28.10.19

हाई बीपी कंट्रोल के लिए लहसुन इस तरह से खाएं




 

अगर आपको भी इस बात की शिकायत है कि लहसुन खाने के बाद भी आपको हाई बीपी की समस्या रहती है तो आप लहसुन से शिकायत नहीं होनी चाहिए बल्कि इसे खाने के तरीके में सुधार करने की जरूरत है।
पने अक्सर यह बात सुनी होगी कि हाई बीपी के मरीजों के लिए लहसुन खाना बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि लहसुन खाने का पूरा फायदा आपको नहीं मिल पाएगा अगर आप इसे सही तरीके से नहीं खाएंगे? जी हां, बीपी कंट्रोल में लहसुन मददगार जरूर होता है लेकिन आपको इस बात को जान लेना चाहिए कि आपको इसका इस्तेमाल कैसे करना है ताकि ब्लड प्रेशर हमेशा आपके कंट्रोल में रहे..
 अगर आपको भी इस बात की शिकायत है कि लहसुन खाने के बाद भी आपको हाई बीपी की समस्या रहती है तो आप लहसुन से शिकायत नहीं होनी चाहिए बल्कि इसे खाने के तरीके में सुधार करने की जरूरत है। लहसुन खाना शरीर के लिए फायदेमंद है, यह कई तरही की गंभीर बीमारियों से हमें बचाता है और खासतौर से हाई बीपी को कंट्रोल करता है, यह बात हम सभी जानते हैं। इसलिए गार्लिक हमारे फूड आइटम्स का अहम हिस्सा है। लेकिन अगर आप हाई बीपी को वाकई लहसुन के द्वारा कंट्रोल करना चाहते हैं तो लहसुन की एक कली को छीलकर तब तक चबाएं, जब तक वह पूरी तरह मुंह में घुल ना जाए। लहसुन की कली को यूं ही निगल लेने पर यह बीपी कंट्रोल में उतना प्रभावी नहीं रहता है, जितना मुंह में ही घुल जाने के बाद असर दिखाता है।
 इस बारे में साल 2017 में लखनऊ के केजीएमयू के फिजियॉलजी डिपार्टमेंट के डॉक्टर नरसिंह वर्मा की एक रिपोर्ट 'रिसर्च इंटर्नल मेडिसिन जर्नल ऑफ इंडिया' में पब्लिश की गई थी। इसमें डॉ. नरसिंह वर्मा ने अपने दस साल के शोध के बाद बीपी कंट्रोल करने के लिए लहसुन खाने का सही तरीका ढूंढ निकाला था। शोध में बताया गया था कि लहसुन चबाकर मुंह में ही घुल जाने दें। ऐसा एक साल तक रोज किया जाए तो ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल होगा और कोलेस्ट्रॉल लेवल भी।
 विशेषज्ञों के अनुसार, लहसुन के सेवन से शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड का प्रोडक्शन बढ़ जाता है। यह बॉडी मसल्स को स्मूद रखने और ब्लड को पतला रखने में मदद करता है। इससे हाईपर टेंशन कम होती है। हाईपर टेंशन के मरीजों को लहसुन बहुत अधिक फायदा पहुंचाता है। एक शोध में यह बात साबित हो चुकी है कि लहसुन के अर्क ने हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों तरह के रक्तचाप को कम जा सकता है।
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22.10.19

मोटापे का सबसे सुरक्षित ईलाज होमियोपेथी मे है





ओबेसिटी, यानि मोटापे का सबसे सुरक्षित ईलाज हॉमिओपैथी है (होम्योपैथिक मेडिसिन फॉर वेट लॉस), और आसानी से घटाने का सरल नुस्के । शरीर मे चर्बी की मात्रा तेज़ी से बढ़ जाने के कारण वज़न बढ़ने लगता है। मोटापे के इस बिगड़े रूप को ओबेसिटी कहते हैं। भारत के 15% लोग मोटापा ग्रस्त हैं। ओबेसिटी शरीर रचना को बिगाड़ती है साथ साथ ये विभिन्न बीमारियों का कारण भी है। यदि आप के शरीर मे चर्बी की मात्रा अधिक है और वज़न ज्यादा है तो आपको होमियोपैथी द्वारा सुझाय गये ओबेसिटी के ईलाज पर विचार करना चहिये। ओबेसिटी के अनेक कारण हैं जैसे असंतुलित खान पान, व्यायाम ना करना, आयु, लिंग, आनुवंशिकी (genetics), मानसिक ऐवम पर्यावरण सम्बन्धी असंतुलन। ब्लड प्रेशर, डाईबिटीज,आर्थिराईटिस और दील की बीमारी जैसी अनेक बीमरीओ की जड़ मोटापा है।

मोटापे से जुड़े तथ्य – सामान्य ईलाज vs हॉमिओपैथिक ईलाज।
US FDA सामान्य मोटापा कम करने वाली दवाओं के सुरक्षित होने पर नकारात्मक टिप्पणी देता है।
यूरोप की दवा कम्पनी ने अक्टूबर 2008 में रिमोनाबेंट (जो ईडोकैनाबोय्ड प्रणाली को खंड कर भूख मिटाती है) के बुरे प्रभाव देखते हुऐ, इसकी बिक्री पर रोक लगा दी।
सिबूट्रामाइन (मेरीडिया ) दिमाग के न्यूरो ट्रांसमीटर को निष्क्रीय कर भूख मिटाती है। बाज़ारों में इसकी बिक्री पर कैनेडा और अमरीका ने रोक लगा दी है।
और्लीस्टैट (जेनीकल या एललाई )वसा पाचन में बाधा कर उसे शरीर में जमा होने से रोकती है परंतु यह शरीर में कई ज़रूरी पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा करती है।
मोटापा घटाने वाले कई OTC उत्पाद जो रेचक औषधि की तरह काम करते हैं, शरीर में पोटैशीयम के स्तर को गिरा देती है जिससे दिल और अन्य माँसपेशीओ की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
होमिपैथिक उपचार औषधीय पौधों से बनी दवाओं पर आधारित है। यह दवाएँ शरीर के पाँच तंत्रों को ध्यान में रखकर अपना काम करती हैं। यह पाँच तंत्र हैं – भूख का संचार , पैंक्रियाटिक लाईपेज एनजाइम के प्रभाव को रोकना ,शरीर में गर्मी का संचार बढाना , लिपिड के चयापचय को बढाना , एपीडोजेनेसिस को रोकना और लाईपोसिस को बढाना।
2015 की अंतर्रष्ट्रीय भोजन के गुण सम्बन्धी पत्रिका (International Journal of Food Properties of 2015) सुझाव देती है की औषधीय पौधों को एक निर्धारित मात्रा में लेने से मोटापे का सुरक्षित रूप से प्राकृतिक उपचार किया जा सकता है।
होमिओपैथी द्वारा वज़न कम करने के प्रभावी तरीके
मोटापा और वज़न घटाने का होमियोपैथिक उपचार अन्य उपचारों से अलग है। जहाँ अन्य उपचार शारीर से वसा जो पिघलाकर उसे ख़तम करते हैं, वहीँ होमियोपैथिक उपचार में शरीर के चयापचय को बढाके, भूख पे नियंत्रण कर, थाइरोइड को संतुलित कर मोटापे में सुधार लाता है।
होमियोपैथिक उपचार शारीर के चायपचय को सुधार कर मोटापा कम करता है जिसमेशरीर अपने आप ही वसा को पिघलाकर ऊर्जा पैदा करता है।
यह शारीर में पाचन क्रिया को सुधारता है जिससे वज़न कम होता है और शरीर सुडौल होने लगता है।
होमियोपैथिक उपचार किसी मोटापा कम करने वाली खास डाइट के दौरान या उसके ख़तम होने के बाद तक भूख पे नियंत्रण रखता है।
होमियोपैथिक उपचार वसा को जलाता या पिघलाता नहीं है। यदि आप वर्ज़िश के साथ साथ कम कार्बोहायड्रेट वाला आहार लेते हैं तो आप वज़न आसानी से घटा सकते हैं।
होमिपैथी में आपका, आपके शरीर और स्वस्थ के अनुसार उपचार किया जाएगा।
कुछ अच्छे और कारगर होमियोपैथिक उपचार हैं –
फाईटोलाका बैरी – ऐसे होमिओपैथी में मोटापा और वज़न काम करने का एक बेजोड़ इलाज मन जाता है। यह वासा और शरीर की सूजन को कम करता है। ऐसे सिफिलिक रूमैटिज़्म के मरीज़ों के लिए सुजाया जाता है ।
हिलैन्थुस ट्यूबेरोसुस – इस पौधे में इंसुलिन की मात्रा सामान्य से 20% अधिक है, यह ऑब्टिसपेशन को घुलने में मदद करता है।
कैलसेरा कार्बोनिका – ये धीमें चयापचय को बढ़ाकर पेट पे जमी वसा को कम करता है। यह गोरी चमड़ी वाले मोटापा ग्रस्त मरीज़ों के लिए सुझाया गया है जिन्हें साँस लेने में दिक्कत और कब्ज़ से लेकर ज़्यादा पसीना आने तक शारीर की कमज़ोरी दर्शाने वाली सारी बीमारिया हैं। यह ऐसे मरीज़ों के लिए है जिनके खान पान की आदतें संतुलित नहीं होती है।
नेट्रम मुर– विशेषज्ञों द्वारा ये औषदि ऐसे मरीज़ों के लिए सुझायी गयी है जिनके जांघ और कूल्हों पे अधिक वसा जमा है। ऐसे लोगो में खून की कमी, ज़्यादा गर्मी होने पर कम सेहेन्शीलता और अधिक भावुकता देखी जाती है।
लाइकोपोडियम – यह दावा ऐसे लोगो के लिए बनाई गयी है जिन्हें गैस की दिक्कत है। ऐसे लोगो का वज़न जल्दी बर्द्धता है और उनका पेट फूल जाता है। ऐसे लोग असंतुलित और अत्यधिक आहार लेते हैं। मानसिक रूप से ऐसे इंसान का स्वभाव चिड़चिड़ा और गुस्सैल होता है। लाइकोपोडियम एक कारगर होमिपैथिक दवा है।
फ्यूक्स वेसिकुलोसिस – थाईरॉइड ग्लैंड को उत्तेजित कर चायपचय को सुधारता है। यह उन महिलाओं, जिनके मासिक धर्म में दिक्कत है के लिए एक कारगर दावा है।
स्पोन्जिया टोस्ता – यह अपने इओडिम को अथिरोमातेज़ वेसल के विरुद्ध कर थाइरोइड ग्लैंड को उत्तेजित करती है।
अन्य ओबेसिटी उपचारो में शामिल है आर्जेन्टम निट्रीकम और ऐंटिमोनिम क्रूदम।
मोटापा और वज़न काम करने के लिए होमियोपैथिक दवाई
उत्पाद का नाम सूचित
फिगूरिन स्लिम्मिँग ड्रॉप्स फिगूरिन , हर्बा मेड द्वारा बनायी गयी एक लोक्प्रीय दवा है, जिसे पौधों के उद्धरण से बनाया गया है. यह मोटापा का एक प्राकृतिक हॉमिओपैथिक ईलाज है | ब्रांड – बायो इंडिया आकार- 100ml, मूल्य – 1575/-
फाइटोलाकाबेरी टैबलेट मोटापे से लड़ने का सुरक्षित और प्राकृतिक तरीका. मदद करता है प्रसव के बाद बढ़ जाने वाले वज़न को कम करने में | ब्रांड – डॉक्टर व्हिल्लमर स्च्वाबे जर्मनी, आकार- 20gms, मूल्य – 247/-
डॉक्टर बक्शी बिना किसी परधानी वज़न कम | ब्रांड – बैकसन, आकार- 30ml, मूल्य – 125/-
गो स्लिम A And B ड्रॉप्स यह चयापचय की गड़बड़ी को दूर करती है । थाइरोइड की गड़बड़ी या मासिक धर्म रुक जाने के बाद बढ़ने वाले वज़न को भी कम करती है | ब्रांड – व्हीज़ल्स, आकार- 30ml, मूल्य – 150/-
फाइटोलाकाबेरी टैबलेट विनियमित करता है चयापचय को जिससे कम होता है वज़न और मोटापा | ब्रांड – भार्ग्वा, आकार- १० टॅबलेट का ब्लिस्टर पैक*3, मूल्य – 125/-
फाइटोस्लिम ड्रॉप्स वज़न घटने का होमियोपैथिक नुस्खा | ब्रांड – फोउनट्स, आकार- 30ml, मूल्य – 120/-
फाइटोफिट फोर्टे ड्रॉप्स इसका अनोखा फॉर्मूला चायपचय को तेज़ कर एड़ीपोज़ कोशिकाओं को ऑक्सीडाइज करता है। इससे सम्बया से ज़्यादा गति से वज़न काम होने लगता है। ब्रांड – मेडिसिन्थ, आकार- 30ml, मूल्य – 150/-
फाइटोलाकाबेरी टैबलेट मोटापे और बढ़ते वज़न का ईलाज. यह शरीर की पचन क्रिया को भडाता है, खाना ठीक से हजम होता है और उचित मलत्याग होने से शरीर में चर्बी संचय का रोक्दाम होजाता है | ब्रांड – एस.बी.एल , आकार- 25gm/450gm, मूल्य – 125/875
डॉक्टर रिक्वेग आर ५९ बूंदे,ओबेसिटी एंड ओवर वेट ट्रीटमंट वज़न घटने का जाना मन इलाज,गोइटर के इलाज में भी सहायक। ब्रांड – डॉक्टर रिक्वेग, आकार- 22ml, मूल्य – 200/-
B- ट्रिम ड्रॉप्स एस.बी.एल बी-ट्रिम मोटापे से लड़ने वली नैदानीक रूप से सिद्ध की गयी दवा है जो बनी है संतुलित हॉमिओपैथी सामग्री से | ब्रांड – एस.बी.एल, आकार- 30ml, मूल्य – 145/-
डी ३५ फिगुरेल ड्रॉप्स नियंत्रण करता है ज्यादा खाना खाने की चाह और कम करता है सुस्ती जैसी आदत को | ब्रांड – डोलिओसिस, आकार- 30ml, मूल्य – 120/-
एलन ए ३९ ड्रॉप्स – अंटी ओबीसिटी गोइटर , ओबीसिटी , जल्दी मोटा होने की बीमारी, ग्लैन्डुलर सिक्रिषन की खराबी से | ब्रांड – एलेन, आकार- 30ml, मूल्य – 125/-
बौलुमे 13-फैटोसैन ड्रॉप्स गौइटर , मोटापे और ठंड से जल्दी बीमार पड़ जाने वाले वाले लोगो में जिगर की बेमरीओ से लड़ के मोटापा कम करती है | ब्रांड – बायो फोर्स Ag स्व्हिटज़रलैण्ड, आकार- 30ml, मूल्य – 100/-
स्लिमेर्क्स स्लिम्मिँग ड्रॉप्स आदर्श है प्रसव के बाद आने वाले मोटापे ,सुस्ती और बेडौल बदन से परेशान लोगों | ब्रांड – लॉर्ड्स, आकार- 30ml, मूल्य – 165/-
आईसोट्रोपिन डाईट ओरल स्प्रे एक नयी और क्रांतिकारी हॉमिओपैथिक दवा है जिसमे ह्यूमन ग्रोथ हॉरमोंन यानि HGH है | यह मोटापे को शीघ्र कम करने में मदद करता है.यह मनोदशा को ठीक करता है और ऊर्जा को बढाता है. यह मँस्पेशिओ के आकार को भी बढ़ाता है | ब्रांड – न्यूटन एव्रेट्ट बायोटेक, आकार- 30ml, मूल्य – 3036/-
फैटेक्स ड्रॉप्स अडेल फैटेक्स ड्रॉप्स ओबीसिटी ईलाज अडेल 13 (सहायक है मोटापा ग्रस्त मरीजों का चयापचय ठीक करने के लिये ) ब्रांड -अडेल, आकार- 20ml, मूल्य – 215/-
वज़न कम करने के लिए व्हीजल फिटोलाका बेरी टेबलेट्स वज़न कम करने के लिए व्हीजल फिटोलाका बेरी होम्योपैथिक टेबलेट्स मोटापा की जांच के लिए एक इष्टतम सहायता पोस्ट वितरण वजन है। इसमें फिटोलाका बेरी क्यू शामिल हैं। खुराक: १ से २ गोलियां, भोजन से पहले दिन में ३-४ बार या चिकित्सक द्वारा निर्धारित अनुसार।
हॅनमेन फार्मा स्लिम ट्रिम ड्रॉप्स मोटापा अधिक वजन के लिए यह स्पष्ट शरीर के वजन, आकार उभरा, सुस्त स्वभाव और आलसी व्यवहार, आसानी से थका हुआ है और थोड़े से प्रयास में थके हुए को भी कम कर देता है। इसमें फुकस वेसिकुलस २x १०%, फिटोलाका बेरी ३x १५%, अमोनियम ब्रोम २x २%, पल्सेटिला क्यू ५%, थायरॉइडिनम ६x २%, डीएम वॉटर एंड एक्सीपीएन्ट्स q.s. १००% v/v, शराब सामग्री १६.६५%। खुराक: १५-२० बूंदों को आधे कप पानी के साथ, भोजन से २० मिनट पहले दिन में तीन बार। या चिकित्सक द्वारा निर्देशित अनुसार।
डॉ राज फिटोट्रिम ड्रॉप्स, होम्योपैथिक स्लिमिंग ड्रॉप्स डॉ. राज फिटोट्रिम स्लिमिंग ड्रॉप्स, मोटापे के लिए रुक जाती हैं थकान के बिना वजन कम करता है और स्वस्थ वजन रखता है। इसमें फिटोलाका बेरी क्यू, काली कार्ब. ३०, फुकस वी. क्यू, ग्राफिट्स ३० शामिल हैं। खुराक: वयस्क २०-३० बूंदों को १/४ कप पानी के साथ दिन में ३-४ बार या चिकित्सक द्वारा निर्देशित अनुसार।
भार्गव फिटोलाका बेरी टेबलेट शारीरिक वजन को नियंत्रित करता है यह शरीर कि एडीएमई (अवशोषण, पाचन, चयापचय और उत्सर्जन) प्रक्रिया को प्रभावित और नियंत्रित करके शरीर के वजन को कम करता है। चयापचय को उत्तेजित करता है। एक विषहारी एजेंट के रूप में कार्य करता है। वजन को कम करने और उसे बनाए रखने में मदद करता है। इसमें फिटोलाका बेरी क्यू शामिल है। खुराक: १ गोली, दिन में २ बार या चिकित्सक द्वारा निर्देशितअनुसार।
वशिष्ठ फिटोलाका बेरी १एक्स टेबलेट्स मोटापा: दर्द, पीड़ा, बेचैनी, सताएं गर्मी और सूजन के साथ ग्लैंडुलर सूज। ओसेअस और रेशेदार ऊतकों पर एक शक्तिशाली प्रभाव है पुरानी गठिया भार १०० टेबलेट्स कम करें, एमआरपी: १२०/-
मोटापा और उसे घटाने से जुड़े सवाल (FAQ)
मिथक सच्चाई
नाश्ता और रात का भोजन ना करने से वज़न कम होता है. रात का भोजन या नाश्ता ना करने से वज़न कम नहीँ होता है. भोजन ना करने से हमारे शरीर का चयापचय बिगड़ जाता है और वज़न और भी तेज़ी से बढ़ने लगता है.
क्या चावल खाने से वज़न बढ़ता है ? चावल का मोटापे से कोई सम्बन्ध नहीँ है. हमें ज्यादातर स्थानीय स्तर पर उगाये जाने वाले अनाज का सेवन करना चहिये. दक्षिण भारत के राज्य जैसे कर्नाटक ऐवम आंध्रप्रदेश में चावल भारी मात्रा में खाया जाता है.जब्कि उत्तर भारत के राज्य जैसे पंजाब और लखनऊ में चावल से ज्यादा गेहूँ का सेवन होता है.
हमारे शरीर को 70% तक कार्बोहाईड्रेट की आवश्यकता होती है. चावल कार्बोहाईड्रेट का एक अच्छा स्रोत है और यह शरीर में आसानी से पच जाता है.
टी.एस.एच होर्मोन की कमी मोटापे को बढ़ावा देती है. यह एक बहुत बड़ा मिथक है. टी.एस.एच का गिरा हुआ स्तर वज़न नहीँ बढ़ाता है. होर्मोन के स्तर में गिरावट या बढ़ोत्री एक सामान्य सी बात है. होर्मोन का स्तर शारीरिक कारकों की वजह से घटता और बढ़ता है. कई मरीजों की टी.एस.एच संख्या 150 के आंकड़े को पार कर जाती है परंतु उनके वज़न में कोई बढोत्रि नहीँ हुई
मूँगफली का तेल सेहत के लिये हानिकारक है और तेल भरा भोजन खाने से कोलेस्ट्रोल बढ़ता है. मूँगफली का तेल बायो फ्लैविनॉइड्ज से भरपूर है. मूँगफली का तेल असल में कोलेसट्राल घटाता है. रिफाइन किये हुए तेल के प्रयोग से शरीर में कोलेसट्राल का स्तर बढ़ता है.
भारत में जैतून और सोया बीन से ज्यादा तेल निकालने के लिये मूँगफली की खेती होती है. मूँगफली का तेल प्रोटीन , वसा और कई विटामिन से भरपूर होता है.
जिम जाना या ट्रेडमिल पे वर्जिश करना चलने की तुलना में ज्यादा वज़न घटाता है. सुबह की सैर ना केवल कैलोरि घटाति है बल्कि मन्न को चिन्ता मुक्त्त कर होर्मोन के स्तरों को भी ठीक करती है.
सुबह की सैर पर जाकर हम ऑक्सीजन भरी वायु में साँस लेते है, यह हमारे अंतर मन में भरी चिंताओं को दूर कर मोटापे को कम करने में मदद करता है.
क्या दूध,अंडे और मेवों के सेवन से वज़न बढ़ता है ? दूध कैलशियम, प्रोटीन और विटामिन B12 का एक मुख्य स्रोत है. दूध में वसा होती है जो हमारे शरीर के लिये ज़रूरी है. मेवों में रेशा, प्रोटीन और आवश्यक वसा होती है. पोषण प्राकृतिक आहार से लें ना की बाज़ार में आने वाले सप्प्लीमेन्ट्स से.
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15.10.19

इलेक्ट्रोपैथी को सरकार ने दी मान्यता/Electropathy recognised




इलेक्ट्रोपैथी को सरकार ने दी मान्यता विधेयक पारित, डाॅक्टर कर सकेंगे इलाज /
 इलेक्ट्रोपैथी को सरकार ने दी मान्यता विधेयक पारित, डाॅक्टर कर सकेंगे इलाज

Kishangarh News - भास्कर न्यूज| मदनगंज-किशनगढ़ आयुर्वेदिक ऐलोपैथिक चिकित्सा की तरह अब इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति से जुड़े...

Bhaskar News Network

Apr 02, 2018, 05:05 AM IST
इलेक्ट्रोपैथी को सरकार ने दी मान्यता िवधेयक पारित, डाॅक्टर कर सकेंगे इलाज

भास्कर न्यूज| मदनगंज-किशनगढ़
आयुर्वेदिक ऐलोपैथिक चिकित्सा की तरह अब इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति से जुड़े चिकित्सक इलाज कर सकेंगे। सालों से चली आ रही इस चिकित्सा पद्धति को अब तक मान्यता नहीं थी। हाल ही में इस चिकित्सा पद्धति को राजस्थान सरकार ने आयुर्वेद, एलोपैथी, होम्याेपैथी, यूनानी के समकक्ष मानते हुए मान्यता दी है। विधानसभा में इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति विधेयक 2018 पारित किया है। इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा परिषद के डॉ. देवराज पुरोहित, डॉ. योगेंद्र पुरोहित ने बताया कि इसके लिए राजस्थान इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति बोर्ड का गठन किया जाएगा। जो चिकित्सा पद्धति के विकास, शिक्षा, चिकित्सा व रिसर्च की दिशा में कार्य करेगा। राजस्थान पहला ऐसा प्रदेश है जहां इस चिकित्सा पद्धति को मान्यता मिली है।
25 से ज्यादा इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सक: इस पद्धति से इलाज करने वाले चिकित्सक उपखंड में 25 से ज्यादा और प्रदेश में दो से ढ़ाई हजार है। ये चिकित्सक 16 साल से मान्यता के लिए प्रयास कर रहे हैं।
क्या है चिकित्सा पद्धति: डॉ. देवराज पुरोहित के अनुसार इलेक्ट्रोपैथी में दवाओं का निर्माण नॉन पॉइजन वनस्पति से किया जाता है, करीब 114 पौधों से इसकी दवा बनती है। इलेक्ट्रो का अर्थ शरीर में पाए जाने वाली धनात्मक व ऋणात्मक शक्ति है, होम्यो का अर्थ समानता एव पैथी का अर्थ चिकित्सा व सिद्धांत से है। अत: इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से मनुष्य में असामान्य शक्ति को पेड़-पौधों से प्राप्त रस में उपस्थित धनात्मक व ऋणात्मक शक्तियों के द्वारा समान किया जाता है।
सरकार ने बनाई कमेटी: इस चिकित्सा पद्धति की मान्यता के लिए सरकार के द्वारा वैज्ञानिक एवं विधिक विश्लेषण कमेटी का गठन किया था। विशेषज्ञों ने इसका इतिहास, पद्धति का परिचय, सिद्धांत गुण, अवगुण, इलेक्ट्रोपैथी साहित्य पर जांच के बाद कमेटी ने मत रखा कि यह चिकित्सा पद्धति सरल, सुलभ है जिसका साइड इफेक्ट नहीं है।
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