29.12.21

नसों को मजबूत बनाने के घरेलू आयुर्वेदिक उपाय:nason ki majbooti ke nuskhe

 



नसों की कमजोरी के परिणामस्वरूप गंभीर चिकित्सकीय स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यहां तक ​​कि लंबे समय तक तनाव की स्थिति भी नसों की कमजोरी का कारण बन सकती है। नसों की कमजोरी कई रोगों का कारण बन सकती है, इसलिए समय रहते उपचार करना जरूरी है। अतः व्यक्तियों को स्वाभाविक रूप से तंत्रिका तंत्र को मजबूत रखने के लिए उचित प्रयास करने चाहिए।

किसी भी व्यक्ति में नसों की कमजोरी की समस्या अचानक या धीरे-धीरे विकसित हो सकती है। नसों की कमजोरी शरीर के सभी हिस्सों या केवल एक ही हिस्से को प्रभावित कर सकती है। उदाहरण के लिए, रीढ़ की हड्डी के क्षतिग्रस्त होने पर, केवल पैरों की नसों में कमजोरी उत्पन्न हो सकती है।
नसों की कमजोरी अनेक कारणों से उत्पन्न हो सकती है, जिनमें निम्न को शामिल किया जा सकता हैं:
तंत्रिका में सूजन
तंत्रिका कोशिकाओं पर ट्यूमर का विकास होना
नसों में विकृति उत्पन्न होना
विषाक्त पदार्थों के कारण तंत्रिका आवेग में कमी
नसों का क्षतिग्रस्त होना
अस्वास्थ्यकर आहार और जीवनशैली
तंत्रिका तंत्र या रीढ़ की हड्डी पर दवाब या संकुचित
तनाव की स्थिति, इत्यादि।

तंत्रिका की कमजोरी के लक्षण क्या होते हैं? 

नसों की कमजोरी  tantrika tantra ki kamjori  के लक्षण व्यापक रूप से प्रभावित तंत्रिका (नस) के प्रकार और स्थान के आधार पर भिन्न-भिन्न होते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण निम्न होते हैं, जैसे:
पिन और सुई जैसी चुभन या गुदगुदी की अनुभूति होना
दर्द या पीड़ा का अनुभव होना
झुनझुनी और सुन्नता
चिंता और अवसाद (depression) की भावनाएं उत्पन्न होना
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली से सम्बंधित समस्याएँ
थकान महसूस होना
देखने, सूंघने, स्वाद लेने, सुनने या स्पर्श का अनुभव करने की क्षमता में कमी
ज्ञान संबंधी समस्याएं उत्पन्न होना
मांसपेशियों की कमजोरी और मांसपेशियों को नुकसान पहुंचना
कार्यों में अनैच्छिक रूप से विचलन जैसे- चलने के दौरान हाथ पैर कांपना, इत्यादि।
कमजोर या क्षतिग्रस्त नसें विभिन्न प्रकार की चिकित्सकीय स्थितियों का भी कारण बन सकती हैं। नसों की कमजोरी tantrika tantra ki kamjori  से जुड़े रोगों के अंतर्गत निम्न को शामिल किया जा सकता है:

साइटिका  (Sciatica) – 

नर्व रूट (nerve root) पर दवाब पड़ने के कारण साइटिका की समस्या उत्पन्न हो सकती है। साइटिका Sciatica दर्द की वह स्थिति है, जिसमें दर्द पीठ के निचले हिस्से शुरू होकर नितंबों और पैरों तक फैलता है।

डायबिटिक न्यूरोपैथी (Diabetic Neuropathy) –
 

डायबिटिक न्यूरोपैथी, तंत्रिका की क्षति का एक प्रकार है, जो मधुमेह की स्थिति में उच्च रक्त शर्करा (ग्लूकोज) के कारण नसों के क्षतिग्रस्त होने का कारण बनती है।

मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis) – 

मल्टीपल स्क्लेरोसिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इस रोग में पीड़ित व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों के सुरक्षात्मक आवरण को नुकसान पहुंचती है। यह बीमारी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है।

बेल्स पाल्सी (Bell’s Palsy) –
 

इस स्थिति में चेहरे की नसों में कमजोरी, सूजन आ जाने के कारण चेहरे का एक हिस्सा लटका या मुरझाया हुआ दिखाई देता है। यह एक प्रकार से आधे चेहरे का लकवा होता है।

स्ट्रोक (Stroke) – 

ब्रेन की नसों में कमजोरी के परिणामस्वरुप स्ट्रोक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। ब्रेन में स्थिति रक्त वाहिकाओं के फट जाने से मस्तिष्क में रक्त का थक्का (Blood Clot) बनने लगता है और स्ट्रोक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

पार्किंसन रोग (Parkinson’s Disease) –
 

यह न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार (Neurodegenerative disorder) है, जो मस्तिष्क में डोपामाइन को उत्पन्न करने वाली नसों (substantia nigra) को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है। जिससे डोपामाइन का स्तर कम होने लगता है और पार्किंसन रोग से सम्बंधित लक्षण प्रगट होने लगते हैं।
अगर नसें कमजोर है,दर्द करती है। नसों को मजबूत को मजबूत बनाने के लिए पांच चीजे जरूर खाएं| जो बुरे रोगो को जड़ से खत्म करती है, आप अंजीर को सोंफ के साथ लेंगे तो नसों की कमजोरी दूर होती है, नसों में मजबूती आती है|
एलोवेरा ज्यूस पीना चाहिए।
गिलोय का ज्यूस पीना चाहिए।
शिलाजीत लेना चाहिए।
नर्व सिस्टम हमारे शरीर का सबसे जटिल हिस्सा होता है, जहां नसों का एक दूसरे से कनेक्शन होता है। अगर नसें कमजोर हो रही है या दब रही है तो बड़ा संकेत है, शरीर का वो हिस्सा अकड़ जाता है। उसे मूव करने में तकलीफ होती है व्यक्ति की यादाश्त भी घटने लगती है, चकर आने लगते है|
क्योंकि खून का प्रवाह सही तरीके से नहीं हो पाता|
नसों की कमजोरी tantrika tantra ki kamjori  से छुटकारा पाने के लिए हमें सारे तरह के विटामिन्स और मिनरल्स चाहिए|
लेकिन मुख्य विटामिन K, मैग्नीशियम, ओमेगा थ्री,फेटी एसिड युक्त चीजों को खाने से नसों की कमजोरी दूर होती है|
सेंधा नमक सूजन को कम करता है, मांसपेशियों व् नसों के बीच के संतुलन को बनाकर रखता है।
नमक में मैग्नीशियम और सल्फेड पाया जाता है|
सेंधा नमक के पानी से नहाने से भी नसों व् मांसपेशियों को मजबूती मिलती है|

नसों की कमजोरी का आयुर्वेदिक इलाज तेल मालिश

बादाम तेल या तिल के तेल की मालिश, नसों की कमजोरी को दूर करने और तंत्रिका तंत्र स्वस्थ तथा सक्रिय रखने में मदद कर सकती है। आयुर्वेदिक तेल की मालिश, नसों की कमजोरी के साथ-साथ विभिन्न बीमारियों के लिए एक प्रसिद्ध उपचार है।
बादाम या तिल  के तेल को पर्याप्त मात्रा में, लेकर इसे थोड़ा गर्म करें और शरीर की मालिश कराएं। यह उपाय प्रतिदिन स्नान से आधे घंटे पहले अपनाएँ।

नसों की कमजोरी का आयुर्वेदिक उपाय अश्वगंधा

अश्वगंधा के अनेक फायदे हैं। यह नसों की कमजोरी tantrika tantra ki kamjori  का कारण बनाने वाली समस्याओं जैसे- तनाव और चिंता से राहत प्रदान करने के लिए आवश्यक होता है। इसके साथ ही अश्वगंधा तंत्रिका (नसों) की कमजोरी के अनेक लक्षणों से भी राहत प्रदान कर सकता है। अश्वगंधा को सप्लीमेंट के रूप में ग्रहण किया जा सकता है।


नसों की कमजोरी का इलाज सेंधा नमक

एप्सम साल्ट बाथ का उपयोग नसों की कमजोरी की स्थिति का इलाज करने के साथ-साथ मांसपेशियों में दर्द और सूजन की स्थिति को दूर करने के लिए भी किया जाता है। सेंधा नमक में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण और उच्च मैग्नीशियम की मात्रा पाई जाती है, जो तंत्रिका कमजोरी के इलाज के लिए फायदेमंद है।
नहाने के पानी में एक कप सेंधा नमक मिलाकर शरीर को 15 से 20 मिनट तक भिगोएँ रखें और फिर साफ पानी से नहायें। यह उपाय हफ्ते में कम से कम तीन बार अपनाना चाहिए।

नसों की कमजोरी का प्राकृतिक इलाज धूप

सुबह-सुबह धूप सेंकना नसों की कमजोरी के इलाज का एक सबसे आसान और असरदार तरीका है। नसों की दुर्बलता अक्सर विटामिन डी की कमी से सम्बंधित होती है। चूँकि सूर्य की किरणें शरीर द्वारा विटामिन डी के अधिक उत्पादन में मदद करती हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन सुबह की धूप लेने पर विचार करना चाहिए।

वाटर थेरेपी का उपयोग

वाटर थेरेपी का उपयोग, दर्द और सूजन जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसके साथ ही यह नसों की कमजोरी के लिए एक उत्कृष्ट घरेलू उपचार है। बारी-बारी से ठंडा और गर्म पानी कमजोर या क्षतिग्रस्त नसों के कारण होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है। वाटर थेरेपी के तहत सामान्य पानी या गर्म पानी से स्नान करने के बाद ठंडे पानी से स्नान करें। इसके अतिरिक्त एक दिन गर्म स्नान और एक दिन ठंडा स्नान अपनाया जा सकता है, लेकिन स्नान समाप्त करने के बाद ठंडा पानी शरीर से डालना जरुरी है।

ग्रीन टी green tea

ग्रीन टी अनेक प्रकार के लाभ प्रदान करती है, जिसमें से एक स्वस्थ तंत्रिका तंत्र कार्यों को बढ़ावा देना प्रमुख है। ग्रीन टी में मुख्य रूप से एल थेनाइन (L-theanine) नामक यौगिक उपस्थित होता है, जो मस्तिष्क-कार्यों में सुधार करने के लिए जाना जाता है। अतः ग्रीन टी green tea  में उपस्थित ये सभी गुण अवसाद, चिंता और तनाव जैसी स्थितियों से निपटने में भी मदद करते हैं।

नसों की कमजोरी से बचने के लिए गहरी सांस लें

प्रतिदिन योग और अभ्यास करते समय गहरी सांस लेना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकता हैं। यह अभ्यास चिंता और तनाव से संबंधित विकारों से निपटने में मदद करने के साथ-साथ शरीर की प्राकृतिक उपचार क्षमता में सुधार करता है।

नर्व पेन का इलाज सामान्यतया कठिन है, और प्राय: दर्द से राहत देने वाले इलाजों से इस दर्द में कोई अंतर नहीं आता। आपको कई प्रकार के चिकित्सा पद्धतियों को आजमाने की आवश्यकता होती है, ताकि पता चल सके कि कौन सी प्रणाली आपके लिए लाभकारी है। कभी-कभी स्वयं या समय के साथ हालत में खुद-ब-खुद सुधार आ जाता है। चूंकि नर्व पेन का इलाज आसान नहीं है, इसके उपचार के मुख्य लक्ष्य हैं-
दर्द की तीव्रता कम करना
स्थायी दर्द से जूझने में आपकी सहायता करना
आपके दैनिक जीवन पर दर्द के प्रभाव कम करना
अगर किसी आंतरिक बीमारी(जैसे-डायबिटीज, ट्यूमर) के कारण दर्द हो रहा है तो इसका पता चलने पर अगर इस बीमारी का इलाज संभव है तो इलाज करना।
डायबिटीज के रोगियों में शुगर पर कड़े नियंत्रण से न्यूरॉल्जिया में लाभ होता है।
कभी-कभी ट्यूमर या किसी अन्य वजह से नर्व पर दबाव पड़ने की वजह से उसमें दर्द होता है, ऐसी स्थिति में जिस कारण से दबाव पड़ रहा है उसे सर्जरी से हटाने की जरूरत होती है।
सबसे पहले आपने अंजीर और सोंफ का सेवन करना है |
आपने रात को दो अंजीर भिगो देनी है, सुबह उसे हल्का सा मैश कर लेना है|
उसके साथ आपने आधा चमच सोंफ का पाउडर मिक्स करके खा लेना है
ये नसों की कमजोरी को दूर करता है|
नसों की कमजोरी और मांसपेशियों की तकलीफ को दूर करने के लिए आपने अलोंग विलोंग करना है|
दो चमच एलोवेरा ज्यूस, दो चमच गिलोय का का ज्यूस ले लीजिए|
इसे आधा गिलास पानी में मिक्स करके ले लीजिए|
दिन में कभी भी शिलाजीत लेना भी बहुत फायदेमंद होगा, नसों की कमजोरी को दूर करने के लिए|
नर्व सिस्टम के लिए सबसे फायदेमंद चीज है मछली, अगर आप नॉनवेजिटेरियन नहीं है|
तो आप फिश ऑयल लेकर उसकी कमी को पूरा कर सकते है|
वैसे तो हरी सब्जिया खाना बहुत फायदेमंद होती है
लेकिन हरी सब्जियों में जो पालक होती है उसका स्थान सबसे ऊपर है
क्योंकि इसमें बहुत सारा विटामिन K होता है।
विटामिन K हमारे नर्व सिस्टम को सही तरीके से चलने में मदद करता है,
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1 टिप्पणी:

Joher ने कहा…

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