*संगीत का हमारे जीवन पर प्रभाव*
● आजकल संगीत द्वारा बहुत सी बीमारियों का इलाज किया जाने लगा हैं।
● चिकित्सा विज्ञान भी यह मानने लगा हैं कि प्रतिदिन 20 मिनट अपनी पसंद का संगीत सुनने से रोज़मर्रा की होने वाली बहुत सी बीमारियो से निजात पायी जा सकती हैं।
● जिस प्रकार हर रोग का संबंध किसी ना किसी ग्रह विशेष से होता हैं उसी प्रकार संगीत के हर सुर व राग का संबंध किसी ना किसी ग्रह से अवश्य होता हैं।
● यदि किसी जातक को किसी ग्रह विशेष से संबन्धित रोग हो और उसे उस ग्रह से संबन्धित राग, सुर अथवा गीत सुनाये जायें तो जातक विशेष जल्दी ही स्वस्थ हो जाता हैं।
● यहाँ इसी विषय को आधार बनाकर ऐसे बहुत से रोगो व उनसे राहत देने वाले रागों के विषय मे जानकारी देने का प्रयास किया गया है।
● जिन शास्त्रीय रागों का उल्लेख किया किया गया है उन रागो मे कोई भी गीत, संगीत, भजन या वाद्य यंत्र बजा कर लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं।
● यहाँ उनसे संबन्धित फिल्मी गीतो के उदाहरण देने का प्रयास भी किया गया है।
(1)हृदय रोग –
इस रोग मे राग दरबारी व राग सारंग से संबन्धित संगीत सुनना लाभदायक है।
इनसे संबन्धित फिल्मी गीत निम्न हैं-
हार्ट प्रॉब्लेम मे हितकारी गाने की यूट्यूब प्लेलिस्ट
तोरा मन दर्पण कहलाए (काजल),
राधिके तूने बंसरी चुराई (बेटी बेटे),
झनक झनक तोरी बाजे पायलिया (मेरे हुज़ूर),
बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम (साजन),
जादूगर सइयां छोड़ मोरी (फाल्गुन),
ओ दुनिया के रखवाले (बैजू बावरा),
मोहब्बत की झूठी कहानी पे रोये (मुगले आजम)
(2)अनिद्रा –
यह रोग हमारे जीवन मे होने वाले सबसे साधारण रोगों में से एक है। इस रोग के होने पर राग भैरवी व राग सोहनी सुनना लाभकारी होता है, जिनके प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं
अनिद्रा (नींद नहीं आने )मे हितकारी गाने की यूट्यूब प्लेलिस्ट
●)रात भर उनकी याद आती रही (गमन),
(●)नाचे मन मोरा (कोहिनूर),
(●)मीठे बोल बोले बोले पायलिया (कितारा),
(●)तू गंगा की मौज मैं यमुना (बैजु बावरा),
(●)ऋतु बसंत आई पवन (झनक झनक पायल बाजे),
(●)सावरे सावरे (अंनुराधा),
(●)चिंगारी कोई भड़के (अमर प्रेम),
(●) छम छम बजे रे पायलिया (घूँघट),
(●) झूमती चली हवा (संगीत सम्राट तानसेन ),
(●) कुहूु कुहू बोले कोयलिया (सुवर्ण सुंदरी )
(3)एसिडिटी –
इस रोग के होने पर राग खमाज सुनने से लाभ मिलता है। इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं
(4)कमजोरी –
यह रोग शारीरिक शक्तिहीनता से संबन्धित है।
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति कुछ भी काम कर पाने मे खुद को असमर्थ महसूस करता है।
इस रोग के होने पर राग जय जयवंती सुनना या गाना लाभदायक होता है।
इस राग के प्रमुख गीत निम्न हैं
(●)तुम्हें जो भी देख लेगा किसी का ना (बीस साल बाद)
(5)याददाश्त –
जिन लोगों की याददाश्त कम हो या कम हो रही हो, उन्हे राग शिवरंजनी सुनने से बहुत लाभ मिलता है।
इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं,
(●)ना किसी की आँख का नूर हूँ (लालकिला),
(●)मेरे नैना (महबूबा),
(●)दिल के झरोखे मे तुझको (ब्रह्मचारी),
(●)ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम (संगम ),
(●) जीता था जिस के लिए (दिलवाले),
(●) जाने कहाँ गए वो दिन (मेरा नाम जोकर )
(6)खून की कमी –
इस रोग से पीड़ित होने पर व्यक्ति का चेहरा निस्तेज व सूखा सा रहता है। स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन होता है। ऐसे में राग पीलू से संबन्धित गीत सुनने से लाभ पाया जा सकता हैं।
(●)आज सोचा तो आँसू भर आए (हँसते जख्म),
(●)नदिया किनारे (अभिमान),
(●)खाली हाथ शाम आई है (इजाजत),
(●)तेरे बिन सूने नयन हमारे (लता रफी),
(●)मैंने रंग ली आज चुनरिया (दुल्हन एक रात की),
(●)मोरे सैयाजी उतरेंगे पार (उड़न खटोला),
(7)मनोरोग अथवा डिप्रेशन –
इस रोग मे राग बिहाग व राग मधुवंती सुनना लाभदायक होता है। इन रागों के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं।
(●) तुझे देने को मेरे पास कुछ नहीं (कुदरत नई),
(●) तेरे प्यार मे दिलदार (मेरे महबूब),
(●) पिया बावरी (खूबसूरत पुरानी),
(●) दिल जो ना कह सका (भीगी रात) ,
(●) तुम तो प्यार हो(सेहरा),
(●) मेरे सुर और तेरे गीत (गूंज उठी शहनाई ),
(●) मतवारी नार ठुमक ठुमक चली जाये (आम्रपाली),
(●) सखी रे मेरा तन उलझे मन डोले (चित्रलेखा)
(8)रक्तचाप-
ऊंचे रक्तचाप मे धीमी गति और निम्न रक्तचाप मे तीव्र गति का गीत संगीत लाभ देता है।
शास्त्रीय रागों मे राग भूपाली को विलंबित व तीव्र गति से सुना या गाया जा सकता है।
ऊंचे रक्तचाप में...
(●) चल उडजा रे पंछी कि अब ये देश (भाभी),
(●) ज्योति कलश छलके (भाभी की चूड़ियाँ ),
(●) चलो दिलदार चलो (पाकीजा),
(●) नीले गगन के तले (हमराज़) जैसे गीत
(●) पंख होते तो उड़ आती रे (सेहरा)
(9)अस्थमा –
इस रोग मे आस्था–भक्ति पर आधारित गीत संगीत सुनने व गाने से लाभ होता है।
राग मालकोस व राग ललित से संबन्धित गीत इस रोग मे सुने जा सकते हैं। जिनमें प्रमुख गीत निम्न हैं..
(●) आधा है चंद्रमा (नवरंग)
(10)सिरदर्द –
इस रोग के होने पर राग भैरव सुनना लाभदायक होता है।
इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं..
(●)नाचे मन मोरा (कोहिनूर),
(●)मीठे बोल बोले बोले पायलिया (कितारा),
(●)तू गंगा की मौज मैं यमुना (बैजु बावरा),
(●)ऋतु बसंत आई पवन (झनक झनक पायल बाजे),
(●)सावरे सावरे (अंनुराधा),
(●)चिंगारी कोई भड़के (अमर प्रेम),
(●) छम छम बजे रे पायलिया (घूँघट),
(●) झूमती चली हवा (संगीत सम्राट तानसेन ),
(●) कुहूु कुहू बोले कोयलिया (सुवर्ण सुंदरी )
(3)एसिडिटी –
इस रोग के होने पर राग खमाज सुनने से लाभ मिलता है। इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं
(4)कमजोरी –
यह रोग शारीरिक शक्तिहीनता से संबन्धित है।
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति कुछ भी काम कर पाने मे खुद को असमर्थ महसूस करता है।
इस रोग के होने पर राग जय जयवंती सुनना या गाना लाभदायक होता है।
इस राग के प्रमुख गीत निम्न हैं
(●)तुम्हें जो भी देख लेगा किसी का ना (बीस साल बाद)
(5)याददाश्त –
जिन लोगों की याददाश्त कम हो या कम हो रही हो, उन्हे राग शिवरंजनी सुनने से बहुत लाभ मिलता है।
इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं,
(●)ना किसी की आँख का नूर हूँ (लालकिला),
(●)मेरे नैना (महबूबा),
(●)दिल के झरोखे मे तुझको (ब्रह्मचारी),
(●)ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम (संगम ),
(●) जीता था जिस के लिए (दिलवाले),
(●) जाने कहाँ गए वो दिन (मेरा नाम जोकर )
(6)खून की कमी –
इस रोग से पीड़ित होने पर व्यक्ति का चेहरा निस्तेज व सूखा सा रहता है। स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन होता है। ऐसे में राग पीलू से संबन्धित गीत सुनने से लाभ पाया जा सकता हैं।
(●)आज सोचा तो आँसू भर आए (हँसते जख्म),
(●)नदिया किनारे (अभिमान),
(●)खाली हाथ शाम आई है (इजाजत),
(●)तेरे बिन सूने नयन हमारे (लता रफी),
(●)मैंने रंग ली आज चुनरिया (दुल्हन एक रात की),
(●)मोरे सैयाजी उतरेंगे पार (उड़न खटोला),
(7)मनोरोग अथवा डिप्रेशन –
इस रोग मे राग बिहाग व राग मधुवंती सुनना लाभदायक होता है। इन रागों के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं।
(●) तेरे प्यार मे दिलदार (मेरे महबूब),
(●) पिया बावरी (खूबसूरत पुरानी),
(●) दिल जो ना कह सका (भीगी रात) ,
(●) तुम तो प्यार हो(सेहरा),
(●) मेरे सुर और तेरे गीत (गूंज उठी शहनाई ),
(●) मतवारी नार ठुमक ठुमक चली जाये (आम्रपाली),
(●) सखी रे मेरा तन उलझे मन डोले (चित्रलेखा)
(8)रक्तचाप-
ऊंचे रक्तचाप मे धीमी गति और निम्न रक्तचाप मे तीव्र गति का गीत संगीत लाभ देता है।
शास्त्रीय रागों मे राग भूपाली को विलंबित व तीव्र गति से सुना या गाया जा सकता है।
ऊंचे रक्तचाप में...
(●) चल उडजा रे पंछी कि अब ये देश (भाभी),
(●) ज्योति कलश छलके (भाभी की चूड़ियाँ ),
(●) चलो दिलदार चलो (पाकीजा),
(●) नीले गगन के तले (हमराज़) जैसे गीत
निम्न रक्तचाप मे..
(●) पंख होते तो उड़ आती रे (सेहरा)
(9)अस्थमा –
इस रोग मे आस्था–भक्ति पर आधारित गीत संगीत सुनने व गाने से लाभ होता है।
राग मालकोस व राग ललित से संबन्धित गीत इस रोग मे सुने जा सकते हैं। जिनमें प्रमुख गीत निम्न हैं..
(●) आधा है चंद्रमा (नवरंग)
(10)सिरदर्द –
इस रोग के होने पर राग भैरव सुनना लाभदायक होता है।
इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं..