27.3.24

गर्मियों में लू के थपेड़ों से बचने उपाय ,Loo lagne par kren upay







लू लगने पर रोगी को क्या देना चाहिए: गर्मियां आ गई हैं और तापमान बढ़ने के साथ लोगों में लू लगने का खतरा बढ़ गया है। स्थिति ये है कि आप अचानक से लू के शिकार हो सकते हैं और इसका सबसे बड़ा कारण होगा टेंपरेचर का असंतुलित होना। जी हां, जैसे ही शरीर का तापमान असंतुलित होता है वैसे ही लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में सवाल ये है किलू लगने पर रोगी को क्या देना चाहिए (What is the fastest way to cure heat stroke) या फिर लू लगने पर क्या पीना चाहिए।
हम पसीना निकलने की प्रक्रिया और शरीर में पानी और नमक की कमी पूरी करते रहने की बदौलत गर्मी सहन करते हैं। जब हमारा शरीर गर्मी को सहन नहीं कर पाता तो इससे कई एक नुकसान होते हैं। हल्के असर में थकावट, बेहोश हो जाना और आत्म दाह शामिल हैं। देश भर के अलग अलग हिस्सों में से गर्मियों के मौसम में लू लगने के शिकार लोगों के बारे में खबर आती रहती है। वातावरण में बहुत अधिक गर्मी होने के कारण लू लगने से काफी ज़्यादा नुकसान हो जाता है। आमतौर पर इसके शिकार धूप या गर्म जगहों जैसे बायलरों में काम करने वाले लोग होते हैं।

लक्षण और चिन्ह

उष्माघात के कारण ज्यादा बुखार (गुदा पे तापमान ४० डिग्री से ज्यादा होना) मस्तिष्क पर असर और पसीना न होना ये तीन मुख्य बिंदू है। मस्तिष्क प्रभावित होने के कारण बेहोषी या दौरे हो सकते है। कभी कभार बोलचाल की गडबडी हो सकती है। अतिश्रम से उष्माघात जल्दी आ सकता है। उष्माघात में मस्तिष्क के प्रोटीन बिगडने के कारण उसका कामकाज रोकता है। इसीके कारण सारे दुष्प्रभाव होते है।

नारियल पानी


नारियल पानी पीना, आपकी सेहत के लिहाज से कई प्रकार से फायदेमंद है। लेकिन, इसकी खास बात ये है कि ये सोडियम, पोटेशियम और मैग्निशियम से भरपूर है जो कि शरीर के लिए रिहाइड्रेटिंग तत्व के रूप में काम करता है। ये सबसे पहले बॉडी में एक बैलेंस टेंपरेचर क्रिएट करता है और फिर लू के लक्षणों से लड़ने में मदद करता है। जैसे मतली, उल्टी और बुखार।

आम पन्ना

आम पन्ना, दादी नानी के जमाने से लू का घरेलू उपाय रहा है। दरअसल, ये शरीर में डिहाइड्रेशन को दूर करने का सबसे आसान तरीका है। दूसरा, ये नसों और मांसपेशियों में ताकत भर देता है और शरीर में तापमाम बैलेंस करने में मदद करता है। तो, अगर किसी को लू लग जाए तो उसे आम पन्ना जरूर पिलाएं।
उष्माघात में किये जाने वाले प्राथमिक इलाजआहत व्यक्ति को पहले छॉंव में ला कर हवा का इंतजाम करे। उसको नमक शक्कर और पानी का घोल मुँह से पिलाये।
उसके कपडे निकालकर सिर्फ अंदरुनी वस्त्र रखे। शरीरपर हल्कासा गर्म पानी छिडके।
गीली चादर में लपेटकर तपमान कम करने का प्रयास करे।
हाथपैर का मर्दन करे जिससे रक्त संचरण प्रभावित होता है।
संभव हो तो बर्फ के टुकडे कपडे में लपेटकर गर्दन, बगले और जॉंघो पर रखे। इससे गर्मी जल्दी निकलती है।
अगर संभव हो तो शिरा में सलाईन लगाएँ।

तुरंत अस्पताल ले जाये

उष्माघात की रोकथामगर्मी के दिनों में हो सके तो धूप में काम करना टाले।
हर आधे घंटे को २००-३०० मिली. पानी पी ले। पूरे दिन में ५-६ लीटर ठंडा पानी पिने से लाभ होता है। साथ में हमेशा पानी की बोतल रखे।
काम करते समय हल्के सुती कपडे वो भी फीके रंग के पहने। काले या गेहरे रंग के कपडे और जरुरत से ज्यादा कपडे ना पहने।
सिर पर रुमाल या टोपी पहने जिससे न केवल सिर का पर कानों और चेहरेका भी धूप से संरक्षण हो।
छोटे बच्चे और ६५ वर्ष से बडे उम्र वाले व्यक्ति को छॉंव में ही रखे।
धूप में खडी कार में बैठना उचित नहीं।
धूप से रक्षण के लिये सनस्क्रीन घोल लगाइये और १५ मिनट के बाद बाहर निकले।
शराब या मस्तिष्क प्रभावित करनेवाली दवाएँ कतई ना ले।
जब धूप में काम करना जरुरी होता है तब धीरे धीरे ज्यादा उष्णता की माहोल में जाये, एकदम इसका प्रयास न करे। हर दिन धूप में काम करने का १-२ घंटे प्रयास करे जिससे शरीर सहने की आदत सीखता है।
बहुत प्यास, विस्मरण, घबराहट या भ्रम महसूस होता हो आदि लक्षणों से जाने की अब जोखम उठाना ठीक नही और छॉंव में जाये और पानी पी ले।

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