभीर मानसिक विकार है। अवसाद ग्रस्‍त लोग अक्‍सर उदास, थके हुए मानसिक अशांति, ऊर्जा मे कमी जैसे लक्षणों का अनुभव करते हैं। अवसाद वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं में से एक है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि जो लोग नियमित रूप से मछली का सेवन करते हैं उन्‍हें अवसाद से निपटने में सफलता मिलती है। अध्‍ययनों से यह भी स्‍पष्‍ट हो चुका है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड अवसाद को रोकने में मदद करता है और एंटीड्रिप्रेसेंट दवाओं के प्रभाव को भी बढ़ाता है। इसका मतलब यह है कि मछली का नियमित सेवन करने पर यह व्‍यक्ति के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ाता है। आप भी अपने तनाव और अवसाद को दूर करने के लिए मछली का नियमित सेवन प्रारंभ कर सकते हैं।
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4.7.19

लहसुन के गुण और नुस्खे /Garlic benefits





लहसुन एक ऐसी खाद्य सामाग्री है, जो कई सब्ज़ियों का ज़ायका बढ़ा देती है। लहसुन का तड़का बेजान से बेजान सब्ज़ी के स्वाद को कई गुणा बढ़ा देता है। लगभग हर रसोई में पाई जाने वाली ये खाद्य सामाग्री सिर्फ़ सब्ज़ियों का स्वाद ही नहीं बढ़ाती, बल्कि यह सेहत के लिए भी बहुत फ़ायदेमंद है। 

एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि जो पुरुष लहसुन खाते हैं महिलाएं उनकी तरफ़ अधिक आकर्षित होती हैं.
अध्ययन के अनुसार महिलाओं को उनके पसीने की गंध अच्छी लगती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि महिलाएं कुछ इस तरह से विकसित हो गई हैं कि अब उन्हें लहसुन खाने वाले अच्छे लगते हैं.
लहसुन में एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण होते हैं.
ऐसे में पुरुषों के पसीने से आने वाली लहसुन की गंध महिलाओं को उनके स्वस्थ होने का संकेत देती है.

*जो मर्द किसी कारणवश अपने प्राइवेट पार्ट में पूर्ण रूप से उत्थान को नहीं प्राप्त कर पाते उनके लिए कच्चा लहसुन वरदान माना जाता है. क्योंकि इसमें ऐफ्रोडिजिएक नामक कामोत्तेजक गुण पाया जाता है
सुबह खाली पेट अगर लहसुन की 2-4 कलियां चबाकर कमजोर मर्द खाएं तो प्राइवेट पार्ट के कार्पस कैवर्नोसा में रक्त का बहाव पूरा होता है और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या दूर हो जाती है.

लहसुन के औषधीय गुण 

एक समय था जब आज की तरह जगह-जगह दवा की दुकानें नहीं होती थीं। तब लहसुन का इस्तेमाल आयुर्वेदिक उपचार के लिए भी होता था। लहसुन एंटी-वायरल, एंटी-फंगल, एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटी-बैक्टिरीयल गुणों से भरपूर होता है। इसमें एलीसीनऔर दूसरे सल्फ़र यौगिक मौजूद होते हैं। साथ ही लहसुन में एजोइन जैसा तत्व और एलीन जैसा यौगिक भी मौजूद होता है, जो लहसुन को और ज़्यादा असरदार औषधि बना देते हैं। हालांकि, इन तत्वों और यौगिकों की वजह से ही लहसुन का स्वाद कड़वा होता है। लेकिन, यही घटक लहसुन को संक्रमण दूर करने की क्षमता भी देते हैं।आइए अब एक-एक करके लहसुन के लाभकारी गुणों के बारे में जानते हैं:
लहसुन के फ़ायदे
सेहत/स्वास्थ्य के लिए लहसुन के फायदे –
डायबिटीज़ से लड़ने में मदद करता है लहसुन
हर रोज़ बदलती और असंतुलित जीवनशैली की वजह से कई लोग डायबिटीज़ यानी मधुमेह की बीमारी का शिकार हो रहे हैं। लेकिन काफ़ी कम ही लोग जानते हैं कि लहसुन का सेवन करने से डायबिटीज़ पर लगाम लगाई जा सकती है। आईआईसीटी (भारत) के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में चूहों को लहसुन खिलाया। इसके बाद चूहों के खून में ग्लूकोज़ और ट्राइग्लिसराइड के स्तर में कमी पाई गई। इसके अलावा, चूहों के शरीर में इंसुलिन संवेदनशीलता में भी वृद्धि देखने को मिली । इसलिए, अगर आपको डायबिटीज़ का संदेह है या डायबिटीज़ है तो आप लहसुन का सेवन करें। यह शरीर में शुगर के स्तर को नियंत्रित कर इंसुलिन की मात्रा बढ़ाता है।
इस्तेमाल का तरीका
हर रोज़ दो से तीन कच्ची लहसुन की कलियों का सेवन करें।
वज़न घटाने में मदद करता है लहसुन
आजकल हर किसी की व्यस्त दिनचर्या होती है। घर और काम के बीच तालमेल बनाने के चक्कर में लोग अपनी सेहत पर ज़्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं। खान-पान ठीक नहीं होने और नियमित रूप से व्यायाम न कर पाने की वजह से लोग मोटापे की बीमारी का शिकार भी होने लगे हैं।
हालांकि, कई बार लोग नियमित रूप से व्यायाम करने की और खान-पान में परहेज़ करने की कोशिश करते हैं, लेकिन वे ज़्यादा दिनों तक ऐसा नहीं कर पाते हैं। ऐसे में लहसुन बढ़ते वज़न को रोकने में काफ़ी हद तक मददगार साबित हो सकता है। यह एडीपोजेनिक ऊत्तकों की अभिव्यक्ति को रोकने में मदद करता है, थर्मोजेनेसिस को बढ़ाता है और हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। अपने इन अनोखे गुणों की वजह से लहसुन आपको मोटापे से राहत दिला सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप हर रोज़ खाली पेट कच्चे लहसुन की कुछ कलियों का सेवन कर सकते हैं। उसके कुछ देर बाद आप गुनगुने पानी में नींबू का शरबत बनाकर भी पी सकते हैं।
आप हर रोज़ सब्ज़ी या सूप में डालकर भी लहसुन खा सकते हैं।
गर्भावस्था में लहसुन के सेवन से होने वाले लाभ
गर्भावस्था के शुरुआती दौर में लहसुन को सीमित मात्रा में खाने में शामिल कर किया जा सकता है। इस समय लहसुन का प्रभाव भ्रूण पर कम पड़ता है । हालांकि, गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में लहसुन का प्रयोग थोड़ा सोच समझकर करना चाहिए। इस दौरान लहसुन का गलत प्रभाव पड़ने से खून का पतला होना, पेट खराब होना या लो ब्लड प्रेशर होने जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए, गर्भावस्था में लहसुन खाने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।
रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है लहसुन
लहसुन में फाइटोन्यूट्रिएंट होते हैं, जो एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट होता है। एंटीऑक्सिडेंट हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं और शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हैं। दूसरे शब्दों में, एंटीऑक्सीडेंट आपको बीमार पड़ने से बचाते हैं। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि लहसुन खाने से हमारे शरीर में कई तरह की प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है।
इस्तेमाल का तरीका
– रोगों से लड़ने की अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए हर रोज़ दो से तीन लहसुन की कलियों का सेवन करें।
लीवर को सेहतमंद रखता है लहसुन – Benefit of garlic for fatty liver
जिन लोगों को लीवर में सूजन की शिकायत होती है, उनके लिए एक सीमित मात्रा में लहसुन का सेवन करना उपयोगी साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि लहसुन में पाए जाने वाले एस-एलील्मर कैप्टोसाइटिस्टीन (एसएएमसी) हेपेटिक चोटों के उपचार में मददगार होते हैं। वहीं, लहसुन का तेल एंटीऑक्सीडेटिव गुणों से भरपूर होता है, जो लीवर की सूजन से बचाव करता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप चाहें तो एक या दो लहसुन की कलियों को बारीक काटकर पालक की स्मूदी में मिलाकर उसका सेवन कर सकते हैं।
गठिया में लहसुन खाने से मिलती है राहत
लहसुन हड्डियों के लिए भी काफी लाभदायक है। ऐसा पाया गया है कि लहसुन के सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस और गठिया जैसी हड्डियों की बीमारी से जूझ रहे रोगियों को काफ़ी राहत मिलती है। वैज्ञानिकों ने प्रयोगों के ज़रिए साबित किया है कि लहसुन अंडाइक्टोमी-प्रेरित हड्डी सोखन को दबाने में सक्षम है। इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया है कि लहसुन डायलिल डाइसल्फाइड मैट्रिक्स को कम करने वाले एंज़ाइमों को दबाने में मदद करता है। इस तरह लहसुन हड्डियों को होने वाले नुकसान को भी रोकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप हर रोज़ एक या दो लहसुन की कलियों का सेवन कर सकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल की रोकथाम में मददगार है लहसुन
ज़्यादा तेल-घी वाले खान-पान की वजह से लोगों को कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या भी हो रही है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी एक जांच में पाया है कि पुराने लहसुन में के सेवन से शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (जो कि हानिकारक कोलेस्ट्रॉल होता है) के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, अभी तक लहसुन के इस गुण को लेकर वैज्ञानिकों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है।
इस्तेमाल का तरीका
– एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए आप हर रोज़ एक से दो लहसुन की कलियां खा सकते हैं।
किडनी संक्रमण को रोकता है लहसुन
लहसुन किडनी संक्रमण की रोकथाम में भी मदद करता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि लहसुन उस पी. एरुजिनोसा के विकास को रोकने में मदद कर सकता है, जो यूटीआई और गुर्दे के संक्रमण के लिए ज़िम्मेदार होता है।
इस्तेमाल का तरीका
– किडनी संक्रमण से बचाव के लिए हर रोज़ दो से तीन लहसुन की कलियों का सेवन करें।
लहसुन दिलाता है गैस और एसिडिटी से राहत – Benefit of garlic for gastritis
आजकल लोग गलत खान-पान के कारण एसिडिटी यागैस की समस्या के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में सब्ज़ी पकाते समय उसमें हल्का लहसुन डालें। इस तरह से पकाई गई सब्ज़ी खाने से आपको गैस ओर एसिडिटी से राहत मिल सकती है। हालांकि, अगर आपको ज़्यादा परेशानी है, तो लहसुन से परहेज़ करें।

कैंसर से बचाता है लहसुन
लहसुन में डायलिसिल्फ़ाइड मौजूद होता है, जो ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकने में मदद करता है। लहसुन में मौजूद सेलेनियम कैंसर से लड़ने वाले गुणों के लिए जाना जाता है। साथ ही सेलेनियम डीएनए उत्परिवर्तन और अनियंत्रित सेल प्रसार और मेटास्टेसिस को भी रोकता है।
लहसुन ट्यूमर और पेट के कैंसर की आशंका को कुछ हद तक कम करता है।
इसलिए, अगर आप कैंसर के खतरे को कम करना चाहते हैं, तो स्वस्थ जीवन शैली के साथ लहसुन का नियमित सेवन करें।
इस्तेमाल का तरीका
– आप हर रोज़ कम से कम लहसुन की एक कच्ची कली का सेवन करें।
फ़ंगल संक्रमण से बचाता है लहसुन
लहसुन में एंटी-फ़ंगल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-पैरासिटिक गुण पाए जाते हैं, जो फ़ंगल संक्रमण, जैसे – दाद और कैंडिडा से लड़ने में हमारी मदद करते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
-आप फ़ंगल-संक्रमण से प्रभावित जगह पर लहसुन का तेल लगा सकते हैं। लेकिन, इस बारे में एक बार अपने डॉक्टर से भी परामर्श ज़रूर कर लें।
 दिल से जुड़ी बीमारियों से लड़ने में मददगार है लहसुन 
जैसा कि हम जानते हैं, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों का हृदय संबंधी रोगों से सीधा रिश्ता होता है। ऐसे में लहसुन का सेवन हृदय संबंधी रोगों की रोकथाम में असरदार साबित हो सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– हर रोज़ कच्चे लहसुन की कलियां खाएं।
हाई ब्लड शुगर के स्तर को घटाता है लहसुन 
अगर आप हाई ब्लड शुगर की समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको अपने आहार में लहसुन को शामिल करना चाहिए। कुवैत के वैज्ञानिकों ने लैब में पशुओं पर कच्चे और उबले हुए लहसुन का प्रयोग करके पता लगाया है, कि कच्चे लहसुन में ब्लड शुगर के स्तर को कम करने की क्षमता होती है।
इस्तेमाल का तरीका
ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए रोज़ाना एक या दो लहसुन की कलियां खाएं।
सर्दी-ज़ुकाम से बचाता है लहसुन
मौसम में बदलाव की वजह से सर्दी-ज़ुकाम होना बहुत ही आम बात है। लेकिन, ज़रूरी नहीं कि इन बीमारियों के उपचार के लिए हर बार अंग्रेज़ी दवाओं का ही सेवन किया जाए। दरअसल, लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फ़ंगल और एंटी-ऑक्सिडेंट गुणों की भरमार होती है। इसमें एलियानेस (या एलियान) नामक एंजाइम मौजूद होता है, जो एलिसिन नामक सल्फ़र युक्त यौगिक में परिवर्तित होता है। यह यौगिक सफ़ेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाता है, जो सर्दी-ज़ुकाम के वायरस से लड़ने में मदद करता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप चाहें तो कच्चे लहसुन की कलियां खा सकते हैं।
– आप सूप में भी लहसुन डालकर पी सकते हैं।
– आप लहसुन की चाय भी पी सकते हैं।
– लहसुन की कुछ कलियों को आप घी में भूनकर भी खा सकते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है लहसुन
इन दिनों लोगों में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ लोग दवाओं का सहारा लेते हैं, तो कुछ लोग घरेलू नुस्खे अपनाते हैं। हाई ब्लड प्रेशर में घरेलू उपाय के तौर पर लहसुन का सेवन काफ़ी उपयोगी साबित हुआ है। दरअसल, लहसुन में बायोएक्टिव सल्फ़र यौगिक, एस-एललिस्सीस्टीन मौजूद होता है, जो ब्लड प्रेशर को 10 mmhg (सिस्टोलिक प्रेशर) और 8 mmhg (डायलोस्टिक प्रेशर) तक कम करता है। चूंकि सल्फर की कमी से भी हाई ब्ल्ड प्रेशर की समस्या होती है, इसलिए शरीर को ऑर्गनोसल्फर यौगिकों वाला पूरक आहार देने से ब्लड प्रेशर को स्थिर करने में मदद मिल सकती है।
इस्तेमाल का तरीका
-हर रोज़ कच्चे या सूखे लहसुन की कुछ कलियों का सेवन करें।
बुखार या ठंड लगने पर राहत देता है लहसुन
ठंड लगने पर या बुख़ार होने पर अगर लहसुन का उपयोग किया जाए,ये तो रोगी को बहुत हद तक राहत मिल सकती है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप चाहें तो दो-तीन लहसुन की कलियां खा सकते हैं। अगर कच्चा लहसुन खाना पसंद न हो, तो आप गर्म सरसों तेल में एक-दो लहसुन की कलियां डालकर उससे शरीर की मालिश कर सकते हैं।
गले की खराश से राहत देता है लहसुन
लहसुन में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण गले में ख़राश जैसी परेशानी से हमारा बचाव करते हैं। लहसुन में एलीसिन नाम का ऑर्गनॉसुल्फ़र यौगिक भी होता है, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। हालांकि, यह साबित करना मुश्किल है कि लहसुन गले में खराश की परेशानी को पूरी तरह से ठीक कर सकता है या नहीं।
इस्तेमाल का तरीका
– जब भी गले में खराश जैसा महसूस हो, तो सरसों तेल में एक या दो लहसुन की कलियां डालकर उसे गुनगुना होने तक गर्म करें। इसके बाद गुनगुने तेल को हल्का-हल्का गले के आस-पास लगाएं। तकलीफ़ अगर ज़्यादा बढ़े तो डॉक्टर से संपर्क करें।
दमा में राहत देता है लहसुन
अस्थमा यानी दमा के मरीज़ों के लिए भी लहसुन काफ़ी लाभकारी है। सरसों के तेल में लहसुन पकाकर उस तेल से अगर नाक, गले और फेफड़ों के पास मालिश की जाए, तो यह छाती में जमे कफ़ से निजात दिला सकता है। वैज्ञानिकों को इस बात के सबूत भी मिले हैं कि लहसुन अस्थमा से होने वाले दुष्प्रभावों को कम कर सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप चाहें तो एक या दो लहसुन की कलियां खा सकते हैं या लहसुन और सरसों का तेल लगा सकते हैं। हालांकि, एक बार अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह ज़रूर लें।
 कान दर्द होने पर राहत देता है लहसुन
कान में होने वाले हल्के संक्रमण या दर्द में भी लहसुन फ़ायदेमंद होता है। लहसुन में मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटीफ़ंगल और एंटीवायरल गुण कान के दर्द या संक्रमण से राहत दिलाते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
आप चाहें तो लहसुन का तेल कान में लगा सकते हैं। ये तेल बाज़ार में उपलब्ध होता है। इसके अलावा, आप घर पर भी लहसुन का तेल बना सकते हैं।
योनि संक्रमण से छुटकारा दिलाता है लहसुन
अक्सर महिलाएं योनि संक्रमण जैसी समस्या के बारे में सबके साथ चर्चा नहीं कर पाती हैं। इस वजह से कई बार यह समस्या गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। जबकि, घर में मौजूद रहने वाले लहसुन के ज़रिए इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है। जी हां, वैज्ञानिकों ने पाया है कि लहसुन कैंडिडा नामक संक्रमण की रोकथाम करने में काफ़ी असरदार होता है।
इस्तेमाल का तरीका
सीमित मात्रा में लहसुन का सेवन करके योनि के संक्रमण से छुटकारा पाया जा सकता है। हालांकि, एक बार डॉक्टर से भी इस बारे में बात ज़रूर करें क्योंकि हर किसी की शारीरिक क्रिया थोड़ी अलग होती है। इसके अलावा, लहसुन को सीधे प्रभावित जगह पर न लगाएं।
छाले या फोड़े को ठीक करने में मदद करता है लहसुन
लहसुन में एलिन, एलिसिन और एजोइन जैसे सल्फ़र यौगिक मौजूद होते हैं, जो छाले या फोड़े को ठीक होने में मदद करते हैं। साथ ही लहसुन में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीसेप्टिक गुण भी होते हैं, जो बैक्टीरिया को मारते हैं और छाले या फोड़े को बढ़ने से रोकते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
– अगर आपको साबूत लहसुन खाना पसंद नहीं, तो आधा चम्मच से भी कम लहसुन का पेस्ट या एक लहसुन की कली को बारीक़ काटकर खाने में उपयोग करें।
झुर्रियों को कम करता है लहसुन
कई बार लोगों की त्वचा पर समय से पहले झुर्रियां नज़र आने लगती हैं।दरअसल, ऐसा गलत खान-पान, तनाव, सूर्य की हानिकारक किरणों और बदलती जीवनशैली की वजह से होता है। ऐसे में अगर लहसुन का सेवन किया जाए, तो समय से पहले चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियों से बचा जा सकता है। लहसुन में एस-एलिल सिस्टीन पाया जाता है जो त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों और झुर्रियों से बचाने में मदद करता है। लहसुन में एंटीऑक्सिडेंट और एंटीइंफ्लैमटोरी गुण भी होते हैं, जो झुर्रियां कम करने में मदद करते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
– सुबह नींबू और शहद के साथ लहसुन की एक कली खाएं। अगर इनमें से किसी चीज़ से आपको एलर्जी हो तो, इन्हें खाने से पहले एक बार डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करें।
 दांत दर्द से निजात दिलाता है लहसुन
वज्ञानिकों का मानना है कि लहसुन को माउथवॉश के तौर पर इस्तेमाल करना काफ़ी लाभदायक हो सकता है। इसके अलावा, ऐसे टूथपेस्ट या माउथवॉश का इस्तेमाल करना भी अच्छा होता है, जिसमें लहसुन के गुण मौजूद हो।
इस्तेमाल का तरीका
– अगर आपको दांत दर्द की शिकायत है, तो हर रोज़ एक कच्चे लहसुन की कली चबाएं। इसके अलावा, आप एक लहसुन की कली में सेंधा नमक लगाकर दर्द वाले दांत पर लगाएं। इससे आपको दांत के दर्द से आराम मिलेगा।
सोरायसिस की रोकथाम में कारगर है लहसुन
सोरायसिस एक प्रकार का त्वचा रोग है, जिसमें खुजली होने लगती है और त्वचा लाल हो जाती है। यह बीमारी ज़्यादातर सिर की त्वचा, कोहनी और घुटनों को प्रभावित करती है। इस बीमारी का कोई इलाज तो नहीं है, लेकिन लहसुन खाने से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। लहसुन में डायलिल सल्फ़ाइड और एजेन जैसे यौगिक होते हैं। ये यौगिक न्यूक्लिअर ट्रांसमिशन कारक कप्पा बी (जिसकी वजह से सोरायसिस होता है) को निष्क्रिय कर देते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
दो से तीन लहसुन की कलियों को हरे प्याज़, ब्रोकली और चुकंदर के रस के साथ मिलाकर उसका सेवन करें। लेकिन, अगर आपको इनमें से किसी भी चीज़ से एलर्जी है, तो एक बार अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
 खुजली से राहत देता है लहसुन
खुजली जैसी त्वचा संबंधी परेशानी किसी चीज़ से एलर्जी के कारण होती है। ऐसे में खुजली से राहत पाने के लिए लहसुन खाना उपयोगी हो सकता है। हालांकि, इसका कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। दरअसल, खुजली से राहत दिलाने के मामले में लहसुन की सफलता या असफलता रोगी के शरीर पर निर्भर करती है। किसी व्यक्ति को अगर लहसुन से एलर्जी है, तो यह एक्ज़िमा को बढ़ा सकता है। लेकिन जिनको लहसुन से कोई एलर्जी नहीं है, उनके लिए लहसुन का सेवन फ़ायदेमंद साबित हो सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– शुरुआत में हर रोज़ पानी के साथ एक या दो लहसुन की कलियों का सेवन करें। 
त्वचा की खूबसूरती बढ़ाता है लहसुन
सिर्फ़ सेहत ही नहीं, बल्कि आजकल अच्छा दिखना और त्वचा का सही तरीक़े से ध्यान रखना भी बहुत ज़रूरी है। इस काम में भी लहसुन आपकी मदद कर सकता है।
मुंहासे और पिंपल से छुटकारा दिलाता है लहसुन
शरीर में विषाक्त पदार्थों के जमा होने से या फिर किसी संक्रमण की वजह से कील-मुंहासे हो सकते हैं। ऐसे में लहसुन का नियमित सेवन कील-मुंहासों से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप ठंडे पानी के साथ एक लहसुन की कली का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा खूब पानी पिएं ताकि आपके शरीर में पानी की सही मात्रा बनी रहे।
दाद में राहत देता है लहसुन
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं, लहसुन में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। ये गुण किसी भी तरह के संक्रमण से शरीर को बचा सकते हैं। इसलिए, जिस व्यक्ति को दाद की बीमारी होती है, उसे अपने भोजन में हल्की मात्रा में लहसुन को शामिल करने की राय दी जाती है। हालांकि, लहसुन दाद की बीमारी से पूरी तरह छुटकारा नहीं दिला सकता। लेकिन, यह दाद की वजह से होने वाली खुजली से राहत दिला सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
आप अपने भोजन में एक निश्चित मात्रा में लहसुन को शामिल कर सकते हैं।
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