16.6.22

लोबान के विभिन्न चिकित्सा उपयोग:loban ke upyog




लोहबान को आमतौर पर लोबान भी कहा जाता है और अंग्रेजी में इसे सुमात्रा स्नोबैल (Sumatra Snowbell) और गम बेंजॉइन (Gum Benzoin) के नाम से भी जाना जाता है। आप ने अक्सर धूप जलाने या धूप-अगरबत्ती में मौजूद तत्व के रूप में इसका नाम जरूर सुना होगा। लोहबान का उपयोग सिर्फ सुगंध और महक के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि इसमें कई चिकित्सीय गुण भी होते हैं।

एंटीइंफ्लमेट्री गुण: 

पुराने समय में सूजन को कम करने की दवा के रूप में लोबान के तेल का इस्‍तेमाल किया जाता था। साल 2011 की स्‍टडी के रिव्‍यू में आज भी सूजन और दर्द को कम करने के लिए लोबान के तेल को असरकारी पाया गया है।
वर्ष 2014 के अध्‍ययन के अनुसार लोहबान का तेल अर्थराइटिस में मदद कर सकता है। हालांकि, यह रिसर्च पशुओं पर की गई थी। ऑस्टियोअर्थराइटिस या रूमेटाइड अर्थराइटिस के इलाज के लिए इस तेल की सलाह दी जा सकती है। लेकिन अभी अर्थराइटिस पर लोहबान के तेल के प्रभाव को लेकर और रिसर्च किए जाने की जरूरत है।

लिवर के लिए:

 लोहबान में ह्रदय के लिए एंटीऑक्‍सीडेंट गुण होते हैं, जो लिवर को भी स्‍वस्‍थ रख सकते हैं। साल 2013 की एक स्‍टडी में पाया गया कि लोबान के तेल के एंटीऑक्‍सीडेंट प्रभाव लिवर की कोशिकाओं को सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं। साल 2011 में चूहों पर किए गए एक अध्‍ययन में लोबान के तेल को हेपेटाइटिस और लिवर फाइब्रोसिस पर असरकारी माना गया है।

कैंसर मे उपयोगी

शोध में पता चला है कि लोबान ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, अग्नाशय कैंसर, स्किन कैंसर और कोलन कैंसर यानी पेट के कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ भी प्रभावी है। यह कैंसर के उपचार के दुष्प्रभावों को कम करने में भी मदद कर सकता है।
लोहबान के तेल के गुण कैंसर से लड़ने में भी मदद करते हैं। रिसर्च के मुताबिक एसेंशियल ऑयल कई तरह से कैंसर का इलाज कर सकते हैं। साल 2011 में हुई एक स्‍टडी में लोहबान के तेल को कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने और इनके बढ़ने की गति को धीमा करने में मददगार है। हालांकि, यह स्‍टडी मनुष्‍य के शरीर की कोशिकाओं को बाहर निकालकर लैब में की गई थी।
वहीं, वर्ष 2011 में की गई एक स्‍टडी में सामने आया कि कैंसर रेडिएशन थेरेपी से होने वाली सूजन और दर्द को लोहबान कम कर सकती है। साल 2012 में कोशिकाओं पर की गई स्‍टडी के मुताबिक लोहबान का तेल कैंसर कोशिकाओं को नष्‍ट कर सकता है। एंटीऑक्‍सीडेंट की तरह काम करने वाले लोबान का तेल लंबे समय तक लेने पर कैंसर के खतरे को कम करने में छोटी-सी भूमिका निभा सकता है।

मसूड़ों की बीमारी

*लोबान ओरल हेल्थ में सुधार और मसूड़ों की बीमारी को रोकने में मदद कर सकती है। एक टेस्ट-ट्यूब अध्ययन में पता चला है कि लोबान का अर्क एग्रीगेटिबैक्टर एक्टिनोमाइसेटेमकोमिटन्स के खिलाफ प्रभावी है जो कि एक बैक्टीरिया है और यही मसूड़ों की बीमारी का कारण बनता है। एक्सपर्ट ने सुझाव दिया कि लोबान मुंह में इंफेक्शन को कम कर सकता है।


एंटीमाइक्रोबियल: 

घाव को भरने के लिए लोहबान का तेल प्रभावशाली होता है। वर्ष 2011 की एक लैबोरेट्री स्‍टडी में सामने आया है कि लोबान के तेल के एंटीमाइक्रोबियल गुणों के कारण यह घाव को भरने में लाभकारी होता है। यह बैक्‍टीरिया और अन्‍य माइक्रोब्‍स को खत्‍म कर सकता है, जिससे संक्रमण या बीमारी पैदा न हो

गठिया से राहत मिलने में मददगार

जब आपके जोड़ों में यूरिक एसिड की बहुत ज्यादा मात्रा क्रिस्टल रूप में जम जाती है, तो उस स्थिति को गठिया का रोग कहते हैं। इसकी वजह से जोड़ों में दर्द या संचालन में कमी आदि की समस्या होती है। इस समस्या में आपको कभी-कभी जोड़ों में गंभीर दर्द का दौरा पड़ता है, जिसे एक्यूट अटैक कहा जाता है। इस समस्या में एंटी-इंफ्लमेटरी दवाएं कार्य करती हैं और दर्द और सूजन को कम करती है। इसी वजह से आप इस समस्या में लोहबान का इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि इसमें भी एंटी-इंफ्लमेटरी गुण होते हैं, जो आपके दर्द को कम करने में मदद करते हैं।

रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में परेशानी

कई बार रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट के किसी हिस्से में जैसे, श्वसन नली, फेफड़े इत्यादि में सूजन आने की वजह से सांस लेने की प्रक्रिया में बाधा पड़ जाती है। जिसके कारण खांसी की समस्या, सांस फूलना या सीने में दर्द की दिक्कत हो सकती है। रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से जुड़ी इन सभी समस्याओं में लोहबान का इस्तेमाल काफी प्रभावशाली रहता है।
इसका मुंह द्वारा सेवन करने पर इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लमेटरी व एंटी-डिप्रेसेंट गुण श्वसन तंत्र की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, अगर आपका गला बैठ गया है या फिर बच्चों में ट्रेकिआ आदि का इंफेक्शन हो गया है, तो उसमें भी इसे इनहेल करने से आराम मिलता है।

त्वचा के कटाव या घाव का उपचार

अगर आपकी त्वचा में कोई कट लग गया है, जिससे खून निकलना बंद नहीं हो रहा है या फिर किसी घाव की वजह से सूजन आ रही है या फिर कीटाणुओं की वजह से उसमें इंफेक्शन पनपने का डर है, तो इसमें लोहबान का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल अन्य जड़ी-बूटियों को साथ मिलाकर किया जाता है, जिसे कंपाउंड बेंजॉइन टिंक्चर कहते हैं। क्योंकि, इसमें मौजूद एंटीसेप्टिक, एंटी-डिप्रेसेंट और एंटी-इंफ्लमेटरी गुण घाव की सूजन, ब्लीडिंग और इंफेक्शन को रोकने में मदद करते हैं और त्वचा को सुरक्षित रखते हैं।
 * लोबान ओरल हेल्थ में सुधार और मसूड़ों की बीमारी को रोकने में मदद कर सकती है। एक टेस्ट-ट्यूब अध्ययन में पता चला है कि लोबान का अर्क एग्रीगेटिबैक्टर एक्टिनोमाइसेटेमकोमिटन्स के खिलाफ प्रभावी है जो कि एक बैक्टीरिया है और यही मसूड़ों की बीमारी का कारण बनता है। एक्सपर्ट ने सुझाव दिया कि लोबान मुंह में इंफेक्शन को कम कर सकता है।

छाती व पेट के जलन से दिलाए राहत

आपके पेट में एक एसिड होता है, जो कि खाना पचाने में मदद करता है। लेकिन, जब यह एसिड किसी कारणवश आपके फूड पाइप में ऊपर की तरफ आने लगता है, तो इसे एसिड रिफ्लक्स की समस्या कहते हैं। इसकी वजह से छाती व पेट में जलन की दिक्कत हो सकती है। लेकिन, लोहबान के एसेंशियल ऑयल का प्रयोग करने से इस समस्या में राहत मिल सकती है। क्योंकि, इसमें मौजूद कूलिंग और डायजेस्टिव गुण एसिड रिफ्लक्स को कम करके पेट को आराम पहुंचाते हैं।

लोहबान का उपयोग कितना सुरक्षित है?

लोहबान का उपयोग करने से शरीर की लिथियम से छुटकारा पाने की क्षमता कम हो सकती है, जिससे कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए डॉक्टर या हर्बलिस्ट से संपर्क करें। बाकी उपलब्ध जानकारी के अनुसार, लोहबान का उपयोग काफी हद तक सुरक्षित है। लेकिन, अगर आप गर्भवती महिला हैं या फिर बच्चे को स्तनपान कराती हैं, तो इस जड़ी-बूटी का उपयोग किसी डॉक्टर या हर्बलिस्ट की सलाह के बिना न करें। इसके अलावा, अगर आपकी किसी बीमारी या समस्या की दवाई जारी है, तो पहले एलोपैथिक की दवा का सेवन करें और उसके करीब 30 मिनट बाद ही लोहबान या किसी अन्य हर्बल सप्लिमेंट का उपयोग करें। 
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