6.4.24

ज्योतिषमती /मालकांगनी का आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्व





  ऐसे कई औषधीय पौधे हैं जिनका उपयोग पारंपरिक रूप से आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता रहा है। उनमें से एक है मालकांगनी। आयुर्वेद में इसका विशेष स्थान है जिसे आयुर्वेद में ज्योतिष्मती और काला तेल कहा जाता है। यह एक औषधीय जड़ी बूटी है, जो सेलेस्ट्रेसी परिवार से संबंधित है जिसका वानस्पतिक नाम सेलेस्ट्रस पैनिकुलैटस है। यह स्वाद में कड़वा होता है. इसके पत्ते गोल और पत्तों का किनारा कांटेदार होता है। मालकांगनी के फल गोल आकार के होते हैं। इसके कच्चे फल हरे रंग के होते हैं और पकने पर पीले दिखाई देते हैं। इसके बीज, फल, जड़, पत्तियां आदि का उपयोग आयुर्वेद में औषधि के रूप में किया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार मालाकांगनी यानी ज्योतिष्मती के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसके फल का सेवन करने से व्यक्ति में बुद्धि का विकास होता है। यह पेट के कीड़ों को मारता है और गठिया के इलाज के लिए फायदेमंद है। सदियों से मलकांगनी का उपयोग मिर्गी और कुष्ठ रोग के इलाज में किया जाता रहा है। इसके अलावा यह सिरदर्द, पीलिया और मासिक धर्म जैसी समस्याओं से भी राहत दिलाता है। इन्हीं गुणों के कारण मालकांगनी को आयुर्वेदिक चिकित्सा में विशेष स्थान प्राप्त है।
भारत देश में सालों से आयुर्वेद का इस्तेमाल पारंपरिक चिकित्सा के तौर पर किया जाता रहा है। इसके पीछे का कारण है यहां मौजूद अनगिनत जड़ी बूटियां, जिनका इस्तेमाल कई शारीरिक समस्याओं के इलाज के लिए फायदेमंद माना जाता है। मालकांगनी भी उन्हीं में से एक है।

सफेद दाग (त्वचा रोग) में लाभकारी

सफ़ेद दाग के उपचार में मालाकांगनी यानि ज्योतिष्मती का विशेष स्थान है। इसके लिए मालकांगनी और बाबची के बीज का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर एक बर्तन में रख लें। अब इस मिश्रण को रोजाना नियमित रूप से प्रभावित जगह पर लगाएं। ऐसा कुछ दिनों तक करने से सफेद दाग या अन्य त्वचा संबंधी विकारों में लाभ मिलता है।

मासिक धर्म संबंधी विकारों के लिए

मालकांगनी महिलाओं की मासिक धर्म संबंधी समस्याओं में लाभकारी है। इस पर किए गए शोध से पता चलता है कि मालकांगनी एक आग्नेय पदार्थ और प्रकृति में अर्तवजना है, जो मासिक धर्म संबंधी समस्याओं को दूर करने में मददगार साबित होती है। वहीं, मासिक धर्म को प्रेरित करने के लिए मालकांगनी की सूखी पत्तियों को घी में भूनकर कांजी के साथ पीसकर सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा मालकांगनी की जड़ों के सेवन से पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द भी कम हो जाता है। यह प्रजनन क्षमता को प्रेरित करने का भी काम करता है।

बालों के लिए फायदेमंद

मालकांगनी के बीजों से बने तेल में मौजूद तत्व बालों को स्वस्थ रखने और उनसे जुड़ी समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं। गुजरात में लोग बालों से जुड़ी समस्याओं के लिए ज्यादातर इस तेल का इस्तेमाल करते हैं। यह बालों को मुलायम और मजबूत बनाने का काम करता है। इस पर हुए एक अन्य शोध के अनुसार, मालकांगनी के बीजों का सेवन बालों को सफेद होने से रोकता है। इसके लिए मालकांगनी के बीजों को घी में भूनकर खीर के साथ सेवन करना फायदेमंद होता है

गठिया के उपचार में प्रभावी

गठिया के इलाज के लिए मालकांगनी या इससे बने तेल का उपयोग एक प्रभावी औषधि है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, मलकांगनी में एंटी-आर्थराइटिस गुण पाए जाते हैं जो गठिया से राहत दिलाने का काम करते हैं। इसके लिए मालकांगनी का तेल दर्द वाले स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है।

संक्रमण को रोकने के लिए

मालकांगनी का सेवन संक्रमण से बचने का एक प्रभावी तरीका है क्योंकि इसमें जीवाणुरोधी और एंटीवायरल गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने और बचाने का काम करते हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि मालकांगनी का उपयोग संक्रमण से बचाव में फायदेमंद है।

सूजन के लिए

मालकांगनी एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है जो सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में सहायक होती है। इसके अलावा, मालकांगनी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव सूजन को कम करने या रोकने में भी सहायक होता है।

आंखों की समस्याएं 

बढ़ते स्क्रीन एक्सपोज़र के कारण आँखों में सूखापन और खुजली जैसी समस्याएँ आम हैं। इसके अलावा लोगों को कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में आंखों की सेहत के लिए मालकांगनी का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। आयुर्वेद के अनुसार, मालकांगनी के तेल से पैरों के तलवों की मालिश करने से आंखों की समस्याएं ठीक हो जाती हैं।

त्वचा के लिए फायदेमंद

स्वास्थ्य के अलावा मालकांगनी का उपयोग त्वचा के लिए भी किया जाता है। एनसीबीआई पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, त्वचा रोगों के लिए मालकांगनी के बीज का उपयोग फायदेमंद है। मालकांगनी तेल में एंटीऑक्सीडेंट (मुक्त कणों से बचाने वाले) और एंटी-एजिंग (उम्र बढ़ने की समस्या को दूर करने वाले) गुण होते हैं। इस तरह त्वचा से जुड़ी समस्याओं और बढ़ती उम्र के लक्षणों को दूर करने में मालकांगनी एक कारगर औषधि है।

नर्वस सिस्टम के लिए भी मालकांगनी

नर्वस सिस्टम के लिए भी मालकांगनी के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, ज्योतिषमती के बीज से निकाले गए तेल को केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) बेहद प्रभावी माना गया है। इस पर हुए शोध बताते हैं कि इसके पाउडर का इस्तेमाल पानी के साथ मिलाकर तंत्रिका संबंधी विकारों के इलाज के किया जा सकता है (2)। इसके अलावा, मालकांगनी के तेल पर हुए एक अन्य शोध में यह पाया गया है कि मलकंगनी का तेल एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रदर्शित कर सकता है, जो हाड्रोजन प्रोक्साइड (hydrogen peroxide) के खिलाफ न्यूरोनल कोशिकाओं पर एक सुरक्षात्मक प्रभाव दिखा सकता है

पेट के रोगों को करे दूर

आजकल के बिगड़ते खानपान की वजह से लोगों को कब्ज, एसिडिटी, पेट फूलना, पेट में गैस बनना आदि समस्याएं हो रही हैं। पहले शुद्ध खानपान होता था जिससे परेशानियां कम होती थीं। लेकिन आजकल तो खानपान ही ऐसा है कि बीमारियां उसी से पनपती हैं। अगर आपको भी पेट से जुड़ी समस्याएं हैं तो आप भी इनका निवारण करने के लिए ज्योतिषमती का इस्तेमाल कर सकते हैं।

दिमाग के लिए फायदेमंद

मालकांगनी मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने के लिए अच्छी है। इस पर किए गए शोध से पता चलता है कि मालकांगनी का उपयोग न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के इलाज और याददाश्त बढ़ाने के लिए सदियों से किया जाता रहा है। दरअसल, आयुर्वेद के अनुसार, मालकांगनी यानी ज्योतिष्मती में ज्योति का मतलब आत्मज्ञान और मति का मतलब मस्तिष्क की कार्यप्रणाली है। इसलिए, ज्योतिष्मती याददाश्त में सुधार करके स्मृति और एकाग्रता में सुधार करती है। इसका मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा मालकांगनी में शामक (दिमाग को शांत करने वाला गुण) पाया जाता है जो सिरदर्द, चिंता, तनाव और अवसाद को कम करता है। यही कारण है कि मालकांगनी की जड़ों या बीजों से बने काढ़े को मस्तिष्क टॉनिक के रूप में जाना जाता है।

आंखों के लिए फायदेमंद

बढ़ते स्क्रीन एक्सपोज़र के कारण आँखों में सूखापन और खुजली जैसी समस्याएँ आम हैं। इसके अलावा लोगों को कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में आंखों की सेहत के लिए मालकांगनी का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। आयुर्वेद के अनुसार, मालकांगनी के तेल से पैरों के तलवों की मालिश करने से आंखों की समस्याएं ठीक हो जाती हैं।
आयुर्वेदिक मतानुसार मालकांगनी रस में कटु, तिक्त, गुण में तीक्ष्ण, स्निग्ध, प्रकृति में गर्म, विपाक में कटु, कफ़ और वात नाशक, वमनकारक, अग्निवर्द्धक, बुद्धि और स्मरणशक्तिवर्द्धक होती है। यह पक्षाघात, संधिवात, बेरी-बेरी, कास-श्वास, मूत्र रोग, खुजली, अर्श, नपुंसकता, दाद, व्रण, सफेद दाग, शोथ, स्मृति की कमी में गुणकारी है। यह अफीम खाने की आदत छुड़ाने की एक उत्तम औषधि है।

सावधानी  बरतें 

मालकांगनी स्वभाव से गर्म (उष्ण) होती है जो विषाक्तता का कारण बन सकती है। इसलिए इसका सेवन ठंडे भोजन या गाय के दूध के साथ करें।
कुछ मामलों में इसके इस्तेमाल से सिरदर्द और बेचैनी भी हो सकती है.
मलकांगनी गर्भपात कराती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान इसके सेवन से बचें।





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