सेहत का खजाना कुटज: मधुमेह, पेचिश और जीर्ण ज्वर का आयुर्वेदिक समाधान
इंद्रजौ जिसे कुटज के नाम से भी जाना जाता है, एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका इस्तेमाल सदियों से कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए किया जाता रहा है. यह एक छोटा झाड़ीनुमा पौधा है जिसके बीजों का इस्तेमाल दवा बनाने में किया जाता है. इंद्रजौ में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. इसे त्वचा संबंधी समस्याओं और डायबिटीज व पथरी जैसी गंभीर समस्याओं के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है.
कुटज की छाल कड़वी, दीपन, ग्राही, मियादी बुखार और ज्वर नाशक है |आप कुटज की छाल को पीसकर दूध के साथ भी पी सकते हैं। इसका प्रयोग पथरी को शरीर से बाहर निकालने के लिए भी होता है। अगर आप इंद्र जौ की छाल के पाउडर का गरम पानी के साथ सेवन करते हैं तो इससे पथरी निकल जाएगी। कुटज के औषधीय उपयोग
दस्त को रोकता है कुटज
नागरमोथा, अतीस, पान, कुटज की छाल तथा लाक्षा चूर्ण को बराबर बराबर (2-5 ग्राम) लें। इसे जल के साथ सेवन करने से दस्त पर रोक लगती है।
5-10 मिलीग्राम कुटज छाल के रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से दस्त में फायदा होता है
विडिओ मे देखें कुटज के सारे फायदे -
पेचिश में कुटज के काढे से फायदा
40 ग्राम इद्रजौ की छाल को 400 मिलीग्राम पानी में उबाल लें। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए तो इसे छानकर इतना ही अनार का रस मिला लें। इसे आग पर गाढ़ा कर लें और छह ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ मिलाकर सुबह-शाम पिएं। इससे पेचिश में लाभ होता है।
कुटज बीज को 50 मिलीग्राम जल में उबाल लें। इसे छानकर शहद मिलाकर दिन में तीन बार पिलाने से पित्तज विकार के कारण होने वाले दस्त (पित्तातिसार) में लाभ होते हैं।
त्वचा रोग
दांत मसूढ़े के लिए कुटज के फायदे
बवासीर मे हितकारी कुटज : –
फैटी लिवर के लिए कुटकी है आयुर्वेद का वरदान
कुटज एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के रोगों के इलाज के लिए किया जाता है, जिनमें फैटी लीवर भी शामिल है. आयुर्वेद में, कुटज को 'लिवर डिटॉक्सिफायर' के रूप में माना जाता है और यह लिवर को साफ करने और स्वस्थ रखने में मदद करता है.
पुराना बुखार ठीक करती है :
कुटज को बुखार के इलाज में भी बहुत फायदेमंद माना जाता है. इसके एंटीपायरेटिक गुण शरीर के तापमान को नॉर्मल करने में मदद करते हैं. कुटज का इस्तेमाल दाद, खाज, खुजली जैसी समस्याओं को दूर करने में मददगार होता है
इन्द्र जौ के पेड़ की छाल और गिलोय का काढ़ा पिलायें अथवा रात को छाल को पानी में गला दें और सुबह उस पानी को छानकर पिलायें। इससे पुराना बुखार दूर हो जाता है।
कुटकी की तासीर ठंडी होती है। यह शरीर में पित्त और गर्मी को संतुलित करने में मदद करती है, जिससे पाचन में सुधार होता है और लिवर मजबूत होता है।
डायबिटीज़ का काल है इन्द्रजौ
इंद्रजौ का उपयोग डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. इसका सेवन करने से शुगर के लेविल को नियंत्रित किया जा सकता है. साथ ही, शुगर से उत्पन्न होने वाली अन्य शारीरिक समस्याओं में भी यह औषधि लाभकारी साबित होती हैअब हम आपको मधुमेह का बहुत ही कारगर नुस्खा याने फार्मूला भी बताया देते हैं -
इन्द्र जो कडवा 250 ग्राम
बादाम 250 ग्राम
भुने चने 250 ग्राम
यह योग बिल्कुल अजूबा योग है अनेकों रोगियों पर आजमाया गया है||बादाम शुगर रोगी की दुर्बलता, कमजोरी दूर करता है| चने को इन्द्र जो की कड़वाहट कम करने के लिए मिलाया जाता है
बादाम 250 ग्राम
भुने चने 250 ग्राम
यह योग बिल्कुल अजूबा योग है अनेकों रोगियों पर आजमाया गया है||बादाम शुगर रोगी की दुर्बलता, कमजोरी दूर करता है| चने को इन्द्र जो की कड़वाहट कम करने के लिए मिलाया जाता है
बनाने की विधि :
तीनों औषधियों कुटज,बादाम भुने चने का अलग अलग पावडर बनाए और तीनो को मिक्स करके कांच के जार में रख लें |यह औषधि खाने के बाद एक चम्मच दिन में केवल एक बार सादे जल से लेते रहें
सावधानी -
किसी औषधि तत्व का इस्तेमाल से पहिले किसी चिकित्सा विशेषज्ञ से संपर्क करना उचित है| हमारा चैनल subscribe कीजिए । धन्यवाद ,आभार !
*********************