7.4.24

सेक्सुअल क्षमता बढ़ाती है गोरख मुंडी ,सैंकड़ों रोगों में राम बाण औषधि /Benefits of Gorakh mundi




भारत में चमत्कारिक जड़ी-बूटियों से युक्त औषधियों का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है. ऐसी ही एक सुगंधित जड़ी-बूटी है गोरखमुंडी (Gorakhmundi). भारत के लगभग हर वन्य प्रदेशों में आसानी से उपलब्ध होने वाला गोरखमुंडी को आमतौर पर बरसात में बोया जाता है और सर्दी के आते-आते इसमें फल-फूल लगने लगते हैं. इसके पश्चात ये इस्तेमाल करने योग्य हो जाते हैं. कभी-कभी ग्रीष्मकाल में गोरखमुंडी के पौधे धान के खेतों में भी नजर आ जाते हैं. गोरखमुंडी वस्तुतः तमाम औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. इनका इस्तेमाल आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा आदि के अंतर्गत विभिन्न छोटे-बड़े रोगों के लिए किया जाता है. मधुमेह, बुखार, खांसी, पाचन, पीलिया, पेट के कीड़ों इत्यादि रोगों के उपचार के लिए इसके पौधों, पत्तियों, जड़ों एवं फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. आइये जानें गोरखमुंडी के विभिन्न हिस्सों का इस्तेमाल किन-किन रोगों के लिए किस रूप में किया जाता है, और ये किस हद तक लाभकारी हो सकते हैं.

सेक्सुअल क्षमता बढ़ाने के लिए

हर्बेलिस्ट डॉ.दयाराम आलोक लिखते हैं  गोरख मुंडी  के पौधों को छांव में सुखाकर बारीक पीस लें. अब इसमें मिश्री को पीसकर मिला लें. प्रतिदिन सुबह शाम एक छोटा चम्मच पाउडर को दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से शारीरिक कमजोरी बढ़ती है. इसके अलावा गोरखमुंडी के बीजों को सुखाकर पीस लें इसमें समान मात्रा में पीसा हुआ शक्कर मिलाकर प्रतिदिन दो से तीन ग्राम पानी के साथ पीएं. इससे सेक्सुअल स्टैमिना बढ़ता है.

यौन रोगों के उपचार हेतु

महिलाओं की योनि में दर्द की शिकायत होने पर गोरखमुंडी के लेप को एरंड के तेल में भूनकर ठंडा होने दें. इस पेस्ट को योनि में लेप करने से योनि में राहत मिलेगी.

गोरख मुंडी के अद्भुत औषधीय गुण :

गोरख मुंडी का प्रयोग बवासीर में भी बहुत लाभदायक माना गया है। गोरख मुंडी की जड़ की छाल निकालकर उसे सुखाकर चूर्ण बनाकर हर रोज एक चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से मट्ठे का सेवन किया जाये तो बवासीर पूरी तरह समाप्त हो जाती है। जड़ को सिल पर पीस कर उसे बवासीर के मस्सों में तथा कण्ठमाल की गाठों में लगाने से बहुत लाभ होता है। पेट के कीड़ों में भी इस की जड़ का पूर्ण प्रयोग किया जाता है, उससे निश्चित लाभ मिलता है।
गोरख मुंडी एक एसी औषधि है जो आंखो को जरूर शक्ति देती है। अनेक बार अनुभव किया है। आयुर्वेद मे गोरख मुंडी को रसायन कहा गया है। आयुर्वेद के अनुसार रसायन का अर्थ है वह औषधि जो शरीर को जवान बनाए रखे।
गोरख मुंडी के चार ताजे फल तोड़कर भली प्रकार चबायें और दो घूंट पानी के साथ इसे पेट में उतार लें तो एक वर्ष तक न तो आंख आएगी और न ही आंखों की रोशनी कमजोर होगी। गोरखमुंडी की एक घुंडी प्रतिदिन साबुत निगलने कई सालों तक आंख लाल नहीं होगी।

शरीर से बदबू आने पर

पसीने अथवा किन्हीं अन्य वजहों से शरीर से बदबू आ रही है तो करीब डेढ़ ग्राम गोरखमुंडी का पाउडर पानी गटक जायें. शरीर के बदबू से छुटकारा मिलेगा. अगर दो-तीन दिन में बदबू नहीं जाती है तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सुझाव लें.

आंखों में पीड़ा होने पर

ताजे गोरखमुंडी के रस को तांबे के बर्तन में रखें. अब नीम की टहनी से इसे घुमायें. जब उसका रंग काला हो जाये तो उसमें रुई को अच्छी तरह भिगो कर सुखा लें. रूई को दुखती आंखों पर पानी से भिगोकर रखें. आंखों की पीड़ा को राहत मिलेगा.

गले में खराश होने पर


गोरखमुंडी के फलों को सुखाकर उसका चूर्ण बनायें. करीब 50 ग्राम गोरखमुंडी के पाउडर में 10 ग्राम सूखे अदरख (सोंठ) का पाउडर मिलाकर रख बोतल में पैक कर लें. प्रतिदिन करीब एक से डेढ़ ग्राम पाउडर में शहद मिलाकर चाटें. कुछ ही दिनों में इससे लाभ मिलेगा.
*इसके पत्ते पीस कर मलहम की तरह लेप करने से नारू रोग (इसे बाला रोग भी कहते हैं, यह रोग गंदा पानी पीने से होता है) नष्ट हो जाते हैं।
*गोरख मुंडी का सेवन करने से बाल सफेद नही होते हैं।
*गोरख मुंडी के पौधे उखाड़कर उनकी सफाई करके छाये में सुखा लें। सूख जाने पर उसे पीस लीजिए और घी चीनी के साथ हलुआ बनाकर खाइए, इससे इससे दिल, दिमाग, लीवर को बहुत शक्ति मिलती है।
*गोरख मुंडी का काढ़ा बनाकर प्रयोग करने से पथरी की समस्या दूर होती है।

आंखों की रोशनी के लिए

गोरखमुंडी का उपयोग कान, नाक और गले के विकार तथा नेत्र विज्ञान के विभिन्न विकारों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके कुछ समय तक सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ सकती है. गोरखमुंडी के 3-4 ताजे फूल लें और इसे दो चम्मच तिल के तेल में मिलाएं. नियमित सेवन आंखों की रोशनी को बेहतर बनाने में मदद करेगा. साथ ही आंखों की लालिमा से भी छुटकारा दिलाएगा.

कुष्ठ रोग दूर करे

यदि कुष्ठ रोग है तो गोरखमुंडी का चूर्ण, नीम की छाल का चूर्ण लें और काढ़ा तैयार करें. इस काढ़े को सुबह और शाम को पीने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है.कुष्ठ रोग होने पर गोरख मुंडी का चूर्ण और नीम की छाल मिलाकर काढ़ा तैयार कीजिए, सुबह-शाम इस काढ़े का सेवन करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
*पीलिया के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद औषधि है।
*गोरख मुंडी के पत्ते तथा इसकी जड़ को पीस कर गाय के दूध के साथ लिया जाये तो इससे शारीरिक शक्ति बढ़ती है। यदि इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर कोई व्यक्ति लगातार दो वर्ष तक दूध के साथ सेवन करता है तो उसका शरीर मजबूत हो जाता है। गोरख मुंडी का सेवन शहद, दूध मट्ठे के साथ किया जा सकता है।

आंतों के कीड़े खत्म करने में

आंतों के कीड़ों को खत्म करने और बाहर निकालने में यह जड़ी-बूटी बड़े काम की साबित हो सकती है. यह पेट के कीड़ों को निकालने में भी मदद करती है. गोरखमुंडी की जड़ का पाउडर बनाकर दिन में एक बार आधा चम्मच सेवन करें.

सांसों की बदबू से छुटकारा

सांसों की बदबू से छुटकारा पाने के लिए गोरखमुंडी का पाउडर सिरके के साथ लें. इसके लिए गोरखमुंडी पाउडर को सिरके में अच्छे से मिला लें और सुबह-शाम एक चुटकी लें.

पित्ताशय की पथरी को दूर करे

पथरी और पित्ताशय की पथरी को खत्म करने में गोरखमुंडी फायदेमंद है. गर्भाशय, योनि से संबंधित अन्य बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद औषधि है.
*गोरख मुंडी तथा सौंठ दोनों का चूर्ण बराबर-बराबर मात्रा में गर्म पानी से लेने से आम वात की पीड़ा दूर हो जाती है।
*गोरख मुंडी चूर्ण,घी,शहद को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से वात रोग समाप्त होते हैं।

ह्रदय को स्वस्थ बनाने के लिए


गोरखमुंडी के जड़ के काढ़े का सेवन करने से सीने में दर्द एवं चुभन होने पर आराम मिलता है. इसके अलावा गोरखमुंडी के फल का अर्क भी फायदेमंद होता है. लेकिन जब तक इसका सेवन करें तब तक खट्टी, गर्म वस्तुओं एवं हस्तमैथुन आदि से दूर रहना चाहिए.

पेट में कीड़े की शिकायत होने पर

पेट में कीड़े की शिकायत होने पर लगभग एक से डेढ़ ग्राम गोरखमुंडी के पाउडर को सुबह शाम फांक कर शुद्ध जल पीएं. कीड़ मल के रास्ते निकल जायेंगे. इसके अलावा 10 ग्राम एरंड के तेल (Castor Oil) में 2 से 3 ग्राम गोरखमुंडी के पाउडर को दिन में दो बार लेने से जलोदर नामक रोग में भी लाभ पहुंचेगा.

बवासीर होने पर

बवासीर की शिकायत होने पर 1 से 2 ग्राम गोरखमुंडी का पाउडर छाछ अथवा गाय के दूध के साथ मिलाकर रात में सोने से पूर्व पी लें, एक सप्ताह तक लगातार इसका सेवन करें. बवासीर से छुटकारा मिलेगा. इसके अलावा गोरखमुंडी के कुछ पत्तों के साथ एरंड के पत्तों को पीसकर इसका रस निकाल लें. लगभग पांच मिली रस दिन में एक बार मरीज को पिलायें. इसके पत्तों को कूट कर इसकी लुगदी बनाकर मस्सों पर कुछ घंटों के लिए बांधने से भी बवासीर से राहत मिल सकती है.

गठिया के मरीजों के लिए

गठिया के मरीजों को 30 ग्राम गोरखमुंडी और 10 ग्राम कुटकी के पाउडर को मिलाकर एक शीशी में सुरक्षित रख लें. अब प्रतिदिन इसके दो ग्राम पाउडर को शहद में मिलाकर लेने से गठिया में राहत मिलती है.
*गले के लिए यह बहुत फायदेमंद है, यह आवाज को मीठा करती है।
*गोरख मुंडी का सुजाक, प्रमेह आदि धातु रोग में सर्वाधिक सफल प्रयोग किया गया है।
*फोड़े-फुन्सी या खुजली हो तो गोरख मुंडी के बीजों को पीसकर उसमें समान मात्रा में शक्कर मिलाकर रख लें और एक बार प्रतिदिन दो चम्मच ठंडे पानी से लेने से इन बीमांरियों में फायदा होता है। इस चूर्ण को लेने से शरीर में स्फूर्ति भी बढ़ती है।

गोरख मुंडी से औषिधि बनाने का तरीका :

गोरख मुंडी का पौधा यदि यह कहीं मिल जाए तो इसे जड़ सहित उखाड़ ले। इसकी जड़ का चूर्ण बना कर आधा आधा चम्मच सुबह शाम दूध के साथ प्रयोग करे ।
बाकी के पौधे का पानी मिलाकर रस निकाल ले। इस रस से 25% अर्थात एक चौथाई घी लेकर पका ले। इतना पकाए कि केवल घी रह जाए। यह भी आंखो के लिए बहुत गुणकारी है।
बाजार मे (पंसारी या कंठालिया की दुकान पर) साबुत पौधा या जड़ नहीं मिलती। केवल इसका फल मिलता है। वह प्रयोग करे। 100 ग्राम गोरख मुंडी लाकर पीस ले। बहुत आसानी से पीस जाती है। इसमे 50 ग्राम गुड मिला ले। कुछ बूंद पानी मिलाकर मटर के आकार की गोली बना ले। यह काम लोहे कि कड़ाही मे करना चाहिए । न मिले तो पीतल की ले। यदि वह भी न मिले तो एल्योमीनियम कि ले। जो अधिक गुणकारी बनाना चाहे तो ऐसे करे। 300 ग्राम गोरखमुंडी ले आए। लाकर पीस ले । 100 ग्राम छन कर रख ले। बाकी बची 200 ग्राम गोरख मुंडी को 500 ग्राम पानी मे उबाले। जब पानी लगभग 300 ग्राम बचे तब छान ले। साथ मे ठंडी होने पर दबा कर निचोड़ ले। इस पानी को मोटे तले कि कड़ाही मे डाले। उसमे 100 ग्राम गुड कूट कर मिलाकर धीमा धीमा पकाए। जब शहद के समान गाढ़ा हो जाए तब आग बंद कर दे। जब ठंडा जो जाए तो देखे कि काफी गाढ़ा हो गया है। यदि कम गाढ़ा हो तो थोड़ा सा और पका ले। फिर ठंडा होने पर इसमे 100 ग्राम बारीक पीसी हुई गोरख मुंडी डाल कर मिला ले। अब 50 ग्राम चीनी/मिश्री मे 10 ग्राम छोटी इलायची मिलाकर पीस ले। छान ले। हाथ को जरा सा देशी घी लगा कर मटर के आकार कि गोली बना ले। गोली बना कर चीनी इलायची वाले पाउडर मे डाल दे ताकि गोली सुगंधित हो जाए। 3 दिन छाया मे सुखाकर प्रयोग करे। इलायची केवल खुशबू के लिए है।

सेवन करने का तरीका :

1-1 गोली 2 समय गरम दूध से हल्के गरम पानी से दिन मे 2 बार ले। सर्दी आने पर 2-2 गोली ले सकते हैं। इसका चमत्कार आप प्रयोग करके ही अनुभव कर सकते हैं। आंखे तो ठीक होंगी है रात दिन परिश्रम करके भी थकावट महसूस नहीं होगी। कील, मुहाँसे, फुंसी, गुर्दे के रोग सिर के रोग सभी मे लाभ करेगी। जिनहे पेशाब कम आता है या शरीर के किसी हिस्से से खून गिरता है तो ठंडे पानी से दे। इतनी सुरक्षित है कि गर्भवती को भी दे सकते हैं। ध्यान रहे 2-4 दिन मे कोई लाभ नहीं होगा। लंबे समय तक ले । गोली को अच्छी तरह सूखा ले। अन्यथा अंदर से फफूंद लग जाएगी।
ध्यान रखें – ये पाचन शक्ति बढ़ाती है इसलिए भोजन समय पर खाए। चाय पी कर भूख खत्म न करे। चाय पीने से यह दवाई लाभ के स्थान पर हानि करेगी।

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