26.11.23

पिंड खजूर सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं







खजूर का सेवन तो हम सभी करते हैं। कुछ लोग सूखे खजूर यानी छुहारा खाना पसंद करते हैं, वहीं कुछ लोग ताजे खजूर खाना पसंद करते हैं। आप खजूर का सेवन किसी भी रूप में करें, ये सेहत के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी पिंड खजूर का सेवन किया है? हम में से ज्यादातर लोग पिंड खजूर का सेवन करते हैं। यह थोड़े गीले और रस से भरपूर होते हैं, जिससे यह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगते हैं। लेकिन ये सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं, सेहत के लिए बहुत फायदेमंद भी होते हैं।
पिंड खजूर में सेहत के लिए जरूरी कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। यह विटामिन बी, डाइट्री फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, आयरन, कॉपर और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों का बेहतरीन स्रोत है। जिससे यह न सिर्फ शरीर को जरूरी पोषण प्रदान करने में सहायक है, बल्कि अद्भुत फायदे भी प्रदान करता है

वजन प्रबंधन में करे मदद:

 डाइट्री फाइबर से भरपूर पिंड खजूर बेहतरीन स्नैक हैं। यह क्रेविंग को कंट्रोल करते हैं और पाचन को बढ़ावा देते हैं। मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मददगार हैं, साथ ही भूख को भी नियंत्रित रखते हैं। जिससे यह शरीर में स्वस्थ वजन को बनाए रखने में मदद करते हैं।

त्वचा और बालों को रखे हेल्दी: 

खून की कमी दूर करने और प्रोटीन से भरपूर होने के कारण यह आपकी त्वचा और बालों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। यह त्वचा में नेचुरल ग्लो लाता है और बालों की कई समस्याओं को दूर करता है।

अच्छी आती है नींद: 

यह चिंता, तनाव और थकान को दूर करने में लाभकारी है और शरीर को ऊर्जावान बनाता है। यह आपको रात में बेहतर नींद लेने में मदद करता है और अनिद्रा से छुटकारा दिलाता है।

आर्थराइटिस के रोगियों को खाना चाहिए

खजूर में मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है। इसलिए आर्थराइटिस के रोगियों को काफी लाभ मिलता है। खजूर में पोटैशियम, बोरोन, कैल्शियम, कोबाल्ट, कॉपर, फ्लोरीन, मैंगनीज, फॉस्फोरस, सोडियम और जिंक जैसे 15 मिनरल्स होते हैं।

जो सेब, केले, संतरे में नहीं, वो केवल खजूर में

खजूर में पाए जाने वाले प्रोटीन में 23 तरह के एमिनो एसिड पाए जाते हैं। इनमें से कुछ एमिनो एसिड संतरे, सेब और केले में भी नहीं मिलता। खजूर में विटामिन C, B1 थाईमीन, B2 राइबोफ्लेविन, नायसीन और विटामिन A की प्रचुर मात्रा रहती है।

पेट को रखे स्वस्थ

 फाइबर से भरपूर होने के कारण यह पाचन को बेहतर बनाता है। साथ ही पेट में गैस, कब्ज, अपच, ब्लोटिंग और कई अन्य समस्याओं को दूर करता है। यह आंत में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाता है और आंत में छालों से बचाता है। सुबह खाली पेट पिंड खजूर का सेवन पेट के लिए बहुत लाभकारी है।

हीमोग्लोबिन बढ़ाता है: 

शरीर में खून की कमी (एनीमिया) को दूर करने में लाभकारी है। आयरन से भरपूर होने की वजह यह रक्त में ऑक्सीजन और लाल रक्त कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देता है।

जिन्हें खून की कमी है वो 3 महीने तक खाएं खजूर

खजूर में आयरन की मात्रा काफी अधिक होती है। जिनमें हीमोग्लोबीन की कमी हो या जिनकी इम्यूनिटी कमजोर हो, उन्हें हर दिन एक खजूर खाना चाहिए। अगर 2 से 3 महीने तक खजूर खाते हैं तो न केवल वजन बढ़ेगा बल्कि शरीर में खून भी बनेगा।

ब्लड प्रेशर रखे कंट्रोल:

 कैल्शियम, पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर पिंड खजूर हाई ब्लड प्रेशर को कम करने और बीपी को सामान्य रखने में भी मददगार हैं।
पिंड खजूर का सेवन सेहत के लिए बहुत लाभकारी है। लेकिन डायबिटीज के रोगियों को इसका सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा अधिक होती है। साथ ही इसका अधिक सेवन न करें, दिन 4-5 खजूर से ज्यादा न खाएं।

1 दिन में कितने खजूर खा सकते हैं?

शरीर को जरूरी न्यूट्रिएंट्स देने के लिए हर दिन दो खजूर खाना काफी है। अगर पाचन क्रिया ठीक है तो चार खजूर भी खाए जा सकते हैं। जबकि बच्चों को दिनभर में एक खजूर से अधिक नहीं देना चाहिए। खजूर से बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ती है।

खाली पेट खजूर खाना ज्यादा फायदेमंद

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. दीक्षा भावसार बताती हैं कि खजूर को सही समय पर लिया जाए तो शरीर को अधिक लाभ होता है। आयुर्वेद के अनुसार, खजूर सुबह खाली पेट लेना चाहिए। चूंकि खजूर की तासीर ठंडी होती है इसलिए शरीर में वात और पित्त का बैलेंस बना रहता है।
वैसे एक-दो खजूर को दोपहर में स्नैक्स की तरह ले सकते हैं या जब मीठा खाने का मन करे तब खा सकते हैं। खजूर को भोजन करने के तुरंत बाद नहीं लेना चाहिए। यदि वजन बढ़ाना चाहते हैं तो रात में सोने से पहले घी के साथ खजूर खा सकते हैं।

खजूर को 8-10 घंटे पानी में भिगो कर रखें

खजूर को खाने से पहले उसे 8-10 घंटे पानी में भिगो कर रखें। पानी में रखने से खजूर में मौजूद टैनिंस या फाइटिक एसिड निकल जाते हैं। इससे न्यूट्रिएंट्स ठीक से एब्सॉर्ब हो पाते हैं। पानी में भिगो कर रखने से इसे पचाने में भी आसानी होती है।

अन्य गुण -

दांतों को मजबूती: खजूर में फ्लोरीन होता है जो दांतों को कमजोर होने से बचाता है।

कब्ज करे दूर: खजूर में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इससे कब्ज की शिकायत दूर होती है।

हार्ट को रखे दुरुस्त: खजूर में मौजूद न्यूट्रिएंंट्स हमारे हार्ट को स्वस्थ रखते हैं।

कोलेस्ट्रॉल करे कम: हर दिन एक खजूर खाने से भी बैड कोलेस्ट्रॉल कम होता है।

हडि्डयों को मजबूती: खजूर को कैल्शियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, कॉपर और मैग्नीशियम का पावर हाउस कहा जाता है। इससे हडि्डयों को ताकत मिलती है।

ब्रेन को खुराक: मेंटल हेल्थ को ठीक करता है, अल्जाइमर जैसी बीमारियों को कंट्रोल करने में भी मददगार होता है

स्टैमिना: शरीर की कमजोरी दूर होती है, स्टैमिना बढ़ता है।

पाइल्स में राहत: फाइबर रिच होने के कारण पाइल्स में भी खजूर खाना चाहिए।

हेल्दी प्रेग्नेंसी: आयरन की अधिक मात्रा होने की वजह से प्रेग्नेंट महिलाओं की डाइट में खजूर होना चाहिए।

24.11.23

सर्दियों के मौसम के रोग और उनके घरेलु उपचार








सर्दियों के मौसम में कई समस्याएं दस्तक देनी शुरू हो जाती हैं। शरीर का तापमान अधिक और बाहर का तापमान कम होने के कारण व्यक्ति कई समस्याओं से परेशान हो जाता है। ऐसे में इन समस्याओं से बचाव की जरूरत होती है। सर्दियों में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी काफी ज्यादा परेशान रहते हैं। शुष्क हवाओं के कारण इस मौसम में स्किन फटना बहुत ही आम समस्या है। इसके अलावा सर्दी, जुकामस फ्लू इत्यादि कई अन्य समस्याएं सर्दियों में होती हैं।

खांसी-जुकाम

सर्दियों में खांसी जुकाम होना बहुत ही आम है। लेकिन अगर समय पर इसका इलाज ना हुआ तो आपको अन्य समस्याएं हो सकती हैं। जैसे- नाक बहना, कफ, गले में दर्द, कफ की समस्या इत्यादि। इन समस्याओं से बचाव के लिए आप अपने घर में कुछ घरेलू नुस्खे अपना सकते हैं.

सर्दियों में खांसी-जुकाम होना उपचार -

  खांसी और जुकाम की समस्या से राहत पाने के लिए काली मिर्च, लौंग इलायची, बरहड़, कच्ची हल्दी, अदरक इत्यादि गर्म चीजें लेने से आपको राहत मिलती हैं।

औषधीय गुणों से भरपूर चाय

सर्दी जुकाम के कारण होने वाले गले के दर्द और खांसी में औषधीय गुणों वाली चाय बहुत फायदेमंद होती है। अदरक, तुलसी, काली मिर्च, सोंठ, हल्दी, गुड़, जैसी गुणकारी चीजों को मिलाकर बनी चाय गले की तकलीफ में आराम दिलाती है।

यूरिक एसिड बढ़ना-

यूरिक एसिड की समस्या से ग्रसित लोगों को भी सर्दियों में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सर्दियां जैसे ही शुरू होती है, उन्हें अंगूठों में दर्द की शिकायत शुरू हो जाती है। इसके अलावा अगर यूरिक एसिड शरीर में ज्यादा बढ़ जाए, तो घुटनों और जोड़ों में भी दर्द शुरू हो जाता है। इन समस्याओं से बचाव के लिए आप आयुर्वेदिक उपचार का सहारा ले सकते हैं।

यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के घरेलू उपचार - 

   यूरिक एसिड को हम कंट्रोल करने के कई घरेलू उपचार हैं। यदि आप यूरिक एसिड की समस्या से ग्रसित हैं, तो 1 चम्मच काला जीरा लें। इसे अच्छी तरह भूनें। अब इसे पीसकर 1 गिलास गर्म पानी से इसका सेवन करें। ध्यान रहे कि जीरा का सेवन करने से एक घंटा पहले और बाद में कुछ भी ना खाएं।

हाइपोथर्मिया

हाइपोथर्मिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर का तापमान 35 डिग्री के नीचे चला जाता है। इस वजह से शरीर बहुत ही ज्यादा ठंडा होता है। ऐसे मरीजों को घर से बाहर निकलने या फिर पानी छूने में काफी ज्यादा ठंड लगती है। इस वजह से शरीर में थकान, बार-बार पेशाब आना औह थरथराहट जैसा महसूस होता है। इस समस्या का इलाज जल्द ना कराया गया, तो व्यक्ति की मौत हो सकती है। हाइपोथर्मिया से बचने के लिए मरीज को गर्म चीजें खानी चाहिए

हाइपोथर्मिया का घरेलू उपचार -

हाइपोथर्मिया से ग्रसित व्यक्ति को गर्म स्थान पर रखें। उन्हें कंबल या मोटी चीजों से ढककर रखें। ऐसे व्यक्ति के पास आग जलाएं, ताकि उसे गर्मी पहुंचे। स्किन टू स्किन हीट दें। हाइपोथर्मिया के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना ही इसका बचाव है।

अर्थराइटिस

आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि सर्दियों में हमारा शरीर हीट को काफी ज्यादा कंवर्ज करता है। इससे हृदय और फेफड़ों में ज्यादा रक्त संचार होने लगता है। ऐसे में बांह, घुटने और कंधे की कोशिकाएं काफी ज्यादा सिकुड़ जाती है। जिसके कारण जोड़ों में दर्द और अर्थराइटिस की समस्या काफी ज्यादा बढ़ जाती है।

अर्थराइटिस की समस्या को दूर करने के घरेलू उपाय - 

सर्दियों में अर्थराइटिस की समस्याओं से बचने के लिए स्वस्थ दिनचर्या को फॉलो करें। सुबह खाली पेट गर्म पानी पिएं। इसमें 1 चम्मच सेब का सिरका डालने से यह आपके लिए और भी ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।

अस्थमा की समस्या

सर्दियों में सर्द हवाओं की वजह से अस्थमा के लक्षण काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं। इस दौरान गले में घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं होने लगती है। ऐसे में अस्थमा के रोगियों ठंड के मौसम में अपना खास ख्याल रखना चाहिए। ठंडियों में हवाओं में एलर्जेंस काफी ज्यादा मौजूद होते हैं, जो अस्थमा के रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। इस कारण झींक, खांसी और छाती में जकड़न जैसी परेशानी हो जाती है।

गले में खराश

सर्दियों में लोगों को गले में खराश की शिकायत काफी ज्यादा होती है। गले में खराश की वजह से बोलने और खाने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। लेकिन इसकी अच्छी बात यह है कि आप घरेलू नुस्खों से गले में खराश की समस्या से निजात पा सकते हैं।
गले में खराश की समस्या से निजात पाने के लिए आप कई तरह के घरेलू नुस्खे आजमा सकते हैं। अदरक और शहद का जूस सबसे असरदार माना जाता है। 1 चम्मच अदरक से जूस में 1 चम्मच शहद मिलाकर पिएं। दिन में 2-3 बार ऐसा करने से आपके गले की खराश दूर हो जाएगी।

अस्थमा का घरेलू उपचार - 

   अस्थमा के रोगियों को सर्दियों में खास ख्याल रखना होता है। बाहर निकलने से पहले हमेशा अपने हाथ, पैर और मुंह को ढककर रखें। पैरों में हमेशा मौजे पहने रहें। चिकित्सक की सलाह पर गर्म चीजों का सेवन करें। रात में सोने से पहले 1 गिलास दूध में 5-6 लहसुन की कलियां डालकर उबालें और इसे पी जाएं। यह दूध अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

ब्रेन स्ट्रोक

सर्दियों में हाई ब्लड प्रेशर बढ़ने से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा काफी ज्यादा रहता है। खासतौर पर 50 से 60 वर्ष की उम्र के लोगों को इन दिनों काफी ज्यादा परेशानी होती है। अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्याएं हैं, तो सर्दियों में अपना खास ख्याल रखें। आयुर्वेद के कुछ उपचार अपना कर आप ब्रेन स्ट्रोक के खतरे से बच सकते हैं।

ब्रेन स्ट्रोक के खतरे से बचने के लिए घरेलू उपाय- 

ब्रेन स्ट्रोक के खतरे से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपना जरूरी है। खतरे से बचाव के लिए वजन को कम रखें। नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच कराएं। खाने में हरी सब्जियों को शामिल करें। सर्दियों में एक्सरसाइज को स्किप ना करें।

ड्राई स्किन

   सर्दियों में शुष्क हवाओं की वजह से स्किन काफी ड्राई हो जाती है। ड्राई स्किन सेहत पर काफी बुरा असर डाल सकती है। ऐसे में आपको स्किन ड्राई होने से पहले कुछ घरेलू उपाय अपनाने चाहिएं।

ड्राई स्किन से बचाव के घरेलू उपाय - 

 रात को सोने से पहले अपने चेहरे और हाथ-पैरों को सरसो तेल से मालिश करें। इससे आपको अच्छी नींद भी आएगी। साथ ही ड्राई स्किन से भी छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा अगर आपकी होंठ फटती है, जो नाभि में 1 बूंद तेल डालकर सोएं। यह आपके लिए फायदेमंद है।

हाई-ब्लड प्रेशर

सर्दियों में हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ने की काफी संभावना होती है। इसका प्रमुख कारण कम शारीरिक एक्टिविटी और अधिक खानपान है। हाई ब्लड प्रेशर बढ़ने से शरीर में कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए सर्दियों में हाई ब्लड प्रेशर बढ़ने से बचने के लिए नियमित रूप से योगा और एक्सरसाइज करें।

घरेलू उपाय-

 हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को खाने में नमक की मात्रा कम रखनी चाहिए। सर्दियों में अपने शरीर को एक्टिव रखें। सुबह खाली पेट मेथी और अजवाइन का पानी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।

जावित्री और जायफल


रसोई के मसालों में मौजूद जायफल और जावित्री औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इनमें एंटी.इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। छाती में जमा कफ और जुकाम से निपटने के लिए जायफल और जायपत्री को बराबर मात्रा में पीसकर पीसकर शहद के साथ बच्चों को चटाने से आराम मिलता है।


अदरक, हल्दी और पुराना गुड़

गले में जमा कफ और बंद नाक बच्चों की परेशानी का कारण बनने लगता है। इससे निजात पाने के लिए 1 इंच अदरक को 1 चुटकी हल्दी और पुराने गुड़ के साथ दूध में उबालें। कुछ देर बॉइल करने के बाद ठण्डा करके बच्चे को पिला दें। इससे बच्चे को जल्द राहत मिलने लगती है।

अजवाइन और लहसुन का तेल

अजवाइन और लहसुन की तासीर गर्म होने से उन्हें सरसों के तेल में कुछ देर पकाकर चेस्ट और पैरों पर लगाने से बेहद फायदा मिलता है। अगर आप ओवर द कांउटर मेडिसिन से परेशान हैं, तो कुछ आसान नुस्खे इस समस्या को हल कर सकते हैं। आधा कप सरसों के तेल को अच्छी तरह से पकाकर उसमें पिसा हुआ लहसुन और 1 चम्मच अजवाइन का मिलाएं और पकने दें। इससे ठण्ड, खांसी और जुकाम की समस्या अपने आप हल हो जाती है। रात को सोते वक्त इसे लगाकर कुछ देर के लिए पंखा बंद कर दें।

अदरक का रस और शहद

 गले में होने वाली खराब को कम करने के लिए एंटी इंफलामेटरी गुणों से भरपूर अदरक का प्रयोग फायदेमंद साबित होता है। इसके लिए 1 इंच को कसकर उसका रस निकाले लें। आधा चम्मच अदरक के रस में 2 से 3 बूंद शहद की टपकाएं और बच्चे को खाने के लिए दें। ध्यान रखें कि इसका सेवन धीरे धीरे करें। अन्यथा शहद गले में चिपकने का भय रहता है।

मुलेठी का पानी

गले में बढ़ने वाली खराश और कफ की समस्या को दूर करने के लिए मुलेठी का सेवन अवश्य करें। इसमें मौजूद औषधीय गुण प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखते हैं। जो विटामिन, आयरन और फासफोरस से भरपूर है। इसे चबाकर भी खा सकते हैं। इसके अलावा आधा चम्मच मुलेठी के पाउडर को पानी में उबालकर पीने से भी राहत मिल जाती है। बच्चों को 1 चौथाई कप मुलेठी का हल्का गुनगुना पानी पीने के लिए दें। इससे खांसी और चंस्ट कंजेशन की समस्या से बचा जा सकता है।

23.11.23

सर्दियों के मौसम में वजन कम कैसे करें ?






 

  सर्दियों के मौसम में लोगों में आलस बढ़ जाता है. लोग शारीरिक रूप से भी कम एक्टिव रहने लगते हैं. ठंड के कारण घर से बाहर निकलने से बचते हैं. जो लोग गर्मी में जिम जाकर वर्कआउट करते थे, वे भी अब कम बाहर निकलना पसंद करते हैं. सर्दियों के मौसम में शारीरिक गतिविधियां कम होने और घर में बैठकर सारा दिन खाते रहने की आदत डेवलप हो जाती है. इससे वजन बढ़ने लगता है. ऐसे में डाइट में सोच-समझकर आपको कोई भी फूड शामिल करना चाहिए. इस मौसम में ढेरों वेरायटी में सब्जियां मिलती हैं. साथ ही कई तरह के सीजनल फल, फूड मिलते हैं, जिनका सेवन करने से वजन को काफी हद तक कंट्रोल में रखा जा सकता है. यहां हम आपको कुछ ऐसे ही फूड्स के बारे में बता रहे हैं, जिनका सेवन करके आप हेल्दी रहने के साथ मोटापे से भी बचे रहेंगे.

गाजर खाएं- 

सर्दियों में गाजर खूब मिलता है. अक्सर ठंड में लोग गाजर का हलवा खूब खाते हैं. इसमें मावा, घी, चीनी, ड्राई फ्रूट्स खूब डाले जाते हैं, जो वजन को बढ़ा सकते हैं. बेहतर है कि आप कच्चा गाजर खाएं ताकि वजन कंट्रोल में रहे. ऐसा इसलिए, क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है. फाइबर वजन घटाने में आपकी मदद करती है. इसके अलावा, इसमें कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, विटामिन के भी अधिक होता है. गाजर में कैलोरी भी कम होती है. ऐसे में वजन कम करने के लिए आप इसे प्रतिदिन खा सकते हैं. यह आंखों के लिए भी बेस्ट है.सर्दियों में फ्राईड और गर्म चीजें खाने का मन करता है, लेकिन इन चीजों से सबसे तेजी से वजन बढ़ता है. इस मौसम में मेटाबॉलिज्म भी स्लो हो जाता है. इसलिए आपको डाइट प्लान करके खाना चाहिए.
सर्दियों में तला-भुना खाने का सबसे ज्यादा मन करता है. जैसे ही ठंड के दिन आते है. घरों से पकौडे और समौसे की खुशबू आने लगती है. अक्सर आपने देखा होगा ठंड में स्ट्रीट फूड के स्टॉल्स पर भीड़ बढ़ जाती है. लोग सर्दियों में जमकर चाट-पकौड़े का मज़ा लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं ठंड में इस तरह के खाने से सबसे जल्दी वजन बढ़ता है. इस तरह के खाने से आपके शरीर को नुकसान भी हो सकता है. वहीं ऐसे मौसम में हमारी इम्यूनिटी (Immunity) भी कमजोर हो जाती है. अगर आप वजन कम करने की सोच रहे हैं तो आपको अपनी डाइट और एक्सरसाइज पर थोड़ा ध्यान देना होगा. जानिए सर्दियों में वजन कम करने के लिए आपका डाइट प्लान कैसा होना चाहिए
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हेल्दी खाना खाएं- 

अगर आपको खाने की क्रेविंग ज्यादा होती है. तो आपको हमेशा छोटे-छोटे मील प्लान करके खाना चाहिए. इससे आपकी क्रेविंग भी खत्म हो जाएगी और वजन भी नियंत्रण में रहेगा. सर्दियों में खाना पचाने में शरीर को वक्त लगता है. ऐसे में आपको हेल्दी और सुपाच्य खाना ही खाना चाहिए. कुछ एक्टिविटी के बाद ही अपना दूसरा मील ले. अगर आपको कुछ तला भुना खाने का मन है तो आप केवल हफ्ते में एक दिन ही ऐसा खाना खाएं.

सूप या शोरबा पिएं- 

ठंड में आप डाइट में सूप जरूर शामिल करें. सूप के जरिए शरीर में बहुत सी सब्जियां और उनके पोषक तत्व चले जाते हैं जिससे आपका वजन तेजी से कम होता है. इसके अलावा शरीर के लिए भी सब्जियों का सूप बहुत फायदेमंद होगा. सूप बनाते समय मसाले ज्यादा न डालें. सूप में सब्जियों की मात्रा अच्छी डालें जिससे आप हेल्दी डाइट ले सकें. सर्दियों में गर्मा गरम सूप भी आपको फील गुड कराने के लिए अच्छा ऑप्शन है.

एंटीऑक्सीडेंट वाले फल खाएं- 

सीजनल फलों से भी आप अपने वजन को कम कर सकते हैं. इस मौसम में आने वाले फलों में बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं. जिससे आपकी इम्यूनिटी मजबूत बनती है. सीजनल फल खाने से आप इंफेक्शन से बचे रहते हैं. इतना ही नहीं अगर आप फल खाने की आदत डाल लेते हैं तो खुद को एक हेल्दी लाइफस्टाइल की ओर ले जा रहे हैं. फल खाने से आप तेलीय चीजों से दूर रहते हैं. ठंड में आप विटामिन सी से भरपूर फलों में अमरुद, संतरा, पाइनएप्पल और सेब खूब खाएं.

खूब पानी पिएं- 

सर्दियों में प्यास बहुत कम लगती है. लेकिन आपको पानी भरपूर मात्रा में पीना जरूरी है. ज्यादा मात्रा में पानी पीने से शरीर से टॉक्सिंस बाहर निकल जाते हैं जिससे वजन कम होने में मदद मिलती है. पानी पीने से भूख भी कम लगती है इसलिए ठंड में भी खुद को पूरी तरह से हाइड्रेट रखना जरूरी है.

अदरक वाली चाय- 

सर्दियों में बालकनी में खड़े होकर चाय पीना भला किसे पसंद नहीं होगा. ऐसे में अगर आप चाय के शौकीन हैं तो अदरक वाली चाय पीएं. अदरक सेहत के लिए और वजन कम करने के लिए लाभदायक है. लेकिन आप चाय में चीनी का इस्तेमाल कम करें या शक्कर वाली चाय पीएं.

वजन घटाने के लिए नींबू और शहद का उपयोग

एक गिलास पानी में आधा नींबू, एक चम्मच शहद एवं एक चुटकी काली मिर्च डालकर सेवन करें। काली मिर्च में पाइपरीन (piperine) नामक तत्व मौजूद होता है। यह नई वसा कोशिकाओं को शरीर में जमने नहीं देता है। नींबू में मौजूद एसकोरबिक एसिड (Ascorbic Acid) शरीर में मौजूद क्लेद को कम करता है, और शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।

मोटापा कम करने के लिए दालचीनी का सेवन

लगभग 200 मि.ली. पानी में 3-6 ग्राम दालचीनी पाउडर डालकर 15 मिनट तक उबालें। गुनगुना होने पर छानकर इसमें एक चम्मच शहद मिला लें। सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले पिएँ। दालचीनी एक शक्तिशाली एंटी-बैक्टीरियल है, जो नुकसानदायक बैक्टीरिया से छुटकारा दिलाने में मदद करती है।

मोटापा घटाने के लिए सेब के सिरके का सेवन

एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका और एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर सेवन करें। इनमें मौजूद पेपटिन फाइबर (Pectin Fibre) से पेट को लम्बे समय तक भरा होने का एहसास होता है। यह लिवर में जमे फैट को घटाने में मदद करता है।

मोटापे से मुक्ति पाने के लिए पुदीना का इस्तेमाल

पुदीना की पत्तियों के रस की कुछ बूँद गुनगुने पानी में मिलाएँ। इसे खाना खाने के आधे घण्टे बाद पिएँ। यह पाचन में सहायक तथा चयापचय क्रिया को बढ़ाकर वजन घटाने में मदद करता है। इसका उपयोग लम्बे समय तक किया जा सकता है।

मोटापा घटाने के लिए सौंफ का सेवन

6-8 सौंफ के दानों को एक कप पानी में पाँच मिनट तक उबालें। इसे छानकर सुबह खाली पेट गर्म -गर्म ही पिएँ। इससे अधिक भूख लगने की समस्या से राहत मिलेगी तथा खाने की इच्छा कम होगी।

मोटापे से छुटकारा के लिए हल्दी का सेवन

हल्दी में विटामीन बी, सी, पौटेशियम, आयरन, ओमेगा- 3 फेटीऐसिड, एल्फा लिने लोयिक ऐसिड तथा फायबर्स आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, तथा अतिरिक्त चर्बी को घटाने में मदद करता है।

वजन कम करने के लिए इलायची का सेवन

रात में सोते समय दो इलायची खाकर गर्म पानी पीने से वजन कम करने में सहायता मिलती है। इलायची पेट में जमा फैट को कम करती है, तथा कोर्सिटोल (Cortisol) लेवल को भी नियंत्रित रखती है। इसमें मौजूद पोटेशियम (Potaseium), मैग्नेशियम (Magneseium), विटामिन बी1, बी6 (Vita. B1, B6), और विटामिन सी (Vita. C) वजन घटाने के साथ ही शरीर को स्वस्थ रखते हैं। इलायची अपने गुणों से शरीर में पेशाब के रूप में जमा अतिरिक्त जल को बाहर निकालती है।

मोटापा घटाने के लिए पिएं गुनगुना पानी

उबालकर आधा किया हुआ जल आधा-आधा गिलास करके दिन में ढाई से तीन लीटर पीना चाहिए। इससे आम का पाचन भी हो जाता है, और पेट भरा होने से भूख भी कम लगती है। यह हल्का, सुपाच्य, आम का पाचन करता है। यह शरीर के सभी सूक्ष्म से सूक्ष्म गंदगी को साफ करता है, और पेशाब तथा पसीना लाता है।

वजन कम करने के लिए करें अदरक और शहद का प्रयोग

लगभग 30 मि.ली. अदरक के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर पिएँ। अदरक और शहद शरीर की चयापचय क्रिया को बढ़ाकर अतिरिक्त वसा को जलाने का काम करते हैं। अदरक अधिक भूख लगने की समस्या को भी दूर करता है, तथा पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है। इस योग को सुबह खाली पेट तथा रात को सोने से पहले लेना चाहिए।



14.11.23

तोतलापन हकलाने की समस्या कैसे दूर करें






तुतलाने या haklana की समस्या एक प्रकार का डिसऑर्डर होता है। तुतलाने का घरेलू उपचार करने के लिए कुछ सामान्य से घरेलू नुस्खे और कुछ नियमित अभ्यास करने से फायदा मिलता है। इस आर्टिकल में विस्तार से जानेंगे हकलाना कौन सी बीमारी है और इसके होने का कारण क्या है,
तथा तुतलाने की समस्या से राहत पाने के घरेलू उपाय क्या है ?

हकलाने के कारण 

स्टैमरिंग यानि Tutlana हकलाना काफी सामान्य समस्या है। तुतलाने की समस्या बच्चों के साथ साथ बड़ो में भी होती है। Tutlane की समस्या के बहुत से कारण होते हैं। अगर माता-पिता में से किसी को हकलाने की समस्या है तो बच्चों में होने की आशंका बढ़ जाती है। क्योंकि बच्चों को भी हकलाने की आदत पड़ जाती है। स्टैमरिंग प्रॉब्लम के कई कारण हो सकते हैं जैसेबोलने में काम आने वाली मांसपेशियों व जीभ पर नियंत्रण ना होना।
दिमाग के बाएं हिस्से में कोई गड़बड़ होना।
जीभ की मांसपेशियों में सूजन होने के कारण।
बेचैन या अधिक खुश होने के दौरान जीभ पर नियंत्रण न रहना।
अधिक तनाव, कमजोरी, डर, थकान या दुखी होने पर भी हकलाने की समस्या बढ़ जाती है।

बच्चे हकलाते क्यों है?

Ans बच्चों के सबसे बड़ा कारण है बच्चे का भाषा पर पकड़ कम होना, बच्चे का भावुक ज्यादा होना, मानसिक तनाव, डर, एकाग्रता का कम होना, असमंजस की स्तिति आदि कारणों से बच्चों के तुतलाने की समस्या अधिक देखी जाती है।
हकलाने की समस्या से छुटकारा पाने के उपाय 

मक्खन में काली मिर्च

इस समस्या (Tutlana) से राहत पाने के लिए रोज सुबह मक्खन में काली मिर्च पाउडर मिलाकर खाना फायदेमंद होता है। इसका सेवन लगातार करते रहने से हकलाने की समस्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही इसके सेवन से आवाज व गला भी साफ करने में मदद मिलती है।

बादाम

सुबह खाली पेट नियमित बादाम, काली मिर्च और मिश्री को पीसकर मक्खन के साथ खाने से तुतलाने की समस्या से राहत मिलती है। साथ ही बादाम का नियमित सेवन करने से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास ठीक से होने के साथ साथ याददाश्त भी तेज होती है। इसके अलावा बादाम के तेल को भी चाटने से तुतलाना कम ) होता है।


दालचीनी


सुबह ताजे मक्खन में दालचीनी चूर्ण डालकर चाटने से आवाज मधुर होती है तथा तुतलाने की समस्या से भी छुटकारा मिलता है। इसके अलावा दालचीनी के तेल की जीभ पर कुछ दिन मालिश करने से जीभ पतली होती है और आवाज भी साफ हो जाती है।

आंवला

आयुर्वेद में आंवले का बहुत महत्व बताया गया है। शरीर में आंवला मेडिसिन की तरह काम करता है। नियमित सुबह के समय एक कच्चा आंवला चबाकर खाने से बॉडी में अनेक फायदे होने के साथ साथ यह तुतलाने की समस्या में भी लाभकारी होता है। इसके लिए रोज सुबह खाली पेट एक आंवला दो महीने तक लगातार खाना लाभदायक होता है।


 तेजपत्ता :

जिनको रुक-रुक कर बोलना या हकलाने की परेशानी उन व्यक्ति को तेजपत्ता जीभ के नीचे रखने से बहुत लाभ मिलता है और हकलापन तथा रुक-रुककर बोलना दूर हो जाता है। आंवला : काम से काम दो आंवला रोजाना कुछ दिनों तक चबाने से जीभ पतली और आवाज साफ होती है साथ ही उनका हकलापन और तुतलापन भी दूर हो जाता है।


तुतलाने की समस्या से राहत पाने के उपाय

धीरे-धीरे बोलने का अभ्यास करें


जिनको हकलाने की समस्या है उन्हें ज्यादा तेज बोलने के बजाय धीरे-धीरे बोलने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि जल्दी-जल्दी बोलने से हकलाहट की समस्या बढ़ती है। इसलिए धीरे-धीरे और आराम से बोलने का प्रयास करें और कुछ भी बोलने से पहले मन में सोचे कि क्या बोलना चाहते हैं।

मन को शांत रखें

इस समस्या से बचने के लिए बोलने से पहले गहरी सांस लें और शरीर को आराम दें तथा हकलाहट के बारे में दिमाग में बिल्कुल भी ना सोचें। हमेशा लोगों से नजर मिला कर बात करने की कोशिश करें बातों के बीच बीच में ठहराव लाएं ताकि बोलते वक्त शब्दों के बीच बीच में सोच भी सके।

डीप ब्रीदिंग

यह हकलाने की समस्या से बचने का बहुत अच्छा उपाय होता है। इसके लिए सबसे पहले गहरी सांस लें और फिर सांस को धीरे धीरे छोड़ते हुए अपनी बात बोलें। सांस को सही तरीके से नियंत्रण करने वाले अभ्यास करने से धीरे धीरे स्पीच में सुधार होने लगता है तथा हकलाने की समस्या से छुटकारा मिलने लगता है।

शब्दों को खींचकर बोलें

शब्दों को लंबा खींचकर बोलने की कोशिश करें। धीरे धीरे इसका अभ्यास करने से भी इस समस्या में राहत मिलती है। इसमें जिन शब्दों को बोलने में कठिनाई होती हो उन शब्दों का अभ्यास अधिक करें। इससे हकलाने की समस्या में राहत मिलने के साथ-साथ हकलाने में भी बदलाव आता जाएगा।

शब्द का उच्चारण करें

किसी भी एक शब्द जैसे राम, ओम, सीता आदि किसी एक शब्द का ऊंची आवाज में 10 – 15 बार उच्चारण करने को आदत बनाएं। इसके लिए सबसे पहले लंबी सांस लेकर किसी एक शब्द को देर तक बोलते रहें। यह उच्चारण शब्द बदल बदलकर अधिक समय तक करने का अभ्यास करते रहें और धीरे धीरे शब्द को बड़ा करते रहें जैसे जय श्री राम, ओम नमः शिवाय, जय सीता माता की आदि। 

शीशे के सामने अभ्यास करें

तुतलाने की समस्या से राहत पाने Stammering treatment के लिए शीशे के सामने खड़े होकर बोलने का अभ्यास करने से भी बहुत फायदा मिलता है। नियमित शीशे के सामने खड़े होकर शब्दों का अभ्यास करने के दौरान अपने मुंह और जीभ पर ध्यान रखें की किन शब्दों को बोलने में परेशानी होती है। उनको लंबा खींचकर बोलने का प्रयत्न करें। रोजाना 20 से 25 मिनट अभ्यास करने का प्रयास करें।


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13.11.23

चना और गुड साथ खाने के सेहत को लाभ और नुकसान




स्वस्थ रहने के लिए हम सभी सुबह खाली पेट तरह-तरह की चीजों का सेवन करते हैं। इसमें गुड़ और चना भी शामिल हैं। जी हां, गुड़ और चना, दोनों ऐसी चीजें हैं, जो आपको हेल्दी रखने में मदद कर सकते हैं। दरअसल, गुड़ में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फाइबर और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। वहीं, चने में भी प्रोटीन, फाइबर, मैंगनीज, विटामिन बी6, फोलेट और आयरन की मात्रा अधिक होती है। वैसे तो अकसर लोग गुड़ और चने का सेवन कई तरीकों से करते ही हैं। लेकिन आप चाहें तो गुड़ और चने को एक साथ मिलाकर भी खा सकते हैं। गुड़ और चने को साथ में खाने से मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूती मिलेगी। साथ ही, इन दोनों को सुबह खाली पेट साथ में खाने से प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत बनती है।
 गुड़ का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है. गुड़ और चने का साथ में सेवन कर शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं. भूने चने सेहत के लिए गुणकारी माने जाते हैं. चने को प्रोटीन का सबसे अच्छा सोर्स माना जाता है. गुड़ (Benefits Of Jaggery) एंटी-ऑक्सिडेंट और सेलेनियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माने जाते हैं. तो वहीं चना (Roasted Gram) कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर व विटामिन-बी सहित कई अन्य पोषक तत्वों का अच्छा सोर्स है. रोजाना गुड़ और चना खाने से इम्यूनिटी को मजबूत, एनर्जी को बूस्ट किया जा सकता है. इतना ही नहीं एनीमिया की शिकायत होने पर गुड़ और चने का सेवन फायदेमंद माना जाता है
 भुना चना (Roasted Chana) सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. अगर भुने चने के साथ गुड़ को खाया जाए तो सर्दियों में ये सोने पर सुहागा जैसा हो जाता है. गुड़ और चना दोनों ही सेहत के लिए काफी लाभदायक होते हैं. इसके साथ ही गुड़ चना प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स का पावर हाउस भी होता है. भुने हुए चने के साथ गुड़ (Jaggery) को खाने से ये न सिर्फ इम्यूनिटी को बूस्ट करता है बल्कि कैल्शियम से भरपूर होने की वजह से हड्डियों में भी मजबूती लाता है. गुड़-चना साथ खाने से मेटाबॉलिज्म बेहतर होने के साथ ही मेमोरी में भी सुधार आता है. भुने हुए चने और गुड़ का सेवन स्किन और दांतों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है.

चना और गुड़ साथ खाने के फायदे :

कब्ज से छुटकारा दिलाए


आजकल ज्यादातर लोगों को पेट से जुड़ी समस्याओं से परेशान होना पड़ रहा है। अगर आपको भी अपच या कब्ज जैसी दिक्कतें हैं, तो आप रोज सुबह खाली पेट गुड़ और चना खा सकते हैं। गुड़ और चना शरीर में पाचन एंजाइमों को सक्रिय करते हैं। इससे रोज सुबह आपका पेट आसानी से साफ होने लगेगा। इससे शरीर में जमा सारे विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकलेंगे और लिवर की भी सफाई होगी।

इम्यूनिटी बूस्टर – 

भुना हुआ चना हो या फिर सादा चना दोनों ही सेहत को बराबर फायदा पहुंचाते हैं. विंटर में रोस्टेड चने के साथ गुड़ को भी खाया जाए तो ये शरीर की एनर्जी को बढ़ाने के साथ ही इम्यूनिटी भी बूस्ट करते हैं. गुड़-चना एंटीऑक्सीडेंट्स और मिनरल्स जैसे जिंक, सेलेनियम से भी भरपूर होते हैं जो फ्री रेडिकल डेमैज को रोकते हैं और संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधकता को बढ़ाते हैं.

पेट के लिए-

गुड़ और चने का सेवन करने से पेट संबंधी कई समस्‍याओं से बचा जा सकता है. गुड़ और भुने चने में मौजूद फाइबर के गुण पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं.

मस्तिष्क के लिए लाभकारी


गुड़ और चना खाने से सिर्फ शारीरिक लाभ ही नहीं मिलते हैं, बल्कि इन दोनों को खाने से मस्तिष्क का विकास भी तेजी से होता है। रोज सुबह खाली पेट गुड़ और चना खाने से याद्दाश्त तेज करने में मदद मिलती है। दरअसल, चने में विटामिन बी6 होता है, जो दिमाग की कार्यक्षमता में सुधार करता है और मेमोरी पावर को बढ़ाता है।

एनीमिया-

अगर आपको खून की कमी की शिकायत है तो आप गुड़ और चने का सेवन कर सकते हैं. चने और गुड़ में आयरन पाया जाता है, जो खून की कमी को दूर करने में मदद कर सकता है.

मोटापा-

भुने चने मोटापे को कम करने के लिए फायदेमंद माने जाते हैं. चने में फाइबर के गुण पाए जाते हैं, जो पेट को लंबे समय तक भरा हुआ एहसास कराते हैं. जिससे आप अधिक खाने से बच सकते हैं.

हड्डियों का दर्द दूर करे

अगर आपको हड्डियों में दर्द रहता है, तो अपनी डाइट में गुड़ और चने को जरूर शामिल करें। गुड़ और गुड़ में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। अगर आप रोजाना गुड़ और चना एक साथ खाएंगे, तो हड्डियां मजबूत बनेंगी। इससे हड्डियों का दर्द दूर होगा और आप हेल्दी महसूस करेंगे।

हड्डियों-

हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए रोज गुड़ और चने का सेवन करें. गुड़ और चने में मौजूद कैल्शियम हड्डियों को कमजोर होने से बचाने में मदद कर सकता है.

सावधानी-

  गर्मी बढ़ने के साथ-साथ हमें आहार संबंधी आदतों में भी बदलाव लाने की जरूरत होती है. क्योंकि अच्छी डाइट हमारे स्वास्थ्य को हेल्दी बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. हालांकि कई चीजें ऐसी भी होती हैं जो पोषक तत्वों का भंडार मानी जाती हैं, लेकिन उनको मौसम के अनुसार ही खाए जाए तो बेहतर होता है. ऐसी एक करामाती चीज का नाम है गुड़. यह खाने में जितना टेस्टी, सेहत के लिए उतना ही फायदेमंद भी होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक्सपर्ट गर्मियों में गुड़ खाने की सलाह क्यों नहीं देते हैं. दरअसल गर्मियों में खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर गुड़ का सेवन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है. गुड़ का अधिक सेवन पाचन को धीमा कर सकता है.


बढ़ सकता वजन: 

नेचुरल मिठाई के नाम से पहचाना जाने वाला गुड़ (Jaggery) कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है. गुड़ बॉडी को एनर्जी देने के साथ-साथ मेटाबॉलिज्म को मजबूत करने में भी मदद करता है. यही वजह है कि ज्यादातर लोग गुड़ का सेवन करते हैं. बेशक गुड़ खाने के कई फायदे हों, लेकिन इसके नुकसान भी हो सकते हैं. दरअसल 100 ग्राम गुड़ में करीब 385 कैलोरी पाई जाती है. साथ ही गुड़ में कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है. ऐसे में डायटिंग करने वाले लोगों को गुड़ खाने से बचना चाहिए. हालांकि कम मात्रा में गुड़ खाने से अधिक असर नहीं पड़ता है

ब्लड शुगर की समस्या: 

चीनी के मुकाबले गुड़ अधिक मीठा होता है. ऐसे में यदि गुड़ का सेवन ज्यादा किया जाए, तो ब्लड शुगर की समस्या बढ़ सकती है. दरअसल, गुड़ का सेवन करने से ब्लड शुगर को बढ़ावा मिलता है. इसको खाने से रातों-रात आपका शुगर लेवल बढ़ सकता है. ऐसे में जरूरी है कि डायबिटीज के मरीज गर्मियों में गुड़ के सेवन से बचें.

आंतों के लिए घातक: 

गुड़ का अधिक सेवन करने से आंतों को भी नुकसान हो सकता है. इससे आंतों में कीड़े होने की आशंका बढ़ जाती है. दरअसल, गुड़ ज्‍यादातर गांवों में तैयार किया जाता है, जहां इसे बनाते समय इसकी शुद्धता पर कम ध्‍यान दे पाते हैं. इस स्थिति में इनमें छोटे जीव रह जाते हैं, जो आपकी हेल्थ को खराब कर सकते हैं. इसके अलावा कई बार गुड़ का गर्मियों में ज्यादा सेवन करने से एलर्जी की परेशानी हो सकती है.

गठिया में नुकसानदायक: 

गर्मियों में गुड़ का अधिक सेवन करने से गठिया का दर्द बढ़ सकता है. दरअसल, गुड़ पूरी तरह शुद्ध नहीं होता है. इसमें काफी मात्रा में सुक्रोज पाया जाता है, इसलिए गठिया के मरीजों को खासकर गर्मियों में गुड़ नहीं खाना चाहिए. इसके अलावा सुक्रोज आपके शरीर में बनने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड में दिक्कत करता है, जिससे शरीर में जलन और सूजन की शिकायत हो जाती है.

नाक से खून आना: 

सर्दियों में गुड़ खाना जितना फायदेमंद, गर्मियों में उतना ही नुकसानदायक हो सकता है. गर्मियों में गुड़ के सेवन से नकसीर फूटने का भी खतरा बढ़ सकता है. दरअसल, गुड़ की तासीर गर्म होती है, इसलिए नाक से खून निकलने की शिकायत बढ़ जाती है. इसी वजह है एक्सपर्ट गर्मियों में गुड़ ना खाने की सलाह देते हैं


12.11.23

सूखी आँख की समस्या क्या है? क्या हैं उपचार? Dry Eye Syndrome

 








पानी वाली आंखें क्या हैं?

आँखों में पानी आना, एपिफोरा या फटना, एक ऐसी स्थिति है जिसमें चेहरे पर आँसुओं का अतिप्रवाह होता है, अक्सर बिना किसी स्पष्ट स्पष्टीकरण के, आँसू आँख की सामने की सतह को स्वस्थ रखते हैं और स्पष्ट दृष्टि बनाए रखते हैं, लेकिन बहुत अधिक आँसू होने पर दृष्टि में बाधा। एपिफोरा किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है, हालांकि, यह उन लोगों में अधिक आम है जो एक वर्ष से कम या 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और एक या दोनों आंखों पर इसका प्रभाव हो सकता है।

1 – ड्राई आई सिंड्रोम की परेशानी उम्र के बढ़ने से भी हो सकती है| अक्सर 60 साल के बाद लोगो की आँखों में ये परेशानी आमतौर पर ज्यादा होती है|

2 – गर्भावस्था हर महिला की जिंदगी में एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है, महिलाओ में गर्भावस्था के दौरान उनके शरीर में हार्मोन्स बदलाव काफी होते है जिसकी वजह से उनकी आँखों में ड्राई आई सिंड्रोम की परेशानी हो सकती है|

3 – बहुत सारे लोग उच्च रक्तचाप, मुँहासे, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, पार्किंसंस रोग, मधुमेह, थायरॉइड विकार, रूमेटोइड गठिया इत्यादि परेशानी से ग्रस्त होते है| जिसकी वजह से वो दवाई खाते है, जिनमे से कुछ दवाइओ की वजह से भी ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या हो सकती है|

4 – कई बार बहुत से लोगो की आँख में चोट लग जाती है या किसी भी कारण से आँख में सूजन हो जाती है, तो इन कारणों से कई बार आँखों की ग्रंथियों को चोट या परेशानी हो जाती है| इस चोट या परेशानी से आंसुओ में पानी की कमी हो जाती है जिसकी वजह से ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या देखने को मिल सकती है, ऐसे में आपको कभी भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए|

5 – कांटेक्ट लेंस का बहुत अधिक इस्तेमाल करने से भी आपकी आंखो मे ड्राई आई सिंड्रोम हो सकता है, इसीलिए लगातार बहुत अधिक समय तक कांटेक्ट लेंस न लगाए, लेंस लगाना जरुरी हो तो बीच बीच में थोड़ी देर के लिए लेंस जरूर हटाए|

6 – बहुत से इंसान मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर के आगे बहुत देर तक बैठे रहते है जिसकी वजह से उनकी आँखों में आंसुओ का पानी सूखने लगने लगता है जिसकी वजह से ड्राई आई सिंड्रोम की दिक्कत हो सकती है, इसीलिए कभी भी मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर पर लगातार नजर न जमाए थोड़ी देर आँखों को आराम जरूर दे |

सूखी आँख की समस्या क्या है? What is the problem of dry eye?

सूखी आंखें तब हो सकती हैं जब आंसू बहुत जल्दी वाष्पित (evaporated) हो जाते हैं, या आंखें बहुत कम आंसू पैदा करती हैं। आँखों से जुड़ी यह समस्या मनुष्यों और कुछ जानवरों में आम है। यह एक या दोनों आंखों को प्रभावित कर सकता है और इससे सूजन हो सकती है। दृष्टि को सही बनाए रखने के लिए और आँखों को स्वस्थ बनाएं रखने के लिए आँसू की आवश्यकता होती है। आँखों में बनने वाले आँसू निम्नलिखित उत्पादों का एक संयोजन है:

पानी, नमी के लिए

तेल, स्नेहन के लिए और आंसू तरल के वाष्पीकरण को रोकने के लिए
बलगम, आंख की सतह पर आंसू भी फैलाने के लिए

संक्रमण के प्रतिरोध के लिए एंटीबॉडी और विशेष प्रोटीन

यह सभी घटक आंख के आसपास स्थित विशेष ग्रंथियों द्वारा स्रावित (secreted) होते हैं। जब इस आंसू प्रणाली में असंतुलन या कमी होती है, या जब आँसू बहुत जल्दी वाष्पित हो जाते हैं, तो व्यक्ति को सूखी आंख की समस्या यानि ड्राई आई सिंड्रोम (Dry Eye Syndrome) की समस्या हो सकती है।
ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या क्यों होती है? Why does dry eye syndrome occur?
ड्राई आँख की समस्या आँसुओं की वजह से होती है। अगर आँसू की किसी भी परत में समस्या आ जाए तो सुखी आँखों की समस्या हो सकती है। आँसुओं की तीन परतें होती हैं, तैलीय बाहरी परत, पानी वाली बीच की परत और भीतरी बलगम की परत होती है। यदि किसी व्यक्ति के आँसू के विभिन्न तत्वों का उत्पादन करने वाली ग्रंथियां सूज जाती हैं या पर्याप्त पानी, तेल या बलगम का उत्पादन नहीं करती हैं, तो इससे ड्राई आई सिंड्रोम (Dry Eye Syndrome) हो सकता है। जब व्यक्ति के आँसुओं से तेल गायब हो जाता है, तो वे जल्दी से वाष्पित हो जाते हैं और आपकी आँखों में नमी की निरंतर आपूर्ति नहीं हो पाती है। ड्राई आई सिंड्रोम के कारणों में शामिल हैं :-
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
किसी एलर्जी के कारण
लेसिक नेत्र शल्य चिकित्सा
उम्र बढ़ने के कारण
लंबेसमय तक संपर्क लेंस पहनना
लंबे समय तक कंप्यूटर पर बैठना
आँखें न झपकने से
आँखों को सामान्य से ज्यादा धोना
कुछ दवाएं, जिनमें एंटीहिस्टामाइन, नेज़ल डीकॉन्गेस्टेंट, बर्थ कंट्रोल पिल्स और एंटीडिप्रेसेंट शामिल हैं
हवा या शुष्क हवा के संपर्क में आने से, जैसे कि सर्दियों के दौरान हीटर के लगातार संपर्क में रहना।

जब कोई व्यक्ति सूखी आँखों की समस्या से जूझता है तो वह निम्नलिखित लक्षणों की सहायता से इसकी पहचान कर सकता है :-

आँखों में चुभन या जलन
आंखों में सूखापन
आँखे लाल होना
आँखों में किरकिरापन
आँखों में दर्द महसूस होना
आँख में रेत जैसा अहसास होना
दोहरी दृष्टि होना
आँखों में या उसके आस-पास कठोर बलगम
धुएं या हवा के प्रति आंख की संवेदनशीलता
आँखें खुली रखने में कठिनाई
पढ़ने के बाद आंखों की थकान
ज्यादा रोने की आदत
आग के संपर्क में ज्यादा रहने की वजह से
धुंधली दृष्टि, विशेष रूप से दिन के अंत में
प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
कॉन्टैक्ट लेंस पहनते समय बेचैनी
जागते समय पलकें आपस में चिपक जाना
ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या के जोखिम कारक क्या है? 
ड्राई आई सिंड्रोम 50 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में अधिक आम है। ग्रामीण भारत में यह समस्या मुख्य रूप से महिलाओं में ज्यादा दिखाई देती है, क्योंकि महिलाएं खाना बनाने के लिए आग के संपर्क में रहती है और दूसरा पुरुषों के मुकाबले ज्यादा रोती है जिसकी वजह से काफी बार यह समस्या देखि जाती है। इतना ही नहीं पूर्ण पोषण न मिलने की वजह से भी सूखी आँखों की समस्या हो सकती है। जो पुरुष धुम्रपान करते हैं या जो आग के संपर्क में ज्यादा रहते हैं उन्हें भी यह समस्या होने की आशंका ज्यादा रहती है। जो महिलाएं गर्भवती हैं, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी पर हैं, या रजोनिवृत्ति से गुजर रही हैं, उनमें जोखिम अधिक होता है। निम्नलिखित अंतर्निहित स्थितियां भी आपके जोखिम को बढ़ा सकती हैं:
पुरानी एलर्जी
थायराइड रोग या अन्य स्थितियां जो आंखों को आगे बढ़ाती हैं
ल्यूपस, रुमेटीइड गठिया, और अन्य प्रतिरक्षा प्रणाली विकार
एक्सपोजर केराटाइटिस, जो आंशिक रूप से खुली आँखों से सोने से होता है
विटामिन ए की कमी, जो पर्याप्त पोषण मिलने पर संभव नहीं है
कुछ लोगों का मानना ​​है कि कंप्यूटर स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी के अत्यधिक संपर्क में आने से ड्राई आई सिंड्रोम हो सकता है। फ़िलहाल इसे लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

सूखी आँखों का उपचार कैसे किया जा सकता है? 

अगर आपको लगता है कि आप सूखी आँखों की समस्या से जूझ रहे हैं तो आप सबसे पहले इस बारे में किसी पंजीकृत चिकित्सक से बात करें और इसका जल्द से जल्द उपचार लेना शुरू करें। सूखी आँखों का उपचार निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है :-

बनावटी आंसू Artificial tears – आंखों की नमी बढ़ाने वाली आई ड्रॉप ड्राई आई सिंड्रोम के सबसे सामान्य उपचारों में से हैं। कृत्रिम आँसू भी कुछ लोगों के लिए अच्छा काम करते हैं, जिससे व्यक्ति की दृष्टि की यह समस्या जल्द ही ठीक हो जाती है।
लैक्रिमल प्लग Lacrimal plugs – नेत्र चिकित्सक रोगी की आंखों के कोनों में जल निकासी छिद्रों को अवरुद्ध करने के लिए प्लग का उपयोग कर सकता है। यह एक अपेक्षाकृत दर्द रहित, प्रतिवर्ती प्रक्रिया है जो आंसू के नुकसान को धीमा करती है। यदि रोगी की स्थिति गंभीर है, तो ही स्थायी समाधान के रूप में प्लग की सिफारिश की जा सकती है।
शल्य चिकित्सा Surgery – यदि रोगी को गंभीर ड्राई आई सिंड्रोम है और यह अन्य उपचारों से दूर नहीं होता है, तो आपका डॉक्टर सर्जरी की सिफारिश कर सकता है। रोगी की आंखों के अंदरूनी कोनों पर जल निकासी छेद स्थायी रूप से प्लग किया जा सकता है ताकि आपकी आंखों में पर्याप्त मात्रा में आंसू बने रहें।
दवाएं Medications – ड्राई आई सिंड्रोम के लिए सबसे अधिक निर्धारित दवा एक विरोधी भड़काऊ (anti-inflammatory) है जिसे साइक्लोस्पोरिन (रेस्टेसिस) कहा जाता है। दवा आपकी आँखों में आँसू की मात्रा को बढ़ाती है और आपके कॉर्निया को नुकसान के जोखिम को कम करती है। यदि रोगी की सूखी आंख का मामला गंभीर है, तो दवा के प्रभावी होने तक आपको थोड़े समय के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड आई ड्रॉप्स का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है। वैकल्पिक दवाओं में कोलीनर्जिक्स शामिल हैं, जैसे कि पाइलोकार्पिन। यह दवाएं आंसू उत्पादन को प्रोत्साहित करने में मदद करती हैं। यदि कोई अन्य दवा आपकी आँखों को शुष्क बना रही है, तो रोगी का डॉक्टर आपके नुस्खे को बदल सकता है ताकि आपकी आँखों को सूखा न जाए।

घरेलु उपाय 

 सूखी आँखों की समस्या होने पर आप निम्नलिखित घरेलु उपायों की मदद से भी इससे छुटकारा पा सकते हैं :-
हवा और गर्म हवा से सुरक्षा के लिए रैपराउंड चश्मा पहनना
कंप्यूटर का उपयोग करते समय या टीवी देखते समय होशपूर्वक अधिक बार आँखें झपकाएं
धूम्रपान और धुएँ वाली जगहों से जितना हो सके बचना चाहिए
कमरे का तापमान मध्यम रखना चाहिए
आँखों को ज्यादा धोने से बचें
हवा को नम करने में मदद करने के लिए घर में ह्यूमिडिफायर का उपयोग करना। पर्दों को पानी के महीन स्प्रे से स्प्रे करने से हवा को नम रखने में मदद मिल सकती है
सूखी आँख की समस्या क्या है? What is the problem of dry eye?
सूखी आंखें तब हो सकती हैं जब आंसू बहुत जल्दी वाष्पित (evaporated) हो जाते हैं, या आंखें बहुत कम आंसू पैदा करती हैं। आँखों से जुड़ी यह समस्या मनुष्यों और कुछ जानवरों में आम है। यह एक या दोनों आंखों को प्रभावित कर सकता है और इससे सूजन हो सकती है। दृष्टि को सही बनाए रखने के लिए और आँखों को स्वस्थ बनाएं रखने के लिए आँसू की आवश्यकता होती है। आँखों में बनने वाले आँसू निम्नलिखित उत्पादों का एक संयोजन है:
पानी, नमी के लिए
तेल, स्नेहन के लिए और आंसू तरल के वाष्पीकरण को रोकने के लिए
बलगम, आंख की सतह पर आंसू भी फैलाने के लिए
संक्रमण के प्रतिरोध के लिए एंटीबॉडी और विशेष प्रोटीन
यह सभी घटक आंख के आसपास स्थित विशेष ग्रंथियों द्वारा स्रावित (secreted) होते हैं। जब इस आंसू प्रणाली में असंतुलन या कमी होती है, या जब आँसू बहुत जल्दी वाष्पित हो जाते हैं, तो व्यक्ति को सूखी आंख की समस्या यानि ड्राई आई सिंड्रोम (Dry Eye Syndrome) की समस्या हो सकती है।

ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या क्यों होती है? 

ड्राई आँख की समस्या आँसुओं की वजह से होती है। अगर आँसू की किसी भी परत में समस्या आ जाए तो सुखी आँखों की समस्या हो सकती है। आँसुओं की तीन परतें होती हैं, तैलीय बाहरी परत, पानी वाली बीच की परत और भीतरी बलगम की परत होती है। यदि किसी व्यक्ति के आँसू के विभिन्न तत्वों का उत्पादन करने वाली ग्रंथियां सूज जाती हैं या पर्याप्त पानी, तेल या बलगम का उत्पादन नहीं करती हैं, तो इससे ड्राई आई सिंड्रोम (Dry Eye Syndrome) हो सकता है। जब व्यक्ति के आँसुओं से तेल गायब हो जाता है, तो वे जल्दी से वाष्पित हो जाते हैं और आपकी आँखों में नमी की निरंतर आपूर्ति नहीं हो पाती है। ड्राई आई सिंड्रोम के कारणों में शामिल हैं :-

हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
किसी एलर्जी के कारण
लेसिक नेत्र शल्य चिकित्सा
उम्र बढ़ने के कारण
लंबे समय तक संपर्क लेंस पहनना
लंबे समय तक कंप्यूटर पर बैठना
आँखें न झपकने से
आँखों को सामान्य से ज्यादा धोना
कुछ दवाएं, जिनमें एंटीहिस्टामाइन, नेज़ल डीकॉन्गेस्टेंट, बर्थ कंट्रोल पिल्स और एंटीडिप्रेसेंट शामिल हैं
हवा या शुष्क हवा के संपर्क में आने से, जैसे कि सर्दियों के दौरान हीटर के लगातार संपर्क में रहना।
सूखी आँख की समस्या होने पर इसके क्या लक्षण दिखाई देते हैं? What are the symptoms of dry eye problem?
जब कोई व्यक्ति सूखी आँखों की समस्या से जूझता है तो वह निम्नलिखित लक्षणों की सहायता से इसकी पहचान कर सकता है :-
आँखों में चुभन या जलन
आंखों में सूखापन
आँखे लाल होना
आँखों में किरकिरापन
आँखों में दर्द महसूस होना
आँख में रेत जैसा अहसास होना
दोहरी दृष्टि होना
आँखों में या उसके आस-पास कठोर बलगम
धुएं या हवा के प्रति आंख की संवेदनशीलता
आँखें खुली रखने में कठिनाई
पढ़ने के बाद आंखों की थकान
ज्यादा रोने की आदत
आग के संपर्क में ज्यादा रहने की वजह से
धुंधली दृष्टि, विशेष रूप से दिन के अंत में
प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
कॉन्टैक्ट लेंस पहनते समय बेचैनी
जागते समय पलकें आपस में चिपक जाना
ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या के जोखिम कारक क्या है? What are the risk factors for dry eyes?
ड्राई आई सिंड्रोम 50 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में अधिक आम है। ग्रामीण भारत में यह समस्या मुख्य रूप से महिलाओं में ज्यादा दिखाई देती है, क्योंकि महिलाएं खाना बनाने के लिए आग के संपर्क में रहती है और दूसरा पुरुषों के मुकाबले ज्यादा रोती है जिसकी वजह से काफी बार यह समस्या देखि जाती है। इतना ही नहीं पूर्ण पोषण न मिलने की वजह से भी सूखी आँखों की समस्या हो सकती है। जो पुरुष धुम्रपान करते हैं या जो आग के संपर्क में ज्यादा रहते हैं उन्हें भी यह समस्या होने की आशंका ज्यादा रहती है। जो महिलाएं गर्भवती हैं, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी पर हैं, या रजोनिवृत्ति से गुजर रही हैं, उनमें जोखिम अधिक होता है। निम्नलिखित अंतर्निहित स्थितियां भी आपके जोखिम को बढ़ा सकती हैं:
पुरानी एलर्जी
थायराइड रोग या अन्य स्थितियां जो आंखों को आगे बढ़ाती हैं
ल्यूपस, रुमेटीइड गठिया, और अन्य प्रतिरक्षा प्रणाली विकार
एक्सपोजर केराटाइटिस, जो आंशिक रूप से खुली आँखों से सोने से होता है
विटामिन ए की कमी, जो पर्याप्त पोषण मिलने पर संभव नहीं है
कुछ लोगों का मानना ​​है कि कंप्यूटर स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी के अत्यधिक संपर्क में आने से ड्राई आई सिंड्रोम हो सकता है। फ़िलहाल इसे लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
सूखी आँखों का उपचार कैसे किया जा सकता है? How can dry eyes be treated?
अगर आपको लगता है कि आप सूखी आँखों की समस्या से जूझ रहे हैं तो आप सबसे पहले इस बारे में किसी पंजीकृत चिकित्सक से बात करें और इसका जल्द से जल्द उपचार लेना शुरू करें। सूखी आँखों का उपचार निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है :-
बनावटी आंसू Artificial tears – आंखों की नमी बढ़ाने वाली आई ड्रॉप ड्राई आई सिंड्रोम के सबसे सामान्य उपचारों में से हैं। कृत्रिम आँसू भी कुछ लोगों के लिए अच्छा काम करते हैं, जिससे व्यक्ति की दृष्टि की यह समस्या जल्द ही ठीक हो जाती है।
लैक्रिमल प्लग Lacrimal plugs – नेत्र चिकित्सक रोगी की आंखों के कोनों में जल निकासी छिद्रों को अवरुद्ध करने के लिए प्लग का उपयोग कर सकता है। यह एक अपेक्षाकृत दर्द रहित, प्रतिवर्ती प्रक्रिया है जो आंसू के नुकसान को धीमा करती है। यदि रोगी की स्थिति गंभीर है, तो ही स्थायी समाधान के रूप में प्लग की सिफारिश की जा सकती है।
शल्य चिकित्सा Surgery – यदि रोगी को गंभीर ड्राई आई सिंड्रोम है और यह अन्य उपचारों से दूर नहीं होता है, तो आपका डॉक्टर सर्जरी की सिफारिश कर सकता है। रोगी की आंखों के अंदरूनी कोनों पर जल निकासी छेद स्थायी रूप से प्लग किया जा सकता है ताकि आपकी आंखों में पर्याप्त मात्रा में आंसू बने रहें।
दवाएं Medications – ड्राई आई सिंड्रोम के लिए सबसे अधिक निर्धारित दवा एक विरोधी भड़काऊ (anti-inflammatory) है जिसे साइक्लोस्पोरिन (रेस्टेसिस) कहा जाता है। दवा आपकी आँखों में आँसू की मात्रा को बढ़ाती है और आपके कॉर्निया को नुकसान के जोखिम को कम करती है। यदि रोगी की सूखी आंख का मामला गंभीर है, तो दवा के प्रभावी होने तक आपको थोड़े समय के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड आई ड्रॉप्स का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है। वैकल्पिक दवाओं में कोलीनर्जिक्स शामिल हैं, जैसे कि पाइलोकार्पिन। यह दवाएं आंसू उत्पादन को प्रोत्साहित करने में मदद करती हैं। यदि कोई अन्य दवा आपकी आँखों को शुष्क बना रही है, तो रोगी का डॉक्टर आपके नुस्खे को बदल सकता है ताकि आपकी आँखों को सूखा न जाए।

घरेलु उपाय

1– सबसे पहले आपको थोड़ी सी हरी चाय की पत्तियाँ लेनी है, उन पत्तियों को पानी में उबाल ले, जब तक पानी उबल कर आधा ना रह जाए| पानी जब ठंडा हो जाए तब थोड़ी सी रुई लेकर उसे पानी में भिगो कर अपनी आँख के ऊपर रखे, रुई को अपनी आँख पर 15 से 20 मिनट तक रखे फिर हटा दे| ऐसा करने से आपको काफी आराम मिलेगा |

2 – एक कच्चा आलू लेकर छील ले, छिलने के बाद अच्छी तरह से धो ले| अच्छी तरह से धोने के बाद आलू को महीन पीस ले, पीसने के बाद आलू के गुद्दे को अच्छी तरह से निचोड़ ले| गुद्दे को अपनी आँखों की पलकों पर लगाए और 10 से 15 मिनट के लिए लेट जाए, रोजाना ऐसा करने से आपको जल्द ही ड्राई आई सिंड्रोम की परेशानी से मुक्ति मिल जाएगी|

3 – ड्राई आई सिंड्रोम की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए कैमोमाइल फूल, आईब्राइट डंठल और एलथिया की जड़ लेकर सूखा ले और बारीक पीस ले, फिर आधे गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण को डाल कर अच्छी तरह से उबाल ले और ठंडा होने दे| एक कपास पेड लेकर उसे उस पानी में भिगोए और अपनी आँखों पर रखे कुछ देर बाद हटाए और भिगो कर फिर लगाए| ऐसा करने से आपको जल्द आराम मिलेगा|

4 – अक्सर देखा जाता है बहुत से लोग पानी काफी कम पीते है, जिसकी वजह से परेशानी हो सकती है, इसीलिए दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी जरूर पिए|

5 – टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर पर कभी भी लगातार काम ना करे, बहुत अधिक जरुरत हो तो हमेशा थोड़े थोड़े समय बाद 10 से 15 मिनट का ब्रेक जरूर ले | ऐसा करने से आप ड्राई आई सिंड्रोम की परेशानी से निजात पा सकते है|