30.6.19

गिलोय है इस धरती की संजीवनी :कई बीमारियों का रामबाण इलाज

गिलोय है इस धरती की संजीवनी :कई बीमारियों का एक इलाज 


 मित्रों ,घरेलु आयुर्वेद की जानकारी के विडियो प्रस्तुत करने की श्रुंखला में आज का हमारा टॉपिक है -"गिलोय है इस धरती की संजीवनी :कई बीमारियों का रामबाण  इलाज" 

  गिलोय की बेल पूरे भारत देश में पाई जाती है. इसको लोग मधुपर्णी, अमृता, तंत्रिका, कुण्डलिनी गुडूची आदि नामों से जानते हैं. आम तौर पर गिलोय की बेल नीम के पेड़ या फिर आम के पेड़ के आस पास उगती है. नीम के पेड़ पर पाई जाने वाली गिलोय की बेल को सबसे सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक औषधि माना जाता है.
  अब हम आपको गिलोय केऔषधीय गुण बताने जा रहे हैं जिनसे शायद आप पहले से वाकिफ नहीं होंगे. लेकिन उससे पहले हम आपको बता दें कि गिलोय का फल दिखने में मटर के दानो में समान होता है. इसमें मुख्य रूप से एलकेलायड और ग्लुकोसाइड गिलोइन पाया जाता है जोकि कईं प्रकार के रोगों के लिए वरदान साबित होते हैं.
  हमारे भारत में सदियों से आयुर्वेदिक जड़ी बूटियो का इस्तेमाल रोगों का खात्मा करने के लिए किया जाता रहा है. इन्ही में से गिलोय भी एक ऐसी बेल है जिसके पत्ते और कांड दोनों ही मनुष्य के लिए लाभकारी साबित होते हैं. गिलोय की बेल का एक प्रमुख गुण यह भी है कि इस बेल को जिस पेड़ पर चढ़ाया जाए, यह उसी के गुण अपने में ग्रहण कर लेती है. नीम के पेड़ के साथ मिल कर गिलोय के औषधीय गुण और भी अधिक असरदार हो जाते हैं. 
गिलोय के गुणों की संख्या काफी बड़ी है। इसमें सूजन कम करने, शुगर को नियंत्रित करने, गठिया रोग से लड़ने के अलावा शरीर शोधन के भी गुण होते हैं। गिलोय के इस्तेमाल से सांस संबंधी रोग जैसे दमा और खांसी में फायदा होता है। इसे नीम और आंवला के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी रोग जैसे एग्जिमा और सोराइसिस दूर किए जा सकते हैं। इसे खून की कमी, पीलिया और कुष्ठ रोगों के इलाज में भी कारगर माना जाता है।

पेशाब में रुकावट

यदि आपको पेशाब आने में किसी प्रकार की रुकावट या दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है तो गिलोय के औषधीय गुण आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं. इसके लिए पीड़ित व्यक्ति को 10 से 20 ग्राम गिलोय के रस में 1 चम्मच शहद मिला कर दिन में तीन से चार बार चाटने को दें. इससे पेशाब संबंधित सभी रोग जड़ से मिट जाते हैं.

नेत्र रोग

आँखों से संबंधित रोगों के लिए गिलोय के औषधीय गुण प्रभावी हैं. इसके लिए मरीज़ को नियमित रूप से 10 ग्राम गिलोय के रस में 1 ग्राम सेंध नामक  मिला कर दें इससे आपके सभी प्रकार के नेत्र रोग नष्ट हो जाएंगे और साथ ही आँखों की रौशनी में बढ़ावा होगा.

गिलोय के गुणों का विडियो देखें -




दस्त के लिए

दस्त के लिए गिलोय के औषधीय गुण लाभकारी हैं. इसके लिए दस्त ग्रसित व्यक्ति को 10 से 15 ग्राम गिलोय के रस में 4 से 6 ग्राम मिश्री मिला कर सुबह शाम दें. ऐसा करने के कुछ ही समय में आपको लाभ अनुभव होगा

 प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा:Giloy ke fayde 

गिलॉय प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने का कार्य करता है। इस आश्चर्यजनक जड़ी बूटी में कायाकल्प करने के भी गुण होते हैं| इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण जिगर और गुर्दों से विषैले पदार्थों को हटाने में मदद करते हैं। इसकी एंटी बैक्टीरियल गुण जिगर और मूत्र पथ की समस्याओं से लड़ने में सहायक होते हैं।

 लंबे बुखार और खांसी में सहायक:Giloy ke fayde 

गिलॉय प्रकृति में एंटी-पायरेटिक होने के वजह से रक्त की मात्रा को बढ़ाता है और डेंगू बुखर में भी उपकारी है| । गिलॉय का उपयोग पीलिया के लक्षणों से भी राहत दिलाने में सहायक है। यह जड़ी बूटी फेफड़ों को साफ़ करके खांसी और यहां तक ​​कि अस्थमा में भी आराम दिलाती है। शहद के साथ गिलॉय मिलाकर पीने से मलेरिया लाभ होता है| 

 पाचन तंत्र का इलाज

पाचन प्रणाली के इलाज में गिलोय घरेलू इलाज़ के रूप में उपयोग किया जा सकता है। गिलॉय का रस मक्खन के साथ लेने से बवासीर का इलाज़ किया जा सकता है।
शरीर में पाचनतंत्र को सुधारने में गिलोय काफी मददगार होता है। गिलोय के चूर्ण को आंवला चूर्ण या मुरब्बे के साथ खाने से गैस में फायदा होता है। गिलोय के ज्यूस को छाछ के साथ मिलाकर पीने से अपाचन की समस्या दूर होती है साथ ही साथ बवासीर से भी छुटकारा मिलता है।
*गिलोय में शरीर में शुगर और लिपिड के स्तर को कम करने का खास गुण होता है। इसके इस गुण के कारण यह डायबीटिज टाइप 2 के उपचार में बहुत कारगर है।
*गिलोय    मानसिक दवाब और चिंता को दूर करने के लिए उपयोग अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय चूर्ण को अश्वगंधा और शतावरी के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। इसमें याददाश्त बढ़ाने का गुण होता है। यह शरीर और दिमाग पर उम्र बढ़ने के प्रभाव  को कम करता है।


मधुमेह का इलाज

गिलॉय हाइपोग्लाइकेमिक एजेंट है जो रक्तचाप और लिपिड के स्तर को कम करके टाइप 2 डायबिटीज के उपचार के लिए भी उपयोगी है।

 तनाव कम करे

गिलॉय को अन्य जड़ी बूटियों के साथ मिलाकर एक स्वास्थ्य टॉनिक बनाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। गिलॉय के एडाप्टोजेनिक गुण इसको एक उचक स्तरीय तनाव और चिंता हरण करने  वाली औषधि  बनाते हैं|  यह दिमाग को एक सुखद और शांत प्रभाव देने के साथ साथ दिमाग की कोशिकाओं को मुक्त कणों की वजह से हुई क्षति से भी बचाता है।

संधिशोथ का इलाज

गिलॉय में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी-पायरेटिक गुण होते हैं जो गठिया के विभिन्न लक्षणों जैसे जोड़ों के दर्द के इलाज में मदद करते हैं।

 आँखों की समस्याओं का इलाज

गिलॉय नज़र की स्पष्टता को बढ़ाकर चश्मे से छुटकारा पाने में भी मदद करता हैं। बस थोड़े से पानी में इसको उबाल लें| इस मिश्रण को ठंडा होने दे और अपनी आँखों पर चारों और लगा लें|

एलर्जिक राइनाइटिस का इलाज

एलर्जिक राइनाइटिस एक ऐसी अवस्था है जिसमे बहता हुआ नाक, छींकना, नाक बंद होना, लाल और पानी से भरी आँखें आदि लक्षण  होते हैं जोकि धूल, प्रदूषण, पराग, घास, जैसे विभिन्न पदार्थों की एलर्जी की वजह से होते हैं| इस तरह के लक्षणों को दूर करने के लिए गिलॉय टेबलेट्स के रूप में लेना बहुत प्रभावी होता है।

गिलोय के औषधीय गुण -

*सूजन कम करने के गुण के कारण, यह गठिया और आर्थेराइटिस से बचाव में अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय के पाउडर को सौंठ की समान मात्रा और गुगुल के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से इन बीमारियों में काफी लाभ मिलता है। इसी प्रकार अगर ताजी पत्तियां या तना उपलब्ध हों तो इनका ज्यूस पीने से भी आराम होता है।
  आयुर्वेद के जानकार डॉ . दयाराम आलोक के मतानुसार गिलोय रसायन यानी ताजगी लाने वाले तत्व के रुप में कार्य करता है। इससे इम्यूनिटी सिस्टम में सुधार आता है और शरीर में अति आवश्यक सफेद सेल्स की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। 
यह शरीर के भीतर सफाई करके लीवर और किडनी के कार्य को सुचारु बनाता है। यह शरीर को बैक्टिरिया जनित रोगों से सुरक्षित रखता है। 
इसका उपयोग सेक्स संबंधी रोगों के इलाज में भी किया जाता है।
  लंबे समय से चलने वाले बुखार के इलाज में गिलोय काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाता है जिससे यह डेंगू तथा स्वाइन फ्लू के निदान में बहुत कारगर है। 
इसके दैनिक इस्तेमाल से मलेरिया से बचा जा सकता है। 
गिलोय के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल करना चाहिए।

घावों और कटने का उपचार

गिलोय की पत्तियों का एक पेस्ट बनाइए|
एक कडाही में गिलोय पेस्ट के साथ अरंडी का तेल या नीम का तेल मिलाएं|
इस मिश्रण को कुछ मिनटों के लिए पकाइए|
इस मिश्रण को ठंडा कर लें|
इसे घाव पर लगायें और घाव को एक पट्टी के साथ बाँध दें|

गिलॉय का उपयोग कैसे करें?:Giloy ke fayde 

 एक कप पानी में गिलॉय का सूखे हुए तने का पाउडर लगभग 1 चम्मच की मात्रा में मिलाएं|
मिश्रण को उबालकर आधे से भी कम कर लें|
इस मिश्रण को छाने|
प्रतिदिन एक बार इस मिश्रण का उपयोग भोजन लेने से पहले करें|
गिलॉय सेवन करने के लिए कैप्सूल और गोलियों भी बाजार में उपलब्ध है।

गिलोय के दुष्प्रभाव -

हलांकि गिलोय का उपयोग मधुमेह के इलाज के लिए किया जाता है, लेकिन यह ग्लूकोज के स्तर को इतना कम कर देता है कि अन्य मधुमेह की  दवाओं के साथ इसे लेना खतरनाक हो सकता है|
गर्भावस्था के दौरान गिलोय का सेवन करना निषेध है|
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12.2.19

मूत्र बाधा का कारण प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना: लक्षण और उपचार

                                    


प्रोस्टेट नामक ग्रंथि केवल पुरुषों के शरीर में ही पाई जाती है। यह ग्रंथि उम्र बढ़ने के साथ आकार में बड़ी हो जाने से पेशाब करने में तकलीफ होती है। यह तकलीफ आमतौर पर 60 साल के पश्चात् अर्थात् बड़ी उम्र के पुरुषों में ही पाई जाती है।
  प्रोस्टेट एक छोटी सी ग्रंथि होती है जिसका आकार अ्खरोट के बराबर होता है। यह पुरुष के मूत्राषय के नीचे और मूत्रनली के आस-पास होती है।

प्रोस्टेट किन पुरुषों में बढ़ता है?

उम्र 50 के बाद लगभग 50 प्रतिशत पुरुषोंमे और 80 उम्र के बाद 90 प्रतिशत पुरुषों में बढ़ता है।
जिनके पिता, दादा को यह विकार था, वे इस विकार से पिडीत हो सकते हैं।
मोटे लोग
हृदय रोग वाले लोग
टाइप-2 मधुमेह वाले लोग
जिन लोगों में व्यायाम की कमी होती है
कामोत्तेजना की समस्या वाले पुरुष

प्रास्टैट ग्रन्थि बढ़ने के लक्षण :

रात को बार-बार पेशाब करने जाना।
पेशाब की धार धीमी और पतली हो जाना।
पेशाब करने के प्रारंभ में थोड़ी देर लगना।
रुक रुककर पेशाब का होना।
पेशाब लगने पर जल्दी जाने की तीव्र इच्छा होना किन्तु, उस पर नियंत्रण नहीं होना और कभी-कभी कपड़ों में पेशाब हो जाना।
*पेशाब करने के बाद भी बूँद-बूँद पेशाब का आना।
 *जैसे ही प्रोस्टेट  ग्रन्थि  बढती है मूत्र नली पर दवाब बढता है और पेशाब में रुकावट की स्थिति बनने लगती है। *पेशाब पतली धार में ,थोडी-थौडी मात्रा में लेकिन बार-बार आता है कभी-कभी पेशाब टपकता हुआ बूंद बूंद जलन के साथ भी आता है। 
*कभी-कभी पेशाब दो फ़ाड हो जाता है। 
*रोगी मूत्र रोक नहीं पाता है। 
* अंडकोषों में दर्द उठता रहता है।
यह रोग ७० के उम्र के बाद उग्र हो जाता है। पेशाब पूरी तरह रूक जाने पर चिकित्सक केथेटर लगाकर यूरिन बेग में मूत्र का प्रावधान करते हैं।
 बुजुर्गों को परेशान करने वाली इस बीमारी को नियंत्रित करने वाले कुछ घरेलू उपचार यहां प्रस्तुत कर रहे हैं  जिनका समुचित प्रयोग करने से इस व्याधि से मुक्ति पाई जा सकती है।
* दिन में ३-४ लिटर पानी पीने की आदत डालें। लेकिन शाम को ६ बजे बाद जरुरत मुताबिक ही पानी पियें ताकि रात को बार बार पेशाब के लिये न उठना पडे।.

* अलसी को मिक्सर में चलाकर पावडर बनालें । यह पावडर २० ग्राम की मात्रा में पानी में घोलकर दिन में दो बार पीयें। बहुत लाभदायक उपचार है।
*कद्दू मे जिन्क पाया जाता है जो इस रोग में लाभदायक है। कद्दू के बीज की गिरी निकालकर तवे पर सेक लें। इसे मिक्सर में पीसकर पावडर बनालें। यह चूर्ण २० से ३० ग्राम की मात्रा में नित्य पानी के साथ लेने से प्रोस्टेट सिकुडकर मूत्र खुलासा होने लगता है।

* चर्बीयुक्त ,वसायुक्त पदार्थों का सेवन बंद कर दें। मांस खाने से भी परहेज करें।
*हर साल प्रोस्टेट की जांच कराते रहें ताकि प्रोस्टेट केंसर को प्रारंभिक हालत में ही पकडा जा सके।

*चाय और काफ़ी में केफ़िन तत्व पाया जात है। केफ़िन मूत्राषय की ग्रीवा को कठोर करता है और प्रोस्टेट रोगी की तकलीफ़ बढा देता है। इसलिये केफ़िन तत्व वाली चीजें इस्तेमाल न करें।
* सोयाबीन में फ़ायटोएस्टोजीन्स होते हैं जो शरीर मे टेस्टोस्टरोन का लेविल कम करते हैं। रोज ३० ग्राम सोयाबीन के बीज गलाकर खाना लाभदायक उपचार है।

*विटामिन सी का प्रयोग रक्त नलियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिये जरूरी है। ५०० एम जी की ३ गोली प्रतिदिन लेना हितकर माना गया है। 
* दो टमाटर प्रतिदिन अथवा हफ़्ते में कम से कम दो बार खाने से प्रोस्टेट केंसर का खतरा ५०% तक कम हो जाता है। इसमें पाये जाने वाले लायकोपिन और एन्टिआक्सीडेंट्स केंसर पनपने को रोकते हैं।
*गोक्षुरा में मूत्रवर्धक गुण होते हैं जो मूत्र स्राव को बढ़ाते हैं और मूत्र प्रवाह के दौरान सूजन और जलन को कम करते हैं। गोक्षुरा में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं जो सूजन को भी कम करते हैं।

प्रोस्टेट खतरनाक कब होता है?

प्रोस्टेट का बढ़ना खतरनाक हो सकता है अगर यह मूत्र प्रवाह को बाधित करता है। इस स्थिति के कारण मूत्र प्रतिधारण, मूत्राशय में संक्रमण या यहां तक ​​कि गुर्दे में संक्रमण भी हो सकता है। कुछ मामलों में, गंभीर प्रोस्टेट वृद्धि मूत्र प्रवाह को पूरी तरह से अवरुद्ध कर सकती है या गुर्दे की विफलता का कारण बन सकती है।

प्रोस्टेट में क्या नहीं खाना चाहिए?

प्रोस्टेट संबंधी समस्याओं जैसे बढ़े हुए प्रोस्टेट या प्रोस्टेट कैंसर से बचने के लिए, आपको कुछ खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। इन खाद्य पदार्थों में लाल मांस, प्रसंस्कृत मांस, डेयरी उत्पाद, शराब, कैफीन, और बहुत अधिक नमक शामिल हैं।
दामोदर हॉस्पिटल &रिसर्च सेंटर की हर्बल औषधि से  इस रोग को जड़ से खत्म  किया जा सकता है . 

सावधानी: 

किसी भी औषधि तत्व को इस्तेमाल करने से पहिले किसी चिकित्सा विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित  है |

चैनल को subscribe  करना न भूलें | धन्यवाद आभार !



विशिष्ट परामर्श-




प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने मे हर्बल औषधि सर्वाधिक कारगर साबित हुई हैं| यहाँ तक कि लंबे समय से केथेटर नली लगी हुई मरीज को भी केथेटर मुक्त होकर स्वाभाविक तौर पर खुलकर पेशाब आने लगता है| प्रोस्टेट ग्रंथि के अन्य विकारों (मूत्र    जलन , बूंद बूंद पेशाब टपकना, रात को बार -बार  पेशाब आना,पेशाब दो फाड़)  मे रामबाण औषधि है|  केंसर की नोबत  नहीं आती| आपरेशन  से बचाने वाली औषधि हेतु वैध्य श्री दामोदर से 
98267-95656
 पर संपर्क कर सकते हैं|
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