26.7.18

भूख बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक औषधियाँ : increase appetite

                                             




आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भूख बढ़ाने की विभिन्न दवा उपलब्ध है | इनका उपयोग करके भी आप अपनी समस्या से निजात पा सकते है | यहाँ हमने आयुर्वेद की सर्वमान्य एवं प्रशिद्ध दवाओं की सूचि दी है जो भूख न लगने की समस्या में अचूक दवा साबित होती है |


शिवाक्षार पाचन चूर्ण

भूख न लगने की समस्या, अजीर्ण, अपच एवं अरुचि में आयुर्वेद का सबसे अधिक प्रसिद्ध चूर्ण है | इसका प्रयोग किया जा सकता है | अगर आपको पाचन की खराबी के कारण भूख नहीं लगती तो निश्चित ही इस चूर्ण का उपयोग करना चाहिए | निरंतर 10 दिन के प्रयोग से ही आपकी भूख बढ़ने लगेगी | पतंजलि, डाबर, बैद्यनाथ, आदि सभी कम्पनियाँ इसका निर्माण करती है |

हिंग्वाष्टक चूर्ण

भूख बढ़ाने के लिए हिंग्वाष्टक चूर्ण भी रामबाण औषधीय दवा सिद्ध होती है | अगर आपको भूख कम लगने की समस्या के साथ – साथ गैस, पेट दर्द, कब्ज, पेट में कीड़े एवं अजीर्ण एवं अपच की समस्या भी है तो निश्चित रूप से हिंग्वाष्टक चूर्ण के सेवन से इन समस्याओं से पूर्णत: निजात पाया जा सकता है

अग्निकुमार रस

अग्नि कुमार रस का सेवन भूख बढ़ाने के लिए किया जा सकता है एवं इसके परिणाम भी अच्छे मिलते है | यह आयुर्वेद के रस प्रकरण की औषधि है | इसका सेवन भूख न लगने, कमजोर पाचन, अजीर्ण, अपच में किया जा सकता है | अगर आप इसका सेवन भूख बढ़ाने के लिए कर रहें है तो 1 से 2 गोली सौंफ अर्क या चिकित्सक के निर्देशानुसार करें |

*अग्निमुख चूर्ण

अग्निमंध्य, पाचन का ठीक ढंग से काम न करना, खट्टी डकारें आना आदि में अग्निमुख चूर्ण का सेवन कर सकते है | इसका निर्माण सोंठ, जीरा, काला नमक एवं सेंधा नमक आदि से होता है | अत: भूख कम लगने की बीमारी में 1 से 3 ग्राम की मात्रा में भोजन के बाद पानी के साथ सेवन किया जा सकता है | 5 – 7 खुराक में ही भूख बढ़ने लगेगी |

* चित्रकादी वटी

मन्दाग्नि के साथ साथ , आंतो में सुजन, उदर के विकार एवं आमातिसार आदि रोगों में उपयोग की जाती है | चित्रक, हिंग, पीपल एवं यवक्षार आदि औषध द्रवों से इसका निर्माण किया जाता है 
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भूख बढ़ाने वाले औषध योग एवं चूर्ण का करे घर पर निर्माण

* अग्निवर्धक चूर्ण

अग्नि को बढ़ाने वाला यह चूर्ण आप घर पर ही बना सकते है , इसके लिए आपको निम्न चीजों की आवश्यकता होगी |

भुना हुआ जीरा 100 ग्राम
पीसी हुई सोंठ 50 ग्राम
कालीमिर्च 50 ग्राम
निम्बू का सत 50 ग्राम
काला नमक 50 ग्राम
सेंधा नमक 150 ग्राम
पिपरमेंट – 2 ग्राम
इन सभी को कूट पीसकर महीन चूर्ण बना ले एवं शीशी में भर ले | यह अग्निवर्धक चूर्ण तैयार हो गया | इसका इस्तेमाल नित्य भोजन के पश्चात आधा – आधा चम्मच की मात्रा में पानी के साथ करें | नित्य प्रयोग से भोजन अच्छी तरह पचने लगेगा और खुल कर भूख लगेगी | गैस एवं आफरे की समस्या में भी आराम पहुंचाता है |
2. त्रिफला चूर्ण-
आंवला , हरड एवं बहेड़ा – इन तीनो को सामान मात्रा में लेकर कूट पीसकर चूर्ण बना ले | त्रिफला चूर्ण सम्पूर्ण शरीर के कायाकल्प के काम आता है | नित्य प्रयोग से पाचन की क्रिया सुधरती है एवं भूख बढती है | इसे आयुर्वेद में त्रिदोष शामक औषधि माना जाता है | अत: यह सभी प्रकार के अन्य रोगों में भी लाभदायक सिद्ध होता है |
 लवण भास्कर चूर्ण भी एक उत्तम योग है जिसके प्रयोग से सभी प्रकार के पेट के रोग दूर होते है | भूख बढ़ाने के लिए आप इसका इस्तेमाल कर सकते है |
 पंचकोल चूर्ण
दीपन एवं पाचन गुणों से युक्त इस चूर्ण का इस्तेमाल भी आप भोजन में रूचि जगाने के लिए कर सकते है | भूख बढ़ाने के साथ – साथ पेट की विभिन्न रोग जैसे – आफरा, पेट दर्द एवं अपचन में लाभ देता है |
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20.7.18

पोहा है वजन कम करनेवाला सेहतमंद नाश्ता //poha ka nashta

                                                                                     
                                                       





पोहा पीटे हुए चावल से बना एक स्‍वस्‍थ नाश्ता है। यह आसानी से तैयार होने वाला स्‍वादिष्‍ट और अधिक मात्रा में सब्जियों की मौजूदगी के कारण बेहद पौष्टिक होता है। भारत के विभिन्न राज्यों में, पोहा अलग अलग तरीकों से तैयार किया जाता है और कई घरों का तो यह एक प्रधान नाश्ता है।

भारत में पोहा सुबह के नाश्ते के तौर पर खासा पसंद किया जाता है। लंबे समय से भारतीय पोहे का सुबह के नाश्ते में सेवन कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर अब बाजार में ओट और कीनोआ जैसे नाश्ते के तौर पर सेवन किए जाने वाले आहार भी मौजूद हैं, इनको बनाने वाली कंपनिया दावा करती हैं कि इनसे आप तेजी से वजन कम कर सकते हैं। लेकिन इन सब के बीच विशषज्ञों का मानना है कि पोहा सबसे सेहतमंद नाश्ता है। पोहे में 76.9 फीसदी कार्बोहाइड्रेट्स और 23.1 फीसदी प्रोटीन होता है। जो कि इसे एक सेहतमंद नाश्ता बनाता है, जो आपको सुबह-सुबह ऊर्जा देता है।
हल्का आहार :
अधिकांश स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति जागरूक लोग वजन घटाने वाले आहार में कुछ समय के लिए पोहा को शामिल कर इसके प्रभाव को देखते हैं। यह आहार पेट के लिए हल्‍का होता है और आमतौर पर कम मात्रा में परोसा जाता है साथ ही यह एक स्‍वस्‍थ जीवन शैली को आगे बढ़ने में मदद करता है। इस आहार को नींबू के साथ परोसा जाता है। पोहे पर नींबू के रस की मौजूदगी इसे अतिरिक्‍त स्‍वास्‍थ्‍य लाभ प्रदान करती हैं।
- पोहा खाने से पेट से संबंधित समस्याएं नहीं होंगी क्योंकि इसमें बहुत ही कम मात्रा में ग्लूटीन पाया जाता है.
- डायबिटीज के मरीज को पोहा खिलाने से भूख कम लगती है साथ ही ब्लडप्रेशर लेवल में रहता है.
- पोहे में बहुत ज्यादा मात्रा में कैलोरी पायी जाती है. इसे कई तरीके से बनाया जाता है. जहां वेजीटेबल पोहा में 244 किलो कैलोरी होती है वहीं मूंगफली पोहा में 549 किलो कैलारी शामिल होती है.
पोहा भारत का एक मशहुर नाश्ता है, जिसे चावल से बनाया जाता है। वे कहती हैं कि यह अपने आप में एक पूर्ण आहार है। इसमें भारी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स, आयरन और फाइबर होते हैं। साथ ही पोहे में एंटी ऑक्सीडेंट और जरूरी विटामिन की भी जरूरी मात्रा में होती है। वे कहती हैं कि यह सुबह के नाश्ते के लिए या दिन में किसी भी समय स्नैक की तरह खाया जा सकता है। इसके अलावा इसमें कार्ब्स की मात्रा बहुत कम होती है। साथ ही इसमें इंसुलिन न होने के कारण पोहा वजन कम करने में भी मदद करता है।
क्योंकि पोहा को चावलों को पीटकर बनाया जाता है। जिसके कारण ये आासनी से पच जाता है, जिस कारण पेट पर दबाव नहीं रहता और आपको पूरे दिन पेट फुला हुआ महसूस नहीं होता।
अगर आप सोचते हैं पोहा सिर्फ ब्रेकफास्ट मील है तो यह काफी नहीं है. पोहे में ऐसे कई गुण हैं जो आपको हेल्दी रखने में काफी मददगार हैं. जानिए एक्सपर्ट क्या कहते हैं पोहे के बारे में.
- पोहे में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है. इसको खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन और इम्यूनिटी पावर बढ़ती है.
- पोहे में सबसे ज्यादा सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है. जिस कारण यह खनिज, विटामिन और फाइबर का खजाना हो जाता है.
- अगर पोहे में सोयाबीन, सूखे मेवे और अंडा मिलाकर खाया जाए तो विटामिन के साथ ही प्रोटीन भी मिलेगा.
- पोहे में अच्छी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है. जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है. इससे शरीर को बीमीरियों से लड़ने में मदद मिलती है.
पोहे को पचाने में शरीर को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती. यह आसानी से पचने वाला खाना है.
- वहीं एक्सपर्ट का मानना है कि पोहे को ब्रेकफास्ट में खाने से इसका फायदा कई गुना बढ़ जाता है.
कार्बोहाइड्रेट से भरपूर
आप पोहे पर भरोसा कर इसे कार्बोहाइड्रेट के लिए अपना प्राथमिक स्रोत बना सकते हैं। पीटा चावल अन्य कार्बोहाइड्रेट विकल्पों की तुलना में स्वस्थ होता है। आप चिप्स या अन्य नाश्ते की तुलना में नाश्ते में इसे खा सकते हैं। पर्याप्त कार्बोहाइड्रेट के बिना, आप अपनी दैनिक गतिविधियों को नहीं कर सकते हैं। एक और अच्छी खबर, पोहा फाइबर से भी समृद्ध होता है।
पोषक तत्व से भरपूर
पोहे में अनेक प्रकार की सब्जियों को मिलाने के कारण इसमें विटामिन और मिनरल की अधिकता पाई जाती है। आप इसे स्‍वादिष्‍ट और प्रोटीन युक्‍त बनाने के लिए इसमें मूंगफली और अंकुरित दालों को भी मिला सकते हैं। कुछ लोग पोहे को प्रोटीन से भरपूर बनाने के लिए इसमें अंडा भी मिला देते हैं। आप इसे अपने बच्‍चे के लंच बॉक्‍स में भी पैक कर सकते हैं।
ग्लूटेन का कम स्तर
पोहा में ग्‍लूटेन के कम स्‍तर के कारण, कम ग्‍लूटेन खाद्य पदार्थों का उपभोग करने वाले डॉक्‍टर की सलाह से इसे अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। पोहा मधुमेह रोगियों द्वारा भी सेवन किया जा सकता है। यह पोहे के स्वास्थ्य लाभ में से एक है।
मधुमेह रोगियों के लिए
खून में शुगर के धीमी गति से बढ़ावा देने के कारण पोहा मधुमेह रोगियों के लिए भोजन का अच्‍छा विकल्प माना जाता है। साथ ही यह आपको लंबे समय तक पूर्ण महसूस करता है। एक बार इसके सेवन से आप भूख के कष्‍ट और अस्वास्थ्यकर मिठाई और जंक फूड को दूर रखने में पर्याप्‍त होता है। इसके पोषक मूल्य में वृद्धि करने के लिए आप इसमें सोया मिला सकते हैं।
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18.7.18

प्राकृतिक चिकित्सा मे कटि स्नान के स्वास्थ्य लाभ//nature cure


                                                             




साधन :-

टब, छोटा स्टूल, छोटा तौलिया, कम्बल, पानी |

जल का तापमान :

-कटि स्नान में प्रयोग में लाये जाने वाले जल का तापमान शरीर के तापमान से कम रहना चाहिए तभी जल का प्रभाव शरीर पर हो सकेगा | सामान्यतः गर्मी के दिनों में जल का तापमान 55 डिग्री फारनहाईट तथा सर्दियों में ७५ से ८४ डिग्री फारनहाईट रहना चाहिए | ठन्डे जल का तापमान बढ़ाने के लिए उसमे अलग से गर्म पानी मिला देना चाहिए |

कटि स्नान करने का समय :-

कटि स्नान प्रारंभ में पांच मिनट से शुरू करके प्रतिदिन एक -एक मिनट बढ़ाते हुए पंद्रह मिनट तक किया जा सकता है | बच्चों व् कमजोर व्यक्तियों को पांच मिनट से अधिक नही लेना चाहिए | प्रातः खाली पेट कटि स्नान करना चाहिए |

कटि स्नान करने की विधि :-

टब में लगभग 12 से 14 इंच गहराई तक पानी भरें जिससे कि टब में बैठने पर पानी उपर नाभि तक एवं नीचे आधी जंघाओं तक आ जाये |
टब में अधलेटी अवस्था [ जैसे आराम कुर्सी पर बैठते हैं ] में बैठ जाएँ | दोनों पैर टब के बाहर चौकी पर रख लें | ध्यान रहे कि पानी से पैर न भीगने पायें |
रोयेंदार तौलिये से पेडू पर दायें से बाएं अर्ध चंद्राकर घर्षण करें [ मालिश करें ] |
कटि स्नान के बाद शरीर में गर्मी लाने के लिए लगभग 15 -20 मिनट टहलें,व्यायाम करें अथवा कम्बल ओढ़कर लेट जाएँ |

विशेष :-

यदि कमजोरी अधिक हो तो सिर को छोडकर टब सहित पूरा शरीर एक कम्बल से ढक लें |
कटि स्नान करते समय तब में पीछे से पीठ को बीच-बीच में हिलाते रहें, इससे रीढ़ के स्नायु उद्दीप्त होंगे फलस्वरूप शरीर में चेतनता आयेगी और रोगप्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होगी |

कटि स्नान से शरीर में होने वाली प्रतिक्रिया :-

साधारण सी दिखने वाली इस क्रिया का प्रभाव सम्पूर्ण शरीर पर पड़ता है | यदि यह कहा जाय कि “कटि स्नान प्राकृतिक चिकित्सा की संजीवनी बूटी है |” तो अतिशयोक्ति नही होगा |

पानी का तापमान शरीर के तापमान से कम होने के कारण टब में बैठते ही पेडू की अतिरिक्त गर्मी कम होकर पूरे पाचन तंत्र में संकुचन की स्थिति उत्पन्न होती है जिससे कई अंग जैसे लीवर,क्लोम ग्रंथि,आमाशय, छोटी आंत आदि में सक्रियता आती है और वे पर्याप्त मात्रा में पाचक रसों को स्रवित करना प्रारंभ कर देते हैं जिससे पाचन तंत्र की मजबूती के साथ ही जीर्ण कब्ज, जो सभी रोगों की जननी है , से भी छुटकारा मिलता है | इसके अतिरिक्त रीढ़ की हड्डी में पानी का स्पर्श होने से स्नायुविक रोग भी दूर हो जाते हैं |

कटि स्नान से लाभ :-


छोटी व् बड़ी आंत के अधिकांशतः सभी रोग कटि स्नान से दूर हो जाते हैं |
पीलिया रोग में स्टीम बाथ के तुरंत बाद २-३ मिनट कटि स्नान करने के उपरांत पूर्ण स्नान करने से पित्त पर्याप्त मात्रा में निकलता है एवं पीलिया समाप्त हो जाता है |
कटि स्नान जननेंद्रिय की दुर्बलता एवं वीर्य के पतलेपन को दूर करता है |
बबासीर , आंत, गर्भाशय की रक्तस्राव की अवस्था में कटि स्नान अत्यंत हितकारी है | रक्तस्राव की अवस्था में कटि स्नान लेते समय यह ध्यान रहे कि दोनों पैर चौकी पर रखने की बजाय किसी बर्तन में गर्म पानी में डुबोकर रखें |इस क्रिया को करने से पेडू में स्थित अतिरिक्त रक्त पैरों में उतर जाता है तथा पानी की ठंडक से पेडू सिकुड़ने लगता है, फलस्वरूप रक्तस्राव बंद हो जाता है |
पेडू की अतिरिक्त गर्मी के फलस्वरूप मल में जो स्वाभाविक नमी होती है, वह सूख जाती है जिसके कारण मल आंत में सूखकर कड़ा हो जाता है, इसी अवस्था को जीर्ण कब्ज या कोष्ठबद्धता कहते हैं | कटि स्नान से पेट की अतिरिक्त गर्मी पानी में निकल जाती है एवं कब्ज से मुक्ति मिलती है |

दर्द रहित पेडू की पुरानी सूजन में विशेष लाभकारी है |
नये एक्जिमा में कटि स्नान अत्यंत लाभकारी है |
नियमित कटि स्नान करने से शरीर की जीवनीशक्ति आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाती है जिससे कैंसर, लकवा, क्षय जैसे भयंकर रोगों से बचाव होता है |
अनिद्रा, हिस्टीरिया, चिडचिडापन, स्नायुविक रोगों में कटि स्नान अति लाभप्रद है |

स्त्री रोगों में कटि स्नान से लाभ :-

स्त्रियों के लगभग सभी रोगों में कटि स्नान बहुत लाभकारी है |
गर्भाशय की स्थानभ्रष्टता एवं जब गर्भाशय आदि अन्दर से बाहर आते मालूम हों तो कटि स्नान से आश्चर्यजनक रूप से लाभ पहुंचता है |
पुराने रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर में कटि स्नान लाभ करता है |
गर्भवती स्त्री प्रसव से दो माह पूर्व से ही कटि स्नान लेना प्रारंभ कर दे तो बिना कष्ट के सामान्य रूप से प्रसव होगा |

गर्भपात के लक्षण दिखाई पड़ने पर यदि २० से ३० मिनट तक कटि स्नान लिया जाय तो गर्भपात रुक सकता है | इस अवस्था में सावधानीपूर्वक पेट को बहुत धीरे -धीरे रगड़ना आवश्यक है |

बाल रोगों में कटि स्नान से लाभ :-

बच्चों को कटि स्नान करने से उनकी स्मरण शक्ति व् बुद्धि का विकास होता है |
बच्चों को सोते समय बिस्तर में पेशाब करना एक ऐसा रोग है जिससे बच्चे में इस रोग के आलावा हीनभावना आनी प्रारंभ हो जाती है | इन बच्चों को यदि नियमित कटि स्नान कराना प्रारंभ कर दिया जाय तो कुछ ही दिनों में रोग से छुटकारा मिल जाता है |

सावधानियां :-

कटि स्नान खाली पेट ही लें |
पानी और शरीर का तापमान समान नही होना चाहिए |
पहले दिन ही अधिक ठन्डे जल से कटि स्नान नहीं करना चाहिए बल्कि प्रथम दो-तीन दिन सामान्य जल [ 
कटि स्नान ऐसी जगह में करना चाहिए, जहाँ पर ठंडी हवा के झोंके न आ रहे हों |

कटि स्नान लेने के डेढ़-दो घंटे तक स्नान नहीं करना चाहिए |
एपेंडिक्स, गर्भाशय, मूत्राशय, बड़ी आंत, जननेंद्रिय के विभिन्न अवयवों की नई सूजन तथा ह्रदय रोग की ख़राब स्थिति में कभी भी ठन्डे पानी से कटि स्नान नहीं करना चाहिए |
न्युमोनिया, गठिया, दमा, साईटिका के तीव्र दर्द में कटि स्नान नही लेना चाहिए |

शरीर के तापमान से थोडा कम तापमान का जल ] का प्रयोग करें तत्पश्चात क्रमशः प्रतिदिन जल के तापमान को कम करते जाएँ |सामान्यतः कटि स्नान लम्बे समय तक करने पर भी कोई हानि नही है बल्कि लम्बे समय तक ही क्यों इसे अपनी जीवन शैली में ही सम्मिलित कर लेना चाहिए, ताकि आपका शरीर स्वस्थ्य एवं जीवन सुखमय रहे |
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17.7.18

प्राकृतिक चिकित्सा मे गीली पट्टियों का चमत्कार/ The wonders of wet bandage in natural medicine

                                           


 

प्राकृतिक चिकित्सा में साधारण सी दिखने वाली क्रियाएं शरीर पर अपना रोगनिवारक प्रभाव छोडती हैं | किसी सूती या खादी के कपडे की पट्टी को सामान्य ठन्डे जल में भिगोकर , निचोड़कर अंग विशेष पर लपेटने के पश्चात् उसके ऊपर से ऊनी कपडे की [सूखी] पट्टी इस तरह लपेटी जाती है कि अन्दर वाली सूती/खादी पट्टी पूर्ण रूप से ढक जाये | इस लेख में रोगनिवारण हेतु विभिन्न "जल पट्टी लपेट" के विषय में जानकारी प्रस्तुत है -

1. सिर की गीली पट्टी -
लाभ : सिर की गीली पट्टी से कान का दर्द , सिरदर्द व सिर की जकड़न दूर होती है |
साधन
एक मोटे खद्दर के कपडे की पट्टी जो कि इतनी लम्बी हो कि गले के पीछे, के ऊपर से कानों को ढकते हुए आँखों और मस्तक को पूरा ढक ले |
ऊनी कपडे कि पट्टी [ खादी की पट्टी से लगभग दो इंच चौड़ी और दोगुनी लम्बी ]विधि :
खद्दर की पट्टी को ठन्डे पानी में भिगोकर निचोड़ लें तत्पश्चात इस पट्टी को आँखें,मस्तक एवं पीछे कानों को ढकते हुए एक राउण्ड लपेट दें | अब इसके ऊपर ऊनी पट्टी को लगभग दो राउण्ड इस तरह लपेट दें कि नीचे वाली गीली पट्टी अच्छी तरह से ढक जाये | लगभग एक घंटा इस पट्टी को लगायें |

2. पेडू की गीली पट्टी : 
लाभ : पेट के समस्त रोगों,पुरानी पेचिस, कोलायिटिस,पेट की नयी-पुरानी सूजन,अनिद्रा,बुखार एवं स्त्रियों के गुप्त रोगों की रामबाण चिकित्सा है |इसे रात्रि भोजन के दो घंटे बाद पूरी रात तक लपेटा जा सकता है |
साधन : 
खद्दर या सूती कपडे की पट्टी इतनी चौड़ी जो पेडू सहित नाभि के तीन अंगुल ऊपर तक आ जाये एवं इतनी लम्बी कि पेडू के तीन-चार लपेट लग सकें |
सूती कपडे से दो इंच चौड़ी एवं इतनी ही लम्बी ऊनी पट्टी |विधि :
उपर्युक्त पट्टियों की विधि से सूती/खद्दर की पट्टी को भिगोकर,निचोड़कर पेडू से नाभि के तीन अंगुल ऊपर तक लपेट दें ,इसके ऊपर से ऊनी पट्टी इस तरह से लपेट दें कि नीचे वाली गीली पट्टी पूरी तरह से ढक जाये |एक से दो घंटा या सारी रात इसे लपेट कर रखें |

 wonders of wet bandage 

3 जोड़ों की गीली पट्टी : 

शरीर के विभिन्न जोड़ों के दर्द एवं सूजन की अवस्था में एक घंटे के लिए जोड़ के आकर के अनुसार गीली फिर ऊनी पट्टी का प्रयोग करें |

4. गले की गीली पट्टी :

लाभ : इस पट्टी को रोगनिवारक प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है | गले की पट्टी से गले के ऊपर-नीचे की अनावश्यक गर्मी समाप्त होती है |
टांसिलायिटिस, गले के आस-पास की सूजन, गला बैठना,घेंघा जैसे रोगों में लाभकारी है |
साधन :
एक सूती पट्टी -गले की चौडाई जितनी चौड़ी एवं इतनी लम्बी कि गले में तीन-चार लपेट लग जाएँ |
गले में तीन-चार लपेट लगने भर की लम्बी, ऊनी पट्टी या मफलर |विधि :
सूती पट्टी को ठन्डे पानी में भिगोकर , निचोड़कर गले में तीन-चार लपेटे लगा दें ऊपर से ऊनी पट्टी या मफलर लपेट लें | समय – ४५ मिनट से १ घंटा |

 wonders of wet bandage 

5. छाती की पट्टी :

लाभ : छाती के सभी रोग जैसे -खांसी,निमोनिया,क्षय [ फेफड़ों का ] दमा, कफ,पुरानी खांसी में लाभकारी |
सावधानी :
अत्यंत निर्बल रोगी को पट्टी देते समय सूती/खादी पट्टी को गुनगुने पानी में भिगोकर,निचोड़कर प्रयोग करना चाहिए |
फेफड़ों के रक्तस्राव की अवस्था में पट्टी का प्रयोग कम समय के लिए एवं फेफड़ों की कैविटी [ जैसा कि क्षय में होता है ] भरने हेतु अधिक समय के लिए पट्टी का प्रयोग करना चाहिए |साधन :
खद्दर या सूती कपडे की एक पट्टी जो कि छाती की चौडाई के बराबर चौड़ी हो एवं लम्बाई इतनी कि छाती से पीठ तक घुमाते हुए तीन राउण्ड लग जाएँ |
ऊनी या गर्म कपडे की पट्टी जो नीचे की सूती/खद्दर की पट्टी को ढक ले |विधि :
खद्दर या सूती पट्टी को ठन्डे पानी में भिगोकर निचोड़ लें , अब इसे पूरी छाती पर पसलियों के नीचे तक लपेट दें | इस पट्टी के ऊपर ऊनी पट्टी लपेट दें | यह पट्टी रोग की अवस्था के अनुसार १ से ४ घंटे तक बांधी जा सकती है |

6. धड की गीली पट्टी :

लाभ :- योनि की सूजन, आमाशायिक रोग, पेट-पेडू का दर्द व सूजन, लीवर,तिल्ली के रोगों में अत्यंत लाभकारी है |
विधि :
यह भी छाती पट्टी की तरह लपेटनी होती है बस इस पट्टी की चौडाई नाभि के नीचे तक बढ़ा लेनी चाहिए एवं पट्टी के दौरान रोगी को लिटाकर सिर खुला रखकर पैर से गर्दन तक कम्बल उढ़ा देना चाहिए | एक से दो घंटा इस पट्टी का प्रयोग करना चाहिए |
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9.7.18

मर्दानगी बढ़ाने वाले नुस्खे // sex power




आज की भाग दौड़ भरी जिन्दगी मे अक्सर लोगों को सेक्स संबन्धित समस्याए हो जाती हैं जिसके चलते अक्सर पुरुष, शीघ्रपतन व सेक्स पावर में कमी की समस्या के लिए परेशान रहते हैं। अगर आप अपनी प्रेमिका को बिस्तर पर चरम सुख प्रदान नहीं कर पा रहे तो परेशान न हो क्योकि आज हम आपको ऐसा नुस्खा बताने वाले हैं जो सेक्स से पहले अगर मर्द खा ले तो उसकी सेक्स क्षमता अचानक से बढ़ जाती है-

सफेद प्याज आपको बना देगा सेक्स का महारथी
अगर कोई पुरूष लगातार कई दिनों तक सफ़ेद प्याज का मुरब्बा खाता है तो उसकी सेक्स पॉवर कई गुना बढ जाती है पहले जमाने में सफ़ेद प्याज का मुरब्बा राजा और अधिक शादियां करने वाले लोग खाते थे। बस ध्यान रखने वाली बात यह है कि मुरब्बा सही विधि से बनाया गया हो। सेक्स से पहले इसको इस्तेमाल करने से तत्काल फायदा मिलता है।
 
कई गुना बढ़ जाएगी सेक्स पावर
एक किलो प्याज के रस में आधा किलो उड़द की काली दाल मिलाकर पीस कर पेस्ट बना लें। इसे सुखाकर एक किलो प्याज के रस में मिलाकर फिर से पीस लें। इस पेस्ट को दस ग्राम मात्रा में लेकर गाय के दूध में पकाएं और मिश्री डाल कर पी लें। इसका सेवन एक से दो माह तक नियमित सुबह-शाम करने से कमजोरी दूर होती है और सेक्स पावर में बढ़ोतरी होती है।

100 ग्राम अजवाइन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें और अच्छी तरह सूख जाने पर इसका बारीक पाउडर बना लें। इस पाउडर को पांच ग्राम घी और पांच ग्राम मिश्री के साथ सेवन करें। इसको एक माह तक लेने पर शीघ्रपतन की समस्या से राहत मिलती है।
एक किलो प्याज का रस, एक किलो शहद और आधा किलो मिश्री मिलाकर डिब्बे में पैक कर लें। इसे पंद्रह ग्राम की मात्रा में एक माह तक नियमित सेवन करें। इस योग के प्रयोग से सेक्शुअल डिजायर में वृद्धि होती है।
धूम्रपान, शराब खट्टी चीजो, फ़ास्ट फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्स, आदि का सेवन ना करे। इस प्रयोग का सम्पूर्ण फायदा लेने के लिए प्रयोग काल के 21 दिन सम्भोग नहीं करना चाहिए। इस प्रयोग से ऐसी ताक़त मिलेगी जिसका कोई जवाब नहीं। ये प्रयोग उन लोगो के लिए ही बताया हैं जो लोग अपनी शादी शुदा ज़िंदगी से परेशान हैं।
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