18.2.20

शहद के सेहत को होने वाले लाभ,Honey benefits





आपने कई बार लोगों से सुबह गर्म पानी के साथ शहद मिलाकर पीने के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं, कि गर्म पानी में शहद डालकर पीना स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है। एक तरफ जहां शहद आपकी त्वचा में निखार लाता है, वहीं अगर नियमित रूप से गर्म पानी के साथ शहद मिलाकर पीया जाए, तो सेहत से जुड़ी कई समस्याओं से राहत मिलती है।

सदियों से लोग वजन घटाने और संक्रमण से लड़ने के लिए शहद और गर्म पानी पीने की सलाह देते आए हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि शहद में कई आवश्यक तत्व होते हैं, जो हमारे स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी हैं। इसमें प्रोटीन, एंजाइम, अमीनो एसिड, मिनरल, विटामिन और पॉलीफेनॉल्स बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं, जिस कारण कई बीमारियों के लक्षणों से छुटकारा मिल जाता है।
एंटी बैक्टीरियल

शहद एंटी बैक्टीरियल प्रॉपटी की तरह काम करता है, जिससे हानिकारक बैक्टीरिया शरीर पर अटैक नहीं कर पाते। इसका सेवन करने से सर्दी-खांसी की शिकायत दूर हो जाती है। इसलिए सुबह- सुबह गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पीएं और खुद ही देखें इसके फायदे। आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे, कि कैसे शहद के साथ गर्म पानी पीना फायदेमंद है। इसके अलावा यह भी बताएंगे कि इस मिश्रण को बनाने का तरीका क्या है। लेकिन इससे पहले हम आपको बताएंगे शहद के लाभों के बारे में।

शहद एक प्राकृतिक औषधि है। शहद की मिठास में प्रकृति के कई गुण छिपे हुए हैं। इसलिए, यह आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। यह मीठा और गाढ़ा अमृत प्राकृतिक रूप से मधुमक्यिों द्वारा निर्मित होता है। इसका इस्तेमाल आमतौर पर चीनी के रूप में किया जाता है और त्वचा के लिए भी इसके काफी लाभ हैं। नीचे जानिए शहद के अन्य लाभों के बारे में।
 शहद में एंटी माइक्रोबियल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं। इन चिकित्सीय गुणों के कारण ही यह त्वचा पर हुए घावों और जलन के उपचार में बहुत मददगार है।
इसका उपयोग डायबिटीज फुट अल्सर के इलाज के लिए किया जाता है।

मुंहासों से छुटकारा

शहद का सामयिक प्रयोग मुंहासों से छुटकारा दिलाने में भी मदद करता है।
शहद पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें फैट, प्रोटीन और फाइबर की मात्रा शून्य रहती है, इसलिए सेहत के लिए यह बहुत अच्छा घरेलू उपचार है।

कोलेस्ट्रॉल को कम करता है

यह एलडीएल (LDL) कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और एचडीएल (HDL) कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा देता है। जिससे व्यक्ति के शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा एकदम संतुलित रहती है।

शहद में विटामिन ए, बी, सी, आयरन, कैल्शियम और आयोडीन पाया जाता है, जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
शहद में एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं। इसलिए इसे गर्म पानी के साथ पीने से संक्रामक रोगों से बचा जा सकता है।

खांसी में

शहद के साथ गर्म पानी पीने से खांसी में बहुत आराम मिलता है। शहद बच्चों में खांसी और गले के संक्रमण को बहुत जल्दी दूर करता है। यह खांसी में सात साल की उम्र से ज्यादा के बच्चों को दिया जा सकता है। हालांकि, यह एक साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए। श्वसन संक्रमण के गर्म पानी के साथ शहद एक बहुत ही अच्छा प्राकृतिक उपचार है।

नींद में सुधार 

शहद को गर्म पानी में मिलाकर पीने से नींद में सुधार होता है। जिन बच्चों को अपर रेस्पीरेटरी डिजीज होती है, उन्हें गर्म पानी के साथ शहद पिलाने से कफ से राहत मिलती है और अच्छी नींद आती है।

गर्म पानी में शहद मिलाकर पीने से बीपी की समस्या कम हो जाती है। जिन लोगों को अक्सर हाई या लो बीपी की शिकायत है, उन्हें गर्म पानी के साथ शहद का सेवन करना चाहिए। गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है। इससे कभी भी आपको चक्कर नहीं आएंगे और शरीर में चुस्ती स्फूर्ति भी बनी रहेगी।
 
पाचन में सुधार 

गर्म पानी के साथ शहद डालकर पीने से पाचन में सुधार होता है। यह आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ और संतुलित रखने में मदद करता है। खाली पेट सुबह गरम पानी में शहद मिलाकर पीने से शरीर के टॉक्सिंस को बाहर निकलने में मदद मिलती है। जब शहद को पानी के साथ चीनी के रूप में उपयोग किया जाता है, तो यह मायकोटॉक्सिन के जीनोटॉक्सिक और हानिकारक प्रभावों को भी रोकता है। इतना ही नहीं, यह शरीर में उत्पन्न गैसों को बेअसर करने में भी मददगार है।

मुंह से आने वाली बदबू 

एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से मुंह से आने वाली बदबू दूर हो जाती है। आप चाहें, तो इसमें एक नींबू भी निचोड़ लें। इसके अलावा इस मिश्रण को पीने से जीभ पर जमा होने वाली सफेद परत से भी छुटकारा मिलता है।
 
वजन कम 

शहद के साथ गर्म पानी पीने से वजन कम किया जा सकता है। दरअसल, शहद में अमीनो एसिड, मिनरल और विटामिन होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल और वसा के अवशोषण में मदद करते है। यह कैलोरी का अच्छा स्त्रोत है, जो धीरे-धीरे आपके शरीर में अन्य अप्राकृतिक शुगर को कम कर देता है, जिससे वजन कम होना शुरू हो जाता है। बेहतर परिणामों के लिए, सुबह खाली पेट शहद के साथ गर्म पानी पीएं। यह आपको ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करेगा। साथ ही आपका वजन भी कम होगा।

त्वचा पर निखार 

शहद में एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुणों के कारण यह खून को साफ और शुद्ध करती है, जिससे आपकी त्वचा साफ रहती है। अगर इसे नींबू के साथ मिलाकर लिया जाए, तो यह रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाता है, जिससे त्वचा चमकदार और स्वस्थ बनी रहती है। तो यदि आप अपनी त्वचा पर निखार लाना चाहतीं हैं तो आज से ही गर्म पानी में शहद मिलकर पीना शुरू कर दें।

थकान  दूर 

सुबह शहद के साथ गर्म पानी आपकी दिनभर की थकान को दूर कर आपको अधिक ऊर्जावान बना देगा। लेकिन अगर आप रात में सोने से पहले भी इसका सेवन करते हैं, तो यह आपके अगले दिन को और भी बेहतर बना देगा। बता दें, कि शहद में पाया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा का अच्छा स्त्रोत है, जिससे आपका शरीर फुर्तीला बनता है।

शहद एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करके दिल की रक्षा करता है। यह हृदय में होने वाले कार्डियोवस्कुलर डिसीज से भी बचाने में बहुत मददगार है।
कार्बनिक या कच्चे शहद में अच्छी मात्रा में मिनरल, एंजाइम और विटामिन होते हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया से बचाते हैं। एक मजबूत एंटीऑक्सीडेंट होने के नाते शहद शरीर में मुक्त कणों से लड़ने में मदद करता है। इसलिए इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के लिए गर्म पानी के साथ शहद पीने की सलाह दी जाती है।
अगर अक्सर आपके शरीर में गैस बनती है और आपको पेट में भारीपन महसूस होता है, तो गर्म या गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पीने से आपको बहुत हल्का महसूस होगा। दरअसल, शहद पेट में
बनने वाले गैस को संतुलित करने में बहुत सहायक है।
सबसे पहले बर्तन में एक गिलास गर्म पानी रखें और उबाल आने तक इंतजार करें। अब पानी को ठंडा करें और गुनगुना होने के बाद इसमें एक या दो चम्मच शहद मिलाएं। ध्यान रखें, पानी ज्यादा ठंडा ना हो। अगर आपको यह मिश्रण मीठा न लगे, तो आप इसमें आवश्यकतानुसार शहद मिला सकते हैं। शहद और गर्म पानी का मिश्रण बनकर तैयार है।
कई लोगों को लगता है, कि शहद चीनी से ज्यादा मीठा होता है तो यह नुकसानदायक है। हम आपको बता दें कि शहद मीठा जरूर होता है, लेकिन इसकी मिठास प्राकृतिक होती है, इसलिए इसका ज्यादा सेवन करने से भी कोई नुकसान नहीं होता। अब इस तैयार मिश्रण को सुबह के समय खाली पेट रोजाना पीएं। इससे आपका पाचन सही रहता है और यह वजन घटाने के लिए भी बहुत उपयोगी है।
इसके अलावा गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पीने का एक अन्य तरीका यह भी है। एक गिलास में एक या दो चम्मच शहद मिलाकर इसे ठंडा करें और दिनभर की थकान के बाद इसे पीएं। दिनभर की थकान दूर हो जाएगी और आप खुद को तरोताजा महसूस करेंगे।
शहद एक प्राकृतिक घटक है, जिसे गर्म पानी के साथ पीना पूरी तरह से सुरक्षित है। शहद चीनी का एक अच्छा विकल्प है, इसलिए डायबिटीज या मुंहासों से ग्रस्त लोग भी शहद को गर्म पानी के साथ मीलाकर सेवन कर सकते हैं।
क्या रात को सोने से पहले शहद को गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है?
आमतौर पर लोग सुबह खाली पेट शहद को गर्म पानी के साथ पीते हैं। लेकिन ये आपकी इच्छा पर निर्भर करता है कि आप इसे कब पीना पसंद करते हैं। आप दिनभर में किसी भी समय शहद और गर्म पानी पी सकते हैं। अच्छी नींद के लिए इसे रात में सोने से पहले पीना भी बहुत अच्छा माना जाता है। खासतौर से जब बच्चे सर्दी या फ्लू से जूझ रहे हों, तो उन्हें विशेष रूप से शहद के साथ गर्म पानी देना चाहिए।
क्या शहद बच्चों को दिया जा सकता है?

श्वसन संक्रमण

हां, बिल्कुल। शहद बच्चों को दिया जा सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शहद का सेवन ऊपरी श्वसन संक्रमण और खांसी से पीड़ित बच्चों में लक्षणों की गंभीरता को कम करने में मदद करता है। हालांकि, एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शहद नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह बच्चों में बोटुलिज्म (यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जो खाद्य पदार्थ, दूषित मिट्टी यश किसी खुले हुए घाव के कारण फैलती है) के खतरे को बढ़ाता है। यह क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिज्म नामक एक प्रकार के बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न किया जाता है।


क्या ठंडे पानी के साथ शहद लेना अच्छा है?

अमूमन, पाचन को बेहतर रहने के लिहाज से अक्सर शहद को गर्म पानी के साथ पीने की सलाह दी जाती है, लेकिन इसे ठंडे पानी के साथ लेना भी ठीक है। आप चाहें, तो शहद के साथ सादा पानी या फिर फलों का रस भी मिला सकते हैं। यह आर्टिफिशियल स्वीटनर की तरह काम करता है। हालांकि, शहद को कभी भी पानी के साथ नहीं उबालना चाहिए। क्योंकि हीटिंग प्रक्रिया के दौरान विषाक्त यौगिकों के निर्माण के कारण गर्म शहद का सेवन करने से स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
शहद और गर्म पानी पीने के इतने फायदे जानकर आपको सुबह-सुबह इसे पीने की इच्छा लगी होगी। हो भी क्यों ना, शहद और गर्म पानी एक स्वादिष्ट और सुखदायी पेय है, जिसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। खासतौर से यह वजन घटाने और पाचन को सही रखने के लिए जाना जाता है। कम कलोरी के विकल्प तलाशने वाले लोगों के लिए गुनगुने पानी के साथ शहद मिलाकर पीना बहुत अच्छा है। गहरे रंग के शहद में आपके दिल की बीमारी को दूर करने के गुण होते हैं, इसलिए शहद खरीदते वक्त इसके रंग और गुणवत्ता की जांच जरूर करें।
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17.2.20

अखरोट खाने के स्वास्थ्य लाभ:Akhrot khane ke fayde






अखरोट के फायदे जानने से पहले आपको बता दे की अखरोट खाने में दूसरे कड़वे फलो की तुलना में अमृत के समान होता है,अगर बात करे करेले की जो स्वास्थ लाभो से तो भरपूर होता है पर खाने में एकदम कड़वा होता है, इसके विपरीत अखरोट अच्छा लगने के साथ साथ अनेक औषधीय गुणों से भरपूर है। अखरोट का सेवन छोटे से लेकर बड़े हर वर्ग के लोगो के लिए फायदेमंद होता है। अखरोट तो सभी खाते है, लेकिन बहुत कम लोग है जिनको अखरोट के चमत्कारी गुणों के बारे में पता है। आज हम आपको अखरोट खाने के फायदे और नुकसान बताएँगे जिन्हें जानने के बाद आप अपनी सेहत को और अच्छा बनाकर अनेक बीमारियों से छुटकारा पा सकते है।

अखरोट के स्वास्थ्य लाभ कई हैं और इसमें एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) को कम करना, सूजन की रोकथाम, चयापचय में सुधार , वजन कम करने और मधुमेह का नियंत्रण शामिल हैं। अखरोट मस्तिष्क स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचा सकता है और मूड बूस्टर के रूप में कार्य कर सकता है।
अखरोट जुगैलस जीनस के पेड़ों से प्राप्त खाद्य बीज हैं। वे अखरोट के पेड़ के गोल, एकल-बीज वाले फल हैं, अखरोट में एक स्वादिष्ट स्वाद और कुरकुरी बनावट होती है, यही वजह है कि वे कई डेसर्ट और पके हुए सामानों जैसे कुकीज़ , केक, ग्रेनोला, अनाज, एनर्जी बार और कभी-लोकप्रिय अखरोट की रोटी में उपयोग किए जाते हैं। बेकिंग के लिए ग्राउंड अखरोट और अखरोट का आटा भी इस्तेमाल किया जाता है। अखरोट में आवश्यक फैटी एसिड पाया जाता है और एक तेल का उत्पादन करते हैं जो एक समृद्ध एंटी-एजिंग गुणों के लिए जाना जाता है।
हाल के अध्ययनों से पता चला है कि इन बीजों का सेवन मस्तिष्क के कार्य को बढ़ावा देने में मदद करता है। अखरोट दो प्रकार के होते हैं; काले अखरोट और भूरे अखरोट। हम भूरे अखरोट के बारे में विस्तार से बात करेंगे।

सूजन कम करें अखरोट के लाभ –

अखरोट में पाए जाने वाले पॉलीफेनोलिक यौगिक और फाइटोकेमिकल पदार्थ शरीर में सूजन के प्रभाव को कम करते हैं। हृदय और ऑन्कोलॉजी स्वास्थ्य सहित कई स्थानों में इसका लाभकारी प्रभाव पड़ता है।

पाचन तंत्र को स्वस्थ रखे अखरोट –

यह सुपरफूड विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट को हटाने के द्वारा, पाचन तंत्र को साफ करने में मदद करता है। यह कब्ज को भी ठीक करता है । संयुक्त राज्य अमेरिका में लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर, लीड शोधकर्ता लॉरी बायरले ने अपनी शोध रिपोर्ट में कहा कि अखरोट आंत की मदद करते हैं और इसमें प्रीबायोटिक गुण होते हैं।

अखरोट खाने के फायदे दिमाग को तेज़ करने में –

अखरोट आपके दिमाग को तेज करने के साथ-साथ आपके मानसिक तनाव अवसाद कम करता है और आप के पार बार मूड खराब होना चिंता जैसी समस्याओं को दूर करता है यदि आप भी मानसिक रुप से स्वस्थ और तंदुरुस्त रहना चाहते हैं और दिमाग को तेज तर्रार बनाना चाहते हैं तो आज से ही अखरोट का सेवन करना शुरु कर दें और इसमें मौजूद ओमेगा फैटी एसिड आपके शरीर में होने वाली बेचैनी को खत्म करता है. हाइपर-एक्टिविटी, मूड खराब होना जैसी समस्याओं को दूर करता है।
अखरोट के तेल में ओमेगा -3 फैटी एसिड होता है, जो स्मृति और फ़ोकस को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है, जर्नल ऑफ़ न्यूट्रिशन, हेल्थ और एजिंग में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है । ओमेगा -3 फैटी एसिड, आयोडीन और सेलेनियम के साथ मिलकर मस्तिष्क के इष्टतम कामकाज को सुनिश्चित करता है। इन नट्स को भूमध्यसागरीय आहार में शामिल किया गया है और इन्हें मनोभ्रंश और मिर्गी जैसे संज्ञानात्मक विकारों से राहत देने के लिए भी जाना जाता है।

अखरोट के गुण हृदय रोग को दूर रखे –

अखरोट हृदय को भी तंदुरुस्त एवं निरोगी रखने में लाभदायक है। यह हृदय के कार्य को संचालित व नियमित करता है और उसमें सुधार भी लाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ( NIH ) के अनुसार, अखरोट ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं जिन्हें दिल के स्वास्थ्य में मदद करने के लिए दिखाया गया है ।
पत्रिका मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि अखरोट का सेवन करने से एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल कम होता है और प्रतिभागियों में एचडीएल (अच्छा) कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है।

अखरोट के फायदे वजन कंट्रोल करेने में –

अखरोट के सेवन से शरीर का वजन घटाने में सहायता मिलती है। जो लड़कियां या लड़के अपना वजन घटाना चाहती हैं उन्‍हे नियमित रूप से अखरोट का सेवन करना चाहिए।
अखरोट आपको पूर्ण महसूस करने में मदद करता है, जिसका अर्थ है कि यह तृप्ति की भावना को बढ़ाते हैं। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने पाया कि अखरोट न खाने वाले लोगों की तुलना में अखरोट खाने वाले लोगों में दिन के दौरान पेट भरा हुआ होता है। यह अध्ययन, हालांकि, एक छोटे आकार का उपयोग करता है, इसलिए इन परिणामों की पुष्टि के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है। प्रोटीन और फाइबर का समृद्ध स्रोत अखरोट को एक स्वस्थ स्नैकिंग विकल्प बनाता है, खासकर शाकाहारियों के लिए। हालाँकि, इनका सेवन मध्यम मात्रा में किया जाना चाहिए क्योंकि इसके अधिक सेवन से वजन बढ़ भी सकता है।
वैसे तो अखरोट खाने की सलाह उन्हें भी दी जाती है जो अपना वजन बढ़ाना (weight gain) चाहते हैं| लेकिन इसमे fiber अच्छी मात्रा मे होता है जो आपकी भूख को कम करके आपको ज्यादा खाने से रोक कर आपको स्वस्थ बॉडी वेट पाने में मदद करते हैं।

अखरोट का सेवन करे मधुमेह कंट्रोल –

यदि आपको हाई ब्लड शुगर की परेशानी है तो आप अखरोट का सेवन करके उसे कंट्रोल मे रख सकते हैं। इन्हें रोजाना खाने से टाइप 2 diabetes मे काफ़ी फ़ायदा मिलता है। एक रिसर्च के अनुसार कुछ अखरोट रोजाना खाने से मोटे लोगों में फासटिंग शुगर टेस्ट नॉर्मल आया। उन्होंने इस ड्राइ फ्रूट को लगातार 3 महीनों तक खाया था। यदि आप इन्हें रोज खाते हैं तो आपको टाइप 2 diabetes होने के chances भी कम हो जायेंगे। हालांकि, इस अखरोट को मॉडरेशन में खाना सुनिश्चित करें।

खाली पेट अखरोट खाने के फायदे उम्र के प्रभाव का करें कम –

शरीर में फ्री रेडिकल्स के कारण उम्र बढ़ने के कारण कई बदलाव नजर आने लगते है। जैसे त्वचा की झुर्रियां , पाचन की कमजोरी, आँखों की रौशनी में कमी , हड्डी की कमजोरी आदि। इसके अलावा भी कई प्रकार की शारीरिक समस्याएं हो सकती है। लीवर पर भी इसका प्रभाव पड़ता है जो शरीर की कई महत्त्वपूर्ण कार्य का केंद्र है। इन उम्र के प्रभावों को कम करने में एंटीऑक्सीडेंट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। अखरोट में पाये जाने वाले विशेष प्रकार के ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट उम्र के साथ होने वाले नुकसान से बचाने में सक्षम होते है। सुखद और लम्‍बे जीवन के लिए अखरोट का सेवन करना अच्‍छा रहता है।

हड्डियों के लिए –

अखरोट में तांबा और फास्फोरस दोनों होते हैं, जो इष्टतम हड्डी के स्वास्थ्य को बनाए रखने में आवश्यक हैं। अखरोट में पाए जाने वाले आवश्यक फैटी एसिड शरीर की हड्डियों के स्वास्थ्य को सुरक्षित करते हैं। वे मूत्र कैल्शियम के उत्सर्जन को कम करते हुए कैल्शियम अवशोषण और उसके जमाव को बढ़ा सकते हैं। यह हड्डियों में सूजन को भी कम करता है और हड्डियों से संबंधित बीमारियों को बहुत हद तक कम कर देता है।

पुरुषों के लिए अखरोट खाने के लाभ –

अखरोट खाने से स्पर्म काउंट बढ़ता हैं. जो व्यक्ति पिता बनने की चाहत रखते हैं उनके लिए अखरोट काफ़ी लाभकारी होता हैं। अखरोट स्पर्म की गुणवत्ता, मात्रा, जीवन शक्ति और गतिशीलता में सुधार करके पुरुष प्रजनन क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं, जो कि वेन्डी रॉबिंस, फील्डिंग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के नेतृत्व में बायोलॉजी ऑफ रिप्रोडक्शन नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन द्वारा प्रकाशित किया गया है ।
मर्दाना शक्ति वर्धक के रूप में इसका उपयोग करने के लिए आप इसे दूध में उबाल ले फिर मिश्री को पीसकर इसमें मिला ले फिर कुछ केसर की पतीयाँ इसमें डाले जब यह अच्छे से उबल जाये तो इसे हल्का गुनगुना होने पर पी लें।

 दूध के फायदे दिलाएं अच्छी नींद –

कुछ लोगों को नींद नही आती और वो रात भर इधर उधर करवट बदलते रहते हैं। अखरोट मे मेलेटोनिन नमक हॉर्मोन होता है जो की नींद लाने मे मदद करता है और आपकी अनिद्रा की प्राब्लम ख़त्म हो जाती है| इसलिए आज से ही कुछ अखरोट रात को दूध के साथ खाने शुरू कर दीजिए।
यह अखरोट मेलाटोनिन बनाता है, एक हार्मोन जो नींद को प्रेरित और विनियमित करने में मदद करता है। 2005 के जर्नल न्यूट्रीशन में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में, अखरोट खाने वाले प्रयोगशाला चूहों को उन चूहों की तुलना में रक्त मेलाटोनिन सांद्रता में वृद्धि दिखाई दी, जिन्हें नट्स के बिना नियंत्रित आहार खिलाया गया था। इसलिए, एक अच्छी, आरामदायक नींद सुनिश्चित करने के लिए अपने रात के खाने के व्यंजनों में अखरोट जोड़ना सबसे अच्छा विकल्प है।

गर्भावस्‍था के दौरान अखरोट के फायदे –

गर्भवती महिलाओं के लिए अखरोट का सेवन सबसे अधिक लाभप्रद होता है। अखरोट के सेवन से भ्रूण में पलने वाले बच्‍चे को एलर्जी नहीं होती है और उसके विकास के लिए आवश्‍यक तत्‍व भी मिल जाते हैं।
भूने हुए अनसाल्टेड अखरोट में मौजूद विटामिन बी- कॉमप्लेक्स का समृद्ध स्रोत भ्रूण की वृद्धि के लिए आवश्यक है। यूरोपियन जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि जब गर्भावस्था की पहली तिमाही में माताओं ने अखरोट से भरपूर आहार का सेवन किया, तो बच्चे के न्यूरोडेवलपमेंट में सुधार देखा गया

अखरोट के फायदे स्‍तनों को सुडौल बनाने लिए –

अगर आपको अपने स्‍तनों को सुडौल और स्‍वस्‍थ बनाएं रखना है तो अखरोट का दैनिक रूप से सेवन करें। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।

त्वचा की देखभाल में अखरोट के फायदे –

अखरोट में विटामिन ई और एफ सामग्री हानिकारक मुक्त कणों से त्वचा को बनाए रखने और उसे बचाने में मदद करते हैं। यह झुर्रियों और शुष्क त्वचा को रोकने में भी मदद करता है। अखरोट-आधारित उत्पादों का नियमित उपयोग आंखों के नीचे काले घेरे को हल्का करता है। अखरोट स्क्रब एक प्राकृतिक एक्सफोलिएटर के रूप में कार्य करता है और त्वचा को युवा और ताज़ा रखने में मदद करता है।

खाली पेट अखरोट खाने के फायदे प्रतिरक्षा को बढ़ावा दें –

प्राकृतिक कवचदार अखरोट के नियमित सेवन से एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के निर्माण में मदद मिलती है, जिससे विभिन्न बीमारियों की शुरुआत को रोका जा सकता है। एंटीऑक्सिडेंट का समृद्ध स्रोत, जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, इस लाभ के लिए जिम्मेदार है।

अखरोट खाने के फायदे बालों की देखभाल –

अखरोट स्वस्थ बालों के लिए भी जिम्मेदार है, क्योंकि इसमें उच्च मात्रा में विटामिन, खनिज, स्वस्थ वसा और एंटीऑक्सीडेंट बालों के रोम को मजबूत करते हैं और स्कैल्प को रूसी मुक्त बनाते हैं। वे घने, लंबे और मजबूत बाल भी प्रदान करते हैं। आप अखरोट के भूसी का उपयोग प्राकृतिक हाइलाइटर के रूप में भी कर सकते हैं
प्रति औसतन सात से नौ अखरोट का सेवन स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित माने जाते हैं।
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मुंह सूखने की समस्या के अचूक नुस्खे




मुंह में लार बनने की प्रक्रिया कम हो जाने पर ड्राई माउथ यानी मुंह सूखने की समस्या उत्पन्न होती है। जिन लोगों को ये समस्या होती है, उनमें से कम ही इसे जान पाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार हर छठा व्यक्ति इस परेशानी से ग्रस्त है। ड्राई माउथ होने के कई कारण होते हैं। पानी में फ्लोराइड की मात्रा में कमी, बॉडी में पानी की कमी होना, अनियमित दिनचर्या, भूखे रहना, देर रात तक जागना, कई दिनों तक जागना, पौष्टिक खानपान की कमी, ऐसिडिटी आदि के कारण मुंह में लार कम बनती है। अस्थमा के रोगी, जो नियमित पंप लेते हैं, उन्हें भी यह परेशानी हो जाती है। इस समस्या के समाधान के लिए आप कई घरेलू नुस्खे अपना सकते हैं।


नींबू का जूस -

मुंह के अंदर सलाइवा का उत्पादन बढ़ा सकता है और ड्राई माउथ की समस्या से राहत दिला सकता है। साथ ही, इसकी एसिडिक प्रवृत्ति आपके मुंह को साफ कर सकती है और बदबू को कम कर सकती है।
एक ग्लास पानी में आधा ग्लास नींबू का रस मिलाएं और थोड़ी सी शहद भी। दिन भर इस पानी के कुछ घूंट पीते रहें। इसके आलावा, आप होममेड लेमोनेड भी पी सकते हैं।

लाल मिर्च-

तेज लाल मिर्च ड्राई माउथ की समस्या के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपचार है। ये आपके टेस्ट बड को भी दुरुस्त करता है जिससे आप मीठे, नमकीन, तीखे और कड़वे के बीच बेहतर तरीके से अंतर कर पाते हैं। इसे उंगली पर लगाकर अपनी जीभ पर लगाएं। कुछ देर के लिए जीभ जलेगी लेकिन आपके सलाइवा ग्लैंड्स सक्रिय हो जाएंगे। इसके अलावा इसे अपने सूप और सलाद में डालकर भी खाया जा सकता है।

तरल पदार्थ का अधिक सेवन-

ड्राई माउथ की सबसे बड़ी वजह डीहाईड्रेशन होती है। इसलिए ऐसी समस्या उत्पन्न होने पर सबसे पहले तरल पदार्थों का सेवन बढ़ा दें। इससे आपका शरीर हाईड्रेट होगा। ठीक प्रकार से हाईड्रेशन होने से आपके शरीर के लिए अधिक सलाइवा उत्पन्न करना आसान होगा और ड्राई माउथ की समस्या ठीक हो जाएगी।
सौंफ का फ्लेवर सलाइवा के प्रवाह को प्रोत्साहित करता है और आपको ड्राई माउथ की समस्या से राहत मिलती है। साथ ही, इसका अरोमा फ्लेवर सांस की बदबू से भी छुटकारा दिलाता है। दिन में कई बार सौंफ चबाएं।

एलोवेरा जूस -

ड्राई माउथ की समस्या के लिए एलोवेरा एक बहुत पुराना नुस्खा है। यह मुंह के संवेदनशील ऊतकों की रक्षा करने में भी मदद करता है और टेस्ट बड्स को बढ़ाता है। रोज एक चौथाई कप एलोवेरा जूस पियें। इसके अलावा, आप असली एलोवेरा जेल को रूई की मदद से मुंह के अंदर भी लगा सकते हैं। कुछ मिनट लगाए रखने के बाद ठंडे पानी से मुंह का कुल्ला कर लें।
ड्राई माउथ से राहत पाने के लिए अदरक का सेवन भी किया जा सकता है। सलाइवा बढ़ाने के लिए अदरक को बहुत प्रभावी माना जाता है। इससे आपका मुंह लंबे समय तक ताजा बना रह सकता है। ताजे अदरक के छोटे टुकड़े को धीरे धीरे चबाएं। दिन में दो से तीन बार ऐसा करें। इसके अलावा, दो से तीन अदरक की चाय पियें।

इलायची -

ड्राई माउथ से लड़ने का ये घरेलू व आयुर्वेदिक उपचार है। इलायची चबाने से मुंह में गीलापन आता है और साथ ही सांस की बदबू भी कम होती है। हर बार खाना खाने के बाद या फिर जब भी आपको मुंह सूखा हुआ महसूस हो, एक-दो इलायची चबा लें।

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कम वसा वाले वजन कम करने वाले भोजन पदार्थ



 

पिछले कुछ दशकों से वजन घटाना सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। हर कोई वजन कम करने के क्विक टिप्‍स की खोज में है। कई डाइट ऐसे हैं जो कम समय में वजन घटाने का दावा करते हैं। इसके अलावा बाजार में कई ऐसे फूड हैं जो वसा में कम होने का दावा करते हैं, यह उन लोगों के लिए बहुत आकर्षक करते हैं जो वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों पर लो-फैट होने का लेबल भी लगा होता है मगर क्‍या वाकई ये वजन कम करने में मददगार हैं? यदि हां, तो क्या ये स्वस्थ हैं? कई ब्रांड विभिन्न तरीकों से लो-फैट लेबल का प्रयोग चालाकी से करते हैं।
कम वसा वाले खाद्य पदार्थों की सच्चाई

कम वसा वाले या वसा रहित लेबल वाले अधिकांश खाद्य पदार्थ अनहेल्‍दी तत्‍वों से भरे होते हैं। इनमें से अधिकांश उत्पादों में अक्सर चीनी की मात्रा अधिक होती है। चीनी के साथ, कई अस्वास्थ्यकर तत्व हैं जो आप अपने वजन घटाने के आहार के लिए ठीक नहीं हैं। इसके परिणामस्वरूप वजन कम होने के बजाय वजन बढ़ सकता है।

किसी भी उत्पाद को खरीदने से पहले आपको लेबल्स को ध्यान से पढ़ना चाहिए। यह समझने में मदद करेगा कि क्या खरीदना है और क्या नहीं। लेबल पढ़ने से आपको उपयोग की जाने वाली सामग्री का विवरण जानने में भी मदद मिलेगी।
लो-फैट फूड: वसा में कम होते हैं ये खाद्य पदार्थ

यदि आप कम वसा वाले खाद्य पदार्थ चुनना चाहते हैं, तो कुछ साबुत खाद्य पदार्थ चुनने के अच्छे विकल्प हैं। आप पोषक तत्वों से भरपूर कुछ स्वस्थ विकल्प चुन सकते हैं। यहां कुछ स्वस्थ और कम वसा वाले खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें आप अपने वजन घटाने के आहार में शामिल कर सकते हैं।
1. सब्जियां

सब्जियां विशेष रूप से पत्तेदार साग वसा रहित होती हैं। ये फाइबर से भरे होते हैं जो आपको अधिक समय तक भरा हुआ रखते हैं। सभी आवश्यक पोषक तत्वों को प्राप्त करने के लिए वजन कम करने वाली डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करने की भी सलाह दी जाती है।
2.दालें

दालें लगभग हर वजन घटाने वाले आहार का एक हिस्सा हैं। दालें हेल्‍दी कोलेस्ट्रॉल और वसा में कम होती हैं। दालों में फाइबर भी अधिक होता है जो आपको अधिक समय तक भरा रखता है। अपने आहार में दालों को शामिल करने से आपके आहार में कई अन्य पोषक तत्व शामिल होंगे।
3. फल

फल पोषक तत्वों से भरे होते हैं और साथ ही इनमें वसा कम होता है। फल आपके वजन घटाने के आहार में पूरी तरह से फिट हो सकते हैं और आपको आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सकते हैं
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एलोवेरा से बढ़ाएँ ब्रेस्ट साईज़




अच्छी ब्रेस्‍ट पाने की इच्छा महिलाओं को पुरातन काल से रही है, क्‍योंकि किसी भी महिला के चेहरे के बाद उसके ब्रेस्‍ट ही सौंदर्य का गुणगान करते हैं। जीं हां ब्रेस्‍ट उनकी सुंदरता में चार चांद लगाती हैं और पुरूषों के लिए तो ये हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रहे हैं। यदि ब्रेस्‍ट स्‍वस्‍थ और पूरी तरह विकसित हैं, तो यह मान लिया जाता है कि स्‍त्री सुंदर है।

एलोवेरा के फायदों के बारे में हम भली भांति जानते है बहुत सारी प्रोब्लेम्स को दूर करने के लिए एलोवेरा का प्रयोग किया जाता है लेकिन ज्यादातर लोग एलोवेरा का इस्तेमाल स्किन की प्रॉबल्म को दूर करने के लिए ही करते है क्योंकि एलोवेरा के साथ सनबर्न और दाग-धब्बें दूर होते है
लेकिन क्या आपको पता है एलोवेरा केवल ब्यूटी सोलूशन के रूप में ही नही बल्कि इसकी मदद से आप अपना ब्रैस्ट की ग्रोथ या साइज को भी बढ़ा सकते है। अगर आप भी अपनी बैस्ट की ग्रोथ को बढ़ाना चाहते है तो एलोवेरा का उपयोग करें और वो भी बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के | 
पहिले एलोवेरा के फायदे पर बात करते हैं-

 एलोवेरा के फायदे

* ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाए
एलोवेरा जैल को त्‍वचा पर लगाने से ब्‍लड सर्कुलेशन बढ़ता है इसी तरह यह ब्रेस्‍ट को ऑक्‍सीजन पहुंचाने में मदद करता है जिससे बैस्ट की ग्रोथ बढ़ती है।
* विटामिन्‍स का खजाना
एलोवेरा में बहुत सारे विटामिन ए, बी, सी और ई के साथ-साथ ढेर सारे मिनरल्‍स पाए जाते है जो ब्रैस्‍ट की शेप को बढाते हैं।

*.एलोवेरा का जूस

एलोवेरा का जूस आपको आसानी से किसी भी लोकल स्‍टोर के पास मिल जायेगा। आप चाहे तो अपने घर में भी इसका पौधा लगाकर उसका जूस भी बना सकते हैं। आपको करना बस इतना है कि एलोवेरा को लेकर उसे बीच में से काटकर उसका जैल निकालकर इस्‍तेमाल करना है। आप इसे पानी में मिलाकर पी सकते हैं|

* हार्मोन बैलेंस करे 

एलोवेरा की पत्‍तियों में मौजूद फाइटोएस्‍ट्रोजन शरीर में एस्‍ट्रोजेन की मात्रा बढा कर ब्रैस्‍ट के साइज को बढाने में मदद करता है।

* अमीनो एसिड

एलोवेरा में मौजूद अमीनो एसिड शरीर और ब्रैस्‍ट का शेप बढाने में काफी अहम भूमिका निभाते हैं इसलिए रोज एलोवेरा का जूस पीएं।
जानते है एलोवेरा के प्रयोग से कैसे आप अपने ब्रेस्ट साइज को बढ़ा सकते है |

* ब्रेस्‍ट बढ़ाने के लिए एलोवेरा पैक


ब्रेस्ट साइज को बढ़ाने के लिए एलोवेरा पैक एक कारगर उपाय है एलोवेरा पैक को बनाना भी बहुत ही आसान है एलोवेरा पैक बनाने के लिए आपको एलोवेरा पल्‍प और एक चम्‍मच हल्‍दी की जरूरत होती है। एलोवेरा पैक बनाने के लिए सबसे पहले एलोवेरा पल्‍प को कम से कम सात बार धो लें और अब इसमें एक चम्‍मच हल्‍दी पाउडर मिलाकर बारीक पेस्‍ट बना लें। पेस्‍ट को किसी कॉटन की मदद से निप्‍पल को छोड़कर पूरी ब्रेस्‍ट पर अच्छी तरह से लगा लें और ऊपर से ब्रा पहन लें। इसे 15 मिनट के लिए छोड़ दें। इसके बाद इसे पहले गर्म पानी और बाद में ठन्डे पानी से धो लें। कुछ ही दिनों में आपकी ब्रेस्‍ट टाइट और साइज में बढ़ने लगेगी।

* एलोवेरा जेल का प्रयोग

आप ताजे एलोवेरा जेल का प्रयोग करके अपनी ब्रेस्‍ट पर करीब 10 मिनट तक गोलाकार मुद्रा में मालिश करें। इसे 10 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर गुनगुने पानी से धो लें। एलोवेरा में एंटीऑक्सीडेंटस पाए जाते हैं, जो फ्री रेडिकल्स के फलस्वरूप तंतुओं को हुए नुकसान को रोकने में सक्षम होते हैं।लोग एलोवेरा को ऊपरी तौर से लगाते है लेकिन आप अपनी बैस्ट की ग्रोथ को बढ़ाने के लिए इसका का सेवन भी कर सकते है । इसको खाने से भी लाभ मिलता है।
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तुलसी है कई रोगों मे उपयोगी औषधि


15.2.20

भूलने की बीमारी के आयुर्वेदिक नुस्खे :घरेलू आयुर्वेद






आमतौर पर हम सभी के घरों में किचन में पाई जाने वाली हल्दी अपने आप में किसी डॉक्टर से कम नहीं है। तभी तो आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित ग्रंथों में घरेलू हल्दी को चमत्कारी औषधि का दर्जा दिया गया है। जिस बात को आयुर्वेद में हजारों साल पहले कह दिया था, उसकी सच्चाई और प्रामाणिकता पर आज विज्ञान जगत भी मुहर लगा रहा है।





हल्दी के औषधीय गुणों पर किये जा रहे शोध बताते हैं कि हल्दी में कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है। भारतीय लोग तो हल्दी के फायदों से परिचित हैं ही लेकिन अब वैज्ञानिकों ने भी साबित कर दिया है कि हल्दी में न केवल कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है, बल्कि डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी जिसमें रोगी को मतिभ्रम हो जाता है और वह जरूरी बातें भी भूल जाता है, को भी नियंत्रित करने की क्षमता होती है।



डिमेंशिया में भी अचूक-

हल्दी में पाए जाने वाले रसायन 'करक्यूमिन' में रोगहारी शक्ति होती है, जो गठिया और मनोभ्रंश या डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी जैसी बीमारियों के इलाज में प्रभावी सिद्ध हो चुकी है। 

कैंसर की रोकथाम- 

ब्रिटेन के कॉर्क कैंसर रिसर्च सेंटर में किए गए परीक्षण दिखाते हैं कि प्रयोगशाला में जब करक्यूमिन का प्रयोग किया गया तो उसने गले की कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर दिया|



डॉ शैरन मैक्केना और उनके दल ने पाया कि करक्यूमिन ने 24 घंटों के भीतर कैंसर की कोशिकाओं को मारना शुरु कर दिया। कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रिटिश जरनल ऑफ़ कैंसर में प्रकाशित यह खोज कैंसर के नए इलाज विकसित करने में सहायक हो सकती है।


डेंगू ज्वर :कारण और निवारण के उपाय




प्रत्येक वर्ष जुलाई से अक्टूबर के मध्य डेंगू बुखार का प्रकोप फैलता है। सामान्यत: डेंगू वायरस शरीर में पहुंचने के 3-5 दिन बाद अपना असर दिखाता है, लेकिन कभी-कभी ये अवधि 3-10 दिन की भी होती है। यह एक वायरस से फैलने वाला रोग है जो एक संक्रमित मच्छर एडिस एजीप्टि के काटने से मनुष्यों में फैलता है। यह डेंगू बुखार के तौर पर जाना जाता है।










यह एक ऐसा वायरल रोग है जिसका मेडिकल चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं है परन्तु आयुर्वेद में इसका इलाज है और वो इतना सरल और सस्ता है की उसे कोई भी कर सकता है l
तीव्र ज्वर, सर में तेज़ दर्द, आँखों के पीछे दर्द होना, उल्टियाँ लगना, त्वचा का सुखना तथा खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना डेंगू के कुछ लक्षण हैं जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी सकती है l
डेंगू हिमोरेजिक बुखार (डीएचएफ)/डेंगू आघात संलक्षण (डीएसएस) डेंगू बुखार फ्लेवी वायरस नामक जीनस के वायरस से होता है। इस वायरस के 4 सिरोटाइप होते हैं (डीईएन 1, डीईएन 2, डीईएन 3 और डीईएन 4) और ये चारों प्रकार भारत में पाए जाते हैं। किसी भी सिरोटाइप से पहला संक्रमण स्वयं सीमाकारक रोग (क्लासिकल डेंगू) उत्पन्न करता है जो लगभग 1 सप्ताह तक रोग का प्रभाव बनाए रखता है। संक्रमण के लिए उत्तरदायी विशिष्ट सिरोटाइप की तुलना में इसकी प्रतिरक्षा लम्बे समय तक चलती है। जबकि इसके बाद होने वाले संक्रमण में भिन्न प्रकार के सिरोटाइप क्लासिकल डेंगू उत्पन्न कर सकते हैं अथवा कई बार कुछ व्यक्तियों में रोग का गंभीर रूप बन जाता है ।


तरह-तरह के डेंगू और उनके लक्षण-

डेंगू बुखार मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है- साधारण डेंगू बुखार, डेंगू हैमरेजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम। साधारण डेंगू बुखार, जिसे क्लासिकल डेंगू भी कहते हैं, सामान्यत: 5-7 दिन तक रहता है। इसमें ठंड लगने के बाद तेज बुखार चढऩा, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ता है, बहुत अधिक कमजोरी लगना, भूख न लगना, जी मिचलाना, मुंह का स्वाद खराब होना, गले में हल्का-हल्का दर्द होना, शरीर विशेषकर चेहरे, गर्दन और सीने पर लाल/गुलाबी रंग के रैशेज के लक्षण नजर आते हैं।





अगर ऊपर बताये गये साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ पीडित में नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उल्टी में खून आना, त्वचा पर नीले/काले रंग के कत्ते पड़ जाना जैसे लक्षण प्रकट हों, तो उसे डेंगू हैमरेजिक बुखार हो सकता है। इसकी पड़ताल से रक्त की जांच आवश्यक होती है।
इसके विपरीत डेंगू शॉक सिंड्रोम के मरीजों में साधारण डेंगू बुखार और डेंगू हैमरेजिक बुखार के लक्षणें के साथ-साथ बेचैनी महसूस हो, तेज बुखार के बावजूद उसकी त्वचा ठंडी हो, मरीज पर बेहोशी हावी हो, नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगे और ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाए, तो डेंगू शॉक सिंड्रोम का मामला बनता है। डेंगू की यह अवस्था बेहद खतरनाक होती है, जिसमें मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना आवश्यक होता है.

डेंगूं का इलाज-

साधारण डेंगू बुखार में आमतौर से पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) से काम चल सकता है। लेकिन ऐसे रोगियों को एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल नहीं देनी चाहिए। क्योंकि इससे प्लेटलेट्स कम होने का खतरा रहता है।
किसी भी अन्य मर्ज की भांति ही डेंगू के रोगी को भी अच्छे डॉक्टर के दिखाना जरूरी होता है। लेकिन इसके साथ ही साथ यह भी जानना जरूरी है कि डेंगू कोई असाध्य रोग नहीं है। इसलिए यदि सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो डेंगू बुखार का पूरा इलाज सम्भव है।



बचाव के घरेलू इलाज-

**विटामिन-सी की अधिकता वाली चीजें जैसे आंवला, संतरा या मौसमी पर्याप्त मात्रा में लें, इससे शरीर का सुरक्षा चक्र मजबूत होता है।
**खाने में हल्दी का अधिकाधिक प्रयोग करें। इसे सुबह आधा चम्मच पानी के साथ या रात को दूध के साथ लिया जा सकता है। किन्तु यदि पीडित को नजला/जुकाम हो, तो दूध का प्रयोग न करें।
**तुलसी के पत्ते पानी में उबालें फिर मामूली गरम हालत में उसमे शहद मिलाकर पियें| इससे इम्यून सिस्टम बेहतर बनता है।
**नाक के अंदर की ओर सरसों का तेल लगाएं। तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक के भीतर जाने से रोकती है।

यदि किसी को डेंगू रोग हुआ हो और खून में प्लेटलेट की संख्या कम होती जा रही हो तो निम्न चार चीज़ें रोगी को दें :
१) अनार जूस
२) गेहूं के जवारे का रस
३) पपीते के पत्तों का रस
४) गिलोय का रस
** अनार जूस तथा गेहूं घास रस नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है l

**पपीते के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में २ से ३ बार दें , एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संक्या बढ़ने लगेगी l** गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में २-३ बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है |
ध्यान देने योग्य है कि मानव शरीर में 1 मिलीलीटर ख़ून में 30-40 हजार प्लेटलेट होते हैं. इतने प्लेटलेट रोज़ाने मरते हैं, और बनते भी रहते हैं.
डेंगू में शरीर का काम आंशिक रूप से बंद हो जाता है जिसके कारण प्लेटलेट
बनने की गति धीमी हो जाती है.
ऐसे में डॉक्टर मरीज़ के शरीर में पानी की सप्लाई बनाए रखते हैं और ब्लड प्रेशर देखते हैं.
उनकी कोशिश होती है कि शरीर में इम्यूनिटी बढ़े और मरीज़ का शरीर जल्द ठीक हो जाए.








डेंगू को रोकने के उपाय- 

**चूंकि डेंगू एडीज मच्छरों से उत्पन्न होता है, इसलिए सर्वप्रथम यह प्रयास करें कि इन मच्छरों की पैदावार पर लगाम लगई जाए। इसके लिए अपने घर के आसपास पानी न जमा होने दें। यदि आसपास कोई गड्ढा हो, तो उसे मिट्टी से भर दें और नालियों की सफाई करवा दें। जिससे उनमें पानी न रूके और मच्छरों को पनपने का अवसर न मिले। यदि आसपास भरे पानी को हटावा सम्भव न हो, तो उसमें उसमें केरोसिन/मिट्टी का तेल अथवा पेट्रोल डाल दें।
**डेंगू के मच्छर साफ पानी में उत्पन्न होते हैं, इसलिए कूलर और पक्षियों को पानी देने के बर्तनों का पानी प्रत्येक दिन बदलें। पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। यदि घर में छत वगैरहपर पुराने डिब्बे, बर्तन, टायर आदि रखे हों, तो उन्हें हटा दें या फिर देखलें कि उनमें पानी न भरा हुआ हो।
**ऐसे कपड़ों का उपयोग करें, जिनसे शरीर का अधिकाधिक भाग ढ़का रहे। घरों की खिड़कियों, रोशनदानों आदि में मच्छर जाली का उपयोग करें। यथासम्भव मच्छर रोधी क्वाएल/क्रीम का उपयोग करें। और सबसे बेहतर तो यही है कि रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
**यदि किसी व्यक्ति को डेंगू हो गया है तो उसे मच्छरदानी में ही लिटाएं, जिससे मच्छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी न फैला सकें।



पौषक तत्वों से परिपूर्ण है चुकंदर




इसके रस को पीने से न केवल शरीर में रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है बल्कि कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। यदि आप इस सब्जी से नफरत करते हैं तो जरा एक बार इसके फायदों के बारे में जरूर पढ़ लें। शायद कम लोग ही जानते हैं कि चुकंदर में लौह तत्व की मात्रा अधिक नहीं होती है, किंतु इससे प्राप्त होने वाला लौह तत्व उच्च गुणवत्ता का होता है, जो रक्त निर्माण के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि चुकंदर का सेवन शरीर से अनेक हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में बेहद लाभदायी है। ऐसा समझा जाता है कि चुकंदर का गहरा लाल रंग इसमें लौह तत्व की प्रचुरता के कारण है, बल्कि सच यह है कि चुकंदर का गहरा लाल रंग इसमें पाए जाने वाले एक रंगकण (बीटा सायनिन) के कारण होता है। एंटी ऑक्सीडेंट गुणों के कारण ये रंगकण स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं।

एनर्जी बढ़ाये : यदि आपको आलस महसूस हो रही हो या फिर थकान लगे तो चुकंदर का जूस पी लीजिये। इसमें कार्बोहाइड्रेट होता है जो शरीर यह पानी फोड़े, जलन और मुहांसों के लिए काफी उपयोगी होता है। खसरा और बुखार में भी त्वचा को साफ करने में इसका उपयोग किया जा सकता है।

पौष्टिकता से भरपूर : यह प्राकृतिक शर्करा का स्रोत होता है। इसमें कैल्शियम, मिनरल, मैग्नीशियम, आयरन, सोडियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन, आयोडीन, और अन्य महत्वपूर्ण विटामिन पाये जाते हैं। इसलिए घर पर इसकी सब्जी बना कर अपने बच्चों को जरूर से खिलाएं।


हृदय के लिए : चुकंदर का रस हाइपरटेंशन और हृदय संबंधी समस्याओं को दूर रखता है। खासकर के चुंकदर के रस का सेवन करने से व्यक्ति में रक्त संचार काफी बढ़ जाता है। रक्त की धमनियों में जमी हुई चर्बी को भी इसमें मौजूद बेटेन नामक तत्व जमने से रोकता है।






स्वास्थ्यवर्धक पेय :
 
जो लोग जिम में जी तोड़ कर वर्कआउट करते हैं उनके लिये चुकंदर का जूस बहुत फायदेमंद है। इसको पीने से शरीर में एनर्जी बढ़ती है और थकान दूर होती है। साथ ही अगर हाई बीपी हो गया हो तो इसे पीने से केवल 1 घंटे में शरीर नार्मल हो जाता है
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14.2.20

जामुन के सिरके के फायदे और बनाने की विधि

  
                               


कब्ज और उदर रोग में जामुन का सिरका उपयोग करें। जामुन का सिरका गुणकारी और स्वादिष्ट होता है, इसे घर पर ही आसानी से बनाया जा सकता है और कई दिनों तक उपयोग में लाया जा सकता है।

जामुन का सिरका जितना पुराना होता है यह खाने में उतना ही स्वादिष्ट और पेट सम्बंधित रोगों के लिए उतना ही अधिक लाभकारी होता है। जामुन के सिरके के सेवन से भूख बढ़ती है, पेट की वायु निकलती है और कब्ज की समस्या दूर होती है
जामुन की तासीर ठंडी होती है और इसकी कई देसी विदेशी किस्मे होती हैं | लेकिन सबके धर्म, गुण समान हैं। जामुन का अंग्रेजी नाम – Java Plum और Blackberry है | जामुन से भूख बढती है और भोजन पचाती है, शरीर से गंदगी बाहर निकलती है। जामुन नहीं होने पर इसका सिरका काम में ले सकते हैं। यह मोटी और पकी हुई अच्छी होती है। इसका खट्टापन और अम्लीय गुण रक्त-दोषों को दूर करते है।




जामुन का सिरका रेसपी 

काले जामुन – 1/2 किलो
सूखी मिर्च – 3
नमक – आवश्यकतानुसार
पानी – आवश्यकतानुसार
सहायक सामग्री
सूती कपड़ा – जामुन बांधने के लिए
मिट्टी का बर्तन – जामुन रखने के लिए
कांच की बोतल – सिरका रखने के लिए
जामुन का सिरका बनाने का तरीका
– काले जामुन को साफ पानी से धो कर पोछ लें।
– फिर इसे मिट्टी के बर्तन में डालकर नमक मिलाकर साफ कपड़े से बांध कर धूप में रख दें।
– लगभग एक महीनों तक धूप में रखने के बाद इसके रस को किसी साफ सूती कपड़े से छानकर कांच के बोतल में भर कर रख लें।
– अब इसमें 3 सूखी लाल मिर्च डाल दें और कांच की बोतल का मुंह बंद कर दें।