शरद ऋतु में विशेष रूप से सेवन योग्य (पौष्टिक) :
बादाम पाक, बसंत, कुसुमाकर रस, च्यवनप्राश अवलेह (स्पेशल) दयाल तेल, दशमूलारिष्ट।
विषम ज्वर (मलेरिया) :
विषम ज्वर (मलेरिया) :
. विषम ज्वरांतक लौह, सुदर्शन चूर्ण, महासुदर्शन काढ़ा, अमृतारिष्ट, ज्वरांकुश रस, सत्व गिलोय।
वात श्लेष्मिक ज्वर (एन्फ्लूएन्जा) : त्रिभुवन कीर्ति रस, लक्ष्मी विलास रस, संजीवनी वटी, पीपल 64 प्रहरी, अमृतारिष्ट।
श्लीपद (हाथी पाँव) :
वात श्लेष्मिक ज्वर (एन्फ्लूएन्जा) : त्रिभुवन कीर्ति रस, लक्ष्मी विलास रस, संजीवनी वटी, पीपल 64 प्रहरी, अमृतारिष्ट।
श्लीपद (हाथी पाँव) :
नित्यनंद रस, मल्ल सिंदूर।
जीर्ण ज्वर व अन्य :
जीर्ण ज्वर व अन्य :
स्वर्ण वसंत मालती, सितोपलादि चूर्ण, अमृतराष्टि, मत्युंजय रस, आनंद भैरव, गोदंती भस्म, सर्वज्वरहर लौह, संजीवनी,
ज्वरांकुश रस ,महालाक्षादि तेल।
पार्श्व शूल (प्लूरिसरी, फेफेड़ों में पानी भरना) :
पार्श्व शूल (प्लूरिसरी, फेफेड़ों में पानी भरना) :
नारदीय लक्ष्मी विलास रस, स्वर्ण वसंत मालती, मृगश्रृंग भस्म, रस सिंदूर।
खालित्य (बालों का गिरना, गंजापन) :
खालित्य (बालों का गिरना, गंजापन) :
महाभृंगराज तेल, हस्तिदंतमसी, च्यवनप्राश अवलेह।
विचर्चिका (छाजन, एग्जिमा) :
विचर्चिका (छाजन, एग्जिमा) :
चर्म रोगांतक मरहम, गुडुच्यादि तेल, रस माणिक्य, महामरिचादि तेल गंधक रसायन, त्रिफला चूर्ण, पुभष्पांजन, रक्त शोध, खदिरादिष्ट, महामंजिष्ठादि काढ़ा।
पालित्य (बाल सफेद होना) :
पालित्य (बाल सफेद होना) :
महाभृंगराज तेल, भृंगराजसव, च्यवनप्राश।
हिक्का रोग (हिचकी आना) :
हिक्का रोग (हिचकी आना) :
सूतशेखर स्वर्णयुक्त, मयूर चन्द्रिका भस्म, एलादि वटी, एलादि चूर्ण।
तमक श्वास (दवा) :
तमक श्वास (दवा) :
कफकेयर, च्यवनप्राश अवलेह, सितोपलादि चूर्ण, श्वासकास, चिंतामणि कनकासव, शर्बत वासा, वासारिष्ट, वासावलेह, मयूर चन्द्रिका भस्म, अभ्रक भस्म तेल।
कास रोग (कफ खांसी) :
कास रोग (कफ खांसी) :
कफकेयर शर्बत वासा, वासावलेह, वासारिष्ट खदिरादि वटी, मरिचादि वटी, लवंगादि वटी, त्रिकुट चूर्ण, द्राक्षारिष्ट, एलादि वटी, कालीसादि चूर्ण, कफकेतु रस, अभ्रक भस्म, श्रृंगारभ्र रस बबूलारिष्ट।
राजयक्षमा (टीबी) : स्वर्ण वसंत मालती, लक्ष्मी विलास रस, मृगांक रस, वृहत् श्रृंगारभ्र रस, राजमृगांक रस, वासावलेह, द्राक्षासव, च्यवनप्राश अवलेह, महालक्ष्मी विलास रस।
उर्ध्व रक्तपित्त (कफ के साथ अणवा उल्टी में खून आना) :
राजयक्षमा (टीबी) : स्वर्ण वसंत मालती, लक्ष्मी विलास रस, मृगांक रस, वृहत् श्रृंगारभ्र रस, राजमृगांक रस, वासावलेह, द्राक्षासव, च्यवनप्राश अवलेह, महालक्ष्मी विलास रस।
उर्ध्व रक्तपित्त (कफ के साथ अणवा उल्टी में खून आना) :
कफकेयर, शर्बत वासा, कामदुधा रस मौ.यु. कहरवा पिष्टी, वासावलेह, प्रवाल पिष्टी, वासारिष्ट, बोलबद्ध चूर्ण, बोल पर्पटी, रक्त पित्तांतक लौह कुष्माण्ड अवलेह।
दद्रु (दाद, रिंगवर्म) :
दद्रु (दाद, रिंगवर्म) :
हरिद्राखंड, कामदुधा रस, आरोग्यवर्द्धिनी वटी, सूतशेखर रस।
पिदक (गर्मी की मरोरी, पसीना) : खमीरा संदल, प्रवालयुक्त, गुलकन्द, प्रवाल पिष्टी, जहर मोहरा पिष्टी, सारिवाद्यासव।
खाज-खुजली, फोड़े-फुंसी, रक्त विकार :
पिदक (गर्मी की मरोरी, पसीना) : खमीरा संदल, प्रवालयुक्त, गुलकन्द, प्रवाल पिष्टी, जहर मोहरा पिष्टी, सारिवाद्यासव।
खाज-खुजली, फोड़े-फुंसी, रक्त विकार :
रक्त शोधक, खदिराष्टि, महामंजिष्ठादि काढ़ा, सारिवाद्यासव, महामरिचादि तेल, रोगन नीम, गंधक रसायन, केशर गूगल, आरोग्यवर्द्धनी, जात्यादि तेल, चर्मरोगांतक मरहम,पुष्पांजन।
कुष्ठ (सफेद दाग) :
कुष्ठ (सफेद दाग) :
सोगन बावची, खदिरादिष्ट, आरोग्यवर्द्धिनी वटी, रस माणिक्य, गंधक रसायन, चालमोगरा तेल, महामंजिष्ठादि क्वाथ।
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