31.3.24

पैरों के तलवों में पसीना आने के कारण और उपचार




पैरों के तलवों का स्वस्थ होना भी बहुत जरूरी होता है। क्योंकि जब पैरों के तलवों में कोई दिक्कत आती है, तो व्यक्ति को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पैरों के तलवों से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। इसमें तलवों में जलन, दर्द या फिर पसीना आना हो सकता है। अगर आपको भी पैरों के तलवों में जलन होता है, तो यह कई कारणों की वजह से हो सकता है। आपको बता दें कि शरीर के अंगों में पसीना आने को मेडिकल टर्म में हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है। इसमें शरीर में अत्यधिक पसीना आता है, यह गर्मी से संबंधित पसीना नहीं होता है।

दिल से जुड़ी बीमारियों में

हमारा दिल हमारे शरीर का आधार है और अगर आपका दिल सही तरीके से काम करता रहेगा तो आप भी पूरी तरीके से फिट रहेंगे। लेकिन जब आपका दिल कमजोर हो जाता है तो आप दिल की कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं, जिसमें अचानक तेज पसीना आना आपके लिए एक खतरनाक संकेत साबित हो सकता है। दिल से जुड़े रोगों का शिकार होने पर आपके तलवे पसीने से भीग सकते हैं और ये स्थिति आपको आगे चलकर परेशान कर सकती है।

तलवों में पसीने के कारण

ऊपर लिखी 4 स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा कई अन्य कारण भी ऐसे हैं, जिनकी वजह से तलवे में पसीना आने लगता है। अगर आपको इंफेक्शन हुआ है तो भी आपको ये परेशानी हो सकती है। कई बार फंगल इंफेक्शन की वजह से भी तलवों पर पसीना आने लगता है। अगर आपको सांस लेने में दिकक्त है या फिर आप दवा का ज्यादा सेवन करते हैं तो भी आपरे तलवों में पसीना आ सकता है।

थायरॉइड

थायरॉइड की समस्या तब होती है, जब थायरॉइड ग्रंथि शरीर में हार्मोन्स का उत्पादन सही तरीके से नहीं कर पाती है। इस स्थिति में थायरॉइड ग्रंथि हार्मोन का कम या अधिक उत्पादन कर सकती है। थायरॉइड होने पर हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। वैसे तो थायरॉइड महिलाओं और पुरुषों दोनों को हो सकता है। लेकिन महिलाओं में थायरॉइड होने की संभावना अधिक होती है।
थायराड हमारे शरीर में मौजूद एक ग्रंथि है, जो कि हमारे गले में पीछे की तरफ होती है। ये थायराइड हार्मोन को रिलीज करती है लेकिन इसमें किसी भी प्रकार की दिक्कत आपके लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है। शरीर में थायराइड का लेवल बढ़ने पर अक्सर आपके तलवों परक पसीना आने लगता है। इस स्थिति को नजरअंदाज किया जाए तो आपको अपने रोजमर्रा के काम में तो दिक्कत आती ही है साथ ही आपको खाना निगलने से लेकर बोलने में भी परेशानी हो सकती है।

संक्रमण

संक्रमण भी पैरों के तलवों में आने वाले पसीना का एक मुख्य कारण हो सकता है। अगर आपको कोई इंफेक्शन या संक्रमण है, तो आपको तलवों में पसीना आ सकता है। यह संक्रमण अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं। लेकिन सभी प्रकार के संक्रमण तलवों में पसीना आने का कारण नहीं बनते हैं।

डायबिटीज

डायबिटीज यानी मधुमेह पैर के तलवों में पसीना आने का एक मुख्य कारण हो सकता है। क्योंकि डायबिटीज में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। इस वजह से व्यक्ति के नसों को भी नुकसान पहुंचता है। डायबिटीज रोगियों को तलवों में पसीना आने की दिक्कत हो सकती है। इसलिए अगर आपको डायबिटीज है, तो पैरों के तलवों में पसीना आना आपने के लिए आम हो सकता है।
हाई ब्लड शुगर आपके लिए ढेर सारी परेशानियां लेकर आता है, जिसमें आपकी नसों के कमजोर होने के साथ-साथ किड़नी की दिक्कत भी शामिल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाई ब्लड शुगर की शुरुआत के दौरान आपके तलवों में बहुत तेज पसीना आता है, जो कि एक सामान्य लक्षण है। खाना खाने के बाद आपके तलवे अगर पसीने से भीग जाते हैं तो आपको डायबिटीज हो सकती है।

मेनोपॉज

मेनोपॉज वह अवस्था होती है, जिसमें महिलाओं को मासिक धर्म आना बंद हो जाते हैं। इस दौरान महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पीरियड्स बंद होना, हॉट फ्लैशेज आदि मेनोपॉज के आम लक्षण होते हैं। इसके अलावा मेनोपॉज होने पर महिलाओं को पसीना भी अधिक आ सकता है। यानी पैर के तलवों में पसीना मेनोपॉज के कारण भी आ सकता है। इसलिए इसे सामान्य माना जा सकता है।
बड़ी सौंफ: कहते हैं कि सौंफ शरीर के टेंपरेचर को नॉर्मल रखती है. ब्लेंडर में एक चम्मच बड़ी सौंफ और एक चम्मच चीनी डालें और इसे पीस लें. अब इसे पानी में घोलकर पी जाएं. ऐसा रोजाना करें और आप कुछ दिनों में फर्क देख पाएंगे.

बेकिंग सोडा पेस्ट

पबमेड सेंट्रल द्वारा प्रकाशित 2008 के एक अध्ययन में कहा गया है कि बेकिंग सोडा अपने प्राकृतिक सुखाने वाले गुणों के लिए जाना जाता है, जो पसीने के उत्पादन को कम करने और आपके हाथों और पैरों को सूखा रखने में मदद कर सकता है। यह पीएच स्तर को संतुलित करने और पसीना कम करने में मदद कर सकता है। बेकिंग सोडा को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे अपने हाथों और पैरों पर लगाएं। उत्पाद को धोने से पहले 15 से 20 मिनट तक लगा रहने दें।

एप्पल साइडर सिरका

एप्पल साइडर विनेगर (एसीवी) लंबे समय से एक रोगाणुरोधी के रूप में स्थापित है जो आपके शरीर को साफ रखने और पसीने या दुर्गंध को रोकने में मदद कर सकता है। अपने हाथों या पैरों को सेब के सिरके और पानी के मिश्रण में रोजाना 15-20 मिनट तक भिगोने से त्वचा के पीएच को संतुलित करने और पसीना कम करने में मदद मिल सकती है
पैरों के पसीने से छुटकारा पाने के लिए आप नमक के पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए 1 टब गुनगुने पानी में 5-7 चम्मच नमक एड करें. अब पैरों को टब में डालें. 30 मिनट बाद पैरों को टब से निकाल कर पानी को सूखने दें. ऐसे में मोजा पहनने के बाद पैसों में पसीना कम आएगा और आपके पैरों से बदबू भी नहीं आएगी.

तेज पत्ता यूज करें

तेज पत्ते का इस्तेमाल करके भी आप पैरों के पसीने से निजात पा सकते हैं. इसके लिए पैन में पानी गर्म करें. अब इसमें तेज पत्ता डालकर उबालें. कुछ देर तक उबालने के बाद गैस बंद कर दें और पानी को ठंडा होने के लिए रख दें. अब इस पानी को पैरों में अप्लाई करें. हर रोज ये नुस्खा अपनाने से पैरों का पसीना कम होने लगेगा.

नींबू का रस

नींबू का रस अपने कसैले गुणों के लिए जाना जाता है, जो अत्यधिक पसीने को कम करने में मदद कर सकता है। ताजा नींबू का रस अपनी हथेलियों और तलवों पर लगाएं या इसे पानी में मिलाकर कुल्ला करें। इसे प्राकृतिक रूप से सूखने दें और सर्वोत्तम परिणामों के लिए इसे रोजाना दोहराएं।

चंदन पाउडर

चंदन पाउडर में प्राकृतिक शीतलता और कसैले गुण होते हैं जो पसीने को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। चंदन पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे अपने हाथों और पैरों पर लगाएं। इसे धोने से पहले पदार्थ को 20 से 30 मिनट तक अपनी त्वचा पर लगा रहने दें। इस उपचार को प्रति सप्ताह कुछ बार दोहराने की सलाह दी जाती है।

कपूर

कपूर की तासीर ठंडी होती है और यह पसीना कम करने में मदद कर सकता है। गर्म पानी में थोड़ी मात्रा में कपूर घोलें और उसमें अपने हाथों और पैरों को 15-20 मिनट तक भिगोकर रखें। वैकल्पिक रूप से, आप कपूर पाउडर को टैल्कम पाउडर या नारियल तेल के साथ मिलाकर अपने हाथों और पैरों पर लगा सकते हैं। इस उपाय को हफ्ते में कुछ बार दोहराएं।

हाथों और पैरों को काली चाय में भिगोएँ


रोजाना 20-30 मिनट तक अपने हाथों या पैरों को काली चाय में भिगोने से पसीना कम करने में मदद मिल सकती है। अध्ययन से पता चलता है कि यह टैनिन की उपस्थिति के कारण मदद करता है, जिसका प्राकृतिक कसैला प्रभाव होता है।

गर्मी में दही सेवन के फायदे और नुकसान




  गर्मियों में अक्सर लोग वही चीजें खाते हैं, जिससे पेट की गर्मी दूर हो सके और शरीर का तापमान मेंटेन रहे. ऐसी ही एक चीज है दही. गर्मी में दही खाना काफी फायदेमंद (Dahi Benefits) होता है. इसमें पाया जाने वाला प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, शुगर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, विटामिन सी, विटामिन B6, विटामिन A, विटामिन B जैसे पोषक तत्व सेहत को जबरदस्त बेनिफिट्स पहुंचाते हैं. 
दही को सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. दही एक डेयरी प्रोडक्ट है और डेयरी प्रोडक्ट को सेहत के लिए लाभदायक माना जाता है. रोजाना डाइट में दही को शामिल कर शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं. आपको बता दें दही में विटामिन सी मौजूद होने से ये इम्यूनिटी (Immunity) को बढ़ाने में मदद कर सकता है. इतना ही नहीं दही स्किन लिए काफी लाभदायक है. असल में दही में प्रोटीन, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी6 और विटामिन बी12 जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं. तो चलिए जानते हैं दही खाने से होने वाले फायदे.


पर्याप्त न्यूट्रिशन 

दही पोषक तत्वों से भरपूर एक खास तरह का फूड है, जिसका सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। सुबह के समय इसका सेवन करनेसे शरीर को सभी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं। प्रोटीन और कैल्शियम के अलावा अन्य कई प्रकार के ऐसे तत्व इसमें पाए जाते हैं, जो फायदेमंद माने गए हैं। 

 इम्यूनिटी-

दही विटामिन सी का अच्छा सोर्स है, जो इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद कर सकता है.

 मुंह के छाले-

अगर आपको भी बार-बार हो रहे हैं मुंह में छाले तो खाना शुरू कर दें एक कटोरी दही. दही के सेवन से मुंह के छाले को दूर कर सकते हैं.

सुबह दही खाने का बेस्ट तरीका

दही का सेवन आप सुबह के खाने के साथ कर सकते हैं। इसके अलावा सुबह के समय एक कटोरी दही में आधा कटोरी चीनी मिलाकर उसका सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा फ्रूट या वेजिटेबल सलाद, दलिया और ब्राउन ब्रेड के साथ दही का सेवन करना भी अच्छा ऑप्शन हो सकता है।

वेट लॉस में फायदा

यदि आप अपने बढ़ते वजन पर कंट्रोल पाना चाहते हैं, तो सुबह के समय डाइट में दही को शामिल करना काफी फायदेमंद हो सकता है। वेट लॉस के साथ-साथ मसल बिल्डिंग में भी यह आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकती है।

हार्ट-

हार्ट को हेल्दी रखने में हमारी हेल्दी डाइट अहम मानी जाती है. अगर आप भी हार्ट को हेल्दी रखना चाहते हैं, तो दही का सेवन कर सकते हैं.

बीमारी कंट्रोल करे

शरीर की कई क्रोनिक बीमारियों कंट्रोल करने के लिए भी गर्मियों की सुबह दही का सेवन करना काफी फायदेमंद रहता है। डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी क्रोनिक बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए रोजाना सुबह के समय दही का सेवन जरूर करें।

 हड्डियों-

कैल्शियम से भरपूर दही का रोजाना सेवन कर हड्डियों को मजबूत बना सकते हैं. दही हड्डियों को कमजोर होने से बचाने में मददगार है.

 पेट की गर्मी-

दही की तासीर ठंडी होती है. अगर आपके पेट में गर्मी बढ़ गई है तो आप दही के सेवन से पेट की गर्मी को दूर कर सकते हैं.

 इंफेक्शन-

दही में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में होने वाले इंफेक्शन से बचाने में मदद कर सकते हैं.

. पाचन-

दही में पाए जाने वाले पोषक तत्व पेट को सही रखने और पाचनतंत्र को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं.

 स्किन-

स्किन को हेल्दी रखने में मददगार है दही. दही के सेवन से स्किन को हेल्दी रखा जा सकता है.

सावधानी बरतें- 

कब्ज : 

से लोग जिनका पाचन तंत्र कमजोर है उन्हें रोजाना दही खाने से बचना चाहिए. पाचन तंत्र के ठीक से काम न करने की स्थिति में दही खाना कब्ज की परेशानी पैदा कर सकता है. ऐसे में आप परेशान हो सकते हैं.
यूरिक एसिड : यूरिक एसिड की समस्या से परेशान हैं तो दही का ज्यादा सेवन करने से बचें. दही में प्रोटीन पाया जाता है और यूरिक एसिड की समस्या से परेशान लोगों को प्रोटीन से बचने की सलाह दी जाती है. दही खाने से शरीर का यूरिक एसिड बढ़ सकता है. जिसकी वजह से गठिया का दर्द और सूजन की समस्या हो सकती है.

अर्थराइटिस :

अर्थराइटिस की समस्या से जूझ रहे लोगों को भी दही से परहेज करना चाहिए. दही में सैचुरेटेड फैट की मात्रा अच्छी खासी होती है. एडवांस ग्लाइकेशन भी भरपूर मात्रा में मिल जाता है. इस वजह से हड्डियों का धनत्व कम हो सकता है.अर्थराइटिस के मरीज जब इसका सेवन करते हैं तो उनके घुटनो के दर्द और सूजन बढ़ सकता है.

 अस्थमा :

अस्थमा के मरीजों को तो गलती से भी दही नहीं खाना चाहिए. दरअसल, दही की तासीर ठंडी है. जब अस्थमा मरीज इसका सेवन करते हैं तो उन्हें सर्दी-जुकाम जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इससे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

पेट फूलने की प्रॉब्लम: 

दही का प्रोबायोटिक्स पेट की गर्मी को कम करता है लेकिन कई बार ये गैस और ब्लोटिंग भी बना सकता है. चूंकि पचने में दही भारी होती है, इसलिए ऐसे लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए, जिन्हें गैस या ब्लॉटिंग की समस्या है.



30.3.24

जानिए हल्दी के चमत्कारी गुण और फायदे ,Turmeric Benefits

 



भारतीय मसालों में हल्दी (Haldi) का एक अलग ही महत्व है। यही कारण है कि आपको हर घर की रसोई में हल्दी ज़रूर मिलेगी। हल्दी खाने का स्वाद और रंग रूप तो बढ़ाती ही है साथ ही यह कई तरह के रोगों से भी रक्षा करती है। प्राचीन काल से ही हल्दी को जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। आयुर्वेद में हल्दी के फायदे के बारे में विस्तृत उल्लेख है।
हल्दी हमारे रोज के मासलों में शामिल करने के पीछे कोई परंपरा नहीं है बल्कि इसके पीछे साइंस है। दरअसल, हल्दी में करक्यूमिन (curcumin) होता है जो कि बायोएक्टिव कंपाउंड है। ये एक ऐसा तत्व है जो एक साथ कई प्रकार से काम करता है। जैसे कि कभी एंटीऑक्सीडेंट की तरह तो कभी एंटीइंफ्लेमेटरी जड़ीबूटी की तरह तो कभी एंटीबैक्टीरियल हर्ब के रूप में। इस तरह हल्दी अपने अलग-अलग गुणों के कारण अलग-अलग समस्याओं में इस्तेमाल किया जा सकता है।

हल्दी के फायदे-

आज हम आपको बताएँगे हल्दी के चमत्कारी फायदे। जिससे आप स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं।

डायबिटीज में

डायबिटीज में हल्दी कई परेशानियों को एक साथ कम कर सकती है। जैसे कि पहले तो करक्यूमिन इंसुलिन प्रोडक्शन को एक्टिवेट करती है और शुगर के स्पाइक्स को रोकती है। दूसरा इसके एंटीऑक्सीडेंट्स डायबिटीज न्यूरोपैथी के लक्षणों को रोकते हैं और नसों को हेल्दी रखने में मदद करती है। तीसरा डायबिटीज के मरीजों में कोई भी चोट, घाव या फंगल इंफेक्शन बहुत धीमे-धीमे सही होती है और हल्दी का हीलिंग गुण इसे जल्दी ठीक करने में मदद करती है।

गले की खराश के लिए-

गले की खराश होना एक आम समस्या है। गले की खराश होने पर हल्दी के इस्तेमाल से आप जल्द ही अपने गले की खराश को दूर कर सकते हैं। हल्दी को अजमोदा चूर्ण और शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से गले की खराश में आराम मिलता है।

जोड़ों के दर्द में

जोड़ों का दर्द अक्सर बहुत से लोगों को परेशान करता है। ऐसे में इस समस्या में हल्दी का सेवन (turmeric benefits) फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, अगर आप कच्ची हल्का का पानी पिएं तो ये ज्यादा प्रभावी होगा। दरअसल, करक्यूमिन एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है और इसलिए ये पुरानी सूजन और जोड़ों के दर्द में असरदार तरीके से काम कर सकती है। इसलिए गठिया जैसी स्थितियों के इलाज में भी हल्दी मदद कर सकती है।

हल्दी पाउडर हड्डी रोग के रोगियों के लिए अच्छा है

करक्यूमिन वह प्राकृतिक पदार्थ है जो हल्दी को पीला बनाता है। हल्दी पाउडर का उपयोग कभी-कभी कपड़ों को रंगने के लिए किया जाता है। करक्यूमिन आपके जोड़ों के लिए भी अच्छा है और आपके शरीर को सूजन पर अच्छी प्रतिक्रिया देने में मदद करता है। आप हमारे हल्दी कैप्सूल लेकर अपना दैनिक करक्यूमिन प्राप्त कर सकते हैं।

एक्ने और पिगमेंटेशन होने पर-

पिगमेंटेशन होने पर हल्दी इसे हल्का करने में आपकी मदद कर सकती है। साथ ही इसका बायोएक्टिव गुण स्किन व्हाइटनिंग (turmeric benefits for skin lightening) में भी मदद करती है। इसके अलावा एक्ने की समस्या में भी हल्दी का इस्तेमाल बहुत ही फायदेमंद है। दरअसल,इसका एंटीबैक्टीरियल गुण एक्ने को कम करती है और फिर चेहरे को साफ रखने और खूबसूरती बढ़ाने में मदद करती है।

डिप्रेशन में-

डिप्रेशन की शुरुआत मूड डिसऑर्डर के साथ शुरू होती है। ऐसे में हल्दी सेवन आपके लिए बहुत फायदेमंद है। दरअसल, ये एंटीडिप्रेशेंट की तरह काम करती है। इसके अलावा इसके बायोएक्टिव गुण दिमाग के काम काज को बेहतर बनाने में मदद करते हैं और मूड को बेहतर बनाते हैं। इससे डिप्रेशन के लक्षण कम होने लगते हैं।

अल्जाइमर होने पर-

अल्जाइमर उम्र बढ़ने से जुड़ी हुई एक बीमारी है। हल्दी आपके मस्तिष्क को अल्जाइमर जैसी सामान्य बीमारियों से बचाने में भी मदद कर सकती है। ये मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफिक कारक (BDNF) के स्तर को बढ़ाती है। दरअसल, यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है जो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) को स्वस्थ रखने के साथ-साथ तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संचार को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस तरह ये ब्रेन डिजेनरेशन को रोकती है और अल्जाइमर को ठीक करने में मदद करती है।

पायरिया के लिए-

पायरिया की समस्या के लिए हल्दी को सरसों के तेल में मिलाकर मसूड़ों में लगाने से आराम मिलता है। इसके बाद गर्म पानी से कुल्ला करने से मसूड़ों से जुड़ी सभी प्रकार की समस्या दूर हो जाती है। मसूड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

ओरल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं में-

ओरल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं जैसे कि मुंह से बदबू आने पर या फिर दांतों मे कीड़े लग जाने पर हल्दी इन समस्याओं में रामबाण इलाज के रूप में काम कर सकती है। इसका एंटीबैक्टीरियल गुण दांतों मे कीड़े को कम करने में मदद करती है। साथ ही ये मुंह में दुर्गंध पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारती है और मुंह की बदबू को कम करती है।

पीलिया में बहुत लाभकारी है

पीलिया बहुत ही गंभीर रोग है। यह स्थिति किडनी और लिवर को बहुत नुकसान पहुंचाती है। इस दौरानशरीर में खून की भारी कमी हो जाती है। साथ ही पूरे शरीर और आंखे में पीली पड़ जाती हैं। आयुर्वेद के अनुसार अगर आप दही में 5-10 ग्राम हल्दी पाउडर मिलाकर इसका सेवन करते हैं, तो यह मिश्रण पीलिया के उपचार में बहुत प्रभावी साबित हो सकता है।

एलर्जी में-

हल्दी का एक खास गुण ये है कि यह एंटीएलर्जिक है। इसलिए तो, एलर्जी होने पर अक्सर लोग काढ़ा पीते हैं जिसमें हल्दी होती है। दरअसल, हल्दी का एंटीबैक्टीरियल और एंटीएलर्जिक गुण एलर्जी को कम करती है और इसके लक्षणों से छुटकारा दिलाती है।

खांसी और जुकाम के लिए-

खांसी और जुकाम एक ऐसी बीमारी है । जो मौसम के परिवर्तन के साथ ही चली आती है। यह समस्या बहुत ही ज्यादा आम समस्या है। हल्दी के उपयोग से बहुत कम समय में इस समस्या का समाधान पा सकते हैं। हल्दी की तासीर को गर्म माना जाता है। इसलिए हल्दी की भाप लेने से जुकाम की परेशानी दूर हो जाती है। हल्दी की भाप लेने के पश्चात पानी को नहीं पीना चाहिए।

हाई बीपी की समस्या में-

हाई बीपी की समस्या आपको दिल की बीमारियों का शिकार बना सकती है। ऐसे में हल्दी का सेवन दिल के लिए बहुत फायदेमंद है। दरअसल, हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन बैड कोलेस्ट्ऱॉल को कम करने में मदद करती है। इसके अलावा हल्दी का पानी इन्हें ब्लड वेसेल्स से चिपने और ब्लॉकेज पैदा करने से रोकती है। इससे आपका ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है, बीपा सही रहता है, दिल पर जोड़ नहीं पड़ता और आप दिल की बीमारियों से बचे रहते हैं।
हल्दी के हजारों फायदे हैं, तो इसके सेवन में कंजूसी मत करें। उचित मात्रा में इसका उपयोग अपने भोजन में जरूर करें। क्योंकि अधिकतम मात्रा में भी हल्दी का सेवन, जिन्हें हल्दी से एलर्जी है उनको छोड़कर, सामान्य रूप से सुरक्षित ही होता है।

हल्दी से होने वाले नुकसान-

अधिक मात्रा हल्दी की ग्रहण करने पर गुर्दे में पथरी का खतरा बढ़ जाता है।
हल्दी को सही मात्रा में सेवन करेंगे तो आप इस खतरे से बचे रहेंगे।
हल्दी के अधिक सेवन से आप दस्त के भी शिकार हो सकते हैं।
शरीर में आयरन का होना बहुत जरुरी होता है।
हमारे शरीर में आयरन होने से खून की कमी नहीं होती है।
हल्दी को अधिक खाने से ये आयरन के अवशोषण को रोक देती है।
अगर आपको किसी भी चीज़ से एलर्जी है तो आपको हल्दी का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए।
इससे आपके स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
हल्दी की तासीर को गर्म माना जाता है।
इसलिए इसे एक चम्मच से अधिक नहीं खाना चाहिए। यह आपके पेट को भी नुकसान पहुंचा सकती है।

29.3.24

अश्वगंधा, ,कौंच के बीज, शतावरी,सफ़ेद मूसली के पाउडर मिलाकर लेने से यौन स्वास्थ्य में जबरदस्त फायदा




आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का इलाज करने के लिए जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है। इन्हीं में अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीज भी शामिल हैं। वैसे तो इन सभी के अपने-अपने औषधीय गुण होते हैं, जो बीमारियों का इलाज करने में मदद करते हैं। लेकिन आप चाहें तो अपनी स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने के लिए अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच को एक साथ मिलाकर भी ले सकते हैं। आप इन सभी को पाउडर के रूप में ले सकते हैं। इससे आपको काफी लाभ मिल सकता है।
अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच बीज पाउडर के फायदे

. पौरुष स्वास्थ्य में सुधार करे


जिन पुरुषों को यौन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हैं, उनके लिए अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीज फायदेमंद हो सकते हैं। इन सभी को एक साथ मिलाकर लेने से पुरुषों के स्पर्म काउंट में वृद्धि हो सकती है, साथ ही उनकी गुणवत्ता में भी सुधार हो सकता है। इसके अलावा अगर आपको यौन स्वास्थ्य से जुड़ी कोई अन्य समस्या है, तो भी रात को अश्वगंधा शतावरी सफेद मूसली और कौंच के बीजों का सेवन कर सकते हैं।

तनाव कम करे

अश्वगंधा, शतावरी, सफेद मूसली और कौंच के बीजों का मिश्रण तनाव को भी कम करने में मदद कर सकता है। दरअसल, अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट्स गुण पाए जाते हैं। ये ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं और सेलुलर डैमेज को रोकते हैं। इससे कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर कम होता है और तनाव को कम करने में मदद मिलती है। अगर आप तनाव या चिंता में रहते हैं, तो इस मिश्रण को दूध के साथ ले सकते हैं। इससे आपको रिलैक्स महसूस होगा और नींद भी अच्छी आएगी।

वजन बढ़ाने में फायदेमंद

जो लोग दुबले-पतले और कमजोर हैं, उनके लिए भी अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीजों का पाउडर काफी फायदेमंद हो सकता है। इन कॉम्बिनेशन को रात को सोते समय दूध के साथ लेने से आपकी मांसपेशियों का तेजी से विकास हो सकता है। इससे मसल्स गेन होती है और वजन बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है।
शारीरिक कमजोरी दूर करे

अगर आपको हर समय थकान और कमजोरी महसूस होती है, तो आप अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीजों का पाउडर ले सकते हैं। रोजाना इस मिश्रण को लेने से आपको पूरी ताकत मिलेगी। कमजोरी और थकान दूर होगी। इसके लिए आप इसका सेवन लगातार एक महीने तक कर सकते हैं।
अश्वगंधा सफेद मूसली शतावरी कौंच के बीज का सेवन कैसे करें?आप अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीजों का एक साथ सेवन कर सकते हैं।
इसके लिए आप इन सभी का अलग-अलग पाउडर बना लें।
अब आधा-आधा चम्मच सभी को दूध में डालें और पी लें।
 आप अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीजों के पाउडर को रात को सोते समय ले सकते हैं।
अश्वगंधा, शतावरी, सफेद मूसली और कौंच के बीजों की तासीर गर्म होती है। इसलिए आपको इनका सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए। अगर आपकी पित्त प्रकृति है, तो इनका सेवन करने से बचना चाहिए। वहीं गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इनका सेवन आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।
कौंच के बीजों को पौरुषता वृद्धि करने के लिए आयुर्वेद में विशेष स्थान प्राप्त है , यह शत प्रतिशत परिणाम देने वाली औषधि है। यह पुरुष जननांगों को बचपन में हस्तमैथुन से होने वाली कमजोरी को ही दूर नहीं करता बल्कि सीमन को मजबूत , उसमें शुक्राणुओं की वृद्धि , नसों की कमजोरियों आदि में पौरुषटा संबंधी प्रत्येक असंतुलित समस्याओं को जड़ से समाप्त करने में सहायक हैं। किसी जानकार वैध जी की रेखदेख में इलाज हो तो कौंच बीजों के साथ अन्य रसायनों के मिश्रण से और असरदार दवा बनाई जाती है
 आयुर्वेद अनुसार कौंच बीज पौष्टिक, उत्तेजक, वाजीकरण एवं वातशामक होते हैं। इस का मुख्य उपयोग पुरुषों में वाजीकर और शुक्रवर्धक के रूप में होता है। वातव्याधि जैसे कंपवात, शरीरिक कमजोरी, मधुमेह में भी यह उपयुक्त है।

27.3.24

गर्मियों में लू के थपेड़ों से बचने उपाय ,Loo lagne par kren upay







लू लगने पर रोगी को क्या देना चाहिए: गर्मियां आ गई हैं और तापमान बढ़ने के साथ लोगों में लू लगने का खतरा बढ़ गया है। स्थिति ये है कि आप अचानक से लू के शिकार हो सकते हैं और इसका सबसे बड़ा कारण होगा टेंपरेचर का असंतुलित होना। जी हां, जैसे ही शरीर का तापमान असंतुलित होता है वैसे ही लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में सवाल ये है किलू लगने पर रोगी को क्या देना चाहिए (What is the fastest way to cure heat stroke) या फिर लू लगने पर क्या पीना चाहिए।
हम पसीना निकलने की प्रक्रिया और शरीर में पानी और नमक की कमी पूरी करते रहने की बदौलत गर्मी सहन करते हैं। जब हमारा शरीर गर्मी को सहन नहीं कर पाता तो इससे कई एक नुकसान होते हैं। हल्के असर में थकावट, बेहोश हो जाना और आत्म दाह शामिल हैं। देश भर के अलग अलग हिस्सों में से गर्मियों के मौसम में लू लगने के शिकार लोगों के बारे में खबर आती रहती है। वातावरण में बहुत अधिक गर्मी होने के कारण लू लगने से काफी ज़्यादा नुकसान हो जाता है। आमतौर पर इसके शिकार धूप या गर्म जगहों जैसे बायलरों में काम करने वाले लोग होते हैं।

लक्षण और चिन्ह

उष्माघात के कारण ज्यादा बुखार (गुदा पे तापमान ४० डिग्री से ज्यादा होना) मस्तिष्क पर असर और पसीना न होना ये तीन मुख्य बिंदू है। मस्तिष्क प्रभावित होने के कारण बेहोषी या दौरे हो सकते है। कभी कभार बोलचाल की गडबडी हो सकती है। अतिश्रम से उष्माघात जल्दी आ सकता है। उष्माघात में मस्तिष्क के प्रोटीन बिगडने के कारण उसका कामकाज रोकता है। इसीके कारण सारे दुष्प्रभाव होते है।

नारियल पानी


नारियल पानी पीना, आपकी सेहत के लिहाज से कई प्रकार से फायदेमंद है। लेकिन, इसकी खास बात ये है कि ये सोडियम, पोटेशियम और मैग्निशियम से भरपूर है जो कि शरीर के लिए रिहाइड्रेटिंग तत्व के रूप में काम करता है। ये सबसे पहले बॉडी में एक बैलेंस टेंपरेचर क्रिएट करता है और फिर लू के लक्षणों से लड़ने में मदद करता है। जैसे मतली, उल्टी और बुखार।

आम पन्ना

आम पन्ना, दादी नानी के जमाने से लू का घरेलू उपाय रहा है। दरअसल, ये शरीर में डिहाइड्रेशन को दूर करने का सबसे आसान तरीका है। दूसरा, ये नसों और मांसपेशियों में ताकत भर देता है और शरीर में तापमाम बैलेंस करने में मदद करता है। तो, अगर किसी को लू लग जाए तो उसे आम पन्ना जरूर पिलाएं।
उष्माघात में किये जाने वाले प्राथमिक इलाजआहत व्यक्ति को पहले छॉंव में ला कर हवा का इंतजाम करे। उसको नमक शक्कर और पानी का घोल मुँह से पिलाये।
उसके कपडे निकालकर सिर्फ अंदरुनी वस्त्र रखे। शरीरपर हल्कासा गर्म पानी छिडके।
गीली चादर में लपेटकर तपमान कम करने का प्रयास करे।
हाथपैर का मर्दन करे जिससे रक्त संचरण प्रभावित होता है।
संभव हो तो बर्फ के टुकडे कपडे में लपेटकर गर्दन, बगले और जॉंघो पर रखे। इससे गर्मी जल्दी निकलती है।
अगर संभव हो तो शिरा में सलाईन लगाएँ।

तुरंत अस्पताल ले जाये

उष्माघात की रोकथामगर्मी के दिनों में हो सके तो धूप में काम करना टाले।
हर आधे घंटे को २००-३०० मिली. पानी पी ले। पूरे दिन में ५-६ लीटर ठंडा पानी पिने से लाभ होता है। साथ में हमेशा पानी की बोतल रखे।
काम करते समय हल्के सुती कपडे वो भी फीके रंग के पहने। काले या गेहरे रंग के कपडे और जरुरत से ज्यादा कपडे ना पहने।
सिर पर रुमाल या टोपी पहने जिससे न केवल सिर का पर कानों और चेहरेका भी धूप से संरक्षण हो।
छोटे बच्चे और ६५ वर्ष से बडे उम्र वाले व्यक्ति को छॉंव में ही रखे।
धूप में खडी कार में बैठना उचित नहीं।
धूप से रक्षण के लिये सनस्क्रीन घोल लगाइये और १५ मिनट के बाद बाहर निकले।
शराब या मस्तिष्क प्रभावित करनेवाली दवाएँ कतई ना ले।
जब धूप में काम करना जरुरी होता है तब धीरे धीरे ज्यादा उष्णता की माहोल में जाये, एकदम इसका प्रयास न करे। हर दिन धूप में काम करने का १-२ घंटे प्रयास करे जिससे शरीर सहने की आदत सीखता है।
बहुत प्यास, विस्मरण, घबराहट या भ्रम महसूस होता हो आदि लक्षणों से जाने की अब जोखम उठाना ठीक नही और छॉंव में जाये और पानी पी ले।

मुलेठी के फायदे और नुकसान ,Mulethi ke upyog




  मुलेठी एक स्वादिष्ट मसाला ही नहीं बल्कि इसका प्रयोग घरेलू उपचार के लिए भी किया जाता है। मुलेठी शारीरिक समस्याओं से निजात पाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
मुलेठी (Liquorice) के बारे में तो हम सभी जानते हैं. सेहत के लिए ये काफी फायदेमंद होती है. आयुर्वेद में तो इसका उपयोग औषधि के तौर पर किया जाता है. दरअसल, मुलेठी (Mulethi) कई बीमारियों को ठीक करने में कारगर होती है. इसमें खास तौर पर प्रोटीन, एंटीबायोटिक, एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं. इसमें कैल्शियम भी मौजूद होता है. सर्दी, खांसी होने पर घर के बड़े बुजुर्ग हमें मुलेठी खाने की सलाह देते हैं क्योंकि मुलेठी का रस इन बीमारियों में काफी फायदा पहुंचाता है. कई लोग मुलेठी के गुणों को देखते हुए उसका ज्यादा उपयोग करने लगते हैं. ऐसा करना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है.
मुलेठी का सीमित मात्रा में उपयोग ही फायदेमंद होता है. कुछ ऐसी बीमारियां हैं जिनमें मुलेठी का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए. जो भी लोग ऐसी बीमारियों से पीड़ित हों उन्हें बिना चिकित्सकीय परामर्श के मुलेठी खाने से बचना चाहिए.

मुलेठी से जुड़ी ज़रूरी बातें

– मुलेठी सामान्य तौर पर सीमित मात्रा में खाने पर शरीर को फायदा पहुंचाती है, लेकिन अगर आप हाई बीपी, शुगर, किडनी, हार्ट या लीवर संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं तो बिना डॉक्टरी सलाह के मुलेठी का सेवन नहीं करना चाहिए.
– मुलेठी का अधिक सेवन करने से सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, क्रोनिक फटीग, सूजन, सांस लेने में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
– ज्यादा मुलेठी खाने से शरीर में पोटेशियम की कमी हो सकती है. जिन लोगों को मूत्र संबंधी परेशानी से पीड़ित उन्हें भी इसका सेवन सोच समझकर करना चाहिए.
आयुर्वेद में मुलेठी और शहद का इस्तेमाल शरीर की कई समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। मुलेठी और शहद का मिश्रण सर्दी-जुकाम, गले में खराश और छाती में जमा का कफ से राहत दिलाने में मदद करता है। मुलेठी और शहद, दोनों में ऐसे कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जो कई बीमारियों से बचाव में मदद करते हैं। मुलेठी और शहद में आयरन, कैल्शियम, सोडियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और फोलेट जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो सेहत के लिए काफी जरूरी होते हैं। मुलेठी और शहर का एक साथ सेवन करने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिल सकते हैं। तो आइए, जानते हैं मुलेठी और शहद के सेवन से क्या-क्या फायदे होते हैं -

इम्यूनिटी को बनाए मजबूत

मुलेठी और शहद का सेवन करने से शरीर की इम्यूनिटी बूस्ट हो सकती है। दरअसल, यह दोनों ही एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है। नियमित रूप से मुलेठी और शहद का सेवन करने से आप कई मौसमी बीमारियों और संक्रमण की चपेट में आने से बच सकते हैं।

दिल को रखे स्वस्थ

मुलेठी और शहद का सेवन दिल की स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल करने में मदद करता है। इसके सेवन से स्ट्रोक और दिल से जुड़ी अन्य गंभीर बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।

पेट की परेशानी को दूर करे

मुलेठी और शहद का एक साथ सेवन करने से पेट से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। इस मिश्रण में मौजूद गुण पेट के अल्सर को दूर करने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए आप एक चम्मच शहद को एक चम्मच मुलेठी पाउडर के साथ मिक्स करके इसका सेवन करें।

गले में खराश से दिलाए राहत

मुलेठी और शहद, दोनों में एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं। यह मिश्रण गले में खराश और दर्द की समस्या से राहत दिला सकता है।

अनियमित पीरियड्स को ठीक करे


जिन महिलाओं को अनियमित पीरियड्स की समस्या होती है, उनके लिए मुलेठी और शहद का सेवन लाभकारी हो सकता है। इससे पीरियड्स को रेगुलर करने में मदद मिलती है। इसके लिए आप गिलास पानी में एक चम्मच मुलेठी पाउडर और शहद मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं।

26.3.24

गर्मी के मौसम का आहार विहार- क्या खाएं क्या नहीं खाएं?




  स्वस्थ व निरोगी रहने हेतु प्रत्येक ऋतु में उस ऋतु के अनुकूल आहार-विहार करना जरूरी होता है, लेकिन ग्रीष्म ऋतु में आहार-विहार पर विशेष ध्यान देना पड़ता है क्योंकि इसमें प्राकृतिक रूप से शरीर के पोषण की अपेक्षा शोषण अधिक होता है। अत: उचित आहार-विहार में की गयी लापरवाही हमारे लिए कष्टदायक हो सकती है।शिशिर, वसन्त और ग्रीष्म ऋतु का समय ‘आदानकाल’ होता है। ग्रीष्म ऋतु इस आदान काल की चरम सीमा होती है। यह समय रूखापन, सूखापन और उष्णता वाला होता है। शरीर का जलीयांश भी कम हो जाता है। पित्त के विदग्ध होने से जठराग्नि मंद हो जाती है, भूख कम लगती है, आहार का पाचन शीघ्रता से नहीं होता। इस ऋतु में दस्त, उलटी, कमजोरी, बेचैनी आदि समस्याएं पैदा हो जाती हैं। ऐसे समय में आहार कम लेना व शीतल जल पीना आवश्यक है।

गर्मियों के मौसम में इन चीजों का सेवन न करें

स्पाइसी और फ्राइड फूड

स्पाइसी और फ्राइड फूड का सेवन करने से शरीर का तापमान बढ़ता है और आपको पाचन से जुड़ी समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है इसलिए इन्हें अवॉयड करे।
शराब

शराब का सेवन करने से शरीर डिहाइड्रेट होता है और इससे शरीर का तापमान भी बढ़ता है इसलिए इसको अवॉयड करें।
कॉफी

कॉफी एक डायरेटिक का काम करती है और शरीर को डिहाइड्रेट कर सकती है इसलिए इसका सेवन ज्यादा न करें।
शुगर से भरपूर ड्रिंक्स

आपको गर्मियों में शुगर से भरपूर ड्रिंक्स जैसे एनर्जी ड्रिंक्स, कोल्ड ड्रिंक्स या फिर सोडा का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे शरीर डिहाइड्रेट होता है और ब्लड शुगर लेवल भी तेजी से बढ़ सकता है।नहीं खाने योग्य :- उड़द, लहसुन, खट्टा दही, शराब, शहद और बैंगन का सेवन नहीं। बर्फ डाले और फ्रिज का पानी कम से कम पीएं। पानी एक-एक गिलास थोड़ी-थोड़ी देर में पीना चाहिए। इस ऋतु में वायु संचित होती है, क$फ का शमन होता है और पित्त कुपित रहता है। अत: पित्त का शमन करने वाले पदार्थ का सेवन करें। मीठे, चिकने, शीतल जलीय तत्व वाले पदार्थ के सेवन से पित्त का शमन होता है।

कुछ ज्ञात बातें:-

-घर से बाहर निकलते समय हमेशा पानी पीकर निकलें।
-सिर पर धूप से बचाव करने के लिए कैप या टोपी, रूमाल, सूती कपड़ा आदि का प्रयोग करें।
-खस, चंदन या गुलाब का इत्र लगाएं।
-केशों में चमेली का तेल, महाभृंगराज तेल लगाएं।
-शर्बतों में चंदन, गुलाब, खस, बिल्व का शर्बत पीएं।
-इस ऋतु में तालाब, स्वीमिंग पूल के शुद्ध जल से स्नान करें।
-दोपहर में नीबू की शिकंजी या सत्तू घोलकर पीएं।
-प्रात: काल ठंडाई घोटकर पीना उत्तम रहता है। ठंडाई में भांग न मिलाएं।
-इस ऋतु में शाम का खाना हल्का एवं सुपाच्य लें।
-सूर्य निकलने से पूर्व उठने की आदत डालें।

गर्मियों के मौसम में इन चीजों का करें सेवन

पुदीना

पुदीना एक रिफ्रेशिंग इंग्रेडिएंट्स होता है और शरीर पर इसका काफी कूल प्रभाव होता है। यह शरीर में पाचन को इंप्रोज करने में मदद करता है और इंफ्लेमेशन कम करने में भी सहायक है। पुदीने को आप सलाद, ड्रिंक्स या फिर चटनी आदि में मिला कर खा या पी सकते हैं।

नारियल का पानी

नारियल का पानी गर्मियों में शरीर के लिए काफी लाभदायक रहता है। इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, सोडियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट होते हैं। यह गर्मियों के दौरान पसीने के रूप में फ्लूड लॉस से शरीर को बचाता है और शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है।

ख़रबूज़े


गर्मियों में तरबूज और खरबूज हॉट केक की तरह बिकते हैं। रसदार और शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर, खरबूजे गर्मियों के बेहतरीन साथी साबित होते हैं। वे न केवल हाइड्रेट करते हैं बल्कि विटामिन बी, मैग्नीशियम, पोटेशियम और फाइबर जैसे पावर-पैक पोषक तत्वों के साथ शरीर को बढ़ावा देते हैं।

 पत्तेदार साग

हरी पत्तेदार सब्जियाँ पोषक तत्वों, कैल्शियम से भरपूर होती हैं और शरीर पर अच्छा शीतलन प्रभाव प्रदान करती हैं। पालक, सलाद, अमरंथ , चीनी गोभी और केल आपके ग्रीष्मकालीन तावीज़ हैं। इन्हें स्मूदी, सलाद या भोजन में साइड डिश के रूप में लिया जा सकता है।

. छाछ


गर्मियों का भारतीय पेय छाछ है और इससे सदियों का ज्ञान चमकता है। यह न सिर्फ आपको हाइड्रेटेड रखता है बल्कि पाचन के लिए भी फायदेमंद है। अपने दिन में जोश लाने के लिए इसे भुने हुए जीरे, ताजा धनिया और थोड़े से अदरक के साथ लें।

नींबू

अपने गिलास पानी में स्वाद जोड़ने का सबसे आसान तरीका है इसे नींबू के साथ पीना। वे प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देते हैं, आपकी त्वचा को चमकदार बनाते हैं और आपके आहार में विटामिन सी की एक स्वस्थ खुराक जोड़ते हैं। इसलिए सादे पानी से बने नींबू पानी का सेवन करें या अपने जूस और सलाद में थोड़ा सा नींबू मिलाएं।
आम

फलों का राजा शरीर की गर्मी को कम करने का सबसे अच्छा विकल्प है। इसे अपने आहार में शामिल करने के असंख्य तरीके हैं। इसे कच्चा खाएं, आम पन्ना के रूप में - यह गर्मियों का सर्वोत्कृष्ट पेय है, चटनी या करी के रूप में। आम पाचन के लिए बहुत अच्छे होते हैं, लू से राहत दिलाते हैं और ऊर्जा बढ़ाते हैं

दही

दही में प्रोबायोटिक होते हैं जो अच्छे बैक्टीरिया होते हैं और पाचन तंत्र के लिए लाभदायक होते हैं। यह शरीर की गर्मी को कम करने में, इन्फ्लेमेशन को कम करने में और पेट से जुड़ी समस्याओं को कम करने में सहायक होती है। इसे स्नैक, सलाद में मिला कर खाया जा सकता है।
तरबूज

गर्मियों में तरबूज जैसी फलों का सेवन करना चाहिए जिनमें अधिकतर पानी होता है। यह शरीर को हाइड्रेटेड रखते हैं और पानी की कमी नहीं होने देते हैं। तरबूज में विटामिन सी और ए जैसे पौष्टिक तत्व भी होते है। इसमें पोटेशियम भी होता है जो शरीर में इलेक्ट्रोलाइट को बनाए रखने में मदद करते हैं।
खीरा

खीरा भी एक हाइड्रेटिंग फूड है जो पूरा पानी से भरपूर होता है और इसका सेवन करने से आप कैलोरी भी ज्यादा नहीं कंज्यूम करते हैं। यह आपके शरीर के तापमान को रेगुलेट करने में मदद करता है और टॉक्सिन को फ्लश आउट करने में सहायक होता है।



12.3.24

फोड़े -फुंसी ,खरोंच, घाव के लिए ये घरेलु मलहम किसी औषधि से कम नहीं





  फोड़े आमतौर पर त्वचा पर एक कोमल, गुलाबी-लाल गांठ के रूप में शुरू होते हैं। जैसे-जैसे समय बीतता है, वे बड़े और अधिक दर्दनाक होते जाते हैं और सफेद या पीले मवाद से भरे केंद्र का निर्माण करते हैं। प्रभावित क्षेत्र सूज जाता है, जिससे वह बड़ा और अधिक सूजा हुआ दिखता है। फोड़े बेहद दर्दनाक हो सकते हैं, खासकर अगर छुआ जाए या कपड़ों से दबाया जाए। फोड़े के आसपास की त्वचा अक्सर लाल हो जाती है और सूजन के कारण गर्म महसूस होती है। अधिक गंभीर मामलों में, व्यक्ति को हल्का बुखार हो सकता है।
जबकि फोड़े शरीर पर विभिन्न स्थानों पर निकल सकते हैं, वे चेहरे, गर्दन, बगल, नितंब और जांघों जैसे बालों के रोम वाले क्षेत्रों में सबसे आम हैं।
प्रदूषण और धूल-मिट्टी की वजह से चेहरे पर फोड़े-फुंसी होना सामान्य है. चेहरे या फिर शरीर के किसी भी हिस्से पर फोड़े-फुंसी की परेशानी होने पर काफी ज्यादा दर्द, जलन और खुजली की समस्या होने लगती हैं. स्किन पर फोड़ा या फुंसी होने पर स्किन पर गांठ की तरह दिखता है. फोड़े-फुंसी का इलाज करने के लिए आप कई तरह के घरेलू उपचार अपना सकते हैं. आइए जानते हैं इन घरेलू उपचार के बारे में-

फुंसी हो तो क्या लगाना चाहिए?

नारियल का तेल और टी ट्री ऑयल

फोड़े-फुंसी से छुटकारा पाने के लिए नारियल का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं. इस तेल में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है, जो फुंसी का इलाज करने में प्रभावी माना जाता है. अगर आप फोड़े और फुंसी से राहत पाना चाहते हैं तो नारियल के तेल में टी ट्री ऑयल मिक्स करके इसे प्रभावित हिस्से पर लगाएं. इससे आपको काफी लाभ मिलेगा.

एलोवेरा और हल्दी से पाएं राहत

फोड़े-फुंसी का इलाज करने के लिए एलोवेरा जेल काफी प्रभावी हो सकता है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है, जो फोड़े-फुंसी में होने वाली सूजन को कम कर सकता है. इसका इस्तेमाल करने के लिए एलोवेरा जेल में हल्दी मिक्स करके पीस लें. इससे फोड़े-फुंसी का इलाज किया जा सकता है.

तुलसी फुंसी का करें इलाज

फोड़े-फुंसी की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए तुलसी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण पाया जाता है जो इससे आप फोड़े-फुंसी से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकता है. इसका इस्तेमाल करने के लिए तुलसी की पत्तियों को पील लें. अब इस लेप को फोड़े-फुंसियों पर लगाएं. इससे आपको काफी लाभ मिलेगा.

नीम से फुंसी से पाएं राहत

फोड़े-फुंसी का इलाज करने के लिए नीम काफी गुणकारी हो सकता है. इसका इस्तेमाल करने के लिए नीम की पत्तियों को पीसकर इसका पेस्ट तैयार कर लें. अब इस पेस्ट को फुंसी पर लगा लें. करीब 20 मिनट बाद इसे धो लें. इससे आपको कुछ ही दिनों में राहत मिल सकता है.


फोड़े-फुन्सियों का आयुर्वेदिक उपचार:

फोड़े का प्राकृतिक और जोखिम-मुक्त तरीके से इलाज करने के लिए बहुत सारे हर्बल पेस्ट और दवाएं उपलब्ध हैं। फोड़े-फुन्सियों के लिए सबसे अच्छा आयुर्वेदिक उपाय हल्दी का लेप लगाना है। हल्दी में सूजन-रोधी गुण होते हैं। हल्दी से सूजे हुए फोड़े मुलायम हो जाते हैं और जल्दी ठीक भी हो जाते हैं।
अरोमाथेरेपी एक और प्रभावी उपचार है जो फोड़े को ठीक करने में मदद करता है। यह संक्रमण और फोड़े-फुंसियों से भी छुटकारा दिलाने में कारगर है। अरोमापेथी चाय के पेड़ या लैवेंडर या अन्य औषधीय पौधों के तेल से प्राप्त प्राकृतिक तेलों का उपयोग करती है। विशेष रूप से, चाय के पेड़ का तेल स्टैफिलोकोकस को प्रभावी ढंग से मारता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि औषधीय तेल फोड़े को सूखा देता है और इस प्रकार तेजी से ठीक होने में मदद करता है।

ममीरा या पीलाजड़ी का पत्ता पीसकर लगाएं

ममीरा को कुछ क्षेत्रों में पियारांगा पीलाजड़ी भी कहते हैं। इसके पत्तों में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो कफ और वात रोगों को कम कर सकते हैं। बरसाती घाव होने पर आप इसके पत्तों को पीसकर घाव पर लेप की तरह लगा सकते हैं। इसके अलावा इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो कि घाव की लालिमा और सूजन को कम करते हैं। इसके लिए ममीरा या पीलाजड़ी के पत्ते को धोकर उबाल कर इसका पानी निकाल कर रख लें। फिर इसे पानी से कुछ दिनों तक लगातार घाव धोएं। यह घाव को गायब कर देगा।

करी पत्ता पीसकर लगाएं

करी पत्ते में कई औषधीय गुण होते हैं। यह एंटी डायबिटिक होने के साथ बरसात में निकलने वाले फोड़े-फुंसियों को भी ठीक करता है। करी पत्ते में एंटी एलर्जिक, एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। साथ ही ये घाव की जलन को कम कर सकता है और इसे ठीक भी करता है। इसके लिए करी पत्ते को रोज सुबह चबा-चबाकर खाएं। इसके अलावा करी पत्ते में लौंग पीसकर और नारियल तेल मिलाएं। अब इस लेप को अपने घाव पर दिनभर में कई बार लगाएं। ये आसानी से घाव भरने में मददगार होगा।

कदम के पत्ते-छाल का पानी है कारगर

कदम के पत्तों या छाल बड़े ही काम की चीज है। इसे सूजन पर लगा सकते हैं। इसका इस्तेमाल मोच आने पर भी किया जा सकता है। लेकिन बरसाती घाव के लिए ये बहुत ही कारगर है। कदम के पत्तों या छाल के अर्क में एंटीबैक्टीरियल और हीलिंग गुण होते हैं। ये पहले तो घाव के बैक्टीरिया को मारकर इसे फैलने से रोकता है, इसके बाद घाव ठीक करता है। कदम के पत्तों या छाल को पीस कर उसका अर्क निकाल लें और इसे अपने घाव पर दिन में तीन बार लगाएं।

सेमल के फूल और कांटे सूजन घटाएं

सेमल के फूल और कांटों के कई फायदे हैं। अगर इन दोनों का अर्क निकाल कर रख लें तो ये बहुत काम आते हैं। इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण शरीर की सूजन दूर करते हैं और इसका एंटी बैक्टीरियल गुण घाव के बैक्टीरिया को मारता है और घाव को फैलने से रोकता है। साथ ही इसका अर्क घाव की खुजली और जलन को भी कम करने में मददगार है।
*एलोवेरा के गूदे का सेवन करना या इसे बाहरी रूप से लगाना भी प्रभावी है। अप्रत्याशित जटिलताओं के कारण आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को फोड़े के लिए इस आयुर्वेदिक उपचार की सलाह नहीं दी जाती है।
*इसके अलावा, एक पान के पत्ते को नरम होने तक हल्का गर्म कर लीजिए. फिर, इसे शुद्ध अरंडी के तेल से लेप करें और प्रभावित त्वचा क्षेत्र पर धीरे से लगाएं। इससे फोड़ा फूट जाता है और जल्दी ठीक होने में भी मदद मिलती है। बेहतर परिणाम के लिए इसे दिन में कम से कम तीन बार तब तक करें जब तक फोड़ा घुल न जाए।
आयुरहीलिंग के पास बैंगलोर में सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेद डॉक्टर हैं और कोई भी उनसे उपरोक्त हर्बल दवाएं प्राप्त कर सकता है।

गर्मी के फोड़े के लिए सरल आयुर्वेदिक घरेलू उपचार:

– ब्रेड के एक टुकड़े को उबलते पानी में डुबोएं और फिर कमरे के तापमान पर ठंडा करें. इसे फोड़े पर रखने से मवाद कम हो जाता है और अंततः ठीक हो जाता है।
– प्याज और लहसुन का अर्क भी फोड़े को ठीक करता है। इन्हें बाहरी रूप से लगाने से फोड़े को पकने और मवाद बाहर निकालने में मदद मिलती है।
– जीरे को पानी के साथ पीसकर गाढ़ा पेस्ट बना लें. संक्रमण के आधार पर इसे दिन में दो या तीन बार फोड़े पर लगाने से यह प्राकृतिक रूप से पक जाता है और मवाद निकल जाता है।
– अरंडी की छाल फोड़े-फुंसियों को ठीक करने में भी कारगर है. अरंडी की छाल को पीसकर पानी के साथ गाढ़ा पेस्ट बनाएं और संक्रमण पर बाहरी रूप से लगाएं।
बैंगलोर में अपने सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेद डॉक्टरों के साथ आयुरहीलिंग सर्वोत्तम आयुर्वेदिक दवाओं का घर भी है।

फोड़े से छुटकारा पाने के लिए सामान्य सुझाव:

- फोड़े को अपने आप न दबाएं, न निचोड़ें या न ही सुखाएं। इससे संक्रमण फैल सकता है या फोड़े का द्वितीयक संक्रमण हो सकता है।
- फोड़े से संक्रमित त्वचा पर दिन में कई बार गीला, गर्म कपड़ा रखें।
- ऊपर दी गई टिप का उपयोग करते समय थोड़ा दबाव डालें। लेकिन, सुनिश्चित करें कि आप फोड़े को छेद न दें।
- जब फोड़ा फूटकर साफ हो जाए तो उसे साफ और ताजी पट्टी से ढककर रखें। इससे संक्रमण को अन्य स्थानों पर फैलने से रोका जा सकता है।
- फोड़े की देखभाल के बाद हमेशा अपने हाथ ठीक से धोना सुनिश्चित करें। इससे इसे फैलने से रोका जा सकेगा.
- जब फोड़ा सूखने लगे तो उसे नियमित रूप से किसी जीवाणुरोधी साबुन से साफ करें। ऐसा तब तक करें जब तक सारा मवाद निकल न जाए और फिर रबिंग अल्कोहल से उस क्षेत्र को साफ कर लें। इसे फैलने से बचाने के लिए औषधीय मलहम भी लगा सकते हैं और पट्टी से ढक सकते हैं।
इसके अलावा, संक्रमित क्षेत्र को दिन में 2 से 3 बार धोना जारी रखें। घाव ठीक होने तक फोड़े पर गर्म सेक का प्रयोग करें।

फोड़े-फुन्सियों को होने से कैसे रोकें?

नीचे दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करके फोड़े-फुन्सियों को होने से रोका जा सकता है:
-फोड़े-फुन्सियों से संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, बिस्तर और तौलिये को मिलाकर न धोएं। उनके कपड़े अलग और दूसरे कपड़े अलग रखें। इससे फोड़े-फुन्सियों को फैलने से रोका जा सकेगा।
-त्वचा के छोटे-मोटे घावों को हमेशा साफ करें और उनका तुरंत इलाज करें। यदि ऐसा न किया जाए तो ये घाव आपको बिना बताए और अधिक संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
-घर के सभी लोगों के लिए अच्छी और स्वस्थ स्वच्छता का अभ्यास सुनिश्चित करें।
-फोड़े-फुन्सियों को होने से रोकने के लिए सही और स्वस्थ भोजन खाना भी महत्वपूर्ण है।
- किसी भी संक्रमण या फोड़े को सुई जैसी किसी नुकीली चीज से न फोड़ें। इससे संक्रमण बदतर हो सकता है और खतरनाक संक्रमण भी हो सकता है।

परामर्श-


दामोदर चर्म रोग हर्बल औषधि
त्वचा के विभिन्न रोगों में रामबाण औषधि की तरह उपयोगी है. रक्त की गन्दगी दूर कर चमड़ी की बीमारियों -दाद खाज,खुजली,एक्जीमा ,सोरायसिस,फोड़े फुंसी को जड़ मूल से खत्म करने के लिए जानी मानी दवा के रूप में व्यवहार होती है.

11.3.24

हल्दी और सरसों के तेल का ये मिश्रण किसी चमत्कार से कम नहीं , haldi and sarson ka tel fayde





  भारतीय किचन में अधिकतर लोग हल्दी और सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं। आमतौर पर इसका इस्तेमाल खाना तैयार करने में किया जाता है। इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण स्वास्थ्य के जुड़ी कई समस्याओं को दूर कर सकता है। रोजाना हल्दी और सरसों के तेल का इस्तेमाल करने से कई तरह की बीमारियों को दूर किया जा सकता है। यह स्किन संबंधी परेशानियों को दूर कर सकता है। साथ ही मोटापा भी कंट्रोल करने में प्रभावी है. इतना ही नहीं, हल्दी और सरसों तेल का इस्तेमाल करने से शरीर की सूजन को कम की जा सकती है।


दर्द और सूजन करे कम

दर्द और सूजन को कम करने के लिए हल्दी और सरसों का तेल इस्तेमाल करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि हल्दी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं, जो शरीर की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही हल्दी में करक्यूमिन गुण पाए जाते हैं, जो शरीर के दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इसलिए हल्दी और सरसों के तेल का इस्तेमाल करने से शरीर में दर्द और सूजन की समस्या दूर रहती है।

स्किन को बनाए हेल्दी

हल्दी और सरसों का तेल इस्तेमाल करने से स्किन को स्वस्थ रखा जा सकता है। नियमित रूप से चेहरे पर हल्दी और सरसों का तेल लगाने से स्किन इंफेक्शन, एक्ने और पिंपल्स से जुड़ी परेशानियों को दूर किया जा सकता है। यह आपकी स्किन पर निखार लाने में भी प्रभावी है। इसे आप अपने चेहरे पर डायरेक्ट एप्लाई कर सकते हैं।

हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद

हल्दी और सरसों तेल का सेवन करने से आपके ब्लड में मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन में सुधार किया जा सकता है, जो हार्ट डिजीज के खतरे को कम करने में असरदार है।
हार्ट को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हल्दी और सरसों के तेल का एक साथ सेवन करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि हल्दी और सरसों के तेल एक साथ मिलाकर खाने से ब्लड प्यूरीफाय होता है और क्लॉटिंग की आशंका कम होती है। जिससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और हार्ट डिजीज का खतरा भी कम होता है।

लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में फायदेमंद

लिवर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हल्दी और सरसों के तेल का एक साथ सेवन करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि हल्दी और सरसों के तेल का सेवन करने से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। जिससे शरीर के संक्रमण को भी दूर करने में मदद मिलती है।

कब्ज से राहत

कब्ज की परेशानी को दूर करने के लिए हल्दी और सरसों तेल का इस्तेमाल करें। यह आपके पाचन के लिए हेल्दी हो सकता है। इसके सेवन से आप गैस, कब्ज जैसी परेशानियों को कम कर सकते हैं।



9.3.24

पुरुषों के लिए किसी औषधि से कम नहीं हैं मखाना , Benefits of Makhana




मखाना और दूध सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसे खाने से शरीर की कई समस्याएं दूर होती हैं। जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्या है उनके लिए मखाना और दूध काफी गुणकारी माना जाता है। यह दिल से जुड़ी बीमारियों से बचाने में मदद करता है। इसके अलावा दूध और मखाना खाने के और भी कई फायदे हैं।
सभी की कोशिश होती है कि उनका शरीर चुस्त और दुरुस्त रह सके. जब सेहत अच्छी नहीं रहती तो जीवन का कोई भी सुख असल में सुख जैसा प्रतीत नहीं होता है. इस चलते लोग अपने खानपान में खासकर उन चीजों को शामिल करते हैं जो सेहत को फायदे देती हैं. इसी तरह की एक खाने की चीज है मखाना. बहुत से लोग मखाने को खीर में डालकर खाते हैं, कई इसे नमकीन में डालकर खाते हैं तो कई इसे स्नैक्स की तरह खाना पसंद करते हैं. मखाने (Makhana) को इनके पोषक तत्वों को देखते हुए सुपरफूड भी कहा जाता है. इनमें प्रोटीन और फाइबर होता है और यह लो फैट स्नैक्स होते हैं. मखाने में कैल्शियम और मैग्नीशियम की भी अच्छी मात्रा पाई जाती है.
मखाने में आयरन प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट फैट मिनरल फास्फोरस सोडियम मैग्नीशियम आदि आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो रोजाना मखाने के सेवन से मोटापा मधुमेह हाई ब्लड प्रेशर और हृदय संबंधी बीमारियों में फायदा मिलता है। पुरुषों के लिए यह किसी दवा से कम नहीं है। इसके सेवन से यौन स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।

डायबिटीज के मरीज

मखाने डायबिटीज में खाने के लिए अच्छे स्नैक्स हैं. इनमें गुड फैट्स पाए जाते हैं और इनमें सैचुरेटेड फैट्स की मात्रा कम होती है. इस चलते डायबिटीज (Diabetes) में मखाने खाए जा सकते हैं. डायबिटीज में मखाने खाने पर हार्ट हेल्थ भी अच्छी रहती है.

वजन कम करता है मखाना

वजन घटाने की कोशिश कर रहे लोग भी खानपान में मखानों को शामिल कर सकते हैं. इनमें फाइबर की अत्यधिक मात्रा पाई जाती है और कॉलेस्ट्रोल कम करने वाले गुण भी. इनमें प्रोटीन की भी अच्छी मात्रा होती है. इस चलते वजन घटाने (Weight Loss) के लिए सुबह या शाम कभी भी मखाने खाए जा सकते हैं.
हाई कोलेस्ट्रॉल के लिए फायदेमंद

मखाने में सोडियम और सैचुरेटेड फैट कम और फाइबर उच्च मात्रा में पाया जाता है। फाइबर युक्त चीजों के सेवन से बार-बार खाने की समस्या से निजात निजात मिलता है। साथ ही हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है। अगर आप बढ़ते कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल करना चाहते हैं, तो डाइट में मखाने को जरूर शामिल करें।

हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने में

हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने में मखाना वाला दूध आपकी मदद कर सकता है। हड्डियों को स्वस्थ रखने में मखाने वाले दूध में कैल्शियम की मात्रा होती है, जो हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इससे आपके दांतों को मजबूती मिलती है। जिन लोगों को गठिया की समस्या है, वो अपनी डाइट में मखाना और दूध शामिल कर सकते हैं

कब्ज दूर करता है मखाना

फाइबर की अत्यधिक मात्रा होने के चलते मखाने खाने पर कब्ज की दिक्कत से राहत मिलती है. मखाने मल का भार बढ़ाने में सहायक होते हैं जिससे पेट अच्छी तरह साफ हो जाता है. इसलिए कब्ज से राहत पाने में मखाने मददगार साबित हो सकते हैं.

मानसिक तनाव को दूर करने में

सेहत विशेषज्ञों की मानें तो मानसिक तनाव को दूर करने में भी मखाना फायदेमंद साबित होता है। अगर आप मानसिक तनाव से परेशान हैं, तो निजात पाने के लिए रोजाना रात में सोने से पहले एक गिलास दूध के साथ एक मुठ्ठी मखाने का सेवन करें।

शरीर में हों अगर टॉक्सिन

शरीर में टॉक्सिंस बढ़ जाने पर सेहत और स्किन पर भी इसका असर होता है. बीमार तो महसूस होता ही है साथ ही पेट भारी-भारी लगने लगता है और ज्यादातर फूला रहता है. ऐसे में शरीर से टॉक्सिन निकालने के लिए मखाने खाए जा सकते हैं क्योंकि मखाने डिटॉक्सिफाइंग गुणों से भरपूर होते हैं.
अत्यधिक मखाने खाने से शरीर को झेलने पड़ सकते हैं कुछ नुकसान

अगर आपका पेट है कमजोर-Weak stomach

अगर आपका पेट कमजोर हैं तो आपको मखाना खाने से बचना चाहिए। दरअसल, ये मखाना पेट के लिए भारी है और इसे पचाना आसान नहीं होता है। इसके फाइबर को पचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी की जरुरत होती है और जब आप इसे खाते हैं तो ये पेट का पानी सोखने लगता है। ऐसे में ज्यादा मात्रा में इसका सेवन कब्ज की समस्या का कारण बन सकता है। इसके अलावा पेट दर्द और ब्लोटिंग आदि भी हो सकती है। इसलिए, कमजोर पाचन तंत्र वाले मखाना खाने से बचें।

डायरिया में इसके सेवन से बचें

फाइबर रिच मखानों का सेवन अधिक मात्रा में करने से जहां एक तरफ भूख शांत हो जाती है। वहीं शरीर को पोषण भी मिलता है। अगर आप डायरिया या पाचन संबधी किसी समस्या से जूझ रहे हैं, तो उस स्थिति में मखानों का सेवन करने से बचें। पौष्टिक तत्वों से भरपूर मखानों को अगर आप अत्यधिक मात्रा में खाते हैं, तो वे ब्लोटिंग का कारण बन सकता है

किडनी स्टोन की दिक्कत में-Kidney stone

किडनी स्टोन की दिक्कत में मखाना खाना, कई समस्याओं का कारण बन सकता है। दरअसल, किडनी स्टोन की दिक्कत शरीर में कैल्शियम की अधिकता होने की वजह से होती है और और ऐसे में कैल्शियम से भरपूर मखाने का सेवन, इस समस्या को और तेजी से बढ़ा सकता है। इसलिए अगर आपको किडनी स्टोन की समस्या है तो मखाना खाने से बचें।

एलर्जी होने की संभावना


एंटीबैक्टीरियल गुणों से परिपूर्ण मखानों को आप रोसटिड या कैरेमल फॉर्म में खा सकते हैं। इसके अलावा लोग इसकी खीर भी खाते हैं। अगर आप नियमित तौर पर मखानों को अलग अलग तरह से खा रहे हैं, तो इसका आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी दिखने लगता है। इससे स्किन पर रैशेज और खांसी जुकाम भी होने लगता है। अलग अलग लोगों को शरीर के मुताबिक कई प्रकार की एलर्जी का सामना करना पड़ सकता है। अगर आपको मखाने खाने के दौरान डिसकंफर्ट महसूस होने लगता है, तो ऐसे में उसे तुरंत खाना बंद कर दें।

हाइपरटेंशन

न्यूट्रिएंट्स से भरपूर मखानों को खाने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से भी सामना करना पड़ सकता है। लो कैलोरी और सोडियम से रहित इस सुपरफूड को बनाने के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले नमक से शरीर में ब्लड प्रेशर रेज़ होने लगता है। इसके चलते हाइपर टेंशन समेत हार्ट संबधी समस्याओं का भी खतरा बना रहता है।

हार्ट में ब्लॉकेज दूर करने के उपाय Heart blockage upay




  पूरी दुनिया में दिल से जुड़ी बीमारी के मरीज में लगातार वृद्धि हो रही है. आजकल खराब लाइफस्टाइल की वजह से किसी को बीपी की समस्या होती है तो किसी का कोलेस्ट्रॉल लेवल हाई रहता है. इसके साथ ही कई लोगों में हार्ट अटैक के लक्षण भी दिखाई देते हैं. आजकल खराब लाइफस्टाइल और गलत खानपान की वजह से दिल की बीमारी ज्यादातर लोगों को हो रही है. अगर दिल की बीमारी का पता सही समय पर चल जाए तो वक्त रहते इसका इलाज किया जा सकता है. नहीं तो स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है. इसलिए आपको कभी भी दिल की बीमारी से जुड़ी किसी भी तरह के लक्षण महसूस होता है तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए. खासकर हार्ट ब्लॉकेज की समस्या तो बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें. दरअसल, हार्ट ब्लॉकेज की दिक्कत दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. इसलिए आज आपको इस आर्टिकल के जरिए बताएंगे कि किस तरह से हार्ट ब्लॉकेज की समस्या को दूर किया जा सकता है? हमारा दिल शरीर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है, जिसका कार्य हमारे शरीर को जीवित रखना है। क्या आप जानते हैं कि एक स्वस्थ दिल हर मिनट में लगभग 5 लीटर रक्त पंप करता है! यह रक्त पूरे शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों का वितरण करता है, जिससे हमारे शरीर के सभी अंग ठीक से कार्य करते हैं। क्या होगा यदि दिल की धड़कन रुक जाए या धीरे चले? इस स्थिति को हर्ट ब्लॉकेज कहा जाता है। दिल से संबंधित इलाज के लिए आप हमारे विशेषज्ञों से परामर्श कर सकते हैं। चलिए इस ब्लॉग के माध्यम से हार्ट में ब्लॉकेज के संबंध में पूर्ण जानकारी प्राप्त करते हैं।

ब्लड फ्लो धीमा होने के नुकसान क्या हैं? 

ब्लड फ्लो धीमा या खराब होने से कई गंभीर लक्षण पैदा हो सकते हैं। इससे आपको दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन, सुन्नता, पाचन संबंधी समस्याएं और हाथो-पैरों में ठंड महसूस होना जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं।
हार्ट में ब्लॉकेज या हार्ट का ब्लॉक होना बहुत ही गंभीर बीमारी है। क्युकि इस बीमारी में दिल की धड़कन बहुत धीरे-धीरे चलने लगती है। जिसके कारण व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तो वही इस समस्या के उत्पन होने के क्या कारण है और इसके लक्षण कितने खतरनाक हो सकते है और इस समस्या से हम कैसे खुद का बचाव कर सकते है इसके बारे में बात करेंगे इसलिए अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे है तो इससे कैसे निजात पाना है इसके बारे में जानने के लिए आर्टिकल के साथ अंत तक जरूर से बने रहें ; धमनियां, यानी आपकी आर्टरी बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के बढ़ने से ब्लॉक हो सकती हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है, दिल पर प्रेशर पड़ता है और आप हाई बीपी के शिकार हो सकते हैं। लंबे समय तक ये स्थिति बनी रहने पर आपको हार्ट अटैक आ सकता है या भी आप अन्य किसी गंभीर बीमारी के शिकार हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में धमनियों में जमा बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड को साफ करने में ये ड्रिंक कई प्रकार से मददगार है। तो, आइए जानते हैं क्या है ये ड्रिंक, इसे बनाने का तरीका और इसे पीने के फायदे।

धमनियों को साफ करने वाला हर्बल डिटॉक्स वॉटर-How can I detox my arteries naturally

धमनियों को साफ करने के लिए आपको इन 5 चीजों की जरुरत है। जैसे कि अदरक, लहसुन, नींबू, एप्पल साइडर विनेगर और शहद। आपको करना (artery cleansing drink recipe) ये है 2 कप पानी में थोड़ा सा अदरक और 2 कली लहसुन को पका कर इसे 1 कप जितना पानी बना लें। इसके बाद इस डिटॉक्स वॉटर में 1 चम्मच एप्पल साइडर विनेगर मिलाएं। थोड़ा सा नींबू और 1 चम्मच शहद मिलाएं। अब रोजाना खाली पेट इस डिटॉक्स वॉटर का सेवन करें। महीने में इसे सिर्फ 2 हफ्तों के लिए करें, बीच-बीच में गैप लेते रहें।हार्ट ब्लॉक का सबसे प्रमुख और सामान्य कारण “हार्ट अटैक” है। वही इसके अन्य कारणों की बात करें तो दिल की मांशपेशी संबंधित बीमारियां भी इसमें शामिल हैं।
हार्ट ब्लॉक सर्जरी के दौरान होने वाली किसी ऊंच-नीच की वजह से भी हार्ट ब्लॉक हो सकता है। और ऐसा किसी दवाई के साइडइफेक्ट के कारण होता है। वही आनुवांशिक होने पर भी हार्ट ब्लॉक की समस्या हो सकती है।
क्या है हार्ट ब्लॉकेज की समस्या ?दिल के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में आने वाली दिक्कत हार्ट ब्लॉकेज कहलाती है।
जब हृदय में स्थित धमनियों की दीवारों में कफ जम जाता है, तो उससे पैदा होने वाले विकार को हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं। वही आधुनिक रहन-सहन और खाने-पीने में लापरवाही की आदतों के चलते अधिकांश लोगों में हार्ट ब्लॉकेज की समस्या आम होती जा रही है।

हार्ट में ब्लॉकेज के लक्षण क्या है ?

बार-बार सिरदर्द होना।
चक्कर आना ।
छाती में दर्द का होना।
सांस फूलना।
गर्दन, ऊपरी पेट, जबड़े, गले या पीठ में दर्द होना आदि।
हार्ट में ब्लॉकेज को खोलने के लिए कौन-से घरेलू इलाज है कारगर ?अनार से हार्ट के ब्लॉकेज को खोले।
दालचीनी से करें हार्ट के ब्लॉकेज को खोलने के उपाय।
लाल मिर्च भी आपके हार्ट ब्लॉकेज को खोलने में मदद कर सकता है।
लहसुन का सेवन करके भी आप हार्ट ब्लॉकेज की समस्या से निजात पा सकते है।
हल्दी के सेवन भी हार्ट ब्लॉकेज को खोलने के बेहतरीन उपाय है।
तुलसी से करें हार्ट ब्लॉकेज समस्या का हल।
अदरक भी बेहतरीन उपाय है हार्ट ब्लॉकेज को खोलने का, आदि।
परहेज क्या है हार्ट ब्लॉकेज से बचाव का ?वही इस समस्या से निजात पाने के लिए आपको पूड़ी, पराठा, समोसा, पकौड़ी जैसी तेल में तली चीजें, फ्रेंच फ्राईज, बर्गर, रेड मीट को डाइट में शामिल नहीं करना है।

हार्ट ब्लॉकेज के कारण

हार्ट ब्लॉकेज के कारण की बात करें, तो उनकी सूची बहुत बड़ी है। अलग-अलग कारक हार्ट ब्लॉकेज के लिए जिम्मेदार होते हैं। उनमें से कुछ को नीचे विस्तार से बताया गया है - हाई ब्लड प्रेशर: अनियंत्रित उच्च रक्तचाप आपकी नसों पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे नसों में संकुचन की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और रक्त के बहाव में रुकावट आती है।

हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल: 

एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर को "खराब" कोलेस्ट्रॉल के रूप में भी जाना जाता है। यदि यह समस्या आपको परेशान कर रही है, तो आपकी नसों में प्लाक का गठन होता है, जिससे धमनियों में रुकावट आती है।

धूम्रपान और तंबाकू का सेवन: 

धूम्रपान और तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह रक्त वाहिकाओं को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है, जिसमें वह सिकुड जाते हैं।

मोटापा और गतिहीन जीवन शैली: 

अधिक वजन, मोटापा और गतिहीन जीवन शैली हृदय की रुकावट के लिए जिम्मेदार होते हैं।

हार्ट ब्लॉकेज कैसे पता करे

यदि आपको हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण दिखते हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है। मेडिकल टीम आपकी स्थिति के आधार पर कुछ टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं। निम्नलिखित परीक्षण आपके डॉक्टर करवा सकते हैं - इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम या ईसीजी में विद्युत का प्रयोग होता है, जिससे हृदय की गति की जांच हो पाती है।
इसके अतिरिक्त एमआरआई का प्रयोग कर हृदय के आसपास की रक्त प्रवाह की गति की पहचान होती है।
कार्डियक कैथीटेराइजेशन के द्वारा डॉक्टर आपके दिल के आसपास के क्षेत्र का निरीक्षण करते हैं और प्लाक के स्थान या संभावित स्थान का पता लगाते हैं।
कोरोनरी कैल्शियम स्कैन के द्वारा नसों में कैल्शियम या कैल्शियम कैल्सीफिकेशन को मापा जाता है।
कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, और लिपोप्रोटीन की जांच के लिए रक्त परीक्षण का सुझाव दिया जाता है।
नसों में रक्त के प्रवाह की पहचान के लिए स्ट्रेस टेस्ट का भी सुझाव दिया जा सकता है।

हार्ट ब्लॉकेज का इलाज

यदि आपके दिल में किसी भी प्रकार की रुकावट है, तो डॉक्टर कुछ जीवनशैली में बदलाव के साथ दवाओं का सुझाव दे सकते हैं। वहीं कुछ मामलों में सर्जरी की सलाह भी डॉक्टर देते हैं। कुछ मामलों में डॉक्टर निम्नलिखित बदलाव का सुझाव देते हैं - स्वस्थ आहार लें
नियमित व्यायाम करें
धूम्रपान छोड़ दें और इससे दूरी बनाएं
शराब का सेवन सीमित करें
तनाव को कम करने का प्रयास करें
अच्छी गुणवत्ता वाली नींद लें
इसके अतिरिक्त कुछ दवाओं का सुझाव डॉक्टर देते हैंब्लड प्रेशर को कम करने के लिए बीटा-ब्लॉकर्स, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स, या एसीई ब्लॉकर्स का सुझाव दिया जाता है।
एंटी क्लोटिंग और एंटीप्लेटलेट दवाएं डॉक्टर देते हैं।
सीने में दर्द के इलाज के लिए नाइट्रेट दवाएं।
स्टैटिन और अन्य कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाएं।
रक्त के थक्कों को घोलने की दवाएं।
कुछ प्रकार के ब्लॉकेज बहुत ज्यादा गंभीर होते हैं और उनको ठीक करने के लिए सर्जिकल प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है। इस संबंध में डॉक्टर एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट का विचार कर सकते हैं। बाईपास सर्जरी भी हार्ट ब्लॉकेज के इलाज का एक विकल्प है।

हार्ट ब्लॉकेज खोलने के लिए क्या खाएं

हार्ट ब्लॉकेज की स्थिति से निपटने के लिए आपका आहार और दैनिक जीवन बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होता है। हार्ट ब्लॉकेज खोलने में निम्नलिखित खाद्य पदार्थ बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होतै हैं - अनार से हार्ट ब्लॉकेज की स्थिति में सुधार होता है।
दालचीनी है आपके लिए लाभदायक।
लहसुन रक्त के बहाव को तेज करता है, जिससे हार्ट ब्लॉकेज को खोलने में मदद मिलती है।
हल्दी दिल के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
तुलसी के औषधीय गुणों के कारण इसके सेवन से लाभ मिलता है।
खाने में अदरक का सेवन हार्ट ब्लॉकेज की स्थिति को ठीक करने में लाभकारी साबित होगा।


हार्ट ब्लॉकेज क्यों होता है?

हार्ट ब्लॉकेज की समस्या तब होती है, जब हृदय की धमनियों में वसा, कोलेस्ट्रॉल, और अन्य पदार्थ जम जाते हैं। इससे धमनियां संकुचित हो जाती हैं और रक्त का प्रवाह भी कम हो जाता है। इससे हृदय में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी आती है, जिससे सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, और यहां तक ​​कि दिल का दौरा भी पड़ सकता है।

हार्ट ब्लॉकेज में क्या नहीं खाना चाहिए?

हार्ट ब्लॉकेज में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए:तला हुआ भोजन
मीठे पेय पदार्थ
पैकेटबंद खाद्य पदार्थ
प्रोसेस्ड मीट
फास्ट फूड
इन खाद्य पदार्थों में फैट, कोलेस्ट्रॉल, और अन्य तत्व होते हैं, जो हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

हार्ट में ब्लॉकेज के कितने स्टेज होते हैं?

हार्ट ब्लॉकेज के अलग-अलग स्टेज होते हैं। शुरुआती चरण में लक्षण नहीं होते हैं। दूसरे स्टेज में दिल की धड़कन असामान्य रहती है। तीसरे स्टेज में हृदय रुक-रुक कर कार्य करता है। दूसरे या तीसरे चरण में दिल का दौरा भी आ सकता है। यही कारण है कि दूसरे चरण से ही इलाज की आवश्यकता होती है।

8.3.24

खून बहने से रोकने के ल‍िए क्या उपाय करें |How to stop bleeding





कुछ काम करने के दौरान, चलने-दौड़ने, चाकू से कुछ काटने या फिर सड़क दुर्घटना में चोट लग जाती जिससे खून निकलने लगता है। दिक्कत तो तब होती है जब कुछ लोगों में ये खून बहना बंद नहीं होता है।
Nose Bleeding Reasons: ज्यादा शराब पीने या ज्यादा कैलोरी खाने से लिवर में फैट जमा हो सकता है. फैटी लिवर रोग के शुरुआती चरणों में आमतौर पर कोई चेतावनी के संकेत नहीं होते हैं. फैटी लिवर की वजह से किसी भी शरीर के अंग में सूजन हो सकती है. इसे गैर-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस कहा जाता है. लगातार सूजन से लिवर में निशान पड़ सकते हैं, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है. अगर इसे अनदेखा कर दिया जाए तो यह सिरोसिस में बदल सकता है, जो फैटी लिवर रोग का सबसे खतरनाक स्टेप होता है.

नाक से खून आने पर सावधान रहें

सिरोसिस का एक लक्षण बार-बार नाक से खून आना है, जिसे एपिस्टेक्सिस भी कहा जाता है. बार-बार नाक बहना फैटी लिवर का संकेत भी हो सकता है क्योंकि आपका शरीर रक्तस्राव की तरफ अधिक संवेदनशील होता है. इससे मसूढ़ों में चोट लगना और खून आना भी हो सकता है

बर्फ

खून को राकने के लिए बर्फ सबसे आसान तरीका है। बर्फ लगाने से भी खून बहना बंद होता है। यदि चाकू या किसी चीज से भी आपका हाथ कट गया है, बच्चों को चोट लगी हो तो बर्फ लगाएं। चोट वाली जगह पर बर्फ रगड़ ले। बर्फ रगड़ने से खून बहना जल्दी बंद हो जाएगा और दर्द से भी राहत मिलेगी।

टी-बैग्स

चाय में टैनिन तत्व होता है, जो ब्लड क्लॉट बनाता है। टी-बैग को चोट वाली जगह पर लगाएं इसे खून बहना बंद हो सकता है। इसको हल्के से घाव वाली जगह पर 10 मिनट तक दबा कर रखें। खून बहना रुक जाएगा।

फिटकरी

फिटकरी खून को रोकने में काफी मदद करती है। ये आसानी से आपको किराना की दुकानों पर मिल जाएगी। सबसे पहले फिटकरी को पानी में भिगोएं फिर घाव वाले जगह पर इसे दबा कर रखें। ऐसा करने से खून का बहना बंद हो जाएगा।
त्वचा पर कहीं भी कट-छिल गया है, तो उस भाग पर दबाव डालें। दबाव अपनी उंगलियों से सीधा ना डालें, इससे इंफेक्शन हो सकता है। सबसे पहले पट्टी बांधें या बैंडेड लगाएं। अब ऊपर से अपनी उंगलियों से दबाव डालें। ध्यान रहे कि पट्टी टाइट से बंधी हो। इससे खून का थक्का जल्दी बनता है। पांच मिनट में खून बहना बंद हो सकता है।

खून बहने से रोकने के ल‍िए यूज करें एलोवेरा (Aloevera)

खून बहने से रोकने के ल‍िए आप एलोवेरा का यूज करें। एलोवेरा की पत्‍ती से जेल न‍िकालकर आप चोट वाली जगह पर लगाएं। घाव पर कुछ भी लगाने से पहले आप घाव को अच्‍छी तरह से साफ करें, घाव को क्‍लीन कर दें और उसे सूखने पर ही कुछ एप्‍लाई करें।

टूथपेस्ट

घाव पर टूथपेस्ट लगाने से भी खून बंद हो जाता है. टूथपेस्ट लगाने से घाव जल्दी भरता भी है.

.हल्दी

हल्दी घाव को जल्दी भरने का काम करती है। जहां पर चोट लगी हो वहां पर हल्दी लगा लें ये ब्लड को रोकने में मदद करता है।

खून बहने से रोकना है तो ठंडी स‍िकाई करें (Cold compress)

अगर आपको चोट लगी है तो ठंडी स‍िकाई कर सकते हैं, ये एक पुराना घरेलू उपाय है ज‍िससे खून बहना बंद हो जाएगा। चोट के आसपास सूजन को कम करने के ल‍िए भी ये नुस्‍खा फायदेमंद है। आप शरीर का तापमान कम करके ब्‍लड क्‍लॉट‍िंग को धीमा कर सकते हैं इसल‍िए ये नुस्‍खा असरदार है। आप बर्फ को सीधे चोट पर लगाने के बजाय साफ सूती रूमाल में लपेटकर उसे ब्‍लीड‍िंंग प्‍वॉइंट पर रखें और खून को साफ कर लें।


5.3.24

हाथों और पैरों में झुनझुनी के कारण ? क्या हैं उपाय ?




कई बार छोटी-मोटी समस्याओं को हम नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन आपको ध्यान में रखना चाहिए कि शरीर इस तरह से संकेत तभी देता है, जब चीजें गंभीर होने लगी हों। अगर इन पर ध्यान नहीं दिया और समय रहते इनका इलाज नहीं किया, तो शरीर अंदर से खोखला होने लगता है और फिर ये बड़ी बीमारी बनकर उभरती है। खास तौर पर विटामिन की कमी से होनेवाली बीमारियों के लक्षण ऐसे ही सामान्य से होते हैं, लेकिन लंबे समय तक नजरअंदाज करने से शरीर को भारी नुकसान पहुंचता है
हाथ-पैर या किसी अंग में बार-बार झुनझुनी की समस्या एक खास तरह की विटामिन की कमी की वजह से होती है. जब शरीर में इस विटामिन की कमी होती है तो न्यूरोन की एक्टिविटी प्रभावित हो जाती है.
हमारा शरीर, विटामिन, कैल्शियम, प्रोटीन, खनिज आदि पोषक तत्वों से मिलकर बना है। इन सभी का शरीर में पर्याप्त मात्रा में होना बहुत जरूरी है, तभी जाकर हमारा शरीर अच्छे ढंग से काम कर पाएगा। इसमें से किसी भी एक की कमी होती है तो सेहत संबंधी तमाम परेशानियां शुरु हो जाती हैं। अगर आपके हाथों या पैरों में झनझनाहट होने लगी है, तो ये विटामिन की कमी का संकेत है।आईये जानते हैं इसकी वजह और इलाज-


पिएं हल्दी वाला दूध

कोरोना वायरस के प्रकोप से खुद को बचाने के लिए और इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए हल्दी वाले दूध का सेवन बीते कुछ वक्त से लोग ज्यादा करने लगे हैं। लेकिन क्या आपको पता है हल्दी वाला दूध भी आपकी झुनझुनाहट की समस्या को दूर करने में असरदार है। हल्दी वाले दूध में एंटी ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये ब्लड को शरीर में सर्कुलेट करने में मदद करता है। जिसकी वजह से नसों में हमेशा प्रवाह बना रहता है।
क्या आपको कभी अपने हाथों और पैरों में चुभन और सुइयों का अहसास होता है? ऐसा महसूस होता है जैसे आपका हाथ या पैर सो गया हो। कई बार, ऐसा केवल इसलिए हो सकता है क्योंकि आप बहुत लंबे समय तक एक ही स्थिति में थे।
लेकिन अगर आप इस भावना को आसानी से या सामान्य से अधिक बार नोटिस करते हैं, तो इसका कारण कुछ और हो सकता है। विटामिन की कमी एक संभावना है। हम विभिन्न विटामिन की कमी के बारे में जानेंगे जो हाथों और पैरों में झुनझुनी पैदा कर सकती है ताकि आपको यह पता लगाने में मदद मिल सके कि क्या आपके साथ भी ऐसा हो सकता है।

हाथों और पैरों में झुनझुनी (पेरेस्टेसिया) का क्या कारण है?

पेरेस्टेसिया किसी भी असामान्य अनुभूति के लिए चिकित्सा शब्द है जो तब होता है जब आपकी तंत्रिका अंत संकुचित या क्षतिग्रस्त हो जाती है। यह दर्दनाक महसूस हो सकता है - जैसे जलन या चुभन - या यह सिर्फ सुन्नता जैसा महसूस हो सकता है।
पेरेस्टेसिया अस्थायी हो सकता है और अपने आप ठीक हो सकता है। ऐसा अक्सर तब होता है जब तंत्रिका संपीड़न इसका कारण होता है - जैसे जब आप लेटे हुए हों या एक ही स्थिति में बहुत देर तक बैठे हों। लेकिन अगर यह बार-बार वापस आता है या अधिक बार हो रहा है, तो यह क्रोनिक (दीर्घकालिक) पेरेस्टेसिया हो सकता है।

क्रोनिक पेरेस्टेसिया तंत्रिकाओं में किसी गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। 

कारणों में शामिल हैं:
न्यूरोलॉजिकल विकार, जैसे गुइलेन-बैरे सिंड्रोम, या रीढ़ की हड्डी की समस्याएं
संक्रमण , जैसे एचआईवी, हर्पीस, या कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी
आघात या चोटें जो आस-पास की नसों को नुकसान पहुंचाती हैं
मधुमेह, जो परिधीय न्यूरोपैथी का कारण बन सकता है
और कई अलग-अलग विटामिन की कमीएं हैं जो पेरेस्टेसिया का कारण बन सकती हैं।
विटामिन और खनिज की कमी के कारण आपके हाथों और पैरों में झुनझुनी हो सकती है
हाथों और पैरों में झुनझुनी का कारण बनने वाली विटामिन की कमी अलग-अलग कारणों से हो सकती है। हो सकता है कि कुछ लोगों को अपने आहार से पर्याप्त भोजन न मिल रहा हो। अन्य लोगों के लिए, उनकी आंत एक विशिष्ट विटामिन को अच्छी तरह से अवशोषित नहीं कर पाती है। आइए विशिष्ट विटामिन और खनिजों के विवरण पर चलें।

विटामिन बी6 (पाइरिडोक्सिन)

विटामिन बी और ई (vitamin B & E) हमारे नर्वस सिस्टम को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करते हैं। इनमें कमी आने से पैरों और हाथों में झनझनाहट होने लगती है।
कभी-कभी किसी दवा के साइड इफेक्ट की वजह से भी आपको झनझनाहट महसूस हो सकती है।
हाई ब्लड प्रेशर या ट्यूबरक्लोसिस की बीमारी में भी ऐसा महसूस हो सकता है।
बहुत ज्यादा शराब पीने से शरीर में विटामिन बी12 फोलेट की कमी हो जाती है। इससे भी हाथ और पैर में झनझनाहट होती है।
थायराइड (Thyroid) की समस्या में भी आपके हाथ और पैर में झनझनाहट हो सकती है।
अगर आपको हाथ या पैर में लगातार झनझनाहट महसूस हो रहा हो, तो फौरन अपने डॉक्टर से मिलें और लक्षणों के आधार पर उचित विटामिन्स लेना शुरु कर दें। इसे इग्नोर करने से स्थिति गंभीर हो सकती है। इसके अलावा अगर आपको एक ही स्थिति में बिना करवट बदले सोने काी आदत है, तो उसे बदलें। क्योंकि इस वजह से भी पैर और हाथ में झनझनाहट हो सकती है। इसके अलावा रोजाना टहलना शुरु करें और हाथ-पैरों से जुड़े हल्के व्यायाम करें। इससे भी राहत मिलती है।
विटामिन बी6 दिलचस्प है क्योंकि बहुत अधिक और बहुत कम बी6 दोनों पेरेस्टेसिया का कारण बन सकते हैं। आमतौर पर झुनझुनी आपके पैरों से शुरू होती है और आपके पैरों और आपकी बाहों तक जाती है। कुछ लोग जलन की भी शिकायत करते हैं। शिशुओं में, बी6 की कमी से दौरे भी पड़ सकते हैं।
बी6 की कमी निम्न से जुड़ी है:
बी6 का कम सेवन और कुपोषण (अत्यधिक शराब पीने वाले लोगों में आम)
जो लोग डायलिसिस पर हैं
कुछ दवा पारस्परिक क्रिया, जैसे हाइड्रैलाज़िन और आइसोनियाज़िड
बी6 की कमी का इलाज मौखिक पूरकों से किया जाता है। बी6 स्तर की मात्रा ठीक करने के बाद लक्षणों में सुधार होता है।
विटामिन बी12 (कोबालामिन)
विटामिन बी12 का निम्न स्तर एक ही समय में दोनों हाथों और पैरों में पेरेस्टेसिया का कारण बन सकता है। कमजोरी और दृष्टि परिवर्तन जैसी अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी हो सकती हैं।
बी12 नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी महत्वपूर्ण है, इसलिए निम्न स्तर से एनीमिया (कम रक्त गणना) हो सकता है। इससे आपको कमजोरी और थकान भी महसूस हो सकती है।
विटामिन बी12 की कमी के कारणों में शामिल हैं:
कम सेवन (कभी-कभी शाकाहारी आहार के साथ ऐसा होता है)
दवाएं ( मेटफॉर्मिन और पीपीआई बी12 के अवशोषण को बाधित कर सकती हैं)
हाल ही में हुई गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी, जो अवशोषण को भी प्रभावित कर सकती है

हानिकारक रक्तहीनता

बी12 की कमी का इलाज मौखिक, नाक या बी12 के इंजेक्शन से किया जा सकता है। बी12 की कमी के प्रभावों को उलटने के लिए त्वरित निदान और उपचार महत्वपूर्ण है।

बायोटिन

बायोटिन एक अन्य बी विटामिन है। हाथों और पैरों में झुनझुनी के अलावा, बायोटिन की कमी का कारण बन सकता है:
बालों का पतला होना और बालों का झड़ना
त्वचा में संक्रमण और चकत्ते
दु: स्वप्न
बरामदगी
बायोटिन की कमी काफी दुर्लभ है। यह गर्भावस्था/स्तनपान, पुरानी शराब की लत और बायोटिनिडेज़ एंजाइम की कमी से जुड़ा है। मौखिक बायोटिन की खुराक बायोटिन के स्तर को नियंत्रित करने और लक्षणों को उलटने में मदद करती है।

विटामिन ई

विटामिन ई की कमी से पेरेस्टेसिया के साथ-साथ टेढ़ी चाल (गतिभंग) भी हो जाती है। विटामिन ई को इसके साथ अवशोषित होने के लिए वसा की आवश्यकता होती है। कमी के कारण होता है:
वसा अवशोषण से जुड़ी समस्याएं, जैसे सिस्टिक फ़ाइब्रोसिस
आनुवंशिक विकार, जैसे एबेटालिपोप्रोटीनेमिया
मौखिक अनुपूरक विटामिन ई के स्तर को ठीक कर सकते हैं। कभी-कभी शरीर में वसा के अवशोषण में सुधार करना भी सहायक होता है। सौभाग्य से, विटामिन ई अनुपूरण तंत्रिका संबंधी लक्षणों को उलट सकता है।

कैल्शियम

कैल्शियम की कमी हल्की या बहुत गंभीर हो सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह कितनी जल्दी विकसित होती है। लक्षणों में शामिल हैं:
मुंह और/या हाथों और पैरों के आसपास पेरेस्टेसिया
मांसपेशियों में ऐंठन
असामान्य हृदय क्रिया, जिससे हृदय विफलता हो सकती है
भ्रम और मतिभ्रम
बरामदगी
कैल्शियम के निम्न स्तर के कारणों में शामिल हो सकते हैं:
विटामिन डी का निम्न स्तर, जो कैल्शियम अवशोषण में मदद करता है
जिगर और गुर्दे की बीमारी
कम पैराथाइरॉइड स्तर, जो पैराथाइरॉइड को शल्य चिकित्सा द्वारा हटाने या कम उत्पादन के कारण हो सकता है
अन्य इलेक्ट्रोलाइट असामान्यताएं, जैसे कम मैग्नीशियम या उच्च फॉस्फेट स्तर
कु दवाएँ, जैसे बिसफ़ॉस्फ़ोनेट्स

अग्नाशयशोथ

कैल्शियम के स्तर को IV (अंतःशिरा) या मौखिक अनुपूरण के साथ ठीक करने की आवश्यकता है। कभी-कभी, किसी अंतर्निहित कारण पर भी ध्यान देने की आवश्यकता होती है। पेरेस्टेसिया आमतौर पर कैल्शियम का स्तर सामान्य होने पर ठीक हो जाता है।

मैगनीशियम

मैग्नीशियम शरीर में कई काम करता है, जैसे पोटेशियम और कैल्शियम को विनियमित करना। इसलिए मैग्नीशियम का निम्न स्तर कैल्शियम के निम्न स्तर के समान लक्षण पैदा कर सकता है - जैसे चेहरे और मुंह के आसपास झुनझुनी। मैग्नीशियम की कमी से कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन और असामान्य हृदय ताल भी हो सकती है।

मैग्नीशियम के निम्न स्तर के कारणों में शामिल हैं:

लगातार शराब का सेवन

जीर्ण दस्त

दवाएं, जैसे एमिनोग्लाइकोसाइड एंटीबायोटिक्स ( जेंटामाइसिन ) और मूत्रवर्धक ( फ़्यूरोसेमाइड )

सौभाग्य से, मैग्नीशियम अनुपूरण मैग्नीशियम के स्तर को तुरंत ठीक कर सकता है और पोटेशियम और कैल्शियम के स्तर में सुधार कर सकता है। इलेक्ट्रोलाइट्स सामान्य हो जाने पर आमतौर पर लक्षणों में सुधार होता है।

ताँबा

तांबे की कमी से पैरों में पेरेस्टेसिया और चलने में कठिनाई हो सकती है। तांबे की कमी दुर्लभ है लेकिन बहुत अधिक जस्ता लेने या पेट की सर्जरी से जुड़ी है, जिससे तांबे का अवशोषण खराब हो जाता है। उपचार में तांबे की खुराक लेना और जिंक का सेवन कम करना शामिल है। दुर्भाग्य से, तांबे का स्तर ठीक होने के बाद भी लक्षण हमेशा प्रतिवर्ती नहीं होते हैं।