30.11.21

कंधा खिसकने के प्रभावी घरेलू उपचार:home remedies for dislocated shoulder





 कंधे खिसकने या कंधे उतरने की शिकायत अक्सर सुनने में आती है। आमतौर पर उम्रदराज़ लोगों में ये समस्या हड्डियों के कमज़ोर होने के कारण होती है थोड़ी से मेहनत या गलत ठंग से उठने-बैठने पर बुज़ुर्ग लोगों के कंधे उतर जाते हैं। लेकिन आजकल बच्चे और युवा पीढ़ी भी इस समस्या से अछुते नहीं हैं। अक्सर युवा पीढ़ी फिट व आकर्षक दिखने के लिए जिम में कड़ी मेहनत करती है जहां उन्हे भारी डंबल उठाने होते हैं जिसके कारण कंधे पर जोर पड़ता है और कंधा खिसक जाता है। इसके अलावा कई बार खेल-कूद, एक्सीडेंट या किसी चोट के दौरान हमारे कंधों को बड़ा नुकसान पहुंचता है जिससे हमारे कंधे अपनी जगह से खिसक जाते हैं।
 तकिया ( Pillow ) : अक्सर गर्दन और कंधे में दर्द का कारण इस्तेमाल किया जाने वाला तकिया भी होता है. कुछ लोग सख्त तकिया और करवट लेकर सोते है, जिससे उनकी गर्दन मुड जाती है और उनकी गर्दन व कंधे की नसे खिंच जाती है. इसलिए सोते वक़्त आपको नर्म तकिये को ही प्रयोग में लाना चाहियें और तकिये की ऊँचाई को भी सामान्य रखना चाहियें
 हर छोटी मोच या चोट के लिए डॉक्टर के पास जाना या एलोपैथिक ट्रीटमेंट करवाना ज़रूरी नहीं होता है। खासकर कंधे खिसकने जैसी समस्या को आप कुछ घरेलू इलाज से ही ठीक कर सकते हैं। क्योंकि एलोपैथिक दवाइयां बीमारी और चोट को दबाती है इसका इलाज नहीं करती है। लेकिन घरेलू उपाय बीमारी की जड़ पर काम करके रोग को जड़ से खत्म करने का प्रयास करती है घरेलू उपाय की एक और खासियत ये है कि इसे करने के लिए आपको एक पैसा भी बाहर खर्च करने की ज़रूरत नहीं है इसे आप अपने किचन में मौजूद कुछ चीज़ों की मदद से आसानी से ठीक कर सकते हैं।
अगर आपके कंधे भी खिसक जाते हैं या खिसक गए हैं तो घबराइए नहीं आज हम आपको कंधे खिसकने की समस्या से छुटकारा पाने के लिए के कुछ शानदार घरेलू नुस्खे बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।

सरसों की तेल से मालिश करें

सरसों के तेल में 2 से 3 लहसुन की कलियों को तोड़कर डाल दें और इसे आग पर अच्छी तरह पका लें। ठंडा होने के बाद इससे कंधों की मालिश करें इससे कंधे का दर्द और सूजन की समस्या दूर होती है। साथ ही गर्म तेल से बॉडी की सिकाई भी होती है।

ओवर-दि-काउंटर का इस्तेमाल

कंधा खिसकने के बाद दर्द में आराम पाने के लिए ओवर-दि-काउंटर मेडिसिन्स का इस्तेमाल करें इससे दर्द में काफी आराम मिलता है। लेकिन ध्यान रहे हमेशा आपकी क्षमता के अनुसार ही दवा की सलाह दी जाती है इसलिए डॉक्टर की सलाह से ही किसी भी तरह की दवाइयों का इस्तेमाल करें।
कंधे के दर्द के लिए तेल ( Make Oil for Shoulder Pain ) : इस तेल को बनाने के लिए आपको कुछ सामग्री जैसे सरसों का 200 ग्राम तेल, 50 ग्राम लहसुन, 10 ग्राम लौंग और 25 ग्राम की मात्रा में अजवायन की आवश्यकता पड़ेगी.
सारी सामग्री के आने के बाद आप सरसों के तेल को धीमी आंच पर पकाएं और उसमें बाकी सारी सामग्री भी डाल लें, जब आपको लगे की तेल में पड़ी सामग्रियाँ काली होने लगी है तो आप तेल को आंच पर से उतारें और ठंडा होने के लिए रख दें. जब तेल ठंडा हो जाएँ तो आप उसे छानकर सुरक्षित किसी शीशी में रखें और जब भी कंधे में दर्द हो तो आप तेल को हाथों पर लगाकर हल्के हाथ से मालिश करें, आपको निश्चित रूप से आराम मिलेगा.

बर्फ लगाएं

कंधा उतरना एक बहुत ही खतरनाक स्थिति होती है। इस अवस्था में काफी दर्द होता है और पीड़ित व्यक्ति को चलने फिरने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में घायल कंधे पर बर्फ लगाकर सिकाई करें। ऐसा करने से दर्द और सूजन में कमी आती है। साथ ही ये कंधे के आसपास फ्लूड इक्कट्ठा होने को नियंत्रित करता है।
मसाज दें

कंधों पर किसी से हल्‍के हाथों से मसाज करवाएं। मसाज वाला तेल अगर हल्का गर्म हो तो ये ज़्यादा फायदेमंद होगा। ऐसा करने से मांसपेशियों को भी आराम मिलता है और रक्‍त का संचार ठीक ढ़ंग से होता है।

गर्म पानी और नमक से सिकाई

अगर आपके घर में बाथटब है तो उसे हल्के गर्म पानी से भर लें। अब इसमें दो कप सेंधा नमक डाल लें। इसमें 20 से 30 मिनट के लिए बैठ जाएं। अगर बाथ टब नहीं है तो बाल्टी में गुनगुना पानी लेकर उसमें नमक मिला लें और इसे धीरे-धीरे कंधे पर डालें। सेंधा नमक मैग्नीशियम सल्फेट से बना होता है जिससे कंधे के दर्द में आराम मिलता है।

एक्सरसाइज करें।

कंधे के रेंज ऑफ मोशन को बनाए रखें। इससे दर्द में आराम पहुंचेगा। रेंज ऑफ मोशन बनाए रखने के लिए हल्की एक्सरसाइज़ करें। ध्यान रहे अगर आपके कंधे में ज़्यादा दर्द है तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही किसी भी प्रकार का योग या एक्सरसाइज करें। क्योंकि थोड़ी भी लापरवाही आपकी परेशानी को और अधिक बढ़ा सकती है।


कंधे को आराम दें

कंधा खिसकने के बाद असहनिय दर्द का सामना करना पड़ता है इस स्थिति में लापरवाही आपके दर्द को और अधिक बढ़ा सकती है इसलिए कंधे को आराम की स्थिति मे रखें कोई भी ऐसा मूवमेंट करने से बचें जिससे कंधे को नुकसान पहुंचता हो।

रोजमेरी का उपयोग

रोजमेरी का फूल कंधे के दर्द में बहुत फायदेमंद है। कंधे उतरने की स्थिति में इसे उबालकर इसका काढ़ा बना लें और इसे रोज़ाना पीएं। इससे कंधा उतरने की समस्या दूर होती है।

सावधानियां

कंधे में किसी भी तरह की परेशानी ना हो इसके लिए कुछ सावधानियों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है जैसे-
अधिक वज़न वाली चीज़ों को उठाने से बचें।
बराबर सतह पर सोएं।
चोट लगने पर डॉक्टर से सलाह लें।
जिम में आवश्यक्ता से अधिक भारी डंबल ना उठाएं।
कंधे खिसकने के बाद डॉक्टर द्वारा बताए गए सभी नियमों का पालन करें।
अगर आपका काम भारी सामान उठाने वाला है तो पहले कंधे पर मोटा कपड़ा रख लें।


29.11.21

मुह के छाले से छुटकारा पाने के उपाय :Mouth ulcers home remedies

 

 पेट साफ ना होने से अक्सर मुंह में छाले Mouth ulcer हो जाते हैं। इसके अलावा संतुलित आहार, पेट में दिक्कत, पान-मसालों का सेवन भी छालों का प्रमुख कारण है। दिखने में छोटे दिखने वाले ये छाले बहुत तकलीफ देते हैं। खासतौर से कुछ भी खाने-पीने में बेहद परेशानी होती है।
 अजीर्ण व पेट में कब्ज होने की अवस्था में अक्सर हमारे मुँह में छाले हो जाया करते हैं। अमाशय व आँतों में सूजन व घाव होने पर मुँह में छालों की उत्पत्ति हो जाया करती है। पेट की गर्मी की वजह से भी मुँह में छाले हो जाते हैं।

मुहं के छाले की घरेलू  चिकित्सा -,Mouth ulcer 

त्रिफला : त्रिफला मुंह के छालों के लिए रामबाण की तरह होती है। त्रिफला की राख शहद में मिलाकर लगाएं। थूक से मुंह भर जाने पर उससे ही कुल्ला करने से छालों से काफी राहत मिलती है।
कत्था : पान में लगाया जाने वाला कोरा कत्था छालों में काफी कारगर साबित होता है। इसे पानी में भिगोकर इसका लेप बनाएं और छालों के ऊपर लगाएं, फायदा मिलेगा।
सुहागा और शहद : सुहागा और शहद का मिश्रण भी छालों के लिए एक बेहतरीन उपाय है। सुहागा में शहद को मिलाकर छालों पर लगाने से काफी लाभ होता है।
त्रिफला : त्रिफला मुंह के छालों के लिए रामबाण की तरह होती है। त्रिफला की राख शहद में लाकर लगाएं। थूक से मुंह भर जाने पर उससे ही कुल्ला करने से छालों से काफी राहत मिलती है।
अमृतधारा : मुंह के छालों पर अमृतधारा में शहद मिलाकर फुरैरी से लगाएं। अमृतधारा में 3 द्रव्य होते हैं- पेपरमिंट, सत अजवाइन और कपूर। इन तीनों को एक शीशी में भरकर धूप में रख दें, पिघलकर अमृतधारा बन जाएगी।
नीम की छाल : मुनक्का, दालचीनी, नीम की छाल और इन्द्र जौ, इन सभी को एक समान भाग में मिलाकर काढ़ा बना लें। अब इस काढ़े में शहद मिलाकर पिएं।
*शरीर में vitamin B की कमी हो जाने पर भी यह तकलीफ हो जाती है।
*शरीर में iron की कमी भी मुंह में गर्मी लगने का बड़ा कारण हो सकता है।
अधिक मानसीक तनाव से भी यह तकलीफ हो सकती है।
*दाँत में से फंसा खाना निकालने से या सख्त ब्रश से दाँत साफ करने से ज़ख्म लग जाने से भी मुंह में छाले पड़ सकते हैं।
*अरहर दाल को एकदम बारीक पीस कर मुंह में पड़े छालों पर लगाया जाए तो दर्द में तुरंत राहत मिलेगी और कुछ दिन में मुंह के छाले ठीक भी हो जाएंगे। इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार करना चाहिए।
*गुनगुने पानी में एक चम्मच शुद्ध नमक मिला कर घोल बना लें। और फिर उस को थोड़ा थोड़ा कर के मुंह में घूमाये, और फिर बाहर उगल दें। इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार करें।
*नीम का दातुन करने से भी मुंह के छालों में राहत मिल जाती है। नीम के पत्तों का रस भी मुंह के छालों पर लगाया जा सकता है। (कड़वा नीम ईस्त्माल करें)
*बेर के पत्तों का काढ़ा बना कर उस से कुल्ला करने से मुंह की गर्मी दूर हो जाती है।
*शहद को मुंह के छालों में लगाने से भी मुंह को ठंडक मिलेगी और छाले दूर होंगे।
अपामार्ग की जड़ का काढ़ा सेंध नमक मिला कर तैयार कर के उस काढ़े से कुल्ला करने से मुंह के छाले मिट जाते हैं।
*नीम के पतों का रस मुंह के छालों  Mouth ulcer पर लगाने से भी आराम मिलेगा।
*Alovera का पेस्ट / रस मुंह के छालों पर लगाने दर्द कम होता है और मुंह को ठंडक मिलती है।
*बर्फ के छोटे टुकड़े मुंह के छालों पर लगा कर लार टपका देने से मुंह की गर्मी निकाल जाती है।
*बेकिंग सोडा में अंजुली भर पानी मिला कर पेस्ट बना लें, और छालों पर लगा दें। इस प्रक्रिया से भी मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
*हरे धनिये को पीस कर उसका रस निकाल कर उसे मुंह के छालों पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।
इलायची को पीस कर उसमे शहद मिला कर, मिश्रण तैयार कर के, उसे छालों पर लगाने से मुंह को आराम मिलता है।
*एक चम्मच हल्दी पावडर को एक गिलास गुनगुने पानी में मिला कर घोल तैयार कर के उसके गरारे करने से मुंह के छाले दूर हो जाते है।
*रात को सोते वक्त देसी घी मुंह के छालों Mouth ulcer पर लगा देने से सुबह तक उसमे राहत मिल जाती है।
गुड का पानी / गुड का शरबत भी गले की सूजन और मुंह के छालों का सटीक इलाज है। और इसके प्रयोग से पेट की गर्मी भी दूर होती है।
*चमेली के पत्तों को पीस कर उसका रस निकाल कर मुंह के छालों पर लगाने से मुंह के छाले मिट जाते हैं।
*अमरूद के ताजे मुलायम पत्तों को पीस कर उसका रस मुंह के छालों पर लगाने से भी मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
नारियेल पानी पीने से भी पेट की गर्मी मिट जाती है। और मुंह के छाले दूर होते हैं। नारियेल का दूध मुंह के छालों पर लगाने से मुंह को आराम मिल जाता है।
*नारियेल का दूध और शहद मिला कर भी छालों पर लगाया जा सकता है।
तुलसी के पत्तों का रस निकाल कर उसे मुंह के छालों पर लगाने से मुंह को आराम मिल जाता है।
*संतरे का रस Vitamin C से भरपूर होता है। अगर शरीर में विटामिन “सी” की कमी हो तो भी मुंह में छाले पड़ सकते हैं। इस किए संतरे का रस / जूस पियें।
*प्याच में सल्फर होता है। और सल्फर बेकटेरिया की छुट्टी कर देता है। इस लिए मुंह के छाले दूर करने के लिए प्याज खाना अच्छा रहता है।
*गुलकंद खाने से मुंह को ठंडक मिलती है, और मुंह के छाले मिट जाते हैं।
*मुलेठी का चूरन शहद में मिला कर मुंह के छालों पर लगाने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
*पान में इस्तेमाल होने वाला कत्था भी मुंह के छालों को दूर करने का सटीक उपाय है। दिन में तीन बार कत्था मुंह के छालों पर लगाना चाहिए। इस प्रक्रिया से तीन दिन में मुंह के छाले गायब हो जाते हैं।
*नींबू का रस गुनगुने पानी में मिला कर उस से कुल्ला / गरारे करने से मुंह के छाले मिट जाएंगे, तथा नींबू पानी रोज पीने से पेट की गर्मी दूर होगी।
*अर्जुन की जड़ का चूर्ण और मीठे तेल का मिश्रण तैयार कर के उस से कुल्ला करने से मुंह के रोग नष्ट हो जाते हैं।
*आलूबुखारे को मुंह में रखने से भी मुंह के छालों में राहत मिलती है।
खाने के साथ दही और छाछ का सेवन भी पेट की गर्मी दूर करता है, जिस के कारण मुंह की गर्मी दूर हो जाती है।
*काली मिर्च और किशमिश को मिला कर उसे चबाने से मुंह के छाले मिट जाते है।
*कच्ची फिटकरी पानी में मिला कर घोल तैयार करें और उस से कुल्ला करें। कच्ची फिटकरी और शहद मिला कर उसका पेस्ट मुंह के छालों पर लगाने से भी मुंह को आराम मिलता है।
*तीन भाग भुना हुआ सुहागा और एक भाग कपूर चूरा थोड़े से शहद में मिला कर मुंह में लगाने से भी मुंह के छाले Mouth ulcer दूर हो जाते हैं
*माजूफल, फिटकरी, और कत्था सामन मात्रा में मिला कर मिश्रित चूरन को कपड़े से छान लेना चाहिए और हर दिन इस चूरन को छालों पर लगाने से मुंह में आराम मिलता है।
*सरसों के तेल को मुंह में रख कर कुल्ला करने से मुंह की सारी परेशानीयां दूर हो जाती है। सरसों का तेल दांतों पर लगे कीड़ों का भी नाश कर देता है।
*बबूल की छाल को बारीक पीस कर पानी में उबाल कर घोल तैयार कर के उसके कुल्ले करने से भी मुंह के छाले और जीवा पर उबर आए दाने मिट जाते हैं।
*नीम, जांबुन, मालती, परवल और आम के पत्तों का काढ़ा बना कर उस पानी से कुल्ला करने पर मुंह की गर्मी मिट जाती है। और मुंह के छाले भी दूर हो जाते हैं।
इन्द्र जौ, कूठ, और काला जीरा मिला कर उसे चबाने से भी मुंह के छाले मिट जाते हैं।
गिलोय, धमास, जावित्री, हरड़े, आंबला, बहड़े और दाख को मिला कर काढ़ा बना लें और फिर उस काढ़े को थोड़ा ठंडा होने दें। फिर उसमे थोड़ा शहद मिला कर उसे पीने से मुंह के छाले दूर होते हैं।
बीजोरा के फल का छिलका मुंह रख कर चबाने से में जमे बेकटेरिया दूर होते है। और मुंह की दुर्गंध मिटती है।
एक गिलास गरम पानी में दो चम्मच अदरक का रस घोल कर उस पानी से गरारे करने से मुंह के छाले मिट जाते है।
*अलसी के तेल को मुंह के छालों पर लगाने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
*आठ से दस मुनक्का के दाने और थोड़े जांबुन के पत्तों को मिला कर उसका काढ़ा बना कर कुल्ला करने से मुंह के तमाम प्रकार के रोग मिटते हैं।
*हरीतकी का काढ़ा बना कर उस से गरारे करने से गले की तकलीफ और मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
चावल में थोड़ा घी और एक चम्मच चीनी मिला कर खाने से भी पेट की गर्मी दूर हो जाती है। और मुंह के छाले मिट जाते हैं।
* गुलाब के फूल,आंवला ,सौंफ तीनों बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनालें | आधा चम्मच चूर्ण नियमित रूप से सुबह -शाम पानी के साथ फक्की लेने से मुहं के छाले Mouth ulcer ठीक हो जाते हैं|
* एक गिलास गरम पानी में चुटकी भर काली मिर्च और आधा निम्बू का रस मिलाकर दिन में दो बार पीने से मुंह के चाले कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं|
* शहद में मुलहठी का चूर्ण मिलाकर इसका लेप मुँह के छालों पर करें और लार को मुँह से बाहर टपकने दें।
*अड़ूसा के 2-3 पत्ते भली प्रकार मूह मे चबाकर रस चूसने से मुख छाला रोग ठीक होता है|
*कत्था, मुलहठी का चूर्ण और शहद मिलाकर मुँह के छालों पर लगाना चाहिए।
* अमलतास की फली की मज्जा को धनिये के साथ पीसकर थोड़ा कत्था मिलाकर मुँह में रखने से अथवा केवल गूदे को मुँह में रखने से मुँह के छाले दूर हो जाते हैं।



* अमरूद के कोमल पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं।
*अनार के 25 ग्राम पत्तों को 400 ग्राम पानी में ओंटाकर चौथाई भाग शेष रहने पर इस क्वाथ से कुल्ला करने से मुँह के छाले 
 दूर होते हैं।
* मुंह के छाले खत्म करने के लिए जामुन के पत्ते लें। इन्हें धोकर पीसें। छानें। इस पानी (रस) से कुल्ले करें।
 इस रोग से छुटकारा पाने के लिए टमाटर का रस निकालें। इस रस में इतनी ही मात्रा में पानी मिलाएं। इस पानी से कुल्ला करें। आराम होगा।


 *तुलसी की ताजा पांच पत्तियां लें। इन्हें धोएं। चबाएं। खूब बारीक चबाकर निगलें। इस पर पानी तीन-चार घूंट धीरे-धीरे पी लें। छाले से निजात मिलेगी|

*मुंह के छालों को हटाने के लिए बंसलोचन पीसें। छानें। इसे शहद में मिलाएं। मुंह के अंदर अंगुली से लगाएं।

* इस रोग के लिए आक के दूध की कुछ बूंदें निकालें। इसे एक चम्मच शहद में मिलाएं। मुंह में लगाने से जरूर लाभ होगा।
*मामूली मात्रा में पिसा कपूर तथा एक छोटा चम्मच पिसी मिश्री लें। दोनों को मिलाएं। मुंह में लगाने से फायदा होगा।


*थोड़ा-सा हरा पुदीना, इतना ही सूखा धनिया तथा समभाग मिश्री। तीनों को एक साथ मुंह में डालकर चबाएं। पूरा लाभ मिलेगा।

* मुंह के छालों से छुटकारा पाने के लिए भोजन करने के बाद छोटी हरड़ चूसें। छालें गायब होने लगेंगे।



* यदि तरबूज का मौसम हो तो इसके छिलके जलाएं। राख तैयार करें। इस राख को लगाने से छालें नहीं रहेंगे।
*थोड़ा-सा सुहागा फुला लेंबारीक पीसें। इसे दो चम्मच ग्लिसरीन में मिलाएं। इसको लगाने से छाले दूर हो जायेंगे।




*मुंह के छाले नष्ट करने के लिए सत्यानाशी की टहनी लें। इसे दातुन की तरह थोड़ा चबाएं। अवश्य आराम आयेगा। 

इनका भी रखें ध्यान

-तंबाकू का सेवन बिलकुल भी न करें
-दिन में दो बार टूथ पेस्ट या टूथ मंजन से दांतों को साफ करें
-हरी सब्जियों और फलों का सेवन भरपूर मात्रा में करें
-ज्यादा तला भुना और मसालेदार खाना न खाएं
-अपने पाचन तंत्र की ख्याल रखें -नीम का टूथ पेस्ट भी छालों के उपचार में सहायता करता है
-मट्ठा पीने से मुंह के छालों से बहुत आराम मिलता है
-दिन में कई बार पानी से गरारे करें 




25.11.21

स्मरण शक्ति ,याददाश्त तेज करने के नेचुरल, घरेलू, आयुर्वेदिक उपाय:memory power

 


 भूलने की आदत इंसान की सबसे खराब आदतों में से एक है, क्योंकि इस आदत के कारण न सिर्फ खुद वो इंसान जिसे भूलने की समस्या है, परेशान हो जाता है, बल्कि उससे जुड़े दूसरे लोग भी कई बार परेशानी में पड़ जाते हैं। भूलने की समस्या लगभग हर उम्र के लोगों में पाई जाती है।भूलने का मुख्य कारण एकाग्रता की कमी है। अधिकतर समस्या रीकॉल करने में होती है,क्योंकि हमारे दिमाग को रीकॉल प्रोसेस के लिए जिन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, उनकी हमारे शरीर में कमी हो जाती है।
आमतौर पर ढलती उम्र के साथ मनुष्य की याददाश्त (स्मरणशक्ति) भी कमजोर होने की बात सुनने को मिलती है। यही वजह है कि बूढ़ों को काम याद रखने या किसी चीज को ढूंढने में मुश्किल होती है।
यदि आप भी कमजोर याददाश्ता जैसी समस्या से जूढ रहे हैं तो आप कुछ खास खाध्य पदार्थों का सेवन करके अपनी याददाश्त (स्मरणशक्ति) से जुड़ी समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। यदि आप भी कमजोर याददाश्ता जैसी समस्या से जूढ रहे हैं तो आप कुछ खास खाध्य पदार्थों का सेवन करके अपनी याददाश्त (स्मरणशक्ति) से जुड़ी समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।


बादाम

याददाश्त बनाए रखने और उसे दुरुस्त करने के लिए ड्राई फ्रूट्स मुख्य रूप से बादाम लाभदायक माना जाता है। बादाम में प्रोटिन, मैंगनीज, कॉपर और राइबोफ्लाविन जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो अल्जाइमर और अन्य मस्तिष्क संबंधी रोगों से मुक्ति में कारगर भूमिका निभाते हैं। 
9 नग बादाम रात को पानी में भिगो दें। सुबह छिलके उतारकर बारीक पीस कर पेस्ट बना लें। अब एक गिलास दूध गर्म करें और उसमें बादाम का पेस्ट घोलें। इसमें 3 चम्मच शहद भी डालें। दूध जब हल्का गर्म हो तब पिएं। यह मिश्रण पीने के बाद दो घंटे तक कुछ न खाएं।

अखरोट

वैज्ञानिक दृष्टि से अखरोट दिमाग के लिए काफी फायदेमंद है और यह देखने में भी दिमाग जैसा ही होता है। अखरोट में एंटीऑक्सीडेंट व विटामिन ई भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं। इसमें तीन दर्जन से अधिक न्यूरॉन ट्रांसमीटर को बनाने में मदद करता है, जो मस्तिष्क प्रक्रिया के लिए बहुत जरूरी होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट शरीर में मौजूद प्राकृतिक रसायनों को नष्ट होने से रोककर रोगों की रोकथाम करते हैं। रोजाना अखरोट के सेवन से याददाश्त बढ़ती है।

ब्रह्मी-

कमजोर याददाश्त को बुढ़ापे की निशानी माना जाता है, लेकिन बार-बार भूलने की समस्या केवल बूढ़ों के साथ ही नहीं, बल्कि जवान लोगों के साथ भी होती है। ब्रह्मी दिमागी ताकत बढ़ाने की मशहूर जड़ी-बूटी है। इसका एक चम्मच रस रोज पीना लाभदायक होता है। इसके 7 पत्ते चबाकर खाने से भी याददाश्त बढ़ती है।

कॉफी

जो लोग सुबह कॉफी पीते हैं, वे कॉफी न पीने वालों की तुलना में अधिक फुर्ती से अपने कार्य निपटा लेते हैं। यदि आप दोपहर में भी चुस्त रहना चाहते हैं तो कॉफी का सहारा लें। शोधकर्ताओं के अनुसार, कैफीन मस्तिष्क के उन हिस्सों को क्रियाशील करता है, जहां से व्यक्ति की सक्रियता, मूड और ध्यान नियंत्रित होता है।

अंडा

याददाश्त को दुरुस्त करने और स्मरण शक्ति को बढ़ाने में अंडा भी अहम भूमिका निभाता है। अंडे में पाए जाने वाला पीला हिस्सा ब्रेन के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। मछली की तरह अंडे में भी विटामिन बी एवं ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। इसके अलावा अंडे में लेसीथीन और सेलेनियम आदि भी होते हैं. जो आपके दिमाग को दुरुस्त करने के साथ-साथ उसकी कार्यक्षमता को भी बढ़ाने में मददागर होंगे।

सूरजमुखी के बीज

विटामिन ई और सी की पर्याप्त मात्रा एकाग्रता और स्मरण शक्ति के लिए फायदेमंद होती है। सूरजमुखी के बीज सहित बीज, विटामिन ई के अच्छे स्रोत होते हैं। सूखे भुने हुऐ एक औंस सूरजमुखी के बीज से सिफारिश की गई दैनिक खपत का लगभग 30 प्रतिशत होता है। अपने मस्तिष्क को बढ़ावा देने के लिए अपने सलाद पर इसे छिड़क कर खाये।

पालक

याददाश्त को बनाए रखने और उसे बढ़ाने में उपयोगी खाध्या पदार्थों में पालक सबसे महत्वपूर्ण है। पालक एक ऐसा नुस्का है जिसका इस्तेमाल सामान्य से सामन्य मनुष्य करके अपनी दिमागी कमजोरी को दुरुस्त कर सकता है। पालक में फोलेट या फोलिक एसिड होते हैं और उसे विटामिन बी 9 प्रचुर के नाम से जाना जाता है। इसी विटामिन की कमी के कारण मस्तिष्‍क संबंधी विकार उत्‍पन्‍न होने लगते हैं। इसके अलावा दिमाग के लिए जरूरी और फायदेमंद ओमेगा-3 फैटी एसिड की प्रचुर मात्रा पालक में होती है। इसके सेवन से आपकी याददाश्त, तर्क करने की शक्ति एवं कानसेंट्रेशन बढ़ती है।

दालचीनी

दालचीनी का तेल भी स्मरण शक्ति बढ़ाने में काफी प्रभावकारी होता है। यह तेल कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जिसकी वजह से आपका मस्तिष्क तेजी से काम करता है। यह तेल दिमाग को ठंडक पहुंचाता है। तनाव को कम करते हुए दिमाग को तेज-तर्रार बनाता है।

तुलसी

तुलसी को हिंदू धर्म में देवी का रूप माना गया है। इसका उपयोग मसाले के रूप में भी किया जाता है। यह कई बीमारियों में औषधि का काम करती है। रोजाना तुलसी के 2-4 पत्ते खाने से बार-बार भूलने की बीमारी दूर हो जाती है।

ग्रीन टी

हरी चाय एक स्वास्थ्यवर्धक पेय है। वैज्ञानिकों को मिले साक्ष्य के अनुसार, यह मस्तिष्क के लिए लाभदायक होती है। वैज्ञानिकों ने इसमें ऐसे रासायनिक तत्व पाए हैं, जो मस्तिष्क की कोशिका के उत्पादन, स्मृति में सुधार के साथ-साथ सीखने की क्षमता को भी प्रभावित करते हैं।

हल्दी

हल्दी दिमाग के लिए एक अच्छी औषधि है। यह सिर्फ खाने के स्वाद और रंग में ही इजाफा नहीं करती है, बल्कि दिमाग को भी स्वस्थ रखती है। इसके नियमित सेवन से अल्जाइमर रोग नहीं होता है। साथ ही, यह दिमाग की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को रिपेयर करने का भी काम करती है।

दही

दही में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज, लवण, कैल्शियम और फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। दही का नियमित सेवन करने से कई लाभ होते हैं। यह शरीर में लाभदायी जीवाणुओं की बढ़ोत्तरी करता है और हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है। इसमें अमीनो एसिड पाया जाता है, जिससे दिमागी तनाव दूर होता है और याददाश्त बढ़ती है।

अलसी का तेल

अलसी के तेल में भी ओमेगा 3 फैटी एसिड्स प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। अलसी का तेल एकाग्रता बढ़ाता है, स्मरण शक्ति तेज करता है और सोचने-समझने की शक्ति को भी बढ़ाता है।

काली मिर्च

काली मिर्च में पेपरिन नाम का रसायन पाया जाता है। यह रसायन शरीर और दिमाग की कोशिकाओं को रिलैैक्स करता है। डिप्रेशन में यह रसायन जादू-सा काम करता है। इसीलिए यदि आप अपने दिमाग को स्वस्थ बनाए रखना चाहते हैं, तो खाने में काली मिर्च का उपयोग करें।
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कान मे तरह तरह की आवाज आने की बीमारी

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थायरायड समस्या का जड़ से इलाज

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24.11.21

कान मे आवाज गूंजना टिनिटस के लक्षण, कारण और उपचार :Ringing in the ear

 


टिनिटस में हम किस प्रकार का शोर सुनते हैं?
कान में विभिन्न प्रकार की ध्वनि सुनना टिनिटस के लक्षण हैं, कान में सुनाई देने वाली ध्वनि आंतरिक है, बाहरी नहीं है। ये ध्वनि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के लिए भिन्न-भिन्न हो सकती है। टिनिटस से पीड़ित लोग निम्न प्रकार की आवाजें सुनते हैं जैसे:
● कान में सीटी बजना
● घंटी बजने की आवाज
● सिसकी की आवाज़
● किसी चीज़ पर क्लिक करने की आवाज (दुर्लभ मामले)
 
   टिनिटस (कान बजना) सुनने की समस्या से जुड़ा हुआ है, लेकिन यह बहरापन बिलकुल नहीं है। कुछ मामलों में, लोगों को सुनने में कोई समस्या नहीं होती है। जबकि कुछ लोगो में, यह सीटी बजने जैसी संवेदनशील ध्वनि महसूस करते हैं। हालाँकि, इस विकार का कोई विशेष इलाज नहीं है। इसलिए, लोगों को इसके कारणों और लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए। जो कि लोगो को कान में होने वाली “रिंगिंग” या सनसनी को आसानी से रोकने या प्रबंधित करने में मदद कर सकती है।
 तेज़ आवाज़ पर संगीत सुनने से कानों में अतिसूक्ष्म धमनियों के सिरे को क्षति पहुंचनें से लगातार घंटी सुनाई देती है जिसे टिनिटस (tinnitus) भी कहतें हैं। टिनिटस धमनियों के क्षतिग्रस्त होने या परिसंचरण तंत्र (circulatory system) में समस्या होने के कारण होता है। हालांकि, कानों में घंटी बजने को रोक थाम कर के बचा जा सकता है, फिर भी कान को क्षति पहुंचने पर भी इसका इलाज किया जा सकता है। दिये गए सलाह और संकेत पढ़ें और लाभ उठाएँ।

टिनिटस के लक्षणों 

में आपके कानों में इस प्रकार की फैंटम (निचले से ऊँचे स्वर की) ध्वनियाँ आती हैं:
घंटी बजना
भिनभिनाहट
दहाड़ना
खटखटाना
फुफकारना
सीटी बजना
जोर से चिल्लाने की आवाज

कारण

कई प्रकार की चिकित्सीय स्थितियाँ टिनिटस उत्पन्न कर सकती हैं या बदतर कर सकती हैं। कई मामलों में, निश्चित कारण कभी मालूम नहीं पड़ता।
भीतरी कान की कोशिकाओं की क्षति।

आपके भीतरी कान में सूक्ष्म नाजुक बालों का होना।
आपके कान के भीतर की नसों को प्रभावित करने वाली चोटें या स्थितियाँ।
श्रवण शक्ति की आयु सम्बन्धी हानि।
उच्च या जोरदार शोर की चपेट।
कान के मैल का अवरोध।
हृदय या रक्तवाहिनियों के रोग।
मस्तिष्क में गठानें (ब्रेन ट्यूमर्स)।
महिलाओं में होने वाले हार्मोन सम्बन्धी परिवर्तन।
थाइरोइड सम्बन्धी असामान्य स्थितियाँ।
माइग्रेन सम्बन्धी सिरदर्द।


कानों में क्षणिक घंटी बजने का उपचार

टिनिटस के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कुछ सामान्य चीजें हैं, जो आप स्वयं कर सकते हैं। इनमें हैं:
व्यायाम नियमित करें और विश्रांति हेतु समय निकालें।
पार्श्व ध्वनियों का स्तर निम्न रखें जैसे खिड़की का खुला होना या रेडियो का चालू होना।
धनिये के बीजयुक्त प्राकृतिक चाय टिनिटस से उत्पन्न परेशानी को कम करती है।


सिर को थपथपाने के उपाय का प्रयोग करें:

आप किसी संगीत समारोह से घर वापस आ रहें हैं और आपके कानों से घंटी की आवाज़ नहीं बंद हो रही हो, तो यह कौकलिया में छोटे बालों को नुकसान पहुंचने के कारण धमनियों में सूजन, जलन और उत्तेजना उत्पन्न होती है। सिर को थपथपाने से ये लगातार आने वाली कष्टकर आवाज़ बंद हो सकती है।
कानों को अपनी हथेली से बंद करें। उँगलियाँ सिर के पीछे वाले हिस्से पर टिका लें। दोनों हाथों की मध्यमा उंगली सिर के पीछे एक दूसरे के सामने करें।अपनी प्रथमा उंगली को मध्यमा उंगली पर रखें।
चुटकी बजाने के तरीके से, अपनी प्रथमा उंगली को मध्यमा उंगली से सरका कर चुटकी की तरह सिर के नीचे वाले हिस्से पर थपथपाएँ। उँगलियों के सिर पर लाग्ने से ढोल जैसी आवाज़ आती है। ये काफी तेज़ होती है। ये सामान्य है।
ऊपर दिये गए तरीके से आप सिर के पीछे 40 से 50 बार चुटकी बजाएँ। 40 से 50 बार बजाने के बाद देखें कि घंटी कि आवाज़ कम हुई की नहीं।

इंतज़ार करें: 

बहुत तेज़ आवाज़ में संगीत सुनने के फलस्वरूप कानों में घंटी बजनें लगती है, और कुछ घंटों में बंद हो जाती है। आप उससे ध्यान हटाएँ जैसे कि आराम करें या ऐसी किसी चीज़ से दूर रहें जिससे ये समस्या और न बढ़े।

कानों मेँ घंटी बजने की दीर्घकालिक बीमारी का उपचार

*चिकित्सक की सलाह लें: 

अधिकतर, टिनीटस (tinnitus) या कान में घंटी बजनें की समस्या किसी अन्य बीमारी के इलाज के फलस्वरूप उत्पन्न हो सकती है। इसका इलाज करने से कानों में घंटी बजना कम ही नहीं बल्कि पूरी तरह भी समाप्त हो सकती है।
*आप अपने चिकित्सक से कानों की मैल (wax) को साफ करवाएँ। वैकल्पिक रूप से, आप भी बड़ी सावधानी के साथ कान का मैल साफ कर सकतें हैं। कानों से मैल साफ करवाने के बाद आपको टिनीटस की बीमारी से आराम मिलेगा।
*चिकित्सक को अपनी रक्त वाहिनी (blood vessels) दिखाएँ। कमजोर हुई रक्त वाहिनियों की अवस्था से टिनीटस की बीमारी और बिगड़ सकती है।
*चिकित्सक से अपनी दवाई के संबंध में पुनः जांच करवा लें। अगर आप कोई दवाई लेते हैं तो डॉक्टर को
टिनीटस को आवाज़ प्रतिबंधित कर के रोक सकते हैं: विभिन्न प्रकार से आवाज़ को प्रतिबंधित कर, चिकित्सक घंटी की आवाज़ को बंद कर सकतें हैं। इन उपायों में विभिन्न प्रकार के उपकरण और विधियां बताई गई हैं।
व्हाइट नौइज़ मशीन (white noise machine) का उपयोग करें। “व्हाइट नौइज़ मशीन’ गिरती बारिश और हवा बहने जैसी प्रष्ठभूमि वाली आवाज़े निकालती है। ऐसी मशीन से निकली आवाज़ कानों में घंटी बजने की आवाज़ को डूबा सकती है।
*पंखा, नमी करने वाली मशीन (humidifier), नमी कम करने वाली मशीन (dehumidifier) और एयर कनडीशनर (A.C.) भी “व्हाइट नौइज़ मशीन” के समान काम करते हैं।
मासकिंग डिवाइस (कानों को ढकने वाला उपकरण) का प्रयोग करें। इसे कान पर लगा कर निरंतर ध्वनि उत्पन्न की जा सकती है, जिससे परेशान करने वाली घंटी की आवाज़ को दबाया जा सकता है।
कानों में सुनने की मशीन (hearing aids) लगाएँ। टिनीटस के साथ यदि आपको कम सुनाई पड़ता हो, तो इस उपकरण का ज़्यादा असर होता है । ज़रूर बताएं, कहीं यह किसी दवाई के दुष्प्रभाव से तो नहीं हो रहा।
टिनीटस रोग के लक्षण को दवाई लेने से सुधार सकतें हैं: दवाई लेने के बावजूद घंटी की आवाज़ से पूर्ण रूप से छुटकारा नहीं मिलता, बल्कि यदि दवाई प्रभावशाली है, तो घंटी की आवाज़ कम सुनाई पड़ेगी।
डॉक्टर से एंटिडिप्रेसेंट के लिए परामर्श लें। गंभीर टिनीटस के लिए एंटिडिप्रेससेंट काफी कारगर सिद्ध होते हैं, परंतु इसके कुछ अनुचित दुष्प्रभाव होते हैं जैसे कि, मुँह सूखना, आँखों में धुंधलापन छाना, कब्ज़ एवं दिल के रोग।
एल्प्राज़ोलम लेने के लिए डॉक्टर से परामर्श लें। जनक्स (xanax) के नाम से प्रचलित, टिनिटस बुज़जिंग कम करने में अल्प्राजोलम काफी कारगर सिद्ध होती है, लेकिन इसकी लत लगने के, तथा अन्य दुष्प्रभाव होते हैं।

जिंकगो का प्रयोग करें: 

भोजन के साथ जिंकगो (ginkgo) के रस का दिन में तीन बार सेवन करने से सिर और गर्दन में खून का बहाव बढ़ जाता है, जिससे रक्तचाप से उत्पन्न घंटी बजना, कम हो जाता है। जिंकगो का प्रयोग दो महीने करने के बाद उसके प्रभाव का आंकलन करें।

टिनिटस की रोकथाम

उन स्थितियों से बचें जिन से कॉक्लिया के क्षतिग्रस्त होने से टिनिटस होता है: क्योंकि टिनिटस का उपचार कठिन होता है, इसलिए इस बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका कि इससे बचें, या इसे और बुरा होने न दें। निम्न से टिनिटस के लक्षण बढ़ सकते हैं:
*तेज़ ध्वनि। संगीत के कार्यक्रम इसके प्रमुख दोषी हैं, परंतु हवाईजहाज, निर्माण कार्य, यातायात, गोली की आवाज़, पटाखे इत्यादि तेज़ आवाज़ इसके लिए हानिकारक हो सकते हैं।

*तैरना:

 तैरते समय पानी और क्लोरीन कान में फंस सकते हैं, जिससे टिनिटस बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए तैरते समय कान के प्लग (earplugs) का प्रयोग करें।

टिनिटस को नियंत्रित करने के लिए बेहतर भोजन की आदतें

सोडियम (लवण) और कैफीन (चाय या कॉफी में पाया जाने वाला पदार्थ) का सेवन कम करें। फास्ट फूड (बाज़ार का खाना) से बचें जिनमें सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है। अपने रोज़ के खान-पान में बदलाव करें और बहुत अधिक कॉफी का सेवन करने से बचें, उसकी जगह ग्रीन टी पिएँ।
टिनिटस अथवा कर्णक्ष्वेण आम तौर पर 40 की उम्र से अधिक आयुवर्ग के लोगों को प्रभावित करता है। इसके मामले बढ़ रहे हैं, आजकल यह कम उम्र वाले लोगों को भी प्रभावित कर रहा है। जो लोग हेडफ़ोन के साथ ज़ोर से संगीत सुनते हैं, उन्हें कान में सीटी बजने या टिनिटस होने का खतरा अधिक होता है।
जहाँ तक हो सके ईयर प्लग्स (कर्ण संरक्षण उपकरण) का इस्तेमाल करें और अच्छे कान स्वास्थ्य के लिए अच्छे पोषक खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

*अपने तनाव को दूर करने के लिए बाहर घूमने जाएँ:

 अगर आप तनाव से ग्रसित हैं तो लगातार कानों में घंटी बजने कि समस्या और भी बढ़ सकती है। अपने तनाव से बचनें के लिए व्यायाम, ध्यान और मालिश द्वारा रोगोपचार किया जा सकता है
*अल्कोहल, कैफीन और निकोटीन का कम से कम सेवन करें: इन सब से धमनियों पे दबाव पड़ने के कारण ये तन जातीं हैं। ये कान के भीतरी भाग में होता है। लक्षण कम करने के लिए तंबाकू, अल्कोहल, कॉफी और कैफीन युक्त चाय का सेवन न करें।

नमक का प्रयोग न करें: 

नमक, शरीर में खून का बहाव, कमजोर करता है, जिससे रक्तचाप और टिनिटस बढ़ सकते हैं।
परामर्श
कान में बजती घंटी को रोकने के लिए शरीर की प्रतिरक्षित व्यवस्था (immune system) को मजबूत करने का प्रयास करना होगा। ये आपको संक्रमण और बीमारियों से बचने में मदद करता है, जिससे कान में परेशान करने वाली ध्वनि कम हो सकती है। स्वास्थ में सुधार का मतलब है टिनिटस में भी सुधार। स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, जिसमें पौष्टिक आहार, निरंतर और उपयुक्त व्यायाम एवं भरपूर निद्रा शामिल हो


परहेज और आहार 

रक्तसंचार को बढ़ाने हेतु ढेर सारा ताजा अन्नानास खाएँ।
लहसुन के गंधरहित कैप्सूल लें या उन्हें भोजन में पका लें। लहसुन सूजन घटाने और संचार बढ़ाने इन दोनों कार्यों में सहायक होता है।
अपने कच्चे फल, हरी सब्जियों और पकी दालों (फलियों) के सेवन को बढ़ाएं। यह आहार विटामिनों, एमिनो एसिड्स और वनस्पतिजन्य यौगिकों से समृद्ध होता है जो भीतरी कान की सूजन को कम करने में सहायक होते हैं।
सूखे फल और मेवों का सेवन करें. ये भी टिनिटस को प्राकृतिक रूप से कम करने में लाभकारी होते हैं।इनसे परहेज करें
नमक का प्रयोग कम करें और कैफीनयुक्त पेय पदार्थ ना लें।
धूम्रपान और शराब के प्रयोग को कम करें क्योंकि ये आपके कानों की ध्वनि को प्रभावित करते हैं।
एस्पिरिन (एसिटाइलसेलिसिलिक एसिड) का प्रयोग ना करें जो कि सैलिसिलिक एसिड से बनती है। एस्पिरिन के कारण कुछ लोगों के कानों में घंटी बजने की ध्वनि उत्पन्न होती पाई गई है।

योग और व्यायाम

अपने मुँह को जितना सम्भव हो खोलें, और फिर अपने हाथ को ठोढ़ी पर रखकर, अपने मुँह को और चौड़ा करें। इस स्थिति में 30 सेकंड रहें।
मुँह को सहायता द्वारा खोलना जबड़े को खोले वाले व्यायाम के समान कार्य करता है। अपना मुँह खोलें, फिर दो उँगलियों से सामने के निचले दांतों जकड़ें। अपने मुँह को कुछ और खोलें और कुछ सेकंड तक इस स्थिति में बने रहें। 10 बार दोहराएँ।
अपने मुँह को ढीला और हल्का खोलें, और अपने जबड़े को दाहिनी तरफ जितना हो सके ले जाएँ। अपनी बाईं मुट्ठी जबड़े के विरुद्ध रखें और 30 सेकंड तक दाहिनी और जबड़े को बनाए रखने के लिए दबाव डालें। इसके बाद दाहिनी मुट्ठी का प्रयोग बाएँ जबड़े पर करें। इसे चार बार दोहराएँ और ऐसा दिन में कुल चार बार करें।
कांच के सामने खड़े हों, दांतों को जोर से भींच लें, मध्य के दोनों दांतों की निचले जबड़े पर स्थिति पर एकाग्र हों। जबड़े को बाएँ या दाएँ घुमाए बिना, दोनों दांतों को केंद्र में रखते हुए, अपने मुँह को धीरे-धीरे खोलें। इसे दिन में 10 बार करें।

योग-

टिनिटस के लक्षणों को दूर करने वाले योगासनों में हैं:
अधोमुख श्वानासन
उष्ट्रासन
मत्स्यासन
नावासन


23.11.21

भटकटैया (कंटकारी)के गुण,लाभ,उपचार Gorse (wild egg plant)

पथरी, लिवर का बढ़ना और माइग्रेन जैसे अनेक रोगों का नाश करती है 'कटेरी'




कटेरी का पौधा औषधीय गुणों से युक्‍त होता है। यह कई जीर्ण विकारों को ठीक करने में सक्षम है। इसका प्रयोग आप कई गंभीर रोगों के उपचार में कर सकते हैं।
कटेरी, जिसे कंटकारी और भटकटैया भी कहते हैं। हिंदी में इसके कई नाम है जैसे- छोटी कटाई, भटकटैया, रेंगनी, रिगणी, कटाली, कटयाली आदि। यह कांटेदार एक पौधा है जो जमीन पर उगता है। कटेरी अक्‍सर जंगलों और झाड़ियों में बहुतायत रूप से पाया जाता है। आमतौर पर कटेरी की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं। छोटी कटेरी (Solanum virginiannumLinn), बड़ी कटेरी (Solanum anguivi Lam) और श्‍वेत कंटकारी (Solanum lasiocarpum Dunal)। जिनका प्रयोग रोगों को दूर करने के लिए औषधि के तौर पर किया जाता है।

 भटकटैया दो प्रकार की होती हैं : 
(1) क्षुद्र यानी छोटी भटकटैया और
 (2) बृहती यानी बड़ी भटकटैया। 
दोनों के परिचय, गुणादि निम्नलिखित हैं :

छोटी भटकटैया : 
1. इसे कण्टकारी क्षुद्रा (संस्कृत), छोटी कटेली भटकटैया (हिन्दी), कण्टिकारी (बंगला), मुईरिंगणी (मराठी), भोयरिंगणी (गुजराती), कान्दनकांटिरी (तमिल), कूदा (तेलुगु), बांद जान बर्री (अरबी) तथा सोलेनम जेम्थोकार्पम (लैटिन) कहते हैं।भटकटैया का पौधा जमीन पर कुछ फैला हुआ, काँटों से भरा होता है। भटकटैया के पत्ते 3-8 इंच तक लम्बे, 1-2 इंच तक चौड़े, किनारे काफी कटे तथा पत्र में नीचे का भाग तेज काँटों से युक्त होता है। 
भटकटैया के फूल नीले रंग के तथा फल छोटे, गोल कच्ची अवस्था में हरे तथा पकने पर पीले रंग की सफेद रेखाओं सहित होते हैं।
* यह प्राय: समस्त भारत में होती है। विशेषत: रेतीली भूमि तथा बंगाल, असम, पंजाब, दक्षिण भारत में मिलती है।
* भटकटैया के दो प्रकार होते हैं : 
(क) नीलपुष्पा भटकटैया (नीले फूलोंवाली, अधिक प्राप्य) ।
 (ख) श्वेतपुष्पा भटकटैया (सफेद फूलोंवाली, दुर्लभ)
 भटकटैया एक छोटा कांटेदार पौधा जिसके पत्तों पर भी कांटे होते हैं। इसके फूल नीले रंग के होते हैं और कच्‍चे फल हरित रंग के लेकिन पकने के बाद पीले रंग के हो जाते हैं। बीज छोटे और चिकने होते हैं। भटकटैया की जड़ औषध के रूप में काम आती है। यह तीखी, पाचनशक्तिवर्द्धक और सूजननाशक होती है और पेट के रोगों को दूर करने में मदद करती है। यह प्राय पश्चिमोत्तर भारत में शुष्क स्थानों पर पाई जाती है। यह पेट के अलावा कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं में उपयोगी होती है। 
  मुख्‍य रूप से कटेरी का उपयोग स्‍वास संबंधी समस्‍या जैसे अस्‍थमा, खांसी, हिचकी आदि का इलाज करने में किया जाता है। इसके अलावा अपने औषधीय गुणों के कारण कटेरी बुखार, सूजन आदि का भी प्रभावी उपचार कर सकता है। आयुर्वेद में में इसे दवा के रूप में सीधे ही उपयोग किया जाता है। इसके अलावा इसे कई अन्‍य जड़ी बूटीयों के साथ मिलाकर भी इस्‍तेमाल किया जाता है।
 आयुर्वेदीय चिकित्सा में कटेरी के मूल, फल तथा पंचाग का व्यवहार होता है। प्रसिद्ध औषधिगण 'दशमूल' और उसमें भी 'लंघुपंचमूल' का यह एक अंग है। स्वेदजनक, ज्वरघ्न, कफ-वात-नाशक तथा शोथहर आदि गुणों के कारण आयुर्वेदिक चिकित्साके कासश्वास, प्रतिश्याय तथा ज्वरादि में विभिन्न रूपों में इसका प्रचुर उपयोग किया जाता है। बीजों में वेदनास्थापन का गुण होने से दंतशूल तथा अर्श की शोथयुक्त वेदना में इनका धुआँ दिया जाता है।

अस्‍थमा में फायदेमंद-

भटकटैया अस्‍थमा रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में भटकटैया की जड़ का काढ़ा या इसके पत्तों का रस 2 से 5 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह शाम रोगी को देने से अस्‍थमा ठीक हो जाता है। या भटकटैया के पंचांग को छाया में सुखाकर और फिर पीसकर छान लें। अब इस चूर्ण को 4 से 6 ग्राम की मात्रा में लेकर इसे 6 ग्राम शहद में मिलाकर चांटे। इस प्रकार दोनों समय सेवन करते रहने से अस्‍थमा में बहुत लाभ होता है।

*खांसी दूर करें-

भटकटैया की जड़ के साथ गुडूचू का काढ़ा बनाकर पीना, खांसी में लाभकारी सिद्ध होता है। इसे दिन में दो बार रोगी को देने से कफ ढीला होकर निकल जाता है। यदि काढे़ में काला नमक और शहद मिला दिया जाए, फिर तो इसकी कार्यक्षमता और अधिक बढ़ जाती है। या भटकटैया के 14-28 मिलीलीटर काढ़े को 3 बार कालीमिर्च के चूर्ण के साथ सेवन करने से खांसी में लाभ मिलता है। इसके अलावा बलगम की पुरानी समस्‍या को दूर करने के लिए 2 से 5 मिलीलीटर भटकटैया के पत्तों के काढ़े में छोटी पीपल और शहद मिलाकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से खांसी मे आराम आता है


*ब्रेन ट्यूमर के उपचार में सहायक-

भटकटैया का पौधा ब्रेन ट्यूमर के उपचार मे सहायक होता है। वैज्ञानिक के अनुसार पौधे का सार तत्व मस्तिष्क में ट्यूमर द्वारा होने वाले कुशिंग बीमारी के लक्षणों से राहत दिलाता है। मस्तिष्क में पिट्युटरी ग्रंथि में ट्यूमर की वजह से कुशिंग बीमारी होती है। कांटेदार पौधे भटकटैया के दुग्ध युक्त बीज में सिलिबिनिन नामक प्रमुख एक्टिव पदार्थ पाया जाता है, जिसका इसका उपयोग ट्यूमर के उपचार में किया जाता हैं।
*प्रेगनेंसी में उल्‍टी और मतली को रोकने के लिए 5 ग्राम कटेरी पंचांग और 5-6 मुनक्‍का लें और इसे पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े का नियमित रूप से सेवन करें।
*लिवर की समस्‍या में कटेरी का उपयोग कर सकते हैं। नियमित रूप से कटेरी के काढ़े का सेवन लिवर में मौजूद संक्रमण और सूजन को कम करने में मदद करता है।

*दर्द व सूजन दूर करें

    भटकटैया दर्दनाशक गुण से युक्त औषधि है। दर्द दूर करने के लिए 20 से 40 मिलीलीटर भटकटैया की जड़ का काढ़ा या पत्ते का रस चौथाई से 5 मिलीलीटर सुबह शाम सेवन करने से शरीर का दर्द कम होता है। साथ ही यह आर्थराइटिस में होने वाले दर्द में भी लाभकारी होता है। समस्‍या होने पर 25 से 50 मिलीलीटर भटकटैया के पत्तों के रस में कालीमिर्च मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पिलाने से लाभ होता है। इसके अलावा सिर में दर्द होने पर भटकटैया के फलों का रस माथे पर लेप करने से सिर दर्द दूर हो जाता|

* पथरी :

 दोनों भटकटैयों को पीसकर उनका रस मीठे दही के साथ सप्ताहभर सेवन करने से पथरी निकल जाती तथा मूत्र साफ आने लगता है।

भटकटैया के फायदे दांत दर्द में

दांतों का दर्द भी एक गंभीर समस्‍या है। लेकिन आयुर्वेद में दांत के दर्द को दूर करने के लिए भटकटैया का उपयोग प्राचीन समय से किया जा रहा है। यदि आप भी दांत के दर्द से परेशान हैं तो भटकटैया के पत्‍तों के रस का उपयोग करें। कटेरी की ताजा पत्तियों को मसलकर रस निकालें। इस रस को दर्द प्रभावित दांतों में लगाएं। यह आपको दांत के दर्द से तुरंत ही राहत दिलाता है।

माइग्रेन मे 

माइग्रेन, और सिरदर्द में कंटकरी का प्रयोग काफी फायदेमंद है। इसके अलावा अस्‍थमा में छोटी कटेरी के 2-4 ग्राम कल्क में 500 मिग्रा हींग और 2 ग्राम शहद मिलाकर, सेवन करने से लाभ मिलता है।

गंजापन में फायदेमंद

गंजापन के रोग मैं कटेरी के पत्तों के 20 से 30 एमएल रस में थोड़ा-सा शहद मिलाकर सिर पर मालिश करें। इससे सिर की त्वचा मुलायम होती है और नए बाल आने शुरू हो सकते हैं।

* फुन्सियाँ :


सिर पर छोटी-छोटी फुन्सियाँ होने पर भटकटैया का रस शहद में मिलाकर लगायें।

आंखों के लिए फायदेमंद

आंखों से संबंधित बीमारियां बहुत तरह के होते हैं। जैसे सामान्य आंख में दर्द, आंखों का लाल होना इन सभी तरह के समस्याओं में कटेरी से बना घरेलू नुस्खा बहुत ही काम आता है। इसके लिए कटेरी के 20 से 30 पत्ते को पीसकर पेस्ट बना लीजिए। और इसे आंखों पर लगाएं इससे आंखों से संबंधित समस्याओं में आराम मिलेगा।
*कटेरी की जड़ का पेस्ट सांप और बिच्छू के काटने के इलाज में नींबू के साथ मिलाकर इस्‍तेमाल किया जाता है।
इसके तने, फूल और फल, कड़वे होने के कारण, पैरों में होने वाली जलन से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
*कंटकारी के फल वीर्य स्खलन को रोकते हैं। इससे सेक्‍स लाइफ बेहतर होती है। फल पुरुषों में कामोत्तेजक के रूप में काम करता है।
*महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म और दर्द के इलाज के लिए इसके बीज मददगार हैं।
*यह जड़ी-बूटी एडिमा से जुड़ी हृदय रोगों के उपचार में फायदेमंद है, क्योंकि यह हृदय और रक्त शोधक के लिए उत्तेजक का काम करती है।
*शारीरिक कमजोरी में दिन में दो बार कटेरी के ताजे पत्तों का रस पीना चाहिए। इसमें आप मिश्री मिलाकर उपयोग कर सकते हैं।
*कंटकारी का प्रयोग खूनी बवासीर में सहायक है।
*गठिया में दर्द और सूजन को कम करने के लिए कटेरी का पेस्‍ट जोड़ों पर लगाया जाता है।




22.11.21

वाटर थेरेपी के फायदे:water therapy




 

जापानी जल चिकित्सा (Japanese water therapy) जापान की एक प्रसिद्ध चिकित्सा पद्धति है, जो जापानी लोगों के बीच व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसमें पाचन तंत्र को साफ करने और पेट के स्वास्थ्य को विनियमित करने के लिए सुबह उठने के बाद रूम टेंपरेचर के तापमान का पानी खाली पेट पीना होता है। वहीं इस नार्मल तापमान के पानी के अलावा आप गर्म पानी भी पी सकते हैं। वहीं जापानी वॉटर थेरेपी के अधिवक्ताओं की मानें, तो ठंडा पानी हर तरीके से हानिकारक है क्योंकि यह आपके भोजन में फैट और तेल को आपके पाचन तंत्र में कठोर कर सकता है। इस वजह से आपका पाचन धीमा कर हो जाता है और ये कई बीमारी का कारण बन सकता है।

क्या है वाटर थैरेपी- 

वाटर थैरेपी में कुछ खास नहीं होता है, बस इस थैरेपी में आपको अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीना होता है। जब आप ये थैरेपी लेते हैं तो आपको 10 से 15 गिलास पानी पीना होता है। दरअसल पानी आपके शरीर के हर भाग में मौजूद होता है और यह आपको हेल्दी रखता है और कई तरीकों से आपकी मदद करता है। इस थैरेपी में आपको अधिक से अधिक पानी पीते हुए करीब 3 से चार लीटर पानी पीना होता है, क्योंकि आपके शरीर को करीब डेढ़ लीटर पानी की जरुरत होती है और अधिक मात्रा में पानी आपके शरीर से निकल जाता है।
 जापानी वॉटर थेरेपी में जागने पर और ब्रश करने से पहले आपको खाली पेट पानी पीना है। इसे करने के लिए खाली पेट कमरे के तापमान के पानी के चार से पांच गिलास पिएं यानी (160-मिलीलीटर) जितना पानी। ध्यान में रखें कि ये पानी नार्मल टेंपरेचर का या हल्का गर्म हो। इसे नाश्ता खाने से 45 मिनट पहले करें। वहीं इसमें ये भी बताया गया है कि प्रत्येक भोजन में, केवल 15 मिनट के लिए ही खाएं और कुछ भी खाने या पीने से कम में कम 2 घंटे का गैप रखें।

वॉटर थैरेपी के फायदे-

स्किन में लाता है निखार- इससे आपकी स्किन में कुछ ही दिनों में हमेशा के लिए निखार आना शुरू हो जाता है। कई उम्र के लोगों ने इसकी कोशिश की है और इस थैरेपी को आजमाया है और यह काम भी करती है। यह आपकी स्किन को हेल्दी रखता है और फ्रेश रखता है। बता दें कि यह थैरेपी एक दम से काम करना शुरू नहीं करती है और काफी समय बाद इसका असर देखने को मिलता है।
हानिकारक विषाणु होते हैं दूर- हमारे शरीर में 70 से 80 फीसदी तक पानी होता है और इसलिए शरीर में पानी की मात्रा को बरकरार रखना बहुत जरुरी होता है। नियमित रुप से पानी पीने से आपके शरीर से कई विषाक्त कण दूर होते हैं और आपकी स्किन से दाग धब्बे दूर होने लगते हैं। इससे पेट और किडनी से संबंधी दिक्कतें भी नहीं होती है और ब्लड ठीक रहता है जो कि आपकी स्किन के लिए भी ठीक है।

ड्राइनेस कम होती है- 

बीमारियों से बचने के लिए और हमेशा हेल्दी रहने के लिए आपके शरीर को हमेशा हाइड्रेट होना चाहिए। ठीक उसी तरह आपकी स्किन को भी हाइड्रेट होते रहना जरुरी है, क्योंकि इससे आपकी स्किन की ड्राईनेस कम होती है और स्किन की कई दिक्कतें दूर होनी चाहिए।

कैसे देते हैं यह थेरेपी

आथ्र्राइटिस के मरीज थोड़े-से गुनगुने पानी में कच्ची हल्दी का पेस्ट मिला लें। इस पानी को सुबह खाली पेट पिएं औैर शाम को डिनर से एक घंटा पहले पिएं। इससे जोड़ों के अंदर की अकड़न दूर होगी।
थाइरॉइड पीड़ित व्यक्ति रात को एक चम्मच साबुत धनिया एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह खाली पेट पानी को आधा रह जाने तक उबालें। इसे गुनगुना होने पर पी लें।
 हाइपर एसिडिटी के मरीज को दिन भर में कम से कम 6 गिलास गर्म पानी पीने के लिए कहा जाता है। गुनगुना पानी पेट में जाकर इकट्ठी एसिडिटी को घोल देता है और 30 से 45 मिनट के भीतर एसिडिटी से आराम देता है।
मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति को दिन में कम से कम 10-12 गिलास गर्म पानी पीना चाहिए। उसमें नीबू, कच्ची हल्दी का पेस्ट, आंवले का रस, शुद्ध शहद भी मिला सकते हैं। मरीज डायबिटिक है तो उसे शहद नहीं देते। किडनी के मरीजों को पानी थोड़ा-थोड़ा करके देते हैं।
 त्वचा की समस्या से पीड़ित मरीज को गुनगुने पानी में नीबू मिलाकर पीने के लिए दिया जाता है और नीम के पत्तों का पेस्ट नहाने के पानी में मिलाकर नहाने के लिए कहा जाता है।
 उल्टी, खट्टी डकार आ रही हो, भूख नहीं लग रही हो, आंतों में सूजन हो तो पीड़ित व्यक्ति को गर्म पानी पिलाया जाता है।
 पानी प्रयोग की विधि क्या है सुबह उठकर बिस्तर में बैठ जाएं और चार बड़े ग्लास भरकर (लगभग एक लीटर) पानी एक ही समय एक साथ पी जाएं। ध्यान रहे कि पानी पीने के पहले मुंह न धोएं, न ब्रश करें तथा शौचकर्म भी न करें। पानी पीने के बाद थूकें नहीं। >
 पानी पीने के पौन घंटे बाद आप ब्रश/दातून, मुंह धोना, शौचकर्म इत्यादि नित्यकर्म कर सकते हैं। जो व्यक्ति बीमार या कमजोर काया के हैं और वे एक साथ चार ग्लास पानी नहीं पी सकते तो उन्हें शुरूआत एक-दो ग्लास पानी से करना चाहिए तथा धीरे-धीरे चार ग्लास तक बढ़ाना चाहिए। साथ ही भोजन करने के बाद लगभग दो घंटे पानी न पिया जाए तो अति उत्तम रहेगा।
 चार ग्लास पानी पीने की यह विधि स्वस्थ या बीमार, सभी के लिए अति लाभदायक सिद्ध हुई है। सकनीरा एसोसिएशन के अनुभव द्वारा यह सिद्ध किया गया है कि कई बीमारियां इस प्रयोग से निम्नलिखित समय में दूर होती जाती हैं।
* मधुमेह एक माह के लगभग।
* उच्च रक्तचाप एक माह के लगभग। * गैस दो सप्ताह के लगभग।
* टी.बी. छः माह के लगभग।
* कब्जीयत- दो सप्ताह के लगभग।

बिस्‍तर से उठने के बाद सुबह - 

सुबह आप लगभग 1.5 लीटर पानी पिएं, जो कि लगभग 5 से 6 गिलास होता है। इस पानी को खाली पेट पीना होता है। इसके बाद आप अपना चेहरा धोएं। यह प्रक्रिया वॉटर थेरेपी ट्रीटमेंट कहलाती है। इस ट्रीटमेंट को करने से पहले आप समझ लें कि पानी पीने से एक घंटे पहले और पानी पीने के एक घंटे के बाद तक कुछ भी न खाएं और पीएं, ठोस आ‍हार भूल से भी न खाएं। अगर आप वाकई में कायदे से इस ट्रीटमेंट को करना चाहते हैं तो रात को सोते समय एल्‍कोहल पीना छोड़ दें।
जापानी वॉटर थेरेपी तनाव को दर करने में मदद करती है। इसके साथ ही यह वजन को नियंत्रित रखती है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है। सिर्फ यही नहीं, यह थेरेपी पूरे दिन आपको एनर्जेटिक रखती है। पर्याप्त पानी पीने से मेटाबोलिज्म भी बेहतर होता है।
पानी पीने के बाद दांतों को ब्रश से साफ करें। 45 मिनट तक कुछ भी खाने या पीने से बचें। इसके बाद आप अपनी नियमित दिनचर्या शुरू कर सकते हैं।
दिन के प्रत्येक भोजन के कम से कम दो घंटे बाद तक कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए।
बीमारियों से ग्रसित बूढ़े लोगों को इस थेरेपी की शुरूआत में एक गिलास पानी पीना चाहिए। इसके बाद धीरे-धीरे पानी की मात्रा बढ़ानी चाहिए।
यदि आप एक बार में चार गिलास पानी नहीं पी सकते हैं तो हर गिलास के बाद कुछ देर रुकें ताकि आपके पेट को आराम मिल सके।
जापानी वॉटर थेरेपी रोगों से मुक्ति देती है और शरीर को स्वस्थ रखती है। इस थेरेपी का नियमित पालन करना चाहिए।
इसके अलावा, ठंडे पानी का सेवन करने से भी बचना चाहिए। ठंडा पानी आपके गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल तापमान को कम करता है और कुछ लोगों में रक्तचाप को थोड़ा बढ़ा सकता है। इससे पहले कि आप किसी स्थिति या बीमारी के इलाज के लिए इस वॉटर थेरेपी के उपयोग करने पर विचार करें, आपको अपने डॉक्‍टर से जरूर संपर्क करना चाहिए।
स्वस्थ जीवन के लिए जापानी वॉटर थेरेपी बहुत फायदेमंद है। इसका अभ्यास करने से विभिन्न तरह की बीमारियां दूर हो जाती हैं।अगर जरूरी हो तो पानी को फिल्‍टर करके और हल्‍का गुनगुना पिएं, वॉटर थेरेपी के लिए ऐसा पानी की सबसे अच्‍छा होता है। शुरूआत में 1.5 लीटर पानी पीने में तकलीफ हो सकती है लेकिन हर दिन पानी पीने से आपकी आदत पड़ जाएगी। इसके लिए शुरूआत में ज्‍यादा से ज्‍यादा पानी पीने की कोशिश करें, लगभग 4 गिलास पानी कम से कम पी जाएं
 एकदम से पानी न पिएं, पहले दो गिलास पिएं, इसके बाद दो मिनट का रेस्‍ट लें और फिर दो गिलास पिएं। जब आप शुरूआत में पानी पीना शुरू करेंगे तो शायद आपको एक घंटे में दो से तीन बार पेशाब के लिए जाना पड़ें, लेकिन कुछ समय आपकी आदत में इतना सारा पानी पीना शामिल हो जाएगा।
 ताजगी महसूस होगी अगर आप वॉटर थेरेपी की लगातार प्रैक्टिस करते रहेगें, तो दिन भर आपको ताजगी महसूस होती रहेगी और पूरा दिन आप ताजातरीन महसूस करते रहेगें।
मोटापा घटाए वॉटर थेरेपी, वजन को घटाने में भी लाभकारी होती है।
 शरीर से विषैले पदार्थ दूर हो इस थेरेपी से पसीने व मूत्र की सहायता से शरीर के विषैले तत्‍व बाहर निकल जाते हैं।
सिर दर्द, शरीर में दर्द, गठिया दूर करे वॉटर थेरेपी से सिर दर्द, शरीर में दर्द, गठिया, दिल की धड़कन तेज बढ़ना, मिरगी, ब्रोंकाइटिस, मोटापा, दमा, टीबी, मेनि‍नजाइटिस, गुर्दे और मूत्र रोग, उल्‍टी, जठरशोथ, दस्‍त, बवासीर, डायबटीज, सभी नेत्र रोगों, मासिक धर्म संबधी विकार, कान, नाक और गले के रोगों का उपचार संभव है।
त्‍वचा चमकाए इसकी सहायता से आपके शरीर की त्‍वचा दमकदार हो जाती है।
शरीर का तापमान सामान्‍य रखे वॉटर थेरेपी, शरीर का तापमान सामान्‍य रखती है।
कॉन्‍स्‍टीपेशन, एसीडिटी, डायबटीज और कैंसर दूर हो अगर वॉटर थेरेपी को प्रतिदिन कायदे से किया जाएं, तो इससे 1 दिन में कॉन्‍स्‍टीपेशन, 
2 दिन में एसीडिटी, 
7 दिन में डायबटीज, 
4 हफ्ते में कैंसर, 
3 महीने में पल्‍मोनरी टीबी, 
10 दिनों में गैस्ट्रिक और 
4 हफ्तों में बीपी और हाइपरटेंशन दूर हो जाती है।
 ज्यादातर बीमारियां पेट की खराबी के कारण होती हैं। जापानी वॉटर थेरेपी आंत को साफ करती है और पाचन तंत्र को मजबूत रखती है। जापानी पारंपरिक चिकित्सा में सुबह जल्दी उठने के बाद पानी पीने की सलाह दी जाती है। सुबह के शुरुआती घंटों को गोल्डेन ऑवर कहा जाता है। माना जाता है कि इस अवधि के दौरान पानी पीने से न केवल आपके पाचन तंत्र ठीक रहता है और वजन घटता है, बल्कि विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने में भी मदद मिल सकती है।
 वास्तव में बहुत सारे रोगों के लिए की जाने वाली उपचार प्रणाली है जल चिकित्सा। इसमें शीतल और ऊष्ण पानी के प्रयोग के द्वारा इलाज़ किया जाता है। शरीर के अंदरूनी और बाहरी अंगों पर आवश्यकता के अनुसार गर्म और ठंडे पानी का उपयोग किया जाता है। इस चिकित्सा को अंग्रेज़ी में हाइड्रोथेरेपी (Hydrotherapy) कहा जाता है। इस चिकित्सा पद्धति का इतिहास बहुत अधिक पुराना है। लेकिन समय के साथ इसमें बहुत सारे बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
 जापान जैसे देशों में तो इस तरह की चिकित्सा पद्धति काफी प्रचलित है। दुनिया में जितनी भी चिकित्सा पद्धति पाई जाती हैं उनमें सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति वॉटर थेरेपी ही है। प्राकृतिक चिकित्सा के अलावा आयुर्वेद और यूनानी उपचार विधियों में भी जल चिकित्सा को काफी महत्वपूर्ण माना गया है।
हाइड्रोथेरेपी (HYDROTHERAPY) के लाभ
• ऐसा दर्द जो लंबे समय के लिए आपके शरीर में बना हुआ है। इस दर्द को दूर करने के लिए जल चिकित्सा एक रामबाण उपचार है।
• यह पद्धति कोशिकाओं को हाइड्रेट रखती है। इसके अलावा इससे मांसपेशियों और त्वचा की रंगत में सुधार आता है।
• इस उपचार प्रणाली से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद मिलती है।
• इसके माध्यम से हमारे शरीर के आंतरिक अंगों में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है।
• तनावपूर्ण और अकड़ी हुई मांसपेशियों को सही करने में जल चिकित्सा से मदद मिलती है।
• इससे मेटाबोलिज्म और पाचन क्रिया को अच्छा रखा जा सकता है।
• वॉटर थेरेपी की सहायता से प्रसव पीड़ा तक को कम किया जा सकता है।
• शरीर में होने वाली किसी भी सूजन को कम करने के लिए भी वॉटर थेरेपी का सहारा लिया जा सकता है।
• बुखार दूर करने के इसके लिए वॉटर ट्रीटमेंट थेरेपी (Water Treatment Therapy) का सहारा लिया जा सकता है।
कैसे पानी वजन घटाने में करता है मदद
 अध्ययन के मुताबिक, पानी वजन घटाने (water therapy to lose weight) में आपकी कई रूप से मदद कर सकता है। वजन कम करने के लिए आपको करना ये है कि भोजन से 30 मिनट पहले 500 एमएल पानी पीना है। अध्ययन के मुताबिक, जो लोग खाना खाने से पहले ऐसा करते हैं वह अन्य लोगों की तुलना में 13 फीसदी तक कम खाते हैं। एक अन्य अध्ययन में ये पाया गया कि अगर आप खाना खाने के बाद कुछ मीठा खाने के बजाए पानी पीते हैं तो आप कैलोरी इनटेक को कम कर सकते हैं। इस बात को जान लें कि खाना खाने के बाद मीठा खाने से वजन बढ़ता है ।
 ऐसा माना जाता है कि पानी में मौजूद हाइड्रेशन कॉम्पोनेंट वजन घटाने में अहम भूमिका निभाते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी पेट भरने का भी काम करता है। अगर आप भोजन से पहले एक गिलास पानी पी लेते हैं तो आप ज्यादा खाने से बच सकते हैं और दूसरी अनहेल्दी चीजों के सेवन से आप बच सकते हैं। यह आपको जरूरत से ज्यादा कैलोरी इनटेक पर अंकुश लगाता है और वजन बढ़ने से रोकने में मदद कर सकता है। न सिर्फ पानी पीने से बल्कि आप खाने का एक रूटीन बनाकर भी कैलोरी इनटेक में कमी ला सकते हैं। ये सभी चीजें वजन घटाने की प्रक्रिया को तेज करती हैं और आपको सही शेप में रहने में मदद करती हैं।
 कुछ भी खाने के बीच का अंतर सिर्फ 15 मिनट तक सीमित है। इसके अलावा आपके भोजन के बीच कम से कम 2 घंटे का अंतर होना चाहिए। सबसे जरूरी बात आप जो भी चाहें खा सकते हैं। किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं है। हां, आप जो भी खाएं बस वो हेल्दी होना चाहिए।

सावधानी-

सुरक्षित होने के लिए, प्रति घंटे लगभग 4 कप (1 लीटर) से अधिक तरल नहीं पीना चाहिए, क्योंकि यह अधिकतम राशि है, जो एक स्वस्थ व्यक्ति की किडनी एक ही बार में संभाल सकती है।