मित्रों ,घरेलू आयुर्वेद चिकित्सा के विडिओ प्रस्तुत करने की शृंखला मे आज का टॉपिक है "दारूहल्दी या रसौत की चमत्कारी शक्ति: अनेक बीमारियों का एक समाधान"
दारुहरिद्रा एक औषधीय जड़ी बूटी है। दारुहरिद्रा के फायदे जानकर आप हैरान हो जाएगें। इसे दारू हल्दी के नाम से भी जाना जाता हैं । यह मधुमेह की चिकित्सा में बहुत उपयोगी है। यह ऐसी जड़ी बूटी है जो कई असाध्य स्वास्थ्य सस्याओं को प्रभावी रूप से दूर कर सकती है। दारू हल्दी का पौधा भारत और नेपाल के पर्वतीय हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह श्रीलंका के कुछ स्थानों में भी पाया जाता है।
दारुहरिद्रा को इंडियन बारबेरी या ट्री हल्दी (tree turmeric) के नाम से भी जाना जाता है। इस जड़ी बूटी को प्राचीन समय से ही आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में उपयोग किया जा रहा है।
दारुहरिद्रा के फायदे लीवर सिरोसिस, सूजन कम करने, पीलिया, दस्त का इलाज करने, मधुमेह को नियंत्रित करने, कैंसर को रोकने, बवासीर का इलाज करने, मासिक धर्म की समस्याओं को रोकने आदि में होते हैं।
दारुहरिद्रा की तासीर गर्म होती है जिसके कारण यह हमारे पाचन तंत्र के अच्छे स्वास्थ्य में मदद करता है। इसके अलावा दारुहरिद्रा में अन्य पोषक तत्वों और खनिज पदार्थों की भी उच्च मात्रा होती है। जिसके कारण यह हमारे शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाता है।
पोषक तत्वों और खनिज पदार्थों की उच्च मात्रा होने के कारण दारुहरिद्रा के फायदे हमारे बेहतर स्वास्थ्य के लिए होते हैं। यह ऐसी जड़ी बूटी है जो उपयोग करने पर कई जटिल स्वास्थ्य समस्याओं को आसानी से दूर कर सकती है।
दारुहरिद्रा या रसौत के फायदे बवासीर के लिए भी होते हैं। बवासीर की समस्या किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत ही कष्टदायक होती है। इसके अलावा रोगी इस बीमारी के कारण बहुत ही कमजोर हो जाता है। क्योंकि इस दौरान उनके शरीर में रक्त की कमी हो सकती है। लेकिन इस समस्या से बचने के लिए दारुहरिद्रा के फायदे होते हैं। दारुहरिद्रा में ब्लीडिंग पाइल्स का उपचार करने की क्षमता होती है। बवासीर रोगी को नियमित रूप से इस जड़ी बूटी को मक्खन के साथ 40-100 मिलीग्राम मात्रा का सेवन करना चाहिए। दारुहरिद्रा के यह लाभ इसमें मौजूद एंटीआक्सीडेंट, जीवाणुरोधी, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुणों के कारण होते हैं। ये सभी गुण बवासीर के लक्षणों को कम करने और शरीर को अन्य प्रकार के संक्रमण से बचाने में सहायक होते हैं।
यदि आप मधुमेह रोगी हैं तो दारुहरिद्रा जड़ी बूटी आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकती है। क्योंकि इस पौधे के फलों में रक्त शर्करा को कम करने की क्षमता होती है। नियमित रूप से उपयोग करने पर यह आपके शरीर में चयापचय एंजाइमों को सक्रिय करता है। जिससे आपके रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है।
जब शरीर का तापमान अधिक होता है या बुखार की संभावना होती है तो दारुहरिद्रा का उपयोग लाभकारी होता है। इस दौरान इस जड़ी बूटी का सेवन करने से शरीर के तापमान को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा यह शरीर में पसीने को प्रेरित भी करता है। पसीना निकलना शरीर में तापमान को अनुकूलित करने का एक तरीका होता है। साथ ही पसीने के द्वारा शरीर में मौजूद संक्रमण और विषाक्तता को बाहर निकालने में भी मदद मिलती है। इस तरह से दारुहरिद्रा का उपयोग बुखार को ठीक करने में मदद करता है। रोगी को दारुहरिद्रा के पौधे की छाल और जड़ की छाल को मिलाकर एक काढ़ा तैयार करें। इस काढ़े को नियमित रूप से दिन में 2 बार सेवन करें। यह बुखार को कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका हो सकता है।
आयुर्वेद और अध्ययनों दोनों से इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि दारुहरिद्रा जड़ी बूटी दस्त जैसी गंभीर समस्या का निदान कर सकती है। शोध के अनुसार इस जड़ी बूटी में ऐसे घटक मौजूद होते हैं जो पाचन संबंधी समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल गुण पेट में मौजूद संक्रामक जीवाणुओं के विकास और प्रभाव को कम करते हैं। जिससे दस्त और पेचिश जैसी समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है। आप सभी जानते हैं कि दूषित भोजन और दूषित पानी पीने के कारण ही दस्त और पेचिश जैसी समस्याएं होती है। लेकिन इन समस्याओं से बचने के लिए दारुहरिद्रा जड़ी बूटी फायदेमंद होती है। दस्त का उपचार करने के लिए इस जड़ी बूटी को पीसकर शहद के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करना चाहिए।
हर्बल चिकित्सा के जानकार डॉ ,आलोक द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि सूजन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए दारुहरिद्रा फायदेमंद होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस जड़ी बूटी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जिनके कारण यह सूजन और इससे होने वाले दर्द को प्रभावी रूप से कम कर सकता है। अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि यह गठिया की सूजन को दूर करने में सक्षम होता है। सूजन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए आप दारू हल्दी का पेस्ट बनाएं और प्रभावित जगह पर लगाएं। ऐसा करने से आपको सूजन और दर्द से राहत मिल सकती है।
कैंसर से बचावदारुहरिद्रा के फायदे लीवर सिरोसिस, सूजन कम करने, पीलिया, दस्त का इलाज करने, मधुमेह को नियंत्रित करने, कैंसर को रोकने, बवासीर का इलाज करने, मासिक धर्म की समस्याओं को रोकने आदि में होते हैं।
आयुर्वेदिक मतानुसार दारुहल्दी गुण में लघु , स्वाद में कटु कषाय, तिक्त तासीर में गर्म, अग्निवद्धक, पौष्टिक, रक्तशोधक, यकृत उत्तेजक, कफ नाशक, व्रण शोधक, पीड़ा, शोथ नाशक होती है। यह ज्वर, श्वेत व रक्त प्रदर, नेत्र रोग, त्वचा विकार, गर्भाशय के रोग, पीलिया, पेट के कृमि, मुख रोग, दांतों और मसूड़ों के रोग, गर्भावस्था की जी मिचलाहट आदि में गुणकारी है।
यूनानी चिकित्सा पद्धति में दारुहल्दी दूसरे दर्जे की सर्द और खुश्क तथा जड़ की छाल पहले दर्जे की गर्म और खुश्क मानी गई है। इसके फल जरिश्क, यूनानी में एक उत्तम औषधि मानी गई है। यह आमाशय, जिगर और हृदय के लिए बलवर्द्धक है। इसके सेवन से जिगर और मेदे की खराबी से दस्त लगना, मासिक धर्म की अधिकता, सूजन, बवासीर के कष्टों में आराम मिलता है।
यूनानी चिकित्सा पद्धति में दारुहल्दी दूसरे दर्जे की सर्द और खुश्क तथा जड़ की छाल पहले दर्जे की गर्म और खुश्क मानी गई है। इसके फल जरिश्क, यूनानी में एक उत्तम औषधि मानी गई है। यह आमाशय, जिगर और हृदय के लिए बलवर्द्धक है। इसके सेवन से जिगर और मेदे की खराबी से दस्त लगना, मासिक धर्म की अधिकता, सूजन, बवासीर के कष्टों में आराम मिलता है।
दारुहरिद्रा की तासीर
दारुहरिद्रा की तासीर गर्म होती है जिसके कारण यह हमारे पाचन तंत्र के अच्छे स्वास्थ्य में मदद करता है। इसके अलावा दारुहरिद्रा में अन्य पोषक तत्वों और खनिज पदार्थों की भी उच्च मात्रा होती है। जिसके कारण यह हमारे शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाता है।
दारुहरिद्रा के फायदे
पोषक तत्वों और खनिज पदार्थों की उच्च मात्रा होने के कारण दारुहरिद्रा के फायदे हमारे बेहतर स्वास्थ्य के लिए होते हैं। यह ऐसी जड़ी बूटी है जो उपयोग करने पर कई जटिल स्वास्थ्य समस्याओं को आसानी से दूर कर सकती है।
रसौत के लाभ बवासीर के लिए
दारुहरिद्रा या रसौत के फायदे बवासीर के लिए भी होते हैं। बवासीर की समस्या किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत ही कष्टदायक होती है। इसके अलावा रोगी इस बीमारी के कारण बहुत ही कमजोर हो जाता है। क्योंकि इस दौरान उनके शरीर में रक्त की कमी हो सकती है। लेकिन इस समस्या से बचने के लिए दारुहरिद्रा के फायदे होते हैं। दारुहरिद्रा में ब्लीडिंग पाइल्स का उपचार करने की क्षमता होती है। बवासीर रोगी को नियमित रूप से इस जड़ी बूटी को मक्खन के साथ 40-100 मिलीग्राम मात्रा का सेवन करना चाहिए। दारुहरिद्रा के यह लाभ इसमें मौजूद एंटीआक्सीडेंट, जीवाणुरोधी, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुणों के कारण होते हैं। ये सभी गुण बवासीर के लक्षणों को कम करने और शरीर को अन्य प्रकार के संक्रमण से बचाने में सहायक होते हैं।
आंखों के लिए फायदे
आप अपनी आंखों को स्वस्थ्य रखने और देखने की क्षमता को बढ़ाने के लिए दारु हल्दी का इस्तेमाल कर सकते हैं। औषधीय गुणों से भरपूर दारुहरिद्रा को आंखों के संक्रमण दूर करने में प्रभावी पाया गया। इसके लिए आप दारुहरिद्रा को मक्खन, दही या चूने के साथ मिलाएं और आंखों की ऊपरी क्षेत्र में बाहृ रूप से लगाएं। यह आंखों की बहुत सी समस्याओं को दूर कर सकता है। यदि आप आंख आना या कंजंक्टिवाइटिस से परेशान हैं तो दूध के साथ इस जड़ी बूटी को मिलकार लगाएं।
यह आंख के संक्रमण को प्रभावी रूप से दूर कर नेत्रश्लेष्म को कम करने में मदद करती है।
दारुहरिद्रा के फायदे मधुमेह के लिए
यदि आप मधुमेह रोगी हैं तो दारुहरिद्रा जड़ी बूटी आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकती है। क्योंकि इस पौधे के फलों में रक्त शर्करा को कम करने की क्षमता होती है। नियमित रूप से उपयोग करने पर यह आपके शरीर में चयापचय एंजाइमों को सक्रिय करता है। जिससे आपके रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है।
बुखार ठीक करे
जब शरीर का तापमान अधिक होता है या बुखार की संभावना होती है तो दारुहरिद्रा का उपयोग लाभकारी होता है। इस दौरान इस जड़ी बूटी का सेवन करने से शरीर के तापमान को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा यह शरीर में पसीने को प्रेरित भी करता है। पसीना निकलना शरीर में तापमान को अनुकूलित करने का एक तरीका होता है। साथ ही पसीने के द्वारा शरीर में मौजूद संक्रमण और विषाक्तता को बाहर निकालने में भी मदद मिलती है। इस तरह से दारुहरिद्रा का उपयोग बुखार को ठीक करने में मदद करता है। रोगी को दारुहरिद्रा के पौधे की छाल और जड़ की छाल को मिलाकर एक काढ़ा तैयार करें। इस काढ़े को नियमित रूप से दिन में 2 बार सेवन करें। यह बुखार को कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका हो सकता है।
दस्त के इलाज में
आयुर्वेद और अध्ययनों दोनों से इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि दारुहरिद्रा जड़ी बूटी दस्त जैसी गंभीर समस्या का निदान कर सकती है। शोध के अनुसार इस जड़ी बूटी में ऐसे घटक मौजूद होते हैं जो पाचन संबंधी समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल गुण पेट में मौजूद संक्रामक जीवाणुओं के विकास और प्रभाव को कम करते हैं। जिससे दस्त और पेचिश जैसी समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है। आप सभी जानते हैं कि दूषित भोजन और दूषित पानी पीने के कारण ही दस्त और पेचिश जैसी समस्याएं होती है। लेकिन इन समस्याओं से बचने के लिए दारुहरिद्रा जड़ी बूटी फायदेमंद होती है। दस्त का उपचार करने के लिए इस जड़ी बूटी को पीसकर शहद के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करना चाहिए।
सूजन के लिए
हर्बल चिकित्सा के जानकार डॉ ,आलोक द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि सूजन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए दारुहरिद्रा फायदेमंद होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस जड़ी बूटी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जिनके कारण यह सूजन और इससे होने वाले दर्द को प्रभावी रूप से कम कर सकता है। अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि यह गठिया की सूजन को दूर करने में सक्षम होता है। सूजन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए आप दारू हल्दी का पेस्ट बनाएं और प्रभावित जगह पर लगाएं। ऐसा करने से आपको सूजन और दर्द से राहत मिल सकती है।
दारुहरिद्रा या रसौत में कैंसर कोशिकाओं को रोकने और नष्ट करने की क्षमता होती है। क्योंकि यह जड़ी बूटी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। कैंसर का उपचार अब तक संभव नहीं है लेकिन आप इसके लक्षणों को कम कर सकते हैं। कैंसर के मरीज को नियमित रूप से दारुहरिद्रा और हल्दी के मिश्रण का सेवन करना चाहिए।
शारीरिक मांसपेशियों के दर्द को कम करने के लिए भी इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि इस जड़ी बूटी में दर्द निवारक गुण होते हैं जो औरतों मे सफेद पानी की समस्या याने ल्यूकोरिया और मसिक धर्म की अधिकता जैसी समस्याओं के लिए लाभकारी होते हैं।
पीलिया के उपचार में भी यह जड़ी बूटी मददगार होती है। क्योंकि इस जड़ी बूटी का उपयोग करने से शरीर में मौजूद विषाक्तता को दूर करने में मदद मिलती है। यह यकृत को भी विषाक्तता मुक्त रखती है और पीलिया के लक्षणों और संभावना को कम करती है।
दारुहरिद्रा में कैंसर के लक्षणों को कम करने की क्षमता होती है। क्योंकि इस जड़ी बूटी में एंटीकैंसर गुण होते हैं। जिसके कारण इसका नियमित सेवन करने से पेट संबंधी कैंसर की संभावना को कम किया जा सकता है।
कान के दर्द को कम करने के लिए भी दारू हल्दी लाभकारी होती है। इसके अलावा यह कान से होने वाले स्राव को भी नियंत्रित कर सकती है।
पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए इस औषधी का नियमित सेवन किया जाना चाहिए। यह आपकी भूख को बढ़ाने और पाचन तंत्र को मजबूत करने में प्रभावी होती है।
कब्ज जैसी पेट संबंधी समस्या के लिए दारुहरिद्रा का इस्तेमाल फायदेमंद होता है।
बुखार होने पर इसकी जड़ से बनाये गए काढ़े को इस्तेमाल करने से जल्द ही बुखार से छुटकारा मिलता है |
दालचीनी के साथ दारू हल्दी को मिलाकर चूर्ण बना ले | इस चूर्ण को नित्य सुबह – शाम 1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ उपयोग करने से महिलाओं की सफ़ेद पानी की समस्या दूर हो जाती है |
दोस्तों यह विडिओ आपको कैसा लगा कमेन्ट मे बताएं इस चैनल को subscribe कीजिए| धन्यवाद आभार
************