31.3.24

पैरों के तलवों में पसीना आने के कारण और उपचार




पैरों के तलवों का स्वस्थ होना भी बहुत जरूरी होता है। क्योंकि जब पैरों के तलवों में कोई दिक्कत आती है, तो व्यक्ति को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पैरों के तलवों से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। इसमें तलवों में जलन, दर्द या फिर पसीना आना हो सकता है। अगर आपको भी पैरों के तलवों में जलन होता है, तो यह कई कारणों की वजह से हो सकता है। आपको बता दें कि शरीर के अंगों में पसीना आने को मेडिकल टर्म में हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है। इसमें शरीर में अत्यधिक पसीना आता है, यह गर्मी से संबंधित पसीना नहीं होता है।

दिल से जुड़ी बीमारियों में

हमारा दिल हमारे शरीर का आधार है और अगर आपका दिल सही तरीके से काम करता रहेगा तो आप भी पूरी तरीके से फिट रहेंगे। लेकिन जब आपका दिल कमजोर हो जाता है तो आप दिल की कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं, जिसमें अचानक तेज पसीना आना आपके लिए एक खतरनाक संकेत साबित हो सकता है। दिल से जुड़े रोगों का शिकार होने पर आपके तलवे पसीने से भीग सकते हैं और ये स्थिति आपको आगे चलकर परेशान कर सकती है।

तलवों में पसीने के कारण

ऊपर लिखी 4 स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा कई अन्य कारण भी ऐसे हैं, जिनकी वजह से तलवे में पसीना आने लगता है। अगर आपको इंफेक्शन हुआ है तो भी आपको ये परेशानी हो सकती है। कई बार फंगल इंफेक्शन की वजह से भी तलवों पर पसीना आने लगता है। अगर आपको सांस लेने में दिकक्त है या फिर आप दवा का ज्यादा सेवन करते हैं तो भी आपरे तलवों में पसीना आ सकता है।

थायरॉइड

थायरॉइड की समस्या तब होती है, जब थायरॉइड ग्रंथि शरीर में हार्मोन्स का उत्पादन सही तरीके से नहीं कर पाती है। इस स्थिति में थायरॉइड ग्रंथि हार्मोन का कम या अधिक उत्पादन कर सकती है। थायरॉइड होने पर हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। वैसे तो थायरॉइड महिलाओं और पुरुषों दोनों को हो सकता है। लेकिन महिलाओं में थायरॉइड होने की संभावना अधिक होती है।
थायराड हमारे शरीर में मौजूद एक ग्रंथि है, जो कि हमारे गले में पीछे की तरफ होती है। ये थायराइड हार्मोन को रिलीज करती है लेकिन इसमें किसी भी प्रकार की दिक्कत आपके लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है। शरीर में थायराइड का लेवल बढ़ने पर अक्सर आपके तलवों परक पसीना आने लगता है। इस स्थिति को नजरअंदाज किया जाए तो आपको अपने रोजमर्रा के काम में तो दिक्कत आती ही है साथ ही आपको खाना निगलने से लेकर बोलने में भी परेशानी हो सकती है।

संक्रमण

संक्रमण भी पैरों के तलवों में आने वाले पसीना का एक मुख्य कारण हो सकता है। अगर आपको कोई इंफेक्शन या संक्रमण है, तो आपको तलवों में पसीना आ सकता है। यह संक्रमण अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं। लेकिन सभी प्रकार के संक्रमण तलवों में पसीना आने का कारण नहीं बनते हैं।

डायबिटीज

डायबिटीज यानी मधुमेह पैर के तलवों में पसीना आने का एक मुख्य कारण हो सकता है। क्योंकि डायबिटीज में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। इस वजह से व्यक्ति के नसों को भी नुकसान पहुंचता है। डायबिटीज रोगियों को तलवों में पसीना आने की दिक्कत हो सकती है। इसलिए अगर आपको डायबिटीज है, तो पैरों के तलवों में पसीना आना आपने के लिए आम हो सकता है।
हाई ब्लड शुगर आपके लिए ढेर सारी परेशानियां लेकर आता है, जिसमें आपकी नसों के कमजोर होने के साथ-साथ किड़नी की दिक्कत भी शामिल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाई ब्लड शुगर की शुरुआत के दौरान आपके तलवों में बहुत तेज पसीना आता है, जो कि एक सामान्य लक्षण है। खाना खाने के बाद आपके तलवे अगर पसीने से भीग जाते हैं तो आपको डायबिटीज हो सकती है।

मेनोपॉज

मेनोपॉज वह अवस्था होती है, जिसमें महिलाओं को मासिक धर्म आना बंद हो जाते हैं। इस दौरान महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पीरियड्स बंद होना, हॉट फ्लैशेज आदि मेनोपॉज के आम लक्षण होते हैं। इसके अलावा मेनोपॉज होने पर महिलाओं को पसीना भी अधिक आ सकता है। यानी पैर के तलवों में पसीना मेनोपॉज के कारण भी आ सकता है। इसलिए इसे सामान्य माना जा सकता है।
बड़ी सौंफ: कहते हैं कि सौंफ शरीर के टेंपरेचर को नॉर्मल रखती है. ब्लेंडर में एक चम्मच बड़ी सौंफ और एक चम्मच चीनी डालें और इसे पीस लें. अब इसे पानी में घोलकर पी जाएं. ऐसा रोजाना करें और आप कुछ दिनों में फर्क देख पाएंगे.

बेकिंग सोडा पेस्ट

पबमेड सेंट्रल द्वारा प्रकाशित 2008 के एक अध्ययन में कहा गया है कि बेकिंग सोडा अपने प्राकृतिक सुखाने वाले गुणों के लिए जाना जाता है, जो पसीने के उत्पादन को कम करने और आपके हाथों और पैरों को सूखा रखने में मदद कर सकता है। यह पीएच स्तर को संतुलित करने और पसीना कम करने में मदद कर सकता है। बेकिंग सोडा को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे अपने हाथों और पैरों पर लगाएं। उत्पाद को धोने से पहले 15 से 20 मिनट तक लगा रहने दें।

एप्पल साइडर सिरका

एप्पल साइडर विनेगर (एसीवी) लंबे समय से एक रोगाणुरोधी के रूप में स्थापित है जो आपके शरीर को साफ रखने और पसीने या दुर्गंध को रोकने में मदद कर सकता है। अपने हाथों या पैरों को सेब के सिरके और पानी के मिश्रण में रोजाना 15-20 मिनट तक भिगोने से त्वचा के पीएच को संतुलित करने और पसीना कम करने में मदद मिल सकती है
पैरों के पसीने से छुटकारा पाने के लिए आप नमक के पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए 1 टब गुनगुने पानी में 5-7 चम्मच नमक एड करें. अब पैरों को टब में डालें. 30 मिनट बाद पैरों को टब से निकाल कर पानी को सूखने दें. ऐसे में मोजा पहनने के बाद पैसों में पसीना कम आएगा और आपके पैरों से बदबू भी नहीं आएगी.

तेज पत्ता यूज करें

तेज पत्ते का इस्तेमाल करके भी आप पैरों के पसीने से निजात पा सकते हैं. इसके लिए पैन में पानी गर्म करें. अब इसमें तेज पत्ता डालकर उबालें. कुछ देर तक उबालने के बाद गैस बंद कर दें और पानी को ठंडा होने के लिए रख दें. अब इस पानी को पैरों में अप्लाई करें. हर रोज ये नुस्खा अपनाने से पैरों का पसीना कम होने लगेगा.

नींबू का रस

नींबू का रस अपने कसैले गुणों के लिए जाना जाता है, जो अत्यधिक पसीने को कम करने में मदद कर सकता है। ताजा नींबू का रस अपनी हथेलियों और तलवों पर लगाएं या इसे पानी में मिलाकर कुल्ला करें। इसे प्राकृतिक रूप से सूखने दें और सर्वोत्तम परिणामों के लिए इसे रोजाना दोहराएं।

चंदन पाउडर

चंदन पाउडर में प्राकृतिक शीतलता और कसैले गुण होते हैं जो पसीने को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। चंदन पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे अपने हाथों और पैरों पर लगाएं। इसे धोने से पहले पदार्थ को 20 से 30 मिनट तक अपनी त्वचा पर लगा रहने दें। इस उपचार को प्रति सप्ताह कुछ बार दोहराने की सलाह दी जाती है।

कपूर

कपूर की तासीर ठंडी होती है और यह पसीना कम करने में मदद कर सकता है। गर्म पानी में थोड़ी मात्रा में कपूर घोलें और उसमें अपने हाथों और पैरों को 15-20 मिनट तक भिगोकर रखें। वैकल्पिक रूप से, आप कपूर पाउडर को टैल्कम पाउडर या नारियल तेल के साथ मिलाकर अपने हाथों और पैरों पर लगा सकते हैं। इस उपाय को हफ्ते में कुछ बार दोहराएं।

हाथों और पैरों को काली चाय में भिगोएँ


रोजाना 20-30 मिनट तक अपने हाथों या पैरों को काली चाय में भिगोने से पसीना कम करने में मदद मिल सकती है। अध्ययन से पता चलता है कि यह टैनिन की उपस्थिति के कारण मदद करता है, जिसका प्राकृतिक कसैला प्रभाव होता है।

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