18.8.24

दिमागी तनाव से निपटने के घरेलू उपाय how to tackle tension

 



तनाव एक ऐसी बीमारी है जिससे ज्यादातर लोग परेशान हैं. आजकल लोगों को जरा सी बात पर टेंशन हो जाती है. नींद नहीं आती और दिनभर परेशान रहने लगते हैं. तनाव को दूसरी बीमारियों की भी जड़ माना जाता है. तनाव और टेंशन से वजन बढ़ता है, हार्ट की बीमारी होती हैं, ब्लड प्रेशर बढ़ता है, नींद की समस्या हो जाती है और हार्मोंस गड़बड़ होने लगते हैं. हालांकि आप घर में रहकर ऐसे कई काम या एक्टिविटी कर सकते हैं जो तनाव को दूर करने में आपकी मदद करेंगे. आइये जानते हैं घर में रहकर तनाव को कैसे कहें बाय-बाय.आयुर्वेद चिकित्सा की एक प्राचीन भारतीय प्रणाली है जो पूरे स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक उपचार का उपयोग करती है. कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, तेल और प्रैक्टिस से तनाव को कम करने और विश्राम को बढ़ावा देने में मदद करते हैं, जैसे कि ध्यान, प्राणायाम और योग. ये शरीर, मन और आत्मा में बैलेंस बनाने का काम करते हैं. इसलिए, तनाव से निपटने के लिए आयुर्वेदिक उपायों का प्रयोग करना बहुत फायदेमंद होता है. आइए कुछ आयुर्वेदिक उपायों के बारे में जानते हैं, जिससे तनाव दूर किया जा सकता है.

जटामांसी


जटामांसी शांति और तनाव को कम करने के लिए उपयोगी होती है. इसे चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ सेवन किया जा सकता है.

ब्राह्मी


ब्राह्मी मस्तिष्क को शांत करने में मदद करती है और तनाव को कम करती है. ब्राह्मी की चाय बनाकर पी सकते हैं.

योग और प्राणायाम


योग और प्राणायाम तनाव कम करने में मदद करते हैं. योग विभिन्न आसनों को शामिल करता है, जो तनाव कम करने में मदद करते हैं. प्राणायाम मानसिक शांति लाने में मदद करता है.


सरसों का तेल


सरसों का तेल शरीर के तनाव को कम करने में मदद करता है. इसे नाभि पर लगाकर मालिश किया जा सकता है.











जिस प्रकार की हम जीवन शैली जी रहे हैं ऐसे में तनाव (Stress) होना स्वभाविक है। ऑफिस का कार्यभार हो या घर की जिम्मेदारी, कभी ना कभी किसी ना किसी ने तनाव को महसूस किया ही है। कारण कुछ भी हो सकता है पर तनाव को समय रहते कम करना बेहद जरूरी है। वरना लोग शारीरिक और मानसिक रूप से बंध जाते हैं, जिसके कारण उन्हें चिंता, डिप्रेशन, हिस्टीरिया आदि समस्याएं होने लगती हैं। इनका प्रभाव दैनिक जीवन पर भी पड़ता है। अगर आप भी तनाव का शिकार हो गए हैं तो आपके घर पर ही इसका इलाज मौजूद है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि आप घरेलू उपाय से कैसे इस तनाव को दूर कर सकते हैं। इसके लिए हमने डॉ निमेश जी देसाई, साइकोलॉजिस्ट और निर्देशक से भी बात की है। पढ़ते हैं आगे...

तनाव को दूर करें हरी चाय (Green Tea for Stress)

हरी चाय जिसे इंग्लिश में ग्रीन टी भी कहा जाता है। अगर उसके साथ शहद और नीबू को मिलाकर पिया जाए तो इससे ना केवल शरीर स्वस्थ बनता है बल्कि यह तनाव को दूर करने में भी बेहद मददगार है। इसके अंदर ऐसे घटक पाए जाते हैं जो व्यक्ति को केंद्रित और उत्पादक बनाते हैं। ऐसे में आप प्रत्येक दिन में एक-दो बार हरी कप की चाय का सेवन कर सकते हैं। ग्रीन टी के अंदर कम मात्रा में कैफीन पाया जाता है ऐसे में आप दिन में तीन बार भी इस चाय का सेवन कर सकते हैं। मानसिक शांति के लिए यह एक अच्छा विकल्प है।

तुलसी

तुलसी तनाव को कम करने में मदद करती है और मानसिक शांति लाती है. तुलसी की चाय बनाकर पी सकते हैं.

सफेद मूसली

सफेद मूसली तनाव को कम करने में मदद करती है और शक्ति बढ़ाती है. इसे पाउडर के रूप में ले सकते हैं

मसाज के माध्यम से दूर करें

मसाज के माध्यम से खुद को रिलैक्स किया जा सकता है। यह न केवल नींद को बढ़ाता है बल्कि अगर आप पैरों की मसाज करवाते हैं तो इससे तनाव भी दूर होता है। इसके लिए आप तिल के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। हर दिन सोने से पहले आप तिल के तेल से अपने बालों की मालिश करें। ऐसा करने से आप अनिद्रा की समस्या को दूर कर पाएंगे और तनाव की समस्या से भी छुटकारा मिल जाएगा। इसके अलावा मसाज से शरीर और मन दोनों को शांति मिलती है।

अश्वगंधा

यह जड़ी-बूटी तनाव कम करने में मदद करती है. आश्वगंधा की जड़ को चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ सेवन किया जा सकता है.


मसाज के माध्यम से दूर करें 

मसाज के माध्यम से खुद को रिलैक्स किया जा सकता है। यह न केवल नींद को बढ़ाता है बल्कि अगर आप पैरों की मसाज करवाते हैं तो इससे तनाव भी दूर होता है। इसके लिए आप तिल के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। हर दिन सोने से पहले आप तिल के तेल से अपने बालों की मालिश करें। ऐसा करने से आप अनिद्रा की समस्या को दूर कर पाएंगे और तनाव की समस्या से भी छुटकारा मिल जाएगा। इसके अलावा मसाज से शरीर और मन दोनों को शांति मिलती है।

सामाजिक सहयोग

अपने तनाव के क्षणों में अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के बीच रहिए क्योंकि इससे आपको सबसे ज्यादा सपोर्ट मिलता है व हिम्मत भी मिलती है विपरीत परिस्थिति का सामना करने की।




अनिद्रा के आयुर्वेदिक ,घरेलू रामबाण उपाय :Nind ke gharelu upchar

                                          

       विडियो:नींद न आने की समस्या और  रामबाण उपचार                                                      


अनिद्रा जिसे अंग्रजी में Insomnia कहते हैं  से परेशान व्यक्ति को रात में काफ़ी देर तक बिस्तर पर पड़े रहने से भी नींद नहीं आती है। 
आज के समय में लोग इस तनाव भरी स्थिति को दूर करने के लिए काफ़ी दवाइयों का सेवन करते नज़र आते हैं जो उनके शरीर में किडनी और लीवर को नुक़सान पहुंचा सकती हैं।  आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार की सहायता से इस समस्या को जल्दी दूर किया जा सकता है।


अनिद्रा (Insomnia) नींद नहीं आने के कारण

  *अगर आपको नियमित रूप से नींद आने में परेशानी होती है, तो हर रात सोने से पहले अपने शरीर को शांत करने और आराम करने का अभ्यास  करें । इसका मतलब है नहाना, पढ़ना या शांत संगीत सुनना। दिन के दौरान सक्रिय रहने से आपको बेहतर नींद लेने में मदद मिल सकती है


अनिद्रा को दूर करने के घरेलू उपाय

अश्वगंधा लाभदायक—

इसके चूर्ण को  दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ सेवन किया जाए तो अनिद्रा की समस्या को जल्दी ख़त्म किया जा सकता है।

सरसों का तेल फायदेमंद—

आयुर्वेद के मुताबिक़ रात को सोने से पहले अगर व्यक्ति रोजाना पैर के तलवों में इस तेल की अच्छे से मालिश करता है तो रात को अच्छी नींद आने में सहायता मिलती है।

दालचीनी चूर्ण उपयोगी—

रात को सोने से पहले एक गिलास देसी गाय के गुनगुने दूध में आधा चम्मच दालचीनी चूर्ण मिलाकर सेवन करने से अनिद्रा में लाभ मिलता है।

जायफल उत्तम औषधि—

*रात में अगर एक गिलास दूध में एक 2 ग्राम  जायफल चूर्ण मिश्रण करके कम से कम 1 महिना सेवन किया जाए तो अनिद्रा की परेशानी दूर हो सकती है।

शंखपुष्पी

शंखपुष्पी अपने वात संतुलन और मेध्य गुणों के कारण मन को शांत करने का काम करता है। साथ ही इसमें अनिद्रा को ठीक करने की भी क्षमता होती है।

ब्राह्मी

ब्राह्मी को बकोपा के नाम से भी जाना जाता है। यह रात की अच्छी नींद लाने के लिए बेहतरीन जड़ी बूटी है।

नियमित व्यायाम करे

नियमित रूप से मध्यम शक्ति वाले व्यायाम करना, जैसे तैराकी या पैदल चलना, दिन भर के तनाव को दूर करने में मदद कर सकता है।   सोने से पहिले सोते समय जोरदार व्यायाम नहीं करना कहिए , जैसे दौड़ना या जिम, क्योंकि यह आपको जागृत रख सकता है।

कैफीन वाली चीजों को कम लें

   चाय, कॉफी, एनर्जी ड्रिंक्स और कोका कोला जैसी चीजों से दूर रहे, ख़ासकर शाम के समय इन चीजों को न ले। कैफीन आपकी नींद मे बाधा उत्पन्न कर सकता है,और आप अच्छी नींद नहीं ले पाते। इसलिये अच्छा रहेगा आप सोने से पहले गर्म दूध या हर्बल चाय पीये।

 ज्यादा खाना न खायें

जरूरत से ज्यादा खाना और शराब, इनका सेवन देर रात को करने से भी, आपकी नींद के नियम मे बाधा उत्पन्न होती हैं। 
गर्म पानी से नहा लें, शांत संगीत सुनें या मन और शरीर आराम देने वाले व्यायाम करें।

इन ख़ास बातों का रखें ध्यान:

*अपने भोजन में देसी गाय का दूध, दलिया और बादाम को महत्त्व दें।
*दोपहर के भोजन में सलाद का सेवन ज़रूर करें क्योंकि इसमें पाया जाने वाला लैक्टो calcium तत्व शरीर में जठराग्नि को मज़बूत बनाए रखता है।
*रात को सोने से पहले एक गिलास देसी गाय का दूध नियमित रूप से सेवन करें।
*सूर्योदय से पहले उठकर रोजाना 2 से 3 किलोमीटर पैदल चलें।
*योग, व्यायाम और प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में महत्त्वपूर्ण स्थान दें।
*तला हुआ भोजन और फ़ास्ट फ़ूड से आज ही दूरी बनाएं।

सोने से पहले कुछ देर टहलें:

सोने से पहले कुछ देर टहलने से शरीर को आराम मिलता है और नींद आने में मदद मिलती है.

गहरी सांस लें:
सोने से पहले कुछ देर गहरी सांस लेने से भी आराम मिलता है और नींद आने में मदद मिलती है.

स्क्रीन टाइम से बचें:

सोने से पहले कम से कम एक घंटे के लिए स्क्रीन टाइम से बचें, क्योंकि स्क्रीन से निकलने वाला ब्लू लाइट नींद को प्रभावित करता है.

नट्स:

बादाम और अखरोट में मैग्नीशियम और मेलाटोनिन होता है, जो नींद के लिए फायदेमंद है







17.8.24

गठिया और सन्धिवात को अलविदा कहें: दर्द और सूजन के लिए रामबाण नुस्खे

गठिया के इलाज का विडिओ 
                                       

         

मित्रों ,घरेलु उपचार के विडियो  की श्रंखला  में आज हम गठिया  ,संधिवात ,गाउट रोग को पूरी तरह काबू में लाने के रामबाण उपाय बता रहे हैं -
आजकल की बदलती जीवनशैली, मोटापा, गलत खान-पान आदि के कारण यह बीमारी अब सिर्फ बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं रह गई है। दरअसल युवा भी इसके शिकार हो रहे हैं. गठिया का सबसे ज्यादा असर घुटनों और फिर कूल्हे की हड्डियों में देखने को मिलता है। कई लोगों को समय-समय पर शरीर में दर्द और अकड़न महसूस होती है। कभी-कभी उनके हाथों, कंधों और घुटनों में सूजन और दर्द होने लगता है और उन्हें हाथ हिलाने में भी दिक्कत होती है। ऐसे लोग गठिया रोग से पीड़ित हो सकते हैं।

 कैमिकलयुक्त दवाओं से बेहतर है कि आप गठिया को  घरेलू या आयुर्वेदिक रूप से ठीक करें। इसका कारण यह है कि प्राकृतिक रूप से बनी जड़ी बूटियों में किसी प्रकार के साइड इफेक्ट नहीं होता। गठिया को ठीक करने के लिए आप कुछ घरेलू उपायों का प्रयोग कर सकते हैं।

ये नुस्खे गठिया  से दिलाए छुटकारा -दर्द-सूजन पर वार करे करारा 

 अमलतास

यह एक पेड़ है जिसकी 10-20 ग्राम पत्तियों को घी या सरसो के तेल में मिलाकर या पकाकर खाने से रूमेटाइड आर्थराइटिस से आराम मिलता है।

सुखी अदरक

सुखी अदरक में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं जिससे जोड़ों में होने वाले दर्द से और सूजन से आराम मिलता है। लगभग आधा गिलास हल्का गर्म पानी में सुखी अदरक को मिलाकर पीने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। आप दिन में दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।

 हरड़ और गुडुची

गुडुची के साथ हरड़ का सेवन करने से रूमेटाइड आर्थराइटिस के कारण उत्पन्न दर्द से राहत मिलती है। अपने जोड़ों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए आप सुखी अदरक और गुडुची को पीसकर उसमें 5 ग्राम हरड़ का पाउडर मिलाकर उसका सेवन कर सकते हैं।
*जितना हो सके उतना ज़्यादा पानी पीएं। इससे आप दिनभर हाइड्रेटिड रहेंगें।

हल्दी :

*हल्दी एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक माना जाता है। चोट लगने पर हल्दी का प्रयोग किया जाए, तो जल्द राहत मिलती है। इसमें करक्यूमिन नामक तत्व पाया जाता है जिससे शरीर में सूजन कम होने लगती है। साथ ही ये आर्थराइटिस के असर को धीरे-धीरे कम करने में सहायक है।

अरंडी का तेल

अरंडी का तेल शरीर में लिम्फोसाइट को बढ़ाने में मदद करता है। इसमें टी सेल यानी श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं जो किसी भी तरह की बीमारी से लड़ने में सहायक होती है।गठिया (Arthritis) एक ऐसी बीमारी है जो जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न पैदा करती है. यह किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन यह आमतौर पर 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में अधिक आम होती है.

 गठिया के मरीजों को इन पांच फूड्स से बचना चाहिए.

. चावल

चावल में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो सूजन को बढ़ा सकते हैं. 

गठिया के मरीजों को एक हेल्दी और बैलेंस डाइट का सेवन करना चाहिए जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज और दुबला प्रोटीन शामिल हों. नियमित व्यायाम भी गठिया के लक्षणों को मैनेज करने में मदद कर सकता है

कोल्ड ड्रिंक

कोल्ड ड्रिंक में चीनी और ऑर्टिफिशियल स्वीटनर होते हैं, जो सूजन को बढ़ा सकते हैं. गठिया के मरीजों को पानी, हर्बल चाय या कम चीनी वाले फल  के पेय का सेवन करना चाहिए.

 गठिया के लक्षणों को कम करने के लिए टिप्स:

*पानी भरपूर मात्रा में पिएं: शरीर में पानी की कमी गठिया के दर्द को बढ़ा सकती है. इसलिए, दिन भर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बहुत जरूरी है.
*अरंडी के तेल की मालिश किसी भी दर्द का रामबाण इलाज है। अगर आपके जोड़ों में भी हमेशा दर्द की शिकायत रहती है तो आप अरंडी के तेल से जोड़ों की मालिश कर सकते हैं।
*गठिया के लिए आमलकी, अश्वगंधा और शतावरी को मिलाकर उसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोज़ाना सुबह खाली पेट खाएं।
 *नींबू का रस निकालकर जोड़ों की मालिश करें। इससे सूजन व जोड़ों का दर्द खत्म होता है।
* गठिया होने का कारण यूरिक एसिड का बढ़ना है। इसको नियंत्रित करने के लिए आप लहसुन को शहद में डालकर इसका सेवन कर सकते हैं।
* कच्चे आलू का रस निकालकर रोज़ाना खाली पेट पानी के साथ आधा कप पिएं।

 सूर्य की किरणों का हल्का सहारा लें: 

सुबह की हल्की धूप जोड़ों के लिए फायदेमंद होती है. विटामिन-डी हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है.

* ठंडे से बचें:

एयर कंडीशनर के अत्यधिक प्रयोग से बचें. ठंड जोड़ों के दर्द को बढ़ा सकती है.

* वजन को कंट्रोल में रखें:

ज्यादा वजन जोड़ों पर दबाव डालता है, जिससे दर्द बढ़ सकता है. हेल्दी वजन बनाए रखने से गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है.

* नियमित व्यायाम करें: 

हल्के व्यायाम जोड़ों को लचीला बनाते हैं और दर्द को कम करते हैं.
गर्मियों में हड्डियों को मजबूत बनाने वाले डेयरी रहित खाद्य पदार्थ:

* हरी पत्तेदार सब्जियां:

लक, मेथी, ब्रोकली जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों में कैल्शियम और विटामिन-के भरपूर मात्रा में होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं.

* सोयाबीन:

सोयाबीन प्रोटीन और कैल्शियम का अच्छा सोर्स है. सोया दूध, टोफू और एडामे का सेवन गठिया के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है.

* अलसी के बीज: 

अलसी के बीज ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं, जो जोड़ों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं.

* अनार का दाना: 

अनार के दानों में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करते हैं.

* नट्स और बीज: 

बादाम, अखरोट, कद्दू के बीज आदि कैल्शियम, मैग्नीशियम और हेल्दी फैट के अच्छे सोर्स हैं. ये हड्डियों को मजबूत बनाते हैं.


पानी -

पानी यूरिक एसिड की मात्रा को शरीर में संतुलित रखने में बहुत ही ज्यादा कारगर साबित होता है।

लहसुन -

गठिया व जोड़ों का दर्द में लहसुन काफी फायदेमंद साबित होता है।
इसके लिए आप लहसुन की 3-4 कलियां सुबह खाली पेट ले।

एलोवेरा -

एलोवेरा का इस्तेमाल भी गठिया के दर्द में आराम पाने के लिए किया जाता है।
इसके लिए आप दर्द वाले स्थान पर ताजा एलोवेरा का जेल लगाएं यह आप के दर्द को बहुत हद तक कम कर देगा।

आलू -

आलू के रस में कार्बनिक और विभिन्न प्रकार के खनिज के गुण मौजूद होते हैं।
जिस वजह से यह गठिया के इलाज में बहुत फायदेमंद साबित होते हैं।

प्रभावित जोड़ों पर बर्फ लगाना

कपड़े से ढके बर्फ के पैक को जोड़ पर लगाने से गाउट से संबंधित सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है।
दर्द से राहत पाने के लिए बर्फ की थैली या अन्य ठंडी वस्तु को पतले तौलिये में लपेटकर 20 मिनट तक रखें।


---------------------

1.8.24

अस्थमा और सांस फूलने के लिए रामबाण घरेलू उपचार: आयुर्वेदिक तरीके से दमा निवारण

 



मित्रों,घरेलू आयुर्वेद से चिकित्सा करने के विडिओ प्रस्तुत करने की शृंखला मे आज का टॉपिक है  "अस्थमा और सांस फूलने की समस्या  के लिए रामबाण घरेलू उपचार: आयुर्वेदिक तरीके से दमा निवारण"
अस्थमा सांस की बीमारी है, इसे दमा भी कहा जाता है। जब श्वसन मार्ग में सूजन पैदा हो जाए तो इससे छाती में कसाव महसूस होने लगता है। जिससे सांस लेने पर परेशानी होती है। कई बार तो खांसी भी होने लगती है। 
 अस्थमा के मरीजों को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना पड़ता है। ऐसे में आप कुछ घरेलू उपाय अपनाकर इस समस्या को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं।

अस्थमा के कारण क्या है

अभी तक अस्थमा के सटीक कारणों का पता नहीं लगा पाया गया है लेकिन इस बीमारी के पीछे अनुवांशिक और पर्यावरणीय कारण जिम्मेदार हो सकते हैं अस्थमा रोग के शिकार अक्सर धूम्रपान करने वाले या फिर तंबाकू खाने वाले होते हैं। इसके अलावा धूल के कण वायु प्रदूषण, ठंडी हवा भी इसके कारण हो सकते हैं शारीरिक गतिविधियां, एलर्जिक रिएक्शन और कुछ भोज्य पदार्थों के कारण होता है। इसके अलावा अधिक तनाव और भावनात्मक रूप से कमजोर होने के कारण भी यह बीमारी हो जाती है। पेय पदार्थों जैसे बीयर, वाइन खाद्य पदार्थों जैसे सूखे मेवे भी इस बीमारी का कारण हो सकते हैं

अस्थमा मे शहद  उपयोगी 




अस्थमा के लक्षणों को कम करने में शहद काफी प्रभावी होता है। इसका उपयोग करने से खांसी, जुकाम और गले में खराश जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए आप एक गिलास गुनगुने
पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर इसे घूंट-घूंट करके पिएं। दिन में दो से तीन बार इसका सेवन करने से आपको जल्द आराम मिल सकता है।
 रात में सोने से पहले भी एक चम्मच शहद में थोड़ा सा दालचीनी पाउडर मिलाकर उसे चाट लें।

अदरक-अस्थमा मे फायदेमंद 






अदरक में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह खांसी, गले में खराश और दर्द को दूर करने में मदद कर सकता है। इसके लिए आप अदरक की चाय का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, आप अदरक के टुकड़े को चबा करके भी खा सकते हैं।

कॉफी

आपको शायद जानकर हैरानी हो लेकिन कॉफी भी अस्थमा से राहत दिलाने का एक आसान लेकिन कारगर उपाय है। इसके लिए आप एक कप गर्मागर्म कॉफी का सेवन करें। इससे आपको तुरंत अस्थमा से राहत मिलती है। दरअसल, यह तुरंत वायुमार्ग को खोलता है, जिससे आपको सांस लेने में आसानी होती है।

हल्दी अस्थमा मे उपयोगी 







एक गिलास पानी में एक चौथाई चम्मच हल्दी मिलाकर उसका सेवन करें। करीबन पंद्रह दिनों तक इस उपचार को दिन में तीन बार करें। हल्दी एक बेहतरीन एंटीमाइक्रोबॉयल एजेंट है। साथ ही इसमें कर्क्युमिन भी पाया जाता है, जो अस्थमा से लड़ने में मददगार है।

अदरक और हल्दी- से अस्थमा  मे राहत 






अदरक और हल्दी को औषधिय गुणों का भंडार माना जाता है। इसका इस्तेमाल कर आप आसानी से अस्थमा को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं। इसके लिए एक गिलास दूध में थोड़ी सी अदरक कद्दूकस करके उबाल लें।  इसमें आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर सेवन करे। आयुर्वेद के अनुसार दिन में 2 बार इसका सेवन करने से आपको अस्थमा अटैक से काफी लाभ मिलेगा।

 अस्थमा मे लहसुन का दूध उपकारी 



लहसून एक औषधी है और अगर इसे रात में दूध में मिलाकर पीया जाए तो अस्थमा जैसी कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। इसका इस्तेमाल के लिए रोजाना रात में एक गिलास लहसून के दूध का सेवन करें।

लहसुन में एंटी इंफ्लामेट्री गुण पाए जाते हैं जो अस्थमा की समस्या को कम करने में कारगर होता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए आधा कप  गरम अदरक वाली चाय में 2-3 लहसुन की कली पीसकर डाल लें और सेवन करें 

तेज पत्ता

तेज पत्ता अस्थमा की समस्या को कम करने में काफी फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए आधा चम्मच तेज पत्ता पाउडर में एक चौथाई चम्मच पिपली और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन  बार इसका सेवन करे। यह क्रोनिक अस्थमा में कारगर साबित होता है।

दालचीनी से अस्थमा मे  राहत 




दालचीनी में कैल्शियम, मैग्नीशियम आयरन एवं प्रोटीन जैसे गुणकारी तत्व पाए जाते हैं जो अस्थमा के मरीजों के लिए काफी कागर है। इसके साथ ही इसका सेवन शहद के साथ करने से इसके लाभ दोगुना बढ़ जाते हैं। 
रात को सोने से पहले एक कप गर्म पानी में एक चम्मच दालचीनी पाउडर, एक चौथाई चम्मच त्रिकटु चूर्ण और 1 चम्मच शहद मिलाकर इसका सेवन करें। आप चाहे तो दिन में 2 बार इसका सेवन कर सकते हैं।


इसी तरह के घरेलू आयुर्वेद के विडिओ अपने मोबाईल पर प्राप्त करने के लिए हमारा चैनल subscribe  कीजिए ,धन्यवाद ,आभार !

---



31.7.24

"किडनी विफलता का आयुर्वेदिक इलाज: जीवन रक्षक हर्बल उपचार और लक्षण"


क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) से दुनियाभर में 80 करोड़ से ज्यादा लोग परेशान हैं। यह मौत की भी बड़ी वजह है। भारत जैसे देश में, जहां लो और मिडल क्लास बहुत ज्यादा है, समस्या और गंभीर है। यहां ज्यादातर लोग इस बीमारी के नतीजे नहीं झेल पाते। डायलिसिस और ट्रांसप्लांटेशन का खर्च भी उनकी कमर तोड़ देता है।
किडनी की परेशानियों को आराम से दूर करना हो, तो आयुर्वेद सटीक तरीका साबित होता है। आयुर्वेद, किडनी के काम करने की ताकत को चमत्कार की तरह सही करता है। इतना कि डायलिसिस और ट्रांसप्लांटेशन जैसे इलाजों की जरूरत ही नहीं पड़ती। चलिए जानते हैं कि आयुर्वेद में किडनी डिजीज का क्या इलाज है।
Ayurvedic herb for kidney: जिन लोगों को पहले से किडनी से जुड़ी कोई पुरानी बीमारी है, उनके लिए किसी भी बीमारी से जुड़ी दवाएं लेना थोड़ा मुश्किल हो जाता है और ऐसे में कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां आपके काफी काम आ सकती है।
  किडनी हमारे शरीर के सबसे ज्यादा हेल्दी अंगों में से एक है और इसका नियमित रूप से ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। जब भी हम बीमार पड़ते हैं, तो उसके लिए डॉक्टर हमें दवाएं देते हैं। हमारे द्वारा खाई जाने वाली ये दवाएं हमारे शरीर की बीमारी को ठीक करने में तो मदद करती हैं, लेकिन इन दवाओं को फिल्टर हमारी किडनी को करना पड़ता है। खासतौर पर जिन लोगों को पहले से किडनी से जुड़ी कोई पुरानी बीमारी है, तो उनके लिए किसी भी बीमारी से जुड़ी दवाएं लेना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। दवाओं का असर हमारी किडनी पर जरूर पड़ता है, चाहे वे दवाएं किडनी की किसी बीमारी का इलाज करने के लिए ही क्यों न तैयार की गई हों। ऐसे में कुछ आयुर्वेदिक एक्सपर्ट्स क्रोनिक किडनी डिजीज के मामलों में कुछ खास प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं को इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है कि सारी ही आयुर्वेदिक दवाएं आपकी किडनी के लिए सुरक्षित हैं। लेकिन कुछ आयुर्वेदिक उत्पाद आपकी किडनी के लिए सुरक्षित हो सकते हैं।





वरुणा (Varuna for kidney)

आयुर्वेद में किडनी के मरीजों को वरुणा से बनी दवाएं दी जाती हैं। साथ ही वरुणा के पाउडर का सेवन क्रोनिक किडनी के मरीजों को दिया जाता है, ताकि उनके लक्षणों को कंट्रोल करके रखा जा सके। कुछ अध्ययनों में भी यह पाया गया है कि किडनी स्टोन को निकालने और उसे फिर से होने के खतरे को कम करने के लिए वरुणा काफी फायदेमंद हो सकती है।

गिलोय बेल (Giloy bel for kidney)

ग्रामीण भारत में घर-घर पाई जाने वाली गिलोय की बेल आयुर्वेद की सबसे प्रभावी जड़ी-बूटियों में से एक है। आयुर्वेद के अनुसार बुखार, गठिया और डेंगू जैसी बीमारियों में गिलोय बेल काफी फायदेमंद है। किडनी से जुड़ी बीमारियों का इलाज करने और किडनी की क्रोनिक बीमारियों को मैनेज करने के लिए भी आयुर्वेद में गिलोय बेल का इस्तेमाल किया जाता है।

पुनर्नवा (Punarnava for kidney)

किडनी के लिए सुरक्षित जड़ी-बूटियों में किडनी पुनर्नवा का नाम भी आता है। आयुर्वेद के अनुसार नियमित रूप से और समय-समय पर पुनर्नवा का इस्तेमाल करना आपकी किडनी को सुरक्षित रखता है और यहां तक कि जिन्हें पहले से ही किडनी से जुड़ी बीमारियां हैं, उनके लिए पुनर्नवा फायदेमंद है। सिर्फ आयुर्वेद ही नहीं बल्कि एलोपैथी में भी पुनर्नवा को काफी फायदेमंद बताया गया है, जिनके अनुसार इसमें डाइयुरेटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं।

चंदन (Sandalwood for kidney)

आयुर्वेद में स्किन से जुड़ी बीमारियों को दूर करने के लिए चंदन का काफी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है आयुर्वेद में चंदन की मदद से किडनी से जुड़ी कई बीमारियों का इलाज भी किया जाता है। दरअसल, चंदन भी एक डाइयुरेटिक की तरह काम करती है, जो किडनी से जुड़ी बीमारियों को दूर करने मे मदद करता है।

 गोक्षुरा (Gokhru for kidney)

आयुर्वेद में गुर्दे से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए गोखरू का इस्तेमाल भी काफी माना गया है। किडनी के मरीजों को गोखरू चूर्ण लेने की सलाह दी जाती है। साथ ही कुछ अध्ययनों के अनुसार गोखरू में यूरिक एसिड, क्रिएटिनिन और किडनी स्टोन कम करने के गुण पाए जाते हैं, जो क्रोनिक किडनी डिजीज होने के खतरे को कम करते हैं।

किडनी खराब होने के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

किडनी रातों-रात फेल नहीं होती, धीरे-धीरे इस हाल तक पहुंचती है। लेकिन किडनी फेल्योर के लक्षण बहुत कम और नॉर्मल होने की वजह से इसके बारे में समय से पता नहीं चलता और इलाज देर से शुरू हो पाता है। इलाज समय से शुरू हो, तभी सफल होगा। इसलिए, अलग तरह के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए।पेशाब कम आना

हाथ-पैरों में सूजन
थकान महसूस होना
सांस लेने में परेशानी
कई बार, सीरम क्रिएटिनिन, ब्लड यूरिया और यूरिन एल्बुमिन के लेवल्स अबनॉर्मल रेंज तक बढ़ जाते हैं। इससे किडनी फंक्शन में गड़बड़ी का इशारा मिलता है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और मेडिसिनल प्रीपरेशंस इन इंडिकेटर्स को नॉर्मल रेंज में लाने का काम करते हैं। सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले हर्बल फॉर्मुलेशंस में पुनर्नवा, कासनी, वरुण, पलाश और गोक्षुरा का इस्तेमाल किया जाता है।
आयुर्वेद के ट्रेडिशनल तरीके में नेचरल चीजों का प्रयोग करके बीमारियां ठीक की जाती हैं। इनमें ऐसी परेशानियां भी होती हैं, जहां एलोपैथिक दवाइयां काम नहीं कर पातीं। किडनी फेल्योर को भी आयुर्वेद से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। शरीर में असंतुलन को सही करके और किडनी फंक्शन में सुधार से आयुर्वेद में किडनी डैमेज को ठीक करने की भी ताकत होती है।
किडनी को स्वस्थ रखने और रोगों से बचाने के लिए टिप्स
हाइड्रेटेड रहें
स्वस्थ आहार का पालन करें
नमक का सेवन सीमित करें
धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचें
नियमित व्यायाम करें
तनाव का प्रबंधन करें
रक्तचाप को नियंत्रित करें
ब्लड शुगर के स्तर को मॉनिटर करें
पुनर्नवा, पलाश, गोक्षुरा, कासनी और वरुणादि ऐसी कई जड़ी-बूटियाँ हैं जिनका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक किडनी को साफ करने और पोषण देने के लिए करते हैं। ये जड़ी-बूटियाँ सूजन को कम करने में मदद करती हैं, रक्त परिसंचरण में सुधार करती हैं और शरीर से अपशिष्ट को तेजी से बाहर निकालने में मदद करती हैं।
आयुर्वेदिक इलाज हर मरीज की स्थिति के आधार पर तय होता है। इसलिए, किडनी फेल्योर के इलाज के लिए किसी एक दवाई का नाम नहीं लिया जा सकता, जबकि एलोपैथिक इलाज में यही ट्रेंड होता है। मरीज की उम्र, मेडिकल हिस्ट्री, कोमोर्बिटीज, लक्षण, बीमारी की स्टेज और सेहत को देखकर ही आयुर्वेदिक इलाज तय किया जा सकता है। इसके अलावा, आयुर्वेद शरीर में असंतुलन (दोष) दूर करने का काम करता है, इसलिए भी हर मरीज के इलाज का तरीका अलग होगा। एक मरीज को जिन दवाइयों से आराम मिले, जरूरी नहीं कि वह दूसरे के लिए भी फायदेमंद हो।
आयुर्वेदिक इलाज का सिद्धांत, केवल लक्षणों के इलाज की बजाय इसकी जड़ तक पहुंचना होता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर, इलाज शुरू करने से पहले बीमारी के मूल कारण का पता लगाते हैं। कई बार, किडनी फेल्योर किसी पुरानी वजह से होता है, जिसमें हाइपरटेंशन, डायबिटीज, दिल की बीमारियां और किसी दवाई से एलर्जी आदि हो सकते हैं। आयुर्वेदिक इलाज से पहले, किडनी फेल्योर के कारण का पता लगाकर इसे दूर किया जाता है।

क्रोनिक किडनी रोग के लिए कौन सी दवा सबसे अच्छी है?

क्रोनिक किडनी डिजीज में खून के फीकेपन का श्रेष्ठ उपचार दवाई और एरिथ्रोपोएटिन है।
विशिष्ट परामर्श- 

विशिष्ट परामर्श-

किडनी फेल रोगी के बढे हुए क्रिएटनिन के लेविल को नीचे लाने और गुर्दे की क्षमता बढ़ाने में हर्बल औषधि सर्वाधिक सफल होती हैं| किडनी ख़राब होने के लक्षण जैसे युरिनरी फंक्शन में बदलाव,शरीर में सूजन आना ,चक्कर आना और कमजोरी,स्किन खुरदुरी हो जाना और खुजली होना,हीमोग्लोबिन की कमी,उल्टियां आना,रक्त में यूरिया बढना आदि लक्षणों  में दुर्लभ जड़ी-बूटियों से निर्मित यह औषधि रामबाण की तरह असरदार सिद्ध होती है|डायलिसिस  पर   आश्रित रोगी भी लाभान्वित हुए हैं| औषधि हेतु  वैध्य दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क किया जा सकता है|
--

सफेद दाग का मिटेगा नामों निशान ,अचूक उपचार

 

  सफेद दाग के घरेलू नुस्खे का विडिओ 



  मित्रों ,रोगों की घरेलू रामबाण  चिकित्सा के विडिओ प्रस्तुत करने की शृंखला मे आज हम सफेद दाग ,विटीलिगों ल्यूकोडर्मा  को जड़ मिटाने के उपचारों की जानकारी दे रहे हैं |
 स्किन  के किसी अंग या बालों का सफेद होना विटिलिगो कहलाता है। जिसे सफेद दाग के नाम से भी जानते है। आमतौर पर यह समस्या शरीर में मेलानोसाइट्स की कमी के कारण होते है। जो मेलानिन नामक स्किन के पिगमेंट बनाती है। जिससे स्किन में रंग बनाने वाली कोशिकाएं खत्म होने के कारण यह सफेद दाग होते हैं। यह सफेद दाग शरीर में किसी भी जगह हो सकते हैं। समय से पहले सिर के बाल, भौहें, पलकें, दाढ़ी के बालों का रंग उड़ जाता है या सफेद हो जाती है|विटिलिगो किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन विटिलिगो के आधा से ज्यादा मामलों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही विकसित हो जाता है,  चेहरे पर या शरीर के अन्य किसी हिस्से में सफेद दाग होने के कारण कई बार व्यक्ति में हीनता की भावना भी पैदा हो जाती है। 
सफेद दाग को ठीक करने के लिए विशेष आहार की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ और पोषक तत्वों को शामिल करके त्वचा के रंग में सुधार किया जा सकता है. विटिलिगो (सफेद दाग) में विटामिन बी12, फोलिक एसिड, विटामिन सी और जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है.

कायाकल्प लेप

इसके लिए एक बाउल में मुल्तानी मिट्टी, गौमूत्र, नीम का पेस्ट, एलोवेरा जेल, हल्दी और अपामार्ग मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे लगातार 1 माह तक लगाए। इससे आपकी स्किन अपने रंग में आ जाएगी।

गोमुत्र अर्क़

माना जाता है कि गोमुत्र में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो सफेद दाग को काफी हद तक सही कर देते हैं। इसके लिए रोजाना सुबह  एक चम्मच गोमुत्र अर्क पिएं।  दूध के साथ नमकीन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे सफेद दाग हो सकते हैं। जैसे चाय, कॉफी के साथ नमकीन जैसी चीजें ना खाएं। इसके साथ ही रात को सोने के 1 घंटे पहले दूध का सेवन करे।
ये उपचार भी कारगर होते हैं 
1. पीसी हुई हल्दी गुनगुने दूध में डाल कर पिए। हर रोज 2 बार ये उपाय करने से 5-6 महीने में सफेद दाग साफ़ होने लगेगा।
2. सरसों का तेल 2 चम्मच ले और इसमें 1 चम्मच हल्दी मिलाकर इसका लेप सफेद दागों पर लगाए. फिर 15 मिनट के बाद धो ले। इस घरेलू नुस्खे को कुछ महीने लगातार दिन में 2 से 3 बार लगाए ल्यूकोडर्मा ठीक होने लगेगा।
3. सफेद दाग का अचूक इलाज करने के लिए लहसुन के रस में थोड़ी हरड़ घीस कर मिलाए और सफेद दाग पर इसका लेप लगाए।
4. प्रतिदिन 3 से 4 बादाम और 30 से 50 ग्राम भीगे काले चने खाए।
5. अखरोट का पाउडर 2 चम्मच ले और इसमें थोड़ा सा पानी मिला कर पेस्ट बना ले। अब इस पेस्ट को white spots पर 15 से 20 मिनट के लिए लगा कर छोड़ दे। इस होम रेमेडीज को दिन में 2 से 3 बार प्रयोग करे।
6. सफेद दाग के उपाय में नीम के पत्तों का रस रामबाण इलाज का काम करता है। नीम के पत्तों को पीस कर इसका रस निकाल ले और इसमें 1 चम्मच शहद मिला कर दिन में 2 से 3 बार पिए।

सफेद दाग का  परमानेंट इलाज क्या है

आज के समय में विटिलिगो को पूरी तरह से सही करने के लिए तमाम तरह के इलाज और थेरेपी उपलब्ध हैं। 
  आयुर्वेद के अनुसार, पित्त या इसके साथ बाकी वातों की गड़बड़ी से सफेद दाग की समस्या होती है। जो लोग बहुत ज्यादा तला-भुना, मसालेदार, बेवक्त खाने के अलावा विरुद्ध आहार (मसलन दूध के साथ नमक या मछली आदि) लेता है, उसमें यह समस्या होने की आशंका ज्यादा होती है।
 आयुर्वेद में पंचकर्म के जरिए शरीर को डिटॉक्सिफाई किया जाता है। इसके अलावा बाकुची बीज, खदिर (कत्था), दारुहरिद्रा, करंज, अमलतास आदि  हर्ब्स के जरिए भी खून को साफ किया जाता है। इसके अलावा कंपाउंड मेडिसिन भी दी जाती है जैसे कि गंधक रसायन, रस माणिक्य, मंजिष्ठादि काढ़ा, खदिरादि वटी आदि है। त्रिफला भी काफी असरदार है।
  हल्दी और सरसों के तेल को मिलाकर बनाया गया मिश्रण दाग वाली जगह लगाने से दाग कम होने लगता है। इसके लिए आप एक चम्मच हल्दी पाउडर लें। अब इसे दो चम्मच सरसों के तेल में मिलाए। अब इस पेस्ट को सफेद चकतों वाली जगह पर लगाएं और 15 मिनट तक रखने के बाद उस जगह को गुनगुने पानी से धो लें। ऐसा दिन में तीन से चार बार करें। इससे फर्क नजर आयेगा|
१.५  किलो ग्राम हल्दी को 8 लीटर पानी में रात भर भिगोकर रखें, रात भर भिगोने के बाद सुबह उस पानी को गर्म करें। तब तक गर्म करें जब तक कि 1 लीटर शेष रह जाएँ। इसमेंआधा लीटर सरसों का तेल मिला लें, इसके बाद तब तक पकाते रहें जब तक की आधा लीटर शेष रह जाएँ इस मिश्रण के  प्रयोग से शरीर के सफेद दाग में लाभ मिलता है। इस तेल का प्रयोग सुबह-शाम दोनों समय करना चाहिए।
------------------


30.7.24

हड्डियों को मजबूत बनाने वाले भोजन पदार्थ Foods for strong bones



  जब शरीर के सम्पूर्ण स्वास्थ्य की बात आती है, तो उसमें हड्डियों का मजबूत होना बेहद जरूरी होता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है इसे लेकर और भी सजग होने की जरूरत पड़ने लगती है। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए एक संतुलित आहार लेना सबसे अच्छा होता है, जिसमें कैल्शियम, विटामिन डी, मैग्नीशियम और हड्डियों को सहारा देने वाले अन्य पोषक तत्व शामिल हों। इससे हड्डियों के नुकसान को रोकने और ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। इस लेख में हम ऐसे ही फूड आइटम्स के बारे में जानेंगे, जिनके सेवन से हड्डियों को मजबूती मिलती है।
अचानक से घुटनों में दर्द होना या फिर कमर या हाथ-पैरों की हड्डियों का दुखना कमजोर हड्डियों के लक्षण हो सकते हैं. कमजोर हड्डियां शरीर के अलग-अलग हिस्से में दर्द का कारण बनती हैं जिस चलते उठना-बैठना तक मुश्किल होने लगता है. ऐसे में हड्डियों को मजबूत बनाना जरूरी होता है. यहां खानपान की ऐसी ही कुछ चीजें दी गई हैं जिनके सेवन से हड्डियों की कमजोरी दूर होती है और हड्डियां मजबूत (Strong Bones) होने लगती हैं. यहां जानिए कौनसी हैं ये चीजें जिन्हें डाइट का बनाया जा सकता है हिस्सा.

सूखे मेवे - 

खानपान में सूखे मेवे शामिल करने पर शरीर को अलग-अलग फायदे मिलते हैं और इन ड्राई फूड्स का असर हड्डियों को मजबूत बनाने में भी दिखता है. सूखे मेवे कैल्शियम ही नहीं बल्कि मैग्नीशियम और फॉस्फोरस के भी स्त्रोत होते हैं जोकि हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में असरादर हैं. ऐसे में इन मेवों को स्नैक्स की तरह या फिर मिल्क शेक्स और सलाद वगैरह में डालकर खाने पर हड्डियों को फायदा मिलता है.
विटामिन डी कुछ खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, जिसमें मछली और मशरूम शामिल हैं , लेकिन यह मुख्य रूप से फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। आपका शरीर इसे तब भी बनाता है जब आपकी त्वचा धूप में रहती है। विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण और हड्डियों की वृद्धि में सुधार करता है और आपकी मांसपेशियों, नसों और प्रतिरक्षा प्रणाली की मदद करता है ।

डेयरी प्रोडक्ट्स को बढ़ाएं: 

अगर आप अपनी बोन्स को मजबूत बनाना चाहते हैं तो आपको अपनी डेली रूटीन में डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, पनीर, दही जैसे खाद्य पदार्थों को बढ़ाना होगा. डेयरी प्रोडक्ट में कैल्शियम और विटामिन डी की मात्रा भरपूर होती है. इसके साथ ही डेयरी प्रोडक्ट में प्रोदीन की मात्रा भी अधिक होती है

बादाम – 

ड्राई फ्रूट्स में सबसे ताकतवर माने जाने वाले बादाम का सेवन करना दिमाग ही नहीं, बल्कि हड्डियों के लिए भी चमत्कारी माना जा सकता है. बादाम के साथ बादाम से बने बटर (Almonds & Almond Butter) का सेवन करने से बोन हेल्थ बूस्ट हो सकती है. इनमें पोषक तत्वों का भंडार होता है. आधा कप नट्स में 190 मिलीग्राम कैल्शियम और 2 चम्मच बादाम मक्खन में 111 मिलीग्राम कैल्शियम होता है.

पालक का सेवन करें: 

हड्डियों के लिए सबसे प्रमुख तत्व कैल्शियम होता है. हरी सब्जियों में इसकी मात्रा अच्छी खासी होती है. बोन्स को मजबूत करने के लिए पालक का सेवन किया जा सकता है. पालक के सेवन से हड्डियों को कैल्शियम की डेली जरूरत का लगभग 25 प्रतिशत कैल्शियम मिल जाता है. फाइबर में उच्च पत्तियों में आयरन और विटामिन ए भी अधिक होता है.

अनानास का सेवन करें:

 अनानास में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें पोटैशियम की मात्रा भरपूर होती है जिससे शरीर को बैलेंस करने में मदद मिलती है. अनानास कैल्शियम की कमी को भी कम करता है. इसमें विटामिन एक की मात्रा भी भरपूर होती है.

सोयाबीन –

हड्डियों के लिए सोयाबीन को सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जा सकता है. इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम के अलावा प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है, जिससे हड्डियों के साथ मांसपेशियों को भी मजबूती मिलती है. सोयाबीन से बनी चीजें खाने से आपकी हड्डियां लोहे जैसी मजबूत बन सकती हैं. आप हड्डियां को लंबे समय तक बेहतर बनाने के लिए सोयाबीन से बने टोफू का सेवन शुरू कर सकते हैं

फलियां –

हड्डियों की सेहत के लिए सफेद फलियों (White Canned Beans) को बेहद फायदेमंद माना जाता है. इन एक कप फलियों में लगभग 190 मिलीग्राम कैल्शियम होता है. बीन्स प्रोटीन का भी अच्छा स्रोत हैं. आप फलियों का सेवन करके हड्डियों को आसानी से मजबूत बना सकते हैं. इसके अलावा हरी सब्जियों में भी कैल्शियम समेत तमाम पोषक तत्व होते हैं, जिनसे हड्डियों को हेल्दी रखा जा सकता है.

अंजीर – 

आपको जानकर हैरानी होगी कि हड्डियों के लिए सूखे अंजीर (Dried Figs) को अमृत समान माना जा सकता है. हार्वर्ड हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार सूखे अंजीर का सेवन करने से हड्डियों को मजबूती मिल सकती है. दो अंजीर में लगभग 65 मिलीग्राम कैल्शियम होता है और नियमित रूप से इनका सेवन करने से शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं होगी. अंजीर को भिगोकर खाने से भी बोन हेल्थ बूस्ट होती है.
आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपको स्वस्थ हड्डियों को बनाए रखने के लिए प्रत्येक पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिले। वयस्कों को कैल्शियम और विटामिन डी की निम्नलिखित अनुशंसित मात्रा प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए
50 वर्ष तक के वयस्क : 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम और 600 अंतर्राष्ट्रीय यूनिट विटामिन डी
51 से 70 वर्ष की आयु के वयस्क : 1,000 से 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम और 600 अंतर्राष्ट्रीय यूनिट विटामिन डी
71 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्क : 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम और 800 अंतर्राष्ट्रीय यूनिट विटामिन डी
 व्यायाम और शारीरिक गतिविधि बचपन से लेकर वयस्कता तक हड्डियों को स्वस्थ रख सकती है। बच्चों और किशोरों को प्रतिदिन एक घंटे शारीरिक गतिविधि करने का लक्ष्य रखना चाहिए, जबकि वयस्कों को हर हफ़्ते लगभग दो घंटे और 30 मिनट की ज़रूरत होती है।1
आदर्श रूप से, आप निम्नलिखित व्यायामों को शामिल करेंगे:
भार वहन करना (जैसे, चलना, दौड़ना, नृत्य करना, टीम खेल)
शक्ति प्रशिक्षण (जैसे, मुक्त भार उठाना, शरीर-भार नियम)
बिना वजन उठाए (जैसे, साइकिल चलाना, तैरना)
लचीलेपन, कोर ताकत और संतुलन को बेहतर बनाने के लिए आप योग, पिलेट्स या ताई ची भी पसंद कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, अगर आपको ऑस्टियोपोरोसिस है तो कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर आहार मदद कर सकता है। भरपूर मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी लेने से बीमारी धीमी हो सकती है और फ्रैक्चर को रोका जा सकता है।
---




14.7.24

बड़ी से बड़ी पथरी को गलाकर बाहर निकालने के लिए आजमाएं हर्बल औषधियाँ, kidney stone herbal medicine


 



किडनी स्टोन या किडनी में पथरी होना एक आम समस्या है। गुर्दे की पथरी से बहुत से लोग पीड़ित होते हैं। किडनी की पथरी की समस्या किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। यह महिला और पुरुष दोनों पर समान प्रभाव डालती है। किडनी की पथरी अगर छोटी हो तो यह अपने आप बाहर निकल आती है लेकिन मध्यम या बड़ी आकार की पथरी होने पर इलाज की जरुरत पड़ती है। पथरी के दर्द को कम करने के लिए कई घरेलू उपचार मौजूद है। इसके साथ ही किडनी की पथरी को कई घरेलू नुस्खे की मदद से भी तोड़ा भी जा सकता है। अगर गुर्दे की पथरी शुरूआती स्टेज में है तो पथरी के घरेलू उपायों से इसके लक्षणों को दूर किया जा सकता है। आइये जानते हैं किन घरेलू उपायों से अपने आप निकल जाएगी किडनी की पथरी।
गुर्दे की पथरी या किडनी स्टोन क्रिस्टलयुक्त खनिज और लवण होते हैं जो डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) के कारण बनते हैं। गुर्दे में पथरी तब बनती है जब मिनरल और साल्ट जैसे कैल्सियम ऑक्जलैट किडनी में क्रिस्टलीकृत होकर जमने लगते हैं और कठोर होकर जमा हो जाते हैं। हालांकि पथरी किडनी में ही बनती है लेकिन यह यूरिनरी ट्रैक्ट को भी प्रभावित करती है। किडनी स्टोन को कैल्कुली (calculi) या यूरोलिथियासिस भी कहते हैं।

पथरी होने के कारण

गुर्दे में पथरी या किडनी स्टोन आमतौर पर एक नहीं बल्कि कई कारणों से होती है। गुर्दे की पथरी तब होती है जब यूरिन में कैल्शियम, ऑक्जलेट और यूरिक एसिड जैसे पदार्थ जमा होकर अधिक मात्रा में क्रिस्टल का निर्माण करते हैं और यूरिन के फ्लुइड को पतला कर देते हैं। इस दौरान यूरिन में क्रिस्टल को एक दूसरे से जोड़ने से रोकने वाले पदार्थों की कमी हो जाती है जिससे किडनी में पथरी बन जाती है। इसके अलावा यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, रिनल ट्यूबुलर एसिडोसिस, हाइपरथायरॉयडिज्म सहित कई बीमारियों के कारण किडनी की पथरी हो सकती है।

पथरी के लक्षण


आमतौर पर किडनी स्टोन के लक्षण तब तक पता नहीं चल पाते हैं जब तक पथरी किडनी के चारों ओर घूमने नहीं लगती या किडनी और ब्लैडर के बीच स्थित मूत्रवाहिनी में नहीं आ जाती है। उसके बाद किडनी की पथरी के ये लक्षण सामने आते हैं:
पसलियों के नीचे और पीठ में तेज दर्द
पेशाब के दौरान दर्द
गुलाबी, लाल या भूरे रंग की यूरिन
पेशाब से तीक्ष्ण दुर्गंध आना
मितली और उल्टी होना
बार-बार पेशाब लगना
सामान्य से अधिक पेशाब होना
इंफेक्शन
ठंड लगना और बुखार
कम मात्रा में पेशाब होना
इसके साथ ही किडनी स्टोन के कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में हल्का और गंभीर दर्द भी होता रहता है।
गुर्दे की पथरी एक आम समस्या है जिसे घरेलू उपचार से भी काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। घर में ऐसी कई चीजें मौजूद होती हैं जिनमें भरपूर मात्रा में औषधीय गुण पाये जाते हैं और ये वस्तुएं किडनी की पथरी को बढ़ने से रोकने के साथ ही दर्द में भी राहत देती हैं।




पथरी का घरेलू इलाज पानी

किडनी की पथरी का सबसे आसान घरेलू उपचार है पानी। किडनी स्टोन होने पर रोजाना सामान्य रुप से 8 गिलास पानी पीने की बजाय 12 गिलास पानी पीने से पथरी का ग्रोथ रुक जाता है। वास्तव में गुर्दे की पथरी का एक बड़ा कारण डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) है। शरीर में पानी की कमी होने पर यह बीमारी उत्पन्न होती है।
पानी किसी भी बीमारी को दूर करने में कितना मददगार साबित हो सकता है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं की केवल पानी पीने से ही पथरी को बाहर किया जा सकता है। इसलिए अधिक से अधिक पानी पीने के साथ ही यूरिन के रंग पर भी ध्यान देना चाहिए। आपके यूरिन का रंग लाइट और कम पीला होना चाहिए। यदि आपका यूरिन का रंग गहरा पीला है तो इसका मतलब यह है कि आपके शरीर में पानी की कमी हो गई है। अगर गुर्दे की पथरी का आकर छोटा है तो इसे अधिक मात्रा में पानी पीकर बाहर निकाला जा सकता है।
नींबू से पथरी का इलाज किया जा सकता है। नींबू से पथरी का इलाज भी बहुत आसान है और इस घरेलू उपाय को बहुत से लोग आजमाते हैं। नींबू में साइट्रेट नामक रसायन पाया जाता है जो गुर्दे में कैल्शियम स्टोन बनने से रोकता है। इसके साथ ही साइट्रेट किडनी की पथरी को छोटी-छोटी पथरी में ब्रेक करता है और उन्हें बढ़ने से रोकता है। किडनी स्टोन के घरेलू इलाज के रुप में सबसे पहले एक बार सुबह खाली पेट नींबू पानी और रात के खाने के कुछ घंटे पहले नींबू पानी का सेवन करना चाहिए। यह घरेलू उपाय करने से कई बार किडनी स्टोन को निकालने के लिए ऑपरेशन की जरुरत भी नहीं पड़ती है। अगर आप बिना सर्जरी के किडनी स्टोन को ठीक करना चाहते हैं (Remove Kidney Stones Without Surgery), तो आपको यह नुस्खा रोज करना होगा।

तुलसी का रस


पथरी तोड़ने की दवा के रुप में तुलसी के रस का इस्तेमाल भी किया जाता है। यह किडनी की पथरी निकालने का घरेलू नुस्खा माना जाता है। जिससे किडनी स्टोन से राहत पाने में मदद मिलती है। तुलसी में एसिटिक एसिड पाया जाता है जो गुर्दे की पथरी को तोड़ता है और दर्द कम करने में मदद करता है। इसके साथ ही तुलसी पोषक तत्वों से भरपूर है।
आमतौर पर तुलसी को पाचन और सूजन की समस्याओं को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होने के कारण तुलसी का रस किडनी की पथरी के घरेलू उपचार में मदद करता है। किडनी की पथरी निकालने के लिए तुलसी की ताजी पत्तियों की चाय दिन में कई बार सेवन करें। इसके साथ ही तुलसी की पत्तियों का जूस पीने से भी गुर्दे की पथरी ठीक हो जाती है। हालांकि छह सप्ताह से ज्यादा तुलसी के रस का सेवन नहीं करना चाहिए।

सेब का सिरका

किडनी की पथरी का देसी इलाज है सेब का सिरका। इसमें पर्याप्त मात्रा में एसिटिक एसिड पाया जाता है जो गुर्दे की पथरी को गलाने में मदद करता है। इसके साथ ही यह पथरी के कारण होने वाले दर्द को भी कम करता है। किडनी स्टोन को गलाने के लिए एक गिलास पानी में एक चम्मच एपल साइडर विनेगर मिलाकर दिन में कई बार सेवन करें। सेब के सिरके का इस्तेमाल सलाद में भी किया जा सकता है। हालांकि यदि आपको डायबिटीज है या आप इंसुलिन, डिगॉक्सिन या कोई डाइयूरेटिक दवा ले रहे हों तो आपको सेब के सिरके का सेवन नहीं करना चाहिए।

अजवाइन का रस

किडनी की पथरी के लिए अजवाइन का रस बेहद फायदेमंद है। यह विषाक्त पदार्थों को दूर करके किडनी स्टोन बनने से रोकने में मदद करती है। अजवाइन में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो पेशाब की मात्रा को बढ़ाता है और किडनी स्टोन को पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने में प्रभावी तरीके से कार्य करता है। अजवाइन के रस को पानी में मिलाएं और पूरे दिन में कई पानी सेवन करें। लेकिन यदि आपको किसी तरह की ब्लीडिंग होती हो या लो ब्लड प्रेशर से पीड़ित हों एवं दवाओं का सेवन कर रहे हों तो डॉक्टर से परामर्श लेकर ही अजवाइन के रस का सेवन करना चाहिए।

व्हीटग्रास जूस

व्हीटग्रास जूस पथरी के घरेलू इलाज के काम आता है। व्हीटग्रास जूस में कई तरह के पोषक तत्व पाये जाते हैं जो यूरिन को बढ़ाते हैं और पेशाब के माध्यम से किडनी स्टोन को बाहर निकालने में मदद करते हैं। किडनी स्टोन को निकालने के लिए रोजाना दिन में कई बार व्हीटग्रास जूस का सेवन करना चाहिए। इससे गुर्दे की पथरी बढ़ती भी नहीं है और उससे होने वाले दर्द में भी आराम मिलता है।

अनार का रस

किडनी स्टोन के असहनीय दर्द के इलाज के लिए अनार का रस उपयोगी होता है। किडनी से जुड़ी सभी समस्याओं के लिए अनार के रस का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है। यह सिस्टम से पथरी और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। अनार के रस में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो यूरिन के एसिडिक लेवल को कम करता है और गुर्दे की पथरी को बढ़ने से रोकता है। दिन में कई बार अनार का जूस पीने से किडनी स्टोन के असहनीय दर्द से राहत पाया जा सकता है।

ऑलिव ऑयल

एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल किडनी स्टोन का घरेलू इलाज है। यह ऑयल काभी गाढ़ा और पोषक तत्वों से समृद्ध होता है जो मूत्रमार्ग को चिकना करके किडनी स्टोन को बाहर निकालने में मदद करता है। एक गिलास पानी में वर्जिन ऑलिव ऑयल की कुछ बूंदे मिलाकर सुबह दोपहर और शाम को सेवन करने से किडनी स्टोन टूट जाता है और दर्द एवं बेचैनी भी कम हो जाती है।
  किडनी स्टोन का होना आपकी सेहत पर बुरा असर डाल सकता हैं। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि आप गुर्दे की पथरी के लक्षण को पहचान कर समय रहते ही इसके लिए इलाज तलाश लें। अक्सर लोग किडनी स्टोन के घरेलू उपाय आजमाते हैं, जो इस्तेमाल में आसान और किडनी स्टोन को घोलकर पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने में मददगार होते हैं। यदि आप भी किडनी स्टोन की बीमारी से जूझ रहें है तो इस लेख में बताये गए किडनी स्टोन को निकालने के लिए घरेलू इलाज को आजमा सकते हैं। हालांकि यह थोड़ा असुविधाजनक हो सकता है, लेकिन अपने दम पर गुर्दे की पथरी को बाहर करना संभव है।
पथरी ठीक होने तक उपचार जारी रखना सुनिश्चित करें, और शराब न पियें।
आप इन उपायों को अपने सामान्य आहार में शामिल कर सकते हैं और पथरी की बीमारी ठीक होने के बाद भी इनका उपयोग जारी रख सकते हैं। यह फिर से पथरी बनने से रोकने में मदद कर सकते है।
विशिष्ट परामर्श-




पथरी के भयंकर दर्द को तुरंत समाप्त करने मे हर्बल औषधि सर्वाधिक कारगर साबित होती है,जो पथरी- पीड़ा बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज से भी बमुश्किल काबू मे आती है इस औषधि की 2-3 खुराक से आराम लग जाता है| वैध्य श्री दामोदर 9826795656 की जड़ी बूटी - निर्मित दवा से 30 एम एम तक के आकार की बड़ी पथरी भी आसानी से नष्ट हो जाती है|
गुर्दे की सूजन ,पेशाब मे जलन ,मूत्रकष्ट मे यह औषधि रामबाण की तरह असरदार है| आपरेशन की जरूरत ही नहीं पड़ती|
--