31.7.24

गुर्दे की विफलता के आयुर्वेदिक और जीवन रक्षक हर्बल उपचार



 

क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) से दुनियाभर में 80 करोड़ से ज्यादा लोग परेशान हैं। यह मौत की भी बड़ी वजह है। भारत जैसे देश में, जहां लो और मिडल क्लास बहुत ज्यादा है, समस्या और गंभीर है। यहां ज्यादातर लोग इस बीमारी के नतीजे नहीं झेल पाते। डायलिसिस और ट्रांसप्लांटेशन का खर्च भी उनकी कमर तोड़ देता है।
किडनी की परेशानियों को आराम से दूर करना हो, तो आयुर्वेद सटीक तरीका साबित होता है। आयुर्वेद, किडनी के काम करने की ताकत को चमत्कार की तरह सही करता है। इतना कि डायलिसिस और ट्रांसप्लांटेशन जैसे इलाजों की जरूरत ही नहीं पड़ती। चलिए जानते हैं कि आयुर्वेद में किडनी डिजीज का क्या इलाज है।
Ayurvedic herb for kidney: जिन लोगों को पहले से किडनी से जुड़ी कोई पुरानी बीमारी है, उनके लिए किसी भी बीमारी से जुड़ी दवाएं लेना थोड़ा मुश्किल हो जाता है और ऐसे में कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां आपके काफी काम आ सकती है।
  किडनी हमारे शरीर के सबसे ज्यादा हेल्दी अंगों में से एक है और इसका नियमित रूप से ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। जब भी हम बीमार पड़ते हैं, तो उसके लिए डॉक्टर हमें दवाएं देते हैं। हमारे द्वारा खाई जाने वाली ये दवाएं हमारे शरीर की बीमारी को ठीक करने में तो मदद करती हैं, लेकिन इन दवाओं को फिल्टर हमारी किडनी को करना पड़ता है। खासतौर पर जिन लोगों को पहले से किडनी से जुड़ी कोई पुरानी बीमारी है, तो उनके लिए किसी भी बीमारी से जुड़ी दवाएं लेना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। दवाओं का असर हमारी किडनी पर जरूर पड़ता है, चाहे वे दवाएं किडनी की किसी बीमारी का इलाज करने के लिए ही क्यों न तैयार की गई हों। ऐसे में कुछ आयुर्वेदिक एक्सपर्ट्स क्रोनिक किडनी डिजीज के मामलों में कुछ खास प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं को इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है कि सारी ही आयुर्वेदिक दवाएं आपकी किडनी के लिए सुरक्षित हैं। लेकिन कुछ आयुर्वेदिक उत्पाद आपकी किडनी के लिए सुरक्षित हो सकते हैं।




वरुणा (Varuna for kidney)

आयुर्वेद में किडनी के मरीजों को वरुणा से बनी दवाएं दी जाती हैं। साथ ही वरुणा के पाउडर का सेवन क्रोनिक किडनी के मरीजों को दिया जाता है, ताकि उनके लक्षणों को कंट्रोल करके रखा जा सके। कुछ अध्ययनों में भी यह पाया गया है कि किडनी स्टोन को निकालने और उसे फिर से होने के खतरे को कम करने के लिए वरुणा काफी फायदेमंद हो सकती है।

गिलोय बेल (Giloy bel for kidney)

ग्रामीण भारत में घर-घर पाई जाने वाली गिलोय की बेल आयुर्वेद की सबसे प्रभावी जड़ी-बूटियों में से एक है। आयुर्वेद के अनुसार बुखार, गठिया और डेंगू जैसी बीमारियों में गिलोय बेल काफी फायदेमंद है। किडनी से जुड़ी बीमारियों का इलाज करने और किडनी की क्रोनिक बीमारियों को मैनेज करने के लिए भी आयुर्वेद में गिलोय बेल का इस्तेमाल किया जाता है।

पुनर्नवा (Punarnava for kidney)

किडनी के लिए सुरक्षित जड़ी-बूटियों में किडनी पुनर्नवा का नाम भी आता है। आयुर्वेद के अनुसार नियमित रूप से और समय-समय पर पुनर्नवा का इस्तेमाल करना आपकी किडनी को सुरक्षित रखता है और यहां तक कि जिन्हें पहले से ही किडनी से जुड़ी बीमारियां हैं, उनके लिए पुनर्नवा फायदेमंद है। सिर्फ आयुर्वेद ही नहीं बल्कि एलोपैथी में भी पुनर्नवा को काफी फायदेमंद बताया गया है, जिनके अनुसार इसमें डाइयुरेटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं।

चंदन (Sandalwood for kidney)

आयुर्वेद में स्किन से जुड़ी बीमारियों को दूर करने के लिए चंदन का काफी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है आयुर्वेद में चंदन की मदद से किडनी से जुड़ी कई बीमारियों का इलाज भी किया जाता है। दरअसल, चंदन भी एक डाइयुरेटिक की तरह काम करती है, जो किडनी से जुड़ी बीमारियों को दूर करने मे मदद करता है।

 गोक्षुरा (Gokhru for kidney)

आयुर्वेद में गुर्दे से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए गोखरू का इस्तेमाल भी काफी माना गया है। किडनी के मरीजों को गोखरू चूर्ण लेने की सलाह दी जाती है। साथ ही कुछ अध्ययनों के अनुसार गोखरू में यूरिक एसिड, क्रिएटिनिन और किडनी स्टोन कम करने के गुण पाए जाते हैं, जो क्रोनिक किडनी डिजीज होने के खतरे को कम करते हैं।

किडनी खराब होने के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

किडनी रातों-रात फेल नहीं होती, धीरे-धीरे इस हाल तक पहुंचती है। लेकिन किडनी फेल्योर के लक्षण बहुत कम और नॉर्मल होने की वजह से इसके बारे में समय से पता नहीं चलता और इलाज देर से शुरू हो पाता है। इलाज समय से शुरू हो, तभी सफल होगा। इसलिए, अलग तरह के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए।पेशाब कम आना

हाथ-पैरों में सूजन
थकान महसूस होना
सांस लेने में परेशानी
कई बार, सीरम क्रिएटिनिन, ब्लड यूरिया और यूरिन एल्बुमिन के लेवल्स अबनॉर्मल रेंज तक बढ़ जाते हैं। इससे किडनी फंक्शन में गड़बड़ी का इशारा मिलता है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और मेडिसिनल प्रीपरेशंस इन इंडिकेटर्स को नॉर्मल रेंज में लाने का काम करते हैं। सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले हर्बल फॉर्मुलेशंस में पुनर्नवा, कासनी, वरुण, पलाश और गोक्षुरा का इस्तेमाल किया जाता है।
आयुर्वेद के ट्रेडिशनल तरीके में नेचरल चीजों का प्रयोग करके बीमारियां ठीक की जाती हैं। इनमें ऐसी परेशानियां भी होती हैं, जहां एलोपैथिक दवाइयां काम नहीं कर पातीं। किडनी फेल्योर को भी आयुर्वेद से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। शरीर में असंतुलन को सही करके और किडनी फंक्शन में सुधार से आयुर्वेद में किडनी डैमेज को ठीक करने की भी ताकत होती है।
किडनी को स्वस्थ रखने और रोगों से बचाने के लिए टिप्स
हाइड्रेटेड रहें
स्वस्थ आहार का पालन करें
नमक का सेवन सीमित करें
धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचें
नियमित व्यायाम करें
तनाव का प्रबंधन करें
रक्तचाप को नियंत्रित करें
ब्लड शुगर के स्तर को मॉनिटर करें
पुनर्नवा, पलाश, गोक्षुरा, कासनी और वरुणादि ऐसी कई जड़ी-बूटियाँ हैं जिनका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक किडनी को साफ करने और पोषण देने के लिए करते हैं। ये जड़ी-बूटियाँ सूजन को कम करने में मदद करती हैं, रक्त परिसंचरण में सुधार करती हैं और शरीर से अपशिष्ट को तेजी से बाहर निकालने में मदद करती हैं।
आयुर्वेदिक इलाज हर मरीज की स्थिति के आधार पर तय होता है। इसलिए, किडनी फेल्योर के इलाज के लिए किसी एक दवाई का नाम नहीं लिया जा सकता, जबकि एलोपैथिक इलाज में यही ट्रेंड होता है। मरीज की उम्र, मेडिकल हिस्ट्री, कोमोर्बिटीज, लक्षण, बीमारी की स्टेज और सेहत को देखकर ही आयुर्वेदिक इलाज तय किया जा सकता है। इसके अलावा, आयुर्वेद शरीर में असंतुलन (दोष) दूर करने का काम करता है, इसलिए भी हर मरीज के इलाज का तरीका अलग होगा। एक मरीज को जिन दवाइयों से आराम मिले, जरूरी नहीं कि वह दूसरे के लिए भी फायदेमंद हो।
आयुर्वेदिक इलाज का सिद्धांत, केवल लक्षणों के इलाज की बजाय इसकी जड़ तक पहुंचना होता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर, इलाज शुरू करने से पहले बीमारी के मूल कारण का पता लगाते हैं। कई बार, किडनी फेल्योर किसी पुरानी वजह से होता है, जिसमें हाइपरटेंशन, डायबिटीज, दिल की बीमारियां और किसी दवाई से एलर्जी आदि हो सकते हैं। आयुर्वेदिक इलाज से पहले, किडनी फेल्योर के कारण का पता लगाकर इसे दूर किया जाता है।

क्रोनिक किडनी रोग के लिए कौन सी दवा सबसे अच्छी है?

क्रोनिक किडनी डिजीज में खून के फीकेपन का श्रेष्ठ उपचार दवाई और एरिथ्रोपोएटिन है।
विशिष्ट परामर्श- 

विशिष्ट परामर्श-

किडनी फेल रोगी के बढे हुए क्रिएटनिन के लेविल को नीचे लाने और गुर्दे की क्षमता बढ़ाने में हर्बल औषधि सर्वाधिक सफल होती हैं| किडनी ख़राब होने के लक्षण जैसे युरिनरी फंक्शन में बदलाव,शरीर में सूजन आना ,चक्कर आना और कमजोरी,स्किन खुरदुरी हो जाना और खुजली होना,हीमोग्लोबिन की कमी,उल्टियां आना,रक्त में यूरिया बढना आदि लक्षणों  में दुर्लभ जड़ी-बूटियों से निर्मित यह औषधि रामबाण की तरह असरदार सिद्ध होती है|डायलिसिस  पर   आश्रित रोगी भी लाभान्वित हुए हैं| औषधि हेतु  वैध्य दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क किया जा सकता है|
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सफेद दाग का मिटेगा नामों निशान ,अचूक उपचार

 



  स्किन के किसी अंग या बालों का सफेद होना विटिलिगो कहलाता है। जिसे सफेद दाग के नाम से भी जानते है। आमतौर पर यह समस्या शरीर में मेलानोसाइट्स की कमी के कारण होते है। जो मेलानिन नामक स्किन के पिगमेंट बनाती है। जिससे स्किन में रंग बनने वाली कोशिकाएं खत्म होने के कारण यह सफेद दाग होते हैं। यह सफेद दाग शरीर में किसी भी जगह हो सकते हैं। समय से पहले सिर के बाल, भौहें, पलकें, दाढ़ी के बालों का रंग उड़ जाता है या सफेद हो जाती है|विटिलिगो किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन विटिलिगो के आधा से ज्यादा मामलों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही विकसित हो जाता है, वहीं 95 प्रतिशत मामलों में 40 वर्ष से पहले ही विकसित होता है शुरुआत में छोटा-सा दिखाई देने वाला यह दाग धीरे-धीरे काफी बड़ा हो जाता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति को कोई शारीरिक परेशानी, जलन या खुजली नहीं होती। चेहरे पर या शरीर के अन्य किसी हिस्से में सफेद दाग होने के कारण कई बार व्यक्ति में हीनता की भावना भी पैदा हो जाती है।
मेलेनिन की कमी होने पर त्वचा पर सफेद धब्बे पड़ने लगते हैं। सांवली त्वचा वालों को धब्बे अधिक आसानी से दिखाई दे सकते हैं। पहले छोटे धब्बे, फिर पूरे शरीर पर बड़े धब्बे अंततः विटिलिगो के साथ दिखाई देते हैं। कई व्यक्ति सफेद दाग के घरेलू उपचार को पारंपरिक चिकित्सा देखभाल के विकल्प के रूप में मानते हैं। विटिलिगो नामक इस नाटकीय त्वचा विकार के कारण त्वचा पर छोटे से लेकर बड़े आकार के सफेद धब्बे विकसित हो जाते हैं। इस स्थिति में त्वचा की रंगद्रव्य कोशिकाएं या तो मर जाती हैं या निष्क्रिय हो जाती हैं।
त्वचा मेलेनिन की कमी आम तौर पर मनुष्यों में सफेद दाग का कारण होती है। इसके अतिरिक्त, यह अक्सर देखा गया है कि विटामिन बी12, फोलेट, कॉपर और जिंक की कमी समस्या में योगदान करती है। सफेद धब्बों में आमतौर पर समय के साथ विस्तार करने और एक बड़ा पैच बनाने की प्रवृत्ति होती है। चेहरे या शरीर के अन्य क्षेत्रों पर सफेद दाग के लिए प्राकृतिक घरेलू उपचार का उपयोग करने से सफेद दाग या ल्यूकोडर्मा का इलाज करने में मदद मिल सकती है।
  कैमॉफ्लाज क्रीम (Camouflage Cream For Vitiligo) की मदद से सफेद दाग को छिपाया जा सकता है। क्‍या
होती है कैमॉफ्लाज क्रीम? कैमॉफ्लाज क्रीम एक तरह का हाई पिग्‍मेंटिड मेकअप होता है, जब इसे स्किन पर लगाया जाता है तो ये स्किन को एक नेचुरल शेड देता है। डर्मकलर कैमॉफ्लाज क्रीम चेहरे और गर्दन पर लगाया जा सकता है। हालांकि अगर आप भी कैमॉफ्लाइ क्रीम लगाना चाहते हैं तो डॉक्‍टर की सलाह पर ही लगाएं।
कुछ लोगों को सफेद दाग और सोरायसिस में कोई अंतर नहीं दिखता है और लगता है कि ये दोनों एक ही हैं। जबकि ऐसा नहीं है, सोरायसिस के दाग पूरी तरह से अलग होते हैं। उनमें धब्बे होने पर सफेद रंग के बुरादे के रूप में डैंड्रफ सा दिखता है जबकि सफेद दाग में ऐसा नहीं होता है। ये केवल सफेद दाग का मिथ है।
सफेद दाग छूने से फैलता है। जिन लोगों को सफेद दाग की समस्या होती है, सामान्य लोग उन्हें नहीं छूनें हैं और उनके साथ किसी तरह का आदान प्रदान करने से भी बचते हैं। लोगों को लगता है कि इन्हें छूने से उन्हें भी सफेद दाग की समस्या हो जाएगी। जबकि यह बिल्कुल गलत है।
सफेद दाग किसी भी तरह से कुष्ठ रोग नहीं है। आम लोगों को सफेद दाग से ग्रसित रोगी से घृणा करने के बजाय उन्हें अपनाना चाहिए और उन्हें मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाना चाहिए।
लोगों के मन में यह धारणा बनी हुई है कि सफेद दाग उन्हीं बच्चों को होता है जिनके माता पिता में से कोई एक इसका शिकार हो। हालांकि ऐसा होने के चांस ज्‍यादा होता है। लेकिन मेडिकल साइंस ऐसा केवल 10 प्रतिशत लोगों में ही देखा जाता है।

कायाकल्प लेप

दिव्य श्वित्रघ्न लेप लगाने से स्किन में फफोले पड़ जाते है। इनसे निजात पाने के लिए कायाकल्प लेप बनता है। इसके लिए एक बाउल में मुल्तानी मिट्टी, गौमूत्र, नीम का पेस्ट, एलोवेरा जेल, हल्दी और अपामार्ग मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे लगातार 1 माह तक लगाए। इससे आपकी स्किन अपने रंग में आ जाएगी।

गोमुत्र अर्क़

माना जाता है कि गोमुत्र में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो सफेद दाग को काफी हद तक सही कर देते हैं। इसके लिए रोजाना सुबह थोड़ा सा एक चम्मच गोमुत्र अर्क पिएं।कई बार हमारे खानपान के कारण स्किन एलर्जी का कारण बन जाता है। ऐसे में दूध के साथ नमकीन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे सफेद दाग हो सकते हैं। जैसे चाय, कॉफी के साथ नमकीन, मठरी जैसी चीजें ना खाएं। इसके साथ ही रात को सोने के 1 घंटे पहले दूध का सेवन करे।
ये उपचार भी कारगर होते हैं 
1. पीसी हुई हल्दी गुनगुने दूध में डाल कर पिए। हर रोज 2 बार ये उपाय करने से 5-6 महीने में सफेद दाग साफ़ होने लगेगा।
2. सरसों का तेल 2 चम्मच ले और इसमें 1 चम्मच हल्दी मिलाकर इसका लेप सफेद दागों पर लगाए. फिर 15 मिनट के बाद धो ले। इस घरेलू नुस्खे को कुछ महीने लगातार दिन में 2 से 3 बार लगाए ल्यूकोडर्मा ठीक होने लगेगा।
3. सफेद दाग का अचूक इलाज करने के लिए लहसुन के रस में थोड़ी हरड़ घीस कर मिलाए और सफेद दाग पर इसका लेप लगाए।
4. प्रतिदिन 3 से 4 बादाम और 30 से 50 ग्राम भीगे काले चने खाए।
5. अखरोट का पाउडर 2 चम्मच ले और इसमें थोड़ा सा पानी मिला कर पेस्ट बना ले। अब इस पेस्ट को white spots पर 15 से 20 मिनट के लिए लगा कर छोड़ दे। इस होम रेमेडीज को दिन में 2 से 3 बार प्रयोग करे।
6. सफेद दाग के उपाय में नीम के पत्तों का रस रामबाण इलाज का काम करता है। नीम के पत्तों को पीस कर इसका रस निकाल ले और इसमें 1 चम्मच शहद मिला कर दिन में 2 से 3 बार पिए।

सफेद दाग का इलाज क्या है

   ऐसा कतई नहीं है कि सफेद दाग का कोई इलाज नहीं है। आज के समय में विटिलिगो को पूरी तरह से सही करने के लिए तमाम तरह के इलाज और थेरेपी उपलब्ध हैं। लेजर तकनीक की मदद से डॉक्टर प्रभावित हिस्से से सफेद दाग को दूर करते हैं और उस स्थान पर व्यक्ति की स्किन का जैसा रंग होता है वैसे ही रंगों की कोशिकाओं को छोड़ते हैं। करीब 5 से 6 हफ्ते बाद इसे हटा दिया जाता है। डॉक्टर कहते हैं कि 3 से 4 महीने में स्किन का रंग काफी हद तक सामान्य हो जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, पित्त या इसके साथ बाकी वातों की गड़बड़ी से सफेद दाग की समस्या होती है। जो लोग बहुत ज्यादा तला-भुना, मसालेदार, बेवक्त खाने के अलावा विरुद्ध आहार (मसलन दूध के साथ नमक या मछली आदि) लेता है, उसमें यह समस्या होने की आशंका ज्यादा होती है। आयुर्वेद में पंचकर्म के जरिए शरीर को डिटॉक्सिफाई किया जाता है। इसके अलावा बाकुची बीज, खदिर (कत्था), दारुहरिद्रा, करंज, आरग्वध (अमलतास) आदि सिंगल हर्ब्स के जरिए भी खून को साफ किया जाता है। इसके अलावा कंपाउंड मेडिसिन भी दी जाती है जैसे कि गंधक रसायन, रस माणिक्य, मंजिष्ठादि काढ़ा, खदिरादि वटी आदि है। त्रिफला भी काफी असरदार है।
  -हल्दी और सरसों के तेल को मिलाकर बनाया गया मिश्रण दाग वाली जगह लगाने से दाग कम होने लगता है। इसके लिए आप एक चम्मच हल्दी पाउडर लें। अब इसे दो चम्मच सरसों के तेल में मिलाए। अब इस पेस्ट को सफेद चकतों वाली जगह पर लगाएं और 15 मिनट तक रखने के बाद उस जगह को गुनगुने पानी से धो लें। ऐसा दिन में तीन से चार बार करें। इससे आराम मिलेगा।-1/2 किलो हल्दी को 8 लीटर पानी में रातभर भिगोकर रखें, रातभर भिगोने के बाद सुबह उस पानी को गर्म करें। तब तक गर्म करें जब तक कि 1 लीटर शेष रह जाएँ। इसमें 1/2 लीटर सरसों का तेल मिला लें, इसके बाद तब तक पकाते रहें जब तक की 1/2 लीटर शेष रह जाएँ इस प्रयोग से शरीर के सफेद दाग में लाभ मिलता है। इस तेल का प्रयोग सुबह-शाम दोनों समय करना चाहिए।
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30.7.24

हड्डियों को मजबूत बनाने वाले भोजन पदार्थ Foods for strong bones



  जब शरीर के सम्पूर्ण स्वास्थ्य की बात आती है, तो उसमें हड्डियों का मजबूत होना बेहद जरूरी होता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है इसे लेकर और भी सजग होने की जरूरत पड़ने लगती है। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए एक संतुलित आहार लेना सबसे अच्छा होता है, जिसमें कैल्शियम, विटामिन डी, मैग्नीशियम और हड्डियों को सहारा देने वाले अन्य पोषक तत्व शामिल हों। इससे हड्डियों के नुकसान को रोकने और ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। इस लेख में हम ऐसे ही फूड आइटम्स के बारे में जानेंगे, जिनके सेवन से हड्डियों को मजबूती मिलती है।
अचानक से घुटनों में दर्द होना या फिर कमर या हाथ-पैरों की हड्डियों का दुखना कमजोर हड्डियों के लक्षण हो सकते हैं. कमजोर हड्डियां शरीर के अलग-अलग हिस्से में दर्द का कारण बनती हैं जिस चलते उठना-बैठना तक मुश्किल होने लगता है. ऐसे में हड्डियों को मजबूत बनाना जरूरी होता है. यहां खानपान की ऐसी ही कुछ चीजें दी गई हैं जिनके सेवन से हड्डियों की कमजोरी दूर होती है और हड्डियां मजबूत (Strong Bones) होने लगती हैं. यहां जानिए कौनसी हैं ये चीजें जिन्हें डाइट का बनाया जा सकता है हिस्सा.

सूखे मेवे - 

खानपान में सूखे मेवे शामिल करने पर शरीर को अलग-अलग फायदे मिलते हैं और इन ड्राई फूड्स का असर हड्डियों को मजबूत बनाने में भी दिखता है. सूखे मेवे कैल्शियम ही नहीं बल्कि मैग्नीशियम और फॉस्फोरस के भी स्त्रोत होते हैं जोकि हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में असरादर हैं. ऐसे में इन मेवों को स्नैक्स की तरह या फिर मिल्क शेक्स और सलाद वगैरह में डालकर खाने पर हड्डियों को फायदा मिलता है.
विटामिन डी कुछ खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, जिसमें मछली और मशरूम शामिल हैं , लेकिन यह मुख्य रूप से फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। आपका शरीर इसे तब भी बनाता है जब आपकी त्वचा धूप में रहती है। विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण और हड्डियों की वृद्धि में सुधार करता है और आपकी मांसपेशियों, नसों और प्रतिरक्षा प्रणाली की मदद करता है ।

डेयरी प्रोडक्ट्स को बढ़ाएं: 

अगर आप अपनी बोन्स को मजबूत बनाना चाहते हैं तो आपको अपनी डेली रूटीन में डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, पनीर, दही जैसे खाद्य पदार्थों को बढ़ाना होगा. डेयरी प्रोडक्ट में कैल्शियम और विटामिन डी की मात्रा भरपूर होती है. इसके साथ ही डेयरी प्रोडक्ट में प्रोदीन की मात्रा भी अधिक होती है

बादाम – 

ड्राई फ्रूट्स में सबसे ताकतवर माने जाने वाले बादाम का सेवन करना दिमाग ही नहीं, बल्कि हड्डियों के लिए भी चमत्कारी माना जा सकता है. बादाम के साथ बादाम से बने बटर (Almonds & Almond Butter) का सेवन करने से बोन हेल्थ बूस्ट हो सकती है. इनमें पोषक तत्वों का भंडार होता है. आधा कप नट्स में 190 मिलीग्राम कैल्शियम और 2 चम्मच बादाम मक्खन में 111 मिलीग्राम कैल्शियम होता है.

पालक का सेवन करें: 

हड्डियों के लिए सबसे प्रमुख तत्व कैल्शियम होता है. हरी सब्जियों में इसकी मात्रा अच्छी खासी होती है. बोन्स को मजबूत करने के लिए पालक का सेवन किया जा सकता है. पालक के सेवन से हड्डियों को कैल्शियम की डेली जरूरत का लगभग 25 प्रतिशत कैल्शियम मिल जाता है. फाइबर में उच्च पत्तियों में आयरन और विटामिन ए भी अधिक होता है.

अनानास का सेवन करें:

 अनानास में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें पोटैशियम की मात्रा भरपूर होती है जिससे शरीर को बैलेंस करने में मदद मिलती है. अनानास कैल्शियम की कमी को भी कम करता है. इसमें विटामिन एक की मात्रा भी भरपूर होती है.

सोयाबीन –

हड्डियों के लिए सोयाबीन को सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जा सकता है. इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम के अलावा प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है, जिससे हड्डियों के साथ मांसपेशियों को भी मजबूती मिलती है. सोयाबीन से बनी चीजें खाने से आपकी हड्डियां लोहे जैसी मजबूत बन सकती हैं. आप हड्डियां को लंबे समय तक बेहतर बनाने के लिए सोयाबीन से बने टोफू का सेवन शुरू कर सकते हैं

फलियां –

हड्डियों की सेहत के लिए सफेद फलियों (White Canned Beans) को बेहद फायदेमंद माना जाता है. इन एक कप फलियों में लगभग 190 मिलीग्राम कैल्शियम होता है. बीन्स प्रोटीन का भी अच्छा स्रोत हैं. आप फलियों का सेवन करके हड्डियों को आसानी से मजबूत बना सकते हैं. इसके अलावा हरी सब्जियों में भी कैल्शियम समेत तमाम पोषक तत्व होते हैं, जिनसे हड्डियों को हेल्दी रखा जा सकता है.

अंजीर – 

आपको जानकर हैरानी होगी कि हड्डियों के लिए सूखे अंजीर (Dried Figs) को अमृत समान माना जा सकता है. हार्वर्ड हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार सूखे अंजीर का सेवन करने से हड्डियों को मजबूती मिल सकती है. दो अंजीर में लगभग 65 मिलीग्राम कैल्शियम होता है और नियमित रूप से इनका सेवन करने से शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं होगी. अंजीर को भिगोकर खाने से भी बोन हेल्थ बूस्ट होती है.
आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपको स्वस्थ हड्डियों को बनाए रखने के लिए प्रत्येक पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिले। वयस्कों को कैल्शियम और विटामिन डी की निम्नलिखित अनुशंसित मात्रा प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए
50 वर्ष तक के वयस्क : 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम और 600 अंतर्राष्ट्रीय यूनिट विटामिन डी
51 से 70 वर्ष की आयु के वयस्क : 1,000 से 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम और 600 अंतर्राष्ट्रीय यूनिट विटामिन डी
71 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्क : 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम और 800 अंतर्राष्ट्रीय यूनिट विटामिन डी
 व्यायाम और शारीरिक गतिविधि बचपन से लेकर वयस्कता तक हड्डियों को स्वस्थ रख सकती है। बच्चों और किशोरों को प्रतिदिन एक घंटे शारीरिक गतिविधि करने का लक्ष्य रखना चाहिए, जबकि वयस्कों को हर हफ़्ते लगभग दो घंटे और 30 मिनट की ज़रूरत होती है।1
आदर्श रूप से, आप निम्नलिखित व्यायामों को शामिल करेंगे:
भार वहन करना (जैसे, चलना, दौड़ना, नृत्य करना, टीम खेल)
शक्ति प्रशिक्षण (जैसे, मुक्त भार उठाना, शरीर-भार नियम)
बिना वजन उठाए (जैसे, साइकिल चलाना, तैरना)
लचीलेपन, कोर ताकत और संतुलन को बेहतर बनाने के लिए आप योग, पिलेट्स या ताई ची भी पसंद कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, अगर आपको ऑस्टियोपोरोसिस है तो कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर आहार मदद कर सकता है। भरपूर मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी लेने से बीमारी धीमी हो सकती है और फ्रैक्चर को रोका जा सकता है।
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14.7.24

बड़ी से बड़ी पथरी को गलाकर बाहर निकालने के लिए आजमाएं हर्बल औषधियाँ, kidney stone herbal medicine


 



किडनी स्टोन या किडनी में पथरी होना एक आम समस्या है। गुर्दे की पथरी से बहुत से लोग पीड़ित होते हैं। किडनी की पथरी की समस्या किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। यह महिला और पुरुष दोनों पर समान प्रभाव डालती है। किडनी की पथरी अगर छोटी हो तो यह अपने आप बाहर निकल आती है लेकिन मध्यम या बड़ी आकार की पथरी होने पर इलाज की जरुरत पड़ती है। पथरी के दर्द को कम करने के लिए कई घरेलू उपचार मौजूद है। इसके साथ ही किडनी की पथरी को कई घरेलू नुस्खे की मदद से भी तोड़ा भी जा सकता है। अगर गुर्दे की पथरी शुरूआती स्टेज में है तो पथरी के घरेलू उपायों से इसके लक्षणों को दूर किया जा सकता है। आइये जानते हैं किन घरेलू उपायों से अपने आप निकल जाएगी किडनी की पथरी।
गुर्दे की पथरी या किडनी स्टोन क्रिस्टलयुक्त खनिज और लवण होते हैं जो डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) के कारण बनते हैं। गुर्दे में पथरी तब बनती है जब मिनरल और साल्ट जैसे कैल्सियम ऑक्जलैट किडनी में क्रिस्टलीकृत होकर जमने लगते हैं और कठोर होकर जमा हो जाते हैं। हालांकि पथरी किडनी में ही बनती है लेकिन यह यूरिनरी ट्रैक्ट को भी प्रभावित करती है। किडनी स्टोन को कैल्कुली (calculi) या यूरोलिथियासिस भी कहते हैं।

पथरी होने के कारण

गुर्दे में पथरी या किडनी स्टोन आमतौर पर एक नहीं बल्कि कई कारणों से होती है। गुर्दे की पथरी तब होती है जब यूरिन में कैल्शियम, ऑक्जलेट और यूरिक एसिड जैसे पदार्थ जमा होकर अधिक मात्रा में क्रिस्टल का निर्माण करते हैं और यूरिन के फ्लुइड को पतला कर देते हैं। इस दौरान यूरिन में क्रिस्टल को एक दूसरे से जोड़ने से रोकने वाले पदार्थों की कमी हो जाती है जिससे किडनी में पथरी बन जाती है। इसके अलावा यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, रिनल ट्यूबुलर एसिडोसिस, हाइपरथायरॉयडिज्म सहित कई बीमारियों के कारण किडनी की पथरी हो सकती है।

पथरी के लक्षण


आमतौर पर किडनी स्टोन के लक्षण तब तक पता नहीं चल पाते हैं जब तक पथरी किडनी के चारों ओर घूमने नहीं लगती या किडनी और ब्लैडर के बीच स्थित मूत्रवाहिनी में नहीं आ जाती है। उसके बाद किडनी की पथरी के ये लक्षण सामने आते हैं:
पसलियों के नीचे और पीठ में तेज दर्द
पेशाब के दौरान दर्द
गुलाबी, लाल या भूरे रंग की यूरिन
पेशाब से तीक्ष्ण दुर्गंध आना
मितली और उल्टी होना
बार-बार पेशाब लगना
सामान्य से अधिक पेशाब होना
इंफेक्शन
ठंड लगना और बुखार
कम मात्रा में पेशाब होना
इसके साथ ही किडनी स्टोन के कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में हल्का और गंभीर दर्द भी होता रहता है।
गुर्दे की पथरी एक आम समस्या है जिसे घरेलू उपचार से भी काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। घर में ऐसी कई चीजें मौजूद होती हैं जिनमें भरपूर मात्रा में औषधीय गुण पाये जाते हैं और ये वस्तुएं किडनी की पथरी को बढ़ने से रोकने के साथ ही दर्द में भी राहत देती हैं।




पथरी का घरेलू इलाज पानी

किडनी की पथरी का सबसे आसान घरेलू उपचार है पानी। किडनी स्टोन होने पर रोजाना सामान्य रुप से 8 गिलास पानी पीने की बजाय 12 गिलास पानी पीने से पथरी का ग्रोथ रुक जाता है। वास्तव में गुर्दे की पथरी का एक बड़ा कारण डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) है। शरीर में पानी की कमी होने पर यह बीमारी उत्पन्न होती है।
पानी किसी भी बीमारी को दूर करने में कितना मददगार साबित हो सकता है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं की केवल पानी पीने से ही पथरी को बाहर किया जा सकता है। इसलिए अधिक से अधिक पानी पीने के साथ ही यूरिन के रंग पर भी ध्यान देना चाहिए। आपके यूरिन का रंग लाइट और कम पीला होना चाहिए। यदि आपका यूरिन का रंग गहरा पीला है तो इसका मतलब यह है कि आपके शरीर में पानी की कमी हो गई है। अगर गुर्दे की पथरी का आकर छोटा है तो इसे अधिक मात्रा में पानी पीकर बाहर निकाला जा सकता है।
नींबू से पथरी का इलाज किया जा सकता है। नींबू से पथरी का इलाज भी बहुत आसान है और इस घरेलू उपाय को बहुत से लोग आजमाते हैं। नींबू में साइट्रेट नामक रसायन पाया जाता है जो गुर्दे में कैल्शियम स्टोन बनने से रोकता है। इसके साथ ही साइट्रेट किडनी की पथरी को छोटी-छोटी पथरी में ब्रेक करता है और उन्हें बढ़ने से रोकता है। किडनी स्टोन के घरेलू इलाज के रुप में सबसे पहले एक बार सुबह खाली पेट नींबू पानी और रात के खाने के कुछ घंटे पहले नींबू पानी का सेवन करना चाहिए। यह घरेलू उपाय करने से कई बार किडनी स्टोन को निकालने के लिए ऑपरेशन की जरुरत भी नहीं पड़ती है। अगर आप बिना सर्जरी के किडनी स्टोन को ठीक करना चाहते हैं (Remove Kidney Stones Without Surgery), तो आपको यह नुस्खा रोज करना होगा।

तुलसी का रस


पथरी तोड़ने की दवा के रुप में तुलसी के रस का इस्तेमाल भी किया जाता है। यह किडनी की पथरी निकालने का घरेलू नुस्खा माना जाता है। जिससे किडनी स्टोन से राहत पाने में मदद मिलती है। तुलसी में एसिटिक एसिड पाया जाता है जो गुर्दे की पथरी को तोड़ता है और दर्द कम करने में मदद करता है। इसके साथ ही तुलसी पोषक तत्वों से भरपूर है।
आमतौर पर तुलसी को पाचन और सूजन की समस्याओं को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होने के कारण तुलसी का रस किडनी की पथरी के घरेलू उपचार में मदद करता है। किडनी की पथरी निकालने के लिए तुलसी की ताजी पत्तियों की चाय दिन में कई बार सेवन करें। इसके साथ ही तुलसी की पत्तियों का जूस पीने से भी गुर्दे की पथरी ठीक हो जाती है। हालांकि छह सप्ताह से ज्यादा तुलसी के रस का सेवन नहीं करना चाहिए।

सेब का सिरका

किडनी की पथरी का देसी इलाज है सेब का सिरका। इसमें पर्याप्त मात्रा में एसिटिक एसिड पाया जाता है जो गुर्दे की पथरी को गलाने में मदद करता है। इसके साथ ही यह पथरी के कारण होने वाले दर्द को भी कम करता है। किडनी स्टोन को गलाने के लिए एक गिलास पानी में एक चम्मच एपल साइडर विनेगर मिलाकर दिन में कई बार सेवन करें। सेब के सिरके का इस्तेमाल सलाद में भी किया जा सकता है। हालांकि यदि आपको डायबिटीज है या आप इंसुलिन, डिगॉक्सिन या कोई डाइयूरेटिक दवा ले रहे हों तो आपको सेब के सिरके का सेवन नहीं करना चाहिए।

अजवाइन का रस

किडनी की पथरी के लिए अजवाइन का रस बेहद फायदेमंद है। यह विषाक्त पदार्थों को दूर करके किडनी स्टोन बनने से रोकने में मदद करती है। अजवाइन में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो पेशाब की मात्रा को बढ़ाता है और किडनी स्टोन को पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने में प्रभावी तरीके से कार्य करता है। अजवाइन के रस को पानी में मिलाएं और पूरे दिन में कई पानी सेवन करें। लेकिन यदि आपको किसी तरह की ब्लीडिंग होती हो या लो ब्लड प्रेशर से पीड़ित हों एवं दवाओं का सेवन कर रहे हों तो डॉक्टर से परामर्श लेकर ही अजवाइन के रस का सेवन करना चाहिए।

व्हीटग्रास जूस

व्हीटग्रास जूस पथरी के घरेलू इलाज के काम आता है। व्हीटग्रास जूस में कई तरह के पोषक तत्व पाये जाते हैं जो यूरिन को बढ़ाते हैं और पेशाब के माध्यम से किडनी स्टोन को बाहर निकालने में मदद करते हैं। किडनी स्टोन को निकालने के लिए रोजाना दिन में कई बार व्हीटग्रास जूस का सेवन करना चाहिए। इससे गुर्दे की पथरी बढ़ती भी नहीं है और उससे होने वाले दर्द में भी आराम मिलता है।

अनार का रस

किडनी स्टोन के असहनीय दर्द के इलाज के लिए अनार का रस उपयोगी होता है। किडनी से जुड़ी सभी समस्याओं के लिए अनार के रस का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है। यह सिस्टम से पथरी और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। अनार के रस में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो यूरिन के एसिडिक लेवल को कम करता है और गुर्दे की पथरी को बढ़ने से रोकता है। दिन में कई बार अनार का जूस पीने से किडनी स्टोन के असहनीय दर्द से राहत पाया जा सकता है।

ऑलिव ऑयल

एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल किडनी स्टोन का घरेलू इलाज है। यह ऑयल काभी गाढ़ा और पोषक तत्वों से समृद्ध होता है जो मूत्रमार्ग को चिकना करके किडनी स्टोन को बाहर निकालने में मदद करता है। एक गिलास पानी में वर्जिन ऑलिव ऑयल की कुछ बूंदे मिलाकर सुबह दोपहर और शाम को सेवन करने से किडनी स्टोन टूट जाता है और दर्द एवं बेचैनी भी कम हो जाती है।
  किडनी स्टोन का होना आपकी सेहत पर बुरा असर डाल सकता हैं। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि आप गुर्दे की पथरी के लक्षण को पहचान कर समय रहते ही इसके लिए इलाज तलाश लें। अक्सर लोग किडनी स्टोन के घरेलू उपाय आजमाते हैं, जो इस्तेमाल में आसान और किडनी स्टोन को घोलकर पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने में मददगार होते हैं। यदि आप भी किडनी स्टोन की बीमारी से जूझ रहें है तो इस लेख में बताये गए किडनी स्टोन को निकालने के लिए घरेलू इलाज को आजमा सकते हैं। हालांकि यह थोड़ा असुविधाजनक हो सकता है, लेकिन अपने दम पर गुर्दे की पथरी को बाहर करना संभव है।
पथरी ठीक होने तक उपचार जारी रखना सुनिश्चित करें, और शराब न पियें।
आप इन उपायों को अपने सामान्य आहार में शामिल कर सकते हैं और पथरी की बीमारी ठीक होने के बाद भी इनका उपयोग जारी रख सकते हैं। यह फिर से पथरी बनने से रोकने में मदद कर सकते है।
विशिष्ट परामर्श-




पथरी के भयंकर दर्द को तुरंत समाप्त करने मे हर्बल औषधि सर्वाधिक कारगर साबित होती है,जो पथरी- पीड़ा बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज से भी बमुश्किल काबू मे आती है इस औषधि की 2-3 खुराक से आराम लग जाता है| वैध्य श्री दामोदर 9826795656 की जड़ी बूटी - निर्मित दवा से 30 एम एम तक के आकार की बड़ी पथरी भी आसानी से नष्ट हो जाती है|
गुर्दे की सूजन ,पेशाब मे जलन ,मूत्रकष्ट मे यह औषधि रामबाण की तरह असरदार है| आपरेशन की जरूरत ही नहीं पड़ती|
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23.5.24

काली मिर्च के चिकित्सा उपयोग , Kalimich se ilaj




  काली मिर्च को आयुर्वेद (Ayurveda) में विशेष महत्व दिया गया है जो कई औषधिय गुणों (medicinal properties) से भरपूर है। काली मिर्च को लम्बे समय से विभिन्न बीमारियों, स्वास्थ्य समस्याओं और छोटी-मोटी दिक्कतों से आराम दिलाने के लिए घरेलू नुस्खों में भी काली मिर्च का इस्तेमाल किया जाता रहा है। चीन की पारम्परिक चिकित्सा पद्धति (Chinese medicine) में भी काली मिर्च जैसे मसालों (Indian Spices) की मदद से कई स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज किया जाता रहा है। लेकिन, जिस तरह नमक जैसे फायदेमंद फूड के अधिक सेवन करने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है उसी तरह काली मिर्च का अधिक सेवन भी हेल्थ के लिए बुरा साबित हो सकता है। काली मिर्च के तीखे स्वाद के कारण इसका बहुत ही कम इस्तेमाल किया जाता हैं, लेकिन अनेक प्रकार की बीमारियो में काली मिर्च का इस्तेमाल घरेलू नुस्खे के तौर पर किया जाता हैं। पेट, स्किन और हड्डियो से जुड़ी प्रॉब्लम्स को डोर करने में काली मिर्च बहुत ज़्यादा असरदार होती हैं। आज जाँएंगे की इसका कैसे और कितनी मात्रा में इस्तेमाल करके रोगो को दूर किया जा सकता हैं। यदि आप प्रतिदिन 1 काली मिर्च का सेवन करे तो आपको 56 फायदे होंगे, आइये आज हम आपको बताने जा रहे हैं कालीमिर्च के रामबाण प्रयोग व फायदे।

डायबिटीज-

अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो आपके लिए काली मिर्च का सेवन फायदेमंद हो सकता है. काली मिर्च में एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक एजेंट होते हैं, जो रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को कम करने में मदद कर सकते हैं.

स्किन-

काली मिर्च सिर्फ स्वाद और सेहत ही नहीं बल्कि सुंदरता को भी बढ़ाने में मददगार है. काली मिर्च के तेल में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं.

गठिया रोग

उम्र बढ़ने के साथ ही होने वाला गठिया रोग काली मिर्च का इस्तेमाल बहुत ही फयदेमंद होता हैं। इसे तिल के तेल में जलने तक गरम करे। उसके बाद इस तेल को ठंडा होने पर दर्द वाली जगह आदि पर लगाए आपको बहुत ही आराम मिलेगा।

ब्लड प्रेशर-

ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए भी काली मिर्च का सेवन करना काफी लाभकारी माना जाता है. काली मिर्च को किशमिश के साथ सेवन करने से ब्लड प्रेशर की समस्या को कंट्रोल में रखा जा सकता है.


बालों के लिए काली मिर्च के फायदे

डैंड्रफ की समस्या किसी भी मौसम में हो सकती है। ऐसे में आप काली मिर्च का प्रयोग कर सकती हैं। दरअसल, काली मिर्च में एंटी फंगल गुण होते हैं। आप बालों में दही के साथ काली मिर्च लगा सकती हैं। इसके लिए आपको 1 कप दही में 1/2 छोटा चम्मच काली मिर्च पाउडर डालना है।

लो ब्लड प्रेशर 

ब्लड प्रेशर लो रहता है, तो दिन में दो-तीन बार पांच दाने कालीमिर्च के साथ 21 दाने किशमिश का सेवन करें।

बवासीर में राहत

जंक फुड के कारण बवासीर की समस्या आजकल ज़्यादातर लोगो को रोग कर रही हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए जीरा, काली मिर्च और चीनी या मिशरी को पीस कर एक साथ मिला ले। सुबह-शाम दो से तीन बार इसे लेने से बवासीर में राहत मिलती हैं

नेत्र ज्योति वर्धक

काली मिर्च आंखों के लिए उपयोगी है। यह आखों की रोशनी बढ़ाने में भी सहायक है। भुने आटे में देसी घी, काली मिर्च व चीनी मिलाकर मिश्रण बनाएं। सुबह-शाम खाएं।

मंदाग्रि दूर

काली मिर्च 20 ग्राम, सोंठ पीपल, जीरा व सेंधा नमक सब 10-10 ग्राम मात्रा में पीस कर मिला लें। भोजन के बाद आधा चम्मच चूर्ण थोड़े से जल के साथ फांकने से मंदाग्रि दूर हो जाती है।

जुकाम से राहत

एक चम्मच शहद में 2-3 पिसी काली मिर्च व चुटकी भर हल्दी मिलाकर लें, जुकाम से राहत मिलेगी।

ईम्यूनिटी-

काली मिर्च में विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. काली मिर्च से बने काढ़े का सेवन कर इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है
काली मिर्च को सुई से छेद कर दीये की लौ से जलाएं। जब धुआं उठे तो इस धुएं को नाक से अंदर खीच लें। इस प्रयोग से सिर दर्द ठीक हो जाता है। हिचकी चलना भी बंद हो जाती है।

सावधानी 

दांतों का नुकसान

काली मिर्च का अधिक सेवन करने से दांतों को नुकसान हो सकता है और सड़न की समस्या जन्म ले सकती हैं.

नींद की समस्या

काली मिर्च के सेवन से नींद की समस्या भी हो सकती है, जिससे आपके दिनचर्या पर असर पड़ सकता है.
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18.12.19

यात्रा के दौरान मितली उल्टी आने के उपाय व उपचार




बस या कार में यात्रा करते हुए जी मचलना या उल्टी आना, ऐसी परेशानी बहुत लोगों को होती है. असल में ऐसा मस्तिष्क के जबरदस्त हुनर के चलते होता है.
हममें से कई लोग यात्रा के दौरान होने वाली मतली या उल्टी के कारण, बस में या कार में सफर करना अवॉयड करते हैं। मोशन सिकनेस बीमारी (Motion sickness)(यात्रा संबंधी मतली) एक ऐसी स्थिति है जिसमें आँखों के द्वारा मूवमेंट को भापना और वेस्टिबुलर सिस्टम की मूवमेंट की भावना के बीच के अंतर के कारण होता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जिनके बारे में हम आमतौर पर ध्यान नहीं देते। यात्रा के दौरान उल्टी को कार सिकनेस (बीमारी), सिमुलेशन सिकनेस या एयर सिकनेस के रूप में भी समझा जा सकता है।
बस, कार, विमान या पानी के जहाज में यात्रा करने के दौरान शरीर और मस्तिष्क के बीच एक असमंजस की स्थिति बन जाती है. कार्डिफ यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट डॉक्टर डिएन बर्नेट के मुताबिक यात्रा के दौरान दिमाग को ऐसा लगता है जैसे शरीर में जहर फैल रहा है. जान बचाने के लिए मस्तिष्क हरकत में आता है. जी मचलने लगता है और उल्टी सी आने लगती है. इस तरह दिमाग शरीर से विषैले तत्वों को बाहर करने की कोशिश करता है.
चक्कर आना, थकान और मतली, मोशन सिकनेस के सबसे आम लक्षण हैं। सोपाइट सिंड्रोम (Sopite syndrome), जिसमें एक व्यक्ति थकान या थकावट महसूस करता है, मोशन सिकनेस से भी जुड़ा हुआ है। ग्रीक में “मतली”(nausea) का अर्थ सी-सिकनेस (See-sick syndrome) है। अगर मतली पैदा करने वाली गति का समाधान नहीं होता है, तो पीड़ित को आमतौर पर उल्टी हो जाएगी। उल्टी से अक्सर कमजोरी और मतली की भावना से छुटकारा नहीं मिलता है, जिसका मतलब है कि जब तक मतली का इलाज नहीं किया जाता है तब तक व्यक्ति को उल्टियां आती रहेगी।
मोशन सिकनेस आमतौर पर पेट के खराब होने का कारण बनती है। इसके अन्य लक्षणों में ठंडा पसीना और चक्कर आना शामिल है। मोशन सिकनेस वाले व्यक्ति को सिरदर्द, और पीले पड़ने की शिकायत हो सकती है। मोशन सिकनेस के परिणामस्वरूप निम्न लक्षणों का अनुभव करना भी आम है:
यात्रा सम्बन्धी मतली के गंभीर लक्षणों में शामिल हैं:
हल्की बेचैनी
उबासी लेना
पसीना आना
असुविधा की एक सामान्य भावना
अच्छी तरह से महसूस नहीं करना (malaise)
हल्की सांस लेना (सांस की कमी)
सिर चकराना
जी मिचलाना
उल्टी
पीलापन
उनींदापन
सरदर्द
किसी को भी यात्रा के दौरान उल्टी (मोशन सिकनेस) हो सकती है, लेकिन यह बच्चों और गर्भवती महिलाओं में सबसे आम है। यह संक्रामक नहीं है।
2 से 12 वर्ष की उम्र के बच्चों को मोशन सिकनेस से ग्रस्त होने की सबसे अधिक संभावना है। गर्भवती महिलाओं को भी इसका सामना करने की संभावना अधिक होती है।
आपकी इंद्रियों के बीच में संघर्ष होने पर आपको मोशन सिकनेस की बीमारी होती है। मान लें कि आप मेले में एक झूले पर हैं, और यह आपको चारों ओर और ऊपर घुमाया जा रहा है। आपकी आंखें एक चीज को देखती हैं, आपकी मांसपेशियों को कुछ और महसूस होता है, और आपके कान के भीतर कुछ और समझ आता है।
आपका दिमाग उन मिश्रित संकेतों को एक साथ नहीं ले सकता है। यही कारण है कि आप को चक्कर आना और बीमार महसूस होने जैसा लगता है।
सफर के दौरान उल्टियां होने पर (मोशन सिकनेस) अधिकांश मामले में आप खुद इलाज कर सकते हैं।
बहुत गंभीर मामले, और जो प्रगतिशील रूप से बदतर हो जाते हैं, जैसे कान में असंतुलन और तंत्रिका तंत्र की बीमारियों में, अपने चिकित्सक से जाकर मिले।
मोशन सिकनेस का निदान करने में मदद के लिए, डॉक्टर आपके लक्षणों के बारे में पूछेगा और पता लगाएगा कि आम तौर पर समस्या का कारण क्या होता है (जैसे नाव में सवारी करना, विमान में उड़ना, या कार में सफर करना और गाड़ी चलाना)।
मोशन सिकनेस के लक्षण आमतौर पर तब बंद हो जाते हैं जब आप रुक जाते हैं। लेकिन यह हमेशा सच नहीं है। ऐसे लोग हैं जो यात्रा खत्म होने के कुछ दिनों बाद भी लक्षण से पीड़ित रहते हैं। अतीत में यात्रा के दौरान उल्टी (मोशन सिकनेस) वाले ज्यादातर लोग अपने डॉक्टर से पूछते हैं कि अगली बार सफर के दौरान उल्टियां होने पर क्या करें और कैसे रोकें। निम्नलिखित उपचार आपकी यात्रा के दौरान उल्टी और मतली ठीक करने में मदद कर सकते हैं:
एक्यूप्रेशर में सुइयों को डालने के बजाये उंगली के दबाव से मतली में राहत मिलती है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि एक्यूप्रेशर एक्यूपंक्चर के समान मोशन सिकनेस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
सफर के दौरान उल्टियां होने पर ताजा, ठंडी हवा भी मोशन सिकनेस में थोड़ी राहत दे सकती है। यदि आप कार, बस, ट्रेन में सफर कर रहें हैं तो खिड़की से ताजी हवा ले सकते हैं।
च्यूइंग गम मोशन सिकनेस को कम करने का एक आसान तरीका है। सफर के दौरान उल्टियां होने पर सामान्य और हल्की कार सिकनेस से मुक्त होने के लिए यह एक सरल विधि है। च्यूइंग गम या लौंग या इलायची चबाने से कार में वोमिटिंग के हल्के प्रभाव से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
यात्रा के दौरान उल्टी रोकने के लिए एक आम सुझाव है कि चलती गाड़ी की खिड़की से बाहर यात्रा की दिशा में क्षितिज (सामने की तरफ) की ओर देखे। यह गति की द्रश्य में नयापन लाकर आपके संतुलन की भावना को फिर से चालू करने में मदद करता है।
यात्रा या हवाई यात्रा के दौरान उल्टी रोकने के लिए जहाज में, आंखों को बंद करना उपयोगी होता है, इसलिए यदि संभव होतो झपकी लें। यह आंखों और आंतरिक कान के बीच के इनपुट संघर्ष को हल करता है।
एक बार यात्रा खत्म होने के बाद मोशन सिकनेस बीमारी आमतौर पर दूर हो जाती है। लेकिन अगर आप को अभी भी चक्कर आ रहे हैं, सिरदर्द है, उल्टी, सुनने में कमी या छाती में दर्द है, तो अपने डॉक्टर से मिले।
यात्रा के दौरान मितली होने पर, यात्रा के दौरान आप कहां बैठते हैं इससे भी फर्क पड़ता है। कार की आगे की सीट, ट्रेन-बस में खिड़की वाली सीट, नाव में ऊपरी डेक या विमान में विंग सीट आपको यात्रा के दौरान उल्टी के बिना एक आसान सवारी का मजा दे सकती है। यात्रा करते वक्त खिड़की के बहार दाए और बाए दिशा में देखें। वाहन में कुछ पढ़ने या देखने की कोशिश ना करें, और यात्रा के पहले भारी भोजन, शराब और अन्य सॉफ्ट ड्रिंक्स से बचें। इसके अलावा यात्रा के दौरान उल्टी से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पियें।
यात्रा में उल्टी- घबराहट से बचने के घरेलू उपाय
अदरक:
अदरक में ऐंटीमैनिक गुण होते हैं। एंटीमैनिक एक ऐसा पदार्थ है जो उल्टी और चक्कर आने से बचाता है। सफर के दौरान जी मिचलाने पर अदरक की गोलियां या फिर अदरक की चाय का सेवन करें। इससे आपको उल्टी नहीं आएगी। अगर हो सके तो अदरक अपने साथ ही रखें। अगर घबराहट हो तो इसे थोड़ा-थोड़ा खाते रहें।
प्याज का रस
सफर में होने वाली उल्टियों से बचने के लिए सफर पर जाने से आधे घंटे पहले 1 चम्मच प्याज के रस में 1 चम्मच अदरक के रस को मिलाकर लेना चाहिए। इससे आपको सफर के दौरान उल्टियां नहीं आएंगी। लेकिन अगर सफर लंबा है तो यह रस साथ में बनाकर भी रख सकते हैं।
लौंग
सफर के दौरान जैसे ही आपको लगे कि जी मिचलाने लगा है तो आपको तुरंत ही अपने मुंह में लौंग रखकर चूसनी चाहिए। ऐसा करने से आपका जी मिचलाना बंद हो जाएगा।लौंग को भूनकर इसे पीस लें और किसी डिब्बी में भरकर रख लें। जब भी सफर में जाएं या उल्टी जैसा मन हो तो इसे सिर्फ एक चुटकी मात्रा में चीनी या काले नमक के साथ लें और चूसें।
रुमाल में पुदीना रख लें
पुदीना पेट की मांसपेशियों को आराम देता है और इस तरह चक्कर आने और यात्रा के दौरान तबीयत खराब लगने की स्थिति को भी खत्म करता है। पुदीने का तेल भी उल्टियों को रोकने में बेहद मददगार है। इसके लिए रुमाल पर पुदीने के तेल की कुछ बूंदे छिड़कें और सफर के दौरान उसे सूंघते रहें। सूखे पुदीने के पत्तों को गर्म पानी में मिलाकर खुद के लिए पुदीने की चाय बनाएं। इस मिश्रण को अच्छे से मिलाएं और इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं। कहीं निकलने से पहले इस मिश्रण को पिएं।
नींबू
नींबू में मौजूद सिट्रिक ऐसिड उलटी और जी मिचलाने की समस्या को रोकते हैं। एक छोटे कप में गर्म पानी लें और उसमें 1 नींबू का रस व थोड़ा सा नमक मिलाएं। इसे अच्छे से मिलाकर पिएं। आप नींबू के रस को गर्म पानी में मिलाकर या शहद डालकर भी पी सकते हैं। यात्रा के दौरान होने वाली परेशानियों को दूर करने का यह एक कारगर इलाज है।
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पित्ताशय की पथरी (Gall Stone) रामबाण हर्बल औषधि बताओ

गुर्दे की पथरी की अचूक हर्बल औषधि

हार सिंगार का पत्ता गठिया और सायटिका का रामबाण उपचार

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से मूत्र रुकावट की हर्बल औषधि

घुटनों के दर्द की हर्बल औषधि

मर्दानगी बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे

डिप्रेशन अवसाद से कैसे निजात पाएं

गोखरू गुर्दे के रोगों मे अचूक जड़ी बूटी

एक्जिमा की सबसे अच्छी दवा कौन सी है? आयुर्वेदिक या एलोपेथिक?

सायटिका रोग की सबसे अच्छी औषधि बताओ

किडनी फेल ,गुर्दे खराब की जीवन रक्षक औषधि

यकृत( Liver) के रोग (Ailments) और निष्क्रियता के लक्षण और रामबाण हर्बल औषधि

18.11.19

ग्रीन टी सेहत के लिए वरदान तुल्य



ग्रीन टी में अधिक मात्रा में पौषक तत्व पाये जाते है जो हमारे शरीर के प्रतिरक्षातन्त्र को ताकतवर बनाते है| इससे हमारा शरीर विभिन्न तरह के रोगों से लड़ने लिये मजबूत हो जाता है, ग्रीन टी को मॉर्निंग ड्रिंक की तरह उपयोग करने के अलावा इसे हम अलग-अलग के तरह घरेलू नुस्खों और सौंदर्य संबंधी नुस्खों में भी इस्तेमाल करते है--आज हम भी आपसे घर पर ग्रीन टी बनाने की विधि बता रहे हैं जिससे आप भी इसे आसानी से बनाकर तैयार कर सकें तो आईये आज हम स्वादिष्ट और पौष्टिक ग्रीन टी (Green Tea) बनायेंगें-सामग्री :-
ग्रीन टी की पत्ती एक चम्मच या 5 ग्राम
पानी डेढ कप पावडर 1-2 चुटकी भर
शकर या शहद एक चम्मच या स्वाद के मुताबिक
ईलायची

विधि :-
ग्रीन टी बनाने के लिये सबसे पहले चाय बनाने की एक तपेली में पानी डालकर गरम करने के लिये गैस पर रखें, जब पानी में उबाल आ जाए तब उबलते हुये पानी में ग्रीन टी पाउडर डालकर गैस बंद दें और तपेली को
एक प्लेट से ढक दें जिससे ग्रीन टी पाउडर फ्लेवर पानी में अच्छी तरह से आ जाये। करीब 2 मिनट के बाद ग्रीन टी को एक छन्नी की सहायता से एक कप में छानकर निकाल लें और अब इस छनी हुई चाय में अपने स्वाद के अनुसार चीनी या फिर शहद और इलाइची पाउडर को डालकर चम्मच से अच्छी तरह मिला लें । स्वादिष्ट और पौष्टिक ग्रीन टी बनकर तैयार गयी है, आप ग्रीन टी को हल्का गुनगुना या फिर ठंडा करके सर्विंग कप में निकालकर सर्व करें। ग्रीन टी एंटी ऑक्सीडेंट की तरह काम करती है|
व्यायाम से भी आपको लग रहा है कि आपका वज़न कम नहीं हो रहा, तो आप दिन में ग्रीन टी पीना शुरू करें। ग्रीन टी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स होने की वजह से यह शरीर की चर्बी को खत्म करती है। एक अध्ययन के अनुसार, ग्रीन टी शरीर के वज़न को स्थिर रखती है। ग्रीन टी सिर्फ चर्बी ही कम नहीं होती बल्कि मेटाबॉल्ज़िम भी सुधरता है और पाचक संस्थान की परेशानियां भी खत्म होती हैं। यह मोटापा कम करने के लिये काफी सहायक सिद्ध होती है, इसलिये ग्रीन टी को रोजाना कम से कम एक बार अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करें|
फ्रेश तैयार हरी चाय शरीर के लिए अच्छी और स्वस्थ्य वर्धक होती है। आप इसे या तो गर्म या ठंडा कर के पी सकते हैं, लेकिन इस बात का यकीन हो कि चाय एक घंटे से अधिक समय की पुरानी ना हो। ज्यादा खौलती गर्म चाय गले के कैंसर को आमंत्रित कर सकती है, तो बेहद गर्म चाय भी ना पिएं। यदि आप चाय को लंबे समय के लिए स्टोर कर के रखेंगे तो, इसके एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स खत्म हो जाएँगे| इसके अलावा, इसमें मौजूद जीवाणुरोधी गुण भी समय के साथ कम हो जाते हैं। वास्तव में, अगर चाय अधिक देर के लिये रखी रही तो यह बैक्टीरिया को शरण देना शुरू कर देगी। इसलिये हमेशा ताजी ग्रीन टी ही पिएं|
*ग्रीन टी को भोजन से एक घंटा पहले पीने से वजन कम होता है। इसे पीने से भूख देर से लगती है दरअसल यह हमारी भूख को नियंत्रित करती है। ग्रीन टी को सुबह-सुबह खाली पेट बिल्‍कुल भी नहीं पीनी चाहिये|
दवाई के साथ ग्रीन टी लेना वर्जित है | दवाई को हमेशा पानी के साथ ही लेना चाहिये|
*ग्रीन टी में गुलाब जल मिलाने से इसमें मौजूद एंटी एजिंग और एंटी कार्सिनोजेनिक (कैंसर विरोधी तत्‍व) लाभ डबल हो जाते हैं। और शरीर में जमा अतिरिक्त टॉक्सिन निकल जाते है। इसे बनाने के लिए ग्रीन टी में एक बड़ा चम्‍मच गुलाब जल का मिलाये। 
*ज्यादा  तेज ग्रीन टी में कैफीन और पोलीफिनॉल की मात्रा बहुत अधिक  होती है। ग्रीन टी में इन सब सामग्री से शरीर पर खराब प्रभाव पड़ता है। तेज और कड़वी ग्रीन टी पीने से पेट की खराबी, अनिद्रा और चक्‍कर आने जैसी प्राबलेंम  पैदा हो सकती है|
*ज्यादा  चाय नुक्‍सानदायक हो सकती है। इसी तरह से अगर आप रोजाना 2-3 कप से ज्‍यादा ग्रीन टी पिएंगे तो यह नुक्‍सान करेगी। क्‍योंकि इसमें कैफीन होती है इसलिये तीन कप से ज्‍यादा चाय ना पिएं|
ग्रीन टी सेवन करने के लाभ 
*ग्रीन टी (Green Tea) मृत्यु दर को कम करने में सहायक होती हैं -
*शोध द्वारा ज्ञात हुआ कि ग्रीन टी (Green Tea) पीने वालों को मृत्यु का खतरा अन्य की अपेक्षा कम रहता हैं |*ग्रीन टी (Green Tea) से हृदय रोगियों को राहत मिलती हैं इससे हार्ट अटैक का खतरा कम होता हैं | और आज के समय में हार्ट अटैक से ही अधिक मृत्यु होती हैं जिस पर उम्र का कोई बंधन नहीं रह गया हैं | इस तरह ग्रीन टी मृत्यु दर को कम करती हैं |
ग्रीन टी कैंसर में भी फायदेमंद होती हैं -
*एक शौध के अनुसार ग्रीन टी से ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी का खतरा 25 % तक कम होता हैं |यह कैंसर विषाणुओं को मारता हैं और शरीर के लिए आवश्यक तत्व को शरीर में बनाये रखता हैं |
*ग्रीन टी से वजन कम होता हैं :
ग्रीन टी से शरीर का मेटाबोलिज्म बढ़ता हैं जिससे उपापचय की क्रिया संतुलित होती हैं और शरीर का एक्स्ट्रा वसा कम होता हैं | और इससे वजन कम होता हैं और साथ ही उर्जा मिलती हैं |
ग्रीन टी मधुमेह के रोगियों के लिए भी फायदेमंद हैं :ग्रीन टी के सेवन से मधुमेह रोगी के रक्त में शर्करा का स्तर कम होता हैं | मधुमेह रोगी जैसे ही भोजन करता हैं | उसके शर्करा का स्तर बढ़ता हैं इसी लेवल को ग्रीन टी संतुलित करने में सहायक होती हैं |



ग्रीन टी से रक्त का कॉलेस्ट्रोल कम होता हैं :
ग्रीन टी से शरीर का हानिकारक कॉलेस्ट्रोल कम होता हैं और लाभकारी कॉलेस्ट्रोल का लेवल बनाये रखता हैं |ग्रीन टी ब्लडप्रेशर के रोगियों के लिए फायदेमंद हैं :
ग्रीन टी के सेवन से शरीर का ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता हैं क्यूंकि यह कॉलेस्ट्रोल के लेवल को बनाये रखता हैं |अल्जाईमर एवम पार्किन्सन जैसे रोगियों के लिए ग्रीन टी फायदेमंद होती हैं - ग्रीन टी के सेवन से अल्जाईमर एवम पार्किन्सन जैसी बीमारियाँ धीरे-धीरे बढ़ती हैं |ग्रीन टी ब्रेन सेल्स को बचाती हैं |और डैमेज सेल्स को रिकवर करते हैं |

ग्रीन टी दांत के लिए भी फायदेमंद होती हैं -
ग्रीन टी में केफीन होता हैं जो दांतों में लगे कीटाणुओं को मारता हैं, बेक्टेरिया को कम करता हैं | इससे दांत सुरक्षित होते हैं |ग्रीन टी (Green Tea)के सेवन से मानसिक शांति मिलती हैं :
ग्रीन टी (Green Tea)में थेनाइन होता हैं जिससे एमिनो एसिड बनता हैं जो शरीर में ताजगी बनाये रखता हैं इससे थकावट दूर होती हैं और मानसिक शांति मिलती हैं |
ग्रीन टी (Green Tea)से स्किन की केयर होती हैं : ग्रीन टी में एंटीएजिंग तत्व होते हैं जिससे चेहरे की झुर्रियां कम होती हैं | और चेहरे पर चमक और ताजगी बनी रहती हैं |इससे सन बर्न ने भी राहत मिलती हैं | स्किन पर सूर्य की तेज किरणों का प्रभाव नहीं पड़ता |
ग्रीन टी में केफीन की मात्रा अधिक होती हैं अतः इसका अत्यधिक सेवन हानिकारक हो सकता हैं | केफीन की अधिक मात्रा मेटाबोलिज्म बढाती हैं जिससे कई लाभ मिलते हैं जो उपर दिए गये हैं लेकिन अधिक मात्रा में केफीन भी शरीर के लिए गलत हो सकता हैं | खासतौर पर गर्भवती महिला या जो महिलायें गर्भ धारण करना चाहती हैं उनके लिए ग्रीन टी सही नहीं हैं कारण इससे आयरन और फोलिक एसिड कम होता हैं |ग्रीन टी को अदरक, नींबू एवम तुलसी के साथ लेना और भी फायदेमंद होता हैं | ऐसा नहीं हैं कि ग्रीन टी में केफीन होने से इसके सारे गुण अवगुण हो जाए लेकिन किसी भी चीज की अधिकता नुकसान का रूप ले लेती हैं |गर्भावस्था में हरी चाय के फायदे
ग्रीन चाय गर्भावस्था के दौरान शरीर में लौह, कैल्शियम और मैग्नेशियम की मात्रा की पूर्ती करती है।
आमतौर पर रात को सोते समय और भूख लगने पर कैफीन नहीं पीना चाहिये। रात को पीने से यह भूख बढ़ाता है और नींद भी ठीक से नहीं आती लेकिन इसके विपरीत गर्भावस्था के दौरान भी रात में हरी चाय पी सकते हैं, क्योंकि इसमें कैफीन की मात्रा कम होती है।

हाल में हुए शोधों से पता चला है कि हरी चाय बहुत सी कैंसर जैसी भयावह बीमारियों से भी बचाती हैं।
गर्भावस्था के दौरान हरी चाय रोगों से लड़ने का ना सिर्फ एक अच्छा उपाय है बल्कि इसमें सम्भावित रोगों से लड़ने की शक्ति भी है। यानी गर्भावस्था के दौरान होने वाली किसी भी संक्रमित बीमारी से बचाने का काम हरी चाय करती है।
गर्भावस्था के दौरान दांतों और मसूड़ों की कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं और कई अध्ययनों के अनुसार दांतों के लिए ग्रीन-टी काफी लाभदायक है।गर्भावस्था के दौरान तरोताजा महसूस करवाने और चुस्त-दुरूस्त रखने में हरी चाय फायदेमंद है|
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