29.8.19

रजोनिवृत्ति की समस्याओं के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार //menopause




मेनोपॉज या रजोनिवृति
मेनोपॉज महिला के शरीर की उस अवस्था को कहते हैं. जिस अवस्था में महिला को मासिक धर्म होने बंद हो जाते हैं. मेनोपॉज होने का मतलब हैं महिला के शरीर में प्रजनन क्षमता का खत्म हो जाना. इस अवस्था में पहुंचकर महिला के अंडाशय में अंडाणुओं के बनने की क्रिया समाप्त हो जाती हैं. महिला में मेनोपॉज की अवस्था 40 से 50 वर्ष के बीच की हो सकती हैं.

जैसे आजकल कुछ महिलाओं में समय से पहले यह समस्या उत्पन्न हो रही है की उनका अंडाशय कम एस्ट्रोजन का उत्पादन कर रहा है जिससे उनके शरीर में एस्ट्रोजन की कमी हो रही है और जिसकी वजह से उनकी माहवारी भी अनियमित हो जाती है जिसे प्रीमेनोपॉज (perimenopause) कहा जाता है और जब पूरे एक साल तक माहवारी ना आने की स्थिति बनी रहे तो उसे फुल मेनोपॉज (full menopause) कहा जाता है।
रजोनिवृत्ति की स्थिति आने के बाद महिलाओं में कई तरह की परेशानियां उत्पन्न होने लगती है जैसे नींद ना आना, मूड स्विंग्स होना, चिड़चिड़ापन, थकान, तनाव आदि होना। इसके अलावा रजोनिवृत्त महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis), मोटापा, हृदय रोग और टाइप 2 डायबिटीज सहित कई अन्य बीमारियों का खतरा भी होता है।
रजोनिवृत्ति के बाद होने वाली समस्या को कैसे कम करें
आप रजोनिवृत्ति या मीनोपॉज की समस्या को आसानी से कुछ घरेलू उपाय या घरेलू नुस्खे अपना कर या अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करके कम कर सकती है। अगर आप मीनोपॉज के बाद भी स्वस्थ और खुशहाल जीवन चाहती है तो बहुत से घरेलू तरीके आपके काम आ सकते है और आपको रजोनिवृत्ति के बाद होने वाली कई गंभीर बीमारियों से भी बचा सकते है।
घरेलू उपचार
कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ
कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ रजोनिवृत्ति को जल्दी आने से रोकने का एक अच्छा घरेलू उपाय है। रजोनिवृत्ति या मीनोपॉज के दौरान हार्मोनल परिवर्तन की वजह से हड्डियाँ कमजोर हो सकती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है। कैल्शियम और विटामिन डी मजबूत हड्डियों के लिए अच्छे स्रोत होते हैं, इसलिए आपके आहार में इन पोषक तत्वों का पर्याप्त मात्रा में होना महत्वपूर्ण होता है। पोस्टमेनोपॉज़ल (postmenopausal) वाली महिलाओं द्वारा पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी का सेवन करने से कमजोर हड्डियों के कारण होने वाले हिप फ्रैक्चर के जोखिम को भी कम किया जा सकता है।
कई खाद्य पदार्थ कैल्शियम से भरपूर होते हैं, जिसमें कई डेयरी उत्पाद भी शामिल है जैसे दही, दूध और पनीर।
रजोनिवृत्ति के घरेलू उपाय के रूप में आप हरी, पत्तेदार सब्जियाँ जैसे पालक, पत्तागोभी में भी बहुत सारा कैल्शियम होता है तो आप इनका भी सेवन कर सकती है। टोफू, बीन्स जैसे अन्य खाद्य पदार्थों में भी भरपूर मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी होता है। इसके अतिरिक्त, शरीर में कैल्शियम बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे अनाज, फलों का रस या दूध के विकल्प को भी शामिल किया जा सकता है और यह इसके बहुत अच्छे स्रोत भी हैं।
विटामिन डी का सेवन
सूर्य का प्रकाश विटामिन डी का मुख्य स्रोत माना जाता है, क्योंकि जब आपकी त्वचा सूर्य के संपर्क में आती है तब वह इसका उत्पादन करती है जिससे हमारे शरीर को विटामिन डी मिलता है। हालाँकि, जैसे-जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, हमारी त्वचा इसे बनाने में कम कुशल हो जाती है। इसलिए यदि आप धूप में ज्यादा बाहर नहीं निकलती हैं या अपने आप को पूरा ढंक कर चलती हैं, तो आपको विटामिन डी के सप्लीमेंट या खाद्य पदार्थ लेना बहुत ही महत्वपूर्ण हो सकता है। विटामिन डी के समृद्ध आहार स्रोतों में शामिल है ऑयली फिश, अंडे, मशरुम, सोया मिल्क आदि।
मेनोपॉज का आयुर्वेदिक इलाज
सही वजन को बनाये रखना रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के लक्षणों को कम करने का अचूक घरेलू उपाय माना जाता है रजोनिवृत्ति के दौरान वजन बढ़ना एक आम बात है। वजन बढ़ने का कारण बदलते हार्मोन, बढ़ती उम्र, अनियमित जीवन शैली और आनुवांशिक भी हो सकता है।
रजोनिवृत्ति के दौरान शरीर की अतिरिक्त चर्बी, विशेषकर कमर के आस-पास की चर्बी से हृदय रोग और मधुमेहजैसी बीमारियों के होने का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, आपके शरीर का वजन आपके रजोनिवृत्ति के लक्षणों की वजह से भी प्रभावित हो सकता है।
फल और सब्जियां
मीनोपॉज की समस्या के लिए एक अच्छा घरेलू तरीका है फल और सब्जियों का सेवन करना क्योकि फलों और सब्जियों का भरपूर आहार लेने से रजोनिवृत्ति के बाद उत्पन्न होने वाले कई लक्षणों और समस्याओं को रोका जा सकता है।
फल और सब्जियों में कैलोरी की मात्रा कम होती हैं इसलिए इनके सेवन से आसानी से वजन घटाया जा सकता हैं। फल और सब्जियों का आहार लेने से हृदय रोग सहित कई बीमारियों को होने से भी रोका जा सकता हैं। ऐसा करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि रजोनिवृत्ति के बाद हृदय रोग का जोखिम बढ़ जाता है। यह बीमारी उम्र बढ़ने, वजन बढ़ने या संभवतः एस्ट्रोजन के स्तर को कम करने जैसे कारकों के कारण होती है।
जल्दी रजोनिवृत्ति के लक्षणों को रोकने के लिए फल और सब्जियों के सेवन से हड्डियों को होने वाले नुकसान को रोकने में मदद मिल सकती हैं। एक शोध में यह पाया गया है की 50-59 आयु वर्ग की महिलाओं का फल और सब्जियों के आहार अधिक लेने से हड्डियों के टूटने की समस्या को कम किया जा सकता है।
भरपूर पानी पीना
रजोनिवृत्ति या मीनोपॉज के दौरान, महिलाओं को अक्सर सूखापन का अनुभव होता है। यह एस्ट्रोजन के स्तर में कमी के कारण हो सकता है। इसलिए दिन में 8-12 गिलास पानी पीने से इन लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।
भरपूर पानी पीने से हार्मोनल परिवर्तन के साथ शरीर में होने वाली सूजन को भी कम किया जा सकता है। जो मेनोपॉज को रोकने में है लाभकारी साबित हो सकता है इसके अलावा ज्यादा पानी पीने से आपको वजन कम करने
में भी सहायता मिल सकती है और आप अपने मेटाबोलिज्म को भी मजबूत कर सकती हैं।
ऐसा माना गया है की भोजन से 30 मिनट पहले 500 मिली पानी पीने से आप भोजन के दौरान 13% कम कैलोरी का उपभोग कर सकती हैं।
रिफाइंड शुगर और प्रोसेस्ड फूड से बचें-
रिफाइंड कार्ब्स (refined carbs) और चीनी का उच्च आहार लेने से ब्लड शुगर का स्तर तेजी से बढ़ और घट सकता है जिससे आप रजोनिवृत्ति के दौरान थका हुआ और चिड़चिड़ा महसूस कर सकती हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि रिफाइंड कार्ब्स का उच्च आहार लेने से पोस्टमेनोपॉज़ल (postmenopausal) महिलाओं में अवसाद का जोखिम बढ़ सकता हैं। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों (processed food) का उच्च आहार लेने से हड्डियां भी प्रभावित हो सकती है।
प्रोटीन युक्त आहार
नियमित रूप से दिन भर प्रोटीन युक्त आहार लेने से कमजोर मांसपेशियों को नुकसान पहुँचने से बचाया जा सकता है, क्योकि रजोनिवृत्ति की यह समस्या उम्र के साथ बढ़ती है इसलिए हमेशा कोशिश करें की आप ज्यादा से ज्यादा मात्रा में प्रोटीन युक्त भोजन ले पाएं। मांसपेशियों के नुकसान को रोकने में मदद करने के अलावा, उच्च-प्रोटीन आहार वजन घटाने में भी मदद कर सकते हैं क्योंकि वह शरीर में कैलोरी की मात्रा को कम करते हैं। मेनोपॉज के लक्षणों को रोकने के लिए प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों में शामिल है मांस, मछली, अंडे, फलियां, नट और डेयरी प्रोडक्ट। इन सभी घरेलू उपचारों से आप रजोनिवृत्ति या मेनोपॉज की समस्या से आसानी से उभर सकती है और स्वस्थ रह सकती है।
फाइटोएस्ट्रोजेन से भरपूर आहार
फाइटोएस्ट्रोजेन (phytoestrogen) स्वाभाविक रूप से पैदा हुए पौधे के यौगिक (compound) होते हैं जो शरीर में एस्ट्रोजेन के प्रभाव की नकल करते हैं। इसलिए यह फाइटोएस्ट्रोजेन हार्मोन को संतुलित करने में मदद करते हैं।
फाइटोएस्ट्रोजेन से भरपूर खाद्य पदार्थों में शामिल है सोयाबीन और सोया उत्पाद जैसे टोफू, अलसी, तिल और सेम।
कई शोध से यह पता चला है कि रजोनिवृत्ति के दौरान फाइटोएस्ट्रोजेन से भरे खाद्य पदार्थ, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों (processed food) जिनमें सोया प्रोटीन होता है और बहुत से सप्लीमेंट्स से बेहतर होता हैं।
मेनोपॉज के उपचार
1. मेनोपॉज से होने वाली किसी भी समस्या से छुटकारा पाने के लिए महिलाएं भोजन में कुछ विशेष पदार्थों का सेवन कर सकती हैं. मेनोपॉज की अवस्था में बंदगोभी, फलीदार सब्जियों की तथा दलों का सेवन करना चाहियें. इससे मेनोपॉज से होने वाली शरीर की सारी बिमारियां ठीक हो जाती हैं.
2. मेनोपॉज की अवस्था में महिलाओं को फाइटो एस्ट्रोजन लेना आरम्भ कर देना चाहिए. फाइटो एस्ट्रोजन हमें सोयाबीन से, सोया से, पनीर से, सोया मिल्क से, सोया आटा से तथा सोयाबीन की बड़ियों से मिलता हैं. इस लिए 50 साल की तथा इससे ज्यादा उम्र की महिलाओं को इन सभी खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए.
3. मेनोपॉज में महिला अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दूध और तिल का प्रयोग कर सकती हैं. मेनोपॉज की अवस्था में महिला को प्रतिदिन एक गिलास दूध में तिल को मिलाकर पीना चाहिए. इस दूध को पीने से महिला का शरीर स्वस्थ रहता हैं.
4. मेनोपॉज के कारण अगर किसी महिला के शरीर के अंगों में दर्द रहता हैं तो वह गाजर के बीजों का उपयोग कर सकती हैं. इसके लिए गाजर के बीजों को दूध में डालकर कुछ देर उबाल लें.

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    15.8.19

    दारूहल्दी की चमत्कारी शक्ति: अनेक बीमारियों का एक समाधान



          दारूहल्दी  की चमत्कारी शक्ति:अनेक बीमारियों का एक समाधान




    मित्रों ,घरेलू आयुर्वेद  चिकित्सा के विडिओ प्रस्तुत करने की शृंखला मे आज का टॉपिक है "दारूहल्दी या रसौत की चमत्कारी शक्ति: अनेक बीमारियों का एक समाधान"

    दारुहरिद्रा  एक औषधीय जड़ी बूटी है। दारुहरिद्रा के फायदे जानकर आप हैरान हो जाएगें। इसे दारू हल्दी के नाम से भी जाना जाता हैं । यह मधुमेह की चिकित्सा में बहुत उपयोगी है। यह ऐसी जड़ी बूटी है जो कई असाध्‍य स्‍वास्‍थ्‍य सस्‍याओं को प्रभावी रूप से दूर कर सकती है। दारू हल्दी का पौधा भारत और नेपाल के पर्वतीय हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह श्रीलंका के कुछ स्थानों में भी पाया जाता है।    दारुहरिद्रा को इंडियन बारबेरी  या ट्री हल्‍दी (tree turmeric) के नाम से भी जाना जाता है।   इस जड़ी बूटी को प्राचीन समय से ही आयुर्वेदिक चिकित्‍सा प्रणाली में उपयोग किया जा रहा है।
    दारुहरिद्रा के फायदे लीवर सिरोसिस, सूजन कम करने, पीलिया, दस्‍त का इलाज करने, मधुमेह को नियंत्रित करने, कैंसर को रोकने, बवासीर का इलाज करने, मासिक धर्म की समस्‍याओं को रोकने आदि में होते हैं। 
    आयुर्वेदिक मतानुसार दारुहल्दी गुण में लघु , स्वाद में कटु कषाय, तिक्त तासीर में गर्म, अग्निवद्धक, पौष्टिक, रक्तशोधक, यकृत उत्तेजक, कफ नाशक, व्रण शोधक, पीड़ा, शोथ नाशक होती है। यह ज्वर, श्वेत व रक्त प्रदर, नेत्र रोग, त्वचा विकार, गर्भाशय के रोग, पीलिया, पेट के कृमि, मुख रोग, दांतों और मसूड़ों के रोग, गर्भावस्था की जी मिचलाहट आदि में गुणकारी है।
    यूनानी चिकित्सा पद्धति में दारुहल्दी दूसरे दर्जे की सर्द और खुश्क तथा जड़ की छाल पहले दर्जे की गर्म और खुश्क मानी गई है। इसके फल जरिश्क, यूनानी में एक उत्तम औषधि मानी गई है। यह आमाशय, जिगर और हृदय के लिए बलवर्द्धक है। इसके सेवन से जिगर और मेदे की खराबी से दस्त लगना, मासिक धर्म की अधिकता, सूजन, बवासीर के कष्टों में आराम मिलता है।

    दारुहरिद्रा की तासीर

    दारुहरिद्रा की तासीर गर्म होती है जिसके कारण यह हमारे पाचन तंत्र के अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य में मदद करता है। इसके अलावा दारुहरिद्रा में अन्‍य पोषक तत्‍वों और खनिज पदार्थों की भी उच्‍च मात्रा होती है। जिसके कारण यह हमारे शरीर को कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से बचाता है।
    दारुहरिद्रा के फायदे

    पोषक तत्वों और खनिज पदार्थों की उच्‍च मात्रा होने के कारण दारुहरिद्रा के फायदे हमारे बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य के लिए होते हैं। यह ऐसी जड़ी बूटी है जो उपयोग करने पर कई जटिल स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को आसानी से दूर कर सकती है। 
     
    रसौत के लाभ बवासीर के लिए

    दारुहरिद्रा या रसौत के फायदे बवासीर के लिए भी होते हैं। बवासीर की समस्‍या किसी भी व्‍यक्ति के लिए बहुत ही कष्‍टदायक होती है। इसके अलावा रोगी इस बीमारी के कारण बहुत ही कमजोर हो जाता है। क्‍योंकि इस दौरान उनके शरीर में रक्‍त की कमी हो सकती है। लेकिन इस समस्‍या से बचने के लिए दारुहरिद्रा के फायदे होते हैं। दारुहरिद्रा में ब्‍लीडिंग पाइल्‍स का उपचार करने की क्षमता होती है। बवासीर रोगी को नियमित रूप से इस जड़ी बूटी को मक्‍खन के साथ 40-100 मिलीग्राम मात्रा का सेवन करना चाहिए। दारुहरिद्रा के यह लाभ इसमें मौजूद एंटीआक्‍सीडेंट, जीवाणुरोधी, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुणों के कारण होते हैं। ये सभी गुण बवासीर के लक्षणों को कम करने और शरीर को अन्‍य प्रकार के संक्रमण से बचाने में सहायक होते हैं।

    आंखों के लिए फायदे 

    आप अपनी आंखों को स्‍वस्‍थ्‍य रखने और देखने की क्षमता को बढ़ाने के लिए दारु हल्‍दी का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। औषधीय गुणों से भरपूर दारुहरिद्रा को आंखों के संक्रमण दूर करने में प्रभावी पाया गया। इसके लिए आप दारुहरिद्रा को मक्‍खन, दही या चूने के साथ मिलाएं और आंखों की ऊपरी क्षेत्र में बाहृ रूप से लगाएं। यह आंखों की बहुत सी समस्‍याओं को दूर कर सकता है। यदि आप आंख आना या कंजंक्टिवाइटिस से परेशान हैं तो दूध के साथ इस जड़ी बूटी को मिलकार लगाएं। यह आंख के संक्रमण को प्रभावी रूप से दूर कर नेत्रश्‍लेष्‍म को कम करने में मदद करती है।

    दारुहरिद्रा के फायदे मधुमेह के लिए

    यदि आप मधुमेह रोगी हैं तो दारुहरिद्रा जड़ी बूटी आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकती है। क्‍योंकि इस पौधे के फलों में रक्‍त शर्करा को कम करने की क्षमता होती है। नियमित रूप से उपयोग करने पर यह आपके शरीर में चयापचय एंजाइमों को सक्रिय करता है। जिससे आपके रक्‍त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। 

    बुखार ठीक करे

    जब शरीर का तापमान अधिक होता है या बुखार की संभावना होती है तो दारुहरिद्रा का उपयोग लाभकारी होता है। इस दौरान इस जड़ी बूटी का सेवन करने से शरीर के तापमान को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा यह शरीर में पसीने को प्रेरित भी करता है। पसीना निकलना शरीर में तापमान को अनुकूलित करने का एक तरीका होता है। साथ ही पसीने के द्वारा शरीर में मौजूद संक्रमण और विषाक्‍तता को बाहर निकालने में भी मदद मिलती है। इस तरह से दारुहरिद्रा का उपयोग बुखार को ठीक करने में मदद करता है। रोगी को दारुहरिद्रा के पौधे की छाल और जड़ की छाल को मिलाकर एक काढ़ा तैयार करें। इस काढ़े को नियमित रूप से दिन में 2 बार सेवन करें। यह बुखार को कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका हो सकता है।

    दस्‍त के इलाज में

    आयुर्वेद और अध्‍ययनों दोनों से इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि दारुहरिद्रा जड़ी बूटी दस्‍त जैसी गंभीर समस्‍या का निदान कर सकती है। शोध के अनुसार इस जड़ी बूटी में ऐसे घटक मौजूद होते हैं जो पाचन संबंधी समस्‍याओं को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटीबैक्‍टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल गुण पेट में मौजूद संक्रामक जीवाणुओं के विकास और प्रभाव को कम करते हैं। जिससे दस्‍त और पेचिश जैसी समस्‍याओं को रोकने में मदद मिलती है। आप सभी जानते हैं कि दूषित भोजन और दूषित पानी पीने के कारण ही दस्‍त और पेचिश जैसी समस्‍याएं होती है। लेकिन इन समस्‍याओं से बचने के लिए दारुहरिद्रा जड़ी बूटी फायदेमंद होती है। दस्‍त का उपचार करने के लिए इस जड़ी बूटी को पीसकर शहद के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करना चाहिए।

    सूजन के लिए

    हर्बल चिकित्सा के जानकार डॉ ,आलोक द्वारा किए गए अध्‍ययनों से पता चलता है कि सूजन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए दारुहरिद्रा फायदेमंद होती है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इस जड़ी बूटी में एंटीऑक्‍सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जिनके कारण यह सूजन और इससे होने वाले दर्द को प्रभावी रूप से कम कर सकता है। अध्‍ययनों से यह भी पता चलता है कि यह गठिया की सूजन को दूर करने में सक्षम होता है। सूजन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए आप दारू हल्‍दी का पेस्‍ट बनाएं और प्रभावित जगह पर लगाएं। ऐसा करने से आपको सूजन और दर्द से राहत मिल सकती है।

    कैंसर से बचाव

    दारुहरिद्रा या रसौत में कैंसर कोशिकाओं को रोकने और नष्‍ट करने की क्षमता होती है। क्‍योंकि यह जड़ी बूटी एंटीऑक्‍सीडेंट से भरपूर होती है। कैंसर का उपचार अब तक संभव नहीं है लेकिन आप इसके लक्षणों को कम कर सकते हैं। कैंसर के मरीज को नियमित रूप से दारुहरिद्रा और हल्‍दी के मिश्रण का सेवन करना चाहिए।
    शारीरिक मांसपेशियों के दर्द को कम करने के लिए भी इस जड़ी बूटी का इस्‍तेमाल किया जाता है। क्‍योंकि इस जड़ी बूटी में दर्द निवारक गुण होते हैं जो औरतों मे  सफेद पानी  की समस्या याने ल्‍यूकोरिया  और  मसिक धर्म की अधिकता  जैसी समस्‍याओं के लिए लाभकारी होते हैं।
    पीलिया के उपचार में भी यह जड़ी बूटी  मददगार होती है। क्‍योंकि इस जड़ी बूटी का उपयोग करने से शरीर में मौजूद विषाक्‍तता को दूर करने में मदद मिलती है। यह यकृत को भी विषाक्‍तता मुक्‍त रखती है और पीलिया के लक्षणों और संभावना को कम करती है।
    दारुहरिद्रा में कैंसर के लक्षणों को कम करने की क्षमता होती है। क्‍योंकि इस जड़ी बूटी में एंटीकैंसर गुण होते हैं। जिसके कारण इसका नियमित सेवन करने से पेट संबंधी कैंसर की संभावना को कम किया जा सकता है।
    कान के दर्द को कम करने के लिए भी दारू हल्‍दी लाभकारी होती है। इसके अलावा यह कान से होने वाले स्राव को भी नियंत्रित कर सकती है।
    पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए इस औषधी का नियमित सेवन किया जाना चाहिए। यह आपकी भूख को बढ़ाने और पाचन तंत्र को मजबूत करने में प्रभावी होती है।
    कब्‍ज जैसी पेट संबंधी समस्‍या के लिए दारुहरिद्रा का इस्‍तेमाल फायदेमंद होता है।
    बुखार होने पर इसकी जड़ से बनाये गए काढ़े को इस्तेमाल करने से जल्द ही बुखार से छुटकारा मिलता है |
    दालचीनी के साथ दारू हल्दी को मिलाकर चूर्ण बना ले | इस चूर्ण को नित्य सुबह – शाम 1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ उपयोग करने से महिलाओं की सफ़ेद पानी की समस्या दूर हो जाती है |
     
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    6.8.19

    सेहत का खजाना कुटज: मधुमेह, पेचिश और जीर्ण ज्वर का आयुर्वेदिक समाधान



    सेहत का खजाना कुटज: मधुमेह, पेचिश और जीर्ण ज्वर का आयुर्वेदिक समाधान

     मित्रों ,घरेलू आयुर्वेद से रोगों की चिकित्सा के विडिओ की शृंखला मे आज का टॉपिक है "सेहत का खजाना कुटज: मधुमेह, पेचिश और जीर्ण ज्वर का आयुर्वेदिक समाधान"
       इंद्रजौ  जिसे कुटज के नाम से भी जाना जाता है, एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका इस्तेमाल सदियों से कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए किया जाता रहा है. यह एक छोटा झाड़ीनुमा पौधा है जिसके बीजों का इस्तेमाल दवा बनाने में किया जाता है. इंद्रजौ में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. इसे त्वचा संबंधी समस्याओं और डायबिटीज व पथरी जैसी गंभीर समस्याओं के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है.
     कुटज की छाल कड़वी, दीपन, ग्राही, मियादी बुखार और ज्वर नाशक है |आप कुटज की छाल को पीसकर दूध के साथ भी पी सकते हैं। इसका प्रयोग पथरी को शरीर से बाहर  निकालने के लिए भी होता है। अगर आप इंद्र जौ की छाल के पाउडर का गरम पानी के साथ सेवन करते हैं तो इससे पथरी न‍िकल जाएगी।


                                                    कुटज के औषधीय उपयोग 


    दस्त को रोकता है कुटज
    नागरमोथा, अतीस, पान, कुटज की छाल तथा लाक्षा चूर्ण को बराबर बराबर (2-5 ग्राम) लें। इसे जल के साथ सेवन करने से दस्त पर रोक लगती है।
    5-10 मिलीग्राम कुटज छाल के रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से दस्त में फायदा होता है

    विडिओ मे देखें कुटज के सारे फायदे -




    पेचिश में कुटज के काढे से फायदा

    40 ग्राम इद्रजौ की छाल को 400 मिलीग्राम पानी में उबाल लें। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए तो इसे छानकर इतना ही अनार का रस मिला लें। इसे आग पर गाढ़ा कर लें और छह ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ मिलाकर सुबह-शाम पिएं। इससे पेचिश में लाभ होता है।
    कुटज बीज को 50 मिलीग्राम जल में उबाल लें। इसे छानकर शहद मिलाकर दिन में तीन बार पिलाने से पित्तज विकार के कारण होने वाले दस्त (पित्तातिसार) में लाभ होते हैं।
    त्वचा रोग

    इंद्रजौ का उपयोग त्वचा संबंधी समस्याओं में बहुत अधिक किया जाता है. इसे आंतरिक और बाहरी रूप से दोनों ही प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकता है. त्वचा की समस्याओं को यह औषधि तेजी से ठीक करने में मददगार  होती है, और इसके नियमित उपयोग से त्वचा की समस्याएं दूर हो जाती हैं.त्‍वचा में एलर्जी, खुजली, खुरदुरी त्‍वचा, सूजन या फिर कोई और इंफेक्शन हो जाए तो आप संक्रमित जगह पर इंद्र जौ की छाल को लगाकर राहत पा सकते हैं।




    दांत मसूढ़े के लिए कुटज के फायदे 

    दांतों के रोगों में कुटज का इस्तेमाल कई तरह से फायदेमंद हो सकता है। यह दांतों के दर्द, मसूड़ों की सूजन, और दांतों की सड़न जैसी समस्याओं में राहत देता है। कुटज की छाल का पानी या कुटज का पाउडर दांतों और मसूड़ों के लिए प्रभावी उपाय  है.





    ‌‌‌बवासीर मे हितकारी  कुटज : – 

    बवासीर से दर्द, जलन और कभी-कभी रक्तस्राव हो सकता है। कुटज के कषाय (कसैला), रोपन (उपचार) और शीत  (ठंडा) गुण प्रभावित क्षेत्र को ठंडा प्रभाव प्रदान करते हैं और खूनी  बवासीर से जुड़े लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं इसके लिए  आधा चमच  कुटज पाउडर लें।


    फैटी लिवर के लिए कुटकी है आयुर्वेद का वरदान 

    कुटज एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के रोगों के इलाज के लिए किया जाता है, जिनमें फैटी लीवर भी शामिल है. आयुर्वेद में, कुटज को 'लिवर डिटॉक्सिफायर' के रूप में माना जाता है और यह लिवर को साफ करने और स्वस्थ रखने में मदद करता है.

                                                     पुराना बुखार ठीक करती है  
    :

    कुटज को बुखार के इलाज में भी बहुत फायदेमंद माना जाता है. इसके एंटीपायरेटिक गुण शरीर के तापमान को नॉर्मल  करने में मदद करते हैं. कुटज का इस्तेमाल  दाद, खाज, खुजली जैसी समस्याओं को दूर करने में मददगार होता है
    इन्द्र जौ के पेड़ की छाल और गिलोय का काढ़ा पिलायें अथवा रात को छाल को पानी में गला दें और सुबह उस पानी को छानकर पिलायें। इससे पुराना बुखार दूर हो जाता है।

     कुटकी की तासीर गर्म होती है या ठंडी?

    कुटकी की तासीर ठंडी होती है। यह शरीर में पित्त और गर्मी को संतुलित करने में मदद करती है, जिससे पाचन में सुधार होता है और लिवर मजबूत होता है।

    डायबिटीज़ का काल है इन्द्रजौ

    इंद्रजौ का उपयोग डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. इसका सेवन करने से शुगर के लेविल  को नियंत्रित किया जा सकता है. साथ ही, शुगर से उत्पन्न होने वाली अन्य शारीरिक समस्याओं में भी यह औषधि लाभकारी साबित होती हैअब हम आपको मधुमेह का बहुत ही कारगर नुस्खा याने फार्मूला  भी बताया देते हैं -
    इन्द्र जो कडवा   250 ग्राम
    बादाम 250 ग्राम
    भुने चने 250 ग्राम
    यह योग बिल्कुल अजूबा योग है अनेकों रोगियों पर आजमाया गया है||बादाम  शुगर रोगी की दुर्बलता, कमजोरी   दूर करता है| चने को इन्द्र जो की कड़वाहट  कम करने के लिए मिलाया जाता है 

    बनाने की विधि :

    तीनों औषधियों कुटज,बादाम भुने चने  का अलग अलग पावडर बनाए और तीनो को मिक्स करके  कांच के जार में रख लें |यह औषधि  खाने के बाद एक  चम्मच  दिन में केवल एक बार  सादे जल से लेते रहें 
    सावधानी -
    किसी औषधि तत्व का इस्तेमाल से पहिले किसी चिकित्सा विशेषज्ञ  से संपर्क करना उचित है| हमारा चैनल                  subscribe  कीजिए । धन्यवाद ,आभार !


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    31.7.19

    दूध मे अदरक मिलाकर पीने के फायदे //milk ginger

         

                                     

    दूध का स्वाद बढ़ाने और स्वास्थ्यवर्धक गुणों को बढ़ाने के लिए अदरक काफी फायदेमंद होती है। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेट्र्री, एंटी-बैक्टीरियल गुण होने के साथ-साथ अनेक मेडिकल प्रोपर्टीज पाई जाती है। इसलिए अदरक के दूध का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। सर्दी-जुकाम से बचाने के साथ अदरक का दूध, हल्दी के दूध की तरह बदन दर्द को दूर करने के लिए उपयोगी होता है। दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसमें अदरक मिलाने से इसके स्वास्थ्यवर्धक लाभ और भी बढ़ जाते हैं। आइए जानते हैं कि अदरक का दूध पीना स्वास्थ्य के लिए कैसे फायदेमंद होता है।

    अदरक के फायदों के बारे में तो अधिकतर लोगों को पता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि अगर अदरक को दूध में मिलाकर पिया जाए तो इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाने के कारण चाहे सर्दी-जुकाम हो या वायरल फ्लू, मरीज को अदरक के सेवन की सलाह दी जाती है।
    गर्भवती महिलाओं को भी मॉर्निंग सिकनेस से आराम दिलाने के लिए अदरक की चाय पीने की सलाह दी जाती है। दूध अपने आप में ही एक पूर्ण पौष्टिक आहार है और जब आप इसमें अदरक मिला देते हैं तो आप इन दोनों पौष्टिक चीजों के फायदे एक साथ हासिल कर लेते हैंयह बात बहुत कम लोग ही जानते हैं कि अदरक को दूध में मिलाकर पिया जाए तो इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं। अदरक में मिलनें वाले एंटी बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण शरीर के अंदर होने वाली कई तरह की बीमारियों को दूर करने की क्षमता रखते है।

    गठिया के दर्द से जल्दी आराम –

    बैसे तो हर कोई जानता है। कि दूध में कैल्शियम और पोटैशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जो हमारे शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करती हैं। दूध का सेवन करने हड्डियों की कमजोरी दूर होती है और यदि दूध के साथ अदरक को मिलाकर इसका सेवन रोज किया जाये, तो इनमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी के गुण हड्डियों को मजबूती देने के साथ उसकी सूजन को भी कम कर देते है। इसीलिए यह ड्रिंक गठियावाद(ऑस्टियोपोरोसिस )के मरीजों के लिए वरदान है। इसे पीने से गठिया के दर्द से जल्दी राहत मिलती है।
    पाचन शक्ति मजबूत करता है –
    अदरक का दूध पाचन क्रिया को मजबूत बनाने में काफी लाभकारी होता है। यह पेट दर्द से जुड़ी हर समस्या को दूर करने का सबसे अच्छा घरेलू उपचार माना गया है। नाश्ता करने के बाद आप अदरक वाले दूध का सेवन अवश्य करें।

    रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है –

    बदलते मौसम के साथ ही बीमारियां भी अपना रूख बदलने लगती है। जिससे इस दौरान लोग सार्दी, खांसी-जुकाम या फ्लू की चपेट में आ जाते हैं। दरअसल ऐसा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी के कारण होता है। इसलिए जिनका शरीर अत्याधिक कमजोर होता है। उन लोगों को अदरक दूध का सेवन अवश्य ही करना चाहिए। अदरक के एंटी बैक्टीरियल गुण पाये जाते है। जो शरीर में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने में अहम भूमिका निभाते है और शरीर को बाहरी संक्रामण से बचाने में मदद करते है।
    गले का इंफेक्‍शन –
    सर्दियों के समय में ज्यादातर लोग सर्दी-खांसी से परेशान रहते है। जिसमें अधिकतर बच्चे इसकी चपेट में आ जाते है इस समस्या को दूर करने के लिये अदरक वाले दूध काफी अच्छा उपचार माना गया है। इसका सेवन करने से ना केवल गले की खराश जल्दी दूर होती है बल्कि गले में होने वाले इंफेक्‍शन से भी राहत मिल जाती है। यदि आप गले के इंफेक्‍शन से पीड़ित हैं तो रात में सोने से पहले अदरक वाला दूध अवश्य पिए, और इसके एक घंटे बाद तक पानी न पियें। आपको जल्द ही इसका असर देखने को मिल जायेगा।

    हड्डियों की मजबूती :

    दूध में मौजूद कैल्शियम और पोटैशियम हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं। दूध से हड्डियों की कमजोरी दूर होती है वही अदरक में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण हड्डियों की सूजन कम होती है। इसीलिए यह ड्रिंक ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे पीने से गठिया के दर्द से जल्दी आराम मिलता है।

    अदरक का दूध बनाने का तरीका :

    सबसे पहले अदरक को साफ़ पानी से धोलें और छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें और फिर एक पतीले में दूध गर्म करें। जब दूध उबलने लगे तो उसमें अदरक के ये टुकड़े डालकर कुछ देर तक उबालें जिससे अदरक का सारा अर्क दूध में मिल जाए। इसके बाद दूध को छान लें और हल्का गुनगुना होने पर इसे पियें।

    विशिष्ट परामर्श-  


    संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज़ के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  त्वरित असर औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|








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    25.7.19

    रूखी आँखें (ड्राय आई सिंड्रोम) के घरेलू उपचार




    ऑंखे आपके प्रमुख अंगों में से एक है। यदि आपकी आंखें हवा या गर्मी के प्रति अति संवेदनशील है, और उनमें आसानी से खुजली और जलन हो जाती हैं, तो यह संभव है कि आप ऑंखों का सूखापन (Dry Eyes) से ग्रसित हो सकते है। जो बताता है कि आपको ड्राई ऑय सिंड्रोम (dry eyes syndrome) हुआ है।

    ड्राई आई सिंड्रोम यानि आंखों में रूखापन होने की बीमारी एक आम स्वास्थ्य के मुद्दों में से एक है। बच्‍चे हो या बुजुर्ग कोई भी इससे वचिंत नहीं है। आजकल धूल- मिट्टी, प्रदूषण व गलत लाइफस्‍टाइल के साथ मोबाइल, कंप्यूटर और डिजिटल स्क्रीन गैजेट्स के ज्‍यादा उपयोग इसके पीछे का सबसे बड़े कारणों में शामिल है। आंखों में ड्राईनेस होने से आंखों में खुजली, जलन, आंखों से आंसू निकलना और बिना कारण के आंखों में थकान आदि आंखों के रूखेपन के मुख्‍य लक्षण हैं। ऐसे में बहुत से लोगों को टीवी देखते समय, फोन का इस्‍तेमाल करने और पढ़ने में दिक्‍कत होने लगती है।
    यह सिंड्रोम तब होता है जब आंसू ग्रंथियां आंखों को चिकना या गीला करने के लिए पर्याप्त आँसू पैदा नहीं करती हैं। आंसू, आंखों के कार्निया एवं कन्जंक्टाइवा को नम और गीला रखता है, जिससे आंखें सूखती नहीं हैं। आंखों में टियर फिल्म पायी जाती है और इसके सबसे बाहरी परत को लिपिड या ऑयली परत कहते हैं। यह लिपिड या ऑयली परत आंसू के सूखने को कम करती है और आंखों को चिकनाई प्रदान करती है। लेकिन देर तक कंप्यूटर पर काम करने, मोबाइल फोन का ज्‍यादा इस्‍तेमाल और टीवी देखने के साथ लगातार एसी में रहने से आंखों की यह टियर फिल्म प्रभावित होती है, जो कि ड्राई आई सिंड्रोम का कारण बनते हैं। यदि आप आंखों में सूखेपन की समस्‍या से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आप इन आसान घरेलू उपायों से राहत पा सकते हैं।
    फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन
    अध्ययनों के अनुसार, यदि आपको आंखों में रूखेपन की समस्‍या है, तो आपको ओमेगा -3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए क्योंकि यह आपको आंखों की इस समरूश में राहत देने में मदद कर सकता है। इन खाद्य पदार्थों के एंटीइंफ्लामेटरी गुण आंखों की सूजन व जलन को कम करने में मदद करते हैं। ओमेगा 3 से भरपूर खाद्य पदार्थों में अखरोट, फैटी फिश, चिया सीड्स और अंडे शामिल हैं, ऐसे में आप इन खाद्य-पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।
    एलोवेरा
    एलोवेरा स्‍वास्‍थ्‍य के लिए कितना लाभदायक है, ये आप सभी जानते ही होंगे लेकिन क्‍या यह आपको आंखों के सूखेपन में भी राहत दिला सकती है? इसका जवाब है, हां। एलोवेरा में एल्‍कलाइन व एंटीइंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जिसकी वजह से यह आपकी ड्राई आंखों की समस्‍या को दूर कर सकता है। एलोवेरा जेल एक मॉश्‍चराइजर के रूप में भी काम करता है। इयलिए आंखों की ड्राईनेस की समस्‍या होने पर आप नेचुरल एलोवेरा जेल का इस्‍तेमाल ही करें। आप एलोवेरा की पत्‍ती से जेल निकालें और अपनी आंखों की पुतली पर उंगली की मदद से लगाएं। इसके 5-10 मिनट के बाद आप इसे साफ कर दें।
    मेकअप से दूरी व गुलाब जल का उपयोग
    यदि आप आंखों का मेकअप करते हैं, तो आंखों में रूखेपन के दौरान आई मेकअप से दूरी बना लें। इसके अलावा, दिन भर का काम खत्‍म करने के बाद आप अपनी आंखों को आराम देने के लिए गुलाबजल का इस्‍तेमाल करें। कंप्‍यूटर पर लगातार काम करने से आपकी आंखे थक जाती हैं, इसके लिए आप गुलाब जल में कॉटन को भिगोकर अपनी आंखों के ऊपर 15 मिनट के लिए रख लें। ऐसा करने से आपकी आखों की ड्राईनेस दूर होगी। यदि आप रोजाना कंप्यूटर पर काम करते हैं, तो आप रोजाना अपनी आंखों की थकान मिटाने के लिए गुलाबजल का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। यह आपकी आंखों की नमी को वापस पाने के लिए फायदेमंद साबित हेागा।
    आंखों के ड्राप या मलहम
    शुष्‍क आंखों के उपचार के लिए आज बहुत से डॉक्‍टरी तरीके और दवाएं उपलब्‍ध है जो आपको राहत दिलाने में मदद कर सकते है। डॉक्‍टर द्वारा बताए गए ऑय ड्राप आपको अस्थायी राहत दिला सकते है। ध्‍यान रखने वाली बात यह है कि कुछ आंखों के ड्राप बचाव करने वाले पदार्थ (preservatives) होते है। ये आमतौर पर शीशीयों में कई बार उपयोग करने लायक मात्रा में आते है, जो शीशी खोले जाने के बाद बैक्‍टीरिया से प्रभावित होकर आपकी आंखों को भी संक्रमित कर सकते है। यदि आप एक दिन में चार बार से ज्यादा इसका उपयोग करते हैं, तो आपको संरक्षक मुक्त ड्राप का उपयोग करना चाहिए। संरक्षक मुक्त ड्राप (Preservative-free drops) आमतौर पर एकल खुराक शीशियों में आते हैं।
    मरहम ड्राप से गाढ़े होते हैं और आंखों को ढंकने और सूखेपन से लंबे समय तक बचाते हैं। हांलांकि, जब आप उनका उपयोग कर रहे हों तो महलम आपकी द्रष्टि को धुंधला कर सकते हैं। सोने के समय से पहले उनका उपयोग करना सबसे अच्‍छा होता है।
    गर्म सेक
    आंखों की चिकनाई और आंसू की गुणवत्‍ता में सुधार लाने के लिए आंखों को गर्म सेक देना बेहद फायदेमंद व बेहतर विकल्‍प है। इसके लिए आप गुनगुना पानी लें और फिर काटन की मदद से अपने आंखों को सेक दें। ऐसा करने से आंखों की टियर फिल्म को फायदा मिलेगा और आपकी आंखों के सूखेपन से होने वाली एलर्जी जैसी सारी समस्‍याएं दूर हो जाएंगी।
    पर्याप्त पानी और चीनी से दूरी
    अध्ययनों के अनुसार, यदि आप आंखों के रूखेपन की समस्‍या से परेशान हैं, तो आप उस दौरान चीनी युक्त खाद्य पदार्थों से दूरी बना लें, यही आपके लिए बेहतर होगा। इसके अलावा, आप रोजाना 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं। यहद आप ऐसा करते हैं, तो जल्‍द ही आपको इस समस्‍या से निजात मिलेगी।
    अरंडी का तेल-
    आपकी आंखों में जैविक अरंडी तेल (Organic castor oil) की एक या दो बूंदे डालें। शुद्ध कैस्‍टर ऑयल ना होने पर आप कास्‍ट ऑयल से बने स्‍नेहक आंखों के ड्राप का भी उपयोग कर सकते हैं। ऐसा आपको रोजाना 2-3 बार करना है।
    यह क्‍यों काम करता है: शुष्‍क आंखों के लिए कास्‍टल तेल का उपयोग करना फायदेमंद है क्‍योंकि यह कास्‍ट प्‍लांट (Ricinus communis) के बीज दबाकर व्‍युत्‍पन्‍न होते हैं और इसमें ऐसिड अच्‍छी मात्रा में होते है। यह स्‍वाभाविक यप से स्‍नेहक गुण प्रदान करता है। इसमें विरोधी भड़काऊ (Anti-inflammatory) गुण भी होते है जो आंखों में सूखे जे जुड़ी जलन और खुजली को दूर करने में मदद करते है।
    नारियल तेल
    आपको चाहिए : कार्बनिक (organic virgin) नारियल तेल की कुछ बूंदें ।
    आप अपनी आंखों में इस नारियल तेल की कुछ बूंदे डालें। और आपनी पलकों को झपका कर इस तेल को अवशोषित करने का प्रयास करें। अच्‍छे परिणाम पाने के लिए आप इसे सुबह और रात में उपयोग कर सकते है।नारियल तेल का उपयोग विभिन्‍न उद्देश्‍यों को पूरा करने के लिए किया जाता है। इसमें कैप्रिक ऐसिड और लॉरिक एसिड (capric and lauric acid) जैसे फैटी ऐसिड होते हैं, जो आपकी त्‍वचा और बालों के लिए फायदेमंद होते हैं। ये भी अत्यधिक नमी और एंटी-इन्फ्लामेट्री होते हैं, इसलिए इसका उपयोग आपकी शुष्‍क और खुजली वाली आंखों में तुरंत राहत दिलाने में मदद करते है।
    ककड़ी से
    आप अपनी शुष्‍क आंखों का उपचार ककड़ी से कर सकते है। इसके लिए आप ककड़ी को गोल आकार में काट लें। तुरंत आराम पाने के लिए अपनी आंखों को बंद कर उनके ऊपर ककड़ी के काटे गऐ तुकड़ों को रखें। अपनी आंखों को आराम दिलाने और उन्‍हें स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए ऐसा दिन में 2-3 बार कर सकते हैं।
    खीरा (Cucumber) शुष्‍क आंखों के उपचार के सबसे अच्‍छा और आसान उपचार हैं। ककड़ी में पानी पर्याप्‍त मात्रा में होता है जो आपकी आंखों को शांत करने में मदद करता है। ककड़ी में विटामिन ए भी होता है, जो सूखी आंखों के उपचार में लाभकारी होता है।
    सौंफ की चाय
    एक कप पानी में एक चम्‍मच सौंफ डालकर इसे 10-15 मिनिट तक उबालें। थोड़ा ठंडा होने के बाद इस गर्म चाय में सूती कपड़े को भिगों कर अपनी आंखों में रखें। और इसे कम से कम दस मिनिट के लिए छोड़ दें। आपको ऐसा प्रतिदिन 2-3 बार करना चाहिए।
    सौंफ के बीज में एंथोल (anethole), एक कार्बनिक यौगिक होता है। जो एंटी-इन्फ्लामेट्री और सुखदायक गुण प्रदान करता है। सौंफ के बीज की एंटी-इन्फ्लामेट्री गतिविधियां सूजन और चिड़चिड़ापन को कम करने में मदद कर सकती हैं, आपकी आंखों में नमी को बनाए रखने के लिए इसके गुणों का उपयोग किया जा सकता है|
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    11.7.19

    मछली खाने के इतने फायदे नहीं जानते होंगे आप !,Amazing benefits eating fish




      मछली में पाये जाने वाले लो सेचुरेटेड फैट, अधिक मात्रा में प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड के कारण मछली का सेवन सेहत के लिए स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक होता है। मछली में विटामिन, मिनरल और कई प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते हैं इसलिए मछली को खाने से शरीर को सभी आवश्‍यक पोषक तत्‍व मिलते हैं। जो शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। मछली खाने से केवल कैंसर ही नहीं बल्कि कई सामान्य बीमारियां भी दूर होती हैं। डायबिटीज रोगियों के लिए मछली बहुत फायदेमंद है। अगर ऊर्जावान बनना चाहते हैं तो अपने लंच और डिनर में मछली को शामिल कीजिए।

    ऐसा माना जाता है यह दुनिया का सबसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ है। मछली का सेवन करने से यह आपके वजन को नियंत्रित करने, दिल को स्‍वस्‍थ्‍य रखने, मस्तिष्‍क को स्‍वस्‍थ्‍य रखने, रक्‍तचाप और मधुमेह जैसी गंभीर समस्‍याओं को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद पोषक तत्‍व आपके देखने की क्षमता को बढ़ाते हैं और उम्र बढ़ने के दौरान आंखों की समस्‍याओं को दूर करते हैं।

    मछली के पोषक तत्‍व: Health benefits of eating fish

    सभी लोग जानते हैं कि मछली का नियमित रूप से सेवन करना सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि मछली के सबसे प्रमुख पोषक तत्‍वों में विटामिन डी होता है। जैसा की आप जानते हैं कि प्रकृति में विटामिन डी केवल सूर्य के प्रकाश से मिलता है। इसके अलावा बहुत ही कम ऐसे उत्‍पाद हैं जो विटामिन डी उपलब्‍ध कराते हैं। विटामिन डी के अलावा मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो आपके मस्तिष्‍क और शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। मछली में आयोडीन भी पाया जाता है जो हमारे शरीर में आयोडीन की कमी को पूरा कर सकता है। आइए जाने मछली खाने के फायदे और नुकसान के बारे में।

    आपके शरीर मे ऊर्जा को बनाए रखने के लिए प्रोटीन की आवश्‍यकता होती है। चूंकि मछली में प्रोटीन सामग्री बहुत अच्‍छी मात्रा में मौजूद रहती है इसलिए इसे अच्छा विकल्‍प माना जा सकता है। पर्याप्‍त मात्रा में प्रोटीन होने के कारण मछली का सेवन करने से तत्‍काल ऊर्जा प्राप्‍त की जा सकती है। अपने पोषक तत्‍वों की उपस्थिति के कारण यह न केवल आपको तत्‍काल ऊर्जा दिला सकती है बल्कि इसमें मौजूद प्रोटीन क्षतिग्रस्‍त कोशिकाओं की मरम्‍मत करने में मदद भी करते हैं। आपके शरीर में पर्याप्‍त ऊर्जा बनाए रखने के लिए आप अपने नियमित आहार में मछली को शामिल कर सकते हैं।
    अपने आहार में नियमित रूप से मछली को शामिल करने के बहुत से कारण हैं। इसका पहला कारण यह है कि यह एक उच्‍च प्रोटीन और कम वसा वाला आहार है। इसके अलावा इससे प्राप्‍त होने वाला तेल (ओमेगा-3 फैटी एसिड) या वसा अच्‍छी मात्रा में मौजूद रहती है जो हृदय संबंधि विभिन्न समस्‍याओं को दूर करने में मदद करती है। चूंकि मानव शरीर इन सभी पोषक तत्‍वों को अपने शरीर में खुद से नहीं बना सकता है। इसलिए इनकी आपूर्ति के लिए मछली का सेवन करना आवश्‍यक हो जाता है। इन पोषक तत्‍वों की मौजूदगी के कारण यह हमारी विभिन्‍न स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने के लिए आवश्‍यक हो जाता है।

    कैंसर के खतरे को कम करें: Health benefits of eating fish

    मछली खाने से कैंसर का खतरा कम होता है। जी हां, नॉनवेज के रूप में जो लोग मछली का ज्यादा मात्रा में सेवन करते हैं उनको सामान्य लोगों की तुलना में कैंसर होने का खतरा कम होता है। सिडनी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोधों में यह पाया है कि मछली खाने से कैंसर का खतरा कम होता है। मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जो कैंसर होने से रोकता है। टूना और सालमन मछलियों में ओमेगा-3 फैटी एसिड की ज्यादा मात्रा होती है। मछली स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, अंडाशय के कैंसर के होने की संभावना कम करता है। इसलिए सामान्य मछलियों की तुलना में इन मछलियों को अपने खान-पान में शामिल कीजिए। 

    मछली खाने के लाभ त्‍वचा के लिए; Health benefits of eating fish

    आपको अपनी त्‍वचा को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए कई प्रकार के पोषक तत्‍व और विटामिनों की आवश्‍यकता होती है। आप इनकी पूर्ति के लिए मछली का सेवन कर सकते हैं। दैनिक आहार में मछली का उपयोग करने पर यह ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन, विटामिन ए और बी की अच्‍छी मात्रा प्राप्‍त की जा सकती है। ये सभी पोषक तत्‍व आपकी त्‍वचा को स्‍वस्‍थ्‍य व सुंदर बनाने में मदद करते हैं। मछली का उपभोग कर आप समय से पहले आने वाले बुढ़ापे के संकेतो जैसे त्‍वचा में झुर्रियां आना, दाग बनना आदि को रोक सकते हैं। इस तरह से मछली एंटी-एजिंग गुणों के लिए जानी जाती है।

    मछली खाने के फायदे अनिद्रा के लिए: Health benefits of eating fish

    लगभग सभी लोग नींद की समस्‍या से जूझ रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि आज का जीवन बहुत ही व्‍यस्‍तता वाला है। इसके अलावा हमारी गलत जीवन शैली भी इसका प्रमुख कारण है। लेकिन अनिद्रा का उपचार किया जा सकता है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि विटामिन डी की कमी के कारण भी नींद की कमी हो सकती है। यदि आप मछली को अपने नियमित आहार में शामिल करते हैं तो इससे आपको विटामिन डी के साथ ही प्रोटीन, मैंग्नीशियम, मैंगनीज आदि जैसे पोषक तत्‍व प्राप्‍त हो सकते हैं जो आपकी अच्‍छी नींद को उत्‍तेजित करने में मदद करते हैं। जिन लोगों में नींद की कमी होती है वे अक्‍सर तनाव या अवसाद से ग्रस्‍त होते हैं। इसलिए अपने तनाव को कम करने के लिए आप मछली का सेवन कर सकते हैं। यह अच्‍छी नींद लाकर आपके तनाव को कम कर सकती है।

    मछली के गुण आंखों के स्वास्थ्य के लिए

    मैकुलर अपघटन नामक एक बीमारी द्रष्टि विकार और अंधापन का एक प्रमुख कारण है। यह एक ऐसी स्थिति है जो उम्र बढ़ने के साथ ही लगभग सभी लोगों को प्रभावित करती है। लेकिन कुछ अध्‍ययनों से पता चलता है कि मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मौजूदगी इस समस्‍या से निजात दिला सकती है। जानकारों का मानना है कि नियमित रूप से मछली का सेवन करने पर यह मैकुलर अपघटन की संभावना को 42 प्रतिशत तक कम कर सकता है। यदि आप बढ़ती उम्र के कारण होने वाली द्रष्टि हानि से बचना चाहते हैं तो मछली को साप्‍ताहिक आ‍हार में शामिल कर सकते हैं।

    मछली करे खून की कमी को दूर: Health benefits of eating fish

    शरीर में खून की कमी का प्रमुख कारण आयरन की कमी माना जाता है। लाल रक्‍त कोशिकाओं के उत्‍पादन में आयरन का विशेष योगदान होता है। मछली ऐसा खाद्य पदार्थ है जो आयरन की अच्‍छी मात्रा रखता है। इसके अलावा मछली में बहुत से पोषक तत्‍व और विटामिन होते हैं। यदि आपको आयरन की कमी है तो इस कमी को दूर करने के लिए आप मछली का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप ट्यूना और सालमन मछली का चुनाव कर सकते है। इनका उपभोग करने से आपका रक्‍तपरिसंचरण सुचारू रूप से चलता रहता है। इसके साथ ही यह थकान और एनीमिया से जुड़े खतरों को कम करने में मदद करता है।

    रक्तचाप कम करें: Health benefits of eating fish

    अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो मछली खाना आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है, क्योंकि मछली और मछली का तेल दोनों ही ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार ओमेगा-3 फैटी एसिड से युक्त मछली के नियमित सेवन से उच्च रक्तचाप पीड़ित व्यक्ति के रक्तदाब में उल्लेखनीय कमी आती है। 


    कार्डियोवैस्‍कुलर स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित समस्‍याओं को दूर करने के लिए मछली का उपभोग फायदेमंद होता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड अच्‍छी मात्रा में होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड का नियंत्रित मात्रा में सेवन करने से यह स्‍ट्रोक और दिल के दौरा जैसे खतरों से बचाता है। एक अध्‍ययन से पता चलता है कि अपने आहार में मछली को शामिल करके शरीर में मौजूद खराब कोलेस्‍ट्रोल के स्‍तर को कम किया जा सकता है। शरीर में मौजूद खराब कोलेस्‍ट्रोल हृदय स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड रक्‍त के थक्‍का बनने से रोकने और रक्‍तवाहिकाओं को लचीला बनाए रखने में सहायक होता है। इस तरह से यह आपके शरीर में उचित रक्‍त प्रवाह को बनाए रखने और दिल को स्‍वस्‍थ्‍य बनाने में अपना अहम योगदान देता है। इसलिए कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य के लिए मछली का नियमित सेवन किया जा सकता है।

    मोटापा कम करने में मददगार

    मछली खाने से शरीर के अंदर मौजूद अतिरिक्त फैट समाप्‍त होता है, जिससे मोटापा कम होता है। मोटे लोगों को अपने वजन को कम करने के लिए लंच और डिनर में मछली और मछली का तेल प्रयोग करना चाहिए।

    मछली खाने के फायदे बालों के लिए

    यदि आप बालों के झड़ने से परेशान हैं तो सबसे पहले इनके झड़ने का कारण ढूंढने का प्रयास करें। प्रोटीन और विटामिनों की कमी के कारण आपके सिर से बाल झड़ सकते हैं। इस समस्‍या से बचने के लिए आप मछली से प्राप्‍त ओमेगा-3 फैटी एसिड का उपभोग कर सकते हैं। यह आपके बालों को झड़ने से रोकने में मदद करता है। इसके अलावा मछली का सेवन करने से आपको बहुत से विटामिन और प्रोटीन की अच्छी मात्रा प्राप्‍त हो सकती है। मछली को प्रोटीन का पावरहाउस भी माना जाता है। नियमित रूप से मछली का सेवन करने पर यह बालों के विकास और नए बालों को उगने में मदद कर सकता है। आप अपने बालों की अच्छी देखरेख और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए मछली का उपभोग कर सकते हैं।

    मछली खाने के फायदे पुरुषों के लिए

    अध्‍ययनों से यह पता चलता है कि मछली और अन्‍य स्‍वस्‍थ खाद्य पदार्थ जैसे कि फलियां और पूरे अनाज पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्‍या बढ़ाने में मदद करते हैं। कुछ लोगों में अध्‍ययन किया गया जिससे पता चला कि नियमित रूप से 3 माह तक मछली का सेवन करने पर पुरुषों में 11 प्रतिश‍त तक शुक्राणुओं की संख्‍या में वृद्धि हुई। जो लोग शुक्राणुओं की कमी से जूझ रहे है वे अपने दैनिक आहार में मछली को शामिल कर सकते हैं।

    मछली खाने का फायदा मधुमेह के लिए

    उन लोगों के मछली का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है जो मधुमेह प्रकार 1 से ग्रसित हैं। कई अध्‍ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन करने से बच्‍चों में मधुमेह के खतरे को कम किया जा सकता है इसके साथ ही यह वयस्‍कों में ऑटोम्‍यून्‍यून मधुमेह को भी नियंत्रित कर सकता है। यह मछली में मौजूद फैटी एसिड और विटामिन डी की उपस्थिति के कारण होता है। कुछ जानकारों का मानना यह भी है कि नियमित रूप से मछली का सेवन करने पर यह रूमेटोइड गठिया का इलाज भी किया जा सकता है

    मछली का सेवन बनाता है मांसपेशियों को मजबूत

    पोषण विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित रूप में मछली का सेवन किया जाना चाहिए। क्‍योंकि इसमें मौजूद पोषक तत्‍व संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। मछली में पोटेशियम की अच्‍छी मात्रा होने के कारण साल्‍मन मछली और ट्यूना फिश खाने की सलाह दी जाती है। पोटेशियम की पर्याप्‍त मात्रा आपकी मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करती है। आप अपनी मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए राजमा जैसे अन्‍य पौष्टिक खाद्य पदार्थों के साथ मैकेरल या साल्‍मन मछली का सेवन कर सकते हैं।

    मछली का फायदा अस्‍थमा के लिए

    श्वसन तंत्र से संबंधित बीमारी अस्‍थमा जो बच्‍चों के लिए घातक हो सकती है। यह बीमारी वायुमार्ग मे सूजन के कारण होती है। पिछले कुछ समय से इस बीमारी का प्रतिशत बहुत अधिक बढ़ा है। लेकिन कुछ अध्‍ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से मछली का सेवन करने पर बच्‍चों के अस्‍थमा में 24 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। लेकिन यह भी स्‍पष्‍ट किया जाता है कि वयस्‍कों के लिए इसके प्रभावों पर अभी भी शोध की आवश्‍यकता है। लेकिन आप अपने बच्‍चों में होने वाली अस्‍थमा की रोक-थाम के लिए मछली का उपयोग कर सकते हैं।

    वृद्ध अवस्‍था में अक्‍सर मस्तिष्‍क की कार्य क्षमता कमजोर हो जाती है। इसे आयु से संबंधित संज्ञानात्‍मक गिरावट कहा जाता है जो अल्‍जाइमर रोग से संबंधित है। लेकिन अध्‍ययनों से पता चलता है कि जो लोग नियमित रूप से मछली का सेवन करते हैं उनमें संज्ञानात्‍मक गिरावट की दर धीमी होती है। मस्तिष्‍क स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भूरे रंग के खाद्य पदार्थ बहुत अच्‍छे होते हैं। अध्‍ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से सप्‍ताह में 1 बार मछली का सेवन करने से मस्तिष्‍क के स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा मिलता है।

    मछली खाने के फायदे तनाव को दूर करे

    अवसाद एक गंभीर मानसिक विकार है। अवसाद ग्रस्‍त लोग अक्‍सर उदास, थके हुए मानसिक अशांति, ऊर्जा मे कमी जैसे लक्षणों का अनुभव करते हैं। अवसाद वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं में से एक है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि जो लोग नियमित रूप से मछली का सेवन करते हैं उन्‍हें अवसाद से निपटने में सफलता मिलती है। अध्‍ययनों से यह भी स्‍पष्‍ट हो चुका है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड अवसाद को रोकने में मदद करता है और एंटीड्रिप्रेसेंट दवाओं के प्रभाव को भी बढ़ाता है। इसका मतलब यह है कि मछली का नियमित सेवन करने पर यह व्‍यक्ति के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ाता है। आप भी अपने तनाव और अवसाद को दूर करने के लिए मछली का नियमित सेवन प्रारंभ कर सकते हैं।
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    4.7.19

    सेहत का राज: लहसुन की 2 कलियां, फुर्ती और जोश का अनोखा मिश्रण!

                   सेहत का राज: लहसुन की 2 कलियां, फुर्ती और जोश का अनोखा मिश्रण!

    मित्रों,घरेलु आयुर्वेद से चिकित्सा के विडियो प्रस्तुत करने की श्रुंखला में आज का टॉपिक है  "सेहत का राज: लहसुन की 2 कलियां, फुर्ती और जोश का अनोखा मिश्रण!"

    लहसुन जिसे आयुर्वेद में महाऔषधि कहा गया है. इसे पुराने समय से ही अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. इसमें मौजूद पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को हेल्दी रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. सुबह ब्रश करने के बाद खाली पेट एक कली कच्चा लहसुन खाने से शरीर को अनेक लाभ मिलते हैं. सुबह खाली पेट कच्चा लहसुन खाना आपके स्वास्थ्य के लिए एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय हो सकता है. इसके नियमित सेवन से शरीर को कई चमत्कारिक लाभ मिल सकते हैं, लेकिन इसे सही मात्रा और सही तरीके से सेवन करना जरूरी है. तो अब से आप भी इस चमत्कारी औषधि को अपनी रूटीन में शामिल करें और अद्भुत फायदों का आनंद लें.

    वजन घटाने में मददगार




    लहसुन मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे शरीर में फैट तेजी से बर्न होता है. नियमित रूप से सुबह कच्चा लहसुन खाने से वजन घटाने में सहायता मिलती है.

    पाचन तंत्र को सुधारता है

    लहसुन का खाली पेट सेवन पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है. यह पेट की गैस, अपच और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाता

    कोलेस्ट्रॉल की रोकथाम में मददगार है लहसुन
    ज़्यादा तेल-घी वाले खान-पान की वजह से लोगों को कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या भी हो रही है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी एक जांच में पाया है कि पुराने लहसुन के सेवन से शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (जो कि हानिकारक कोलेस्ट्रॉल होता है) के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है।


    इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है

    लहसुन में एलिसिन नामक कंपाउंड होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को बढ़ाता है. यह सर्दी, जुकाम और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है.

    हार्ट हेल्थ के लिए लाभकारी





    खाली पेट लहसुन का सेवन कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करता है. यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाने में मदद करता है. साथ ही, यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करके हार्ट को हेल्दी रखता है.




    गठिया में लहसुन खाने से मिलती है राहत




    लहसुन हड्डियों के लिए भी काफी लाभदायक है। ऐसा पाया गया है कि लहसुन के सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस और गठिया जैसी हड्डियों की बीमारी से जूझ रहे रोगियों को काफ़ी राहत मिलती है। 

    किडनी संक्रमण को रोकता है लहसुन

    लहसुन किडनी संक्रमण की रोकथाम में भी मदद करता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि लहसुन उस पी. एरुजिनोसा के विकास को रोकने में मदद कर सकता है, जो यूटीआई और गुर्दे के संक्रमण के लिए ज़िम्मेदार होता है।
    इस्तेमाल का तरीका
    – किडनी संक्रमण से बचाव के लिए हर रोज़ दो से तीन लहसुन की कलियों का सेवन करें।

    नींद में सुधार:

    लहसुन में मौजूद ट्रिप्टोफैन नामक अमीनो एसिड नींद को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह सेरोटोनिन के उत्पादन में मदद करता है, जो एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो नींद की साइकिल को नियंत्रित करता है और शांति प्रदान करता है।

    क्या लहसुन से मर्दाना ताकत मिलती है?




      लहसुन का सेवन पुरुषों के लिबिडो को बढ़ावा देने में मदद करता है, जिससे पुरुषों में यौन इच्छा (garlic benefits for men) बढ़ती है। लहसुन के एडाप्टोजेनिक गुण पुरुषों में तनाव और चिंता को कम करने, ओवरऑल प्रजनन और यौन स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकते हैं

    त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद

    लहसुन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा को साफ और चमकदार बनाते हैं. यह बालों को झड़ने से रोकता है और उन्हें मजबूत बनाता है

    सर्दी जुकाम बुखार मे  राहत देता है लहसुन





    ठंड लगने पर या बुख़ार होने पर अगर लहसुन का उपयोग किया जाए,ये तो रोगी को बहुत हद तक राहत मिल सकती है।

    डायबिटीज में सहायक




    लहसुन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इसे रोज़ खाने से डायबिटीज के मरीजों को काफी फायदा होता है.

    सुबह खाना चाहिए लहसुन की कलियां

    एक्सपर्ट का मानना है कि अगर आप सुबह के वक्त लहसुन का सेवन करते हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद होता है। अगर किसी को कच्चा लहसुन खाने में परेशानी हो रही है तो लहसुन को शहद में मिलाकर या आग में भूनकर भी खाया जा सकता है। इसके अलावा सर्दियों के मौसम में लहसुन को सब्जी में मिलाकर या चटनी बनाकर भी खाना चाहिए। इससे पाचन क्रिया भी ठीक रहती है। इसलिए सर्दियों के मौसम में लहसुन का इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद रहता है।

    कैसे करें सेवन?

     आप हर रोज़ खाली पेट कच्चे लहसुन की कुछ कलियों का सेवन कर सकते हैं। उसके कुछ देर बाद आप गुनगुने पानी में नींबू का शरबत बनाकर भी पी सकते हैं।
    आप हर रोज़ सब्ज़ी या सूप में डालकर भी लहसुन खा सकते हैं।

    एक स्वस्थ व्यक्ति को एक दिन में 1 से 2 कलियां कच्चा लहसुन खाना चाहिए. इससे ज्यादा लहसुन खाने से बचना चाहिए क्योंकि लहसुन की तासीर गर्म होती है और अधिक मात्रा में सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं

    सावधानियां:

    जिन लोगों को लहसुन से एलर्जी है, वे इसका सेवन न करें.
    ज्यादा मात्रा में लहसुन खाने से पेट में जलन या एसिडिटी हो सकती है.
    गर्भवती महिलाओं और दवाइयां लेने वाले लोगों को डॉक्टर की सलाह से ही लहसुन खाना चाहिये
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