30.6.19

गिलोय जड़ी बूटी है गुणों का खजाना/Giloy ke fayde




गिलोय की बेल पूरे भारत देश में पाई जाती है. इसको लोग मधुपर्णी, अमृता, तंत्रिका, कुण्डलिनी गुडूची आदि नामों से जानते हैं. आम तौर पर गिलोय की बेल नीम के पेड़ या फिर आम के पेड़ के आस पास उगती है. नीम के पेड़ पर पाई जाने वाली गिलोय की बेल को सबसे सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक औषधि माना जाता है. इस लेख में हम आपको गिलोय केऔषधीय गुण बताने जा रहे हैं जिनसे शायद आप पहले से वाकिफ नहीं होंगे. लेकिन उससे पहले हम आपको बता दें कि गिलोय का फल दिखने में मटर के दानो में समान होता है. इसमें मुख्य रूप से एलकेलायड और ग्लुकोसाइड गिलोइन पाया जाता है जोकि कईं प्रकार के रोगों के लिए वरदान साबित होते हैं.

हमारे भारत में सदियों से आयुर्वेदिक जड़ी बूटियो का इस्तेमाल रोगों का खात्मा करने के लिए किया जाता रहा है. इन्ही में से गिलोय भी एक ऐसी बेल है जिसके पत्ते और कांड दोनों ही मनुष्य के लिए लाभकारी साबित होते हैं. गिलोय की बेल का एक प्रमुख गुण यह भी है कि इस बेल को जिस पेड़ पर चढ़ाया जाए, यह उसी के गुण अपने में ग्रहण कर लेती है. नीम के पेड़ के साथ मिल कर गिलोय के औषधीय गुण और भी अधिक असरदार हो जाते हैं. 

गिलोय के गुणों की संख्या काफी बड़ी है। इसमें सूजन कम करने, शुगर को नियंत्रित करने, गठिया रोग से लड़ने के अलावा शरीर शोधन के भी गुण होते हैं। गिलोय के इस्तेमाल से सांस संबंधी रोग जैसे दमा और खांसी में फायदा होता है। इसे नीम और आंवला के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी रोग जैसे एग्जिमा और सोराइसिस दूर किए जा सकते हैं। इसे खून की कमी, पीलिया और कुष्ठ रोगों के इलाज में भी कारगर माना जाता है।

गिलोय के औषधीय गुण:Giloy ke fayde 

गिलोय आयुर्वेद ग्रंथ में सबसे उत्तम मानी जाती है. इसकी पत्तियां, जडें और तना तीनो ही भाग सेहत के लिए गुणकारी हैं. परंतु बिमारियों में गिलोय के डंठल का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है.
गिलोय में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट , एंटी इंफ्लेमेटरी और कैंसर नाशक तत्व मौजूद होते हैं जोकि हमे कब्ज़, डायबिटीज़, अपच, मूत्र संबंधी रोगों से छुटकारा दिलवाते हैं.
गिलोय में मौजूद औषधीय गुण वात, पित्त और कफ़ तीनो की रोकथाम करते हैं.
गिलोय की बेल में टोक्सिन मौजूद होते हैं जोकि ज़हरीले तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में सहायक हैं.

गिलोय के फायदे:Giloy ke fayde 

गिलोय के औषधीय गुण और फायदों के चलते ही इसका इस्तेमाल कईं तरह की दवाइयों में किया जाता है. गिलोय के फायदे निम्नलिखित हैं-

पेशाब में रुकावट

यदि आपको पेशाब आने में किसी प्रकार की रुकावट या दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है तो गिलोय के औषधीय गुण आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं. इसके लिए पीड़ित व्यक्ति को 10 से 20 ग्राम गिलोय के रस में 1 चम्मच शहद मिला कर दिन में तीन से चार बार चाटने को दें. इससे पेशाब संबंधित सभी रोग जड़ से मिट जाते हैं.

नेत्र रोग

आँखों से संबंधित रोगों के लिए गिलोय के औषधीय गुण प्रभावी हैं. इसके लिए मरीज़ को नियमित रूप से 11.5 ग्राम गिलोय के रस में 1 ग्राम सेंध नामक म्क्ला कर दें इससे आपके सभी प्रकार के नेत्र रोग नष्ट हो जाएंगे और साथ ही आँखों की रौशनी में बढ़ावा होगा.

दस्त के लिए

दस्त के लिए गिलोय के औषधीय गुण लाभकारी हैं. इसके लिए दस्त ग्रसित व्यक्ति को 10 से 15 ग्राम गिलोय के रस में 4 से 6 ग्राम मिश्री मिला कर सुबह शाम दें. ऐसा करने के कुछ ही समय में आपको लाभ अनुभव होगा
स्वास्थ्य के लिए गिलॉय के लाभ

 प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा:Giloy ke fayde 

गिलॉय प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने का कार्य करता है। इस आश्चर्यजनक जड़ी बूटी में कायाकल्प करने के भी गुण होते हैं| इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण जिगर और गुर्दों से विषैले पदार्थों को हटाने में मदद करते हैं। इसकी एंटी बैक्टीरियल गुण जिगर और मूत्र पथ की समस्याओं से लड़ने में सहायक होते हैं।

 लंबे बुखार और खांसी में सहायक:Giloy ke fayde 

गिलॉय प्रकृति में एंटी-पायरेटिक होने के वजह से रक्त की मात्रा को बढ़ाता है और डेंगू के से भी लड़ता है। गिलॉय का उपयोग पीलिया के लक्षणों से भी राहत दिलाने में सहायक है। यह जड़ी बूटी फेफड़ों को साफ़ करके खांसी और यहां तक ​​कि अस्थमा में भी आराम दिलाती है। शहद के साथ गिलॉय मिलाकर पीने से मलेरिया का इलाज भी हो सकता है|

 पाचन तंत्र का इलाज

पाचन प्रणाली के इलाज में गिलॉय घरेलू इलाज़ के रूप में उपयोग किया जा सकता है। गिलॉय का रस मक्खन के साथ लेने से बवासीर का इलाज़ किया जा सकता है।
शरीर में पाचनतंत्र को सुधारने में गिलोय काफी मददगार होता है। गिलोय के चूर्ण को आंवला चूर्ण या मुरब्बे के साथ खाने से गैस में फायदा होता है। गिलोय के ज्यूस को छाछ के साथ मिलाकर पीने से अपाचन की समस्या दूर होती है साथ ही साथ बवासीर से भी छुटकारा मिलता है।
*गिलोय में शरीर में शुगर और लिपिड के स्तर को कम करने का खास गुण होता है। इसके इस गुण के कारण यह डायबीटिज टाइप 2 के उपचार में बहुत कारगर है।
*गिलोय एडाप्टोजेनिक हर्ब है अत:मानसिक दवाब और चिंता को दूर करने के लिए उपयोग अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय चूर्ण को अश्वगंधा और शतावरी के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। इसमें याददाश्त बढ़ाने का गुण होता है। यह शरीर और दिमाग पर उम्र बढ़ने के प्रभाव की गति को कम करता है।


मधुमेह का इलाज

गिलॉय हाइपोग्लाइकेमिक एजेंट है जो रक्तचाप और लिपिड के स्तर को कम करके टाइप 2 डायबिटीज के उपचार के लिए भी उपयोगी है।

 तनाव कम करे

गिलॉय को अन्य जड़ी बूटियों के साथ मिलाकर एक स्वास्थ्य टॉनिक बनाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। गिलॉय के एडाप्टोजेनिक गुण इसको एक उचक स्तरीय तनाव और चिंता हरण करने वाला बनाते हैं| यह दिमाग को एक सुखद और शांत प्रभाव देने के साथ साथ दिमाग की कोशिकाओं को मुक्त कणों की वजह से हुई क्षति से भी बचाता है।

संधिशोथ का इलाज

गिलॉय में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी-पायरेटिक गुण होते हैं जो गठिया के विभिन्न लक्षणों जैसे जोड़ों के दर्द के इलाज में मदद करते हैं।
एफ़्रोडायसियक की तरह काम करे
गिलॉय में कामेच्छा बढ़ाने के गुण होते हैं जो यौन जीवन को बढ़ा देते हैं।

 आँखों की समस्याओं का इलाज

गिलॉय नज़र की स्पष्टता को बढ़ाकर चश्मे से छुटकारा पाने में भी मदद करता हैं। बस थोड़े से पानी में इसको उबाल लें| इस मिश्रण को ठंडा होने दे और अपनी आँखों पर चारों और लगा लें|

एलर्जिक राइनाइटिस का इलाज

एलर्जिक राइनाइटिस एक ऐसी अवस्था है जिसमे बहता हुआ नाक, छींकना, नाक बंद होना, लाल और पानी से भरी आँखें आदि लक्ष्ण होते हैं जोकि धूल, प्रदूषण, पराग, घास, जैसे विभिन्न पदार्थों की एलर्जी की वजह से होते हैं| इस तरह के लक्षणों को दूर करने के लिए गिलॉय टेबलेट्स के रूप में लेना बहुत प्रभावी होता है।

गिलॉय त्वचा पर कैसे लगायें?

*सूजन कम करने के गुण के कारण, यह गठिया और आर्थेराइटिस से बचाव में अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय के पाउडर को सौंठ की समान मात्रा और गुगुल के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से इन बीमारियों में काफी लाभ मिलता है। इसी प्रकार अगर ताजी पत्तियां या तना उपलब्ध हों तो इनका ज्यूस पीने से भी आराम होता है।
आयुर्वेद के हिसाब से गिलोय रसायन यानी ताजगी लाने वाले तत्व के रुप में कार्य करता है। इससे इम्यूनिटी सिस्टम में सुधार आता है और शरीर में अतिआवश्यक सफेद सेल्स की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। यह शरीर के भीतर सफाई करके लीवर और किडनी के कार्य को सुचारु बनाता है। यह शरीर को बैक्टिरिया जनित रोगों से सुरक्षित रखता है। इसका उपयोग सेक्स संबंधी रोगों के इलाज में भी किया जाता है।
लंबे समय से चलने वाले बुखार के इलाज में गिलोय काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाता है जिससे यह डेंगू तथा स्वाइन फ्लू के निदान में बहुत कारगर है। इसके दैनिक इस्तेमाल से मलेरिया से बचा जा सकता है। गिलोय के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल करना चाहिए।


घावों और कटने का उपचार

गिलॉय की पत्तियों का एक पेस्ट बनाइए|
एक पैन में गिलॉय पेस्ट के साथ अरंडी का तेल या नीम का तेल मिलाएं|
इस मिश्रण को कुछ मिनटों के लिए पकाइए|
इस मिश्रण को ठंडा कर लें|
इसे घाव पर लगायें और घाव को एक पट्टी के साथ बाँध दें|

गिलॉय का उपयोग कैसे करें?:Giloy ke fayde 

इसे एक कप पानी में गिलॉय का सूखे हुए तने का पाउडर लगभग 1 चम्मच की मात्रा में मिलाएं|
मिश्रण को उबालकर आधे से भी कम कर लें|
इस मिश्रण को छाने|
प्रतिदिन एक बार इस मिश्रण का उपयोग भोजन लेने से पहले करें|
गिलॉय सेवन करने के लिए कैप्सूल और गोलियों भी बाजार में उपलब्ध है।

साइड इफेक्ट्स और बचाव

हलांकि गिलॉय का उपयोग मधुमेह के इलाज के लिए किया जाता है, लेकिन यह ग्लूकोज के स्तर को इतना कम कर देता है कि अन्य दवाओं के साथ इसे लेना खतरनाक हो सकता है|
गर्भावस्था के दौरान गिलॉय का सेवन करना निषेध है|

28.6.19

तिल खाने के स्वास्थ्य लाभ एवं औषधीय गुण:benefits of sesame





तिल का सेवन करना सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता हैं। आयुर्वेद के अनुसार तिल बलवर्धक होता हैं। इसका सर्दी के मौसम में सेवन विशेष लाभकारी माना जाता हैं। तिल में पोषक तत्वों का खजाना हैं। इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी पाया जाता हैं जिसके कारण यह भूख बढाता हैं भोजन को भली भाति हज़म करता हैं तन्त्रिका तंत्र को बल प्रदान करता हैं।

आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञानं के अनुसार तिल स्निग्ध, मधुर और उष्ण होने से वात का शमन करता हैं यह कफ़ और पित्त को नष्ट करता हैं। बालों के लिए इसका तेल बहुत अच्छा होता हैं जाड़ों के दिनों में इसके तेल कि मालिश बहुत अच्छी रहती हैं। आयुर्वेद के अनुसार तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से बुढ़ापा, थकावट दूर होती हैं द्रष्टि बढती हैं, प्रसन्नता, पुष्टता और आयु, निद्रा में वृद्धि होती हैं यह त्वचा की सुन्दरता बढ़ाने तथा रूखापन दूर करने में उपयोगी हैं। सर्दी के दिनों में इसका नित्य उपयोग तिल्कूटा, चटनी, लड्डू, तिलपट्टी गजक के रूप में किया जाता हैं।
तिल तीन प्रकार के होते हैं काले सफ़ेद और लाल। काले तिल सर्वोत्तम और बल वीर्यवर्धक होते हैं सफ़ेद तिल मध्यम और लाल तिल हीन गुण वाले होते हैं। काले तिल तंत्र-मंत्र, हवं पूजा आदि धार्मिक कार्यों के साथ साथ औषधीय कार्यों में भी उपयोगी होते हैं।

तिल खाने के फायदे:
Health benefits of  sesame

1. फटी एड़ि‍यों में तिल का तेल गर्म करके, उसमें सेंधा नमक और मोम मिलाकर लगाने से एड़ि‍यां जल्दी ठीक होने के साथ ही नर्म व मुलायम हो जाती है।
2. मुंह में छाले होने पर, तिल के तेल में सेंधा नमक मिलाकर लगाने पर छाले ठीक होने लगते हैं।
3. तिल को कूटकर खाने से कब्ज की समस्या नहीं होती, साथ ही काले तिल को चबाकर खाने के बाद ठंडा पानी पीने से बवासीर में लाभ होता है। इससे पुराना बवासीर भी ठीक हो जाता है।
4. शरीर के किसी भी अंग की त्वचा के जल जाने पर, तिल को पीसकर घी और कपूर के साथ लगाने पर आराम मिलता है, और घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है।

Health benefits of  sesame

5. सूखी खांसी होने पर तिल को मिश्री व पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। इसके अलावा तिल के तेल को लहसुन के साथ गर्म करके, गुनगुने रूप में कान में डालने पर कान के दर्द में आराम मिलता है।
6. सर्दियों में तिल का सेवन शरीर में उर्जा का संचार करता है, और इसके तेल की मालिश से दर्द में राहत मिलती है।
7. तिल, दांतों के लिए भी फायदेमंद है। सुबह शाम ब्रश करने के बाद तिल को चबाने से दांत मजबूत होते हैं, साथ ही यह कैल्शियम की आपूर्ति भी करता है।

8. तिल का प्रयोग मानसिक दुर्बलता को कम करता है, जिससे आप तनाव, डिप्रेशन से मुक्त रहते हैं। प्रतिदिन थोड़ी मात्रा में तिल का सेवन कर आप मानसिक समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
9. तिल का प्रयोग बालों के लिए वरदान साबित हो सकता है। तिल के तेल का प्रयोग या फिर प्रतिदिन थोड़ी मात्रा में तिल को खाने से, बालों का असमय पकना और झड़ना बंद हो जाता है

Health benefits of  sesame

10.तिल का उपयोग चेहरे पर निखार के लिए भी किया जाता है। तिल को दूध में भिगोकर उसका पेस्ट चेहरे पर लगाने से चेहरे पर प्राकृतिक चमक आती है, और रंग भी निखरता है। इसके अलावा तिल के तेल की मालिश करने से भी त्वचा कांतिमय हे जाती है।

11.हृहय की मांसपेशि‍यों के लिए-तिल में कई तरह के लवण जैसे कैल्श‍ियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम होते हैं जो हृदय की मांसपेशि‍यों को सक्रिय रूप से काम करने में मदद करते हैं.
12.आयुर्वेद में तिल को गर्म प्रकृति का , गैस मिटाने वाला तथा दिमाग और हृदय को ताकत देने वाला बताया गया है। यह मूत्राशय और प्रजनन अंगों को स्वस्थ करता है। Til के तेल में पॉलीअनसेचुरेटेड तथा मोनोअनसेचुरेटेड फैटी एसिड होते है जो हृदय के लिए लाभदायक होते है।
13.तिल के उपयोग का एक आसान तरीका यह भी है कि इसे तवे पर भून लें। इसमें थोड़ा सा नमक डालकर कूट लें। इसे सुबह शाम गरम पानी के साथ एक एक चम्मच फांक लें। इस तरह कुछ दिन लेने से शारीरिक कमजोरी , सिरदर्द , बदन दर्द आदि दूर होते है।
14.इसमें कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले फीटोस्टेरोल की मात्रा सभी मेवे , फलियां या अनाज से अधिक पाई जाती है। फीटोस्टेरोल की वजह से आंतें कोलेस्ट्रॉल का अवशोषण नहीं कर पाती। तिल के छिलकों में कैल्शियम , फाइबर , पोटेशियम तथा आयरन अधिक मात्रा में होता है। अतः इसे छिलके सहित काम में लेना अधिक फायदेमन्द होता है।
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ईसबगोल की भूसी के फायदे Isabgol husk





आयुर्वेद के अनुसार ईसबगोल मधुर, शीतल, स्निग्ध, चिकनी, मृदु, विपाक में मधुर, कफ व पित्त नाशक, पौष्टिक कसैली, थोड़ी वातकारक, रक्तपित्त व रक्तातिसार नाशक, कब्ज दूर करने वाली, अतिसार, पेचिश में लाभप्रद, श्वास व कास में गुणकारी, मूत्र रोग में लाभकारी है.
यूनानी मतानुसार, इसकी बीज शीतल एवं शांति दायक होते हैं. जीर्ण रक्तातिसार, अंतड़ियों की पीड़ा, कब्ज, मरोड़, अतिसार, पेचिस आंतों के व्रण, दमे की बीमारी, पित्त संबंधी विकार, ठंड और कफ की बीमारियों में भी लाभदायक है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, ईसबगोल की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर यह पता चलता है कि इसके बीजों में 30% म्युसिलेज होता है जो Xylose, Arabinose और Galecturonic Acid से बना होता है. इसके अलावा म्युसिलेज में एक स्थिर तेल Aucubin 5% होता है. थोड़ी मात्रा में इसमें रह रैमनोज और गैलेक्टोज भी पाए जाते हैं. बीज मज्जा में कोलेस्ट्रॉल घटाने की छमता वाला 17.7 प्रतिशत लिनोलिक एसिड बहुल तेल होता है. एक भाग बीच में इतना म्युसिलेज होता है कि वह 20 भाग के जल में थोड़ी ही देर में जेली बना लेता है.बाजार में औषधि‍ के रूप में मिलने वाले ईसबगोल का उपयोग आपने कभी किया हो या न किया हो। लेकिन इसके गुणों को जानना आपके लिए बेहद फायदे का सौदा साबित हो सकता है। यदि‍ आप सोच रहे हैं कि वह कैसे, तो जरूर पढ़ें नीचे दिए गए ईसबगोल के उपाय -


1. डाइबिटीज - 
ईसबगोल का पानी के साथ सेवन, रक्त में बढ़ी हुई शर्करा को कम करने में मदद करता है।
2.अतिसार -
 पेट दर्द, आंव, दस्त व खूनी अतिसार में भी ईसबगोल बहुत जल्दी असर करता है, और आपकी तकलीफ को कम कर देता है ।
3.पाचन तंत्र - 
यदि आपको पाचन संबंधित समस्या बनी रहती है, तो ईसबगोल आपको इस समस्या से निजात दिलाता है। प्रतिदिन भोजन के पहले गर्म दूध के साथ ईसबगोल का सेवन पाचन तंत्र को दुरूस्त करता है।
4. जोड़ों में दर्द - 
जोड़ों में दर्द होने पर ईसबगोल का सेवन राहत देता है। इसके अलावा दांत दर्द में भी यह उपयोगी है। वि‍नेगर के साथ इसे दांत पर लगाने से दर्द ठीक हो जाता है।
5.वजन कम करे -
वजन कम करने के लिए भी फाइबर युक्त ईसबगोल उपयोगी है। इसके अलावा यह हृदय को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है।
6. सर दर्द -
ईसबगोल का सेवन सि‍रदर्द के लिए भी उपयोगी है। नीलगिरी के पत्तों के साथ इसका लेप दर्द से राहत देता है, साथ ही प्याज के रस के साथ इसके उपयोग से कान का दर्द भी ठीक होता है।
7.सांस की दुर्गन्ध
ईसबगोल के प्रयोग से सांस की दुर्गन्ध से बचाता है, इसके अलावा खाने में गलती से कांच या कोई और चीज पेट में चली जाए, तो ईसबगोल सकी मदद से वह बाहर निकलने में आसानी होती है।
8.कफ - 
कफ जमा होने एवं तकलीफ होने पर ईसबगोल का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे कफ निकलने में आसानी होती है।
9. नकसीर -
नाक में से खून आने पर ईसबगोल और सिरके का सर पर लेप करना, फायदेमंद होता है।
10. बवासीर -
 खूनी बवासीर में अत्यंत लाभकारी ईसबगोल का प्रतिदिन सेवन आपकी इस समस्या को पूरी तरह से खत्म कर सकता है। पानी में भि‍गोकर इसका सेवन करना लाभदायक है।
11.आंव
एक कप गरम दूध में एक चम्मच ईसबगोल डालें, फूलने पर रात्रि में सेवन करें | सुबह एक कप दही में एक चम्मच इसबगोल डालकर अच्छी तरह फुल जाने दें | अब इसमें इच्छानुसार थोड़ा जीरा , नमक और सौंठ मिलाकर लगातार तीन दिन तक सेवन करने से आंव आने की समस्या खत्म हो जाती है |
12.मुंह के छालों में फायदे
एक गिलास पानी में एक चम्मच इसबगोल भिगोकर दो घंटे बाद कुल्ला करने से आराम महसूस होता है | इसका चिकना गुण मुंह के छालों में आराम पहुंचता है |
13.पेट में मरोड़ या एंठन –
 ताजा दही या छाछ में एक चम्मच ईसबगोल की भूसी मिलाकर सेवन करने से पेट में उठने वाली मरोड़ एवं एंठन से आराम मिलता है | यह प्रयोग दिन में तीन या चार बार तक किया जा सकता है 
14.संग्रहणी रोग में फायदे
हरा बेलपत्र और ईसबगोल दोनों को सामान मात्रा में मिलाकर पिसलें | दो चम्मच की मात्रा गुनगुने दूध में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने करें | यह प्रयोग कम से कम एक सप्ताह तक करें | काफी आराम मिलता है |
15.पेशाब में जलन – 
एक गिलास पानी में 2 चम्मच इसबगोल मिलाकर और साथ में स्वाद के अनुसार चीनी मिलाकर पिने से पेशाब में जलन की समस्या खत्म हो जाती है |
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20.6.19

सर्दी,जुकाम,खांसी के असरदार उपचार / cold and cough





सर्दी जुकाम और खांसी cold and cough बरसात और ठंड के मौसम में सामान्‍य समस्‍या होती है। लेकिन सर्दी जुकाम आपको बहुत ही परेशानी में डाल सकता है। सामान्‍य सर्दी की वजह से जब आपको खांसी या बुखार होता है और आप घर पर ही बिस्‍तर पर आराम  करते हैं तो यह आपके लिए सुखद अनुभव नहीं होता है। इस स्थिति में सिर दर्द, बदन दर्द, बुखार, सर्दी, नाक का बहना आदि असुविधाजनक घटनाएं आपके साथ घटित होती हैं। आप इनका इलाज भी करा सकते हैं, लेकिन आपके लिए अच्‍छी बात यह है कि इस सामान्‍य समस्‍या का उपचार आप अपने घर पर ही कुछ घरेलू उपायों के माध्‍यम से कर सकते हैं। आइए जाने सर्दी-खांसी-जुकाम के घरेलू इलाज के बारे में।

सर्दी जुकाम cold and cough का आयुर्वेदिक उपचार है लहसुन

एलिसिन नामक यौगिक की अच्‍छी मात्रा लहसुन में पाई जाती है जिसमें एंटीमाइक्रोबायल गुण होते हैं। आप अपने आहार में लहसून का उपयोग करके सर्दी के लक्षणों को दूर कर सकते हैं। कुछ अध्‍ययन बताते हैं कि यदि लहसुन का नियमित रूप से सेवन किया जाता है तो यह सर्दी जुकाम के प्रारंभिक या शुरुआती दौर में ही इसे रोकने में मदद करते हैं। लहसुन प्रकृति में गर्म होता है जो कि आपके शरीर को पर्याप्‍त गर्मी और पोषक तत्‍व उपलब्‍ध कराने में मदद करता है। इस तरह से आप सर्दी और जुकाम आदि के लक्षणों से बचने के लिए लहसुन का उपयोग कर सकते हैं। लहसुन को सर्दी जुकाम की आयुर्वेदिक दवा के रूप भी जाना जाता है।

सर्दी जुकाम cold and cough  की घरेलू दवा दूध और हल्‍दी

रसोई घर में उपलब्‍ध सबसे सामान्‍य मसाला हल्‍दी जिसका उपयोग हम अपने भोजन को स्‍वादिष्‍ट बनाने के लिए करते हैं। हल्‍दी में एंटीऑक्‍सीडेंट बहुत अच्‍छी मात्रा में होते हैं जो कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को हल करने में हमारी मदद करते हैं। यदि सर्दी जुकाम से जल्‍दी राहत पाना है तो आपको हल्‍दी और दूध का इस्‍तेमाल करना चाहिए। दूध और हल्‍दी सर्दी जुकाम का सबसे प्रभावी और उपयोगी घरेलू उपचारों में से एक है। आप रात में सोने से पहले 1 गिलास गुनगुने दूध में 1 छोटा चम्‍मच हल्‍दी मिलाकर सेवन करें। यह सर्दी जुकाम से राहत पाने का सबसे अच्‍छा तरीका हो सकता है।

खांसी जुकाम cold and cough के घरेलू नुस्खे में करें नमक और पानी से गरारे

पानी में नमक मिलाकर गरारे करने से आपको गले की खरास से राहत मिल सकती है। नमक वाला पानी सर्दी के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। पानी के साथ नमक का उपयोग करने से यह कफ की मात्रा को कम कर सकता है जिसमें बैक्‍टीरिया होते हैं। इस उपाय को अजमाने के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्‍मच नमक डालें और फिर इस पानी से गरारे  करें। यह सर्दी के कारण होने वाले आपके गले के दर्द, और खरास आदि का प्रभावी तरीके से इलाज कर सकता है।

पुराने जुकाम का इलाज है हनी और ब्रांडी

आपने बुर्जुगों से सुना होगा कि ब्रांडी का उपयोग सीने को गर्म रखने के लिए उपयोग किया जाता है। ब्रांडी का उपयोग करने से शरीर के तापमान को बढ़ाया जाता है। यदि ब्रांडी में शहद को मिलाकर सेवन किया जाए तो यह सर्दी के दौरान होने वाली खांसी को कम करने में मदद करती है। इसके लिए आपको ब्रांडी की एक बोलत पीने की आवश्‍यकता नहीं है। आप केवल 1 चम्‍मच ब्रांडी में कुछ बूंदे शहद की मिला सकते हैं और इसका सेवन कर सकते हैं। यह आपको सर्दी और खांसी दोनों से राहत दिलाने में मदद करती है।

सर्दी जुकाम cold and cough का आयुर्वेदिक उपचार है मसालेदार चाय

आप सर्दी जुकाम के दौरान अपनी सामान्‍य चाय को और अधिक स्‍वादिष्‍ट और प्रभावी बनाने के लिए इसे मसालेदार बना सकते हैं। इस प्रकार की चाय आपकी सर्दी को मिटाने में बहुत ही प्रभावी होती है। आप अपनी चाय बनाते समय इसमें तुलसी, अदरक और काली मिर्चको मिला सकते हैं जो आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। ये तीनों मसाले  आपकी सामन्‍य सर्दी और जुकाम को दूर करने वाले औषधीय गुणों से भरपूर होती है।
जुकाम के घरेलू उपचार के लिए पीये गर्म पानी

सामान्‍य शीत और गले की खरास के लिए आप गुनगुने पानी का उपयोग कर सकते हैं। गर्म पानी का उपयोग करने से गले की सूजन को कम करने में मदद मिलती है। इसका एक और फायदा यह है कि गर्म पानी पीने से या गरारे करने से आपके गले और मुंह में मौजूद बैक्‍टीरिया की सफाई की जा सकती है। इसलिए सर्दी के दौरान हमेशा गुनगुना पानी  पीने की सलाह दी जाती है।

सर्दी जुकाम cold and cough  बुखार का घरेलू उपचार विटामिन सी

आपके शरीर के अच्‍छे विकास के लिए विटामिन सी बहुत ही महत्‍वपूर्ण होता है, इसके बहुत से स्‍वास्‍थ्‍य लाभ जिनमें सर्दी जुकाम भी शामिल हैं। संतरा, नींबू, अंगूर, पत्‍तेदार सब्जियां और अन्‍य फलों से विटामिन सी (vitamin C) की अच्‍छी मात्रा प्राप्‍त की जा सकती है। गर्म चाय में नींबू का रस और शहद मिलाकर सेवन करने से यह सर्दी के दौरान कफ को कम करने में मदद करता है। हालांकि इस तरह के विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन करने पर यह पूरी तरह से सर्दी को ठीक नहीं करता है लेकिन वे आपको पर्याप्‍त विटामिन सी उपलब्‍ध करा सकते हैं जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं। विटामिन सी का उपयोग कर सर्दी से संबंधित संक्रमणों से भी बच सकते हैं।

सर्दी जुकाम cold and cough के घरेलू नुस्खे में करें चिकिन सूप का सेवन

यदि आप समझ रहे है कि चिकिन सूप का उपयोग हमेशा ही किसी दवा के रूप में उपयोग किया जा सकता है तो यह गलत है। लेकिन यदि आप सामान्‍य सर्दी या जुकाम से पीड़ित हैं तो यह आपके लिए अच्‍छा विकल्‍प हो सकता है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि सब्जियों के साथ चिकिन सूप का सेवन करने से आपके शरीर को गर्मी प्रदान करता है और यह आपके शरीर में न्‍यूट्रोफिल की गति को धीमा कर सकता है जिससे यह प्रभावित क्षेत्र में अधिक समय तक ठहरता है और आपकी उपचार प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद करता है।
न्‍युट्रोफिल सफेद रक्‍त कोशिकाओं का एक प्रकार है जो आपके शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करता है। अध्‍ययनों में पाया गया कि चिकिन सूप विशेष रूप से ऊपरी श्‍वसन संक्रमण के लक्षणों को कम करने में प्रभावी होता है। कम सोडियम सूप भी पोषण दिलाने में मदद करते हैं और आपको हाइड्रेट रखने में सहायक होते हैं।

गर्मी के जुकाम का इलाज है आंवला –

एक बहुत ही शक्तिशाली इम्यूनो मॉड्यूलेटर होने के कारण आंवला कई बीमारियों से हमारे शरीर की रक्षा करता है। नियमित रूप से आंवला का सेवन करने से बहुत से स्‍वास्‍थ्‍य लाभ प्राप्‍त हो सकते हैं। सामान्‍य मौसम में बदलाव या गर्मी के जुकाम को ठीक करने का सबसे अच्‍छा उपाय आंवला के रूप में मौजूद है। आवंला का सेवन करने से यह यकृत की उचित कार्यप्रणाली सुनिश्चित करता है और रक्‍त परिसंचरण में सुधार करता है। इसलिए आप गर्मी के जुकाम का उपचार करने के लिए आंवले का फायदेमंद उपयोग कर सकते हैं।

सर्दी का घरेलू इलाज है अदरक और नमक :cold and cough

आप सोच रहे होगें कि एक अदरक कितने प्रकार से सर्दी का उपचार कर सकता है। लेकिन यह ऐसी जड़ी बूटी  है कि यह कई प्रकार से हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद होती है। आप यदि अदरक की चाय  का सेवन नहीं करना चाहते हैं तो आप अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें और इसमें अपने स्‍वादानुसार नमक मिलाएं। गले की खरास, सर्दी और खांसी से बचने के लिए आप अदरक के इन टुकड़ों को मुंह में लें और चबाएं। यह आपके गले को राहत देगा और आपकी सर्दी का उपचार भी करेगा।

पुराने जुकाम का इलाज है अदरक की चाय:cold and cough

यह आयुर्वेद की सबसे ज्‍यादा शक्तिशाली जड़ी बूटीयों में से एक है। इसमें एंटीवायरल  गुण अच्‍छी मात्रा में होते हैं जो पर्याप्‍त मात्रा में सेवन करने पर सर्दी के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं। इसके लिए आप अदरक को कच्‍चा ही खा सकते हैं लेकिन अदरक की चाय ज्‍यादा सुविधाजनक और फायदेमंद होती है। इसके लिए आप अदरक का पेस्‍ट बनाकर इसका रस निकालकर इसमें नींबू का रस और शहद  को मिलाकर चाय तैयार करें। यह आपकी सर्दी को रोकने में आपकी मदद करती है।

सर्दी जुकाम की घरेलू दवा है शहद:cold and cough

कच्‍चा शहद (Unpasteurized) में एंटीमाइक्रोबायल और एंटीऑक्‍सीडेंट गुण अच्‍छी मात्रा में मौजूद रहते हैं। शहद के ये गुण प्रतिरक्षा को बढाते हैं और खांसी के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। कच्‍चे शहद का उपयोग विशेष रूप से 6 वर्ष की आयु से छोटे बच्‍चों के लिए बहुत ही प्रभावी होता है। लेकिन कुछ जानकार सलाह देते हैं कि 1 वर्ष से कम आयु वाले बच्‍चों को शहद (Honey) का सेवन नहीं कराया जाना चाहिए। यदि आप सर्दी जुकाम के दौरान शहद का उपयोग करते हैं और इससे आपको आराम नहीं मिलता है तो आपको डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए। लेकिन आयुर्वेद में ऐसा माना जाता है कि यदि नियमित रूप से शहद का सेवन किया जाए तो यह सर्दी, खांसी जैसी सामान्‍य समस्‍याओं से छुटकारा दिला सकता है।

सर्दी जुकाम की घरेलू दवा अलसी के बीज :cold and cough

सामान्‍य सर्दी और खांसी को ठीक करने के लिए अलसी के बीज (Flax seeds) एक प्रभावी उपाय हैं। इसके लिए आप थोड़े से अलसी के बीजों को पानी में उबालें जब तक की मिश्रण गाढ़ा ना हो जाये। जब अच्‍छी तरह से अलसी बीज उबल जाएं तो आप इसे ठंडा करके इसमें नींबू का रस और शहद की कुछ बूंदे मिलाएं। इस मिश्रण को अच्‍छी तरह से मिलाने के बाद आप इसका सेवन कर सकते हैं। यह आपको सर्दी जुकाम से राहत दिलाने का सबसे अच्‍छा घरेलू उपाय है।

भाप का प्रयोग

आप सर्दी के कारण अपनी बंद नाक को साफ करने के लिए अपने चेहरे को एक गर्म पानी से भरे बर्तन के ऊपर ले जाएं और इससे निकलने वाली भाप से धीरे-धीरे सांस लें इससे आपकी बंद नाक साफ होगी और आपको सर्दी से राहत भी मिल सकती है।











    14.6.19

    चुकंदर एक फायदे अनेक /Beetroot Benefits



    अपने गहरे लाल रंग के लिए लोकप्रिय चुकंदर Beetroot स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ानी हो या सौंदर्यता बरकरार रखनी हो, चुकंदर हर तरीके से फायदा पहुंचाता है। यह जीनस बीटा वल्गेरिस की किस्मों में से एक है और पौधे का जड़ वाला हिस्सा होता है। इसका सेवन अक्सर सलाद और जूस के रूप में किया जाता है।

    भोजन के साथ सलाद के तौर पर सेवन करने के अलावा चुकंदर Beetroot  का प्रयोग औषधि और फूड कलर के रूप में भी किया जाता है। इसका रंग इतना गहरा होता है कि सेवन करने के बाद जीभ भी लाल रंग की नजर आती है। विभिन्न भाषाओं में इसके अलग-अलग नाम हैं, जैसे अंग्रेजी में बीटरूट, स्पेनिश में ला रेमोलाचा (la remolacha) और चीनी भाषा में हांग कै टू (Hong cai tou)। इस लेख में हम चुकंदर के विभिन्न शारीरिक फायदों और इसे इस्तेमाल करने के तरीकों को बारे में विस्तार से बताएंगे।
    *डायबिटीज एक वैश्विक बीमारी है, जो शरीर में इंसुलिन की कमी के कारण होती है, और सही समय पर रोकथाम के अभाव में इसके परिणाम घातक भी हो सकते हैं। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के मुताबिक 2012 तक दुनिया भर में मधुमेह से प्रभावित लोगों की संख्या 382 मिलियन थी और ऐसा माना जा रहा है, कि 2035 तक यह आंकड़ा 592 मिलियन तक पहुंच जाएगा । ऐसे में आपका सावधान रहना बेहद जरूरी है।चकुंदर खाने के फायदों में मधुमेह पर नियंत्रण भी शामिल है। डायबिटीज के प्राकृतिक इलाज के रूप में आप चुकंदर Beetroot का सेवन कर सकते हैं। यह एक गुणकारी खाद्य पदार्थ है। रोजाना इसका सेवन करने से रक्त शर्करा संतुलित हो जाती है। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह काफी फायदेमंद हो सकता है। चुकंदर, फाइटोकेमिकल्स और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले बायोएक्टिव यौगिक जैसे पॉलीफेनोल्स, फ्लेवोनोइड्स और एंथोकायनिन का एक बड़ा स्रोत है। ये सभी तत्व मधुमेह के स्तर को कम करने का काम करते हैं।

    *हृदय स्वास्थ्य:Beetroot Benefits

    हृदय को ठीक रखने के लिए भी चुकंदर के कई फायदे हैं। शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है हृदय, जिसका स्वस्थ रहना हर हाल में जरूरी है। इससे जुड़ी कोई भी तकलीफ मौत का कारण सकती है। चुकंदर का रोजाना सेवन हृदय को स्वस्थ रखने का काम करता है। इसमें मौजूद नाइट्रेट तत्व रक्तचाप को सामान्य कर हृदय रोगों और हृदयाघात से बचाता है । एक अध्ययन के अनुसार, बीटरूट मायोकार्डियल इन्फार्कशन से बचाता है । चुकंदर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और हृदय रोग से जुड़े इंफ्लेमेशन को कम करने का काम करता है । इसमें मौजूद जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स हृदय को स्वस्थ रखते हैं। दिल के रोगों से बचने के लिए आप चुकंदर का सेवन रोजाना कर सकते हैं।

    *उच्च रक्तचाप :Beetroot Benefits

    एक गंभीर शारीरिक समस्या है, जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव सामान्य से अधिक बढ़ जाता है । स्ट्रोक, हृदय रोग, आंखों की समस्या, किडनी खराब होना आदि हाई ब्लड प्रेशर के घातक परिणाम हो सकते हैं। सही स्वास्थ्य के लिए धमनियों में रक्त का प्रवाह सामान्य रहना बहुत जरूरी है। उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के कई आधुनिक उपाय मौजूद हैं, लेकिन अगर आप प्राकृतिक उपचार की खोज में हैं, तो आप चुकंदर का सेवन कर सकते हैं। बीट रूट में नाइट्रेट नामक तत्व पाया जाता है , जो हाई बीपी को कम करने का काम करता है। उच्च रक्तचाप के देसी उपचार के रूप में आप रोजाना चुकंदर का जूस या इसे सलाद के रूप में ले सकते हैं।
    *कैंसर मानव शरीर में कहीं भी हो सकता है, जो खरबों कोशिकाओं से बना होता है। आमतौर पर कोशिकाएं विकसित होती हैं और नई कोशिकाओं को बनाने के लिए विभाजित होती हैं, क्योंकि शरीर को उनकी आवश्यकता होती है। वहीं, जब कोशिकाएं पुरानी हो जाती हैं या क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो उनकी जगह नई कोशिकाएं विकसित होती हैं, लेकिन जब कैंसर होता है, तो यह प्रक्रिया टूट जाती है ।
    कैंसर से बचने के लिए आप चुकंदर का सेवन कर सकते हैं। चुकंदर एक गुणकारी खाद्य पदार्थ है, जो आपको कर्करोग जैसी घातक बीमारी से बचा सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि बीटरूट फेफड़ाें और स्किन कैंसर को शरीर में विकसित होने से रोकता है । एक अन्य अध्ययन में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि गाजर और चुकंदर का जूस एक साथ मिलाकर पीने से शरीर में ब्लड कैंसर की आशंका को खत्म किया जा सकता है

    *एनीमिया:Beetroot Benefits

    हीमोग्लोबिन एक आयरन युक्त प्रोटीन है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को फेफड़ों से ऑक्सीजन को शरीर के बाकी हिस्सों तक ले जाने में मदद करता है। अगर आपको एनीमिया है, तो शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त रक्त मिलने में कमी होने लगती है। परिणामस्वरूप आपको थकान या कमजोरी महसूस हो सकती है। आपको सांस की तकलीफ, चक्कर आना या सिरदर्द हो सकता है। चुकंदर आयरन से भरपूर होता हैं, जो शरीर में आयरन की आपूर्ति करने का काम करता है। इसके सेवन से एनीमिया में धीरे-धीरे सुधार होने लगता है। भविष्य में एनीमिया के डर से बचने के लिए आप रोजाना थोड़ी मात्रा में चुकंदर का सेवन कर सकते हैं।

    *पाचन क्रिया:Beetroot Benefits

    शरीर को पोषित रखने के लिए पाचन क्रिया का मजबूत रहना बहुत जरूरी है। जब पोषक तत्व आंत द्वारा अवशोषित हो जाते हैं, तो वो रक्त प्रवाह के जरिए लिवर तक पहुंचते हैं। फिर लिवर का काम होता है सभी पोषक तत्वों और विटामिन्स की प्रोसेसिंग करना, जिससे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह होता है ।
    पाचन क्रिया की मजबूती के लिए आप चुकंदर का सेवन कर सकते हैं। चुंकदर में ग्लूटामाइन नाम का एमिनो एसिड होता है, जो भोजन को पचने में मदद करने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम को ठीक रखता है

    *बढ़ाता है ऊर्जा:Beetroot Benefits

    चुकंदर शरीर को कई रूप में फायदा पहुंचाता है। शरीर को ऊर्जावान बनाने के लिए आप इसका सेवन कर सकते हैं। चुकंदर प्राकृतिक रूप से आयरन का एक बड़ा स्रोत है, जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं और ऊर्जा के विकास में मदद करता है। यह आतों में कैंडिडा (एक प्रकार का संक्रमण) को पनपने से रोकता है, जो ऊर्जा के स्तर को कम करने का काम करता है। शरीर में ऊर्जा के लिए लिवर का सही काम करना जरूरी है। चुकंदर में फ्लेवोनोइड, सल्फर और बीटा कैरोटीन भी होते हैं, जो लिवर की कार्य प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते हैं 

    * लिवर को रखता है स्वस्थ:Beetroot Benefits

    बीट के फायदों में लिवर स्वास्थ्य भी शामिल है। शरीर को पोषित करने के लिए लिवर का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। लिवर से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए आप चुकंदर का रोजाना सेवन कर सकते हैं। बीटरूट हाई फैट वाले भोजन से होने वाली लिवर की क्षति को कम करने में मदद करता है। इसमें फ्लेवोनॉयड्स भी पाया जाता है, जो मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने में सहायता करता है 

    *मजबूत दांत और हड्डियां:Beetroot Benefits

    हड्डियां हमारे शरीर को मजबूती प्रदान करती हैं और हमारे आकार को बनाने में मदद करती हैं। शरीर के पूरे वजन को संभालने के लिए हड्डियों का मजबूत रहना बहुत जरूरी है। इसके अलावा, हड्डियां शरीर के अंगों की रक्षा भी करती हैं, जैसे खोपड़ी मस्तिष्क की रक्षा करती है और चेहरे का आकार बनाती है। पसलियां एक पिंजरे का निर्माण करती हैं, जिससे हृदय और फेफड़े सुरक्षित रहते हैं। वहीं, पेलविस मूत्राशय, आंतों के हिस्से और महिलाओं के प्रजनन अंगों की रक्षा करने का काम करता है।
    हड्डियों की मजबूती के लिए शरीर में कैल्शियम का होना बहुत जरूरी है और चुकंदर कैल्शियम का अच्छा स्रोत है। रोजाना इसका सेवन न सिर्फ आपकी हड्डियों, बल्कि आपके दांतों को भी मजबूत बनाने में मदद करेगा।

    *त्वचा के लिए:Beetroot Benefits

    चुकंदर का रस एंटीऑक्सीडेंट का बेहतरीन स्रोत है, जो त्वचा के लिए एक प्रभावशाली एंटी-एजिंग एजेंट के रूप में काम करता है। इसमें विटामिन-सी भी पाया जाता है, जो त्वचा को झुर्रियों और सूखेपन से बचाने में मदद करता है । चुकंदर आपकी त्वचा को नर्म और कोमल बना सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह मृत कोशिकाओं की शीर्ष परत को हटा देता है। चुकंदर का रस पीने से आपकी त्वचा हाइड्रेट रहती है।

    15. बालों के लिए/Beetroot Benefits

    चुकंदर में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन-ए, विटामिन-सी, कैल्शियम, आयरन और पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है। यह शरीर को कई मायनों में लाभ पहुंचाता है। बालों के स्वास्थ्य के लिए भी आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बाल झड़ने और स्कैल्प में खुजली से निजात दिलाने का काम करता है। चुकंदर में कैरोटीनॉयड नामक तत्व पाया जाता है, जो बालों की गुणवत्ता, वृद्धि, मोटाई और चमक में सुधार करता है ।

    * कोलेस्ट्रॉल

    कोलेस्ट्रॉल शरीर के मेटाबॉलिज्म के लिए आवश्यक है। साथ ही यह बाइल एसिड, स्टेरॉयड हार्मोन और विटामिन-डी के संकलन के लिए जिम्मेदार होता है । वहीं, अगर शरीर में इसका स्तर अधिक हो जाए, तो कई प्रकार से नुकसान हो सकता है। अधिक कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग व स्ट्रोक का कारण बन सकता है, जिससे मौत भी हो सकती है।
    बीट के फायदों में कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण भी शामिल है। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और इसके घातक परिणामों से बचने के लिए आप चुकंदर का सेवन कर सकते हैं। चुकंदर में कैलोरी की मात्रा कम होती है और इसमें शून्य कोलेस्ट्रॉल होता है ।

    गर्भावस्था

    गर्भावस्था के दौरान आप चुकंदर का सेवन कर सकते हैं। इसमें फोलेट के साथ-साथ मैंगनीज, पोटैशियम, विटामिन-सी, फास्फोरस, कॉपर और आयरन भी पाया जाता है। ये सभी तत्व गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे को स्वस्थ रखने का काम करते हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि रोजाना 500ml चुकंदर का जूस पीने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। चुकंदर फोलिक एसिड का भी एक बड़ा स्रोत है, जो बच्चे में न्यूरल ट्यूब दोष को रोकने में मदद करता है 

     वजन घटाने में मददगार

    चुकंदर स्वस्थ खनिज और विटामिन से भरपूर होता हैं। चुकंदर के रस में फाइबर की मात्रा अधिक होती है और अधिक फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ वजन कम करने में मदद करते हैं (22)। हाई फाइबर फूड्स में कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है, इसलिए ये पेट भरने का काम करने के साथ-साथ शरीर को मोटापे से भी बचाते हैं।

    * मोतियाबिंद

    मोतियाबिंद आंख से जुड़ी बीमारी है, जो 60 साल की उम्र के बाद ज्यादा देखने को मिलती है। इस बीमारी के कारण देखने की क्षमता कमजोर हो जाती हैं। अगर आप बुढ़ापे में ऐसी बीमारी से बचना चाहते हैं, तो विटामिन-सी से युक्त चुकंदर का सेवन रोजाना जूस या सलाद के रूप में कर सकते हैं। विटामिन-सी आंखों को स्वस्थ रखने का काम करता है।

    * यौन स्वास्थ्य:Beetroot Benefits

    चुकंदर खाने के फायदों में यौन स्वास्थ्य भी आता है। बीट में अच्छी मात्रा में बोरॉन मौजूद होता है । यह खनिज सीधे सेक्स हार्मोन के उत्पादन से संबंधित है।
    *सफेद चुकंदर को पानी में उबाल कर छान लें। यह पानी फोड़े, जलन और मुहांसों के लिए काफी उपयोगी होता है। खसरा और बुखार में भी त्वचा को साफ करने में इसका उपयोग किया जा सकता है.

    कब्ज और बवासीर-

    चुकंदर का नियमित सेवन करेंगे, तो कब्ज की शिकायत नहीं होगी। बवासीर के रोगियों के लिए भी यह काफी फायदेमंद होता है। रात में सोने से पहले एक गिलास या आधा गिलास जूस दवा का काम करता है.
    चुकंदर खाने के फायदों को जानने के बाद अब पता करते हैं कि इसमें कौन-कौन से पौष्टिक तत्व होते हैं।

    चुकंदर के उपयोग – 

    चुकंदर का सेवन आप निम्नलिखित रूपों में कर सकते हैं –
    कच्चा – बीट्स को आप कच्चा खा सकते हैं। इसे काटकर और फिर उस पर हल्का नमक और नींबू छिड़क कर खाएं।
    पनीर के साथ भुना हुआ – बीट को तब तक भूनें, जब तक कि वह नरम और रसदार न हो जाए। भूने हुए चुकंदर के साथ पनीर मिलाकर खाएं।
    जूस- आप चुकंदर का जूस निकाल कर रोजाना पी सकते हैं।
    सलाद के रूप में – भोजन के साथ सलाद के रूप में भी आप चुकंदर का सेवन कर सकते हैं। आप इसके साथ प्याज भी मिला सकते हैं।
    सब्जी – बीट को आप अन्य सब्जी की तरह बनाकर भी खा सकते हैं।





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    1.6.19

    दूध गर्म पीना चाहिए या ठंडा


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    आपको दूध पीना पसंद हो चाहे न हो लेकिन इस बात को हर कोई मानता है कि दूध सबसे हेल्दी और पोषक तत्वों से भरपूर फूड आइटम है। कैल्शियम, प्रोटीन, आयोडीन, पोटैशियम, फॉस्फॉरस और विटमिन बी 12 जैसे पोषक तत्वों से भरपूर 1 गिलास दूध आपके दिन भर के पोषक जरूरतों को पूरा कर सकता है। लिहाजा फिट और हेल्दी रहने के लिए हर व्यक्ति को रोजाना कम से कम 1 गिलास दूध जरूर पीना चाहिए।
    दूध गर्म पीना चाहिए या ठंडा यह सवाल हर किसी के द‍िमाग में यहीं सवाल आता है। ज्यादातर लोगों को देखा होगा कि वो यह सोचते रहते हैं कि किसका दूध सबसे अच्छा होता है। अगर आप रोजाना दूध पीते हैं तो ये सब जानकारी रखनी चाहिए। दूध स्‍वास्‍थ्‍य के लिए लाभकारी माना जाता है। ये कैल्शियम, पोटेशियम और विटामिन डी का बहुत अच्छा स्रोत होता है। कुछ लोग गर्म दूध पीना पसंद करते हैं तो कुछ लोगों को ठंडा दूध अच्‍छा लगता है। आइए जानते है कि ठंडा या गर्म दूध हमें क्‍या पीना चाह‍िए?
    लैक्‍टोज पाचने में दिक्‍कत गर्म दूध का सबसे बड़ा लाभ ये है कि ये आसानी से पच जाता है। अगर आपको लैक्‍टोज नहीं पचता तो आप ठंडा दूध पीने से बचें क्‍योंकि इसे पचाना आपके लिए मुश्किल होगा। आप ठंडे दूध का आनंद उसमें अनाज के पदार्थ मिलाकर ही ले सकते हैं। गर्म दूध में लैक्‍टोज कम हो जाता हैं और इससे दस्‍त और बदहजमी जैसी समस्या नहीं होती।
    दूध गर्म पीने से आती है अच्‍छी नींद अगर आपको नींद न आने की बीमारी है तो आप बिस्‍तर पर जाने से पहले एक गिलास गर्म दूध पी सकते हैं। दूध में ट्रिप्‍टोफैन नाम का एमिनो एसिड होता है जो सेरोटोनिन और मेलाटोनिन नाम का केमिकल पैदा करते हैं जिससे आपको आराम मिलता है और अच्‍छी नींद आती है।
    एसिडिटी खत्‍म करने के लिए पिएं ठंडा दूध ठंडा दूध पेट में एसिडिटी के कारण होने वाली जलन में राहत पहुंचाने के लिए बेहतर पदार्थ है। खाने के बाद आधा गिलास ठंडा दूध पीने से एसिड उत्‍पादन खत्‍म हो जाता है और एसिडिटी से राहत मिलती है।
    पानी की कमी को रोकने के लिए पिएं ठंडा दूध ठंडा दूध पीने से आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होगी। सुबह के समय ठंडा दूध पीने का सबसे बेहतर समय होता है। अगर आप फ्लू और कोल्‍ड से पीड़ित हैं, तो ठंडा दूध पीने से बचें।