29.10.21

नमक के पानी से नहाने से होते हैं कई रोग दूर :Salt Water Bath

 

अगर आप अपने नहाने के पानी में नमक डालकर नहाएं तो आप कई बीमारियों और इंफेक्शन से बच सकते हैं। जी हां, नमक के पानी से नहाने से कई रोग दूर हो जाते हैं। जब आपको तेज बुखार हो तो ऐसे में आप गुनगुने पानी में एक से दो चम्मच नमक और कुछ बूंद नारियल का तेल डालकर नहाने से आपको जुकाम और सर्दी में राहत मिलती है।

नमक का शरीर में योगदान – 

  सोडियम और क्लोराइड का कॉम्बिनेशन यह प्राकृतिक मिनरल सीधे धरती से क्रिस्टल के रूप में हमारे पास आता है। सुमद्री नमक में यह प्राकृतिक तौर पर पाया जाता है। नमक एक ऐसा प्राकृतिक खजाना है, जिसमें कई पोषक तत्व छिपे होते हैं जो हमारे जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं। नमक हमें सल्फर, कैल्शियम, सोडियम, मैग्नीशियम, सिलिकन, बोरोन, पोटैशियम, ब्राोमाइन और स्ट्रोन्शियम जैसे जरूरी मिनरल्स प्रदान करता है। अपने बेहतरीन मिनरल कंटेंट के कारण नमक वजन कम करने, स्किन को खूबसूरत बनाने, अस्थमा के लक्षण कम करने, ब्लड शुगर स्तर दुरुस्त करने, शरीर के दर्द को कम करने और दिल को सेहतमंद रखने में भी मददगार है। नमक के पानी से नहाने के लिए आपका बीमार होना जरूरी नहीं है। यह क्लींजिंग और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी बहुत अच्छा होता है।
नमक के पानी में मौजूद तत्व फंगल इंफेक्शन बढ़ने से रोकते हैं। रोज इससे नहाने पर डैंड्रफ में काफी आराम मिलता है।   यह आपकी त्वचा के लिए अच्छा है यदि अपने प्राकृतिक और शुद्ध रूप से इस्तेमाल किया जाए तो नमक के   पानी में कई मिनरल्स और पोषक तत्व होते हैं जो आपकी त्वचा को जवां बनाते हैं| मैग्नीशियम, कैल्शियम, ब्रोमाइड, सोडियम जैसे मिनरल्स त्वचा के रोम छिद्रों में प्रवेश करते हैं| ये त्वचा की सतह को साफ़ कर इसे स्वस्थ और चमकदार बनाते हैं|
  इतना ही नहीं मांशपेशियों का दर्द भी नमक वाले पानी से नहाने से दूर हो जाता है। इसके साथ ही यह आपके शरीर में कैल्शियम की कमी भी दूर करता है और आपके नाखून को मजबूत बनाए रखता है। नमक के पानी से नहाने से खुजली की समस्या दूर होती हैं और आपको नींद भी अच्छी आती है, व आपका दिमाग तरोजाजा रहता है। लगातार नमक के पानी से नहाने से आप खुद को पहले से ज्यादा अच्छा महसूस करते हैं।

यह त्वचा को जवां बनाये रखता है 

नियमित रूप से नमक के पानी से नहाने से दाग और झुर्रियां कम होती हैं| त्वचा नरम और मुलायम बनती है| यह त्वचा को फुलावट भरा बनाता है और स्किन मॉइस्चर का संतुलन बनाये रखता है|

यह डिटॉक्सीफिकेशन बढ़ाता है 

नमक के पानी से नहाने से त्वचा से जहरीले तत्व बाहर निकलते हैं| गर्म पानी त्वचा के रोम छिद्रों को खोलता है| इससे मिनरल्स त्वचा के अंदर जाकर गहराई तक सफाई करते हैं| नमक का पानी जहरीले और नुकसानकारी पदार्थों और बैक्टीरिया को त्वचा से बाहर निकालता है और इसे जवां बनाता है|
 यह कई समस्याओं का समाधान करता है| यह ऑस्टियोआर्थराइटिस और टेन्डीनिटिस के इलाज में भी कारगर है| ऑस्टियोआर्थराइटिस हड्डियों की खराबी से सम्बंधित बीमारी है और टेन्डीनिटिस नसों की सूजन से सम्बंधित बीमारी है| नमक के पानी से नहाने से खुजली और अनिद्रा का ईलाज भी होता है|

एसिडिटी के ईलाज में कारगर

एसिडिटी एक ऐसी समस्या है जिससे आजकल अधिकतर लोग ग्रसित हैं| इसके ईलाज के लिए महँगी और साइड इफ़ेक्ट करने वाली दवाइयों की बजाय आप नमक के पानी से नहाने के नुस्खे को आजमा सकते हैं| क्षारीय प्रकृति के कारण यह अम्ल की मात्रा को कम करने में मददगार है|

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है

नमक के पानी से स्नान शारीरिक के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है| इस पानी से स्नान करने के बाद आप ज्यादा शांत, खुश और आराम महसूस करेंगे| यह एक शानदार स्ट्रेस बस्टर है| यह मानसिक शांति भी बढ़ाता है|
*यह मांसपेशियों में दर्द और ऐंठनको भी ठीक करता है नमक के पानी से नियमित स्नान कर ऐंठन को भी ठीक किया जा सकता है| यह गठिया, शुगर या अन्य किसी चोट के कारण हुए मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन को भी ठीक कर देता है|

अच्छी नींद आती है

नमक के पानी से नहाने पर थकान और स्ट्रेस दूर हो जाता है। इससे दिमाग को शांति मिलती है और रात में अच्छी नींद आती है। यह पैरों की मांसपेशियों के लिए भी लाभकारी है
पैरों पर शरीर में सबसे ज्यादा दबाव पड़ता है| ये अधिकतर समय मूव करते हैं और शरीर को सपोर्ट प्रदान करते हैं| इससे यहाँ की मांसपेशियां मुलायम हो जाती है और इनमे जूते चप्पलों के कारण छाले भी हो जाते हैं| नमक के पानी से नहाने से मांसपेशियों में दर्द और जकड़न से निजात मिलती है| यह पैरों की दुर्गन्ध को भी दूर करता है |
  
इंफेक्शन

नमक के पानी में भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम, कैल्शियम, सोडियम जैसे मिनरल्स होते हैं। ये स्किन के पोर्स में जाकर सफाई करते हैं। इससे स्किन इंफेक्शन का खतरा कम हो जाता है।   यह स्किन को मॉइस्चराइज करता है
त्वचा के लिए मॉइस्चराइजिंग बहुत जरूरी है| नमक के पानी में मौजूद मैग्नीशियम त्वचा में पानी को ज्यादा देर तक रोकता है| इससे त्वचा मॉइस्चराइज होती है और त्वचा की कोशिकाओं की ग्रोथ भी ज्यादा होती है

हेल्दी हो जाते हैं बाल

इसके पानी से नहाने पर ब्लड सर्कुलेशन अच्छा हो जाता है। साथ ही बालों के बैक्टीरिया भी खत्म होते हैं। इसलिए नमक के पानी से सिर धोने पर बाल हेल्दी और शाइनी हो रहते हैं। ध्यान रहे नमक की मात्रा संतुलित होनी चाहिए। इतना नमक न मिलाएं कि पानी खारा हो जाए।
   नमक के पानी से नहाने पर हड्डियों में होने वाले दर्द से राहत मिलती है। इससे ऑस्टियोऑर्थराइटिस और टेंडीनिटिस जैसी जॉइंट पेन की समस्या में आराम मिलता है।

झुर्रियां करे दूर –

नमक वाले पानी में व्याप्त मिनरल्स इतने गुणवान हैं कि ये स्किन पर आने वाली झुर्रियों को रोकने में सहायक है। यही नहीं स्किन के दाग- धब्बे भी धीरे- धीरे कम होते जाते हैं।

फेयरनेस

   नमक का पानी स्किन की डेड सेल्स को निकालने में मदद करता है। रोज इसके पानी से नहाएंगे तो स्किन सॉफ्ट और ग्लोइंग बनेगी। रंग भी खिलेगा|

जोड़ों के दर्द में राहत

जोड़ों के दर्द की समस्या में भी नमक के पानी से नहाने के फायदे देखे गए हैं। एक रिसर्च के मुताबिक गर्म पानी में एप्सम साल्ट मिलाकर प्रयोग करने से घुटने के दर्द और गठिया रोगियों में होने वाले जोड़ों के दर्द में राहत मिल सकती है। इसके साथ ही शोध में इस बात का भी जिक्र है कि बाथ साल्ट पुरानी सूजन को कम करने में भी प्रभावी हो सकता है । इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि जोड़ों के दर्द के घरेलू उपाय के तौर पर नमक के पानी से नहाना कुछ हद तक राहत दिला सकता है।

स्किन में नमी –


नमक वाले पानी से नियमित स्नान स्किन को साफ करके नरम और कोमल भी बनाता है। नमक में निहित मैग्नीशियम स्किन में पानी को देर तक बनाए रखता है। इससे स्किन में नमी का संतुलन बना रहता है और स्किन में कसावट भी आती है।
                                
मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन के लिए फायदेमंद –

यदि आपकी मांसपेशियों में अकसर दर्द और ऐंठन रहती है तो आप आज से ही नमक के पानी से नहाना शुरू कर दें। इससे मांसपेशियां मुलायम होने के साथ ही रिलैक्स भी होती हैं। साथ ही नमक के पानी से नहाने से शरीर की बदबू भी दूर होती है। किसी सर्जरी या चोट के बाद भी नमक युक्त पानी का स्नान शरीर को तेजी से ठीक होने में मदद करता है। गुनगुने पानी में मैग्नीशियम युक्त नमक मिलाकर नहाने से मसल स्पैस्म्स और पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द से भी काफी राहत मिलती है। दिन भर की थकान के बाद होने वाले शारीरिक दर्द से भी यह छुटकारा दिलाता है।
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26.10.21

खून का थक्का जमने का विकार और उपचार:Blood Clotting




 

अमूमन लोगों से पैर या शरीर के किसी अंग में सुन्‍नता की शिकायत सुनने को मिलती है, जिसके बारे में लोगों को बहुत कम ही पता चल पाता है। विशेषज्ञों की मानें तो ये समस्‍या खून के थक्‍के होने के कारण होता है। खून के थक्‍के ज्‍यादातर पैरों में यानी पैर की नसों में पाए जाते हैं। चलने में समस्‍या, सुन्‍नता, दर्द आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। खून के थक्‍के की समस्‍या की अनदेखी करना खतरनाक हो सकता है। पैरों की जब कोई नस काम करना बंद कर देती है तो ए‍क चेन रिएक्‍शन होता है जिसके अंत में खून के थक्‍के जमने लगते हैं, जिसके कारण रक्‍त का बहाव रूक जाता है और शरीर में रक्‍त को जमाने वाले फार्मेंटर की मात्रा बढ़ जाती है।

हालांकि खून का थक्का यानी ब्लड क्लॉट अपने आप बनता है और यह सामान्य प्रक्रिया में क्षतिग्रस्त नलिकाओं की मरम्मत करने का भी काम करता है। ऐसा न हो तो चोट लगने पर शरीर में खून का बहाव रोकना बहुत ही मुश्किल हो जायेगा। हमारे प्लाज्मा में मौजूद प्लेटलेट्स और प्रोटीन, चोट की जगह पर रक्त के थक्के का निर्माण करके रक्त के बहाव को रोकते हैं। आमतौर पर चोट के ठीक होने पर खून का थक्का अपने आप घुल जाता है। लेकिन खून के थक्के के न घुलने और लंबे समय तक बने रहने पर सेहत के लिए खतरनाक होता है, जिसके लिये सही जांच एवं उपचार की जरूरत होती है। बिना उपचार लंबे समय तक रहने पर रक्त के थक्के धमनियों या नसों में चले जाते हैं और शरीर के किसी भी हिस्से जैसे आंख, हृदय, मस्तिष्क, फेफड़े और गुर्दे आदि में पहुंच उन अंगों के काम को बाधित कर देते हैं।
खून का गाढ़ा होने का मतलब स्वस्थ शरीर की निशानी नहीं|इससे छोटे थक्के बनना, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरागलत खानपान और बिगड़ता लाइफस्टाइल भी जिम्मेदार, अक्सर लोग सोचते हैं कि खून का गाढ़ा होना मतलब स्वस्थ शरीर की निशानी है। आपको बता दें कि खून का गाढ़ा होना कई कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है। इससे आपको छोटे-छोटे थक्के बनना, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा हो सकता है।शरीर के सभी हिस्सों को सही से कार्य करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम खून करता है। ऐसे में खून के गाढ़ा होने से कई परेशानियां हो सकती हैं।
आजकल बहुत से लोगों में खून के गाढ़ेपन की समस्या आम सुनने को मिल रही है। इसके लिए कहीं न कहीं हमारा गलत खानपान और बिगड़ता लाइफस्टाइल भी जिम्मेदार है।

खून में थक्‍के के कारण-

सारा दिन किसी एक स्‍थान या दफ्तर में लगातर बैठ कर काम करने से खून में थक्के की समस्‍या होती है। इसके अलावा इसके स्वभाविक कारणों में बुढ़ापा, मोटापा, धूम्रपान की लत, वैरिकॉज वेन्स (कुछ मामलों में), लंबे समय लेटे रहने पर (हड्डी जोड़ने के लिये प्लास्टर लगने के कारण, कोई ऑप्रेशन होने के कारण, लंबे सफर में, इत्यादि) तथा हार्मोंन असंतुलन के कारण (कुछ मामलों में) भी खून में थक्‍के की समस्या हो सकती है। एक नए शोध के अनुसार, जो लोग लगातार 10 घंटे तक काम करते हैं और इस दौरान कोई विराम नहीं लेते तो उनमें खून के थक्के जमने का खतरा दोगुना हो जाता है। यह अध्‍ययन काम के बीच लिए जाने वाले विराम के महत्त्‍व को दिखाता है।
आपके हाथ या पैर की गहरी नसों में बनने वाले थक्के को डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) कहा जाता है। इस तरह के थक्के काफी खतरनाक होते हैं क्योंकि ये आसानी से आपके दिल या फेफड़ों तक जा सकते हैं। जिस जगह आपको थक्के बनते हैं वहां आपको सूजन, दर्द, ऐंठन, सनसनी और खुजली हो सकती है।
इसके अलावा त्वचा का रंग गहरा लाल या नीला पड़ जाए तो यह भी ब्लड क्लॉट का संकेत हो सकता है।
चक्कर आना आँखों के आगे अँधेरा छा जाना या किसी भी शरीर के किसी अंग में सुन्नपन ये सब शरीर के किसी भी भाग में (Blood) खून के थक्के होने के कारण होता है डीप वेन थ्रोमबोसिस (डीवीटी) बीमारी है शरीर की नसों में (Blood) खून जमने की. ये ब्लड क्लॉट आम तौर पर पैरों की नसों में पाए जाते हैं. हालांकि ये एक बहुत ही आम बीमारी है लेकिन अनदेखी करने पर थ्रोमबोसिस जानलेवा भी हो सकती है.जब कोई नस काम करना बंद कर देती है तो हमारे शरीर में एक चेन रियेक्शन होता है जिसके अंत में खून के थक्के जमने लगते हैं जिससे इंसान का  खून बहना बंद हो जाता है. जिसे थ्रौमबोसिस नाम की ये बीमारी होती है उसके शरीर में खून को जमाने वाले इस किण्वक की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है.

खून का थक्का जमने के लक्षण

खून का थक्का जमने के जो शुरुआती लक्षण होते हैं उनका पता कर पाना संभव नहीं होता है। असल में शुरुआत में जो प्रभावित हिस्सा होता है वो लाल पड़ जाता है और पैरों में हल्का दर्द होता है जिसे लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर उन लक्षणों को अनदेखा करने से ही व्यक्ति को आगे चलकर बहुत बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। खून के थक्के जमने के और भी कई लक्षण हैं जो निम्न हैं–
पसीना आना और इसके साथ ही हरदम घबराहट होना।
अचानक से कमज़ोरी महसूस करना।
चेहरे या हाथों–पैरों का अचानक से सुन्न हो जाना।
चलने में समस्या आना।
मस्तिष्क पर प्रभावी पड़ना जैसे कि सुनने समझने में दिक्कत महसूस करना।
संतुलन बनाने में दिक्कत होना।
जो प्रभावित हिस्सा होता है उसमें सूजन, दर्द और गरमाई महसूस करना।
बार–बार सिर चकराना।
गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से भी इसकी समस्या हो जाती है।
मोटापे की वजह से खून के थक्के जम जाते हैं।
मोनोपॉज़ यानी कि जिनकी मासिक धर्म की क्रिया समाप्त हो जाती है उन्हें भी इस समस्या से जूझना पड़ सकता है।
हल्दी
हल्दी में कुदरती औषधिय गुण होते हैं। यह ब्लड क्लॉटिग रोकने में भी बहुत कारगर है। हफ्ते में 2 या 3 बार हल्दी वाला दूध पीएं। कच्ची हल्दी का सेवन भी खून के गाढ़ेपन को ठीक करने का काम करती है।
लहसुन
लहसुन के एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर में जमा फ्री रेडिकल को खत्म करने का काम करते हैंश जिससे ब्लड प्रैशर सामान्य रहता है और यह खून के प्रवाह को संतुलित करने के साथ खून को पतला करने में भी मददगार है।
फाइबर फूड
खून तो पतला करने के लिए आहार में फाइबर युक्त आहार को जरूर शामिल करें। ब्राउन राइस, होव वीट, मक्का, गाजर, ब्रोकली, मूली, सेब, शलजम, ओट्स आदि का सेवन करें।
फिश ऑयल
फिश ऑयल खून को पतला करने में मददगार है। चिकन,मटन को छोड़कर मछली के तेल का सेवन करें। डॉक्टर की सलाह से फिश फिश ऑयल के टैबलेट्स भी ले सकते हैं।
केयेन मिर्च
मसालेदार खाना खाने के शौकीन हैं तो केयेन मिर्च को खाने में शामिल करें। इसमें खून को पतला करने के लिए उच्च मात्रा में सेलिसिलेट होता है। जो ब्लड प्रेशर को सामान्य रखकर ब्लड सर्कुलेशन नियमित करने के साथ खून को भी पतला करता है।
यह भी हैं कुछ उपाय
पसीना आना जरूरी
खून को साफ और गाढ़ा होने से बचाने के लिए शरीर से पसीना बहाना बहुत जरूरी है। एक्सरसाइज या फिर योग के लिए समय जरूर निकालें।
गहरी सांस लें
सुबह के समय शुद्ध ऑक्सीजन सेहत के लिए बहुत अच्छी है। गहरी सांस लेने से फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है। जिससे रक्त संचार सही रहता है।
डेड स्किन निकालें
त्वचा पर जमा डेड स्किन रोम छिद्रों को बंद कर देती है। जिससे रक्त संचार भी प्रभावित होता है। महीने में 1-2 बार मैनी क्योर और पैडी क्योर जरूर करवाएं। इससे डैड स्किन सैल निकल जाते हैं और खून की दौरा भी बेहतर हो जाता है।
सेंधा नमक डालकर स्नान करें
अगर आप इस मौसम में बार बार नहाने का बहाना ढूंढते हैं तो यह एक फायदेमंद बहाना है। सेंधा नमक स्वस्थ ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। अगली बार जब भी आप आरामदायक स्नान के बारे में सोचे तो बबल बाथ की जगह सेंधा नमक को पानी में डालकर नहाएं।
सुबह की सैर
हेल्दी रहना है तो जब सूरज उगता है उस समय वॉक पर जाएं। सुबह के समय शुद्ध ऑक्सीजन का स्तर थोड़ा ज्यादा होता है, ये सेहत के लिए बहुत अच्छी मानी गई है। गहरी सांसें लें, इससे आपके फेफड़ों को अधिक मात्रा में ऑक्सीजन मिलती हे, जिससे आपकी बॉडी का ब्लड फ्लो सही बना रहता है। सुबह सवेरे वॉक करने से आप तरोतजा महसूस करते हैं।
*काली चाय यानी ब्लैक टी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होती है लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि काली चाय खून को गाढ़ा बनने से रोकती है जिस वजह से धमनियों में खून का थक्का जमने से रूकता है। यह नसों में खून के प्रभाव को सरल बनाती है जिस वजह से ब्लडप्रेशर भी नियंत्रित रहता है।
अगर आप रोजाना एक सेब या संतरा खाते हैं तो भी आपको खून के थक्के जमने की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
नियमित रूप से व्यायाम करें।
वजन को नियंत्रित करें।
फल, सब्जियों और अनाज का सेवन अधिक और नमक और फैट का सेवन कम करें।
धूम्रपान छोड़े और कम मात्रा में शराब का सेवन करें।
ब्‍लड प्रेशर की नियमित जांच करवायें।
अगर आप रोजाना एक सेब या संतरा खाते हैं तो आपको ब्लड क्लॉट यानी (Blood) खून के थक्के जमने की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
हावर्ड मेडिकल स्कूल की एक टीम ने पाया है कि सेब, संतरा और प्याज में ‘रूटिन’ नामक रसायन धमनियों और शिराओं में (Blood) खून के थक्के जमने से रोक सकता है। उनका मानना है कि ‘रूटिन’ ब्लैक और ग्रीन टी में भी हो सकता है। इसका इस्तेमाल भविष्य में दिल का दौरा पडऩे से बचाने के लिए इलाज के तौर पर हो सकता है।
शरीर के इन 5 अंगों में खून का थक्का बनने पर जा सकती है जान
फेफड़े
शरीर के अलग-अलग अंगों में थक्का बनने पर आपको अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं। फेफड़े में खून का थक्का (blood clot) बनने से आपकी धड़कन तेज हो सकती है, सीने में दर्द हो सकता है, खांसी में खून आ सकता और सांस की तकलीफ हो सकती है। ऐसी स्थिति में तुरंत अस्पताल पहुंचें।
दिल
दिल में खून का थक्का बनने पर आपको फेफड़ों में थक्के के समान लक्षण महसूस हो सकते हैं। लेकिन अगर आपको दिल का दौरा पड़ा है, तो आपको सीने में दर्द के साथ मतली और उल्टी भी महसूस हो सकती है। किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत अस्पताल पहुंचे।
मस्तिष्क
जब रक्त सामान्य रूप से प्रवाहित नहीं हो पाता है तो मस्तिष्क पर दबाव बनना शुरू हो जाता है। खून का थक्का बनने से मस्तिष्क में गंभीर रुकावट पैदा हो सकती है, और कभी-कभी स्ट्रोक का कारण भी बन सकता है। रक्त से ऑक्सीजन के बिना आपके मस्तिष्क की कोशिकाएं मिनटों में मरना शुरू हो जाती हैं। आपके मस्तिष्क में मौजूद थक्का सिर के एक हिस्से में दर्द, भ्रम, दौरे, बोलने में परेशानी और कमजोरी का कारण बन सकता है।
पेट
अक्सर इसके कोई खास लक्षण सामने नहीं आते हैं। पेट और भोजन नली की नसों में थक्का बनने से कट लग सकता है, जिससे ब्लड निकल सकता है। ये आपको बहुत ज्यादा परेशान कर सकता है। आपको खून की उल्टी हो सकती है या फिर आपको मलत्याग में कालापन और बहुत ज्यादा बदबू आ सकती है।
किडनी
खून के थक्के किडनी में आमतौर पर बहुत धीरे-धीरे बढ़ते हैं और ये समस्या ज्यादातर व्यस्कों में देखने को मिलती है। इसके लक्षणों का पता आपको तब तक नहीं लगता है जब तक इसका एक टुकड़ा टूटकर आपके फेफड़ों में नहीं फंस जाता है। दुर्लभ मामलों में ये बच्चों में होते हैं और इसके कारण बच्चों तो मतली, बुखार और उल्टी हो सकती है। आपको पेशाब में भी खून दिखाई दे सकता है।
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23.10.21

ब्लड प्लेटलेट्स बढ़ाने के घरेलू उपाय,increase blood platelets





डेंगू का संक्रमण होने पर रोगी के प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगते हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति में सामान्य रूप से ब्लड में एक लाख पचास हजार से 4 लाख पचास हजार प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर होते हैं। जब इनकी संख्या एक लाख पचास हजार से कम होती है तो ऐसा माना जाता है कि संबंधित व्यक्ति में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो गई है। डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों में प्लेटलेट्स की संख्या बड़ी तेजी से घटती है। ऐसे में अगर इनके कम होने को नियंत्रित न किया जाए तो स्थित गंभीर हो सकती है। प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में कुछ आहार आपकी मदद कर सकते हैं। ये प्राकृतिक रूप से प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में मददगार होते हैं।

बुखार आने पर क्या करें


इसका उपाय एक ही है, ऐसी स्थिति में बुखार के समय मरीजों को उनका प्लेटलेट काउंट समय-समय पर चैक करवाते रहना चाहिए। जिससे आप अपने प्लेटलेट्स को कम होने से रोक सकें। इसके साथ-साथ आपको अपने आहार में प्लेटलेट्स बढ़ाने वाले पौष्टिक आहार को शामिल करना चाहिए।

क्‍या हैं प्लेटलेट्स

प्लेटलेट्स छोटी रक्त कोशिकाएं होती हैं, जो खासतौर पर बोनमैरो में पाई जाती हैं। हमारे शरीर में प्लेटलेट्स की कमी इस बात को दिखाती है कि खून में बीमारियों से लड़ने की ताकत कम हो रही है। प्लेटलेट्स कम होने की इस स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहा जाता है।

एक स्वस्थ व्यक्ति में प्लेटलेट्स की संख्या कितनी होनी चाहिए?

एक स्वस्थ व्यक्ति में सामान्य प्लेटलेट काउंट 150 हजार से 450 हजार प्रति माइक्रोलीटर होता है। जब ये काउंट 150 हजार प्रति माइक्रोलीटर से नीचे चला जाता है, तो इसे लो प्लेटलेट माना जाता है।

प्लेटलेट्स कम होने का कारण


दवाओं के सेवन से
आनुवंशिक रोगों
कुछ प्रकार के कैंसर
कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट
बुखार जैसे डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया

चुकंदर –

चुकंदर प्राकृतिक एंटीऑक्‍सीडेंट और हेमोस्टैटिक गुणों से भरपूर होता है। अगर दो से तीन चम्मच चुकंदर के रस को एक गिलास गाजर के रस में मिलाकर पिया जाये तो ब्लड प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ते हैं। साथ ही साथ इसमें मौजूद एंटी-ऑक्‍सीडेंट्स शरीर की प्रतिरोधी क्षमता भी बढ़ाते हैं।

पपीता – 

पपीते के फल और पत्तियां दोनों ही प्‍लेटलेट्स बढ़ाने में मददगार हैं। डेंगू बुखार में गिरने वाले प्‍लेटलेट्स को पपीता के पत्ते के रस के सेवन से तेजी से बढ़ाया जा सकता है। आप चाहें तो पपीते की पत्तियों को चाय की तरह भी पानी में उबालकर पी सकते हैं।

आंवला

ये एक आयुर्वेदिक उपचार है। आंवले में मौजूद विटामिन-सी शरीर में प्लेटलेट्स का उत्पादन बढ़ाता है, इससे शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है। इसका नियमित सेवन करना बेहद जरूरी है। इसके लिए हर दिन सुबह खाली पेट 3 से 4 आंवला खाएं। आप इसका सेवन चुकंदर के जूस में डालकर भी कर सकती हैं।

पालक –

दो कप पानी में 4 से 5 ताजा पालक के पत्तों को डालकर कुछ मिनट के लिए उबाल लें। इसे ठंडा होने के लिए रख दें। फिर इसमें आधा गिलास टमाटर मिला दें। इसे मिश्रण को दिन में तीन बार पिएं।

गिलोय –

 गिलोय का जूस प्‍लेटलेट्स को बढ़ाने का सर्वोत्तम उपाय है। इससे आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। दो चुटकी गिलोय के सत्व को एक चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार लें या फिर गिलोय की डंडी को रात भर पानी में भिगो कर सुबह उसका छना हुआ पानी पी लें। ब्‍लड में प्‍लेटलेट्स बढ़ने लगेंगे।
इसके अलावा आप पालक का सेवन सूप, सलाद, स्‍मूदी या सब्‍जी के रूप में भी कर सकते हैं।

नारियल पानी – 

नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स अच्छी मात्रा में होते हैं। इसके अलावा यह मिनिरल्स का भी अच्छा स्रोत है जो शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं।
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20.10.21

तिल्ली बढ़ जाने पर आयुर्वेदिक उपाय :tilli badhne ke upay


   


 प्लीहा को हिंदी में “तिल्ली” भी कहा जाता है, और अंग्रेजी में इसे “स्प्लीन” (spleen) कहा जाता है। यह हमारे बॉडी का महत्वपूर्ण अंग हैं, इसके तीन मुख्य काम हैं। लाल रक्त कोशिकाओं की गुणवत्ता बनाए रखना, खराब रक्त कोशिकाएं नष्ट करना व बैक्टीरिया आदि से लडऩे के लिए एंटीबॉडी बनाना। रोग से ग्रस्त होने पर तिल्ली इम्यूनिटी भी बढ़ाती है। लेकिन सामान्य से बड़ा होने पर खतरा भी हो सकती हैं। यह इन्फेक्शन, लिवर की बीमारी और कुछ प्रकार के कैंसर जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं से स्प्लीन बढ़ने की समस्या हो सकती है जिसे “स्प्लेनोमेगली” (splenomegaly) भी कहा जाता है।

तिल्ली पेट की सभी ग्रंथियों में बड़ी और नलिकारहित है इसका स्वरूप अंडाकार तथा लम्बाई लगभग तीन से पांच इंच होती है। यह पेट के निचले भाग में पीछे बाईं ओर स्थित होती है। तिल्ली शरीर के कोमल और भुर-भुरे 
ऊतकों का समूह है। यह मनुष्य के शरीर का एक बहुत ही खास अंग है जिसका हर समय स्वस्थ रहना बहुत जरूरी होता है।
 तिल्ली (Spleen) पेट के निचले भाग में पीछे बाईं ओर स्थित होती है | यह पेट की सभी ग्रंथियों में बड़ी और नलिकारहित है | इसका स्वरूप अंडाकार तथा लम्बाई लगभग तीन से पांच इंच होती है | तिल्ली शरीर के कोमल और भुरभुरे ऊतकों का समूह है | इसका रंग लाल होता है |
तिल्ली का मुख्य रोग इसका आकार बढ़ जाना है | विशेष रूप से टॉयफाइड और मलेरिया आदि बुखारों में इसके बढ़ जाने का भय रहता है |
शुरू में इस रोग का उपचार करना आसान होता है, परंतु बाद में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह 
रोग मनुष्य को बेचैनी एवं कष्ट प्रदान करता है। तिल्ली में वृद्धि (स्प्लेनोमेगाली) होने से पेट के विकार, खून में कमी तथा धातुक्षय की शिकायत शुरू हो जाती है।
इस रोग की उत्पत्ति मलेरिया के कारण होती है। मलेरिया रोग में शरीर के रक्तकणों की अत्यधिक हानि होने से तिल्ली पर अधिक जोर पड़ता है। ऐसी स्थिति में जब रक्तकण तिल्ली में एकत्र होते हैं तो तिल्ली बढ़ जाती है।तिल्ली वृद्धि में स्पर्श से उक्त भाग ठोस और उभरा हुआ दिखाई देता है।
इसमें पीड़ा नहीं होती, परंतु यथा समय उपचार न करने पर आमाशय प्रभावित हो जाता है। ऐसे में पेट फूलने लगता है। इसके साथ ही हल्का ज्वर, खांसी, अरुचि, पेट में कब्ज, वायु प्रकोप, अग्निमांद्य, रक्ताल्पता और धातुक्षय आदि विकार उत्पन्न होने लगते हैं। अधिक लापरवाही से इस रोग के साथ-साथ जलोदर भी हो जाता है।

तिल्ली की खराबी में अजवायन और सेंधा नमक : 

 अजवायन का चूर्ण दो ग्राम, सेंधा नमक आधा ग्राम मिलाकर (अथवा अजवायन का चूर्ण अकेला ही) दोनों समय भोजन के पश्चात गर्म पानी के साथ लेने से प्लीहा (तिल्ली spleen) की विकृति दूर होती है।
इससे उदर-शूल बंद होता है। पाचन समय भोजन क्रिया ठीक होती है। कृमिजन्य सभी विकार तथा अजीर्णादि रोग दो-तीन दिन में ही दूर हो जाते है। पतले दस्त होते है तो वे भी बंद हो जाते है। जुकाम में भी लाभ होता है।

तिल्ली अथवा जिगर या फिर तिल्ली और जिगर दोनों के बढ़ने पर :

  पुराना गुड डेढ़ ग्राम और बड़ी पीली हरड़ के छिलके का चूर्ण बराबर वजन मिलाकर एक गोली बनाये और ऐसी दिन में दो बार प्रात: सायं हल्के गर्म पानी के साथ एक महीने तक ले। इससे यकृत और प्लीहा यदि दोनों ही बढे हुए हो, तो भी ठीक हो जाते है। इस प्रयोग को तीन दिन तक प्रयोग करने से अम्लपित्त का भी नाश होता हैं।

प्लीहा वृद्धि (बढ़ी हुई तिल्ली) :

अपराजिता की जड़ बहुत दस्तावर है। इसकी जड़ को दूसरी दस्तावर और मूत्रजनक औषधियों के साथ देने से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक हो जाती है|

अन्य घरेलु उपयोग :

गिलोय के दो चम्मच रस में 3 ग्राम छोटी पीपल का चूर्ण और एक-दो चम्मच शहद मिलाकर चाटने से तिल्ली का विकार दूर होता है।
बड़ी हरड़, सेंधा नमक और पीपल का चूर्ण पुराने गुड़ के साथ खाने से तिल्ली में आराम होता है।

त्रिफला, सोंठ, 

*कालीमिर्च, पीपल, सहिजन की छाल, दारुहल्दी, कुटकी, गिलोय एवं पुनर्नवा के समभाग का काढ़ा बनाकर पी जाएं।
*1/2 ग्राम नौसादर को गरम पानी के साथ सुबह के वक्त लेने से रोगी को शीघ्र लाभ होता है।
*दो अंजीर को जामुन के सिरके में डुबोकर नित्य प्रात:काल खाएं| तिल्ली का रोग ठीक हो जाएगा। 
* कच्चे बथुए का रस निकालकर अथवा बथुए को उबालकर उसका पानी पीने से तिल्ली ठीक हो जाती है | इसमें स्वादानुसार नमक भी मिला सकते हैं |
* आम का रस भी तिल्ली की सूजन और उसके घाव को ठीक करता है | 70 ग्राम आम के रस में 15 ग्राम शहद मिलाकर, प्रात:काल सेवन करते रहने से दो-तीन सप्ताह में तिल्ली ठीक हो जाती है | निरंतर इसका प्रयोग करते समय खटाई से बचे |
*. पेट पर लगातार एक माह तक चिकनी गीली मिट्टी लगाते रहने से भी तिल्ली रोग में लाभ होता है |
*. तिल्ली के विकार में नियमित रूप से पपीते का सेवन लाभदायक है |
* गाजर में राई आदि मिलाकर बनाया गया अचार खिलाने से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक हो जाती है |
* 25 ग्राम करेले के रस में थोड़ा सा पानी मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक हो जाती है |
* लम्बे बैंगनों की सब्जी नियमित खाने से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक होती है |
*पहाड़ी नीबू दो भागों में काटकर उसमें थोड़ा काला नमक मिश्रित कर हीटर या अंगीठी की आंच पर हल्का गर्म करके चूसने से लाभ होता है |
* छोटे कागजी नीबू को चार भागों में काट लें | एक भाग में काली मिर्च, दूसरे भाग में काला नमक, तीसरे में सोंठ और चौथे हिस्से में मिश्री अथवा चीनी भर दें | रातभर के लिए ढककर रखें | प्रातःकाल जलपान से एक घंटा पहले, हल्की आंच पर गरम करके चूसने से लाभ होता है |
*. तिल्ली के विकार में नियमित रूप से पपीते का सेवन लाभदायक है |
*सेंधा नमक और अजवायन ( Rock Salt and Parsley ) : आप प्रतिदिन 2 ग्राम अजवायन में ½ ग्राम सेंधा नमक मिलाएं और उन्हें अच्छी तरह पीसकर पाउडर तैयार करें. इस पाउडर को आप गर्म पानी के साथ लें आपको तिल्ली की वृद्धि में अवश्य लाभ मिलेगा. 


*त्रिफला और काली मिर्च ( Triphala and Black Pepper ) :

 आपको एक काढ़ा तैयार करना है जिसके लिए आपको कुछ जरूरी सामग्री की आवश्यकता पड़ेगी जो इस प्रकार है. आप सौंठ, दारुहल्दी, गियोल, सहिजन की छल, पीपल, त्रिफला, काली मिर्च और पुनर्नवा. इस सामग्री के मिश्रण से आप एक काढ़ा तैयार कर लें और उसे पी जायें. शीघ्र ही आपको प्लीहा रोग से मुक्ति मिलेगी.

गिलोय और शहद : 


3 ग्राम पीपल लेकर उसका पाउडर बना लें और उसमे 2 चम्मच गियोल के रस के मिलाएं. इसके ऊपर से आप 2 चम्मच शहद के भी डाल लें और इस मिश्रण को चाटें. इससे भी आपको तिल्ली विकार से आराम मिलता है.

विशिष्ट परामर्श-



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    19.10.21

    फेफड़ों में पानी भर जाने(pleural effusion ) के कारण लक्षण और घरेलू उपचार:fefadon me pani ke upchar



     



    छाती के अन्दर फेफड़े के चारों ओर पानी के जमाव को मेडिकल भाषा में 'प्ल्यूरल इफ्यूजन' या 'हाइड्रोथोरेक्स' कहते हैं। जब लिम्फ नामक के लिक्विड पदार्थ का जमाव होता है तो इसे 'काइलोथोरेक्स' कहते हैं। लंग्स के ऊपरी भाग से रिसते पानी को सोखने की क्षमता होती है। इस वजह से पानी रिसने सोखने के बीच एक बैलेंस बना रहता है। पर जब कभी फेफड़े के ऊपरी भाग में पानी की अधिक मात्रा हो जाती है तो यह बैलेंस बिगड़ जाता है। जिसके कारण फेफड़ों के चारों ओर पानी इकट्ठा हो जाता है।

    फेफड़ों के चारों ओर पानी जमा होने के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें सबसे बड़ा कारण टीबी माना जाता है। टीबी इंफेक्शन के इस पानी को अगगर समय रहते नहीं रोका गया तो यह आपके लंग्स को डैमेज कर सकते हैं। टीबी के अलावा निमोनिया के कारण भी इस समस्या का सामना करना पड़ता है।
    क्या आपको सांस लेने में परेशानी हो रही है या आपकी छाती में तेज दर्द होता है या आपको खांसी के साथ खून आता है, तो ये सभी लक्षण पल्मोनरी एडिमा के हो सकते हैं। इस बीमारी में फेफड़ों के अंदर अतिरिक्त पानी इकट्ठा हो जाता है जिससे फेफड़ों में सूजन पैदा हो जाती है। ऐसे में रोगी को साँस लेने में परिशानी होती है। फेफड़ों में पानी कई कारणों से एकत्र हो जाता है। जैसे कई बार छाती में सामान्य सी चोट लगने से भी निमेनिया से, कुछ टॉक्सिन या दवाईयों के संपर्क में आने से या कई बार तो गलत व्यायाम करने से भी फेफड़ों में पानी भर जाता है। वहीं फेफड़ों में पानी भरने के अलावा पल्मोनरी एडिमा बहुत से मामलों में, हृदय में किसी भी प्रकार की समस्या के कारण हो जाता है। अगर आपको पल्मोनरी एडिमा की शिकायत है औऱ आप बहुत अधिक ऊंचाई पर रहते हैं तो आपकी बीमारी की गंभीरता बढ़ सकती है।

    इन कारणों से होता है पल्मोनरी एडिमा


    सबसे पहले हम आपको बता दें कि छाती में सामान्य-सी चोट लगने, निमेनिया, कुछ टॉक्सिन, दवाईयों के सेवन, गलत व्यायाम से फेफड़ों में पानी भर जाता है। इसके अलावा और भी कई कारण है जो इस बीमारी का कारण बन सकता है जैसे...
    -ड्रग्स जैसे- हेरोइन और कोकीन लेने से
    -ऊंचाई पर जाने से भी यह समस्या हो सकती है।
    -वायरल इंफेक्शन जैसे हन्टावायरस और डेंगू के कारण
    -फेफड़ों में चोट लगने के कारण
    पल्मोनरी एडिमा के कारण होती हैं ये समस्याएं
    -हाथ-पैरों के निचले भागों और पेट में सूजन
    -फेफड़ों के चारों तरह की झिल्लियों में लिक्विड भर जाना
    -लिवर में असामान्य तरीके से सूजन
    -खून का असाधारण जमाव होना
    पल्मोनरी एडिमा में दिखते हैं ये लक्षण...
    -सांस लेने में तकलीफ और बलगम में खून आना
    -सीने में दर्द और अचानक ही बहुत तेजी से सांस लेना
    -सांस लेने पर घरघराहट की आवाज आना।
    -हल्का काम करने में तुरंत हांफ जाना।
    -बहुत ज्यादा पसीना आना।
    -त्वचा का रंग नीला या हल्का भूरा होना।
    -ब्लड प्रेशर कम होना और चक्कर आना।
    -कमजोरी महसूस होना।

    फेफड़ों में पानी भरने के
    नुस्खे

    1) नमक का सेवन कम करना क्योंकि आपके शरीर मे नमक का ज्यादा लेना
    आपके शरीर में अधिक तरल पदार्थ बनने लगता है उसके लिए खाने में नमक का सेवन कम करने की कोशिश करें
    उसकी जगह नींबू, काली मिर्च, लहसुन या अन्य कोई जड़ी बूटियों का सेवन करें ।
    2) तुलसी और लहसुन का सेवन करना तुलसी एक सबसे प्राकृतिक जड़ी बूटी है
    जिसके एवं रोज खाली पेट करने से रोगों से छुटकारा मिलता है साथ ही लहसुन का इसमें लगा फायदा है
    जो फेफड़ो को मजबूत बनाता है यदि तुलसी का रस थोड़ा सा निकाल कर और
    लहसुन का रस निकालकर सही मात्रा में लेने से रोजाना सुबह खाली पेट लेने से इस समस्या का निजात मिल सकता है।
    3 ) जैतून का नमक आप यही सोच रहे है कि जैतून का तो तेल होता है
    लेकिन जैतून का नमक भी बहुत फायदेमंद होता है जैतून के नमक से अपच, गैस्ट्रिक से संबंधित या
    फिर पेट मे दर्द जैसी बीमारी को भी दूर करता है।
    रोजाना आधा ग्राम जैतून का नमक और साथ मे गर्म पानी लें इससे आपको आराम मिल सकता है।
    4) स्मोकिंग से और शराब से दूर रहें क्योंकि आधे से ज्यादा परेशानी इन दो चीजों से होती है
    इसकी वजह से उनके कण फेफड़ों तक आ जाते हों और पानी भरने लगता है।
    5) प्रणायाम को सही तरह से आराम से करें जल्द बाजी में यह व्यायाम ना करें अगर हो सकें
    तो किसी से सीख कर ही प्रणायाम करें साथ ही खान पान का सेवन सही उचित मात्रा में लें और
    पौष्टिक लें ज्यादा तला हुआ खाना भी हानिकारक हो सकता है।

    इन तरीकों से बचें


    पल्मोनरी एडिमा के इलाज के दौरान चिकित्सकीय सेवा लेने के अलावा जीवनशैली में भी डॉक्टर बदलाव करने की सलाह देते हैं- रोगी को निम्नलिखित बदलाव की सलाह दे सकते हैं-

    रक्तचाप पर रखें नियंत्रण


    यदि मरीज को उच्च रक्तचाप की समस्या है तो पल्मोनरी एडिमा होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में डॉक्टर से संपर्क कर और रक्तचाप कम करने वाली दवाइयों का सेवन करें।

    ग्लूकोज नियंत्रण में रखें

    यदि मरीज को डायबिटीज जैसी बीमारी है तो ग्लूकोज़ लेवल को नियंत्रण में रखें। अन्य दूसरी तरह की बीमारियों में ऐसी चीजें करने से बचें, जिससे आपकी दशा खराब हो सकती है। ऊंचाई पर जाने से या किसी भी तरह की चीज की एलर्जी से बचें जिससे साँस की तकलीफ बढ़ सकती है। फेफड़ों को किसी भी तरह का नुकसान मत पहुंचाइए।
    धूम्रपान न करे- धूम्रपान करने से पल्मोनरी एडिमा की सम्भावना बढ़ जाती है क्योंकि ध्रुमपान से सबसे ज्यादा नुकसान फेफड़ों को ही होता है। यदि पहले से किसी व्यक्ति को फेफड़ों की समस्या है तो उसकी स्थिति और गंभीर हो सकती है। इसलिए धूम्रपान जितना जल्दी हो सके छोड़ दें।
    स्वस्थ आहार लें - खान-पान पर ध्यान दें और स्वस्थ आहार लें। इसके अलावा खूब सारे फल खाएं और अफने खाने में सब्जियों और सम्पूर्ण आनाज को शामिल करें।

    वजन नियंत्रण में रखें -



    स्वास्थ्य की सबसे जरूरी पहचान हेल्दी वजन से होती है। वजन हमेशा नियंत्रण में रखें और रोजाना कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें। यदि आप व्यायाम नहीं करना चाहते हैं तो रोज आधे घंटे टहल लें।

    कैसे करें बचाव?

    डॉक्टरी इलाज के साथ-साथ आप कुछ टिप्स अपना इस बीमारी को दूर भगा सकते हैं जैसे...

    ब्लड प्रेशर कंट्रोल करें

    हाई ब्लड प्रेशर के कारण इसका खतरा बढ़ जाता है इसलिए रक्तचाप पर कंट्रोल करें। इसके लिए आप दवाइयों के साथ घरेलू नुस्खे भी अपना सकते हैं।

    फेफड़ो का पानी हटाने के लिए आयुर्वेदिक उपाय

    रोजाना स्वाहारि और पंचकोल का काढ़ा पिएं।
    स्वाहारी प्रवाही, स्वाहारि वटी या स्वाहारि गोल्ड की 1-1 गोली सुबह-दोपहर और शाम को खाएं।
    दूध में हल्दी और शीलाजीत डालकर पिएं।
    खाने के बाद लक्ष्मी विलास और संजीवनी वटी का सेवन करें।
    दिनभर दिव्यपेय का ही पानी पिएं। इसके लिए 1 लीटर पानी में 4 चम्मच दिव्य पे डाले।
    ठंडा दूध या पानी बिल्कुल भी ना पिएं।
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    खिसकी हुई नाभि को सही जगह पर लाने के उपाय

    घबराहट दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय

    खून में कोलेस्ट्रोल कम करने के असरदार उपाय

    दस जड़ी बूटियाँ से सेहत की समस्याओं के समाधान

    अर्जुनारिष्ट के फायदे और उपयोग

    सरसों का तेल है सबसे सेहतमंद

    बढ़ती उम्र मे आँखों की सावधानी और उपाय

    जल्दी जल्दी खाना खाने से वजन बढ़ता है और होती हैं ये बीमारियां

    इमली की पतियों से बढ़ता है ब्रेस्ट मिल्क

    जीरा के ये फायदे जानते हैं आप ?

    शरीर को विषैले पदार्थ से मुक्त करने का सुपर ड्रिंक

    सड़े गले घाव ,कोथ ,गैंगरीन GANGRENE के होम्योपैथिक उपचार

    अस्थि भंग (हड्डी टूटना)के प्रकार और उपचार

    पेट के रोगों की अनमोल औषधि (उदरामृत योग )

    सायनस ,नाक की हड्डी बढ़ने के उपचार

    किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि

    किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

    प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

    सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

    सायटिका रोग की रामबाण हर्बल औषधि

    छाती मे दर्द (chest pain) के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार

     


    जब भी किसी को अचानक सीने में दर्द होता, तो उसे हार्ट अटैक का डर सताने लगता है। यकीनन, कभी-कभी यह चिंता का विषय हो सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि हर बार छाती में दर्द होना हर्ट अटैक ही हो। यह सामान्य दर्द भी हो सकता है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर चेस्ट पेन किन-किन कारणों से होता है और इसका इलाज क्या है।
     सीने में दर्द की बात आते ही हम दिल के दौरे की बात सोचने लगते हैं, मगर सीने में दर्द कई कारणों से हो सकता है। फेफड़े, मांसपेशियाँ, पसली, या नसों में भी कोई समस्या उत्पन्न होने पर सीने में दर्द होता है।सीने में हार्ट यानी हृदय के अलावा भी कई अंग हैं जैसे- फेफड़े, आहार नली आदि। इसलिए जरूरी नहीं है कि सीने में उठने वाला दर्द हमेशा हार्ट अटैक ही हो। कई बार ये दूसरी किसी बीमारी का भी संकेत हो सकता है।
     किसी-किसी परिस्थिति में यह दर्द भयानक रूप धारण कर लेता है जो मृत्यु तक का कारण बन जाता है। लेकिन एक बात ध्यान में रखें कि खुद ही रोग की पहचान न करें और सीने में दर्द को नजरअंदाज न करें, तुरन्त चिकित्सक के पास जायें।

    कारण

    पेप्टिक अल्सर

    आमतौर पर, पेट की परत में घाव को ही पेप्टिक अल्सर कहा जाता है। हालांकि इससे तीव्र दर्द नहीं होता लेकिन फिर भी यह छाती में दर्द पैदा कर सकते हैं। दरअसल, पेट में अल्सर और गैस्टिक जब ऊपर छाती की तरफ जाती है तो इससे छाती में दर्द होता है। इससे निजात पाने के लिए दवाइयों का सहारा लिया जा सकता है।

    एसोफैगल सकुंचन विकार

    एसोफैगल संकुचन विकार वास्तव में भोजन नली में ऐंठन या सूजन को कहा जाता है। इन विकारों के चलते भी व्यक्ति को सीने में दर्द होता है। एसोफैगसे वह नली है जो गले से पेट तक जाती है। एसोफैगस जहां पेट से जुड़ती है, वहां पर इसकी परत की एक अलग प्रकार की कोशिकीय बनावट होती है और उसमें विभिन्न केमिकल्स का रिसाव करने वाली अन्य कई तरह की संरचनाएं होती हैं। कभी−कभी जब इनमें समस्या होती है तो व्यक्ति को छाती में दर्द का अनुभव होता है।

    निमोनिया

    निमोनिया जैसे फेफड़ों के संक्रमण से सीने में तेज दर्द होता है। निमोनिया होने पर व्यक्ति को सीने में दर्द तो होता है ही, साथ ही बुखार, ठंड लगना और बलगम वाली खांसी की शिकायत भी होती है।

    अस्थमा

    सर्दी का मौसम अस्थमा रोगियों के लिए तकलीफदेह माना जाता है क्योंकि इस मौसम में उनकी समस्या बढ़ जाती है। इतना ही नहीं, अस्थमा के चलते सीने में दर्द की शिकायत का भी व्यक्ति को सामना करना पड़ सकता है। अगर आपको सीने में दर्द के साथ−साथ सांस लेने में तकलीफ, खांसी, आवाज में घरघराहट हो तो यह अस्थमा के कारण हो सकता है।

    फेफड़ों में परेशानी

    जब फेफड़ों और पसलियों के बीच की जगह में हवा बनती है तो फेफड़ों में समस्या उत्पन्न होती है और जिससे सांस लेते समय अचानक सीने में दर्द होने लगता है। इतना ही नहीं, इस स्थिति में व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ, थकान व हृदय गति के बढ़ने का भी अनुभव होगा।

    मांसपेशियों में खिंचाव

    हर बार छाती में दर्द का संबंध हृदय से नहीं जुड़ा होता। कई बार मांसपेशियों में सूजन व पसलियों के आसपास टेंडन्स के कारण भी सीने में दर्द की समस्या हो सकती है। वहीं अगर यह दर्द काफी हद तक बढ़ जाए तो यह मांसपेशियों में खिंचाव का भी लक्षण हो सकता है।

    पसली का चोटिल होना

    पसलियों में चोट जैसे खरोंच आना, टूटना या फिर फ्रैक्चर होने पर भी व्यक्ति छाती में दर्द का अनुभव करता है। दरअसल, जब व्यक्ति की पसली चोटिल होती है तो उसके कारण व्यक्ति को असहनीय दर्द व पीड़ा का अनुभव होता है और कभी−कभी इससे छाती में भी दर्द होता है।जब धमनियों में रक्त का थक्का जमने लगता है तब साँस लेने में मुश्किल होने लगती है और सीने में दर्द शुरू हो जाता है। अगर परिस्थिति को संभाला नहीं गया तो मृत्यु तक हो सकती है। एनजाइना का दर्द साधारणतः आनुवंशिकता के कारण, मधुमेह, हाई कोलेस्ट्रॉल, पहले से हृदय संबंधित रोग से ग्रस्त होने के कारण होता है।

    उच्च रक्तचाप: 

    जो धमनियाँ रक्त को फेफड़ों तक ले जाती है उसमें जब रक्त का चाप बढ़ जाता है तब सीने में दर्द होता है।

    दिल संबंधी कारण

    हार्ट अटैक।
    ह्रदय की रक्त वाहिकाओं के अवरुद्ध होने पर एनजाइना।
    पेरिकार्डिटिस, जो आपके ह्रदय के पास एक थैली में सूजन आने के कारण होता है।
    मायोकार्डिटिस, जो हृदय की मांसपेशियों में सूजन के कारण होता है।
    कार्डियोमायोपैथी, हृदय की मांसपेशी का एक रोग।
    एऑर्टिक डाइसेक्शन, जो महाधमनी में छेद होने के कारण होता है।
    फेफड़े संबंधी कारण
    ब्रोंकाइटिस
    निमोनिया
    प्लूरिसी
    न्यूमोथोरैक्स, जो फेफड़ों से हवा का रिसाव के कारण छाती में होता है।
    पल्मोनरी एम्बोलिज्म या फिर रक्त का थक्का
    ब्रोन्कोस्पाज्म या आपके वायु मार्ग में अवरोध (यह अस्थमा से पीड़ित लोगों में आम है)
    मांसपेशी या हड्डी संबंधी कारण
    घायल या टूटी हुई पसली
    थकावट के कारण मांसपेशियों में दर्द या फिर दर्द सिंड्रोम
    फ्रैक्चर के कारण आपकी नसों पर दबाव

    अन्य कारण

    दाद जैसी चिकित्सीय स्थिति
    पेन अटैक, जिससे तेज डर लगता है।
    हृदय संबंधी लक्षण
    सीने में जकड़न और दबाव
    जबड़े, पीठ या हाथ में दर्द
    थकान और कमजोरी
    सिर चकराना
    पेट में दर्द
    थकावट के दौरान दर्द
    सांस लेने में तकलीफ
    जी मिचलाना
    अन्य लक्षण
    मुंह में अम्लीय/खट्टा स्वाद
    निगलने या खाने पर दर्द
    निगलने में कठिनाई
    शरीर की मुद्रा बदलने पर ज्यादा दर्द होना या ठीक महसूस करना
    गहरी सांस लेने या खांसने पर दर्द
    बुखार और ठंड लगना
    घबराहट या चिंता
    छाती में दर्द होने पर सिर्फ आपको तकलीफ होती है, बल्कि आपको रोजाना के काम करने में भी कठिनाई हो सकती है। इसलिए, जरूरी है कि इसका सही समय पर इलाज करा लिया जाए। नीचे हम चेस्ट पेन से राहत दिलाने के लिए  घरेलू उपाय बता रहे हैं।

    लहसुन

    एक चम्मच लहसुन का रस
    एक कप गुनगुना पानी
    एक कप गुनगुने पानी में एक चम्मच लहसुन का रस डालें।
    इसे अच्छी तरह मिलाएं और रोजाना पिएं।
    आप रोज सुबह लहसुन के दो टुकड़े चबा भी सकते हैं।
    इस प्रक्रिया को दिन में एक या दो बार दोहराएं।
    हृदय में रक्त प्रवाह बिगड़ने के कारण हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती है। इस कारण सीने में दर्द का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, रोजाना लहसुन का इस्तेमाल सीने में दर्द से बचाता है। लहसुन हृदय में रक्त प्रवाह को दुरुस्त कर हृदय रोग से बचाता है । छाती में दर्द के उपाय में यह बेहतरीन नुस्खा है।

    लाल मिर्च -

    सामग्री :
    एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर
    किसी भी फल का एक गिलास जूस
    क्या करें?
    फल के एक गिलास जूस में एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर मिलाएं।
    इस जूस को पी लें।
    आप इस जूस को दिन में एक बार पिएं।
    इस मिर्च में कैप्सैसिन होता है, जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है। यह आपके सीने में दर्द की तीव्रता को कम करने में मदद करता है । यह हृदय में रक्त के प्रवाह को दुरुस्त करने में भी मदद करता है, जिससे हृदय रोगों को रोका जा सकता है।
    एलोवेरा
    सामग्री :
    ¼ कप एलोवेरा जूस
    क्या करें?
    एलोवेरा जूस को पी लें।
    ऐसा कब-कब करें?
    आप दिन में एक से दो बार एलोवेरा जूस पिएं।
    एलोवेरा एक चमत्कारी पौधा है, जो कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यह आपके कार्डियोवस्कुलर सिस्टम को मजबूत करने, अच्छे कोलेस्ट्रॉल को नियमित करने, आपके ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने और रक्तचाप को कम करने में भी मदद कर सकता है। ये सभी छाती के दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं।

    तुलसी के पत्ते

    सामग्री :
    आठ से दस तुलसी के पत्ते
    क्या करें?
    तुलसी के पत्तों को चबा लें।
    इसके अलावा, आप तुलसी की चाय भी पी सकते हैं।
    आप तुलसी के पत्तों का रस निकालकर इसमें शहद मिलाकर खा सकते हैं।
    बेहतर परिणाम के लिए आप रोजाना इसका सेवन करें
    तुलसी में प्रचुर मात्रा में विटामिन-के और मैग्नीशियम होता है। सफेद मैग्नीशियम हृदय तक रक्त प्रवाह को दुरुस्त करता है और रक्त वाहिकाओं को आराम देता है। वहीं, विटामिन-के रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर कोलेस्ट्रॉल के निर्माण को रोकता है। यह हृदय संबंधी विकारों के साथ-साथ सीने में दर्द के उपचार में मदद करता है।

    सेब का सिरका

    सामग्री :
    एक चम्मच सेब का सिरका
    एक गिलास पानी
    क्या करें?
    एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका डालकर अच्छी तरह मिला लें।
    फिर इस पानी को पी लें।
    ऐसा कब-कब करें?
    आप खाना खाने से पहले या जब भी चेस्ट पेन हो, तो इस मिश्रण को पिएं।
    सेब के सिरके में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो हार्टबर्न और एसिड रिफ्लक्स से राहत दिलाने में मदद करता है। इन्हीं के कारण सीने में दर्द की शिकायत होने लगती है । छाती में दर्द के उपाय में यह जाना-माना उपचार माना जाता है।

    मेथी के दाने

    एक चम्मच मेथी के दाने
    क्या करें?
    एक रात पहले मेथी दानों को पानी में भिगोकर रख दें और अगली सुबह इन्हें खाएं।
    इसके अलावा, आप एक चम्मच मेथी दानों को पांच मिनट के लिए पानी में उबाल लें। फिर इस पानी को छानकर पिएं।
    ऐसा कब-कब करें?
    आप इस पानी को दिन में एक से दो बार पिएं।
    यह कैसे काम करता है?
    मेथी के बीज में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ाते हैं और सीने में दर्द को रोकते हैं (। हृदय में रक्त के प्रवाह को बढ़ावा देते हैं और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं।

    बादाम

    सामग्री :
    मुट्ठी भर बादाम
    क्या करें?
    कुछ घंटों के लिए बादाम को पानी में भिगो दें।
    फिर इसके छिल्के हटाकर बादाम खा लें।
    आप तुरंत राहत के लिए बादाम के तेल और गुलाब के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर अपने सीने पर लगा सकते हैं।
    ऐसा कब-कब करें?
    आप ऐसा रोजाना करें।
    यह कैसे काम करता है?
    बादाम पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड का समृद्ध स्रोत है। यह न केवल हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, बल्कि कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मदद करता है । यह हृदय रोग और सीने में दर्द के उपचार में मदद कर सकता है।
    ये थे सीने में दर्द के घरेलू उपाय। आइए, अब इससे जुड़े कुछ टिप्स जान लेते हैं।

    टिप्स

    अधिक परिश्रम से बचें।
    संतुलित आहार का सेवन करें।
    शराब का सेवन सीमित करें।
    तंबाकू के सेवन से बचें।
    खुद को तनाव मुक्त रखें।
    मत्स्यासन (फिश पोज), भुजंगासन (कोबरा पोज) और धनुरासन (बो पोज) जैसे योगासनों का अभ्यास करें।
    आप एक्यूप्रेशर भी करवा सकते हैं।
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